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किरण ४]
नयोंका विश्लेषण
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किया गया है वह वस्तु व्यवस्थाके लिये घातक नहीं, बल्कि है हमें नेत्रोंमे होने वाले रूप विशिष्ट वस्तुके ज्ञान और अधिक उपयोगी है।
रसनासे होने वाले सांवशिष्ट वस्तुके ज्ञानका समुदायरूप शंका- जिस प्रकार दो पदोंका समुदाय वाक्य से कभी भी अनुभव नहीं होता है । ये दोनों ज्ञान हमेशा औरदो वाक्योंका अथवा दो महावाक्योंका स्वतंत्र ही अनुभव गोचर होते हैं। इस लिये स्वार्थ प्रमाण समुदाय महावाक्य होता है और इनके अवयव स्वरूप मतिज्ञानादि चार ज्ञानों में नय-परिकल्पना किसी भी मानकर पद, वाक्य और महावाक्यों को नय-वाक्य मान हालतमें नहीं बन सकती है। इसलिये ये चारों ज्ञान प्रमाण लिया गया है उसी प्रकार दो ज्ञानोंके समुदायको एक रूप ही हैं। केवल भूगज्ञान में ही पूर्वोक्त प्रकारसे प्रमाण और महा ज्ञान मानकर उसके अंशभूत एक २ ज्ञानको नय नयका भेद हो सकता है। सर्वार्थसिद्धिग्रथमें "प्रमाणनज्ञान भी माना जा सकता है, इसलिये स्वार्थ प्रमाण स्वरूप मैधिगमः" सूत्रकी व्याख्या करते समय लिखी गयीमतिज्ञानादिक में भी नयकल्पना मानना चाहिये।
"प्रमाणंदि विधं स्वार्थ पराथं च तत्र स्वाथ प्रमाणं श्रुतसमाधान-जिस तरह दो श्रादि पदों अथवा दोश्रादि वर्ण्यम्, श्रुतं पुनः स्वाथ भवति पराथं च। ज्ञानात्मक स्वार्थ वाक्यों या दो आदि महावाक्योंका समुदाय अनुभवगम्य वचनात्मकं परार्थम् तद्धकल्पा नया: इन पक्तियोंका यही है उस प्रकार दो आदि ज्ञानोंका समुदाय अनुभव गम्य नहीं अभिप्राय है।
* धार्मिक पुस्तकोंके मिलनेका अभाव होते जानेपर भी-*
(१)भविष्यदत्तमंट १०॥%)का८), (२)चन्दन वालासेट ६)का ४) । (३)सत्यमार्ग सेट-)|का ६॥ सुरसुन्दरी नाटक सती चन्दनबाला
सत्यमार्ग नीनजिनवाणी संग्रह सत्यघोषनाटक
जिननाणीसंग्रह भविष्यदत्तच ग्त्र रत्नमाला
रत्नकरंडश्रावकाचार
द्रव्यसंग्रह . धन्यकुमारचरित्र
अंजन सुन्दरीनाटक
नित्यनियमपूजा भाषा समन्तभद्रचरित्र प!षणपर्व व्रतकथा
ऋषभदेवकी उ. सूत्रभक्तामर १० पु. भादौं जैन पूजा
जैनधर्मसिद्धान्त किशन-भजनावली २ निनवाण गुटके
विशाल जैनसंघ चाँदन गांव-कीर्तन " हितेषी गायन
श्रात्मकमनोविज्ञान +बारहमासा अनन्नमनी
जैनभ जनसंग्रह
अतिशयजैनपूजा दीपमालिकापून अनन्तमती-चीग्त्रि
चारचित्र हस्तिनागपुर-महात्म्य -) रत्नकरण्डश्रावकाचार
रायबनकथा बड़ी * सम्मेदशिखरपूजा बही - महस्रनाम भापाटीका
विनती विनोद
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श्री वीर जैन पुस्तकालय, १०४ वो नई मंडी मुजप्रफरनगर (यू०पी०) नोट-०१सेट दस रुपये ग्यारह आनका पाठ रुपयेमें । नं.२ सेट सवालह रुपयेका पौने पाँच रुपये में।
नं. ३ सेट आठ रुपये साढ़े पाँच अानेका सषा छह रुपयेमें ।