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विषय-सूची
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मंगलाचरण और मेरी भावना विशेष पृष्ठ १५ मभिनन्दन-श्री काशीराम शर्मा 'प्रफुक्षित' २ पचण्डि -क.सा. प्रभाकर
१५३ १६ साहित्य-सपस्वी-बी कल्याणकुमार 'शशि' हमारे समारति: एक अध्ययन-क००'प्रभाकर'१६. ३. श्रद्धाजलि-श्री प्रमुखाल प्रेमी . मुख्तार महोदयका सर्वस्व दान
| २८ अडाके फूल-श्री 'भगवत्' जैन ५ सम्मान समारोहका विवरण-एक पत्रकार
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३६ वन्य जीवन-[श्री 'हर्षित' हमारे सहयोगी
४. तुम डाल रहे-श्री भीमप्रकाश • स्वागत भाषण-श्री प्रद्युम्नकुमारजी
१ जय जय जुगलकिशोर-श्री बुद्धिलाल श्रावक १११ ८अमिनन्दन पत्र
५२ मुख्तार साहबके प्रति-श्री कपूर चन्द जैन . हमारे माननीय अतिथि
४३ सभापतिका अभिभाषण-[श्री राजेन्द्रकुमारजी १. वीरपूजाका भादर्श-श्री महेन्द्रजी
५५ उत्तर-माषण-[श्री मुख्तारजी द्वारा
१६१ "मादर्श अनुसंधाना-बा. ए. पन उपाध्याय १७६ | १५ मुख्तार साहबका जीवन-चरित्र विद्वानोंकी टिप्पणियो
४६ मंगलाशासनम् [श्री पक्षालाल जैन - १२ • विशेषताएं-श्री दौलतराम मित्र
४. मेरा अभिनन्दन-[पं. माणिकचन्दजी १६ .१३ हविरस्मि नाम, डा. वासुदेवशरण
४८ शीर्षक पहले
१६६ १४ भावीपीढोके पथप्रदर्शक-श्री कामताप्रसाद
४३ श्रद्धान्जलि-श्री माईदयालजी १५ प्राचार्य श्री मुख्तारजी-[पं. मोहन शर्मा
५. स्वयं अपने प्रति-[श्री भक्त
२०. १६ अमरकृतियोंके मष्टा
५१ देशव्यापी स्वागत
२०१ से २०० (नाम भूलसे अपना रह गया-क्षमा)
१२ :एकप्रकाशकके रूपमें[श्रीकाशीराम शर्मा प्रफुल्लित'२०१ १. घुग संस्थापक-[प्रो.हीरालालजी
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२५ विरोधमें भी निर्विरोध-श्री रवीन्द्रनाथ १८ पुराने साहित्यिक (प्रो. शिवपूजमसहाय
५४ परिचय-श्री एम. गोविन्द पाई १६ भविष्यके निर्माता-[भाचार्य वृहस्पति
१५ कम्य पालनका प्रश्न-श्री राजेन्द्रकुमारजी। २. भादर्श पुरुष-श्री अजितकुमारजी, मुलतान
५६ सरसावाका सन्त-[श्री मंगलदेवजी
२१३ २, साहित्य-तपस्वीको वन्दन-[श्री परमेष्ठीदास १८१
५. कृपण, स्वार्थी, हठयाही-श्री कौशलप्रसाद जैन २१ तपस्वीश्रीजमनावास व्यास .
५८ पण्डितजीके दो पत्र २३ साहित्यदेवता-[श्री माणिषयचन्द्रजी
१८२ ११ १२ वर्ष बाद २४ एक झांकी-4. रविचन्द्रजी
१E३ ६. स्वरकी ज्वालाम-श्रीमती कौमुदी २५ कठोर साधक-श्री ज्ञानबहादुरजी
१८३ ६. अपमानके बदलेमें-श्री स्वतन्त्र
२२० २६ बा० सूरजभानजीका पत्र
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६२ मेहमान रूपमें-लाखा षभसैन २. दिगम्बर प. महान सेवक-[पं० गोन्द्रकुमार १५ ६५ बरे अच्छे हैं पण्डितजी [शारदा जैन १८ भाई-श्रीछोटेलालजी
१. सम्पादकीय टिप्पणियां
२२३ २६ हमारे गर्व-श्री दुलारेलाल भार्गव
६५ वीरशासनाककी सूचना
२२५ ३. मेरा अभिनन्दन-श्री धर्मेन्द्रनाथ शाखी १८६ ६ विरोध में भी मधुर-श्री पक्षालाल
२२८ " मुक्तारजीकी विचारधारा-[श्री पुरुषोतमजी
- टा. पृ.. .. ११ जीवनकी दिशा-[श्री विद्यानन्यजी
107 | बठेपर्षका अनेकान्त ) कविवाणी
| बठे वर्षकी प्रथम किरण हमारे पास समास हो गई। ५ स्वागत-प्रो. गवाप्रसाद शुक्ल
अत: भविष्य में बनने वाले ग्राहकबाकी किरणों खिये २४ प्रणाम-भी अखिलेश भूप
१. केवल १) रुपये ही भेजनेका कहकरें। -व्यवस्थापक
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