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अनेकान्त
[वर्ष६
करणमें खोजकी और भी गुंजायश है । जैन शास्त्रोंमें प्रत्येक ताके बहुत नजदीक । मेरे सामने यह प्रश्न कई बार वनस्पनिकी जाति-संख्या दस लाख मानी है, वैस वंशानको श्राया ।क जैन इन सूक्ष्मानिसूक्ष्म निगोद जीवोंको बनस्पात ने भी अनुमान किया है कि वर्तमानमें पौधोंकी जातियोंकी नामसे क्यों व्यवहृत करते है किन्तु इसका कोई समुचित गिनती सवा दो लाखसे कम नहीं होगी।
उत्तर मुझे न सूझा पर इस लेखको पढ़कर कई भी इस इन पंक्तियोंक पढ़नेमे दम अच्छी तरह समझ सकते प्रमका यह उत्तर दे सकता है कि ये एक प्रकारके पौधे हैं हैं ।क बनसनिक संबंध जैन मान्यना वैज्ञानिकोंकी मान्य- इसलिए इन्हें वनस्पात कहते हैं।
'अनेकान्तं का पागामी अंक "जुगल किशोर मुख्तार सम्मान समारोह मङ्क' होगा
अनेकान्त के पटकों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि श्रद्धेय मुख्तार साहब के प्रबल विरोध के बावजूद अनेकान्त के संचालकोंने यह निर्णय किया है कि अनेकान्त का दिसम्बर का अंक "जुगलकिशोर मुख्तार सम्मान समारोह अंक" होगा।
इस अंक में, ५ दिमम्बरको हानवाले 'जुगलकिशार मुख्तार सम्मान समारोह के विस्तृत समाचार, उनपर लिखे गये जैन अजैन विद्वानों के निबन्ध, देशके नेताओं और महापुरुपोंकी शुभ कामनायें और सन्देश, दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, पत्रोंकी मुख्तार साहब के सम्बन्ध में टिप्पणियों आदि साहित्य होगा।
इम अंकका सम्पादन हिन्दीके लब्धप्रतिष्ठ लेखक, पत्रकार और जीवन परिचय (लाईफ स्कैच) कलाके माने हुए विशेषज्ञ श्री. कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' करेंगे।
यह विशेषाङ्क मुख्तार साहबके शोधकार्यकी रेफरैम बुक होगी और इसके द्वारा हमारे पाठक मुख्तार साहचकी जीवनव्यापी साधनाकी एक विशेष झाँकी पा सकेंगे।
इस अंकमें हम मुख्तार साहबके जीवनके कुछ निजी संस्मरण भी देना चाहते हैं। इसलिये मुख्तार साहबके मित्रोंसे प्रार्थना है कि वे उनके सम्बन्ध में अपने संस्मरण तुरन्त लिख भेजें।
इस अंकको सफल बनाने में सहयोग देना हम मवका नैतिक कर्तव्य है। भाशा है हमारे माथी इधर ध्यान देंगे।
कौशवप्रसाद जैन व्यवस्थापक
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