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________________ विषय-सूची १८॥ . . . . . . . . . . १६. . . . ....16 . . १७E मंगलाचरण और मेरी भावना विशेष पृष्ठ १५ मभिनन्दन-श्री काशीराम शर्मा 'प्रफुक्षित' २ पचण्डि -क.सा. प्रभाकर १५३ १६ साहित्य-सपस्वी-बी कल्याणकुमार 'शशि' हमारे समारति: एक अध्ययन-क००'प्रभाकर'१६. ३. श्रद्धाजलि-श्री प्रमुखाल प्रेमी . मुख्तार महोदयका सर्वस्व दान | २८ अडाके फूल-श्री 'भगवत्' जैन ५ सम्मान समारोहका विवरण-एक पत्रकार १६५ ३६ वन्य जीवन-[श्री 'हर्षित' हमारे सहयोगी ४. तुम डाल रहे-श्री भीमप्रकाश • स्वागत भाषण-श्री प्रद्युम्नकुमारजी १ जय जय जुगलकिशोर-श्री बुद्धिलाल श्रावक १११ ८अमिनन्दन पत्र ५२ मुख्तार साहबके प्रति-श्री कपूर चन्द जैन . हमारे माननीय अतिथि ४३ सभापतिका अभिभाषण-[श्री राजेन्द्रकुमारजी १. वीरपूजाका भादर्श-श्री महेन्द्रजी ५५ उत्तर-माषण-[श्री मुख्तारजी द्वारा १६१ "मादर्श अनुसंधाना-बा. ए. पन उपाध्याय १७६ | १५ मुख्तार साहबका जीवन-चरित्र विद्वानोंकी टिप्पणियो ४६ मंगलाशासनम् [श्री पक्षालाल जैन - १२ • विशेषताएं-श्री दौलतराम मित्र ४. मेरा अभिनन्दन-[पं. माणिकचन्दजी १६ .१३ हविरस्मि नाम, डा. वासुदेवशरण ४८ शीर्षक पहले १६६ १४ भावीपीढोके पथप्रदर्शक-श्री कामताप्रसाद ४३ श्रद्धान्जलि-श्री माईदयालजी १५ प्राचार्य श्री मुख्तारजी-[पं. मोहन शर्मा ५. स्वयं अपने प्रति-[श्री भक्त २०. १६ अमरकृतियोंके मष्टा ५१ देशव्यापी स्वागत २०१ से २०० (नाम भूलसे अपना रह गया-क्षमा) १२ :एकप्रकाशकके रूपमें[श्रीकाशीराम शर्मा प्रफुल्लित'२०१ १. घुग संस्थापक-[प्रो.हीरालालजी १८. २५ विरोधमें भी निर्विरोध-श्री रवीन्द्रनाथ १८ पुराने साहित्यिक (प्रो. शिवपूजमसहाय ५४ परिचय-श्री एम. गोविन्द पाई १६ भविष्यके निर्माता-[भाचार्य वृहस्पति १५ कम्य पालनका प्रश्न-श्री राजेन्द्रकुमारजी। २. भादर्श पुरुष-श्री अजितकुमारजी, मुलतान ५६ सरसावाका सन्त-[श्री मंगलदेवजी २१३ २, साहित्य-तपस्वीको वन्दन-[श्री परमेष्ठीदास १८१ ५. कृपण, स्वार्थी, हठयाही-श्री कौशलप्रसाद जैन २१ तपस्वीश्रीजमनावास व्यास . ५८ पण्डितजीके दो पत्र २३ साहित्यदेवता-[श्री माणिषयचन्द्रजी १८२ ११ १२ वर्ष बाद २४ एक झांकी-4. रविचन्द्रजी १E३ ६. स्वरकी ज्वालाम-श्रीमती कौमुदी २५ कठोर साधक-श्री ज्ञानबहादुरजी १८३ ६. अपमानके बदलेमें-श्री स्वतन्त्र २२० २६ बा० सूरजभानजीका पत्र १८४ ६२ मेहमान रूपमें-लाखा षभसैन २. दिगम्बर प. महान सेवक-[पं० गोन्द्रकुमार १५ ६५ बरे अच्छे हैं पण्डितजी [शारदा जैन १८ भाई-श्रीछोटेलालजी १. सम्पादकीय टिप्पणियां २२३ २६ हमारे गर्व-श्री दुलारेलाल भार्गव ६५ वीरशासनाककी सूचना २२५ ३. मेरा अभिनन्दन-श्री धर्मेन्द्रनाथ शाखी १८६ ६ विरोध में भी मधुर-श्री पक्षालाल २२८ " मुक्तारजीकी विचारधारा-[श्री पुरुषोतमजी - टा. पृ.. .. ११ जीवनकी दिशा-[श्री विद्यानन्यजी 107 | बठेपर्षका अनेकान्त ) कविवाणी | बठे वर्षकी प्रथम किरण हमारे पास समास हो गई। ५ स्वागत-प्रो. गवाप्रसाद शुक्ल अत: भविष्य में बनने वाले ग्राहकबाकी किरणों खिये २४ प्रणाम-भी अखिलेश भूप १. केवल १) रुपये ही भेजनेका कहकरें। -व्यवस्थापक २१. १E. . . . . . १८.
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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