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पटे वर्ष में अनेकान्तके सहायक गत तीन किरा प्रकाशित सहायता के बाद जो और २५) हेमचन्दनी, एबोर, अजमेर सहायता कर तथा बचमरूपमें पास हुई और जिनके २)सेठ पावसावजी पाटनी, मोसा (बाविपर) शिये सहायक महाशमपन्यबादके प्राचसकी सूची..) श्रीमुकमबाबजुचन्दजी, बगोरा सहायकोंकेएम नाम सहित इस प्रकार है
.)बा.बच्चीरामजी
उपहार-ग्रन्थ 'भनेकान्त' उपहारमें देने के लिये हमें दिगम्बर जैनसमारंगरपुरकी तरफसे 'पुष्णान्तिसुभासिन्ड' प्रन्यकी ५०. प्रतियां प्राक्ष हुई है, जिसके उक समाज विशेष धन्यवादका पात्र है और उसका यह कार्य दूसरों के लिये अनुकरणीय है। मूखग्रन्थ संसकतमें प्राचार्य श्रीकुन्धुसागरजीका रचा मासाबमें पंणिका नामकी संस्कृत टीका बागी, हिन्दी अर्थ और विशेषार्य तथा अंग्रेजी अनुवाद भी दिया हुमा। अतः जिन प्राहकों को प्रावश्यकता होवे पोटजसके लिये निम्न पते पर एक मामा भेजकर उसे मंगा | उन... प्राहकों कोहीहम यह अन्य दे सफेंगे जिनकी मांग पोटजसके साथ पहले पाएगी।
व्यस्थापक 'अनेकान्त' वीरसेवामन्दिर सरसावा, जि. सहारनपुर
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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
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जिस पुरातन-जैनवाक्य-सूची (प्रासपद्यानुक्रमणी) मामक प्रम्पका परिचय पिचली किरथम दिया जा चुका है और जिसकी पाबत पाठक यह जानते पा रहे हैं कि वह कुछ महीनोंसे प्रेसमें ,उससम्बन्ध मात्र यह सूचना देते हुए प्रसन्नता होती है कि वह पप गया है-सिर्फ प्रस्तावना या कुछ अपयोगी परिशिष्टीका अपना और उसके बाद बाइंडिंगका होना बाकी है, जो एक माससे कम नहीं लेगा प्रस्तावना या परिशिरों में प्राकृत भाषा और इतिहासादि सम्बन्धी कितने ही ऐसे महत्व विषय रहेंगे जिनसे ग्रन्थकी उपयोगिता और भी बढ़ जावगी। पांडके उत्तम कागज पर छपे हुए इस सजिवद प्रन्थका मूल्य पोटेजससे अवग
HUMES १२)ह.होगा, जो अबकी यारी और पाई होने वाले परिश्रम और कागजकी इस भारी मॅहगाईको देखते हुए भी नहीं है जो सजन प्रकाशित होनेसे पहले ११). मनिभाईरसे भेज देगे उन्हें पोटेक नहीं देना होगा-प्राकाशित होते ही अन्धाक रजिष्टरीसे उनके पास पहुंच जायगा। प्रत्यकी .. कापियांपा .जोशीही समास हो जायेंगी, क्योंकि किसनेहीभार पहबीसेमापन: जिन सजनों, संस्थानों, कालिजो तथा बायोरियों माविको भावश्यकता हो शीत्री मनीभाईरसे रूपया निम्न पते पर भेज देखें अमवा अपना नाम दर्ज रजिस्टर करा ।
अधिष्ठावा 'बीरसेवामन्दिर' सरसावा, जि. सहारनपुर
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