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Registere No. A-731.
वयोटद्ध पं० जुगलकिशोरजी मुख्तारका सम्मान समारोह सहारनपुरमें स्वागत-समितिका संगठन
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बिहान लोग अपनो शुभ कामनायें और निबन्ध भेजें!
भारतवर्षके विद्वत्समाजमें यह समाचार अत्यन्त हर्षके साथ सुना जायेगा कि वयोवृद्ध, निस्पृही, पुरातत्व विशेषज्ञ पं० जुगलकिशोरजी मुख्तार सम्पादक 'अनेकान्त' का सम्मान समारोह उनकी ६७ वी वर्ष गांठके अवसर पर मनानेके लिये सहारनपुर में प्रतिष्ठित व्यक्तियोंकी एक स्वागत समितिका निर्माण हो चुका है।
मुख्तार साहेबके त्यागमय बृहत् सेवा कार्यसे जैन समाज अपरिचित नहीं है उन्होंने पिछले ३० वर्षसे अपना तन मन धन सब कुछ जैन साहित्यकी खोज, जैन ग्रन्थोंके निर्माण और अनुवाद तथा पत्रों के सम्पादनमें लगा दिया है आज उनके लेखोंकी प्रमाणिकता की धाक न केवल जैन विद्वानों पर है बल्कि अजैन विद्वान भी उनका लोहा मानते हैं।
यह सचमुच जिले सहारनपुरका सौभाग्य है कि उसने न केवल ऐसे नररत्नको पैदा किया बल्कि उनकी शिक्षा दीक्षा और समाज तथा साहित्य सेवाका क्षेत्र भी यहा जिला रहा है. आज जिला सहारनपुर अपने इस सौभाग्यको समझ कर फूल उठा है और अपनी वह प्रसन्नता इस रूपमें प्रकट कर रहा है।
जैन समाजके विद्वानों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओंसे प्रार्थना है कि वे अपनी शुभ कामनायें, पंडित जीके सम्बन्ध में निवन्ध और कवितायें-- ला० अर्हदासजी जैन रईस और ज़मीदार
मौहल्ला बड़तला सहारनपुर संयोजक जुगलकिशोर मुख्तार सम्मान समारोह समिति के
पते पर १ दिसम्बरसे पहिले भेजदें। समारोहकी तारीख ५ दिसम्बर १९४३ ईसवी है
मुद्रक,प्रकाशक पं. परमानन्दशासी वीरसेवामन्दिर सरसावाके लिये श्यामसुन्दरलाल श्रीवास्तव द्वारा श्रीवास्तव प्रेस सहारनपुर में मुद्रित