Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला-गृतथाक-७६ श्री आगम-सुधा-सिन्धुः नवमों विभागः (आ सून जा गुरुकुल वासी योगवाही मुनिवरो गुरु आशा मुजब अधिकारी छ) सम्पादक, संशोधिक श्य पूज्याचार्य श्री विजयजिनेन्द्रसरिवर, -:प्रकाशिका. श्रीहर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लामाबावल शांतिपुरी(सौराष्ट्र). Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 牙免染染染杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂巧 श्री हर्षपुष्यामृत जैन यमाला-यांक-१६ श्री महावीर जिलेन्द्राय नमः। तपोमूर्ति पूज्याचार्य देवश्री विजयकरसूरिगुरुभ्यो नमः। हालारदेशोदारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतमूरिगुरुभ्योनमः। श्री आगम-सुधा-सिन्धः *RRRRRRRRRRRRRRRRA नवमो विभागः श्री.निश-बृहत्कल्प-व्यवहार-दशाश्रुतस्कर. - जीतकल्प- पञ्चकल्पसूत्रात्मक 卐#ARREAR289222025 Rम्पादक. संशोधक तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकर्पूरसूरीश्वर पालकार. हालारदेदारक-कविरत्न पूज्याचार्यदेवश्रीमटिजया तसूरीश्वरपट्टधर पूज्याचार्यश्री विजयजिनेन्द्रसूरिवरः प्रकाशिकाश्रीहर्षपुष्यामतजैन गन्यमाला | लाखाबावल-शांतिपूराष्ट्र) FREEFERREEEEE Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Popragagrappamogres के अनुक्रमणिका * श्री निशीथसूत्रम् श्री पञ्चकल्पभाष्यम् / 65 पृष्ठं श्री व्यवहारसूत्रम् / क्रमा ... हे प्रक पृष्ठ 2 3 उद्देशक: क्रमा 215 प्रथमः द्वितीयः ૨૧દ 3 3 प्रथमः द्वितीयः तृतीयः चतुर्थः पञ्चमः षष्ठः सातमः अष्टमः तृतीयः 221 224 GM..com चतुर्थः पञ्चमः षष्ठः 227 228 ی بی 3 ... 232 नवमः दामः .. सप्तमः - अष्टमः नवमः दामः 230 240 एकादशः द्वादकाः त्रयोदशः चतुर्दशः అబాణాదాణా దాణ్కాణజాలం ب प दकाः / .... घोडाः 38 38 श्री दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् / क्रमः अध्ययनं , पृष्ठं असमाधि : 245 सबल 246 आशातना. 247 गणिसम्पद् , 248 चित्तसमाधिस्थान 251 श्रमणोपासकप्रतिमा 243 भिक्षुप्रतिमा' 280 पर्युषणाकल्प દ8 मोहनीयस्थान 10 . आयतिस्थान . 167 श्रीजीतकल्पसूत्रम् / 283 सप्तदशः अष्टादशः एकानवितितमः उपसंहारः 30 श्री बृहत्कल्पसूत्रम् / उहाक: प्रथमः 42 द्वितीयः तृतीयः 48 زنی कमः पृष्ठ 265 45 mc oc win चतुर्थः 12 पञ्चमः षष्ठः ا بن ب आ सुतोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी मुविहित मुनियो है. Noted cocodiac Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRERRRRRRRRRY 27 ॥अम॥ श्री मद गणधर देव निर्मितं // श्रीनिशीथसूत्रम् // ॥अथ प्रथमोद्देशकः॥ भाष्ये पी ठिकागाथा 486 प्रनिता १०॥जे भिकर हत्यकम्मं करेह करतवा साइजइ५५१ // सूत्र १॥जे भिस्व अङ्गादाणं कोण या किलिञ्चेण वा अगुलियाए वा सलागाए वा सचालेइसं. चालत वा साइज 506 // सू०२॥ मे भिक्खू अंगादाणं संबाहेजवा पलि महेज वा संवाहंत वा पमद्दत वा साइज३॥०३॥जे भिक्खू अंगादाण तेल्लेण वा घएणवा वसाएवा नवणीएणवा अब्भगेजवा मकवेज वा अभंगंतवा मक्खतवा साइजहासू०४॥ जेभिवरलू अगावाणं कक्केण वा लोडेणवा परमचुण्णेण वा हाणेण वा सिणाणे णवा धुण्योहिवा अण्णे हि वा उव्वद वा परिवठूइवा उव्वदृत वा परिवहतवा साइअ॥५० . ॥जे भिकरवू अगादाण सीओदगविथडेगावा उसिणीदगविथडेण वा पुच्छोलेजवा पधोएज्ज वा उच्छोलतवा पधोबत वा सारंजइ.५०६५ जे भिम्खू अगादाण नि छल्ले इवा निचल्लत वासाइज३॥५०॥ जेभिक्खू अभादाणं जिघइजिघतवा साइजइ.५९० // 20 // जेभिक्यू अगादाण अन्नयरंसि अचित्तास सोयन्ति अगुपवसेत्ता सुक्कपाशाले निधाय निधायत वा साइज्जइ.६०३ // 09 // जे भिकरबू सचित्तपढदिय गध जि०घ जिघत वासाइज 608 // 0 10 // जे भिक्खू पयः मग वा सकम वा अवलवणं वा 619 // सू०१४॥ जे भिक्यू दगवणिय / 626 // 012 // जे भिक्खू सिक्कगं वा सिक्कगणंतगं वा 651 // 2013 // जे / भिक्खू सोत्तियंवा रज्जुथवा चिलिमिणिवा'६५४ // 2014 // भिक्यू'. सूइए। सू०१५॥ पिप्पलगरस।। सू०१६।। न हछेयणगस्स // 10 / / / RRESSES Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [2] श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभागः कणसोहणगस्स उत्तरकरणं अन्नन्थिएणं वा गारथिएण वाका कारयंतंबा माइज३.६६५॥ स्०१८॥जे भिक्खू अण्ण हाए सूई॥९० '16 // पिघलगंास०२०॥ नहछया गंम०३१॥ कण्णसोहणगं आयइ जाययंतं वा साइजइ.६५॥ स्०२२॥ जे भिक्खु अविहीए सूईजाब जाथइ आयंतं वा साइज'६६० // सूक्स.२६॥जे भिक्यू अध्यणो पुशस्स अहाए सूई आवजाइता अन्नमन्नस्स अणुभ्य देश अणुध्यत वा साइजइ॥सू०२१-३०॥जे भिकरवू पडिहारियं सूईजाइत्ता 'वत्थं सिबिस्सामि ति पायं सिब्बइ सिवंतवा साइज। सू०३१।। जे भिक्षु पडिहारियं पिप्पलग जाश्ता वित्तं छिदिस्सामिचि पायं छिंद छिंदतं वा साइज॥०३२जे भिकरबू पडिहरियं नहछेयणणं आइत्ता 'नहं चिंदिस्सामिति सल्लदरणं करे करतं वा साइजइ // 033 // जे भिकाबू परिहारियं कण्णमोहणगं जाइत्ता 'कण्णमलं नीहरिस्सामिति दन्तमलवानहमलंबानीहरहनीहरंतंवा साइजइ६६२' // सू०३४॥ जे भिक्खू अविहीए सई जाव परिपाइपधयितंवा साइ-लडास ३५-३॥भिकरवू लाउपायंवा दारुयायं वा मट्टियापायं वा अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा परिघट्टावड़वा संम्वेवा जमावे३वा अलमप्पणी करणयाए सुठुमवि नो कप्पइ आयमाणे सरमाणे अन्नमन्नम्स वियर वियरतं वा साइज्ज३ 686 // 2039 // जे भिक्यू दण्डयंवा हिथंवा अवलेहणियं वा वेणुसूइयं वा अन्नउथिएण वागारस्थिए वा परिघट्टाइसोचेव मग्गिललओ गमओभणगंतब्बी जान पायं तडडेति साइजइ०स०४०॥ जेभिरच पायस्स एवं तुडियं तड्डेइ ततं वा साइज 3114 / / सू०४॥ जे भिक्यू पाथस्स परं तिण्हं तुहियाणं तइडे३ तइतं वा साइज्जइ१९। सू०४२॥ जे भिकर पायं अविहीए बंध३ बंधतंवा साइज३६ // सू०४३॥ जेभिक पायं एगेणं बंधणं बंधइबंधतं वा साइजाइ 731 / 044 // जे भिकरबू पायं परं तिण्डं बंधाणंबंधइबंधतं वा साइजइ 736 // २०४५॥जे भिक्रय भइरेगबंधणं पाय दिवड्डाओ RSESSESEREEEEE Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्रं :: उद्देशकः२7 [3] मासाभी परेण धरेद धरतं वा साइज्जन 1452046 // जे भिक्खू वत्थस्स एगं पडियाणियं देवदतं वा साइज्जइ.७६२॥०४॥जेक्षिक्ख बत्थस्स परं तिण्हं पडियाणियाणं देशतवा साइज,६७० ॥सू०४जे भिक्रयू अनिहीए बत्थं सिवइ सिब्बतंवा साइजइ.१४ ॥सू०४९॥ जेभिक्खूवत्थेएगं फालियगठियं करे३ करंतं वाभाइज्जइ.9000 सू०५०॥अभिनव वत्थ परं तिण्डं फालियगठियाणं करे करंतवा साइजास०५३जे भिक्खू वत्यएगंफालिथंगठेगतं वा साइज॥सू०५२॥ जेभिक्खू बन्धे पर तिण्डं फालि. याणं गंठे गंठंतं वा साइज३॥ सू०५३॥ जे भिक्खू वत्वं अत्रिहीए गंठे३ गंठंतं वा साइज्जइ.१०॥०५॥जे भिक्खू वत्थं अतआएणं गाहेगानं वा साइज 18055 // जे भिवू अइरेगाहियं बत्थं परं दिवढामी मासाओ धरेइधरंतवा साइजइ.७१) ५६॥जे भिक गिहधूम अन्नउत्विएणवा गारत्थिरण वा परि साडा परिसाडेतं वा साइजइ5९३।०५७॥ जे भिम्बू पूइकम्म मुंज भुजंतं वा साइजइ. सेवमाणे आवजइ मासियं परिंद्यारहाणं अणुऊधाइयं 04 // 2058 // पटमो उद्देशओ समत्तो॥१॥ // अथ द्वितीयोदेशकः // जेभिनव दारूगं पायछणगं करे३ करतं वा साइजर 18 // 201 // जे भिक्यू दारंदंडगं गिण्डइ गिव्हतं वा साइजासू०२॥ १भिक्खू पारुदंडगं धरेइ धरंतं वा साइज्जवसाअभिय् दारुदंडगं वियर३ विधरंतं वा साइज्ज॥०॥ अभिक्रयू वारुदंर्ग परिभाए३ परिभायत वा साइजइ॥०॥जे भिक्खू दारुदंडणं पार भुजाइ परिभुजंतं वा साइजइ.२१॥०६॥जेभिक्रवदारुरंश परं दिवढाओ मासाओ धरेइ धरंतवा साइजइरा ॥जे भिक्खू दारुदंडगं विसुयाव विसुथाउत वा साइअसू० जे भिक्षू अचित्तपइदियं गंधं जिम्घ जिग्छतं वासरिजइ . ३पासू०९।। जे भिक्खू पयमवा संकम वा अवलंबगंवा / सू) जे भिक्यू दावीणियं॥सू०११॥ सिक्कगं वा सिक्का गंतगंवा सू०१२॥ काsssssssss Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HABARRRRRARY श्री आगम मुधा मि-यु: 0 नवमो विभागः जे भिक्खू सोसियं वा रज्यं वा (चिलिमिणिवा)करेइ करतं जा साइज॥०१३॥जे भिक्खू सूइए।०१४॥ पिप्यलगस्सा नहछयणगस्स। सू०१६॥ कण्णसोहणगस्स उत्तरकरणं सयमेवकोई करेंत वा साइज३१६॥ सू०१७॥जे भिक्खू लहुस्सगं फरुसं वयइ वयं वा साइज३७९॥२०१वाजे भिक्यू मुसं वय वयंत वा साइज'९०० 19 // जे भिक्यू अदत्तं आइयइ आइयत वा साइज३.९९ // 020 // जे भिक्खू लहुस्सएण सीओदगविथडेण . वा उसिणगवियडेण वा हत्याणि वा पायाणि वा कम्गाणिवा अच्छी किंवा दन्ताणि वा नहाणिवा मुहं वा उच्छोलेजबा पच्छोंलज्जवा उच्छोलंतं वा पछोलंनंवा साइजइ.९११।। म० २१)जे भिपरखू कसिणाईचम्मा धरेइ धरेंतं वा साइजर 152 // 022 / / कसिंणाई वत्थाई .899 // 023 // अभिन्भाइंबत्याई॥२०॥ भिक्खू लाउययार्थ वा दारु पायं वा महियापार्यवासयमेव परि घट्ट वा संठवेशवाजबेइजमाकेवा परिघहतं वाजधंदावा वतं)वा साइजइ१००।०२५॥ जे भिरवू दंडगंवा लडियं वा भवलेहगांवा वेणुसुइयं वा आवसाइजह॥०२६॥ जे भिक्खू निययगसियं पडिगृहगं धरेइधरेंतंवा साइजइ.१९॥सू०२७॥जे. भिक्खू पर गवसियं।सू०२८॥ वरनवेसिय। सू०२९॥ बलगवसियं 204 / 030 // लववसिय 210 स०३१॥जे भिक्खू नितियं भण पिंड भुजई मुजत वा साइज 21 / / सू०३२॥ पिंडं। सू०३३॥ अव ठं // 2034 // भागं / / 1035 // उवइट भागं॥सू०३६॥जे भिक्खू वास बसविसंतंवा साइज्ज३२३६॥ सू०३७॥जेभिर पुरेसंथवंवा पच्छासंधवंबा करे करतवा साइज्जइ.२६५।०३८॥ जे भिक्खू समाणे बा क्समाणे वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे पुरेसंधुझ्याणिधा पच्छासंधुझ्याणि वा कुलाई पुवामेव पच्छा) वा भिक्याथरिथाए अणुपवितइअणु पवितंतंबा साइजइ-१९१| 039 // जे भिक्खू अन्नउत्थिएणना गारथिएणवा परिहारिओवा भपरिहारिश्य सर्दि गाहावश्कलं पिडवाथपडियाय अणुपविसवानिवमइ F FERS Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22222222 श्री निशीथ सूत्र : उद्देशकः 2] [5] वा अणुपविसंतं वा निक्वमंतं वा साइञ३३०६ / / सू०४०।। जे भिक्खू बहिया विहारभूमिंबा पियार भूमिका निक्रवमय या पविसईवा निक्खमंतं वा पविसंतंवा साइजद'३१४' / / 049 // जे भिक्रयू गामाणुगामं दुइजइ दुइज्जतं वा साइज्जइ 32.2 ॥सू० ४२॥जे भिक्स्यू अन्नयर भीयणाय पडिग्गाहेत्ता सुटिभंसुमिं भुजइब्झि दुब्भिं परिश्वे३ परिदठवतं वा साइसइ॥७३॥ भिक्ख अन्नथरं पाणगजायं पडिज्गाहेत्ता पम्फगं पफगं भाइय३ आइयंतं वा साइज कसायं कसायं परिदम्वइ परिवंतं वा साइज 233' / / सू०४४॥जे भिक्खू मन्नं (अन्नया) भोयणजायं पडिगाहेता बह परियावन्नं सिया अदूरे तत्थ साह मिया संभोश्या समणुन्ना अपरिहारिया संता परिषसं ति ते अणापु छिता अनिमंतिय परिवइ परिवंतं वा साइज३३५८' पास्०५५॥जे भिकरबू सागास्थिपिंड गिह शिष्टतं वा साइजह // सू०४६॥जे भिवसागारियपिंड भूजइ भुजंतवासाइजई ४१५॥सू०४७॥जे भिक्खू सागारियं कुलं अआणिय अपुनिध्य अगसिय पूवामेव पिंडबायपडियाए अगुपविसइ अणु पविसंतंवा साइअ६४२०' / / सू०४८॥जे भिकरवू सागा रियनिस्साए असणंवा ओभासिथ आयइजायं तंवा साइज३.४२७॥ सू०४९॥जे भिक्रयू उडुबडियंवासेना संथारगं परं पज्जोसवणाओ उबाइणावह उबाथणावेंतवासाइइ.५५॥२०५०॥ जे भिकरवूवासावासियं सेआसंथारणं परं दसरायकथ्याओ उवाइणावेइ उवायणावेतं वा साइजई९४', / / सू०५॥जे भिकरवू उडुबद्धियं वा वासावासियं वा सेज्जासंथारगं उबरिसिजमाणं पहाए न ओसारेइन ओसारंवा साइज्जइ '500 / / सू०५२॥जे भिक्खू पाडिहा रियंसेज्जासंधारगं दोधयि अणुनवेत्ता बाहिंनीणे जीणंत वा साइज्जइ ॥स०५३।। जो मिक्रय सागारियसंतियं / / सू०५४॥ जे भिक्रय पाडिहारियं सागारियसंतियं वा '५3३'।स०५५॥ जे भिक्खू पाडिहारियं R EFERES Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगम मुथा सिन्धुः : नवमो विभागः सेआसंथारगं आयाए अपडिहटुटु संपवइ संपवयंतंवा साइज३५२३॥ सू०५६॥जे भिक्खू सागास्थिसंतियं सज्जासंधारणं आयाए अविणरणं (अधिकरणं कस्ट अणप्पिणितासंपन्वय संपवयंतं वा साइन्मइ 527 // सू०५७॥जे भिक्ख पाडिहारिय वा सागा स्थिसंनियंवा सज्जासंधारण विप्पणटुं न गवेसइ णणसंतं वा साइन्सइ.६०० // सू०५८।। जे भिक्रयू इत्तरियपि उवहिंन पडिलेहेनपडिले हतं वा साइज्जइ,तं सेवमाणे भावनइ मासिथं परिहारहाणं उघाइयं ।।स्०५९।। बिइ उद्देसभी समची // 2 // . ॥अथ तृतीयोद्देशकः॥ जे भिक्खू आणतारेस वा आरामागारेसुना गाहावइ. कुलेसु वा परियानसहेसुवा अन्नउत्थिय वा गारपियं वा असणं वा भी भास३ ओभासंतं वा साइज्ज॥ सू०१॥ जेभिक्खू जान अन्न उत्थिया वा गारथियावा असणं वा 4 ओभा सइ ओभासं. तंवा साइज्जइ॥सू०२॥ जे भिक्ख जाव अन्न उत्थिणिवा गा. रतियाणिवा जाव साइज्जइ। सू०३॥ जे भिक्खु आव अन्नउन्धिगीओ वा गारत्ओिवा जाव साइज 11 / / 04 // अभिकल्लू जान अन्नपत्थियं वा गारत्थियं वा कोहलपडियाए पडियागयं समाणं असणं वा 4 ओभासियरजाथ३ जायंत वा साइज्ज, एवं एतेणावि चत्तारि गमगा '20 // सू०५-८॥ जे भिक्खू जान अन्नथिएण वा गारस्थिएण वा असणं वार अभिहर्ड आह र विज्जमाणं पडिसेहेता तमेव अणुवत्तिय 2 परिवटिय 2 परिजनियर भोभासियर आयइ आयंतं वा साइजइ,एवं एतण चेव चत्तारि गमगा 27' / / सू०९-१२॥जे भर गाहावइ- . कूल पिण्डवायपडियाए पविठे परियाइक्विचे सभाणे दोछ / तमेव कुलं अणुपविसइ अणुपविसंतं वा साइबर 13 / / 013 // जे भिक्खू संखडिपलीयणाए असणं वा परिगाहे पडिगाहंतं वा / साइनाइ "15" // सू०१५॥ जे भिम्रय गाधनहकुल पिण्डवायपठियाए REBERREFEREFERES Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PREPARAN श्री निशीथ सूत्र :: उदेशकः 3] [7] अणू पबिहेसमाणे परं तिघनशी असणं वा अभिहर्ष आहदह दिज्जमाणं पडिगाहेइ पडिगार्हतं वा साइज्जइ.५३ // 20 // जै भिक्रयू अप्पणी पाए आमज्जेज वा पमज्जेज वा आमअंत वा पमज्जंतं वा साइजइ ५७॥सू०१६॥जे भिक्यू अप्पणो पाए संवाहेज वा पलिमज्जवा संवाहतं वा पलिमहतंबा साइभइ ॥सू०१७॥जे भिक्यू अय्पणो पाए तल्लेण वा घएण वा वसा एबा नवणीएण वा मक्वज वा भिलिडेज वा मक्वंतं वा भिलिंगंतं वा साइज॥सू०१८॥ जे भिक्खू अध्यणो पाए लो. द्रेण वा कक्कण वा उल्लालेज वा उबडेज वा उल्लोलंतवा उबईतं वा साइज्ज३॥सू०१९॥ जे भिक्खू अध्यणो पाए सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेग वा उच्छोलेजवा पपीज वा उच्छोलंतं वा पधोयतं वा साइजद॥सू०२०॥जे भिक्खू अप्यणी पाए फमेजवा रएजवा फर्मतं वा स्यंतं वा साइज "62' / / सू० 21 // जे भिक्रय अप्पणी कायं आमज्ञ वा पमसेज वा आमज्जंतं वा पमअंतंवा साइअइ, एतण अभिलावण सो चेव गमो भाणियब्वी जाव रयंतं वा साइजइ '63 // सू०२२-७॥ जे भिकर अप्पणो काथस बणेवि ते घेव 12 // सू० २४-३३॥जे भिक्खू अपणो कार्यसि गंडवा पिलगं (पलियंगं) वा भरइयं वा असियंवा भणंदलं वा अन्नवरेणं तिक्वेणं सस्थआएणं अच्छिंदेज वा विच्छिदेजबा अच्छिदंतं वा विच्छिदंतं वा साइज्म३॥सू०३४॥ जे भिक्खू मध्पणो जाव सत्यजाणं अछि. रिता वा विधिंदितावा पूथं वा सोगियं बाजीहरेज वा विसोहेल वाणीहरंतं वा विसोहतं वा साइन।०३५॥ जे भिन्चू अध्यणो जाव सत्यजाए अधिदित्ता वा विछिदित्तावा पूर्व वा सोणियं वा नीहरित्ता विसाहेत्ता सीओदगविथडेण वा उसी दगवियडेय वा परोलेजवा मधोएजवा पछोलतं वा पधोतंवा साइ ज्ज॥सू०३६॥जे भिक्रयू आव उसिणोदगविथडेण वा पच्छोलित्ता पधोक्ता अन्नधरण आलेवणआपणं आलियेजवा विलियम Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免莎莎***免免決定免免密免 (8] श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभाग: वा आलि पंतं वा विलिंपंतं वा साइज ॥सू०३७॥ जेभिक्यू जावं अजयरेणं भालेबणजाएणं आलिंपित्ता विलिपिता तल्लेण वा घएणवा वसाए वा जवणीएणवा अभोज्नवा मारवेज वा अभंगतं वा मक्वंतं वा साइजद / / सू. 38 // जे भिकम्यू जावनगणीएण वा अभंगेत्ता मकवेत्ता अन्नयरेण धूवशआएण धूजवा पधूवेज वा धुवंतंवा पधूवतं बा साइज ॥सू० 39 // जे भिक्रयू अभ्पणो पाउकिमियंबा कुन्छिकिमियवा भइ गुलिए निवेसिय निवेमियनीहरइ नीहरंतं वा साइज 76 / / सू०४०॥ जे भिक्खू अभ्यशो दीहाभो नहसिहाओ कप्पेजमा संग्वेज. कथ्यंतं वा संठवंतंवा साइज।सू०४१॥ दीहाईअड्डा रोमाईस्०६२॥ बत्थि ॥स्०४३॥ चक्खू / / 4 // करव०॥सू० 45 // मसु॥सू०४६॥ जेभिक्खू अप्पणो देत आसज्जा जवा आघसंत वा पघसंतं वा साइजइ॥सू०४७) जे भिक्यू अप्पणी दंते उच्छोलेज वा पधी एज्जवा उछोलंतं वा पपीयंत वा साइजइ॥ सू०४८ // जे भिक्रयू भप्पणी दंते फुमेजवा एज बा फमंतं वा रयंतं वा साइज // सू०४९जे भिक्खू अप्पणो उहे आमज्जेज वा पमज्जेसवा, एवं मीठे पाथगमो भाणि यब्बोजाव फुमेज वा एज्ज वा // 050-55 // जे भिकरवू अप्पजो दहाई उत्तरीरीमाईकम्पेजवा संवैज्ज बा कभ्यंतंवा सं. ध्वंतं वा साइज॥ सू०५६ // जे भिक्रयू अप्पणो अच्छिपत्ताई जाव साइजस्०५७॥ जे भिक्खू अप्पणी अच्छीणि आमग्वेज वा एवं अच्छीसु पायगमो भाणियब्वी आवरएजवा।। सू०५-६३॥हीहाई मगरीमाइं॥०६४॥ पासरीमाई मध्येज्जया संठवेज्जना कप्तं वा संठबंतं वा साइज्जइ / सू०६५। अभिनव अप्पणो मच्छिमलं ना कण्णमलं वा दन्तमतं वा नहमले बानीह ज्ज वा विसोहेजवाणीहरंतं वा विसोहंतं वा साइज॥ 2066 ने भिक्खू अध्यणी कायाओ सेयं वा जल्लं वा परक वा माल वा जाव साईजाइ॥ ०६७॥जे भिक्रय गाभाणाम दुइज्जमायो FFEREFERRESS Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशयि सूत्र उद्देशकः 3] [8] अप्पणी सीसवारियं करे३ करतं वा साइज॥०६८॥ भिक्रयू सणकप्पास भी ना उvणकभ्यासभोवापीण्डकप्यासी वा / अमिलकप्यासओवा वसीकरणसोत्तियं करे३ करंतं वा साइजइ . ॥सू०६९) जे भिकरवू गिहंसिवा गिह मुहंसि वा गिटबुवारंसिवा गिह पडिटु वारंसिवा गिहेलयंसि वा गिहंगणं सि वा गिहनचंसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिवे३ परिरठवतं वा साइज ॥सू०१०॥ जे भिक्रमडगगिहसिवा मडगगरियसि वा मडगधूभियंसिवा मडगासथति वा नडालेगंसि वा मडगाण्ड लंसि वा मगधंसि वा उच्चारंवा पासवणं वा परिठवेइपर नंतं वा साइजइ // सू०७३ जे भिक्खू इगालाहसिवा खारदाहसिबा गायराहंसिवा तसरासि वा कसदाहसि वा उधार जाव साइज // 1072 / जे भिक्खू आययणंसि जा पंकं सिवा पणगंसि ना उच्चार जार साइच।।०१३॥ जे भिक्रयू नवियासु वा गोले हणियासु नवियासुबा महियावाणीसु परिभु ज्जमाणिसुवा अपरिभुज्जमाणियासुवा उधार आव साइज्ज।।०१४।। जे भिक्खू उंबरवञ्चसिवानगोहवञ्चसि वा आसत्यवचंसिना पिलंखुवञ्चसि वा डागवसिवा उच्चार आव साइज। सू०७५॥जे भिक्षु इम्खुवणं सिवा सालिवणसिवा कुसुभवणसि वा कप्यासनणं सिवा उधार जाव साइज्ञ३॥ 176 // जे भिकरवू डागअच्छसि वा सागवचसिवा मलयवसिवा कोत्पबारिवचसिवा खारवजसिवाजीरयवञ्चसिबा दमणगव, सिवा मरुगवचसिवा उच्चारं जान साइजइ / / सू० 39।।जे भिक्कू भसोगवणं सि बा सत्तिवण्णवणंसि वा चपगवणंसिवा तिनयवर्ण सिवा बाउलनणं सिवा चूयवणंसिआ अन्नयरसु तह प्पणारेसु पती व एसु पुष्फोबासु फलोबसु छाओवएसु उच्चारं आव साइज 106 / / सू०१८॥जे भिगर सपार्थसिवा परपायंसि वा दिया था राओबाबियालिया Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [10] श्री आगम मुधा मि-युः नवमो विभागः उव्याहिज्जमाणे सपायं गहाय परपाथं ना जाइत्ता उधारपासवर्ण परिदुनेता अणुग्गए सूरिये एड३ परत वा सारज्जइ 917' तं सेवमाणे आवज्जइ मारितयं परिहारहाणं उघाइयं // 2019) तइओ उद्देसओ॥॥ ॥अथ चतुर्थीद्देशकः॥ ___ जे भिन्नू रायं अत्तीकरेइ अतीकरतं वा साइजइ॥ सू० जे भिक्खू अधीकरेइ अधीकरतं वा साइज्जइ॥सू०२॥ जे भिक्यू. . अत्थीको अत्यीकरंतं वा साइज ॥सू०३॥ एवं रायारविश्ययं / / स्तू०४.६।। नगरा विश्वायं ॥सू०१.९॥ निगभारक्खियं॥स् 1012 // देसारविश्वयं सू०१३-१५॥ सव्लाविश्वयं 3 // सू०१६१।। जे भिकरवू कसिणाओ ओसहीओ आहारे आहारं वा साइज्जइ 30 ॥०१९॥जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहिं* विइन विगई आहारे आहारं वा साइज्जइ 62' / सू०२०॥ जे भिक्रय उनणलाई अजाणिय अपुरिछय अगवेसिय पुण्यामेव पिण्डवायमडियाए अणुपविसइ अणुपविसंतंवा साइजइ 109 // 2021 // जे भिक्रयू निगंधीणं उवस्मयंसि अविहीए अणुप विसइ अणुपविसंतं वा साइज 8222' // सू०२२॥ जे भिक्यू निग्गंधीणं आगमणपहंसि दण्डगं बा लड्डियं वा स्थहरणं वा मुह पोत्तियं वा भन्नथरं वा उवगरणजायं नवेइ ठवंतं वा साइज 233 // सू 23 // जे भिक्यू नवाई अन्नपन्नाई अहिंगरणाई उप्पाए३ उपायत वा साइज 253' एस०२४॥जेभिक्रय पोराणाड अहिगरणांई खामियविउस मियाई पणो उदीरे उदीरंतं वा साइजइ 258' / / सू० 25 // जे भिक्रयू मुहविष्फालियं हस हसेतं या साइज 263 / 026 / / जे पासत्यक्स संधाडियं देश पडिरछइ देन्तं वा परिछतं वा साइपाइ ॥सू०२७-२८॥ एवं ओसनस्स / / 029-30 // कुसीलस्मासू०३५३२॥ नितिथस्सासू०३३-३४) संमत्तस्स 23 // 035-36 // Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र उद्देशक- 4] [11] जे भिक्खू उदउल्लेण वा ससिणिण वा हत्येण वा दव्वीए वा भायणेण वा असणं वा 4 पडिगाहेइ पडिशाहंतं वा साइ. ज्जइ / स्० 37 // एवं एकवीसं हत्या भाणियव्वा (रा०५ अ०३२-३५) ससरक्खेण वा महियासंसहेण वा ऊसासंस?ण वा लोणियसंसट्टेण वा हरियालसंसट्टेण वा मणोसिलासंसट्ठण वा वणियसंसट्टेण वा गेरुयसंसहेण वा से डियसंसंदण वा सोरडियसंसडेण वा हिंगलसंसहेण वा अध्यणससट्टणवा लाखसंसट्ठण वा ककस-संसट्रेण वा घिसंसारण वा कंतनसंसहेण वा कंदमूलसंस?ण वा सिगबरसंसडेण वा पुप्फगसंसहण वा उक्लद्वसंसण वा हत्यण वा व्वीए वा भायण वा असणं वार पडिगाहेइ पडिगाहंतं वा साइज्जइ २८९'सू०३ // जे भिकरयू गामारक्खियं अत्तीकरेइ अच्चीकरेइ अत्थीकरेइ करंतं वा साइजइ, एवं सो चेव रायगमो यवो ॥सू०३९-४१॥ देसारक्खियं ॥सू०४२-७४।। सीमारक्षियं // 055-57 / / रणारक्रिय।सू०४८-५०॥ सव्वारविश्वयं (290 // 051-53 // जे भिकरवू. अन्नमन्नस्स पाए एवं तझ्यउद्देसगमेण णेयव्वं जाब गामाणुगामं दुइजमाणे अन्नमन्जस्स सीसवारियं करेइ करंतं वा साइजइ 29? / / सू०५४-१०६॥ जे भिक्रयू साणुप्याए उधारपासवणभूमिन पडिलेहेइ नपडिले हंतं वा साइजइ 295' / / सू०१०१॥ जे भि क्यू तओ उधारपासणभूमीओ न पाडलेहेइ नपडिले हतं वा साइजइ 299' / स्० 108 // जे मिक्खू खुड्डागंसि पण्डिलंसि म्यारपासवणं परिवेइ परिहवतं वा साइजइ 300 // 0 109 // जे उञ्चारपासवणं अलिहीए परिवेइ परिवंत वा साइजइ 301 // रसू० 110 // जे भिक्खू उच्चारपासवणं ठवेत्ता न पुछा नपु-छतंवा साइच // 0111 // जे भिक्ष कटेण वा कलिञ्चेण वा अंगुलियाए ना सलागाए वा पुन्छ पुञ्छत गा साइजइ ॥सू०११२॥ जे भिकरबू नायमइ जायमत वा साइजइ . 113 // जे भिक्य Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [12] श्री आगम मुधा सिन्धु नवमो विभाग तत्थेन आयमइ आयमंतं वा साइज ॥म० ११४॥जे भिन्न अतिदरे मागमइ आयमतं वा साइजह // सू०११५॥जे भिक्खू परं तिण्हं नालापुराणं आयमइ आयमंतं वा साइजइ'३१७ ॥सू० 116 // जे भिकर अपरिहारिए णं परिहारियं बुया- एहि अजओ! तुम च अहं च एगी असणं वा 4 पडिग्गाहेत्तानओ पच्छा पलेयं पत्तीय भोक्रयामो वा पाहामो वा,जो तमेंवं वयइ बयंतं ला साइजइ,तं सेवमाणे आबज्जइ मा सियं परिहारद्वाणं उघाइयं 329 // ०१४३॥चात्यो उद्देसभो। ॥अथ पचमाद्देशक:।। जे भिक्ल्यू सचित्तरूस्वमूलसि ठिच्चा आलोएजवा पलोएग्ज वा आलोयंत वा पलोथतं वा साइज ॥१०॥जे भिक्स् . सक्तिरुस्वमूले ठार्ण वा सेज वा निसी हियं वा नुयहणंवा / चेएइ चेयंत वा साइअइ॥ सू०॥ जे भिकरयू सचित्तरुक्रवमूलंसि ठिचा असणं ना 4 आहार आहारं वा साइवर ॥सू०३॥ जे भिक्थ्य सचित्तरुक्खमूलसि उधारपासवणं परिट्वेइ परिवंतं वा साइजइ सू०४॥ जे भिक्खू सचित्तरुंकवमूलसि सज्झायं करेइ करंतं वा साइज॥०॥ जे भिक्रयू सचित्तरुक्रवमूलसि उद्दिसइ उद्दिस्संतं वासाइ. जइ // 06 // जे भिक्खू सचित्तरुक्वालंसि समुद्दिसंइसमुद्दिसंतं वा साइजई॥सू०॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्तम्लंसि अणुजाण अणुजाणंतं वा साइज // 0 // जे भिक्खू सचित्तरुक्रवमूलंसि वाएइ वायतं वा साइज ॥सू०॥जे भिक्खू संचिन्तरुक्खमूलंसि पस्छि पडिछतं वा साइजइ ॥सू०१०॥ जे भिक्यू सचित्तरुक्यमूलंसि परियइइ परियहत का साइझ 36' 11म्०१॥ जे मिक्स्यू / अप्पणो संघाहिं अन्नउत्थिाएण वा गारभियेण वा सागा 'रिएण वा सिगापड सिल्वावतं वा साइजइ 15 // 2012 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीध सूत्र उद्देशक 5] [13 जे भिक्खू अप्पणो संघाडीए दीहसूताई करइ करंतवा साइज ५०'सू०१३॥ जे भिक्खू पिउमंदपलासयं वा पडोलपलासयं वा विल्लपलासूयं वा सीओरगवियडेण वा उौसगोरगविथडेग वा संफासिय संफासिय आहारेइ आहारंतं वा साइजइ 59 // 2014 // जे भिक्श्यू पाडिलारिथं पा यपुछ आइत्ता तामेव रयणिए पच्चप्पिणिस्सामिति सूर पञ्चप्पिणइ पञ्चायणंतं वा साइजइ ॥सू०१५।। जे भिवप उिहारियं पायपु-छणं जाइत्ता सुए पञ्चप्पिणइस्सामित्ति तमेव रयणि पञ्चप्पिण३ पञ्चाधिणंत वा साइजइ॥२०१६॥ एव सागारियसंतिएवि जे पायपुञ्छणयं जाइत्ता दो आला. वणा ॥सू०१७-१८॥ जे भिक्यू पाडिहारियं दण्डयं वा लहियं बा अबलेहणिज्जं वा वेलेसूइंवा एवं एतेहिं दोहिंचेव पाडिहारियं सागारिय' गमएहिं गैथव्वा / / सू० 19-22 // जे भिक्खू पाडिहारियं सेनासंधारणं पञ्चप्पिणित्ता दोधपि अन्नविय अहिडेइ अहितं वा साइजह '86 ॥सू०२३॥ एवं सागारियसंतिएनि // 024 // जे भिक्रव पाडिहारियं वा सागारियसंतियं वा सेकासंधारयं अप्प चप्पिणित्ता अणुविय अहिंदुइ अहिटुंतं वा साइज // सू०२५॥ जे भिक्रयू सणकप्यासामी वा पोण्डकप्यासाभी वा उपणकप्पासाओ वा अमिलकप्यासाभो वा दीहसुताई करेइ करंतं वा साइजइ ११२॥स्०२६॥ जे भिक्खू सचित्ताईक 23 धरेइ परिभुजइ करतं वा धरंस ना भुजंतं वा साइनइ ॥सू० 21.29 // एवं चित्ताई // 203032 // जे भिकरपू विचित्ताणि, दारुदण्डाणि वा वेलुदण्डाणि वा वेत्तदण्डाणि वा करे३ करं तं वा साइजइ, एवं धरेइ धरंतं वा साइजइ, परिभुज परिभुजंत पा साइज 120 // 20 33-35 // जे भिक्यू नवगनिवेसंसि गामंमि वा जाव संनिवेससि बा अणुपविसित्ता अस. वा 4 पडिगाहे३ पडिगाहंत वा साइज"०३६॥ जे भिक्यू 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 . श्री आगम मुधा मि-युः 0 नवमो विभागः नवगनिवेससि अयागरंसि वा तंबागरंसि वा तरमागरसि वा सीसआगरंसि वा हिरण्णआगरंसि वा सुवण्णागरंसि वा रयणभागरंसि वा बइरआगरंसि वा अप्पविसित्ता असण वा पडिगहिद पडिगाहंतं वा साइजइ 129' / / 037 // जे भिक्स्य् मुहवीणियं करेइकरतं वा साइजइस०३८॥ दन्तवीणियं // 039 // एवं उद्धबीणियं स०६०॥ नासावीणियं // 1001 // कक्रववीणियं ॥स०५२॥ हत्थपीणियं ॥सू०५३॥ नहवीणियं ॥स०० पत्तवीणियं // 1045 // पप्पवीणियं // 56 // फलनीशियंस.०॥ बीथपीणिय स् 6 // हरियवीणिय / / 049 // जे भिक्रय मुहवीणिय जाव हरिथवीणियं वाए३ वार्यतं वा साइजइ. अण्णतराणि वा तहापगाराइं अणुदिन्नाई सद्दाई उहीरेइ उदीरंतं बा साइमद "132 // 2050-61 // जे भिक्रयू उद्देसियं सेनं अणुपविसइ अणुपविसंतं वा साइज३॥स्०६२॥ सपाडिथ ॥सू०६३॥ सपरिकम्मं // 064 // जे भिवरखूनस्थि संभोगवतिया किरिथति क्या वर्थतं वा साइज 275 स०१॥ जे भिवस्य वस्थं वा पडिगहं पा कंबले वा पायपु-धणं वा मले पिरं पुर्व धरषिज पलिब्धिंदिय 2 परिवेइ परिवंतं वा साइज // 066 / सेभिकरवू लाग्यपाय वा दारुपायं मरियापायं वा आव साइजाम्०६ाजे भिक्रय दण्डगं बाजाव पिप्पलसूदगं वा पलिभन्जिय परिवेइ परिवत बा साइबर २०१म // जे भिक्खू भइरेगपमाणं श्यहरणसीसाई धरे धरतं वा साइंसद स.॥ जे भिक्ख सहमाई रथहरणसीसाइ करेइ करतं वा सादन।०७० जेभिक्यू रयहरणस्स एवं बंधं देइ बा साइम // 2011 // जे भिकम्बू रया हरणस्स परं तिहिं बंधाणं दे वा साइझइ / / 012 // जे भिक्स्यू रयहरणं अविहीए बंधइ बंधत वा साइज ॥०७३जे भिक्रय कण्ठसत्रबंधण बंधइ बंधतं वा साइजइ / स्०१४॥ जे भिक्खू वीसई धरेइधरतं वा साइजइ // 20 // जे भिक्खू अनिमढे घरेइ धरंत वा सामान 76 // जे भिक अभिरवणं 2 अहिलेइ अहिहंतं वा साइज // 20 // भिक्यू उस्सीसमूल ठवेई ठवतं वा साइसम्०१८॥ जे भिक्खू तुद्दे तुइडत वा साइजातं सेषमाणे भावजद मासिय परिहारहाण घाइ2011 सू७॥ पश्चमी उद्देसी // 5 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎。 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [5] ॥अथ षष्ठोद्देशक // जे भिन्यू माउणाम मेहणवडियाए विनवे वा विद्धावंत वा साइजइ.५१ // 01 // जे भिक्खू माउणामस्स मेहुणवडियाए हत्यकम्मं करे३ करतं वा साइज०२॥ जे भिक्श्व अंगादाण कण वा कलिचण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा संचालइ सघालं वा साइज्जइ, एवं माउगामऽ भिलावण पठमुद्देसाइगमो थव्वो जाव सोथसूयं जे भिक्खू माउभामस्म मेहणवडियाए अन्नयरंसि अचित्तसि सीसि अणुप्यविसिसा सुकपोगले निम्याएर निग्धार्थतं वा साइज्जइ // 03-10 // जे भिकर माराम मेहुणवडियाए सयं कुज्जा "सर्थ बुथा करत वा बुयंतं वा साइज ॥सू०११।। जे भिक्य भागामस्स मेहणवडियाए कलहं कुरा कलहं बूया कलहवाडियार गइ गच्छतं का साइजइस०१२॥ जे भिक्षू लेहं लिहइ लेहं लिहावेइ लहवडियाए गच्छद गरछतं वा साइज्जइ६९॥सू०१३॥ जे भिक्खू. पितं वा सोयनं वा पोसतं वा भल्लायएण उप्याएइ उप्यायले वा साइजइ स०१८॥ जे भिक्खू पिटुतं वा सोयतं वा पोसतं वा भल्लायएण उप्याएत्ता सीओदगविथडेण वा उसिणीदाक्थिडेण वा उच्छीलनवा पधोएज्ज वा छोलेतं वा पधोतं वा साइजद सू०१२॥ जे भिक्खू पित वा सोयतं वा पोसत वा भल्लायएण उप्यारत्ता तेल्लेण वा एवं जहा तइए देसए गंडाट्टीण जो गमो सोचव इहपि णयब्धोजाव अण्णयरेणं आलेषण: जाएण आलिंपेजवा विलिंपेज वा आलियत वा विलियतं वा साइनामा एवं धूवजवा पधूजवा // 2011-1 // जे भिवस्व कसिणाई वत्याधरेइधरंतं वा साइजइस०१॥ एवं अहयाई।सू०२०॥ धीवमलिमाईस्था चित्ताई 102 // विचित्ताई।०२३॥ जे भिकाय अप्पणी पाए आमज्जेज वा पमनेज्ज वा आमळतं वा पमञ्जतं वा साइजह, एवं तश्यउसे जो मो सो वेष इह मेहगवडियाए यवो आवजे माउग्गामस्स मेडणवडियाए शामागुणामं इन्जमाणे अप्पणी सीस्टुनारियं करे। करंतं वा साइजम्०२९. '16 // जे भिखू वीरं वा दाहिना नवणीय वा शुलं वा खण्ड वा सारंवा Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [16] श्री आगम मुधा मि-धु: :: नवमो विभागः मच्छंडियं वा अनयर ना पीयं आहार आहारे आहार वा साहबई '', तं सेवमाची आवजइ चाउमाभियं परिहारहाणं अणु घाइयं। सू० ७॥छड़ी देसभो॥६॥ ॥अथ सप्तमाद्देशकः॥ जे भिक मारणामस्म मेणबरिभाए तणमालियं ना मुधमालियं भेण्डमालियंना मयणमालियं वा पिंधमालियं वा इन्तमालियं वा सिंघमालियं वा संचमालियं वा हाडमालियं वा कमालियं वा पत मालिथं पुम्ममालियंना कलमालिय वा बीयमालियंबा हरियमालियं वा को करतं वा साइजद धरे धरतं वा साइच,पिणिंधइ पिणिधत या साइज़हम०१२॥जे भिक्खु अपलोहाणि वार्तवलोहाणिवायलो. हाणि वा सीसगलीहाणि वा सप्पगलोहाणि वा सुवष्णलोहाणि वा करेइकांतं वा साइजइधरे धरतं वा साइजद परिभुजद परिभुजत वा साइबई॥ जे भिकर लाराणि वा असहाराणि वा एमावलि वा मुत्ता. बलिं वा मणगामति का ग्थयावनि या कडयाणि वा डियाणिवा के राणि वा मंडला ना पहाटी वा मरण का पलंबसुत्ता सुरणसुत्ताण वा कर करंत वा साइज धरे धरंत' का साइझर, परिभुप्रद परिभुतं ना माजद 19.9 मे भिक्षु आईणागि बा आई पावणि वा केबलाणि वा कंबल पावराणि वा कोयराबा)णि वा कोपरबापावराणि वा कालमियाणि वा नीलामियाणि वा सामाणि वा महामामाथि वा उहाणि वा उहले साणि वा वाघाणि वा विवरयाणि वा परवगायिवा सहिणाणि वा सहिणकल्लाणाणि वा स्वीमाणि वा गुल्लाणि वा पहात्तुल्ला)मागिना आवरन्तामिना चीणाणि वा असुयाणि वा कषगमन्ताणिवा कम गरसंसिरमायाणि या कणगचित्ताणि वा कणनिचित्ताणि वा आमरणविचित्ताणि वा करेजाव परिभुज परिभुजतं वा साइजद.१०.१२॥ जे भिक्ख माउरगार्म मेहुणवडियाए अक्वसिवा सिवा प्रयरंमि धणंसि वा गहाथ संचालइ संचालत वा सारसम्०१॥ भिम्व मारणामस्स महणयाठियाए भभमन्नरस पाय आमोस वा एमठोर 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र :: उद्देशकः 7] [27 या आमतं वा पमजतं वा साइजह, एवं ततियादेस गमभो थब्बो, जाव जे भिक्थ् माउ शामरस मणन डियागु गामाणुगाम दुइजमाणे अन्नमन्नस्म सीसवारिध कर करंस वा साइजर 01.6 // से भिमबू माउग्गामस्म मेणवस्थिाए भणंतरहिया एवं समिणिदाए ससरकरवाए महियाकडराय चित्तमन्ताए पुटपीए निसीयावेज ना तुयहावेज वा णिसीयावेंते वा तुयझवेंतं वा साइजम०१-१॥ जे भिक मागामस्स मेहणवडियाए चित्तमन्ताए सिलाए लोलए निसीभानेजवा तुयथावेज वा पिसीयावेत वा तुयहावेत वा साइज्जइ // 072-73 // जे भिक्खू माउगामस्स मेहगावडियाए कोला वासंसि वा दारुए जीवपइहिए सभण्डे सयाणे सबीए सहरिएमओस्से सउदए सरत्तिगयणग-रगमट्टियमकुडसंताणगंसि निमीयावेज का तुयथावेज वा णिसीयावेंतं ना तुयहानं वा साइजह॥ स्०७५॥ जे भिक माउगामस्स मेहणवडियाए भागन्तारेषु वा आव परियावसहेसुवा निसीयावेज वा तुयहावेज वा विसीया वैत वा तुथट्टायेत वा साइमइ // 073 // जे भिक्यू माउगामम्स मेहुणवडियाए आगन्तारेसु वा आन परियावसहेसु वा निसीया वेत्ता वा तुयट्टास्ता वा असगं वा अणुधामेन वा अणुपाएन, वा भणुपासनं वा अणुयायंतं वा साइज सू०१६॥ जे भिक्यू माउणामस्स मेहणवडियाए अंमि वा पलियंकसि वा निसीयारत्ता वा तथाविता वाजार साइजड जे निम्त्य मायामस्स मेहुणवरियाए अंकेमि वा पलियकसि वा मिथावत्ता यथावेता या असणं वा अणुधासेज्ज वा अणुपायज्ञ या अणुपासत वा भणुपार्थतं वा साइजह // 07 // जे भिक्यू माउशामस्म मेणावडियाए भण्णयर नेइ भाउट्टेइ आउदेंते वा साइज्जइ // 079 // जे भिक माउणामस्स मेहुणवडियाए अमन्नाई पोगलाई नहि. रइ नीहरतं वा साइव सू०१०॥ जे भिक्ख मायामम्स मेयवडि थाए मणुनाई पोशलाई उनहरद उवहरंत वा साइमइ॥१॥जे भिक्खू माउणामस्स मेहुणमडियाट अन्नयर पसुमाई वा पनिरल आईका बा Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [18] श्री आगम मुधा सिन्धुः - नवमो विभागः पार्थसिना पक्रसि वा पुसि वा सीमंसि वा शहाय संचालेइ संचालतं वा साइन्जाइम०२॥ जे भिक्रयू मारामम्स मेहड़ियाए मो. मंसि कहुं वा किलिंचं वा अशुलीयं वासलार्ग वा अणुय्यवेसेता संचालेइमचालंतवा माइग्जद स०.३॥ जे भिक्थू मारयामम्स मेहणवर्षियाए 'भयंतिकडू आलिङ्गेझ वा परिम्सएखवा परिचुंबज्ज वा विदेज वा आलिंगते वा परिम्सर्थत वा परिचुंबतं वा विश्छदंत वा साइजाम.cen जे भिख मार. गामस्स मेहुणवडियाए अमणं वा 5 दे देत वा साइज्जइ // सू०५.८६॥ एवं. वस्यपि वोटिंगम // 0.18 // सन्झायपि दोहि ०९-९॥जे भिम माउग्गामस्स मेहणवडियाए अनयरेणं इदिएणं आगार कर करवा साप्तापिर' .. त सेवमाणे अवसइ थाम्मासिय परिहारहार्य अणुग्धाइयं / 081 // सत्समी उद्देसी // 7 // " // अथ अष्टमाद्देशकः॥ जे मिक्व आगन्तारेसु वाजाव परियाक्महेसु वा पुगी पत्थी ए सर्हि आव करतं वा साइज्जइ "TATIOजे भिक्ख उआणसिवा लायशिहंसि वा उजाणसालेसिवा निजागसि वा निवाणनिहासिवा निशाणसालंसिवा एगो एगिपीए सहिआवकहत वा साइजइस०॥जे भिकरण भट्टसिवा महालयसि वा पागारंसिवा दारंसिवा गोपुरसिवा एगो एणि पीए सहि आवकटतं वा साइज्जइ // 3 // जे भिक्खू दोसि वा दगमणसि वा दापसिवा दगतीरंसि वादा ठाणसिवा एगो एगिलपीए सर्दि जावकहतंवा साइनासु०॥ जे भिक्यू सुचशिहंसि वा सुनसालसिवा भिनशिहसिवा भिवसालमिवा कुडागारंसिवामीडागारंमिवा एगोनिस्पी ए सहि आग कहतवासाइसरासूoामे भिकर तणमिहंसिवा तणसालंसिवा तुसशिहमि तुमसालसिना बुसभिहसिना बुसमालमिया . एगो एगित्पीए सहि जाव कहत ना साइनाइ 06 // जे भिक्खू जाणसालमि। वा जालशिहमि वा जुणमालसि वा जुगनिहासि मा एगो एशिल्पीय मर्दि जावकहंतं वा साइज्जइ॥१०॥जे भिकरण पणिथसालसि वा पणियणिहसि परियाय हंसिवा परियायसालसि वा कुरियहिंसि ना कुवियसालसिना एगो एगिस्थीए सर्डि आव कहत वा साइजहाजे भिक्षु गोणसा. लॅसि वा गोणगिहंसिवा महाकुलसि वा महामिहंसि वा एगो एगिस्यीय Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र : उद्देशकः 81 [19] - सहि बिहारं वा करेइ सम्झायं वा करेइ असगंवा 5 आहारे चारं वा पासनणं वा परिहवेद अन्नयर वा अगारियं निरं (पिढयं) अस्समण पाभो. गगं कह कहेइ कहतं वा साइजर 'स्.९॥ जे भिम् राओ वा बियालेवा इत्थीमज्यगए इत्थीसंसत्ते इत्यीपरिवुडे अपरिमाया। कह कहेइ कहतं वा साइजह ॥स्.१०॥ जे सगणिचियाए वा परगणिधिया वा निग्गन्धीए सर्टिगामाणुगाम दूरञ्जमाण पुरभी छमाणे पिओ रीयमापे ओहयमणसंकय्ये चितासोथसागरसंपविढे करनलपल्हत्यमुहे अहज्झायोवगए विहारं करे जाव करने वा साइजहार-११॥ जे मिरवधायगं वा अनायगं वा उवासयं वा अणुवासयं वा अन्ती उपस्सयरस भई का राईकसिणं बाराई संवसाने संवसावंतं वा साइजर॥सू-१२॥जे भिक्खू नाथगं बाजाव संवसारतं तेन पडियाइक्वइ नपडियाइक्वंतं वासाइज्जास्.१३॥ जो नं पडुध निकलमवा परिसइवा निक्खमंत वा पर्विसंतं वा साइजह सू०१४॥जे मिक्सू रन्नो वत्तियाणं मरियाणं मुद्धामसित्ताणं समवायसुवा पिण्डमहसु वा असणं वा 4 पडिगाहेद पहिगाहेंतं वा साइजह ॥१५॥जे भिक्यू रन्नो वित्तियाणं मुटियाण मुदाभिसित्ताणं उत्तरसासि वा उत्तर हिंसिवा रीयमाणाणं समवासु वाभाव साइज।०६॥ जे भिम्स रन्नो जाव मडाभिसिसाणं हथसालगवाण वागयसालगयाण वा मतसालगयाण वा गुज्झसालणयाण वा रहस्ससालगयाण वा मेहण सालगथाण वा समासु जाव साइज सू०१७॥ जे भिम्सनिहिसंनिययाभो खीरं वा दहिया नवणीयं वा सप्यिं वा गुलंना रचण्ड वारक या मण्डिय वा अन्नयरं वा भोयणजायं पडिगाहेर पडियाहंतं वा माइज्जइ॥९०१॥ जे भिक्यू० उस्सरपिंडं वा संसपिण्डवा अनाहपिण्डं मा किबिणपिण्डं वा मणीमगपिण्डंबा पडिगाहेर जाम साइजद १५५"तंसेवमाणे आबस्जद चाम्मासिय परिहारहागं अणु घाइयं // 19 // भामो सोता ॥अथ नवमोद्देशकः॥ मे भिक्खू रायपिण्डं गेण्हण्हतंवा साइजहाजे भिक्यू रामपिण्डं मुंजय मुंजत' मा साइसर 6 // 2 // जे भिकर रायन्तपुरंप Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [20] श्री आगम नवमोविभागः विसर पविसंत वा साइज 031 जे भिरयू रायन्तेपुरियं वएज्जा आउमी। रायतेउरिए ! नो खलु अम्ह कप्पइ रायन्तेपुर निस्वमित्तए वा पनि सि. तए वा इमाह तुम पडिगह हाथ रायती पुगी असणं वा निहरियं आहटु दलवाहि' जे तं एवं वय वयं वा साइज३ // 0 // भिल्ल्यू यण रायलेरिया वारज्जा आरसन्तो समणा जी खलु तुज्य कय्यद रायंतेपुर निम्खमित्तए वा पर्मिसत्तर वा आहत्य पगिहा आयु अहं राधते पुराओ असणं बा 4 णीहरिय आहटु दलयामि' जे एवं पर्डि: सुणे परिसुणनं वा साइज्जइ 29 // 0 // जे मिक्स्य रन्नो आव मुडाभितिताणं दुबारियभत्तं वा पसुभत्तं वा भयगभत्तं वा बलभत वा कयगमतवा हाभतं वा गयभत्त वा कन्तारभत्तंबा इन्भिनवभतंवा दुकालभत्तंवा मगभत्तं वा गिलाणभत्तं वा वदलियाभतं वा पाहणणभत्तं वा पडिगाछे पडिगाहंन वा साइजइ 36 / 06 // जे भिक्खू रण्णो वत्तियाण आव मुलाभिमित्ताणं इमाई छवोसाययणा अमाणित्ता अपुच्छिय भगवेसियर चउरायपञ्चराथाओ पिण्उवायपडियाए निक्रवमह वा पविसइ वा निकरवमंतं वा पविसंत वासाइजइ, जहा- कोडागारसालाणिवा भण्डागारसालाणिवा पाणसालाणिवा खीरसालाणि वा मसालाण वा महागमसालाणिवा 52 // 20 // जे भिकरयू रण्णो जाव मुदाभिसित्ताणं अगछमाणाण वा निघमाणाण वा ! // 0 // जे भिकाबू इत्थीओ सव्वालंकारविभूमियामी पदमवि चकपदसणपडियाए गच्छद वा अभिसंधारे बागच. न्तं वा अभिसंधारेत वा साइज // 209 // जे भिक मसरवायाण या मरधखायाण ना धविरवायाण वा बहिथा निग्गया| असणं वा 4 आन साइजह // 2010 // जे भिक्ख अन्नयर उवही समीहिय पहाए तीसे परिसाए अणुट्टियाए अभिन्नाए अव्वोरिछनाए जे ते अन्न परिगाहेइ पटिशात वा साइज,भह पुण एवं जाणेला ‘इन राया खत्तिए परिसिए' जे भिख तो निहाए ताए पएसाए ताए उवासनराए वा बिहारं वा करेसज्झार्यवा आव कहतं वा साइजद६॥०॥ जे भिक्षु णो वत्तिाधार्ग जाव अभिसित्ताणं बहिथाजत्तासंठियाणं असणं वा पडिगार्ह पाउँगाहसंवा साइज ॥सू०१२॥ बहिथाजत्तापडिमियत्ताणं // 013 // एवं गईजता पहियाणं Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र : उद्देशकः 9 तंजहा [21] सू.१ पडिमियत्ताणं // 2015 गिरिजत्तापड़ियाणे ॥सु.६ रिजत्तापडिणियत्ता 390 जे भिक्रयू आन अभिपिताणं महाभियंस वट्टमासि निकरवमय वा परिसद वा निक्षमतं वा पविसंतेवा साइजइ“ए सू०१८॥जेभिनय साव अभिसित्ताणं हमामी इस आभिरकामी रायहाणीभी रहिवासी गणियाओक जियाओ अंतो मासम्प्स बुरखुत्ती वा तिम्रयुत्तो वा निकरवमइ वा पक्सिद या निक्खमंतं वा पविसंत वा साइजइतंजहा- चभ्या महरा वाणास्मी सावत्यी साएथे कंपिल्लं कोसंबी मिहिला हत्थिाणापूर रायहिं '100 ॥सू०१९॥ जे भिक्खू रन्नो जाव अभिमित्ताणं अमण वा परस्म नीहडं पडिगाइ पठिमाहेत वासाइजर,जहा-वत्तिधाण वा राईय वा कुनाइा वा रायसेमियाण वा रायपे. मियाण बा ॥मना जे भिक्खू आवसारम३,तंजहा- नडाणवा नहाणवा लसु. यांग वाजल्लाण वा मल्लाण वा मुढियाण वा वेलम्बा वा कहाण वा पवाण वा लागणाण वारीवरवलयाण वा धत्ताणुयाण वा सू०२१ जेभिकल्लू आवमा इजराआसपोसयाण ना हस्थिपोसयाण वा महिमपोसयाणवा वसल्पीसभागका सीहपोन्मयाणवा वधपोसथाणवा अर्थपोसयाय वा पायपोसथाण वा मिपामयाण वा सूणहपोसयाण वा सूयरपोसयाणवा मण्ठपोसथाणवा कक्कडपोमयाय वा तित्तिरपीसथाण वा पट्टयपोसयाण वा लावयपोमयाण वा चीरल्लयोसयाणा वा हंस. योसयाग वा मयूरपोरयाणा का सुयपोरायाण वा ॥२२एवं आसदमगाण वा हत्थिदमणाण वा // 2023 // आसमिण वा हस्थिमिठाण वा मू०२८॥ भा सरोहाण वा हत्थिरोहाग वा // 1025 // जे भिक्रयू जार सारज्जइ तेजहा-मस्याहाण वा संवाहावयाण वा अब्अंशावयाण वा वहावयाण वा माघयाण वा मण्डा क्याण वा छत्ताहाण वा चामरगहाण वा हडप्पगहाण वा परियटशहाण वा दीवियाहाण वा असिग्रहाण वा. धणुशहाण ना सतिगहाण वा कोन्ताहाणवा ॥सू०२६॥ जे भिका जाव साइज,तंजहा- वरिसधराण वा कञ्इ माण वा दोना रियाण वा दण्डारविषयाण वा // 07 // ये भिक्खू आव-माइजइतंजहापुत्राण वा चिलाइयाण वा वामणीण वा वडभीण वा बब्बरीण वा पासी वा जोणियाण वापल्ह विधाण वा इसिणी वा धारुगिणी वा लउसीण वा लागि वा सिंहली वा मालची(रबी)ण वा पूरिन्द्रीण वा सबरीण वा पारिमीग का, ते सेवनाणे अवसड़ चाऽम्मासिय परिधारहाणं अणुचाइयं 133' सू२८॥ ननमो उद्देशो 9 // Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [22 ॥अथ दशमोद्देशकः॥ जे भिम्र भदन्तं आगाद क्यइवयंत मा साइजाम.१ मरुसं. म. आगाढमकसं '35 माजे भिन्न अन्नथीए अधासायगाए अश्वासारएइ अच्चामायतं वा माइज्जइ ।मु०॥ जे भिवायू अण-त. कायसंजुतं आहार आहारे आहारत वा साइजइ.५६॥मू.जे भिक्यूआहाकम्म भुइ भुखतं वा साइजइ 81' जे भिम्यू पडप्पन्न निमित्तं वागरे वागत वा साइज 10 // जे भिम्यू अणायं निमित्त वाय२६ वागरं ना साइलाइ ''मला जे भिमन्यू सेहें विप्यरिणामेर विपरि पामनं वा साइज // 6 // जे भिक्यू सेहं अवहर अवहरतं यासा३ इस जे तुम विपरिशामिद वियरिणामतं वा सातजाम 11|| जे भिरख दिसं अनार अवहरतं ला साइलाइ 157 / 012 // जे भिमर बहियानापियं आए पर तिरायाओ अविफालेत्ता संवसावेइ संक्मावेंतं वा साइमदार.१३॥ ले मिक्यू साहिगरणं अबिओसवियपादुई अकरपायरिछत संभुचर भुजंतला साइजइ 253' ।।मु०१४॥ जेभिल्यू धारयं अणुघाइय वह लयं वा साइज॥०१५॥ जे भिक्य अणुचाइयो उम्घा इयं वयइ वयंत वा साइजनइ -16 // जे भिक्य घाइए अणुश्चाइये देश वेंतं वा साइलाइ ॥सू०१9" जे भिकाबू अणु-याइए धाइयं देत वा साइमा 1 // जे भिक्खू उघाइय सोया नचा समुझाइ सं जंतं. वासाइजई०३.घाइयहे मला उग्घाश्यसंकायं ॥सू०२१॥ उधाश्थं वा उघाइयो वा घाझ्यन्मलय वा // 22 // जे भिख अणुघाइयं सोआ नचा समुधर संभुजत ना साइज्म॥.२३॥ अगुघाश्यहा०४ा भधाइथसंकप्प म अमाश्य वा अघाइयहे वा अणुचाइयसंकप्पं पासू०२६ रास ना अपघास वा // 20 // घायहे उ वा अपुग्धाय हेवा समाजघाइथसंकल्पं वा अणुधाइयसकम्य वा // 029 // या इथ वा अणु घाइय वा उचो वा अणुघाइयोउ वा घाइयसमप्यं वा अणधाज्यमंकरप वा मू.३०॥ जे भिवस्य उणयक्तिीए अगस्यमियमण संक.पडिए निििासमानन्तो अप्याणेणं असगं वा परिमाहेनासं 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 822 श्री निशीथ सूत्र उद्देशक 11] भुभइ संझुंजते ना साइप्नइ ॥सू०३१॥ संथनिए विइविधासमावस्नेय ॥सू०३२॥ असंथपिए निविशिधासमाजन्नणं // 33 // असं विइमिछासमावन्ने] (अह पुष एवं आणेना-अणुगए सूरिए अत्यमिए वा,से अंच मुहे जंच पाणिसि जंच पडिगहे तं विविधिय विसोहिय ते परिटुनेमाणे नाइक्कमइ,जो तं झुंजइ भुजत वा-साइज) 325 ॥सू०३०॥ जे भिक्खूरामी वा विद्याले वा सपाणं सभीषणं उगालं गलित्ता पोलिइ पधौगिलंतं वा साइजइ 356 ॥सू०३५॥ जे भिक्खू मिलाणं सोचा न गवस३ नगवेसे वासाइज 036 जे भिक्यू उम्मणे पडिपटं वा गर७३ छत वा साइसई ॥सू०३७॥ जे भिक्खू गिलाणवेधानधे भुट्टियस्स सरण ला. भण असंयरमाणरस जे तम्स न पडितप्प नपडितप्येतं वा सारजासू०३८॥जे भिक्खू गिलाणवेयावधे अभुट्टियं शिलाणपाभोगे दृव्वजाए अलभमाणे - न पडिथाइक्रवइ नपडिमाइक्रवतं वा साजर 512 ॥सू०३९॥ जे भिक्यू पढमपाउसंसि गामाणुगाम इज दूखंत वा माइज्जइ // 40 // जे मिक्तू वासाचास पचीसविधमि इनमंतं वा साइम "01 // जे भिक्खू अपजोसवणाए पजीसवेह पोसवेत ना साइज // 42 // जे मिकरयू पञ्चीसवपाए न पोसवै नपओसवंतं वा साइज ॥३जे भिक्षु पोसवणा गालोमाइंपि वालाई उनाइणावेइ उवाइणावेतं वा साइप्रसूभिक्यू पोसत्रणाए इत्तिरियपि भाहारं आहार आहारेत वा सारज्जइ // 02 // जे भिक्छु भन्नउत्यियं वा गारस्थिय वा पोसवेई पोसवेतं वा साइनाइ 60 "०४ाजे भि खू परमसमोसरयुसफ्ताई पिराई पडिआहेई पहिशाहत वा साबइe' तं पवमायो आवजय पाउस्माभियं परिहारहाणं अणु घाइये // 9047 // इसमोलो / ॥अथ एकादशाशकः।। जे भिक्खू भय-मामागिवा कसपामाणिवा तबयामाणिवा तयपायाही वा रुप्यपाथाणिवा सुवण्यापाथापि वा जायकवपायाणिना मणिपाथाणि वा कारभागवा कणगयायाणि वा दन्तपायाणि ना सिंगपाथाणि वा चम्मपाथाणिवा चेलमायाणि ना अकयाथाणिवा संवपाथाणिवा वइत्याथाणिवाकोकोवा सहज "स्०१॥ से भिक्षू अथपायाणि का आन बहरयाधाणि वा घरे धरत वा साइस Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1201 पी आगम मुधी सिन्धुः * नवमो विभाग'. . ॥२॥जे भिकरम् अथपाथाणि नाजान बरपायाणि ना परिभुज परिभुतं त्रा साइज // 0 // जे भिक्रयू अथबंधणापि वा आव बरबंधणाणिवा कोश करेंत वा साइज जान परिभुजइ परिभुतं वा साइमनदास..६॥जेभिवरख परं मरजायणमेशभी पायमडियाए गच्छद गरछत वा साइमहासू 7 // जे भिक्खु पर अद्धजोयणमेराओ सपञ्चवायमि पाय अभिडं आहर देना पडिगाहेइ पडिगाहंत ना साइज्जइ 23 // 20 // जे भिक्खू धम्मस्म अवण्णं वयइवयतं वा साइज्ज ॥सू०९॥ जे भिक्यू अधम्मस्म वाणे वयश्वयंत वा साइजइ 36 ॥सू.१०॥ जे भिक्खू अन्नउस्थियास वा गारस्थियरस वा पाए आमन्जिन वा पमजिजवा भामशेत वा पमधेत वा साइज,एव तयउद्देसगमेण णेयचं नवरं अबस्थियगारस्थियाभिलावा जाव जेगामाशुशाम इजमाणे अण्ण त्थियस्स वा गारत्थियस्सवा सीसवारियं करे करवंवा साइज्जद' '३॥०११-६॥जे भिक्खू अय्याणं बीभावेद वीभावंत वा साइज॥६॥ परं बीभावेइ मु०॥ जे भिक्ख अय्याणं विम्हावे विम्हावंतवासाइज्ज // 066 // पर विम्हावे ॥१०॥जे मिक्य अभ्याणं वियरियासे विध्यरियासेनं वा साइजमा पर वियरियासेर मजे भिक्खू अध्या म्हनण्णं करे करतं का साइज''०७॥ जे भिक्यू वेरमविरुदरचलि. सज्ज गमणे आगमणं जमणाणमणं को करेंतं वा साइज ११५॥सू०७१ जे भिक्ख दियाभोथणस्त अवणां क्या वयं वा साइम ॥सू०२॥ राइभोथयस्स यण १२०९०७३॥जे भिक्खू दिया असणंवा पडिगाहेत्ता दिया भुज भंजतं वा साइज्जासू०७०॥जेभिक्खू असगंवा दिया पडिगाहेत्ता रत्तिभंगाइ भजन वा साइजस्॥ जे भिक्यू असणवार रतिं पोडगाहेत्ता दिया भुजई भुजतं वा साइज्ज३पसू०१६॥ जे भिक्खू असणं वा तिं पडिगाहेरर्ति मुंजइ भुजतं वा साइज 1910 जे भिक्खू असणं वा * अणागाढे परिवाद परिवासतं वा साइजमा जे मिक्स्य भणागादे परिवासियर असणस्सवा तयथ्यमाणं वा भूइप्यमाणं वा आहारं आहारे आहारं . साइज २०२॥स०७९॥जे भिक्षु मंसाइयं वा मध्छाश्यषा मंसखलं मरमरवलं वा आहेणवा पहेयवा सम्मेलंवा हिओलं वा अन्यरं वानर विरुवावं हीरमणां मेहाए पाए आसाय नाय पिवासाए श्यर्षि अन्नत्य Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र : उद्देशक 12] [25] ३णाने उवाइणाभतं वा साइज 212 |सू०॥जे भिक्खू निवेयपिंड मुंजइ भुंजन का साइज्जइ 215 ।।सू०१॥ जे भिक्खू अहान् पसंसद पसंसतं वा साइजह॥०१२॥ जे भिकख भहारचंदं वंदर वंदतं वासाइजइ २२६॥३॥जेभिनन् नायगं वा अनायगंवा उवासगंवा अणु वाराण वा अगलं वा पव्वापेइ पब्वावेतवासाइजई॥०॥ वडानेइ उबहावतं वा साइज्ज३ 491' "05 // जे भिक्यू नाथएण वा अनायाण वा उनासामा ला अण्वासारण वा अणलेग वा वेथावच्चं कारेहकारंतं वासा. इप्जद 19606 // जे भिक्खू सचेले सचेलगाणं मझे संबसइ संवसंतं वा साइज३॥०७॥ जे भिक्स्यू अचेले सचेलगाय माझे संबपक्षसंवसंत वा साइज // R0 // सचेले बोलगाणं // 059 // अचेले अचेलगाणं '507 // 10 90 // जे भिक पारिवामियं पिप्पप्ति वा पिप्पलिचुण्डो वा सिगवरं ता सिंगबेरचण्ण वा बिल वालोणं वा उन्मिाभियंवा लोणं आहारेभा तारत वा साइज ५२०॥सू०११॥जे भिकरयू गिरिपडणाणि वा मस्परणाणिना भिगुपडणाणिवा तरूपडणाणि वा पकरवंदणाणि वा मस्परयंदणाणि वा नरूपकवंदणाणि वा जलपवेसापिवाजलणपसाणिवा (239) जलपक्वंदणाणि नाजालणपकरणाणिवा विसभरवणामिका सत्योवाडजाणिवा अंनोसल्लमरणाणि वा वेहाणसाणिवा गिद्धपदाणिवा वलयमरणाणिवा जान अन्नयराणि वा नहप्यगाराणि बालमरणाणि पसस पसंसत वा साइज्जइ,५३७॥ तं सेवमाणे आवज चाउमासियं परिहारडाणं अणु घाश्यं // 90 92 // एक्कारसमो उद्देसभो // 1 // ॥अथ द्वादशोदशक:॥ जे भिमन्यू कोलुणपडियाए अन्नयरिं तसयाणजाई तणयासरश्या वा मुंजपासएण वा कपास वा चम्मपासण वा क्तपासरण वा रग्नु पासगुण वा सुतपामएण वा बंध३ बंधतं वा साइज ॥सू०१॥जे भिक्कू बहेलगं मुयइ मुर्यतं वा साइजइ 10 // 2 // जे भिक्यू अभिकरवणं 2 पञ्चपरवाणं भय भंजतं वा सारज३ १५॥३॥जे भिक्खू परित्तकायसंमुत्तं भाहारेइ आहारं वा साइज २०॥सू.४॥ जे भिक्खू Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [26 श्री आमम सुधा मिन्धुः जमो विभागः सलोमाई चम्माधरै धन वा (अहिं देइ अहिदें वा) साइछद 45 // ५॥जे भिकरयू तणपीढणंबा पलालपीटगंवा गणपीटगंवा कठपीगंवा परबन्धणोधन अहिदे अहिटुंत वा साइजद '२०॥सू०६॥ जे भिक्खू निगपीए संघाडि अझउत्थिपुण गारथिरण वा सि. व्वाईसिवावेंतं वा साइजइस.जे भिनपुटबीकाथरस वा कलमायमनिसमारभइसमारभत का साइजएवं आव वणमतिकाय-सा ॥०॥जे भिक्यू सचित्तलका दुमहद दुरुहंतं का साइज 'सू०९४ जेभिक्षु शिमिते भुरभुजतं वा साइव "0 मिमा निहिवन्य परिहेर परिहंत का साबन्द सू०११॥ जे भिक मिहानमेव वाहे वाहन वा सारवासू.१॥ जे मि. क्खू निहिनिधिं करेरकांत वा साइबर 206 // जे भिक्खू पुरेकम्मकडेण हत्येण वा मतेण बाधिए वा भाभणेण वा असणं वा परिगाहे पहिगाहवा / साइबद॥सू०१४जे भिवस्य अचत्यियाण मा भारत्थियाण वा सीमोगपरिभोण्ण हत्येोण जाब असमंबा पञ्जिाहेइ पडिमानं वा साइज १५२॥सू०१५॥ जे भिक्खू कटुकम्माणि वा चित्तकमाणिवा पोत्यकम्माणि वारन्तकमाणि कामणिकम्माणिवा सेलकम्माणिवा गंठिमाणिना वैदिमाणिवा पूरिमाणि संधाइमाणिवा पतरछेत्राणि वा विनिहाणि वा बेहिमाणि वा चमसणव.. डियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारतं वा साइचहासू०१६॥जे भिवम् वप्याणि वा फलिहाणि वा उम्पमाणि वा पल्ललाणि ना उज्झरावा निमणिग वावीणिना पोमवराणि वा दहियाणि वा झुंजालियाणिवा सराणि वासरपंतियाणिवा सस्मरपंतियाणिवा चमस्वसणवाडियार अभिसंधारे अभिः संधारतं वा साइज .9जे भिक्खू मच्छामि वा ग्रहणाणि वा माणि वा नणाणि वा नविटुगाणि या पक्याणिवा पब्बयविदुशाणि वा चक्रवृहसणवरियाए अभिसंधारे अभिसंधारंत वा सारसह // // 018 // जे भिक्खू गामाणि वा नगाणिचा डाणि वा कब्बडाणि या मडम्बाणि वाराणमुहाभि का पदृयाणि वा आगराणि वा सम्साहाणिवा सन्निवेसाणिवा चवखुदंसगडियाए अभिसंधारे अभिसंधा रंतं वा साइज्जइसजे भिक्षू गाममहाणि वा आव संनिसमहाणिना जान साइज्जासू०२०॥ जे भिक्ख गामवहाणि वा जाव सन्निक्स Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र : उद्देशकः 12] [27] वहाणि वा गामदा हाणिवा जाव संनियेमहाहागिना जाब अभिसंधारत वा सारज्ज३॥ सू०२१॥ जे भिम्पू गामपहाणिवा जाव संनिवेमपहाणि ना जाजअभिसंधारतं वा साइजाम०२॥जे भिक्खू आसकरणाणिवा हत्धिकरणाणि वा उहकरणागि वा गोणकरणाणि ना महिसकरणाणि वा सूयरकरणाणि वा जाव अभिसंधारने का साइज 3 // 3 // भिक्खू जाव आसजुदागिवा हथिजुद्धाणि वा उजुराणि वा गोणजुदाणि वा महिसजुद्धणि ना जाव अभिसंधारतंवा साइज ०६॥जे भिक्यू उज्जूहिथट्ठाणाणि वा यहियहाणाणि वा गयहियद्वाणाणि माजाव अभिसंधारत वा साइज्ज ॥२०२५॥जे भिक्खू अभिसेयडाणाणि वा अक्षा उयदाणाणिवा माणूम्माणियहाणाणिवा मत्याहय-नहगीयवाइय-तन्ती तलताल-तुहियपडप्पवाइयहाणाणि वा जाव अभिसंधारतं वा साइजर ॥सू०२६॥ जे भिकरय आधाथणाणिवा रिम्बाणि वा उमराणिवाखाराम वा वेराणि वा महाजुराणि वा महासंगामाणि मा कलहाणि ना बोलाणि वा जाब अभिसंधारतं वा साइजइ // सू०७॥ जे भिमसू विस्वम्वेसुमहस्सनेसु इसीणि वा पुरिमाणि घेराणि वा मन्झिमाणि वा डहराणि या आणलं कियाणि ला सुअलेक्यिाणि वा गायन्ताणिवा वायन्तामिवानच-ताणि वा हसन्ताणिवा समन्ताणिवा मोहन्ताणि वा निरलं असणं वा 4 परिभायन्ताणिवा परि जन्तानि वा जाव अभिसंधारं वा सावज्जर पसू.१॥ जे भिन्म दहलोइम्सुना सवे परलोइए-मु ना सदेसु रिहा अदिसु वा सुम्सु ला असुरासु वा विनामुवा अस्मिासु का सवेभुसज्जइ रजत मिजार अन्झोवनलइसजमाना अझोनमाणं वासाइल ॥सुरगजे भिवर परमाए परिसीए असा परिंगाडेता परिमं पारिसिं लादणाने उपाणावंतं वा माइला 189-30 // जे भिकर पर भरजोयामेराओ भराण वा. उवाइगावेइ उनादणावेतं वा साइबर म्-३॥ जे भिकार दिया गोमयं परिशाहेत्ता दिया कायसि वणं आलिम्पेज वा विलि पेज ना भालियन ना विलिपंतं वा साइजद सू०३२॥ जे भिक्खू दिया गोमयं पहिगाहना रतिं वो भालियेज वा विलिपेज वा भालिपंतं वा विनि पंत वा साइजइ०३२॥ ले भिक्ख रनिं गोमयं पहिगाहता दिया वर्ण भा 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [287 , श्री आगम मुधा सिन्धु नवमो विभागः लियेजना विलिपेलावा आलिंपत वा विलियत वा सारखा ॥०३४॥जे भिखारति गोमयं पहिगाहेत्ता रति गण आलिंबेज्जवा विलिंपेजला भालिंपतेना विलिपलवा साइजह सू०३शाजे भिक्खू दिया आलेवणजायंपडिगार्हता दिया कायसिन जाव चउभंगो २२६॥सू०३६-३९ जेभिक्यू अन्नत्थिरण ना गारतियण वा उबहि वहावे वहावेतं वा साइजरा. 'सु.४०॥ जे भिम्रयू तन्नीसाए असणं वादे देंतंवा साइज 230 // // जे भिकर पधिमाओ महष्णवाओ महानईमो उदिहाभो गणियामी वंजियाओ अन्तो मासस्म दुक्खुत्तो वा निक्खुत्तो वा उत्तरइ वासंतर३ वा उत्तरन्त वा सनरन्तं वा साइजइ. जहा- गंगाजणा सरऊ एराबई मही, 21 तं सेवमाणे भावज्ज चाउम्मासियं परिहारठाणं 3घाइयं // 04 // बारसमो उद्देन्यो // 12 // ॥अथ त्रयोदशाशकः॥ ज मिरवू अणन्तरहियाए पुढवीए ठाण ता सेखवा निसेज्ज का णिसीहियं वा चेपडयंतं वा साइजाइ जाब मडासंताणगंसि॥सू०१ ॥जे भिक्धू धूणसिवा गिलयंसि वा उसुथालंसिवा कामजीलगि ना ठाणं जान चेयतं वा साइ दामू.जे भिमरख लियामि वा भि. तिसिवा सिलसि वालेलयंसि वा अन्तलिकावजायंसिवा ठाण जा न चेयंत वा साइबदाम-१०॥ जे भिक्खू खंधसि वा मलहंसि वाम सि ना मण्डवंसि वा मालसि वा पासायंसि वा हमतलसि वा दुब्बदे दणिमिरवते अनिकम्पे चलाचले ठाणं जाव चेयंत ना साइज।सू० 11 // जे भिम अनमत्यियं वा गारत्यिर्थना सिप्प का सिलोज वा अहापयंवा कक्कडग वा वाहं वा सलाह(ज) वा सलाह (कात्यय. वा सिकवाने सिवावेतं वा साइजइ ॥सू.१२॥ जे भिन्खू आगाटवथइ वयंत वा साइजम०१३॥ रुमे आगाठ मरुस, अन्नथरीए अनासाथ। गाय अचासाएइ अचासायंतं वा साइजद .१४-१६॥जे भिन्नु अन्नपुत्थि. याण वा गारन्थियाण वा कोउगकम्मं करे करत वा साइबर - म // 18' परिकां कडे ॥सू.१५५ परिणापमिणं " म ती निमितं Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्रं उद्देशक 24] [29] ॥स.२१॥ लमखणं // 5 // सुमिण .24 जे भिक्खू विचंपांजपउजंतं वा साइच 50024aa एवं मन्तं सू०२२॥ जोगासन। जे.नहाण मुटाणं विपरियासिथाणं मगर पवेएर संधिवा पनेए मग्णवा संधि पवेण्ड संधीभो वा मगं पण्ड पवेएतं वा साइबर स. 20 // जे भिकर धाउं पवेएइ पवेएतं का साइजद ॥सु०॥ निहि 2' // 2029 // जे भिक्खू मत्तर अय्या(लणं देहर देह वा साइच।मु० 10 // नहाए सू०३१॥ एवं असीए (अध्याणे ) // 032 // मणि // 33 // रइड(डा) पाणे म्०३४॥ तेल्ले / / 035 // फा (पा णिय // 2036 // वसाय 73' / / 037 // जे भित्रयू वमणं पडिकम्मं करे करतं वा साइअइ "सू०३८॥ विश्यगंवमणविरयणं, अरोगियं ' म०३९.४१॥ जे. पासत्थ वंदर वदंत वा साइज्जइ, पसंसह पर्ससंतं वा साइजद॥सू० 12.3 // एवं भोसन्नं ।मु०६६.६५॥ कुसील, नितिय, संसते. काहिथं पासणियं मामगं, संपन्सारण 119 // 2016-29 // जे भिक्ख धाइपिंडं भुजइ भुजत वा साइज॥सू०६०॥ एवं इपिण्ड, निमित्तपिठं आजीविपिण 9 वणीमापिण्ड, तिमिछापिण्ड, कोहपिण्ड,माणपिण्डं,मायापिण्डं लोपिण्ड विज्ञापिण्डं, मन्तपिण्ड ओण पिण्ड चुण्णपिठ सू०६१-५३॥ भंतदाणपिए 216 त सेवमाणे आवाज चाउम्मासिय परिहारहाणं घा. ३थ "सू०१४॥ तेरसमो उद्देनओ // 13 // ॥अथ चतुर्दशोद्देशकः॥ जे भिवस्य पहिाहं किण किमानेर कीय आरटु देजमाण पडिगगाहेई पडिगाहंत वा साइजः // 20 // जे भिक्खू परिह पामिछड़े पामियावह पामिच्चियं आहह देवमाया जार साइजसू०२० परिभई परियडावे परियट्टियं // 3 // अछेज अनिसिह भभिहडं // 54 // 01 // जे भिकयू भइरेग पडिगगहा गणि उद्दिसिय गणि समुदिमिथ तं गणि अणापुरिछय अणामन्तिय अन्भमन्नस्स वियरइ वियरंतं वा साइजशा सु०॥ जे भिक्खू खुड्डगरसवा खुड्डियाए वा धेरगरस वा धेरियाए या अत्याधिनस्स अपायधिनस्स अनासस्टिम्स अकण्णधि Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [30] श्री आगम मुधा सिन्धु 1 नवमो विभाग भस्म अणोदृच्छिन्नरस सहस्स दे देत वा साइजः // 06 // जे भिक्खू खुइगरस वा जाव धेरियाए वा २-धच्छिन्नस्स आव ओहरिनास अस कस्स न देव नदेंते वा साइज 153 // . जे भिम्प्यू पडिह - लं अधर अधुवं अधारणि धरे धरेत वा साइज // 8 // जे भिन्लू अल घिर धूवं धारणिनं न धरे नधरेतं वा साइज 159 // 109 // जे भिक्खू वामन्तं पडिह विवां करेइ करेंत वा-साइच्य० 10 // जे भित्र विवण्णं पडिग्रहं वण्णमन्तं करे। करेंत वा-साइज्जयासु-११ " जे भिवाव 'नो नए मे पडिग्गहे लहेतिकरटु तेल्लेण वा घाण वानव जीएण वा वसाए ला मोघ वा मिलिंगेज्ज वा मम्वंतं वा भिलिंगनवा साइच // 1 // जे भिवम् लोडे वा कक्केण वा गुणेण वा वvणेण वा उल्लीले जवा जवलेज वा डल्लोलत वा उचलं (ई)तं वा मारमा ॥स०१३॥ जे भिक्खू सीभोदावियरेण वा जाब सियोदशवियडेण का उच्छो लेख वा पधोएज वा छोलत वा पधावन वा साजन // 14 जे सरण तेल्लोण वा जाव पसाएवा लादो वा आव वण्याचा सीओदगवियरेण वा जाव साइज सू० 15.17 // जे णवर मे पठिाहे इतिकह एवं होगमा भापियवा सू०१८.१९॥ जे णवर मे सुहिमगंधे पडिहे. ली इतिकर जाव साइजम०२०॥ बहु देवसिगुण मीओदगवियडे का जान साइजद "सू०२१-२३॥ जे नो नवए सुभिधणवि दो चेव गमा,जे दृडिभगधे पडिरगहे मलेति- भिगंधण दो चेव गमा ोयना 1740 म०२५ 26 // जे भिकए भतरहियाएर पुढधीर जाव जीवपतिहिते सोंजाब समकमसि चलाचले सजिगहगं आयाबेजमा पचानवा आयावतं वा पयार्वतका साइजद॥०३०.१०॥ एवं जे भिम कुलियासिवाजाव लेलयास वा सपडिहगं आयावे वा पयाजना आयावंतंग पथावंतंवा साइजइस०११॥ जे भिक्यू खंधसि जाव पासायोमबाअनयरंस वा अंतरिक्ख आयसि सपडिहां भायानेज का पथावेज्जा आयाते वा पयावत वा साइजइ 11 ॥सू०४२॥ जे भिक्षू पडिगहाभी पुटवीकार्य भारकाय कायं नीहर नीहराबेदनीहरिब आठरार देजमाणं पहिंग्या पडिशारत वा साइज ". 63 // जे भिक्यू कंद्राणि ना मूलानि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र उद्देशकः 15] [31] या पत्नायिका मुप्फाणि वा मलाणि वा बीयाणि वा नीहरइ आब साइ. जदम.॥ ओसहि बीयाई ॥सू०४५॥ तसपाणजाय 195 ॥सू०६॥ जे भिक्खू पडिपाहणं णिकरेइ णिलोरावेइ णिकोरियं आहएटुदेव माणं पडिरगाहे पडि गाहत वा साइजद 200 ॥४॥जे भिम्र नायगंवा अनायगं वा उजासगं वा अमुवासगंवा गामंतरंस वा शामपहन्तरसिना पडिगहगं ओभासियर जायजायतं वा साइजा सू०६ // जे भिक्स्यू जाव भणुवासय मा परिसामज्झाओ उडवेता जायर जायते वा साइजइ 213' ।।०.९॥जे भिकालू परिगहगजीमाए उडुबह वराइवमन वा साइजर सम्. 50 // जे भिम्बू पडि गहानीसाए वासावास वसयसत वा साइज्जइ, 211 ते सेवमाणे आवजइ चाउम्मासिय परिहारहाण या इय "051 // चाट्समो उद्देसभो॥१७॥ ॥अथ पचदशोद्देशक:।। . जे भिनव भिकाणे आगाढं वय वर्थत वा साइज।सू०१५ एवं फरुसं स०॥ आगाढमरस // 03 // जे भिक्खू अन्नथरीर अच्चासाथणार अधासाएद अचासायंत वा साइजद"सू.॥ जे भिमर स. चित्तं अम्ब भुइ भुजत वा साइजद // 5 // जे भिमय मचित भम्ब विडसइ डिसतं वा साइन्न।०६॥ जे भिक्खू सवित्त अम्यं वा अम्पपेसि का अम्बभित्तं वा भम्बसालण वा अम्बडाला वा अस्त्रचोयग वा भुइ भुजत वा साइजद // 20 // जे भिकरयू सचित्त जाव मबंचोयश वा विडसह विडसत वा साइजद // 8 // जे भिम्य सचित्तपइट्टिय भम्ब मुंजइ भुजत वा साइजइ.एवं सचित्तपति दिएणवि क्ताई आलाबगाणेथव्वा '25 // 09.12 // जे भिक्व अन्नथिएण वा गारतियएण वा अप्पणो पाए आमजावेजवा पमजावेज वा आमज्जावत पमञावत वा साइजद एवं तइयउद्देसमभो णेयत्वो जाव सीसवाय, जे गामाणुगाम इमाणे अन्न स्थिरणा वा गारथिएण वा अप्यत्रो सीसनारिय कारवई कारवत वा साइजद // 2013-65 // जे भिकर आगन्तारसु वा आव मराशिहंसिवा उच्चारपासवणं परिवेइ परिवंत Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32] . श्री आगम सुधा सिन्धुः . नवमो विभागः या साइज 268 / 066-74 // जे भिक्य अन्नत्थियरस वा जारस्थि. यस्स वा असणं वा देव देंतं वा साइजद // सू०१५॥ जे भिक्खू अन्नउत्थियम्स वा शारत्थियन्स वा असणं वा 4 पहिरछह पडिछन वा साइजह ॥सू०७६॥ जे भिक्खू वय वा पडिग्णहंवा कंबलं वापाथपुन्छणं बादेव वा साइज // 207 // जे भिमव बन्धना आव पायपुञ्छणं वा पडि पच्छितं वा साइज // 8 // जे भिकरवू या. सत्यस्स असणं वा देह तं वा साइजइ, पहिछति पच्छित वासा. इजर,वन्यं वा जाव पायपु-धणं वा देखि ३त वा साइजर, बत्थवाजाः घ पायपु-धणे वा पछि पछितं वा साइज ॥सू०७१-८२॥ एवं भोसनस्स, कुसीलस्स, नितियस्स,संसत्तस्स २०१॥सू०.३-९॥ जे भिखू जायणावत्यं वा निमन्तणावत्थं वा अजाणिय अपुध्यि भत्र वेसिय परिगाहेइ पडिगाहेंतं वा साइबई,से यबस्थेचउण्हं अन्नयरे सिया तंजहा- निधनियंसणिए मजपिए धगुस्सविए राथदुवारिए 29 ॥सू०९९॥ जे भिक्खू विभूसा पडियाए अपणो पाए आमजेस वा पमझेजवाभामजत वा पमप्लेन वा सातिजद, एवं तइयउद्देसगमेण जाव से गामागुगाम इञ्जिमाणे विभूसापडियाए अध्मणो पाए आमखेज वा पमचेल बा आमखंतं वा पमअंतं वा साइजद म. 100-152 // जे भिक्रय पत्थं वा पडिगह वाकम्बलं वा पायपु-धणे वा अन्नयर बा उशरणार्थ धरेइ धरत वा साइजय // सू०१५३।। धीव धोक्तं वा साइजइ, 39' त सेवमाणे आवजह चाउम्मासियं परिहारहाणं अधाइयं ॥सू० 154 // पण्णरसमो उद्देसभो॥१५॥ ... // अथ षोडशोदेशकः॥ जे भिक्खू सागारिय से उबार उमाशन वा साइवर '133' ।।सू०१॥ जेभिकर सउदगं सेवं अपविस भापविमत बा साइअई. 256 // 0 // सागणियं सेव 293 // 13 // जे भिक्खू सचिउर झुंजा, एवं पन्नरसमे उद्देले अवस्स जहा मो सोचव इहपिणेथव्वो // 20 // विसर ॥सू०५॥ जे भिक्खू सचित्तं अन्तरुधुयं वा उजुरपडिथ वा चोय नाउछुमेरगं वा उसाला वा उच्छुडालगं वा भुजह भुजेत वा साइज // सू०६॥ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 , 'श्री निशीथ सूत्र :: उद्देशकः 16 [33] विडसइ // 07 // जे भिकरयू सचित्त पट्टियं उरए भुजा मुंलने वा सा. इज्जइ, विडसइ ।स०-९॥ जे भिकरयू सचित्तं अन्तरघुवंवा जाव उधुराल वा झुंज मुंजत वा साइवर, विडसह // २०१०-११॥जे भिक्स्यू आरणगाणं वगंवयाग (वण्णधाण) अडवीजत्तासेपट्टियाचं असणं वा / पडिगाहे पहिशाहन्तं वा साइबइ 303 // 012 // जे भिनाधू बुसराश्य अबुसराइय वयह व्यंत वा साइज // 1013 // जेभिक्षू अबुसराइय सराश्य वयवयंत वा साइजइ99॥सू.१४॥ जे भिक्खू बुगड्यामोग... णाभी अबुमराजय गण रकमइ सकमंतं वा साइजह / / 015) जे भिमन्यू बुध. खमंताणं अगणबाट वेड देत वा सान्च ॥सू०१६॥ मे भिमन्यू युगसबकुलाण असणं वा 5 पाईन्छ पस्मिन वा साइजद 09 // एवं वत्थं वा पडिगह वा कम्बलं वा पायपुश्यां वादे देत वा साइजह सू०१८॥ पछि पच्छित वामा. इचम.१९॥ एवं वसहिवि द्रोहिं जमएहि दे नवासारजह ॥सू०२०॥ पञ्छि गभू०१॥ अणू परिसड़॥०॥ जे भिनयमझायं तवा साइज ॥१०॥जे भन्यू महबकूताणं सज्झार्थ परिद पति वा साइज'१९६.राजे विह (भवि भणेशाहगणिज्ज अभिसंधारे अभिसंधारते वा साइज ॥सू०५॥ जे भिक्खू विरूवरूभाई दरसुगाथयणाई अणारिथाई मिलकर प. चन्तिभाइ सति गठे विहाराए संघरमाणे संथरणजे जणवएसु बिहार. पडियाए -भिलधारे अभिसंधान वा सामा६१६ // 2026 // जे भिक्खू बुगुविचकुलेम असणं ना 4 पडिगाडे३ परिगाहत वा साइबइ "020 // जे मिक्ख घु6ि-ध्यकलेसु वय वा पडिग्रहं वाकम्बलं वा पायपूञ्चण वा पडिगाहेर पडिगार्हतं वा साइन 2028 // वसहि // 09 // जे भिक्यू शुभियमुलेमु मध्झायं दिमह उहि मंतं च माइञ्ज / / सू.३०॥ वाएइ ।सू.३२।। परिच्छइ।सू.३२॥ जेभिवायू असण या 4 पुथ्वी तिषिव निस्विनंत ना साइजह // 1033 // संधारए / 034 // विहासे *3284035 // जे भिक्खू अन्नउत्थीहिवा गारस्थीहि वा सदि मुंजइ भुंजत वा साइबाइ // 2036 // जे भिक्रय आवेटियपरिबेटिए भुजइ भुजंतं वा साइजइट स०३७॥ जे भिकरयू आथरियज्वन्यायाणं सेआसंधारगं पाएणं संघदत्तातत्यग अणणुनवेता धारयो गरगरत बा साइच ६४२॥३॥जेभित्र पमाणाइरिचना गगाइरितं वा वहि धरे धरत वा साइज00०३९० REFERESESEREES Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JANARDAR [34 श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभागः / जे भिकर अनन्तरहियाए पुटवीए चलाचले उच्चारपासवर्ण परिवेद परिट्वंतं वा साइजह जाव बंधसि, 49' तं सेवमाणे भारवर चाउ- ! म्मालियं परिहार हार्य उग्घाश्यं // 1040-50 // सोलसमो उद्देमभो // 16 // ॥अथ सप्तदशोदेशका जे भिक्रय कोहल्लपडिभाए भन्नयर सपायजाय गणपासएण वा जाव सुतपासणवा बंधन बघत वा साइजइएस०१॥बहेलगं वा मुयह मुयंत वासाइजद सू॥ जे भिक्खू तणमालियं वा जाब हरिथमालिय ना पिपहर पिणहंत वासाइजइ, करे३ करतं वा साइचद धरेड धरतं वा साइजदान 3-4 // जे भिक्खू भयलोहाणिवा जाव सुवण्णलोहाणिवा करेह करेंत वा साइवह धरे धरतं वा साइज परिभुज परिभजतंवा साजड 18s-rn जे हाराणि वा जाव सुवणसुत्साणि वा कर कारेंत बा साइजर धरेइधरंत बासाइजर, परि भुजद परिभुजंतं वासाला पिण्ठ सू०९-१॥ जे भिक्स् आइणाणिवा जाव आभरणविचित्ताणिवा करे करेन वा सारच,धरेरथः रंतं वा साइजइ. परिभुजइ परिभुजंतं वा सारज 17 // 10 12-15 // जा निश्णश्रीनिमपस्स पाए अन्न थिएणवा गारथिए वा आमचाच.वाएवं नतिभोईसगमेण यवं जाव जा निबन्धी निजजन्यम्स गामाणुगामं दुइअमाणास अन्नन्धिाण वा गारत्यिरण वा सीमनुवारियं कारवेश कारमंत ना सारवासू०१५-६ जेनिज्मन्थे निन्धीए पाए अन्नउत्थिणीएवागारत्थिणीए वा आमआवेतवा जाव साइज एवं मल्लिगमयसरिसणे यवंजाव निग्गन्धीए शामाणुगामं इज्जमापीए अन्नत्यिणीय वा शारस्थिती वा सीमुटुमारिय कारवेद कारवतं वा साञ्जा २०६८-१०॥जे निगन्ये निश्शन्धस्स सरिसशस्म सन्त श्रीवासे भंते ओमसनदेहनत वा सारखर सू०१४॥ आ निग्गन्थी निणन्धीए सरिसथाए आव साइजद६॥सू०१२॥ जे भिक्यू माली हडं असणं वा 5 देजमाणं पडिजाहेर पडिगाहंतं वा साइज ॥१०१२३॥जे मिक्सू की हाउत्तं असणं वा * उकञ्जिय निकुखिय रेजमाण पडिगाहेइ परिजालं वासाइजह // सू०१२४॥ जे भिक्यू महिभोलितं असणं वा अनियनिधि दिय देखमाणे पडिगाहेइ पडियाहतं वा साइज 55 // 12 // जे भिवादन SSSSSSSSSSSSES Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निशीथ सूत्र उद्देशक- 17? [35] माणं वा अन्नयर पुढनी पट्टियं पडिगाहेद पडिगाते वा साइजइ॥सून 126 // एवं भाउपाधि, तेउपदविय बणस्सकायपइडिय 62 // सू०१२०-१२९॥ जे भिकर अञ्चुसिणं असणं वा सुप्पेण वा विटुणण वा नालियरेण वा पत्तेण वा पत्तभद्रेण वा साहाए वा साहाभड्रेण वा पेटणेण वा पेड़णहत्येण ला लेण वा चेलकण्णण वा हत्येण वा मुहेण ना फुमित्ताबा वीरतावा आहरर देजमाणं पडिगाहेइ पहिगाहंत वा साइच 1-0430 // जे भिन् असणं वा उसिणुसिणं परिगाहेर पडिगाहो वा साइज ॥१.१३४॥जे भिकरयू उस्सेयणं ना ससेयणं वा चालोदगंवा बारोदगंवा तिलोदगंवातसोदगंवा ज्योदणं वा भुसीदगंवा आयामं वा सोवीरं वा अम्बकञ्जिय वा सुद्धवियर्ड वा अह णाधोय अणंबिल भपरिणयं अवकन्तजीवं अनित्यं पडिगाहेह पडिशाहंत वा साइबर १४॥सू०१३॥जे भिकघू अप्यणो आथरिथत्ता लन्रवणाई वागरेइ वागरंत वा सारजह सू०१३३॥जे भिक्खू गारख वाहसेजवा वाचवानघेज या अभिणपुजवा हयहेप्तियं हथिगुलगुलाइये किलकिलाइयंउकइसीहनायं करदे करत वा साइच ॥सू० 134 // जे भिक्रय भेरी सहाणिवा परसदाणि या मुरवसवाणि वा मुईशसवाणिवा, एवं नंदिसवाणिवा झल्लरिसाण या वल्लरिसदाणि वा उमरणसहाणि वा मइड्थसहाणि वा सथसहाणि वा पएससदागिबा गोलुइसहाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि वितयाध सदाणि कण्णासोथपडियाए अभिसंधार अभिसंधारतं वा साइजइ,बारसमउद्देसगमेण णेथव्वं ॥सू.१३५॥ जे भिक्षू वीणा सहाणिवा विपचिसहाणि वा तूण-सदाणिवा बब्धीसगसदापि वा वीणाइयसदासिवातुबवीणा-महाणि वा झो(पी) उथसहाणि वा टंकुगमहाणि वा अन्नयनाणिवा तहप्पशाराणि वितयाणि सदाणि कण्णसोयपडियाए अभिसंधारे अभिन्संधारत वा साइजर ॥सू०१३६॥ जे भिक्पू तालमहाणि वा कसतालसदाणिवा लत्तियसवाणिवा गोति यसवाणि वा मकस्थिसहाणि वा कच्छमिसदाणि वा महासहाणि वासगालियासदाणि वा वालियासहाणि वा भन्द्रयाणि वा तहस्यगाराणि झुसिणि सदाणि कण्णसीयपडियाय अभिसंधारैइ अभिसंधारतं वा साइज"सू०१३॥ जे भिक्रयू संवसहाणि वायमसदाणिवा अणुसवाणि वा घरमुर्ति सहाणिक परिलिमहाणिवा वेमसहाणि वा अन्नयराणि या नहगाराणि झुसिगा. FREEFFERESERSEREFERE Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAARADARA [36] श्री आगम सुधा सिन्धु / नवमो विभागः / सदाणि कणसोधपडियाए अभिमंधारे अभिमंधान वा साइप्लाइ / सू.१३८॥ जे भिक्खू वप्याणि वा फलिहाणि वा जाव इह (परलोइएसुवा सद्देसु जार अमोबवओमाणं वा साखर 94 ' न सेरमाणे आवजहचा. उम्मासिथं परिहारहाणां उन्धाइय // 20139-155 // सत्तरसमो उद्दसओ // 3 // // अथ अष्टादशी देशकः॥ जे मिकस्य भणहाए जावं दुलहइ दुरुहन वा साइज 3जेभिक्यू. . नावं किण किणाई कीयमाठ द्विजमाणे दुम्हा दुरुहंत बा साइजद,एवं जो चोइसमे उद्देसे परिसरगमो सो गोयब्यो जाव भोज, णकर दुरुततित्ति, भाणियव्यंाम०२-५॥जे भिक्यू पलामो नावजले मोकमानेह भोकमायेत वा साहसदमा जे भिक्रय जलामो नावं घले उकसावे उकसावतंवा साइजय // 7 // जे भिम्स्यू पुण्ण नाव गम्सिचद उरिसंचन वा साइज // 0 // अभिनय सन्ननाव अपिलावेद अपिलन वा साइजाद साजे भिक्खू परिणाषियं कटु नावाए दुलहा रहंत या साइच माजे भिक्यू इटगामिणि गावं अहोगामिणि बानावं दुरुह दुरूहत वा साइज ॥सू०११॥ जे भिकाय जोधपोला गामिण वा अरजोधणनेलागामिणि या नावं दुहब दुरुहने वा साजरा जेभिक्खू नावं आकसावेइ ओकसावेद विवावेड रज्जूणा वा कडेण वा कइट कदंतं वा साइच // 2013 // जेभिमन्यू नावं आलितएण वा पप्फिडएा वा वसेण वा नलेज का बाहिर बात ना साइजर ॥सू.१४॥ जे भिक्खू नावाभो उदगं भाकगोण वा पडिगगहेण वा मत्तेण वा नावास्सिंचणेण वा रिसंघ उभिएले वा साइजद ॥सू.१५॥ जे भिक नावं अतिशेणउदगं आसवमामि उवरुवार उचलमाणि पेहाय हत्येण वा पाएण ना आसत्य पत्तेण वा कुसपत्तेण वा मट्टियाए वा चलकण्णण वा पडिपीहेड पडिपीहत वा माश्चम-१६॥ जे भिक्खू नावागओ नावाशयम्स असणं वा पडिभाइ पडिगाहंतं वा साइअइ 30 एतेण गमेण णावागभी जलयसन्स गावागतो पंकण्यास नावागतो थलगतस्स एवं जलगाणविक्तारि पंकगएणव चत्तारि पलगएणवि क्तारि गमा णेयव्वा ॥सू०१२३२॥ जे भिक्खू पत्य निणय डिणा कीयमाटरव रिज़माणं पडिशाहइ पडिगाटतं वा सारखापवंची SHREERRORISESS Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. श्री निशीथ सूत्रे : उद्देशका 14] .[37) उसमे उसे पडिगहए जो गम्रो भणिओ सो चेव हपि बत्थण णेथव्यो जाव पासाबासं संबंसइ संक्सतंबासाइचइ, नगर णिकोरणं नस्थि 31 ते सेवमाणे आवजइ चाउम्माश्रियं परिहारहाणे उधाइयं / सू०३३-८८॥ // अहारसमी उसओ // 1 // ॥अथ एकोनविंशतितमोड़ेशकः।। जे भिक्खु विथडं किणकिणावेई कीयं आहर देखभाणं पडि. गगाहेइ पडिरगाहने वा साइव // 01 // एवं पामिनि पामिधावेति पामिधियमिनि // 2 // परिथट्टति परियट्टावेति परियथिमिति // 203 // अच्छवं अनिसई अभिहडं गाभिम्यू गिलाणस्साहाय परं तिण्ठं वियदतीणं पडिगाहेइ पडियाहतं वा साइजद ॥माजे भिनयू विडं शहाय गामाणुशाम इज इइखंत वा साइज३॥०६॥ जे भिक्खू वियउंगालेइ गालावेब गालियं आटु देजमाणे पहिगाहेर पडिगाहंन वा साइजद६॥on जे भिक चाहिं संसार समायं करेइ करेंत वा साइजर, तंजहा- पुबाए संझाए प. . धिमाए संझाए अवर(माझाहे अहस्ते / सू०८॥ जे भिक्ख काजियसुबरस परं तिण्हं पुराणं परवद पूरछतं वा साइज सू०९॥ जे भिक्ख हिटिवायास परं सत्ता पुध्धाणं पुरधE पुछतं वा साइज २६॥सू०१०॥ जे भिक्खू यउसु महामहेसु सम्झायं करेह करेंतं वा साइजइतंजहा-इन्दमहे खंदमहे जबषमहे भूयमहे // 20 // जे भिकरयू चउसु महापाविएस सज्झायंकरे करवा साइजद, तंजहा- सुनिम्हियापाडियए आसाठीपाडियए भवया इन्दमह, आमोय) पाहिब कत्तियपाडिवए सू०१॥ जे भिकरयू पोरिसिं सम्झाचं उधाण उवा इणावंतवा साइज॥सू०१३॥जे भिक्यू चारकालं सज्झाय नको नकरत वा साइजद 16 // 014 // जे भिक्रयू असम्झाइए सम्झायं करे करवे वा साइजइ॥सू०१५॥ जे भिक्यू अय्यणो असम्झाइए सम्मायं करे करवा साइजा *y2 |सू०१६॥ जे भिमयू रोहिल्लाइं समोसरमाई अवारता उरिल्ला समोसरगाई वाणुइ बायनं वा साइज ॥सू०१॥जे भिकरयू नव वचनलाई भवात्ता उरिमसुयं वारा वायंतं वा साइजद.१६९॥०॥ जे भिक अक्जे वारक वायन वा साइज // 2019 // जे भिक्रयू वत्तं न वाएइ बवान' वा सास ఇక ముందుకు Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [38) श्री आगम सुधा सिन्धु / नवमो विभागः २०॥जे भिकरयू अपने बाए वायंते वा साइज ॥२१॥जे भिकरपू पतं न वाएर नवाएंतं वा साइछह 15 // 2022 // जेभिक्यू दोण्हपि सरिसगाणं एकं संचिकरपाबेइ एवं न संचिकवावे एवं वायद एवं नवाएर जपाएतं वा साइजद २२१॥सू०२३॥ जे भिकरयू आरियउवझाहिं अविदिन्नं गिरं आश्था आइयंत वा साइज।सू०४॥जेभिक्खू अनउत्थियं वा गारत्यियं वाएवायंतं वा साइज॥सू०४॥ परिछ।मु०२६॥ एवंपा. सत्यं सू०२-२८॥ ओसन्नं, सुसीले नितियं ॥सू०२८-३४॥ संसत्तं 203 त सेवमाणे आवश्चाउम्मासियं परिहारहाणं उधाइयं / 035-36 // ॥एगुणवीसहमी उद्देसी // 19 // ॥अथ उपसंहारः॥ भिन्स्यू मासिव परिहारहाणं पडिसेप्तिा आलीएम अपलिक्विं भालोएमाणस्म मासिथं पलिधियं आलोएमाणस दोमासिय एवं क्वहारपटमुद्देसगमो यब्बो जाव इस गमा समत्ता एशतसो बहुत्तसोवि जाव सध्यमे सकयं एगो सारणिता जाए य पावणार पट्टएि निविसमाए पडिसेविजा सावि करिणा तन्येव आरहेथव्या सिया '309 सू०१-२२॥ (पंचमासियामा सियारहाणं पहनिए अणणारे अंतरा दोमासयं परिहाराणं पर्डिसेवित्ता आलोएजी भहावगवीसाइया आरोषणा आइमझावसाणे ससहसकारण अहीणमइस्तिं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥सू०२३॥ पंचमासिय एवं चाउम्मारियं, एवं तेमासिथं एवं दोमासिथं मासियाबि जावं सवीसराइथा दो मासा ॥सू०२६-२४॥ सबीसराइयं बीमारियं परिहारहाणं पडपिए अणगारेआल तण परं दृसराया तिण्णिमासा सू०२९सदसरायतेमासिथ परिहारट्ठाणं जावत परं चत्तारि मासा ॥सू०३०॥ चाउम्मासियं परिहारहाणं जावतेण पर सवीसराइया चत्तारिमासा ॥स०३३॥ सवीसराइयं नाउम्मासिये परिहाराण जाव तेण परं सदसराया पञ्चमासा // 3 // सहसराय पधमासियं परिवारमणं . जाब तेण परं धम्मासा "सू-३३॥ छम्मासिय परिहारहाणं पविए अणारे अन्तरा मामिमं परितारट्राग पडिसेक्सिा आलोएखा अहावरा पनिखया आरोवला भाइमसाबसाणे मभदं सहे सकारण महणमस्तं तेण परं दिखटो मासो // सू०३४ा, RSERRRRRRRRRRE Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PREPARANAS श्री निशीथ सूत्रं उद्देशक 20] [39 एवं पञ्चमासिथं चाउम्मासियं तेमासिय होमासियं मासियं परिहारहाणं पहनिए गणणारे जान दिवइडो मासो // सू०३५-३९॥ दिवट्टमासियं परिहारहाणं पट्टबिए अणणारे अंतरा मासिये जाव हो मासा // मू०४०॥ वोमासिथ परिहारहाण पडविए अगगारे जाव अद्भाइजा, एवं एत्तो पक्रव 2 आरोवेयव्यो जाव छम्मासा पुण्यति ॥सू०६१-४॥ (दौमासियं परि. हारहाणं पट्टविए जाव तेण परं अड्डाइज्जा मासा ॥सू.४१॥ अड्डाइजमामियं परि हारहाणं अणगारे जाव तिणि मासा // 0 // तैमासिय परिहाहाणं पट्टबिए भणगारे जाव अछुट्टामासा ।मु०१३॥ अदुह्मासियं परिहारट्टा पविए भणणारे जा बचत्तारिमासा ॥सू०७४॥ चारम्मासियं परिहारहाणं पट्टविए भणगारे जाव भदुपञ्चमासा ॥सू०६५॥ भट्ठपधमामियं परिहारहाणं पविए भणगारे जाव पच्च मासा // 066 // पञ्चमासिथं परिहारहाणं पविए भणगारे जाव अड़. छदामांसा॥०॥ अदछट्ठमासिथं परिहारहाणं पडविए भणगारे जाय धम्मासा // on) दोमामिथं परिहारहाणं पविए अणगारे अन्तरा मा. सियं परिहारट्टापं पडिसेवित्ता मालीएजा अहावरा परिवया आरोषणा जाब तेण परं अहाजा मासा // 2068) भडारजमानिय परिहारहाणे पट्टनिए अणगारे अन्तरा होमासिय परिहारहाणं पडिसेबित्ता भालोएना अहावरा बीसइराझ्या आरोषणा जाव तेण पर सपञ्चराभा तिणि मासा // 9050 // मपश्चराय तेमासियं परिहारहाण पडावेए अणगारे अन्तरा मासिय परिहारहाणं पाउंसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा परिवथा आरोवणा आव लेण परं सर्वीसह राया तिण्णिमासा ॥सू०५१॥ सपीसझाय ते मासिय परिहारहाणं पट्टएि अणणारे अन्तरा दोभासियं परिहारहाणं पर्डिसेविता आलोयचा अहावरा पीसइराथा आरोषणा जाव तेण परं सदसराथा चत्तारि मासास०५॥ सदसरायं चारम्मासिय परिहारहाण पट्टबिए अणणारे अन्तर मा. सियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा महावा पक्थिथा आरोक्या जान तण परं पञ्चणा पञ्चमासा ॥सू०५३॥ पञ्चणं पञ्चमारियं परिहारहाण पट्टविए अणगारे अन्तरा दोमासिथं परिहारहाणां पडि सेविता आलो. . एजा अहानरा बीसइराइया आरोषणा जाव तेण परं अघहा मासा 10 '54 // अटुं सासिय परिहारहाणं-पटुविर अणशारे अन्तरा मासिथं परि. కరు సవ్వకు కు కు కు కూడ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免染染染免染染染免染染 [40] श्री आगम मुधा सिन्धु नवमो विभागः हारहाणं परिसवित्ता आलोएना अहानरा पक्षिया आरोवणा / जान तण परं छम्मासा 269 ॥सू०५४॥ उपसहार: 425 // // इति श्रीनिशीथरदेसूत्रम् // 1 // लिखित संशोधितच तपोमूर्ति प्रामावि Arविजयकर्परसूरीधर पट्टधर हालारशीदारकाचार्य देवीविजयामृतसूरीधर-विनय-पन्यास-जिनेन्द्रविजय-गणिना भूतभक्तिभावनासहितेन जामनगरदिग्विजयालोम्हालारीवीशाओसवाल-तयागनउमाश्रयमध्ये पीरात 2504 बर्षे 1 अक्षयतृतीयायां विमलनाथजिनेन्द्रनिभायाम् // नमो अरिहताण नमो सिदाण नमो बायरियाण नमो उवायाण नमो बोएसव्यसाहणं एमो पच नमुक्कारो प्रव्य पायप्पागासो मगलाण मवेसि पदम हवा मगन FFFFFFFFFFFERE Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 49. 22 * ** // अहम् // श्रुतके वलि श्री भद्रबाहु स्वामि-प्रणीतं श्रीबृहत्कल्पसूत्रम् // अथ प्रथमोद्देशकः। .. पीडिकाभाष्यगाथाः 08' जो कम्पा निग्गन्माण चा , निग्गन्धीण वा आमे तालपलम्बे अभिन्ने पडिग्गाहेत्तए |स.१॥ / कप्पइ निग्गन्धाण वा जिग्गन्धीण वा आमे तालपलम्बे भिन्ने पडिग्गाहेत्तए १०३६।।सू.२॥ कप्पइ निग्गन्धाणं पझे ताल पलम्बे भिन्ने वा अभिन्ने वा पडिग्गाहेत्तए ।सू. 3 // जो कप्पइ निगान्धीण पक्के तालपलम्बे अभिन्ने परिग्गाहे त्तए ।सू. 4 // कप्पडू निग्गन्धीण पक्के तालपलम्बे भिन्ने परिग्गाहेत्तए, सेऽवि य चिडि भिन्ने जो येवणं अविहि भिन्ने (पलम्बपगरण १०८e')॥सू. 5 // से गामंसि वा नगर्शने / वा खेडेमि चा कब्बडंमि वा पट्टणीस वा मरम्बसि वा जागरमि वा दोणमुहंसिवा निगमंसि वा रायडाणिमि वा आसममि चा सनिवेससि वा संचाहंसि वा घोसंसिवा अंसियंसिवा पुडभेयणसि चा सपरिक्वेचंसि अबाहिरियंसि कप्पइ निग्गन्याण , हेमन्त गिम्हास एणं मास चन्थए / / 6 // से गामंसि जान रायहाणिसि चा सपरिकमि सबाहिरियसि कम्पइ निगा न्या. हेमन्तगिम्हासु दो मासे उत्पए, अन्तो एरः मास बार गं; मासं, अन्तो चसमाणाणं अन्तो भिचारयः ब्रादि सनाणाणं बाहिं भिक्खायरिया ॥सू.॥ से गाम सि या जाच नायाण सि चा सपरिक्षेचंसि अबाहिरियसि कप्पर निगान्धी मन्तगिम्हासु दो मासे वन्यए।सू.॥ से गामंसि वा जाव रायहाणिसि FREEEEEEEEEEEER Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 121 . पी HIDR सुधा सिम खमो विभाग वा सपरिवसि प्रबाहिरियोम का निगान मेलामा चत्तारि मामेव-धए अनोदी मारे ग्राहे टो मामे मतो जयमाणी भतो भिम्यायोरेया बाई आममाण ग्रोह भलायोया 2130 .स.एमे गामासेचा जान गयाणेसिया गावाहराए एगट्वागए गानिवचमणपसाए जो झप्पर लगाया air poय ओ चत्वए / सू. 10 / / मे ममि वा जाच गयाणेमि वा अभिति. लगराए अभिजिट्वागए अभि (ोग नियमाप्रमाए प्या. गा-याण निग्गन्धी य एगयओ व-थए 237... / सू.११॥ जो कप्पर निग्गन्धीण भावोगहमि वा त्यामुहसि वा सिधारामि वा निगममा चाउमि वा चन्चरमि वा अतगवाणसि वा वथए सू... कप्पर निगायाणं आवगिहमि वा जाच मतगवणसि चा वन्धए 5330 ॥१.१३॥नो कम्पनिमान्धीण अवर-गुयवानिए उचम्सए वन्थए.एग पत्पार अंतो किच्चा एग पन्धार बाहि किया मोहाडियोचलिमिलियागंमि एवण्ह कप्पड वथए २३५१।सू.१४॥कप है निग्गन्धाण अवगुयदवानिए उचस्मए वन्थए २३६६ास.१५॥ 3 निगान्धीण अंतोलिनय धोडमत्तयं धारंतए वा परिरित्तए, चा '२३६९।सू.१६।। नो कप्पा निग्गन्याणं अंतोलित्तय घरिमत्तय धारे तए वा परिहरित्तए वा २३७५।।सू.१७॥ कप्पर जिग्गज्याण वा निगा न्धीण वा चलचिलिमिलियं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा 2301 "सू. १॥नो कप्पइ निग्गन्धाण वा निगान्धीण वा दगतीरसि चिद्वित्तए वा निसीइत्तए वा तुद्रितए वा निहाइतए वा पयलाइतए वा असणं वा 4 (आहारमाहारेत्तए)उच्चारं वा पासवण वा स्येलं वा सिंघाणं वा परिदृवेतए, सझायं वा करेत्तए,धम्मनारियं वा जागरित्तए (साणं वा माइनए),काउस्सग्गं वा डाणं (करित्तए वा) डाइनए 2436 // सू.१७) नो कप्यइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा सचित्तकम्मे उवस्सए वत्थए // 20 // कप्यइ निगगंधाण वा निग्गंधीण वा अचित्तकम्मे स्वस्सए वत्पए २४३८॥सू.॥नो कप्पड निरगंधीण सागारिय निम्साए यस्थपासू.२२॥कप्पा निगांधी मागारिय निस्साए वाया FFFFFFFEREFREE Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 श्री बृहत्कल्पसूत्र 7 उद्देशकः 1] [3] // सू.२३॥ कप्पा निग्गंधाण सागारियनिस्साए वा अनिस्साए जा स्थए २४५३'।।सू.२४ / / जो कम्पइ निगांधाण वा निगगंधीण . चा मागारिए उवमए व-धए,(कप्यइ निगांधाण वा निगांधीण वा अप्पसागारिए उवम्सए वत्थर) 2555' ।।सू. २५।।नो कप्पड़ - जिजधाणं इत्यिसागारिए उवम्सए वन्थए।सू-२६॥कप्प३ निगगधागं पुरिसमारिए उचस्मए चत्पएस.२०॥जो कप्पर जिग्गपीणं पुरिसमागारिए उवस्मए वत्पए ।सू.३८ / कप्पर जिगान्धीणं इत्धिीसागारिए उवस्मए च-थर 258 ।।सू.२९॥जो कप्या निग्गंधागं पडिबद्धाए सेज्जाए वत्थए।सू.३०॥ कप्यइ निगांधीणं पोरबद्धाए सेज्जाए वत्थर 2633' स.३१॥जो कप्पर जिग्गंधाण गाहावइकुलास्म मज्झंमज्नेणं गंतु वत्थए।सू. 32 // कप्पइ निगांधीणं गाहा - वरकन्न स्स मज्यमणं गंतु वत्या 2980 शास.भिक्यय अहिंगरणं कदटु तं आहे गरण अविभोसवेत्ता अविओसविय पारे / इच्छाए परी आठाएज्जा इच्छाए परी णो आटाएज्जा इच्छाए पगे। अब्भुट्टेज्जा इच्छाए परो नो अब्भुट्टे ज्जा इच्छाए परो वंटेजा इच्छाए परो जो चंदज्जा इच्छाए परी मभुजा इच्छाए परो जो मभुज्जा इच्छाए पो संवसेज इच्छए परी नो संवसेज्जा ३च्छाए परो उवसोज्जा इछाए परी जो उवसज्जा, जो उवसमइ तस्स अस्थि आराहणा जे न उवासमा तस्स नन्धि आराणा तम्हा अप्पणा चेव उवसमियत से किमाइ भंते ?. उवासममारं(यु)मामण्णं 2138 ।।सू. 34 // जो, कप्या निगांधाण वा जिग्गांधीण चा वासाचासासु चारए। सू. 35 // कम्पइ जिग्गंधाण वा लिगांधी का हेमोगमासु चारए 2063 / / 536] जो कम्पइ निधाण वा निगाधीण वा बेरज्जविरुद्धरज्जसि मज गमण सज्ज आगमण मज गमागमाण करतए, जे खलु निर्णधे वा निगांधी वा बेरज्जविन्द रज्जमि सज्ज गमणं सज्ज आगमणं / सज्ज गमणागमण करेइ करेत वा साइज्जइसे दूओवरकममाणे आवजड चाउमारियं परि डान्द्राणं अणु ग्याइय 2095 / / सू.39॥ लिमांच गाहापाइकल बिडवायर याए अप्पचिडू केई चलयेण సూర్య Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [5] श्री आगम मुभा मि-पु. 0 जनमो विभाग चा पोडेगहेण वा कम्बलेण वा पाय पुणेण वा उवनिमज्जा कप्पड से सागारकडं गहाय आयरियपायमूले हवेत्ता दोचपि उपगडं अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहरित्तए 2018' सू.३८ / निय च णं अहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्तं समाये कैचित्रेण वा परिग्गहण चा कम्बलेण वा पायपुंछोण वा उवजिमज्जा कम्पह से सागारकडे मायरियपायमूले डवेत्ता दोञ्चम उग्गडं अणुन्नवेत्ता परिहार पनिहारत्तए 2819 ।।.मू. 39 / / निधि . चण गाहावर कुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविदूं तं चेच वरं पवत्तिणीपायमूले हवेत्ता mso-~~~00~~1दोच्चचि उगह अणुन्न वेत्ता परिहारं परिह रित्तए। ग्गंधिच बहिया विद्यारभूमि वा विहारभूमि वा जाव / / सू. ४१/नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण नाराओवावियाने वा असणं वा पडिग्गाहेत्तर / / सू.४२॥ नन्नत्य होणं पुचपहिले. हिएणं सेज्जासंधारएणं 2873' / सू.४३:: नो कप्य लिगमाण वा निग्गंधीण वा राओ चा वियाले वा वत्यंचा परि गाईका कम्बलं चा पायपुन्छणं वा पडिगगाहेत्तए 2005 सू. ४५||जसत्य एमाए इरिया इंडियाए,सावि य परिभुत्ता चा धोया का रस वा घाबा महा का संगधूमि या चा '३०४२॥सू.४५।। नो कप्पर जिगभाण वा निगांधीण वाराओ वा चियाले वा अद्धाण गमणं एत्तए '3142 / न.४६ संघाउँ वा संघडि पटियाए अछामममणं एत्तए २२१०॥सू. 47 // नो कप्पर निग्गन्धस्स एगाणियस्म राओ बा वियाले वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निम्त्यमित्त ए वा पविसित्तए वाकप्पर से अप्पलिइयरस वा अप्पतध्यस्स पा राओ वा चियाले वा बहिया विधानभूमि वा विहारभूमि वा नेकपमित्तए वा पवि सित्तए वा 3225 .48 // नो कप्पई निग्गपीए एगाणियाए रामो वा चियाले वा हिया वियारभूमि वा विहा भूमि वा निक्यमित्तए वा पविमित्तए वा, कप्पड़ से (भूविइयाए जा अप्पतइयाए वा अप्पचउन्धीए वा रामो वा चियाले वा बहिया Pr rammar Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9222222222 / श्री बृहत्कल्पसूत्र उद्देशकः 21 25 . वियारभूमि का विडार भूमि का निमित्तए चा पविसित्तए वा ३२४३॥सू.४९॥ कय्या निगाल्याण वा निगान्धीण वा पुरस्थिमेणं - जाव अमगहा एतए दक्षिणेनं जाव कोसम्धीओ एत्तए पञ्च तिधमेलं जाव धुणाविसयाओ एनए उत्तरेणं जाच कुणाला विसयामे एत्तए, एयावयाच कप्पड़, एयाच याच आरिए वेत्ते, जो से कप्पर एत्ता बाहिं तेणं परं जन्य जाणणचरित्ताई उस्सप्पन्तित्तिमि '593 ॥सू. 50 // पटमो उद्देसओ॥ 9 / अथ द्वितीयोद्देशकः। उधरसयय अन्तो वगाए सालीणि वा वीहीणि वा मुग्गाणि वा मासाणि वा तिलाणि वा कुलत्याणि या गोधूमाणिवा ज्या. णि वा. जवजवाणि वा उविन्यसाणि वा विविधताणिवा (ओकिण्णा. णि या विविखण्णाणि मा विकिण्णाणि वा विप्पाइण्णाणि वा नो / कप्पा निग्गन्धाण वा निगान्धीण वा अहालन्दमनि वत्थए।।सू.१॥ : अह पूर्ण एवं जाणेज्जा नो उम्स्यिन्नाणि (ओकिण्णाणि)नो विविखनाणि (चिविल्यण्णाइ जो विकिण्णाणि नौ विप्पइण्णाई रासिकाणि : चा भित्तिकाणि वा पुजकडापि वा कुलियकड़ाणि वा लाछियाणि / वा मुहियाणि वा घोड्याणि ग कप्पा जिग्गन्धाण वा जिग्गांधीण / वा हैनन्तगिम्हासु वन्थए मू.२१ अह पुण एव जागेज्जा-नो गमिकडाई नी पुञ्जकडाइ ने भित्तिकाइ जो कुलियकाई कौडाउताणिव / पल्लाउताणि वा मचाउत्ताणि वा माला उन्नणि वा भोलित्ताणि वा लित्त.. णि वा पिहियाणि वा लछियाणि व. मुहिमरे वा कप्पा जिग्गन्धाण, वा निग्गन्धीण वा वासावास वथए 186.31. उवस्मयस्स अन्तो। वगडाए सुविधा काम चासोटा रयविरकमेचा उचनिक्षित मिया जो कप्पद निगममा वा जिजाय व महालन्दमवि वस्या / हुरत्या य उवासयं परिलैहमाग जो लज्जा एवं से कप्पा / एगरायं वा दुराया वा चल्थए, नो से कप्पइ एगर याऔ वा टुराया / वः परं बस्थएजेनत्य एमाराय ओ वा दुरायाऔ वा पर वसेज्जा रे Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免染染免染染免染染染免 VE श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग. सतरा ए या परिहा ग.४! यस्सयस्य अन्त अगाए सीनरमाय भै या मगदगोयाकुम्भ मा उनि बिते या जय जिम्मा निग्गन्धी या अहातान्दमवि व. थिए. हुर-या य उत्स्स यं पडिले हमाणे जो भेजा एव में कप्प 3 एगराय जा टुराय वा वायए (नो से झप्पइ एगरायाभो वा दुराया। चा पर वायए) जे तत्व एगरायाओ वा टुरायाओ का , पर वसेज्जा से सन्तरा छए वा परिहारे या 221||. 5 // उधस्म यस्स अन्तो वाडाए सचराइए जोई झियाएजा जो मप्पा निणन्धाण वा जिग्गन्धीण वा अहालज्दमवि वत्यए हुरत्या य उवम्स!य पडिले हमाणे जो लभेज्जा एव से कप्पर एगराय या राय ' वा वन्थए,(नो से कप्पर एगगयाओ वा दुशयाओ वा पर वत्थए) . 'जे तत्व एगरायाओ वा टुरायाओ वा परं वसेज्जा से सन्तरा छए चा परिहार वा २५०॥सू.६॥ उबस्सयस्स अंतो वगाए सवरा - इए पईवे दिप्पेज्जा जो कप्यइ निगान्धाण वा निग्गन्धीण वा अहा. / लन्दमवि वत्थए, डुरत्या य उवस्मयं पडिलेहमाणे जो लभेजा एवं से कप्पड़ एगराय वा दुराय वा वन्थए, (जो से कप्यइ एगगयानो . बा दुगयाओ वा पर पत्थए.)जे तत्व एसयाओ चा दुशयाओ. वा परं वसेज्जा मे सन्तरा छैए वा परिहारे वा 263 // 0 // उवस्मयम्म - अंतो वगाए पिए वा लोयए घा वीर वा दार वा सोप्य वाजवणीए' बातेले चा फाणियं वा पूर्व वा सक्कुली चा सिरिरिणी वा विश्वाताणि ( ओकिण्णाणि) वा चिक्त्यित्ताणि ( विकिण्णाणि)वा विगिण्णाणिवा विप्य३ण्णाणि वा जो कप्पड निगराधाण वा निगान्धीण चा अहालान्द / मवि चन्थए 269 / / ..8 / भर पुण एच जाणेज्जा जो विस्ताणि (भौकिमाई) जो विविधत्ताणि (चविखण्णा) जो विकिण्णाणि नो , विप्पडण्णाई सिकराणि वा भितिकाणि वा पुनकराणि वा कुलिया काणि वा लछियाणि वा मुहियाणि वा पिडियाणि . चा कप्यइ निगान्धाण वा जिग्गन्धीण वा हैमतगिम्हास बन्धए सू.९॥ .. . पुण एवं जाणेज्जा जो रामिणाडाइ जान जो भितिराइ कौडाउत्ताणि $ $$$$$ $$$$ $ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免染免密免密免染染染莎 श्री बृहत्कल्पसूत्रं / उद्देशक 2] [ 7] वा पन्ना उत्ताणि वा मच्चाउनणि वा मा.लाताणि वा कुम्भिव नाणि वा करभिउत्ताणि चा भोगिताणि / चिलि ताण वा पिडियाणि या जञ्ज्यिाणि वा मुहि याणि या कप्पर जिगाया जिगान्धीण का जामातास च-सए १०४.स.१०॥ जो कप्प: जिगन्धी अहे आगम गिरसि चा विस गिह सि च वसीभूलसि चा स्वयमूलंसि चा . भावगासियमिता भए ३००।।.११॥कम्पइ निगल्याणं आहे आगभर्णागहंसि चा लिलागिरं मिला वसीमूलंसि वा सम्धभूमि ला अमालगासियोस चा चपए ३.सू.१२॥ एगे सारिए पारिहारिए रो तिो चत्तानि पञ्च सागारिया पारिहानिया एवं न.५] (कप्याग डवइत्ता अरसे से जिविसेज्जा 3.05' / / सू.१३॥ जो कम्यद निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा सागारियपिएं बहिया अनीहर असमटू संसह वा पोरगादतः 386 / / सू. १४-१५॥नो कप्पइ निग ज्याण वा जिम धीण वा मासारियांपएं बहिया जीहरं असंमढूं पडिग्गाहे त्तए ।।सू.१७॥ कप्पद निगन्धाण वा जिग्गंधीण वा सागा. रियपिण्डं बहिया जीहई सत्सर्टी परिगगाहेत्तए।सू.१०॥जो कप्यइ निधाण वा निगान्धीण वा सागारियपिएं बहिया जीहरं अस सटुं संसटुं करेत्तए, जो पगु निगान्धो वा निधी व सावि. यपिएं बहिया जीह असंसर्दू संसकहे करन्तं वा साइजइ . से दुह ओ पीइकममाणे आरज्जइ चाउम्मामियं पविहारहाण भण घाइयं ४१॥सू.१८॥ सामरियस भाइडिया सापारिएणं पार गरिता. तम्हा दावए जो से कप्पर परि गाहेत्तए / / .. 17 / / मागारियरस आइडिया सागारिएणों अपरिगाहिता तम्हा दावा एवं से कप्पडू परि गगाहेत्तए ४२.॥सू.२०।। मागारियस्य नोहर या परे। अपरिगडिता तम्हा दाबए जो से कप्पद पोरेगाारतए ॥सू.२१॥ सागारियस जीडिया परेण परिगडिता तम्हा दावाए एवं से कप्पई परि गाहे तए 28 ॥सू.२३।। सागायिकर अमिमाओ अविभनाओ अमोज्निाभो अयोगराओ अजिज्नुढाभो तम्हा दाबए नो से माह परिगाहेत्तए / 053 // मागारियस अभियान FREEEEEEEEES Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [vra श्री आगम सुधा मि-पु. नवमो विभागः / विभनाओ वोच्छिन्नाभी बोगी निज्जूठाऔ तम्रा दावए एवं ने प्पा पोरगाहेत्तए 2 .24 // सागारयस्स पूयाभन्ने उद्देलिए चेहए पारियाए सागरियस्म उवगरणजाए निदिए निम पारिहारिए न सारि.मो देड सागारियम्स परिजणो दे३ तम्हा दावए नो से कप परिपारि नएस.२५॥सागरियस्य पूयाभते उद्देसिए चेदए / जाब परिहारिए तं जो सागरिओ दे जो सागारियम्म परिजणों : दे३ सापारियरस पूया देइ तम्हा दावए नो से कप्पइ परिम्गाहिए ॥स.२६॥ सागरियम्स पूयाभते उद्देसिए चेहए पाहरियाए सागारि. यस्य उत्त्याराणजाए निदिए निसटू अपरिहारिए तं सागारिओ दो सागारियम्स परिजणो वा दे तम्हा दावए जो से कप्पड़ परिगाहेत ॥सू.२०॥ सागारियम्स पूयाभते जाव अपरिहारिए तं जो सागारिओ दे जी सागारियस्म परिजणो देरे सागारियम्म पूया दे तम्। दावए एवं से कप्पद परिग्गाहे त्तए '४४४||सू.२८॥ कप्पर निगाथा वा निगान्धीण वा इमाई पञ्च वधाइ धास्तए वा परिह रित्तए वा तं जरा-जड़िए भलिए साणए पोत्तए तिरीउपहे जाम पञ्चमे ||मू. : कप्यइ निगान्धाण वा निगान्धीण वा इमाई पञ्च रयहरणारधारे- ' 'त्तए वा परिहरिनाए वा, तंजरा ओण्णिए उदिए माणए वच्चांच(विप्पावि प्याए मुञ्चचिप्पिएच जाम पञ्चमेनिम 464.30 // बीइभी उद्देमी // 2 . . अथ तृतीयोद्देशकः) ___--- जो कप्पर निगन्याण निगमधीणं उवस्मयसिमा महत्तए वा) चित्तिए वा जिमीइत्तए वा तुर्याहत्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइनए वा असणं वा / आहा आहारत्तए उच्चारं चा पासवणं चायेजला मिटाणं वा परिवेत्तए सझार्य वा करतए झाणं वा झाइत्तए कारस्सम वा ठाणं वा हाइत्तए:१२३ ॥सू.१॥जो कप्यइ निगान्धी.. U निपाण उवरसयंसि आसइत्तए वा-चिहितए ला जाव ठाण, हाइत्तए १६६॥सू.२॥ जो कप्पइ जिग्गंधाण सोमा चम्माई / $ $$ $$$ $$$$$ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222222222222 श्री बृहत्कल्पसूत्रं उद्देशकः 3] [49] अहिदित्तए 1 .3 // कय्यद निगान्धाणं सलोमाइंचम्माई अधिदित्तए,सेवि य पौरभूते नो चेव गं अपरिभूते,सेवि य पाहि. शरिए नो चेव णं अपरिहारिए,सेवि य एगराइए नौ चेव गं अणैगराइए'१४|सू.४ामो कप्पइ निगान्माण वा निगान्धीण त्रा कसिणाइ चम्माइंधारित्तए का परिहरित्तए ना 1915 // कप्पइ निग्गन्धाण वा निधीण वा असिणाई चम्माई धारि. नए वा परिहरित्तए वा १९ासू.॥नो कप्पड निगान्धाण वा निगान्धीण वा कन्सिणाई वधाई धारित्तए वा परिहस्तिए वा.कप्पइ निगान्धाण वा निगान्धीण वा अकसिणाई वत्थाई पारित्तए वा परिरित्तए वा २३७॥सू.॥जो कप्पइ निमांधाण वा निग्गन्धीण वा अभिन्नाइवत्थाई धारितएमा परिहस्तिए या कप्पर निगान्धाण वा निग्गन्धीण वा भिन्नाई वधाई धारिनए वा परिहारत्तए वा १७॥सू.८॥जो कप्पर निगांधाणे - हणन्तगं वा उग्राहपट्टगं ना धारितए वा परिहरितए वा 22 // सू.९॥कप्पर निगान्धीण उग्गहणन्तगं वा उगगह (ओगाहण)पट्टः ग वा धारितए वा परिहरित्तए वा' ५॥सू.१०॥ निगगंधीए य गाहावकुल पिण्डवायपडियाए अणुप्पविद्वाए चैलदै समुप्पजेज्जा नो से कप्पह अप्पणो निस्साए चेलं पडिग्गाहेत्तए कप्पाइ से पत्तिणी निस्साए चैलं पडिग्गाहेत्तए जो य से तत्व पर्वात. णी समाणी मिया जै तत्व सामाणे आयरिए वा उचन्झाए वा पवत्ती वा धेरे वा गणी या गणहरै वा गणावच्छेदए वा जंच पुर ओ कटु विहरति कप्या से तन्नीमाए चेतां पडिग्गाहेत्तए '505' ॥स.निग्गन्धस्स तप्पटमयाए संपवयमाणम्स कम्पहरय रणगोच्छगपरिगाहमायाए तिहि य कमिणेहि आयाए संपव्यत्तए,से य पुष्योवहिए मिया एयं से नो कप्य रयहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए तिहि य कमिणे िवत्यहिँ आयाए संपन्य. सए,कप्प३ से अहापरिगाडियाई वधाई हाय आयाए मंग. वस्तए'५५०॥सू.१२॥ निगान्धीए गं तप्पटमयाए मंपव्वयमा FREERRRRRRRRRE Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / [50 श्री आगम मुया मि-धु नवमो विभाग पीए कप्यइ से रयहरणगोच्छगोरगाहमायाए चाहिँ कमिणेहि वत्धेहि आयाए संपव्यक्त्तए,सा य पुचोवडिया मिया एवं से नो कम्पइ रयहरणगौच्छगपडिग्गहमायाए चई कमिणेहिं बत्यहिं आयाए संपव्यस्तए,कप्पर से अहापरिग्गहियाई वत्या गहाय आयाए संघव्यरत्तए 552 ॥२.१३॥नो कप्पर निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा पटमसमोसरणुदे सपत्ताई चेलाई / परिगाहेलए, कप्पा निगान्धाण वा निगान्धीण वा दोन्चममोम-.. रणुद्देसपत्ताई चेलाइ पडिगाडेत्तए १२४॥सू.शाकप्य निर्गधाण वा निगंधीण वा अहाराइणियाए चेलाई पडि गाहे-लए 6683 // 1.15 // कप्पड निगगंधाण वा निगांधीण वा अहाराइणियाए सेज्जासंधारयं पढिगारेत्तए'७२९ ।।.१७कया निर्ण धाण वा निम्गंधीण वा महाराइणियाए चिम्म कतिए ॥सू.७॥जो कप्पर जिग्गंधाण वा निग्गीण वा अतरगिएं सि चिडित्तए वा (आमवृत्तए वा) निमाइत्तए वा तुहित्तए वा निदाइत्तए जा पयलाइत्तए चा असणं वा 4 आहारमाहारेत्तए उधारचा 4 एसज्झाय करतए झाणं वा साइत्तए कापुस्सयां , जा डाण वा डाइत्तए,अह पुण एवं जाणेज्जा वाहिए नानण्णे तक स्सी दब्बले किलन्ते (जज्जरिए)मुच्छेऊन जायज वा एव से कम्मर भतर्रागई सि चित्तिए वा नाव हाण प्रा हात्तए '1' ॥सू.१८: . कप्या निम्मांधाण वा जिपी अंतरगिडमि जाव : चउगाह वा पचगाहं वा आइकियत्तए वा विभाचित्तए या किहितए वा पवैइनए वा नन्नत्य एगनाए वा एगवातारणे वा एगगाहाए वा एगमिलोएण वा, सेविय हिया,जो चेव गं दिया' 5.5' . ॥सू.११॥नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण या अतगिह मि इमाई पंच महचयाई सभावणाई आइक्वित्तए वा जाव पोलए वा जन्नत्य एगनाए वा जाव एगसिलोएण वा. सेवि यडियानो चेव गं अद्विधा'५३।सू.२०॥ नो कप्पा निग्गंधाण वा निग्गी वा पडियारियं सेज्जासंधारयं आयाए अपडिहरदु संपबचए SSSSSSSSSS Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRY श्री बृहत्कल्प सूत्र उद्देशक 3] '२५॥सू.२॥ नो कप्पर निगांधाण वा जिग्गंधीण वा सागरिय संतियं सेज्जासंधारयं आयाए अविगरणं (25) कटु सच्याइत्तए कप्पा निगांधाण वानिगाधीण वा पाडिहरियं वा सागोरेयसीले यं वा सेज्जा मंधारयं आयाए विगरणं कटु संपन्नइत्तए 130 // सू.. ॥इह स्खलु निगाधाण वा निगांधीण वा पाहिहारिए वा सागारियमति ए वा सेज्जासंधारए विप्पणमज्जा परिभट्टे सिया से य अणुगवेसि यच्चे, सिया से य अणुगवेसमाणे लभेजा तस्सेव अणुप(परियाय ये, सिया से य अणुगयेसमाणे नो लभेज्जा एवं से कप्यइ दौञ्चोप उग्गहं अणुण्णवेत्ता ओगिपित्ता) परिहार परिहरित्तए 164 // .23 // जोहवस चणं समणा निग्गंधा सेज्जासंधारयं विप्पजहंति दिवस च जे अबरे समणा निगांधा हव्यमागच्छेज्जा सवेव ओगाहस्स पु. वाणुन्नवणा चिद् अहालन्दमवि उग्गहे॥सू.२४॥ अस्थि या इत्य कई उवस्मयपरियावन्नए अचित्ते परिहरणारिहे सचेच उग्गहस्म पुष्टाणुन्नवणा चिटुइ अहालन्दमवि उगडे १०१८'सू.२५॥ मे वत्सु अध्वावडेसु अव्योगडेमु अपरपरिहिएमु अमर पनि गाह एसुस व उगहम्स पुयाणुन्नवणा चिटुइ अहालन्दवि उग्गहे ॥स.२६॥से वधूम वावडेसु वोगडे परपरिणहिए भिम्भावस्स अदाए दोषि उग्गहे अणुन्न चेयव्ये मिया अहालन्द मवि उग्गई ५०॥सू.२०॥से अणुकुसु वा अणुभित्तीमु वा अणु चरियासु वा अणुफरिहामु वा अणुपंधे वा अणुमेरासु वा स चैव गहस्स पुवाणुन्नवणा चिटुइ अडालन्दमवि उग्गहे '111.20 // / से गामंसि वा जाव रायहाणीए संनिवेससि वा बहिया सेण्णं मान विद पेहाए कप्पा निग्गंधाण वा निग्गंधीण वाताहवसं भिवरचाय रियाए गंतूणं परिनियत्तए,जो से कप्य तं रयणि तत्व उवाइ गावेत्तए जोखलु निग्गंधे वा निगगंधी वा तं रयणि तत्धेव उवा इणायेई उयाइणावेंतं वा साइज्जइ से दुइओ अइक्कममाणे आवज्जर चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं ११५५'।सू.२१॥से गामंमि वा नाव संनिवेससि वा कप्पइ निगगंधाण वा निग्गंधीण या सचओ కనకదురు Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免染染免染染免染染途免 [52] श्री आगम मुधा सिन्धु नवमो विभाग / समंता सक्कोसं जोयणं उग्गहं ओगिमिहत्ताणं चित्तिए तिमि ॥१२॥सू.३॥ तइओ उद्देशओ // 3 // अथ चतुर्थों देशकः। तओ अणुग्घाझ्या पन्नत्ता, तं जहा-हत्यकम्म करमाणे मेहुणं परिसेवमाणे राईभोयणं भुञ्जमाणे ७२'।सू.॥तओ पारं चिया पन्नत्ता, तंजहा-दुट्टे पारंचिए पमन्ते पारंचिए अनमन्नं .. करेमाणे पारंचिएपासू.२॥नओ अणवदप्या पन्नत्ता,तंजहा साहम्मियाण ते करमाणे अन्नधम्मियाणं तेन्नं करेमाणे हत्यायाल (हस्थालंबं अन्यादाणं) दलमाणे 262 स.३॥ तओनो कप्पं ति पध्यात्तए, तंजहा पण्डए पाइए की ३१४॥सू.॥एवं मुण्ड वेतए सिकरवावेत्तए (मेहावित्तए) उवहाचेत्तए संभुवित्तए संयमि। नए 325 / / सू.५॥ तो जो कप्पन्ति बाएनए,नजहा- अवि। जीए विगईपडि बढे अविओमवियपाहुरे, तो अप्पन्ति वाएत्तए तंजहा -विणीए नौविगई परिबद्ध विओस वियपाहडे 335 // // तो दुस्सन्नप्या पन्नत्ता,तंजहा-दुढे मूटे बुग्गाहिए'३५८ // // नओ सुस्मन्नप्या पन्नता, तंजहा-अदु अमूठे अबुग्गा: हिए'३६॥॥निग्गंधि च गं गिलायमाणि पिया वा भाया वा पुत्त वा पलिस्मएज्जा तं च निग्गन्धी साइजेज्जा मेहणपडि. सेवणपत्ता आवज्जइ चाउम्मामियं परिहारट्राणं अणुग्घाइयं३८७॥सू. // निग्गंचिंचणं गिलायमाणिं माया वा भगिणी वा धूया वा पलिस्साएज्जा तच निग्गन्धे साइनेज्जा मेहुणपतिसेवणपत्नै आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइय।सू.१॥ नो कप्पइ निग्गन्धाण वा निगमधीण बा असणं वा पठमाए पौरिमीए पडिग्गाहेता पच्छिम चाटिषं पोरिमि उवाइणावेत. ए. से य आहच्च उवाइणाविए सिया तं जो अप्पणा भश्रेजा नो अन्नेसिं अणुप्यदेज्जा एगन्तै अाफामुए चरिले पए मे परिलहिता पमज्जि-ना परिवेयवे सिया त अप्रणा सुचमा FEESEFREERSESSESS Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免免染染免染染染免染染免染染 ' श्री बृहत्कल्प सूत्र : उद्देशक 4] [53] ' णे अन्नेसि वा दल (अणुप्पटे माणे भावज्जर सम्मासिय परिहा रहाणं उग्धाइयं ॥सू.१॥नो कप्य निगान्धाण वा निगान्धी त्रा असणं वा पर अद्ध जोयणमेराए उवाइणावेत्तए से घ माहच्छ उवाइणाविए सिया तं जो अप्पणा भुजेज्जा नो अन्ने मि अणु प्यदे ज्जा एगन्ते बहुफामुए पए से परिलहिता पमंजित्ता परिवेयले मिया, अप्पणा भुञ्जमाणे अन्लेमि वा दलमाणे आव ज्जइ चा3म्मासिय परिहारष्ट्राणं उग्घाइय 439 / . 12 // जिगन्धेण य गाह चरकल पिण्वायरियाए अणुप्यौवढे अन्जयरे चिते अणेस 'णजे पाणभोयणे पडिग्गाहिए मिया त्धि य त्य केइ मेरतराए भणुबट्टावियए कप्पइ से तम्म दाउ अणुप्पदावा, नन्धि य इत्य केई सेहतराए अण्वाचियए त जो अप्पणा भुनेजा नो अन्नर दायए (अणुप्पटेज्जा) एगन्ते बह फासुए पएसे परिलहिता पमजिने परिवेयव्चे सिया'१६३॥सू.१३॥जे करे कप्पटियाणं कप्पा के अकदियाणं नो से कप्पइ कटियाणं, जे करे अकहियाण / नो से कप्पइ कहियाणं कप्पद से अकड़ियाण, कप्ये हिया कप्पडिया अकप्पे हिया अकटिया .14 // भिक्यू य गणाओ अवकुम इच्छेज्जा अन्ज गण ग विह दिए नौ से कंप्यइ अणापूच्छित्ताणं आरियं वा उवज्झायं चा पनि / वा घेरं वा गणि वा गणहरं वा गणावच्छहयं वा अन्नं गणं उवस. पज्जिनाण विहरिनए, कप्पड़ से आपुच्छिन्ना आयरिय वा जाव गणाचच्छेइयं वा अन्नं गण उपसंपज्जित्ताण विहरितए, य मे वियरेजा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए,तेय मेनो कियरेज्जा एवं से नो कप्पड अन्नं गणं उचसज्जिनाणं वितरिनए '५४॥सू.१५॥ गणाचच्छेइए य गणाओ अवकुम्म इच्छज्जा अन्ज गण उवसंपज्जित्ताणं विह रित्तए नो कप्पर गणावच्छेक्यस्म गणावच्छइयत्तं अनिविघवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताण विहस्तिए,कप्य मे गणाचच्छेद्यस्म गणाचच्छेश्य निवियचित्ता अन्नं गणं उवसंपजि नाणं वि रित्तए नो से कप्य अणापुच्छिता आयरियं FFERESERPRESS Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2RRRRRRRRRRA [5 ] श्री भागम सुधा मि-यु: 0 नवमो विभाग वा जाव गणाचच्छेइयं वा अन्नं गण उपसंपज्जिनाणं बिहरिनए, कप्या से आपुच्छित्ता भायोग्यं वा जाय गणावच्छेइयं वा अन्नं गण उपसंपन्निनाणं विहरितए ने च मे वियरेज्जा एवं मे कप्पर अन्नं गण ग्वमंजिनमा विहरिनार ते य से नो नियमित एव में नो कण में नं गण उवमपन्जिना विहरिनाए ॥सू.१६॥ आयरियाबमाए गणाभो भत्रकम्मरोज' भन्न गण उपसंपतिनाण बिहरिनए,लो मे कप्या भारियायन्नायस आयरियावज्झायन अनिक्रियविना अन्नं ) उपसज्जित्ताणं बिहस्तिए,कप्पइसे आयरियावन्नायम आयरियजमायनं निविस्ववित्ता अन्न गणं उचसंपन्जिताण विहरितए, नो से कप्प अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणायच्चोय वा अन्नं गण उपसंपजिनाणे यिरित्तए,कप्या से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेद्यं त्रा अन्नं. गणं उपसंपजिना विहरित्तए,ते यसे वियरेज्जा एवं कपइ भन्नं गणं उपसंपन्जित्ताणं विस्तिए तेय मेनो चियरेन्जा एवं को मप्पा अन्नं गण उपसंपजि-ताणं विहान नए 577.7 // भिम्स य पणाभो अचम्मइच्छेज्जा अन्न गण संभोगपरियाए उनपनि ना बिहरितए नो से कप्या भण्णा पुचित ला आयरिय वा उखन्झायं का पति वा धेचा गणि वा गणहर का गणावच्छइयत्रा अन्न गणं सभोगपरियाए उनसंपज्जिताण विरितए, कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेऽयं वा अन्न गण संभोगपडियाए उरसंपज्जिताण विह रित्तए, य में वियरेजा एव से कप्पा अन्नं गणं संभोगपरि घाए उघसंपन्जिताण विहरिनए,ते य से नो वियरेन्जा एवं मे जो कप्पर अन्नं गण भभीगपीडयाए उबसंपज्जिमाण विहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविणयं लभे ज्जा एकमेकम्पा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवमपन्जित्ताणं विह रिलए जत्युत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पड अन्न गणं संभोगपडियाप उनसंपज्जित्ताणं विहरित्तए '5941 // सू.१८॥ गणार-इए 2 गणाओ अवलम्म उच्छज्जा अन्नं गणे संभोगपरियाए उवमज्जिनाणं विहरितए नौ से कप्य गणापच्छे यस्म ដូ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'श्री बृहत्कल्पसूत्रं / उद्देशकः 4) 55] . गणाव छेउ यत्तं भनिविखविता सभोगारियाए उव संपजिनाणं विहरित्तए कप्य से पच्छे यस्य गच्छद्रय निविस्यविना अन्नं Mi संभोगारिया सरपोजना बिपिनाए नो से कप्पर अगाछित्ता आय रिस वा नाव पाचच्छेदय वा अन्न 7 संभोगपरियाए उचसज्जिताया कि हरिता मापार से भापच्छिन्ना भारिय वा जाच गणारच्छेद्यं बा भन्न IT सभोगारियाए उत्सज्जिताण चिहस्तिए ते य से चियरोट एच मे कप्प भन्ने सभोऽपरियारः उवमपज्जिताण विहोरनए तेय से जो विटारति एल मे जो कप्पर अन्न गण संभोगपरियाए उवमपन्जिनाणं विस्तिए जन्तरिय धमविणय लभेज्जा एव से कप्य अन्न | मंभो. गपटिगा उत्तमज्जिताण विहरित्तए जत्युत्तरिय धम्मोवणय नो लभेजा एवं से नो माया अन्न ' संभोगपरियाए उवसपजित्ताण विह रित्तर ॥सू.१९॥ भायरिय उवज्झाए य गणाभो अबक्म्म इच्छज्जा अन्न गण संभोगपरियाए उत्तसंपज्जितात विहरितए नो से कप्पइ आयरियावज्झायरस आयरियालझायन अनिटिविता संभोगपोउयाए उम्मपज्जिताण विहः रित्तए कपड़ से आरियउयज्झायन्स भारियउवझायत्तं निक्रियांवताण अन्ला | सभोगपोरयाए उचमपजिन्ना विहरिनए नो से कप्पड़ अणापुच्छित्ता भायरिय ला जातर गणावच्छेश्य वा अन्जन गण मभोग परि. याए उवमपज्जिताण चिहरितः, कप्पा से आपुच्छिन्ना आर्याश्य वा जा व गणाच्या अन्न गण मभोगपरियाए उव संपज्जिताण वितरित्तए. ते य से वियति एवं से कप्पर अन्न गण संभोरापरिधाए उक्सपजिलाणं विहरित्तए, ने य मे जो वियति एव से जो कप्पा अन्नं गण संभोगपरियाए उवमरजिना वित्तिए जल्धुत्तरियं धम्मविणय लभेज्जा एवं से कप्य. 3 अन्ज IT सभापडियाए उवसपोज्जत्ता विह रित्तए जत्थूत्तरिय ध.. म्भवणय जो लभेजा एव से जो कप्पइ अन्नं गणं मंभोगपरियाए उम्म. पज्जित्ता वित्तिय ॥सू.२०॥ भिवस्य य इच्छेज्जा अन्न आयरिय वज्झाय उहिसावेत्तए,जो में कप्या अणापुच्छिता आयरिय वा जाव गणावच्छेद्य वा अन्ज आयरियावज्झायं उहिसावेत्तए, कप्पद से आ. पुच्छित्ता मारिय चा जाच गणाचच्छेद्यं वा अन्ज आयरियवयाय PREssRESSES Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免免染染杂杂杂杂杂杂杂杂杂免 856] श्री आगम मुधा सिन्धुः नवमो विभाग उडिसाचेत्तए ते य से वियरति एवं से कप्पर अन्नं आरियउवमाय हिसारता तेयसेन वियरन्ति एवं सेनो कप्पर अन्न भायरिया ज्झायं उहिमाचेत्तए नो से कप्पर तेमि कारण अदीचेता अन्नं आयरिय. उवमायं उहि मावेनाए कप्य में तेमि कारणां दीपेना अन्नं आरिय उवज्झायं उहिमाचेत्तए / / मू.२१॥ गणावच्छेइए य इच्छेज्जा अन्नं आय. रियउवझायं उहिमाचेनए, नी में कप्पद गणायच्छेश्यम्स गणावच्छेश्यनं अनिविल्यवित्ता अन्नं भायरिय उवज्झाय उहिसावेत्तए,कप्प मे गणाव. च्छड्याम्म गणान्छेइरानं नितिविना अन्नं आयरियउबज्मायं उहिसालेचाए, जो मे काय अणापुच्छित्ता भारा वा जाच गणावच्छ. / इयं टा अन्न भारियावन्माय उहिमाचेनए, कप्प३ मे आपुच्छिना भा. यरियं प्रा जाव गणाच्छयं वा अन्न आयरियउवज्झायं हेमावेतए तेय से वियरंति एवं ले कर अन्न आयरियावज्झायं उदिसास्तए,ते.य से नो वियरति एवं से नो कप्पइ अन्नं भारियाचा उहिमाचेत्तएजी से कप्पड तेसि कारण अदीवेत्ता अन्न आयारयउब ज्मायं उहि मावेजए.पाइ मेनोस कारण दत्ता भन्नं पायरिय : वा उवझाय वा उहिमाचेत्तए 617 // . 22 / / आयरियउवज्झाए य इच्छज्जा अन्न भायरिय उवमायं उद्दिभावत्ता नो में कप्पड आय. * रिय उवज्झायरस। भायोग्यउचझायन भनिकियोवेना अन्न आय रियउवमाय उहिसावितए कप्पड़ में भारिपाउयज्झास्तनिकियोक्ता अन्न भायरिय-रचन्झाय हिसाविता नो मे कम्पई अणापुच्छित्ता आयोग्यचा जाबछेरा भन्न भायरिय बझायं उहिमारे नए कप्पड़ मे भाच्छिन्न भायरिय वा जाळ गणायच्छइयं वा अन्नं आयरियउवमाय रहिमाचता ते य में वियति एवं मे कम्पा अन्लं आरि. यवझायं उदिसावेना ने यमे ने चियति एवं से जो कप्पड अन्न भायरिया पवना उहिमानएने से कप्पर तैसि कारण अदीवेत्ता अन्नं आयोग्य उवजमाय उहिमाचे-नए कप्पर में तेमिं कारण दीवेता अन्नं आय. . रिय-बज्माय उहिसावेत्तए २'"सू.२३॥ भिवायू य शओ वा वियाले बग आइक वीसुभेजा ने च मरीर मेई चेयावच्चकरा भिक्यू इच्छज्जा REPRESEEEEEEEEEE Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22812 श्री बृह-कल्य सूत्र के उद्देशकः 4] [57] पाते बहुफामुए पएमे पोरवेलए अत्धि य इत्य का सागारियमंतिए उवगरणजाए चिने परिहरणारिहे कप्पर से सागारकडे गहाय त सरी. रा एगंते बहफार पारी परिवेत्ता तत्व उनि कवियध्ये सिया '६९.'।सू.२४ // भिव य आहारण कटु तं औरणं अविभोसवेता नो से कप्प३ गाहावइकुल भत्ताए या पााए वा निकमित्तए वा पविमित्तए वा अहिया विहारभूमि वा विद्यारभूमि वा निमित्तए वा परिसित्तर ला, गामाणमाम इज्जित्तए गणामी या गणं संमित्तए वा. सावास वा बत्थर, जन्धेव अप्पणी भारियउवमायं पासैज्जा बहुस्सुयं (तस्संतिए भालोएज्जा इत्यादि पा.) अज्झा(भा खा) गम कप्पा से तस्सन्तिए भालोएत्तए परिमित्ता, निन्दित्तए गरिहित्तए विउत्तिए वि. सोहितए अकरणाए भभुदिना, भरि पाच्छित तवो कम्म परिजि. तए से य एवं पािः भाइयच्चे मिया. मे य सुए जो पविए ने भाइयव्ये सिय सै८ मुए प्रविज्जमाने भाइयइ से निज्नहियव्ये सिया ' स.२५ परिवारकाप्योदय भिकस्म कप्पर आरि यउज्झाए : नदियम एगीराम घिरवाय दयावेत्तए तेण पर लो मे कप्पा असणं वा 4 दार व मणप्पदा वा कप्यार में अन्नयर वेयार रिय करेत्तए, जहा - उद्राचा निम्मी व घटाव वा च्या रपासवणस्त जलसियाणाः चणा व विमे हा बा करेनए, मह पुण एव जाणेज्ज' छिन्नमम पंधेर तवम भाउ झिझिए विवालिए दुखल मुच्छज्ज व प्रवडेज वा एव से कप्पड असण. वदा जगप्पदा सू.२६॥जो कप्पर निगराधा, वा ज ब म अ च महण्णवामी महानईओ उदि हामी गोपाभ चोख्याअं. अते मासम्म टुक्ने वा तिक्युन वा उत्तरित. एव सतोरन वा. जहा - 7 जण सरयू कोमिया मही // .27 // अह पुण एव जाणेज्जाएरावई कणालाए जा चकिया एक पाय जले किच्या एग पाय पले किच्यः एव कप्प असे मासस्स दुल्त्सेवा नियम तो वा उत्तरित्तए वा सतरित्तए वा, जन्ध एवं जो चकिया एवं गंजो क. प्पड अंतो मासस्म दुवभूत्तो वा तिक्त्ती चा उत्तरितए वा संतरित्तए FREEEEEEEFFERE Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्री आगम सुध सिन्धु मवमो विभाग घा १८८।सू.२८ / / से तणेसु या तणपुजैनु वा पलालेसुवा पलाल पुलेसु वा अप्पडेसु आप्पपाणे अयबीएस अप्पहरिएम अप्यो सेम अप्युन्नि:पण दामोद्दे यमक मताणएमु अहेमवणमायाए जो कप्यतु निगाया जा जिग्गन्धा का तम उवम्सार मन्तगिम्हासु असार 29 में तो न जा मला एनु वा उपपत्र मायाए क्रार निसान्धाण वानव नहप्याने उचम्मए हेमन्त :कामु अ-पए "सू.३० में नासु वा जाव सताएमु भई ग्यो मुक मासु नो कप्पड़ गाया गान्धाण वा नहपगारे उम्मए - यासाचास वन्थए।सू. 31 // से नणेमु या जाच संताणएमु उपायणि. मुफमउडेसु कप्पड़ लेगानधाण वालि मान्धारा वानप्यागारे उवस्मए वामानाम ल्याएतिमि 805 // मू.३२।। 3धी उद्देसभी // 4 . / / अथ पञ्चमोद्देशकः // देरे यत्यिस्य विउव्यित्ता निगम पोरे गारेज्जा व च निगान्धे साइज्जेज्जा मेहुणपडिवणपने आवज्जा घाउम्मासिय परिहारहाण अणुग्धाइय ।।सू.१॥ देवी य इन्धिखवं विउवित्ता जिग-धं पडिग्गाहज्जा न च निगान्धे साइज्जेज्जा मेहुण पाद मेवणपसे आवज्जइ चाउम्मासिय परिहारहाणा अणुग्घाय / / .2 // देवी य पुरिसस्वं विउनिला निगन्धि परिगाहे ज्जा तं च निगान्धी माइजेज्जा मेडणपोडसेवणपत्ता भाज्जइ चाउम्मामिय पोरे - कारहाणं अणुग्घाइयं ४४।।सू.३।। देवे य पुरिसरूवं विउ वित्ता निग्गन्धी पाडेगारेज्जा तं च जिगन्धी साइज्जेज्जा मेहुण पतिसेवणवत्ता आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्राणं अणुग्घाइयं ॥स. 4 // भिक्खू य अहिगरण कट्टु ले अहिगरण अविभोसवेत्ता इच्छेज्ज। अन्नं गण उवसंपज्जित्ताणं विरित्तए,कप्पइ तस्स पञ्च राइं दियाई शेय कट्टु परिणि नविय 2 टोचपि तमेव गण / परिजिज्जाएयव्वे मिया जहा बा तस्स गणम्स पत्तियं सिया 10.' स.५॥भिक्खू य उगायोवत्ताए (उगायमुत्ताए) अणत्यामय. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीबृहत्कल्पसूत्रं : उद्देशकः 5] [59] संकप्य संघरिए निवि गिच्छे (हासमावण्णेणं अप्पाणे असणं वा 4 पीरगगाहेत्ता आहारमाहारेमाणे भर पच्छा जाणेज्जा-अणुग्गए सूरिए / अन्धमिए वा में जं च आसयंसि जंच पाणिनि जच परिगहे तं विगिश्चमाणे वा बि.सोरेमाणे वा नो अइकमइत अप्पा भुजेमाणे अग्नेमि वा दलमाणे (अणुप्पटेमाणे) भौयण परिक्षेत्रणपत्ते आव जा चाउम्भासियं परिहारहाण अणुग्धाइय ।।सू.६॥ भिक्खू य उगायवित्तीय अणयमियसंकप्पे सोडए विगिच्छाममाचन्ने असणं या पोरगाहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा-अणुगए सूशिर अत्यमिए वा, मे जं च आसयसिमुहे)जं च पाणिमि जंच परिगहे - विपिञ्चमाणे वा विमोहेमाणे वा नो अकमइ त अप्पणा भुजमाणे भन्ने मित्रा दलमाणे राइभो यणपरिमेवणापत्ते आबज्जर चारम्मासियं परिहारात अणुग्घाइयासू.७।। भिकधू य उग्गायविः / सीए अणत्यामयसंकप्ये असंघठिए निबिगिच्छे अमण वा पोपाहे तो आहारमाहारेमाणे अपरछ जाणेज्जा अणुगए सुरिए अत्यमिए वा, से जच भासयसि जच शोणास न च पडिगो त विगिश्चमाणे वा, लिमोहेमाणे वा नाममइ त सप्पणा भुञ्जमाणे अन्नेसि वा लमाणे राइ / भोयणपार सेवगपत्नै चाउम्मासिय परिहारहाणं अणुराइयं // 2.8 // भिस्म य उम्गवित्तीए अणामयसंकप्पे असंघडिए विगिच्छासमाचन्ने अस. नवा पडिग्गाहेत्ता आगरमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा अणुग्गए भूरिए अमिए वा, मे जंच मुहे जंच पाणिमि जंच परिणामि विगिञ्चमाणे वा विमोहेमाणे वा न कुमइ तं अप्पणा भुञ्जमाणे अन्नेमि वा दलमागे राइभोयणरि मेधणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासिय परिहारहाण भाग्याइयं 145 मू. ए चल निग्गन्धस्स वा निग्गन्धीए वा रामो वा चियाले बा मघाणे सभोयणे उग्गाले आगच्छेज्जा नै विगिञ्चमाणे वा चिसोहेमाणे वा जो अइ कम३ तं उगिलिता पच्चोगिलमाणे राइ भोया परिसेवणपत्ते आवज चाउम्मासियं परिहारदाणं अणुग्घाइयं '19911सू.१मा निगन्धस्स य गाहावाकुल पिएचायरियाए भणुप्पविदस्स अंतो पउिगाहमि मै पाणे वा बीए वा रए वा पोरयावज्जैज्जा तं च संचाएर विगिश्चित्तए वा विमोहितए वा तओ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARRRRRRRRRASTRA श्री आगम सुधा सन्यु बनो विभाग पुष्यामेव आलोप्या 2 विमोहिया 2 तभी संजयामेव भुनेज वा पिएज्ज वातंचनो संचाएर विगिक्षत्तए वा चिमोत्तए वा तं नो अप्पणा भु - ज्जा नो अन्नेसि दायए एगन्ते बहपानए पएमे धरिले) परिलवितात. मज्जित्ता परिवेयच्चे मिया 213 म.११॥ नमानस य गावकुल पिण्वायरियाए अणुप्यविस्स अंतो पोडे गहामि दए जा पारए वा दगफुमिए वा परियावज्जेज्जा से य उसिजे भोयण जाए भोत्तले सिया से य नौ उसिणे सीए भोयणजाए तं नो अप्पणा भुनेज्जा लो भन्नेमि ! दावए एगन्ते अाफामुए पएसे (धरिले) पोर लेहिना पन्जिना परिवे- '. : यब् सिया २३५||सू.१२॥ निगान्धीए य राओ वा चियाले वा उच्चार ना पासवणं वा विगिञ्चमाणीए वा बिमोहेमाणीए वा अन्नयर पमुजाए वा पकिय जाइए वा अन्जयर इन्दियजायं परामसेज्जा तं च निगान्धी . साइनेज्जा हत्थकम्मपडिसेवणपत्ता आचज्ज चाम्मासियं परिहारदा णं अणुग्धाइयं ॥सू.१३॥ निगान्धीए य रामो वा चियाले वा उच्या वा : पासवणं वा विगिञ्चमाणीए वा विमोहे माणीए वा अन्नयरे पसुजाइए वा परियजाइए वा अन्जयरंसि सोयंमि भोगाहेज्जा नं च निग्गन्धी साइज्जेजा / मेहुणपडिमेवणपत्ना आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं 245' ॥सू. 14 // नो कप्पर निगान्धीए एगाणियाए होतए ।सू.१५॥नो कप्यइनिगमपीए एगाणियाए गाहावाकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निच. मित्तए वा पविसित्तए वा ॥.१६॥जो कप्पइ निगान्धीए एगाणियाए, बहिया विहारभूमि वा चियारभूमि वा नियमित्तए वा पंविमित्तए वा ॥मू.१७॥नो कप्पइ निगान्धीए एगाणियाए शामाणुगाम जितए ॥सू.१८॥ नो कप्पर निगान्धीए एगाणियाए वासावास वत्धए 251' ॥सू.१९॥नो कप्पर निगान्धीए अचेलियाए होत्तए २५६।।सू. 20 // नो कप्य निगान्धीए अपाइयाए होत्तए २६०॥सू.२२॥नो कप्पड . निग्गन्धीए वीसटूकाइयाए होतए २११॥मू०३२॥नो कप्पड निगानपीए बडिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा उइठंबाहाओ पगिज्झिय 2 सुराभिमुहाए एगधाइयाए हिच्चा आयावणाए आयावेत. ए॥सू.२३॥ कप्पा से उवस्सयस्स अंतो वगाए संघारि पोउ प्रहार SSSSSSSSSFEREFERS Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3322222222222 श्री बृहत्कल्पसूत्रं 0 उद्देशकः 5] [6] : पलंबियवाहियाए ममतलपाइयाए हिच्या आयात्रणाए आयावेत्तए : '२६९॥सू.२४॥ नो कप्पर निराए हाणारा (Dयाए होत्तए।सू.२५॥ नो कंप्य निधीए परिमाइयाए होलाए ।।सू. 26 // नो कप्य निग्गन्धीए नेसिज्जियाए होलाए ।सू.२७॥ नो कप्पइ निग्गन्धीए उझरियामणिया ए होत्तए / म 24 नो कप्पर निगान्धी ए वीरामणियाँए होत्तए / सू.२९ लो प्य लिए दण्डासणियाए होत्तए ।।मू. 30 // नो कप्पद निलायमइयाए होत्तए।सू. 31 // जो कप्यइ निगधीर मोमबियाए होता // सू. ३६॥नो कप्पइ निगान्धीए उत्ताणियाए होना / सू.३३।। जो. कापड निगान्धीए अम्बज्जियाए होत्तए॥१.३॥ नो कप्पा नियनपीए एगपासियाए होत्तए 281 सू०३५।।नो कप्पड़ जिगाली भाउणपट्टा धारेत्तए वा परिह रित्तए बा // सू०३६।। कप्यइ , जिगान्धाण आउञ्णपट्टा धारेत्तए वा परिह रित्तए वा ॥सू. 31) जो कप्पर जिग्गन्धी साजरसय मि आसमिचि दित्तए वा निमीत्तए बा) आसइनए वा तुहितए वा / / 038 // कप्पा जिग्गन्धाण सावस्सय सि आसणंसिचिटितए वा निमीइनए वा आसइन्तए वा तयत्तिए वा स. 39 // लो कप्यइ निगाधी सविसाकसि फलग मि वा पीटंमि वा जाव नयहिता वा / / सु. 10 // कप्पर निगामा जाउ दुहितए वा '289 सू. 42 जो कप्पर जिन सचेण्टय लाउय धारेलए वा परि. हरिनए वासू.४२ का जिम्मा सरेण्टय लाउय धारेत्तए वा परिर रित्तए वा 2901 / 043 // ने कप्पर निगान्धीणं सवेण्या पायके सरिया धारेता वा पनिहरितएव स माप्पड नियन्माण सवे. एया पायकेसरिया धारेत्तए वा परिह रित्तए वा '२९१॥मू. 45 // जो कप्पड़ लिगाधी दारुदत्य पायपुश्च धारेनए वा परिहरित्तए वा / ॥सू.४६ कप्पा जिगान्धा टारुदत्य पायपुऋण धारेलए वा परिहरित्तए वा'२९२.४॥नो कप्या निग्गन्धा वा निगान्धीण वा अन्नमन्नरूस मेटाइगर वा आयोमत्तए वा नन्नय गाठागाटेसु रोगायझेम 312. सू.!! नो कप्पर निशानभाए वा निगान्धी वा पारियासियस्स आहार जान तयामाणमेनमवि भूप्माणमेन्तमवि बिदुप्पमाणमेन्त FFERRRRRRRRRRE Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 爽爽爽爽爽獎獎獎獎獎獎獎獎 4rE2] ' श्री आगम मुधा सिन्धु 5 नवमो विभाग. ' मोव आहारमाहारनए नन्न भागार शेगारामु 328.49 // जो कप्पर नि]-47 ला नि.37-4 वा पारियालिए भालेवणजाएणं गायाई 000 भालिम्पिका विलिपित्तए वा. नन्नव आगाहें (गाठाजागाटेडि) रोपाय केहिं '३४०।।.५०॥नो कप्पइ निशानधाण वा पारियासिएणं तेल्लेण वा धरण वा नवणीएए. वा वसाए वा गायाइ (य) भलिए / बा मक्त्त ए वा. जन्नत्य आगाठेहिं रोगायइ केत्रि (नो कप्यर निगम धाण वा निशानीण वा कोण वा लोहे व पधूबणेण वा अन्नय / रेण वा आलेखाग एणं गायाइ उचलेत्तए वा ब्ल ए वा, नन्नत्य आगाठाना गाठेहि गाय केहि) ३४८'मू. 51 // परिधारक प्यहिए न भिवस्य बहिया राणं वेयाचडियाए गच्छेज्जा, मे य भारच भइ मेजा,तच घेरा जाणेज्जा, अप्पणी आगमेण भन्नेमि वः मंतिए सोच्चा / तओ पच्छा तस्स अहालहसए नाम ववहारे. पविय सिया 362' ।।सू.५२॥ निगान्धीए य गाहावइकुतं पिण्डवायापरियाए अंगुष्पविदाए अन्जयरे पुलागमले पडिगाहिए सिया,सा य संघरेजा कप्पइ से तहिः विसं तेणेव भन्तट्रेणं पज्जोमवेत्तए नो से कप्पड दोच्चचि गाहावडकलं पिण्यायपरियाए पविसित्तए,सा य न संधज्जा एवं से कप्पइ 'दोच्चमि गारावइकुलं पिण्डवायरियाए भत्ताए वा पाणाए वा नि. वघमित्तए वा पाच मित्तए व तिबेमि 205' / / सू. 53 // पञ्चमो. | उदै सो // 5 // अथ षष्ठोदेशकः। जो कप्पइ निगन्धाण वा निगा या इमाइ छ अवयणाई वताए, न जहा - अलिययणे हलिययणे स्विसियः क्यणे फसमवयणे गाधियवयणे विमओ सवियं वा पुणो उदीरेत्तए "69' |सू.१६ कयरस पत्धारा पन्नत्ता, तं जहा - पाणाइवायस्म / वायं वयमाणे मुसावायरस वायं चयमाणे अदिन्नादाणम वायं वयमाणे अविरइयवायं वइमाणे अपरिसवायं वयमाणे दासवाय वयमाणे. उच्चए / कप्पर मारे पत्थरेत्ता सम्म भयोडपूरे. Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'श्री बृहत्कल्पसूत्रं : उद्देशकः६] 63] माणे तयाणपत्ते मिया 99 / / .2 // निगांधस्साय अहे पायंसि स्याए वा कंटए वाही व मकरवा परियावज्जेज्जा न च निगांधे जो मंचा / एज्जा जीरित्तए वा चिसोहेत्तए वा तं निगगंधी नीहरमाणी चा विसाहेमाशी वा नारकामइ "सू. : नि धस य मच्छिसि पाणे वा धीर वा नए या परियावज्जेज - चनिनो संचाएज्जा नीहरितए वा विमो? - त्तए वा त नि नहरमाण वा विमोहेमाणी वा नाइकरामह।.।। निगाह भर पायंमि खाए या करए वा हावा सकारे यावलज्जा तच निमां को समाज नहिरिनए वा चिसो नए वा, तं च निगांधे नीहरमाणे वा विमोरेमाणे ब। जाइकमइ / / 5 / / निगाँधीए य अच्छिसि पाणे वा श्रीए वा एला प्रोटावजात / च निगांधी जो संचाएइ नीहरि नए निमोहेजाः वा चनिमांचे सीहरमाणे वा वियोहेमाणे वा जामः 7 . नि . निग्गन्धी दुग्गांसि वा विसमं सिवा पव्वर सिवा पकघलनागि बा पवरमाणिं वा गेण्हमाणे वा अवलम्बमाणे वा जाइकमइ / ॥स. 1 // निगांधे निगाधि सेयंमिचा पंक्रमि चा पणमि वा उदयसि वा ओकसमाधि वा भोवुन्झमाणिवा गेरमाणे / वा अवलम्बमाणे वा नाइकामह।।सू. निगांधे जिगांधिं नावं आभमाणेि वा ओकभमाणिं या गोण्हमाणे वा अवलम्डमाणे वा नामद १३१॥सू.१॥ चिचिन्न नि निगांधे किण्डमाणे : वा अवलम्बमाणे वा नातिकमति मू.१०॥ टिचिन जिगान्धि / निगान्धे शोहमाणे वा अवलम्त्रमाणे वा नाइकमा 193011 // जंक्यार ।मू.१२॥ उम्मायापासू.१३ / / चमगा। न.१४।। साहि गरण ॥सू.१५।। सपायच्छिन्न ।।सू.१६ / अन्तमाणपरियाइ चिखय / / सू.१७॥ अजाय निग िनिगांधे गेण्हमाणे वा अवलम्बमाणे वा लाइक्कमइ २४४।।सू.१८॥ उ कप्परस पलिमधू(पी) पन्जन्ता तं जहा- कोक्काए मंजसम्म पलिमंधू,मोहरिए सच्चचयणस्स पलि मंपू,तिन्तिपिए एमणागोयरस्म पलिम,चक्यूलोलुए इरियावहि या प्रतिमधु,इछा लोभे मुत्तिमागस्य पलिमंधू. भुजोर निया Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染染杂杂杂杂杂杂杂免密免 For थी आगम मुधा सिन्धु 0 नवमो विभाग / गो मोक्रममाम्स पलिमंध, सव-ध भगवाया भनियाणा . ' / या पसत्या 206019 / / छबिहा कप्यहि ई पन्नता, तं जहा-मामाइयगंजयकप्यदिई भोवदावणियमंजयकम्पदिई निविभमाणकप्य। हिई निविदुकाइयकप्पदिई जिणकोई धेरकर्याइ तिमि 420' // 20 // उदो सो 6 (गन्थागं 437) ।इति श्रीबृहत्कल्पसूत्रम्॥ इ, बि-कमात्र लिखित तपोमूर्तिपूज्याचा देवभीविजयकर्परमीश्वरपाजार हातारको टारपूज्याचार्य देवि जामृतसूरीधर-बिजेट पायामप्रवन - जिलेन्द्रवि / जयगोगवार? 3॥ज्ञानुवति. नपवा सामिहेन्द्र प्रभात / विद्या साधीसुरेन्द्रप्रभाश्री नच्छिा साथी स्वयप्रभा. भिभूतमका सोल्लासेज र 25 वि.सं. 2036 वर्षे / जो शुकधार्या जाने तमोकमया 2- पन्यास प्रवर-नितीन्द्र विरारनामा ! SHREEFERESER Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARRRRRRRRRRY // अर्डम् // [] ' समाश्रमण श्री संघरामगणि विरचितं श्री पञ्चकल्पभाष्यम् (श्रीबृहत्कल्पीयनामनिक्षेपान्तर्गतम्) वदामि भद्दबाह पाईणं चरिमसगलसुयजाणी। सुत्तस्य (स) काममिसिं दमाण कंप्ये यक्वहारे // 1 // कप्यं ति णामणिप्पाण्णं महत्थं वनुकामतो। णिज्जूहगस्म भन्नीय मंगलहाए य संधुतिं // 2 // नित्थगरणमोक्कारी सत्यरस आइए समक्याओ। इह पुण जेणऽझया णिज्जूठं तपस कीति तु // 3 // सत्थाणि मंगलपुरस्सनाणि सुहसत्रणग्रहणधरणाणि / जम्हा भवति जति य सिस्सन्निस्सेहेिं पचयं (बाई) च // 4 // भत्ती य सस्थकर तं कय(तत्तो)उवभोगशोरवं सत्य। एएण कारणेणं कीरइ आदी णमोकारो // 5 // वद अभिवाद-धुतीए सुभन्सद्दी रोगहा तु परिगीतो।वंदणपूयणणमणं धुणणं सक्कारमेगा / / 6 / / भई ति सुदर्शत य नुल्लन्थो जस्स सुंदरा बाडू / सो होति भयाहू गोणं जेणं तु बालते // 7 // पाएणं(ण) लवियज्जा पैन्सलभावो तु बाहजुयलम्स। उववण्णमती णामं तस्सेय भद्दबाहुत्ति // 8 // अण्णे वि भद्दबाहु विसे. सणं गोण्णा(स) गहणपाईणं / भण्णेमिं पिय सिद्ध विसेसणं रिमसगलमतं॥९॥ीरमी अपच्छिमो यत्नु चोहम्मपुच्चा उ होति सगलमुत। सेमा वुदासदहा सुतकरज्झयणमेथस्स // 10 // किं ते कयं सुत्त ? जं भात तस्स कारतो सो उ / भण्णोते गणधारी, सच्चसयं चेव पुवकतं // 16 // तत्तो च्चिय णिज्जूट अणुगहढाए संपयजताणी तो मुत्तकारओ पल्ल स भवति दसकप्पववहारे॥१२॥ वंदे त भगवंतं बहुभह सुभह सबभो. भदं / पवयणहियसुयकेउ सुयणाणपभावग धीरं // 13 // वाद-सो पुच. FFFFFFFFFFFERE Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRERY [6] श्री आगम सुधा मि-धु 0 नवमो विभाग णिो तदिती त घेव णामगोत्तेहिं / इस्सरियाइगुण भगो सो से अधित्ति तो भगवं // 14 // भहं कल्लाणं ति य एगह तं च सुबहुयं जस्म / सो होति सुबहुभही सौभणभट्टो सुभदोत्ति ॥१५॥वीरामवमादीणि तु सुभाणि अाणि तस्य सुबहणि। सबओ इहपरलोए भई तो सवतो भहो / / 16 / / आमोमहोद इह भ६ परलोए होतऽणुनरसुरादी। मुकुलुप्पत्ती य तो ततो पच्छा य गैव्वाणं // 17 // भातित्ति भहमहवा भाई णाणादिएहिं सो जम्हा। सो होति भद्दणामो कुति भद्दाणि वा जम्हा ॥१॥पवयण दुवालसंग तस्स हितो जं करेत वोच्छित्तिं / संघो तु पवयणं तू हितोवदे में अतो त. स्म // 19 // केतूसही उसिए ऊसियं तुगं तु तस्स तु मुहे तो। इहलोए पर. लोए सो भगवं होति परमसुही // 20 // वाथणयपभावणथा मुतणाणंगणा य जे वदति लोए / विउसपरिसाए मझै सुतणाणपभावणा एसा // 21 // कि कारण तस्स को महया भत्तीय तू णमोक्कारी / जम्हा तेणं जूम अम्द हियाय सुन्न इमै // 22 // आयारदसाकप्यो ववहारो णवमपुचणीसदो। चारित्तरक्क्ष्यणहा सूयकरस्सूपरि रविता // 23 // अंगदसा अण्णायि ह उवासगादीण तेण तु बिसेसी। आधारदमा उ इमा जेणेत्यं वणिया यारा // 24 // दसकप्पव्यवहारा एग सुतकबंध केइ इच्छति / केई व दसा एक्कं कप्पवरहार बीयं तु // 25 // रयणागरधाणीयं णवमं पुव्वं तु तस्स जणीसंदी। परि. गाल परिस्साबो एते दसकप्पयवहारा // 26 // किं कारण णिज्जूठा चरित्तसारस्स रक्यणहाए / वलियन्स टहिं सोही कीरइ तो होति निकवड्यं // 20 // सूयकडुवनि उविता जम्हः तं पंचवासपरियाए / स्थकरमहिज्जति तू तो जोगो होति से सेसि // 2 // अणुकंपायुच्छेदो कुसुमा भेरी तिणि - छ परिच्छा। कप्पे परिसा य तह) दिदाता आदि सुत्तम्मि // 29 // ओमप्पिणि समणाणं हाणिं णाऊण आउगबलाणं। होहिंतुबग्गहुकरा पुलगतम्मी पहीणोम्म ||३०||स्वेत्तस्स य कालस्स य परिहाणी गहणधारणाणं चाबलवीरिए संघयणे सद्धा उच्छाहता चेव // 31 // किं येतं कालो वा सं. कुयली जेण तेण परिहाणी / भन्नइ न संकुयंती परिहाणी तैसि तु गुणेडिं // 32 // भणियं च दूसमाए गामा होहिंति तू मसाणसमा / इय कारण (स्पेत्त)गुणहाणी काले विउ होहिमा हाणी // 33 // समए समएऽणंता परिहायंते उ वण्णमादीया। दव्यादीपज्जाथा अहौरतं तत्तियं चेव // 34 // दूसम अणुभा Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ************ * श्री पञ्च कल्प भाध्यम् [6] वेणं साहजोग्गा उ दुल्लभा श्वेता काली विथ भिक्खा अभिकरण होति उमरी य॥३५॥ दूसम अणुभावेण य परिहाणी होति ओसाहेबलाणं। नेणं मणुयाणं पितु आउगमेहादि परिहाणी (दार) // 36|| संघयणे पि यही. यति इतो यहाणी य धितिबलस्स भवे। विरियं सारीरबलं तपि य परिहाति सत्तं च // 37 // हायति य सइयाओ गहणे परियटणे य मणुयाणं। उच्छाही उज्जोगो अणालसत्तं च एगहा // 38 // इय गाउं परिहाणि अणुग्गडहाए एस साहूणं। णिज्जूटऽणुकंपाए दिदहंतेहिं इमेहिं तु // 39 // पगरण चैडणुकंपा दइटविदइठेहिं होयऽगारीणं जह ओमे बीयभन्तं रण्णा दिण्णं जणवयस्स॥४०॥ एवं अप्पत्तच्चिय पुव्वगतं कैइ मा उमरिहाने ती उरिऊण ततो हेहा उत्तारियं तेहिं (दान)।॥४२॥ मा यहु चौच्छिजिहिती चरणऽणुओौत्ति ते णिज्जूठं वोच्छिण्णे बहुतम्मी चरणाभावो भवेज्जाहि (दाएं)॥४२॥ कह पुण तेण गहे टिण्णाई तत्यिमो तु दिदहंतो।जह कोई दुरारोड़ो सुन्सुरभिकुसुमो तु कप्पटुमो // 42 // पुरिमा केइ असता तं आरोखण कुसुमगहणदहा तेसिं अणुकपदहा कोइ सससोसमाकझै॥४४॥ घेतुं कुसुमा सुहगहण हेतुगं गंथिउ दले तैसि / तह घोसपुव्वतल आकळी भद्दयाहू तु // 45 // अणुकंपट्ठा गचितुं सूयगडस्सुपरिं वे धीशे। त पुण सुतोवएसेण चेव गोहत जसेच्छाएदार अण्णह. हिए दोन्सो अमाहा होति णाणमाईणं। केसवभेरीणातं वक्घात पुव्यसामइए // 40 // भवा तिगिच्छओ तू ऊर्णात्य वाच ओसहं दिज्जा। तेहि तु ण कज्जसिद्धी सिद्धी विवरीयए भवति (वा) // 4 // पारिच्छ पोरेच्छितू पकप्पमादी दलंति जोग्गस्सा परिणामादीणं तू दागमादीहिं गातेहिं // 49 // पारिच्छ आदिव्युत्ते पुव्वं भणिया तुजा 3 बिहिन्मुत्ते / सेलघणादी 4. रिसा पूरंता ईय भणिहिती // 50 // परिमादारे णितं कप्यार कमेण इ. दाणि। किं पुण उक्कमकरण बहुवत्तव्यं ति णाऊयां // 51 // किं पुण कय्य. ज्झयणे वणिजति 1 भण्णती सुणसु ताव / जे अभिहिता उ अत्था नहियं ते ॐ समासेणं // 52 // कप्ये य कप्पिए चैव कप्पणिज्जेत्ति आवरे। फासु. ए एमाणज्जे य संजमे ति य यात्ररे // 53 // बालए वागए चैव चम्मए प दृए आठरे। पम्हए किमिए चैव धानुए मीसतेति य॥५४॥ उवसंपया चरित्तस्य चरिते कइविहे इथ। णियंहा कति पण्णता कर समोतारणात या॥५५॥ $$$$$$ $$$$$ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARRRRRRRRRRY [6] गम सुधा सिन्धुः नवमी विभागः बवहार करस पण्णन कई पर्डिसवावि य ? देसभंग कई युने 1 सयभंगे ति यावर // 56 // पचित्ते कइबिहे बुने उहाणे तिं यावरे। पंचढाणे चतुहाणे तिढाणे ति यावरे // 57 // छहाणे दंसणे बुने संजमेनि यावरे। गाहणा य चरित्तस्स एमेता परिवतीओ ॥एताभो दारगाएमोकप्यो य ऐइ दुविही जिणकप्पो चैत्र धेरकप्पो याविह) उकाप्पओ खलु दव्ये भाचे य गायव्वो vygआगम गौभागमओ दबम्मी कपिओ भवे दुविहीं। आगमतो गुव उन्तो गोगमओ इमो होति // 6 // जाणगसरीर भविए ततिरित्तै य होति णायब्बो: . जाणग मयगसरी भविओ पुण मिवियाह जो तु // 6 // यतिरिको माभवी ब्वाउ अभिमुलो य बोधव्यो। भावेऽवि होति विही आगम णोआगमे घेवाना आगममी उवउत्तो गोआगमओ य पिंउमाईणं / गहन्म काममो मान्नु पचाचेतुं च सेहाण // 63 // जंजोग जतीणं आहारादी तहब सेहा या एयं तु कणिज्ज अपरिणाहणा अकप्यम्मि // 14 // आहारे पलंबादी सलीममजिणाद होति उवहीए। सेज्जाए दगसाला अप्पमेहा य जे अण्णे ॥६५॥कैनिमयं कप्पणिज्ज 1 फासुथगं फासुर्य मुकेरिसगं जीवजटं जं दवं तंपि य ज एमणिज्जंतु॥६६॥ दसदौसविप्यम्मकं गहिथं चसद्देण उग्णमादीवि। एयं तु साहुजोग्गं गिणती संजतो होति॥१७॥ अहवा सत्तरसविही संजमो जं वाचि मुत्तदेणं / भुंजनि आइराठी विवरीयमसंजमा होति (दान)|| आहारस्स उ भेदा असणादी उर्वाहणो उ वालादी।एतैसि तु परयया यालयमादीणिमा होति॥६॥ वालेहिं णिप्पाच्या वालयमोण्णेट्टियाटिंग होनि दार)वक्केहि तु णिप्पण्णं वागजमणवक्कमादी(ग)णं // 30 // चम्मच चम्मपडिए पट्टी उण होतिमो मुणेयच्चो। पत्नयोगहपट्टा तिरीरपट्टो य एमादी // 72 // पम्हज हंसगादि अहवा कप्पामिय मुणेथव्दार) कोसेज पट्टमादी जं किमियं तू पच्चति / (दारं)॥ ति उसकरिल्लो कोम्माचे देसम्म तरुणनो घरए। बटतो पूत्यती न घडय विम्मिए तमिम / / 73 // सकोहे ऊ कणयं तोह तम्हा उ किज्जए मुत्त / तेण बुय ज वत्वं भण्पति तं धातुतं णाम // 74 // दुगसंजोगादीहि पनि चैव वालयादीणं तिमीमय ति भण्र्णा जह ऊम दुण्डं कन्योहियादीय ॥७॥वत्तव्य चमहेण भेयपभेदा 3 जैत्तिया ताससुद्धे हिं तेहिं तु उवमपण्यो हु सुचरिते। (दान)||७६॥ अहवा पर्चाबहाओ उवसंपय हो. तेमा समासेणं सुम्य सुहदुबधे येते मगे विणए य बोधव्या॥७॥ अहवा ति बिहवसंपय गाणे तह दंसणे चरिते याचरितं च कतिविह तू पायह त इमे FFERRRRRRRRRRE Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREPREPRESS श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [6] होति / / / / सामाइथ छेटुवहावणं च परिहारमुद्धियं चैवात तो य मुहमरा अहवन्यायं चैव बोधवं॥७॥ अहवा वयसमितादी सराग तह वीतरागमहवावि। स्वाइग घोचसमितं उवसामयं वा भवे तिविहं / (दारं)॥०॥ भेदा उ चमहेणं होति इमे णाणदंसणाणं तु। घाइयवोनममियं दुविहं गाणं मुणेथव्वं / / 1 // स्वइयं केवलणाणं यओवसामथाई सेसणाणाई क्वइयं सभोवसमियं उनसमियं दंसणं तिविहं // 2 // कसेतं चरितं णिथंड तह संजयाण ते कतिहा १।पंच णिथंडा पंचैव संजया हतिमे कमसी // 13 // पुलाए बाम कुसीलो होति णियं? तहा सिणार यएएसिं एक्केवको पंचोलही होति बोधव्यो॥४॥ गाणपुलाए तह दमणे य चारित लिंग असुहमे। एसो पंचविही खलु पुस्तगणियही म. यच्चो // 5 // आभोगमणाभोगे तह संचुरम संधु अहामुही। एसो पंचाल ही तु बउणियही मुणेथयो / / 6 // दुनिही होति कुमीलो पोडे सेवणया तहा कसाए या एक्कोक्को पंचविही परवणा तैसिमा होइ / / 0 // णाणपडिम्मेवणाएदं. सणचरणे य लिंग अहमहमे / पाडे भेवणाकुसीलो पंचविही एम णायची uter पाणकसायकुसीले देसण चरणे य लिंग अहमुहमे। एस कसाथकु. सीली पंचविही तू मुणेयध्वो // पठमा समणियह भपठम-चरिमेय तह अचरिमे या तत्तो य अहासुहमे पंचमए होति णायचो॥९॥चबिहसिणाए ऊ अच्छवि तह अन्सबले अकम्मंसे। संसुद्धणाणदंसणधरै य होती चउत्धे तु // 91 // भरहा जिणे य केलि अप्परिमापीय होति पंचमए। एते पंच विकल्या सिणायस्स तु होति गायचा // 12 // पंचविह संजता वी सामाइय-डेउवदह-परिहारे / सुहुमे य अहक्याए एक्केरके ते पुणो टुविहा 193 // इरिए आवकही सामाव्यसंजए भवे दुविहे। दुविहे छेओवढे सतियारे जितियारे य / / 14 // परिहाचि सुधीए णिविसमाणे तहेव निविट्ठे। दुविहे य मुहमरागे संकिस्संत विसुझंते // 15 // अहवाओ वि य दुविहीं छउमत्यो चैव केवली चेव। एसो तु संजतो सलु पंचविही होति णायचो 1196 // सामाइयम्मि उकए चाउज्जाम अगुत्तरं धम्म / ति विहेण फासयतो मामाइय-संजती स खलु ।।९॥छेत्तूण तु पोरेयाग पोराणं तो वेति अप्याणं धाम्मे पंचजामे ओघडारणो म स्खलु दा२९॥ परिहरति जो विसुद्धं पंचवा. मं अणुत्तरं धम्म / तिविहेण पामथ तो परिहारियमजतो स खलु लोभमणु चौदं तो जो पल उन सामजी व सवओ वा सो सुहमसंपराओ अहक्या F Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JERRRRRRRRRR [7] श्री आगम मुथा मिन्युः .. नवमी विभागः या ऊणो किंचि // 100 / / वसंत स्वीमि व जो वनु कम्मम्मि मोहणिज मिामल्यों न जिणो वा अहसाओ संजती सपत्नु // 11 // एतसि समोतारी विही व्यहाण नह पहाणे वोच्छीम भाणु पुब्धि जो जत्थ समाधति लेसि 4102 // जर गुवसंपज्जणता सव्वेसिं चैव पुच्छियध्याओ।नाकरण जहाकमसी तेसि इणमो उ बोच्छामि // 1.3 // पुत्लागौ तु पुलागतं जहमाणो जहर से पुलागतं। उवसंपज्जेऽसंजम अहवावि कसायसीनं तु ॥१०४॥बउसो य ब.उस्सत्तं जहती पडि सेवणं कसायं वा। संजमसंजम अस्संजमंच पोडवज्जती सोतु // 105 // परि-सेवणाकुसीली विजइति पाउसेवणाकुसीलतं। बउसकन्सायकुसील परिवज्ज असंजम वावि॥१.६॥ अहवावि संजमा जम तु परिवज्जती ततो सो उ। जोऽवि कमायकुसीली विजहति सो तू कसायन // 10 // पुलगं बउसं वा अखा परिसेवणाकुसील तु। परिवज्ज निया वा अ-. हुवावि असंजमं वा ॥१०॥अहवा संजमसंजम उक्सपज्जे तु मो चुतो तत्तो। णियंढ उणियंहत्तं विजहति तत्ती चुतो संतो॥१०॥उवसंपज्जे कसायं सिणाय अहवा असंजमं वावि। विजहति सिणायग सिपायगो उ चुतो ततो // 11 // उपसंपति तत्तो सिटिगति सी पहीणकामसे। एसी तु णिथंडाणं समोथाशे मंजयाणेत्ती // 111|| सामादिमजतो तू सामाइयत्तं जहंत किं जहति / किं वा उपसंपज्जे एवं पुच्छा उ सच्चसि // 12 // सामाइगन्तं जहती सामाइय संजते चूने तत्तो। छेटुवहाणियं वा पाडवज्जति सुहुमरागं वा.।।११३॥ अहवाचि संजमा संजमं च अस्संजमं च पाडवज्जे / छेदु वहावणिए पुण वि जति से छेदुवडवणं // 114 // परिहारीवसुद्धीयं अह्मा / वी सोतु सुहृमरागंतु। अस्संजम संजमसंजमंच पोउवज्जती अहवा।।११५॥ परिहारीवसुद्धीओ विजोत व तत्तो चुतोऽवितं चैव / उपसंपज्जति छदं भ. हवाचि असंजमं सौ तु // 16 // विजहति सुहुमसरागो तत्ती चुतो सुहमसंप - रायत्तं उवसंपति सामाइसंजमं दमहवा वि // 10 // अहव अहक्यायं तू अस्संजममहब सो उपडिवज्जे। अहवसायसंजतो पुण अहसाय विजहभाणो // 11 // जति अह कसायन उवसंपजे तु सो चुतो तत्तो। सुहुर्म च संपरायं अस्संजासद्धितिमहवा // 119 // एस समोतारो सलु अहवावि गियंसंजएसुंतु। संजयजिग्गंधेसु अवरोप्परतो समोनारी / / 120 // पुलगबर FFFFFFFFFFFERE Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRY श्री पञ्च कल्प भाध्यम [71 साण दुवि सामयछेदेन्दु तू समोतारी भोतरीते कुसीली पुण आदि ले चऊसुपि // 221 // निगांर्धामणाला पुण समोतरते तु ते अहम्पाते / एवं तु यंडा तू उत्तरिया संजतेमुं तु // 122 // पुलबउसकुसीलेमुं मामइछदा समोतरती तु / परिहारसुहमरागा मोतरीत कुसीलएसंतु / / 13 / / भोतरति अहक्याओ गिगांधसिणातएस दोसुपि / एमेते समोतरिता अण्णोडण्णेमुं जहाकमसी // 126 // उत्तारे सव्वमहत्वयाणि णियमा तु सचदव्यम् / ण तु स. व्वपज्जवहिँ जम्हा सामादिए उदितं / / 125 // पठमम्मि सव्यजीवा बीते चरिम य सचदब्बाइं। सेसा महव्यता पुण (बलु) लदैकदेसैण दव्वाण दारं / / 126 // 9. तैमि णिथंडाणं आवण्णाणं तु संजयाणं चाववहारो होति दुहा पच्छिन्ने आभवते य // 127 // पच्छिते पंचविही आगममादी उ होति आयच्ची कत्या भवति / वावी सच्चतादी तु आभव्वो // 22 // सावरहिस्स ववहारो अवराहो पोरसेवणा / पडि सेवणा य कतिहा तीसे भेदा इमे भवे / / 129 // प्पिया कोप्पया चेव विहा परिमेवणा / जयणा अजयणा कप्पी जयणामुखो तु सेवतो // 130 / / जयणासेवी कप्पो दप्यो जयणाए अजयणाए या आवर्जात सह्यण वणिज्जात विस्थरो कप्पे / दारं / / 231 // पोडसेवगरस होती देम भंगो य सयभंगो या अव. राडे कैरिसए देने सध्येऽनि सो होति / / 132 // पणगादी जा छेदो एसो स्यनु होति देमभंगो नु। मूलादिउबरिमेसु णायवो सबभंगो तु // 133 / / तस्स उ विमुदिदेउ पच्छित्तं तस्स कत्तिया भेदा घाणादीया चल पावणा सिमा होति // 234 // सु काएमु वएमु य छव्यिह एगिदियादि पंचावटं / संघट्टण परितावण उद्दवणे चेव निफण / / 13 / / चउहा तु णाणवते दंसणवंते चरितव या तत्तो चियकिच्ची अहवा दवाइयं चउहा // 136 / / अहला अति. कुमादी चउहा कोहाइयं च चउहा तु। णादियारमादी होति तिविहं च पच्छित / / 137 // अहवा आहारोवाई सिज्जतियारे य होति तिनिहं तु / उग्राम उप्याथण ए. सणा यतिविहं तु एक्कोले // 13 // आलोयणपोरक्यामणे तदुभयमेवं तु होति तिविहं तु / सच्चिनचित्तमीसग तिविहं चेदं मुणेथच्च // 39 // अहवा सत्तट्टीवइं जब दसहा वाच होति पच्छित्तं। आलोयणपडिक्कमणे मीविवेगे य वोमगो 1140 // छटडं तो य तत्तो सच्चे उरिल्ल मन छंदो। अविह छेद दुविहो देने सध्ये य बौद्धब्बो ॥१४॥णावह सवच्छेदो दुह संजमुबह विज्जती मूलं। कालंतर्राम तरे पुण येतो हे च दसभेटें / / 142 // अहवण्णह टुटि. REFEREFERES Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (72 . श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभा। दं एगावर वाद होज्ज णायध्वं / रागीमा दाणी गोवरीऽ मंजमो होति / / "143 // छहाणे दमणेनी जी काए छवि ण सहहति। णात्य ण णिच्चादी वा विहमेयं तु मिच्छन्तं // 144 // धर्मात्य कायमादी कालंतादिं तु धत्तु दवाई। जो ताइ न मद्दहति विहमेय तुमिच्छनं।१४५॥ मजमो सत्तरसविहो तु मामाझ्ययमादी अहब पंचर्चावहो / दार) गाहण ताव चरित्तस्स गहणं चिय गाणा होत // 14 // किह पुण चरितगहणं होजाहि ? भण्णती इमेहिं तु वेरगोणं अह. वा मिच्छना दोह सम्म 14 // सम्मत्ता उ चरितं अहवा होज्जा इमेहें गहणं तु। सवणे णाणविणाणे एमादी गारण चोरते॥१२॥ अहवा वी उवएस्सो एगटहूँ होति गाहणाउत्ति / तह उदिति जह अ चारितं गेण्हती मोतु // 49 // अ-. राहम्मि य गुणा दोसा य विराहणे चरित्तस्स। ता गाहिज्जति जहन भोगाठी होति चारिते // 150) णाणे य चैव तह दमणे य जातिगहणेण संमूया। एयाति - हिंति गाहणना वण्णिता एमा॥१५॥ एमेता जा भणिता अहवा अवहारणे चमही तु। पाठेवत्ती उवगारी वागरणं नावि परिवत्ती // 152 // एतं कप्पे वणिज्जती उ अण्णे य बहुविहा अत्या। प्रत्येमु अणेमु य कप्पऽभिधाणं मुणेयवं // 15 // सामत्थेवण्णणा काले यो कारणे तहा। ओवम्मे हि वासेय कप्यमहो वियाहिओ // 154 // मामत्थे अहमासे य वत्तीकप्यो न होति गभगती। वण्णणे अज्झयण तू कश्यिय जहमेग माहणं // 155 // काले हेमंताणं जहा तू यसराय कप्प अतिक्कते।छेद। जह के मे तू चउरगुलवज्ज कप्पेहि / / 156 // करणे वत्ती कप्पिय अहे। इमेण जहा तु दुनिसेणं। आइच्चचंद कप्पा हवंति जह साहणो धम्मे // 15 // सोहम्मकप्पवासी अहिवासे जह तु होति देवा तु। एते सामत्थादी जोएंयच्या इहं क. प्ये // 158 // कप्पन्झयणमधीतुं अतियारविमोहणे समस्यो उ। कतिविह नाच्छित्तं परवणेवण्णणा होति // 159 // काले उडुबद्धाणं वासावास चबुइठवासं च / वसती जहाविहं खलु उस्सगाववायसंजु॥१६॥ तसोहितिक्कतं छिदति पणगादिएई परियागंकूणइयतहा पयतं जहतं दिण्ण बहुइ सम्मं // 16 // ओवम्मे जिणकप्पो जाणण गहणे यसो हुति गीतो आहेबामे मासादिसु ऊतिरिने विभामा तु // 162 // सन्चेनि कप्पाणं पण्णवण पस्वणा उ नवमम्मि / आसज्ज 3 सोथारं एकागते वा इहं वाचि अधिकं // 163 // एतैसि सब्वेसि RSERIFFEREFEREFERE Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गगाई तदणुभाव // R A भाषण मण्याणं // 16 // ल श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [73 छोचह कप्पाइयाण कप्यागं पण्णचण परचणता णयमे पुचगेम णिहिटहा | सोतार पुण आसज्ज होज्ज कप्यि भरव णवर्माम्म / धारण गहण समत्थे लोहे में असमत्थे इदं तु ॥१६५कप्याण वक्वाणं पुबगते वोणतं समत्तं तु / इह धोवर्गति काउंण हु बहुभाणो ण कायव्यो / / 166 / / बच्चे वेत्ते काले उग्गह संघयण धारण गुरुणं! सैघि बहुर्माखाय जं एगपदे पदं अस्थि // 16 // दुस्समअणुभावेणं हाणी विरियम मोन्सहीणं तु / दुलभाणि य दवाई जइ जीगाइं तदणुभावे // 16 // घेताणि य (पाहायंती विहारजोगाई तणुभावेणं। दा। दुभिक्चपउरकालो ते दि उग्गहर्णाम्म संघयणं धारणा य परिहाति / / य सीमारियाणं सती वतुं व सोतुं वा // 170 // य सति बछ गुरुयो जे वतारी य हुंति अस्थस्सा लेवि ण सञ्चस्य लडं पसादमुमुदा भवंती तु।दानं, // 17 // इय णातुं परिहाणिज एगपदै वि एगमत्थपदं / बहु मैतळ पिडु किं पुण संतेसुऽणगेन / / 172 // तो 7 पमाएयण य भन्ती तू तर्हि ण कायव्वा / सुदृढतरं उज्जोगो कायचो तम्मि वित्तव्ये॥१३॥ सो पुण पंच निकप्पो कप्यो इह वण्णिो समासेणं / वित्धरती पुचगती तस्स इमे होति भेदा तु ॥१४॥छब्बिह सीवहे या दविह धीतिविहे य बायाले // जस्स तुर्मात्य विभागो सुव्वत जलंधकारी // 175 // विभयण वि'भागो भण्णात अहेरिसो छविहो य सत्तविहो। णामादिविभागोवा जस्सेसोग विदितो होति / / 176 // सुचत सुट्हु वन्तं तस्स निबुइडस्स वा जलमगाहे। होती सचचसुयस्स वि जहंधकारी मणुस्सस्स // 177 // अहवा जलंधकारी मेहोरायम्मि होति मागणम्मि। अहवा जलंधकारीजस्थादिच्चो / दीति तू // 17 // एवं तु अंधकारी कप्यपकप्यं पडुच्च तस्स भचे। अहवा सो चैव जलो भवद य से अंधकारं नु।।१७९॥ छबिह कप्परिमणमौ णिवस्वो छव्यिहो मुणेयम्बो। णाम हबणा दबिए येते काले तहेव भावे य // 10 // जेण परिहिएणं दव्येणं कप्प हौति णाऽकप्यो / तं दव्वमेव कप्पो कारणकज्जोवथारातो॥१८॥ सो तिविही बोधच्चो जीवमजीचे य मीसतो चैव। एतसिं तु विभागं वोच्छामि अहागुपुचीए / / 2 // निविहो य जीवकप्यो टुपयचउप्पय तहेव अप 10 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [74 श्री आगम सुधा सिन्धु नवमी विभाग देहि / भरि गारी दुपदेहि तत्व य मणुस्सदुपदेटिं // 183 // तत्थोवे य कम्मभूमग संस्विज्जगवास आउ तु पचइतुकामड़ें तावत् होति अहिगारी // 18 // सो होति छविही न बोधव्यो मणुयजीवकंप्यो तु। वोच्छामि तस्स इणमो भेदविकम समासेणं / / 185 // पव्यावण मुंडावण. सिक्खावणुवह भुजसंवसणा। एसो तु जीवकप्पो छोटो होति णायच्चो // 186 // अभुवगमो पव्वावण मुंडावण होति लोयकरणं तु / गहणासेवण सिक्छ सिक्स्याविन्तम्मि सिक्सवणा १८वयहवणमुवडवणा संभुंजण मंडलीए सह भोगो 18गततो सहवासो संवसणा होति पायव्वा ॥१८॥णाऽपचाोक्ते मुंडावणा तु णाऽमंडिए तु सिक्ववणा / एमादी तु विभासा पव्वावयंती तु केरिसगा // 189 // सुत्तत्थतदुभयावसारथरस संगहउवायकु. सलस्स / कपात पव्याचेतु संवेगमुदितमतिस्स // 190 // मुत्तत्थण विसारए चउभंगो एत्थ होति कायच्चो / तं चैव तदुभयं बलु विसारतो जाणतो तस्स // 192 // दव्ये भाचे संगहो दचे आडारमादिहिँ तु। सिक्स्थावणगिलाए गेलण्णे व करणं तु॥१९२।। भावम्मि संगहो खलु णाणादी तं तु होति बोधच्चो / जाणइ बट्टावेतुं गच्छ तु उवायकुसलो तु // 193 // संसारभउब्धिग्गी संविग्गो सोतु होति णायव्वो। एतेसिंत पदाणं चउभंगा डोंति एक्कक्के / / 194 // तदभयविसारदो घलु ण संगहे कुसलो एत्य चउभंगो। तदुभयउवायकुसलो एत्यपि तु होइ चउभंगो // 195 // तदुभयसै विग्गेडि वि चउभंगो एव डोति कायचो। एच गुणजातियस्सा पचानेतुंतु कपति तु / / 196 / / पचाविंता भणिता अइया पब्वाणिज्ज चोच्छामि। परज्जाए जोग्गा जे वा होंति अजॉग्गा तु // 19 // पव्चावणारिहा स्वलु जातीकुलविणयसंपण्णा / तोव्ववरीय गुणा स्खलू होति अपव्चावणाजोग्गा // 19 // तेसि तु जे विवक्या तविवरीया ठबंति ते णियम।। अहवावि इमे वीस वन्जिता से गा जोग्गा // 199 // बाले बुइटे नपुंसे य जडे की य वाहिए। ले. गो रायाऽवगारी य उम्मन्ते य असणे // 200 // दासे दुद? य मूर्ट य अणने जोगते इय। ओबद्धए य भयए सहानफोडेया इय॥२१॥ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎聽聽獎獎獎獎獎 श्री पञ्च कल्य माध्यम . [7 ] गुध्विणी बालवच्छा य पवावेतुं न कप्पए। एसि परवण दुविहा उस्सगाववायसंजुत्ता // 2-2 // कारणमकारणे अहब कारण जयणेतरा पुणो दुविडा / एस पस्वण टुबिहा एसो बालादि वोच्छामि // // 2.3 // तिविहो य होति बालो उक्कोसो मज्झिमो जहण्णी याए. तेसिं तिण्डं पी पत्तेय परवणं वोच्छ // 24 // सन्नहगमुक्कोसो ऽप्पण मझो य चतु तिय जहण्णो / एवं वणिप्फण्णं म. भावी डोंति णव भेदा // 25 // जहण्णो जहण्णमभावो मज्झमभावी तहेव उक्कोसो। एवं मज्झिम तिण्णी उक्कोमवि भत्रे तिणि // 206 // छिदंतमछिदंता तिन्निवि हरितादि वारिता संता / पुणर्शच य छिंदमाणा जइ दिदह गुरुणवऽण्णेणं // 27 // उक्कोनी दहण मज्झिमती डाति वारितो संतो। जो पुणू जहण्णबानो हत्थे गहिमोऽवि वि हाति / / 208 // दाणिकम्मि गहिती वामकरणं स छिंदती ताई। मंडलगंमिव रिता चिट्ठह एवं च भणिता तु // 209 // जड भणितो तह तु हिता पढमो बीएण फेडियं हाणं / तइओ न हाति हाणे अह कव्बाभूति विस्मरं रुयति // 20 // एतसिं बालाणं पवावितरिसमं तु पच्छित्तं। तिण्डंपि कमेणं तू बोच्छामी आणुपुबीए // 211 / / अउणत्तीमा वीसा इगुवीसा चैव तिविह बालम्मि / तत्र छैद वीस पदमे बिति मिस्सा ततिय छदाइ // 212 // अउणत्तीस दिवसे सि सावितस्स मासियं लहुयं / उस्कोसमम्मि बाले सो चेव असिरवणे गुरुगो // 213 / / अण्णे अउणनीसं गुरुमो सिक्दै * सिक्सि चउलया। पुणर्राव अउणतीस गुरु(लहु गा सिक्को य छल्लाहुया तेर गुरुणा) // 24 // अण्णे अउणत्तीस सिक्वाचितस्स होति पच्छित। उल्लहगा सिमम्मि य असिक्स गुरुगा अउणातीस // 15 // अण्णे सिक्ये गुरु (असिस्म) तनो छेदी घग्गुरू चेव / मुलणवह पारंचिगं च एक्केक्कगं तत्तो // 26 // अहवा सो चैव तो दादी मासमादिया होति / सिक्वाविलमसिक्दै मूलेक्कद्गं तहेक्केमकं // 27 // अहवा न्यो चेव तवो दो पणगर्गदे जार छम्मासा / सिमसावितमसिक्व ह गुरु एक्वेक / / 210 / / Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [761 श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभागः इगुतीसो // 218 / मुलणवर्ल्ड च तो पारोचियमेव होति एक्के - की सिक्यासिकस्यपगारा उक्कोये होति बालेते // 219 / / अहवा सी चैन गमो दिहिँ सिक्सितरन्जिए होति / मामाद तब छेदा मूलाईथा दिक्केवळ // 220 // एमेव मन्झिसे वी णवरं दिवमोतु वीस दीसं तु / एमेव जहणे वी उगुवीमु गुवीस दिवस. तु.॥२२१॥ अहवा मझें मीसा जहण्ण छेदादी. अन्जपोरवाडी। तब छैटेगरिया मज्झै जहणे तु भयणाए / / 222 // झिोम वीसंलइओ सिक्ससिक्सस्स मासिओ छदौ / वीसण्णदो लडुओ मि. कसमोसरवणे गरुगो // 223 तवो (गकगो जो अइटोक्कांती एवंतबछेदगंतरा नु णेयवा। जा छम्मासा ता चतु परओं मूलादि एक्केकं // 224aa अउणाधीस जाहण्णे सिम्मानितस्स मासिओ छेदो। सो च्चिय सिक्ने गुरुओं जा धग्गुरु तिगि परओं तु // 225 // अहवा ण होइ छटी हाणे च्चिय मूल तंड य अणब8ो / पारंचिए' य तत्तो एवं भयणा जहण्णस्य // 226 // अहवा पढमे छेदो दिवसे चैव हवइ मूलं वा। एमैव होति बीए नइए पुण होति मुलं तु // 22 // किं कारण सोधेसा दोसा तडियं इमे समक्लाता। 4व्चाविएसु तेसं. उड्डाहाई मुणेथव्वा // 22 // बंभस्स वयस्स फलं अयगोल चैव होति छक्काया। णिसि भत्तमंतराए चारग अजन्सी य पोडबंधी // 229 // लोगो बेती पेच्छड इणमो बंभवईण तु फलंतु / अथगोलो विव तत्तो डडती सो जित्तिए मुक्को // 230 // भत्त सि मगामाणे दिते तू राइभत्तभंगो तु / डनई अदिताम्म तु अंतराइयं बेइ लोगो य / / 231 // चारगपालाई इमे जे बालाई तु एव कंभंति / लोगे जाति अजसो अहह इम णिरणुकंपत्ति // 232 // तेण य पाठबंधणं पाबद्धा व कहिँचि विहरति / जे दोसा णीयवासे ते पावते य अच्छंता // 233 // ऊणदहे त्धि चरणं पचार्वितो वि भस्सई चरणा / मूलावहिणी खलु णारभते वाणिओ चेट्टुं // 234 // उग्धायमणुग्धार्थ णाऊणं चिडं तबोकम्म। एमेव छदछविड जिण चोहसपूचिए दवया // 235 // उम्घायमणुग्घातो मासो बउ छच्च 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 771 छावह तवे सो। एमैन विडो च्चिय छेदी सैसाण एक्के 11236|| एयं पाच्छित्तं गाउं पव्वावर तओ बालं। णवरं पव्वाविती जिण चोहसपूचि अतिसेसी // 237 // ते जाणिउं गुणागुण बहुगुण णाऊण तेण दिक्यति / के पुणू जिणमादीडिं दिविसयबाला इमै सुणसु // 238 // सत्याए ओतमुत्तो मणओ सिज्जभवेण पुचविदा। अतिसेमिणा य वतिरी छम्मासी सीडगिरिणावि // 239 // एते अव्यवहारी जड पचावितीह गच्छवासी तु / एयं इत्थं णा भण्णति इणमो णिसामेडि // 20011 उवसंते व महाकुलै णातीवग्गे व सन्जिसिज्जतरे। अज्जाकारणजाते बाले पचज्जऽणुण्णाया // 241 // पबज्जाए परिणए विउलकुले तत्व बाल होज्जाहि। मा सचे तेसि कते अच्छंतू लेण पव्वाने / ' // 242 // णातीवूग्गे यू तहा धर(धैव)गमादीमर्याम्म संतम्मि / जणवादरक्यतो सारवेइ आसण्णबालाई॥२४३॥ एवं सोण्णतराण वि अज्जायव डिडिबंधोडणीए। कज्ज करेमि सचिवो दि मे पव्वाव तह बाल // 20 // एतेहि कारण पव्लाविजाहि गच्छवासी तु। पावियाण सिं इसीण विहिणा उ सारवणा // 1205 // भन्ते पाणे धौवण सारणया वारणा निउंजणता / चरणकरण सज्झायं गाडेयव्चो पयत्तेणं // 246 // निद्धमटुरेहि आउ उति देहिमि पाडवं मेहा / अच्छति जत्थ पणज्जति सादसु पीडगादीया // 27 // डावोत सालजाडा पोडे रणभिक्खं वारिज्जए अभिक्यं हरियादी छिंदमाणो य॥२८ सामायरिं सव्वं सज्झायं चैव उ पयत्तेणं / गाहिज्जति सो एवं जयणा एसा तु बालसादारं // 249 // तिविहो य होई वुइठो उक्कोसो मज्झिमो जहण्णी या एतेसिं तिण्डं पी पत्तेय पकवणं वोच्छ॥२५०॥ दस माविमागदसा दसभागे आउथं विभतिऊणं दसभागेर होति टसा ता इमे होति।२५ बाला किरहरा मंदा बला य पण्णा य हायर्याण पवंचा। पब्भार मुम्मुही वि य सयणी दसमा य णायचा // 252 // तोहेयं पठमदसाए अ. हमवरिसादि डोति दिवसा तु। सेसासु धसुचि दिक्या पडस 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगम सुधा सिन्धु: : नबमो विभागः . . रादी सा ण भवे // 253 / / वुइट्ह दसुक्कोसो मझो णवमि दसमी य तु जहणो। जं उवरिं तं हेहा भयणाऽप्य बलं समासज्ज / / 25 / / कैसिंचि पचंचादी वुइठो उक्कोसो उ जा सतारें। अट्टदसाए मझौ गवमी दसमासु य जहण्णो // 25 // कुककुयमादि णिसिद्धो जह मा बीयं करेहि एवंति / पुणराव य करमाणो दिही साहहिं ताहे तू // 256 // उक्कोसो दहण मज्झिममओ डाति वारिओ संतो। जो पुण जहण्णवुइटो हत्थे गडिओ णार हाति // 257 // हाणे य चिसूत्ती जह भणिओ तह डिओ भवे पटमौ / बीएण फेडियं तं तइौ णवि डायई हाणे // // 258 // एगुणतीसा वीसा अउणावीसा य तिविड वुइमम्मि / पनेयं तवटा पटमे बितिमीयतवदा // 259 // तह चैव विभागोन जह बालाणं तु डोति तिण्डंपि। किं पुण एसाऽऽसवणा भण्णति इ. णमो निसामेोडे / / 260 // आवस्य धक्काया कुसत्य सोए य भिवस पलिमंधो। धोडल अडिलेडा पमज्ज पाठे करणजइडौ॥२६१।। आवस्सथं जसको गाडेतुं जड्ड्याए सो वुइटो। एक्काय ण सहडती ण तति ते यावि परिहरि // 262 // कुहिडिकुसत्यहिं तुं भावितो नेच्छए तगं मोन्तुं / लोगस्स अणुग्णहकरा चिरपुरान्ति में म्है मो // 263 // अतिमोथवाथएणं पुर्वि गैण्डति बहु दन उड्डे / - परीहथी भिक्यारियं पलिमंध पातवही // 26 // पौडल्तं वि पा. सइ दृब्बलगहणी य गंतु ण चाएइ / अण्णव वक्लेवो चौदण इ. हरा विराहणया // 25 // पडिलेटणं ण गिण्ड पमेज्जणे यावि सो भवति जड्डो। वि तीरीत पाटेतुं दुम्मेडो जड्डबुद्धी य // 266 भंति अभिक्षमालावगं च अण्णास यावि पलिमयो / उहं वीसारेती छड्डेइ व पंधि वच्चंतो // 267 // उहितणिमिते चंकमते अ वाउडियदोसा / चरणकरणसज्झाए दुक्सं वुइटो डवेतुं जे // 268 // उग्घायमणुग्घायं व्विड पच्छित्त कारणे तेणं / तम्डा वुइट ण दिवसे जिणचौदसपश्चिए दिकसे // 269 // पब्वाविति जिणा खलु चौदसपुवी य ज य अतिसैसी / जिणमादीप्डें ते िकयरे ते दिक्षिणा दुइटा // 270 // सत्याए पुपिता चो 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎, Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्च कल्य माध्यम् 790 दूसपुचीण जंबुणा सपिता / तं मग्गेणं जणतो तु दिक्यितो र क्खियज्जेणं // 27 // एते अव्यवहारी इच्छामी णातु अणतिसैसीय / जह दिवसंत भण्णात सुणसू जह तेऽवि दिक्वति / 1272 / / उवसते व महाकुले णातीवग्गे व सण्णिसेज्जतरे / अज्जाकारणजाते वुइटस्सैवं भवे दिक्सा // 273 // जह चेव य बारस्सा विभास तह चैव होति वुइटस्स। णवरं इमो विसेसी अज्जा कारणा होति // 27 // अजाण गधि कौती संचारितो तु खेतमादीसु / तेण तेसहाए वुइट (मंकप्प)हतसंक मच्याए, / / 275 एतेहि कारणेहि जति णाम डोज दिक्षितो वुइटौ / ताहे य तरस सारणं कायच इमीर तु विडीए // 276 / / भत्ते पाणे सयणासणे च उवही तडेव वंदणए। चरणकरण-सज्झायं अणथत्त. णया य गाहणता // 207 // जारिसतभन्तपाणेण णिवाहो दिज्जते से तारिसगं / सयणीयसमा भूमी पाउंछणमादि आसणर्थ // 27 // त्तिय तरए वो, सीथना व जत्तिएणं सो। तत्तियमेतो उवही दिज्जति से गुग्गहहाए // 27 // वंदणए अणुकंपा कीरत न य सरियाम्म वंदावे / चरणकरणसन्झायं अणुकूले चरणगाहे // 20 // उवनि णिमिले दोहपि य कारणा वग्गाणं / होहिंति जुगप्प वरा दुण्डनि अट्टा दुनगगाणं // 21 // हिमणो उवजय परो. करणागी णिमित घेणं / जदि पारगती दिवसा जुगप्पहाणा व होहिति / / 22 / / दौपित्ति बालवुइटा पुछारवि दो वा इत्य पुरिसा य / सुत्तत्थदुगट्टाए कालियपुगयभट्टा वा // 23 // पुणरवि दो वग्गा खलु समगा समणी य होति / णायव्वा तेसिं अ. हा दिती आहारा तैसि होडिंति दारं ॥२४एत्तो बुच्छ - पुंसं सो किह गज्जेज्ज जह गसौत्ति / भण्णति ण चैव क. प्पति दिसतुं विहि अजाणतो // 25 // तम्। दिक्या गीते दिविचंते चउगुरु भगीयस्य / गोनेवि अच्छत्ता गुरुगा पु. च्छा उत्ला 216: अम्हं गपुंसगादी कम्यते एव र्माणते साहेजा को ला शिव्वेदी ने भणिज्ज भगव अहं तातो / 201 / / भारत्यालि र मिना से मिदं पुच्छिया हु साहेज्ला ! Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Lo] श्री आगम मुधा मिन्धु नवमा विभाग अहवा वि लक्सो इमे िणा परिहरेन्जा 28 // महिला. सहावी सरवण्णभेदो में महंतं मउया य वाणी / ससद्दगं मुत. मफेणगं च एताई हप्पडंगलक्षणाई // 29 // गती भने पच्चवलोइयं च, मिउत्तथा सीतलगत्तया य। धुवं भवे दुस्वरणामधे. ओ. संकार पच्चंतरि भो ठकारी॥२९॥ गतिहत्थवच्छकारभम्यभास दिही य केसलंकारे / पच्छण्णमज्जणाणि य पच्छण्णत. रंचणीहारो // 29 // मंदा गती चिकियो नामहत्थं, लंचं णियं सेति जहेव इत्थी / कौड धंभगं वा विकरे भिक्खं सविडममं उविसवए भुमाओ / 292 // भासंतो या वि क वन्धि णिवेसेति इन्धि या चेवाहीणस्यसा य जायइ दिदडी य सोवब्भमा तरस ॥२९३/के. से इत्थी वजह। आमोडनि इन्धिमंडण चेव / पहार्यात एगांते या 7. छान्ने आयरुच्चारं / / 29 / / पुरिसेस भीक महिलास संकरी पम - यकम्मकरण। य। एवं बाहिरलक्षण णसवेदो भये अंतो।।२९५ / / सो पुण णपुल्यवेदी लिग तिविही वि होति बोधव्यो / कह लिंग तिए / भण्णोत एवं एक्केरक वेदतिगं // 296 // उस्सग्गलक्षणनु स्थीपरिसणासमा बेटा / फुफमदगिमहणगरदाहरिसा जहा. कमसो // 29 // एक्कक्के निह भयणा इत्थी धीसारख पुरिम अपुमे . या इय पुरिमणपुंसया एक्कैनके होति वेदतगं // 29 // सो पुण णपुंसगो तू मोलमहा होत मुणेयचो। पंडग की वातिय कुंभी ई. सालु सउणी य // 29 // नक्कम्मसेवि पक्सि यमपकिसए तह सुगंधि आमिने / बोद्धत चिप्पिय मंतोसहीहि वा उनहए जे य // 30 // इसिसत्तदेव सत्ते एतेरि पकवणा इमा होति / ते.' हिथं परो तिविही लक्षणसी य उवघानी / / 301 // पंडगलक्षण ज. स्सा जाया अवतोयणेण तु गहाण / सो लक्यणतो पंडो दूमीपंडी इ. मो होति // 30 // सियलेदो दुसी दोमु य वैदेसु संज्जए दूसी। दो सेवइ वा वेदो दोसु व दुसिज्जई दूसी // 303 / / सेति सेसए वा सो दह आसिन्तौ तह य ऊसित्तो। साबच्चो आसित्ती अणवच्ची होति सित्ती // 30 // उवधामोवि य दुविहो वेदै य तहेव होति उवकरणे। वेदोवसायपंडी इणमो लोडेयं मुणेयच्यो / / 3.5 // पुधि दुच्चिण्णा Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री प्रकल्प भाष्यम् 11 कम्माणं असुहफलविवागेणं / तो उवहम्मति वेदो जीवाणं पावकम्माण / / 306 / / जह हेमकुमारी ऊ इंदमहे बालियोणमित्तेणं / मुच्छि. य गिद्धो अति सेवणेण वेदोवघातमती // 307 // एयस्स वि भास इमा जह एगो रायपुत्तो वण्णेणं / वियवरहेमसरिसो ती से णाम कतं हेमो // 30 // सो अण्णदा कदाई इंदमहे इंदडाणपत्तामो / णगरस्स बालियाओ पुप्फादीहत्ध दणं // 309 // पुच्छाते सेवगोरसे कि एया आगताउ इह इंति / / ते बिती सोहग्गं म. गते ता वरथाओ / / 310 // तो बेई, एयासिं इंदण वरौ हु दिण्णा भहमेवा घेन्तुणता लेणं छा अंतउरे सव्वा // 31 // तो णाग. रगा रण्णो उदिडता मोयनेह एताओ। तो बेति मज्झ पुत्तो कि सामाता ण कच्चात भे // 32 // तो तास अतिप्पसत्तस्स तस्स जिर्णालयसब्जबीचस्म / वेदोनधातो जातो सागारीयं ण उ8ोत 1.313 // तो ताहि रुसियाहि सो अदागहें धातितो ताहे / वेदोवघातपंडो एसोऽभिो तो समासेणं // 317|| उवहन उवगरणम्मी सेज्जातरभोणयाोणोमत्तेणं। तो कोवलगरस वेदो तो जाती दुराडेयासी // 315 // उवहय उवगरणम्मी एवं होज्जा पुंसवेदी ऊँ। दोसा सवेदुर्दिण्णं धारेतु ण चयइ णार्यामणं // 316 / / जह पदमपाउसम्मी गोणो धातो तु हरियगतणस्स / अणुस्स(म)जति कोदिबिडिच्चं) चावण्ण दुमिगधीयं // 31 // एवं तु केइ पुरिसा भोचूर्ण भोयण पोतोसह। तावण भवोत तुहा जाव ण पोडेसेविओ वेदो / / 319 // लक्षणासयउवघायपंडगतिविहमेव जो दि. कये / पच्छित तिमुवि मूलं दोसा तहियं इमे होति // 219 / / तन्मजादीहं सह गओ चरितसं भेदणी करे चिकहा / इन्धिकहा क. डित्ता तो सि यावण्ण पगासैइ // 320 // समलं निलगंधि स्वेद यज ताग आसए डोति / सागारियं णिरि कइ मलेन्तु हत्थेहि जिग्धा च // 321 // पुच्छति सेवियपुब्यो णपुसगो वित्ति अतिसुह एव / भासयोल य तहा दुविहीन सेवी अहं चैव // 322 / / एवं पुच्छिन्तु तओ अहवावि अपुच्छिऊण सह सेचे / गेण्हेज्जा ही समण तेण कहे यवतो गुरूणं // 323 // छंदिय कोहेय गुरूणं जो HPPERFERESEFFE Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARRRRRRRRRRR [82) श्री आग म मुथा मिथुः 0 नवमो विभागः ण कहति कोहए वि य उवेडं / परपक्य सपक्य वा कोहीते सो तमानज्जे // 32 // सो समणमूविहिपोहें पवियारं कत्थती अ. लभमाणी / तो सेवितुं पवनी गिहिणो तह अण्णतिथी य॥३२५॥ अजसो य ओकत्ती या तं मूलाग तहें पच्यणस्म / तेसिपि होति संका सबै एतारिसा मण्णे // 326! पोरमसेवी एतारिसा त्री एतारिसो चरनिसहो। सो एसो वि अण्णी अस्संबडंधीउमादीहि / / 327 / / जम्हा एते दो-सा तम्हा व दिक्वणिज्जो पं. डोर। एसौ पंडो ऽभिहिओ एत्तो किलिवं पवक्यामि / / 328 // . किलिवरस गोण्णा णाम तदोभप्याओ कलिज्जए जरस / सागारियं / से गलती किलिवोत्ती भण्णती तम्हा / / 329 / / सो डु णिलडभमाजो कम्मुदएणं तु जायए तइओ। तम्मिचि सौ चैव गमो पच्छित्तं चैव जह पडै / / 330 // उदएण वतियस्सा सविगारंजा " ठौती संपत्ती / तच्चोणय असंडित दिदहती थिमी होति // 33 // णावारूटों तच्चण्णितो तु दटई असंवुडमा / ओवतिओ पुरिसे. झाडत्ति रिज्जमाणोधि / / 332 // एसोवि वातिगो हु अलभंतो सेवितु अणायारं / कालंतरेण सोऽवि ड णपुंसगत्तेण प. रिणति // 333 // दुविहो य डोति कुंभी जातीवंभी य वेदकुंभी य। जातीकुंभी वाहिओ टु सो भइय दिवयाए / / 33 / / डोइ पुण वेदकुंभी असेवओ सुज्जते सि सागरियं / सोऽवि य विरुद्धवत्थी गपुंसगत्ताए परिणति // 335 / / वे उक्कड़ता ईसालुगौ हु मौवज्जमाण दहणं / ण चएती धार णिसभमाणो भव ततिओं ||336 / / सउणी उक्कडवेओ चड उच्च भिक्ख सेवए जो उ! सोऽवि य णिरुद्धवत्थी णपुंसगत्ताए पोरणमौत / / 337 // तक्कमन्से. वि जो स्खलु सैविय तं चैव लिडति सावं। सोऽविय अपोडेयर तो णपुंसगत्ताए पोरणमात / / 33 / / एगे पळसे उदओ एगै पक्सम्मि जस्स अप्यो उ / सो पत्रसवियओ ड सोऽवि णिकद्रो भवे अपुमं // 339 / / सागरियस्स गंधं जिंति सोगधिओ भये स सलु / कालंतरेण सोऽवि अलभंतो परिणमे अपुमं // 30 // त्रिगगहअणुप्पवेसिय अच्छति सागारियोज्य आस्सित्ती / ण य मे RESERTERRss Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [ 3] भावोत्वसमो अलभंतो सोचि अयुम भवे // 34 // गालिय दोसा भाऊगा जस्य हु सो वदिओ सुशेयचो / चिप्पियबालस्मेव तुच. प्पित्तु विवाहिता जन्या / / 262 / / मतेपुवातवेदो अडवावी भोस - हीहि नम भने / इसिमतदेवसन्ता इसिणा देवण वा सत्ता ||343 // वद्धियमादि उरिमा उच्च पसा हवति भयोग - ज्जा / नोट पोडमेति ण दिवस भर गाव पोडसेवि तो दिक्ये // 31 // आदिल्लेश्य दसस्स वि पचावतो डु पावए मूलं / जो पुण पव्यावहा बदलेवं तस्य चउग्ररुमा 345 // जे पुण छ तू,रेमा. पव्चावितस्स चउगुरु तेसं। बदमाणेऽनि य गुरूगा कि वदते सो इमं सुणसु // 346 // धीपुरिसा जह उदयं निति सागोववाणियमेडिं। एवमपुमंचि उदयं धरेऊन जोदे को तहि दा सो ? 1327 / अहवा ततिए दोसो जाति इयरेस किं न सो भवति / एवं तु जोन्म दिया सवेदगाणं ण वा तित्यं // 34 // भण्णति धारिसा स्थल पत्तेयं दोसराहे यहाणेसु / णिव संती ३यरी पुण कहि धुभति दोसु बी दोसा / / 349 // संवासफाट्टिी दोसा डू तम्स उभय संघासे / अपत्यं बगदिहतो जह रायमतो अ. वारंतो // 350 / / एतबदिदहती अडवा जह वच्छो मातरं दद। अभिलसती मायाचि य वच्छ दहण पण्ड्यात / / 351 / / अंबं वा वज्जतं टट्टुं अहिलासो होति अण्णस्य / सागारियादि दई एव Uपुंस भवे दोसा / / 352 // तम्हा हु दिक्विज्जा एवं णाऊणमेत दो मगण / बिति यपदै दिक्सिज्जा इमेहिं अह कारणे ितु // 353 // अ. सिवे भो मोर्याए रायद हे भए य भागाठे। गैलण्ण उत्तिम है गाणे तह टमण चरिते // 35: / / रायड भएमु ताणह णिवस्म चैत्र गमापदहा / वेन्जो च सय तस्य न प्पिस्सति वा गिलाणस्य / / 355 परिचरगम्मऽसतीए एगानी उत्तिमहडिजण्णो। अहवा वी भ(कु सहाए बेयावच्चहता दिवचे // 356 / / गुरुजीच अपणो वा पाणादी गिण्डमाण तपिहिती। अचरणदेसा णिते न. प्पे ओमामिवेहि वा // 357 // एतेहि कारणेहिं आगाठेहिं तु जो तु / णिक्लामे / पंडादी सोलस कयकज्ज विगिंचणट्टाए / / 358 // FFFFFFFFFFFFFE Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222222223929 [24] श्री अगम सुधा मि-धु समो विभाग नस्म विही होति इमा दिवियज्जतस्म कारणज्जाए / यो पुण जाणिमजाणी जाणति जाणी.जहा लतिओ // 359 // र्णावे कप्यति दिक्वेतु तमुवटिहन पण्णवेति अह एवं / तुज्झ / कति दिक्या जाणादिविराहणा मा ते // 36 // जो पुण ण जाण एवं नरस विही डोति मा करयन।। जणपच्चयट्हताए जाणंतम जाणए वाचि / / // 361 // कडिपट भंड छिहली करि सुर लोय परमत पाटे। अम्मकह सांगण राउल वनहार विगिंचण कुज्जा // 362 // कार्ड पट्ट भउछिहली कीरत व धम्म अम्ह चैवासी / करि खुरे. ग णिच्छे हाणी एक्केचक जा लोओ // 363 // लोव कए, प च्छा भिक्खुगमादीमताई पादिति / तंधि य आणच्छमाणे पो / तिलियकवा // 36 // तार्णािव ओणच्छमाणे धम्मकडा ता वि ट्र णिच्छंते / पर्राधियवत्तव्यं दिज्जति ताहे ससमए वि॥३६॥ तंपि य णिच्छमाणे उक्कमतो तस्य दिज्जए सुन्तं / अण्णोण्णमुनपल्लव पुवावरभो असंबद्धं // 366 // वायारगोयरे धेरमंजुत्तो रति दरि तकणाण / गाडेह ममंपि ततो धेश जुत्तेण गाहिति // 367 // वैरगकहा चिसयाण जिंदणा उणिसियणेगुत्ता। चुम्कलितम्मि बहसो सशेसमिव तज्जए तरुणा // 26 // कनकन्जा से धम्म क. हिंति मुँचाहि लिंगमेयंति / मा डा दुवि लोए अणुष्वता तुज्झ णो दिक्खा // 369 // इय पणविओ संतो जइ मुंचइ लिंग तो उ रमणिज्जं / अहा मुंचति ताई भेसिजात सौ इमेहितो / / 370 // मणि सरम्मिती वा भेसेड़ की इहेस किंचियो / ते मासात रायकूले यदि सो वनहार माग्गज्जा // 31 // एते दिविस्यओऽहं जति विय लोगो ण याणते नोति / जह एतेहिं दिवियतो तो ते बिंती न दिक्मो // 372 // अन्झाविमोधि एते हैं चैव पडि.सेहो कि वधीयते / छल्लियकहादी कइति कन्य जती कपलिलाइ // 33 // पुजावरसंजुतं वेरणाकरं सतेतविरुद्ध / पोराणमधमागहभामाणियतं डति मुन्त / / 374 // जे सुत्तगुणाभिहिता तोचवरीयाई गाही ब्धि / तेहिं चैव विवेगो जह परिमयं भवति सुन्तं // 305 // णिववल्लह बहुपर्याम्म वावि वुइडं च र्गाम्म पव्वइए / वौरिसरण FFFFFFFFFFERES Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [8] जोच्छामी चिहिए जह कीरट तन्म / 376 भिषणकाओभट्ट वि. ती घडति इई खु परिमार्थ / परोत्थियादि वयसू जति बैती तु. ज्झ समयति / / 377 // इय होउत्ती बोचूण जिगतो भिकममादिलक्मेणं / भिमभुगमा छोः बिपलायंती पुणो लन्तो / / 27 / / . कावालिए सरकस्य ताण्णाय लिंगमादि वस्यमा तु / तं जिंतु दैउलादिसु सुन्नं उड्डेनु बाई इंनि // 379 / / निविडी य डोति ज इडो भासयरी चकरा जड्डो य / भान्साजड्डो च्याउहा जत्लएलजगमम्मणदुमेहो // 30 // जन जलबुड्डो भाति जलमूओ एव भासद अवन्तं / जंह एलगो व्ब एवं एलरामगो बलजलेंति 1241 सम्म णमूओ बोब्बडी खलेइ वाया हु आव सदा जस्य / दुम्मेहस्य ण किंची घोसंत. सावि हायइ हु // 32 // दंसणणाणचार ते तवे यसमिती करणा: जोगे य / उवटडंपि / गैरहात जलदगो एलमूगी य ॥३४३॥णा दिइट्डा दिवया भासाजड्डी अपच्चलो तरस / सो य बाहशे यू णियमा पाहणे उड्डा हो अडिकराएं // 3 // लिविही सरीर जड्डी पंधै भिस तडैव बंदणए / एलोई कारणेहिं सनीरजइडंग दिक्यज्जा // 385 / / अद्धाणे पालमंधी भिक्यारियाए अपार हत्यो य। उड्दुस्मामऽपरक्कम अडियगी उदर्भमादीनु र 6 // भागाठगिलाणस्य य असमाही चाचि होज्ज मरणं वा / जइडे पासेवि हिए अण्णे य स इमे दम्मा पा३४७॥ सैदेण कसमादी कुच्छण धुवणुपि. लावणे दोसा / णतिय गलओ यचोरी गिदिय मुंडा य जणबादो॥३४॥ णेगे सनीरजड्डे एमादीया हवांत दोसा तु / तन्हा तणाव दिक्के गच्छे महल्ले वाणुण्णाभो // 39 // इरिथासमिई भासेमणासु आवाणर्मामेइगुन्तिसु / णाव हाति चरणकरणे कम्मुदएण करणजइडरो। / / 390 // जलमूग एलमूगो अइधरसरीर करणजइडे य / दिक्पं. नस्लेले चलु चउगुरु से सेसु मासलडु / / 391 // भासाजड्डे मम्मण सरजरडं च जातिधूरं च / जाजियारयटे करणे जडं तुछ म्मासा / / 392 / / मोतुं गिलाण कज्ज दुम्मेहं बावि पाढि छम्मामे / ताहे तं दुम्मेहं जाविय करणम्मि सो जडो // 293 // छण्डारे ते दोण्डवि आयरिओ अण्ण गहि छम्मासा / पच्छा अण्णो ततिओ REFREE Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Baaa [ETii गम मा य नवमो विभाग मोवि यमास परियटो ३जोगाईला मम्मो तसे व मो इवात नाहे / तहोव गगएड नोट ? कलाम विगिच. जाता // 395 // विहो य डोति को सोभमभर भाभिओ य / भोभभूतोऽवि य दुविही आनिदान पता को / / 396 // विही य भाभभूओ दिडीकीवो य सहकीतो य / एनेसि विसे समिण . च्छामि अडाणुपुवीए // 327 // भालिदो जो णि वति इत्यहि एन्य पटमओ की / जो पुण पति गमति भी सो रोति णिमता कीची // 39 / / टुखियडदासण्ण मियरसेवण वारे दहा . . जो मुखभति दिडीकीव तय डेनि / 39 / / भह माहम्माया नहीं। ण्णधम्मिण अहव वाचि गिहियाणा / इत्थीओ दहण सुलभात हैीथ कीवी सो / / 100 . भासा नुसण नह गोयमहापरियार सहमदबाव सोऊणं जो घुमाते सो भण्णति सहकीचोति // 4 // मोडककर नाए ते करेज दौत्ये इमे णिभंता / सज्ज इस्थिरगहण म अहवावि ओडाण / / 402 / / लिहाणमंतोदैहिसहकीबाण हौति मा रुवणा / चउगुरू घरगुत छदो मूलं च जहक्कमेण तु // 403 // एशी दो आदिल्ले जर्जाद दिकचे तो हु एव पोयटे / जावज्जीवं शियोम. य चरित्न संघात सहि एहि // 404 // दिडीयसद्दकीवा व टिकरोज्ज उत्तिमहोम्म / अण्णह तसि दिवसा एव कीवो समकाखातो / / 405 // रोगेण व वाहीण व ओभभूयस्य गं कप्यता दि क्सा / गंडीकोटादीओ सोलमड़ा हति रोग उ 11606 // वाही पू. 7) अहविडी कासादिओ य डोति गायब्बो / न रोगवाहित्य टि. रखते ऊ इमे दोसा / / 407 // छक्कायसमारंभी गाणरित्ताण चेव पोरहाणीघसण-पीयणपण दोसा एवौवहा होति॥४०॥ जाता अणाहन्याला यमगाव य टुक्खिया तिनिच्छता / नेविय पउणा संता होज्ज व समणा ण वा होज्जा / / 409 // अक्कतिऔं य तेणो पागइओ गामदेस अद्धाणे / लक्करसाणगतेको परवण तेसिमा होति / / 410 / / अक्कंतिओ अडाडा पागइओ छिराय अहव पागइणं / हरती गामाईणं अंतर अहवाचि तोस तु " - Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S श्री प-य कल्य माध्यम [877. तेणेव तुं कम्मेण जीवात गणेण तस्करी स सलु / सत्ताई जो वणती खाणगतेणो भने स पत्नु // 412 // सो पुण तणो चउहा दो वितै य काल भाचे या एतेसिं चउण्हें पी पूस्तेय परूचण वोच्छ // 43 // सच्चित्ते अच्चित्ते मीसे वि य होति टक नेणो हु / सांच्चत्ते दुपयादी दुपटे दासाइयं होति / / 414 // गोमादी य चउप्पय अपद पलधण्णमादिय होति / अच्चित हिर. ण्णादी दुपदि सभड मीसम्मि // 415 // एमादि दबतेको साडम्मिय अण्णर्धाम्मर्यागहीणं / लेणितो सो तिविहो उक्कीसो मज्झिम जहण्णो // 416 / / हयगतमाणिक्कादि य तेणितो तैणिती उ उस्कोसी / स्वतघणकण्हणिय गोणी तेणी तु मज्झिमेओ // 17 // गही-भेद्ग पहियजणदव्वहारी जहण्ण तेणो तु / एक्केचकरस य एतो पहिच्छग पडिच्छगो चेव ॥४ासगदेस पविदेस अतरतेणे य होति स्विम्मि दारं। राइंदिया वि काले भावम्मि य णाणतेणादी // 419 // गोविंदज्जो णाणे दंसण सूत्तड डेनसटहा वा / पारंचिग उवचरणा उदाइनहगादो चरणे // 420 // दनादि तेण एसो पचावेतुं ग कप्पए सव्यो / समणाण व समणीण व पाविते इमे दोसा // 421 // बंधण रोहण तालण दासत्तं मारणं च पाविज्जा। पिच्चिसयं च रंदो करेज्ज संघंपि सौ रुहो / 422 / / अजसो य अकित्ती या तं मूलागं तोह पवयणस / हात गिहीण एवं सब्चे एयारिसा मण्णे // 423 // सग्गाम. परग्गामे मदेस परदेस अंती बाहिं वा / दिदटमदिरहक्कोसा मझिम जहणे इमा सोही // 424 // मूलं छेदी छग्गुरु धल्लह चतरि लहुग गुरुगा य / गुरुग लहुगो य मान्सो एएसिं चारणा तु इमा॥२५॥ सणामतो टिटले उस्कोसे मल छटो आइट।बाहेिं दिहें छेदो अहिदहे होति गुरुगा // 426 // पशामंती दिदडे उक्कोसे छटो छग्गुरुर्मादेहे / बाहिं दिट्टे धग्गुल अदिद? होति छल्लहुगा // 42 // महे संती दिटो छागुरु दिद? होति धल्लडुगा / बर्डि दिट्टै छल्लहुगा अहिहै होति गुरुगा // 42 // परदेसतो दिडे छल्लडुगा अदिहि होति चउगुरुगा / बडे दिटो चउ Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22RRRRRRRRRY [ 8] श्री आगम भुया सिन्धु 1 नवमो विभाग गुरुभा आहे? होति चउलटुगा // 429 // एवं ता उक्कोसे मज्झै छेदादि डाति गुरुमासे / गुरुगादि जहण्णे डायर अंताम्म लहुमासे // ४३णा बितियपदमुक्कमोइ य अहना वीसज्जितो रिदेण / अद्धाण पविदेसै दिक्मा से उत्तिमढे वा // 131 // रज्जी उकरीडादिसु संबद्धे तह य दचजोगाम्म / अब्भुईओ विणा-साय होइ शथावकारी तु // 432 // सांच्चत्त चित्त मीसगमवकारे दूतलेह उ करण। समणाण व समणीणवण कप्पते तोरसे दिक्खा // 433 // आसो हन्धी स्पोरया वाहीतं कतकतं च कणगादी / अहवा सभंडमत्ता परियादी अहिता होज्जा / / 434 // दोच्च विरुद्धं यू कूतं होहि पउत्तकूडलेहो वा / पिउपुत्तभाउगादी. कोई बहिओ व से होज्जा // 435 // तं तु अणुदियदंड जो पबालेति होति मूलं से / एगमणेगपओस होज्जा पत्धारदोसा वा // 436 // बितियपद मुक्कमोचिय अडवा विसज्जितो गरिदेणं / अद्धाणपरोवदे से दिक्सा से उत्तिमढे वाादारं ॥४३७॥उम्मादो साल दुविहो जक्सादेसो य मोडणिज्जो य / दुविहं पि ण . दिक्सिज्जा दोसा तु भने इमे तस्स // 43 // अगणी आली.. वणता आयवर्यावराहणा य उड्डाडो / छक्काय ण सद्दहती सज्झायज्झाणजोगे य // 439 // पडिलेडणादि वितह करेति समितीसु अमितो आधि / उनोदईपि ण गिति तम्हा वि दिवस उम्मीदारंवादविहो अदंसणो स्खल जातिल उवघाततो य णायब्बौ / उवघातौ पुण तिविहो वाहे उवघाउ अजणता // 11 // एय पसंगेणं चिय अवरो धीद्धिमो मुणेयको / एतेसिं सोहि. इमा जहक्कमेणं मुणेयब्बा // 442 // उदयणयणे तह सेसएसु धीणोद्धतो जु कमसोतु / छग्गुरु चउगुरु चरिमं दोसा तहिं दिक्खिते इणमो // 443 // धक्कार्यावउरमणना आवडणं साणुकंटमादीसु / पंडिल्लभडिलेहा अंधस्स ण. कप्यती दिक्खा // 444 // आवहात महादोसं दंसणकम्मोदए पीणदी। एममणेगपओसे जं काहीततु आवज्जे॥५४५॥गमे कीय, अणए दुभिक्से सावहि रुद्ध य / एमाइ होति दा. Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 222 (rs श्री पञ्च कल्य भाष्यम् सा ण कप्पती तारिसे दिक्खा // 44 // राखा व राखमच्चो कि तिकम्म संजताण कुव्वंतो। दरहण दुवकघरय सब्वे एयारिसा मण्णे // 447 // वहबंधं उट्वणं विमण दासत्तमेव पावेज्जा। णिव्विसयपि परिंदो करेज्ज सपि सो रुहो // 4 // अजसो य कित्ती या तंमूलाग तहिं पचयणस्स / लोगस्स होति संका सन्चे एयारिमा गुणं // 446 // मुक्को व मोइओ वा अडवा वीसोजतो गारदेणं / अद्धाण पविदेसे दिक्खा से उत्तिमहे वादारं // 450 // विहो य होति दुट्हो कस्सायदुही य विसयट्हो य / विहो कसायदुट्टो संपक्स परपर चउभंगो // 451 // सासवणाले मुहणंतए य उलुगछि सिहारणि सपक्चे / सासवणाल सुसभिय एगेण गुरूणमुवीयं // 452 // सव्वं गुरुणा स्वइये इयरे कोवो य स्वामणे गुरुणा / अणुवसमंते 3 गणे गाणं हवेताऽन्नहिं परिन्ना // 453 // पुच्छंतमणक्याए सोचई अण्णरस गंतु कत्थ से देहं / गुरुणो पुवं काहते दाइ य पडियरण दंतनहो // 154aa मडणंतगरस गहणे एमेव य गंतु णिसि गलग्गहणं / संमुटेणियरेण वि गलए हितो मया दो वि // 455 / / अत्थं गते वि सिबास उलुगच्छी उकसणामि तुह अच्छी / पटमगमो नार इह उलुगच्छीउ ति टोकेर // 45 // सिहोरोणे लद्ध णिवेद गुरुणं सव्वाद लेतेोरंगरणा / भत्तपरिण्णा अण्णाहें / गच्छती सो इह णार // 457 // परपक्चर्याम्म सपको उदाणिवमारतो जह पहो / सो पत्रयणरक्खडा णिच्छुर्भात लिंग हातूणं // 45 // परपोक्स सपक्से पुण जउणारायच सो तु भर्याणज्जो / तं पुण अतिसथणाणी दिवसेंतिऽधिोरणं णा // 459 // परपळसे परपक्से दंडियमादी पटुह परदेसे / उवसंते वा तत्थ उ दमगादि पदुदह भइतो वा // 46 // निविहो य विसयदुट्टो सलिंग गिहिलिंग अण्णलिंगे य / अहवा सब्बोऽनि टुडा सपक्स परपक्व चउभंगो // 46 // सपकवे बिसयदुरहो सपक्स पार्टीचओतु आ FEEEEEEEEEEEEEEEEEES Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222222222 [9] - श्री आगम मुथा मि-पु. 0 नवमो विभागः उट्टो ! ओहोम लिंगहरणं एमेव सपक्सपरपक्ये / / 462 // परपक्वं तु सपक्षे विसयपटुहं ण तं तु दिकमेति / सैज्झिझियमादि पदुहं ण य परपक्वं तु तत्व // 463 // ददिसवेत्तकाले गणणा सोरेक्स ओभभवे वेटे / गाडणमण्णागे कसायमत्ते य मुठपदा / / 460 // दयि दुइ बाहि अंतो अंतो. लातूरगादि बोर्ड धूमौ / जाव दवियं ण याणति घडियाबोदो व ददडीये // 65 // दिसमूढी पुचमवरं मण्णति स्वेताम्म खेत्तवचासं / दियरातिविवच्चासो काले पिंडादिहतो / / 066 / जह कोई पिंडारो खीरणसद्धाए रत्ति (पा3) पासुनो / अब्भच्छण्णे उडिओ भण्णति जड वट्टए रत्ती // 46 // मडिसीओ पनिसंतो दि हो. लोएण हसियतो ताहे / किं एयं ति य भणियं एमादी का. जमुटो सो ||16|| ऊणहियं मण्णंतो उट्टारूटो य गणणतो मूठो / सारिक्सधाणुसरिसो महतरसंगादिहतो / / 469 // जह "एक्के गामम्मी चोरा पडिया तु तत्थ जुम्मि / सेणावती त बहिओ सारिक्सो महतरो वोणतो // 47 // सो पीओ चोरपतिले इयरो दइयो य तेण गामेणं / वेती य चोरे महतरो णाहं सेणावती तुझं // 41 // ता ते चोरा बिति तो गाहिओ एसो तरुणपिसाईए / तो णासिऊण तत्तो गामगतो विणियतो णियमा // 2 // दइठोसी अम्डेहिं किं देवेहेिं जियावितो तंसी / इय सारिकविमूठा दोण्णिवि गामेल्लचोरा य // 173 // अभिभूतो संमुज्झति , 'सत्यग्गीचोर (वात)सावयादीहि / अब्भुदयऽणंगरती वेदम्मी योदडतो // 474 // जह कोति रायपुत्तो बालो अच्छीसु दुक्यमाणासु / मादुगहसारिसारियसंफुसहितो तु तुण्डिस्को / / 475 // लदोवाति तओ एवमभिवयं तु ताडे सा कुति / सो वि य विवद्धमाणो सत्तो तीए तु पासम्म // 476 / तीयवि अणुप्पियं चिय पितु उवरमणे य तस्स रायत्तं / तह वि य तं पडिसेवति सचित्राणिसिज्झमाणोवि // 47 // बुग्गाहितो परेणं कज्जमकज यण सुणती जो तु / सो वुग्गाहणमूढो हिंता दीवजातादि [478 / गिदारग पियहिलो तीय समं गमण वारिजाणेणं गम्भि FREEEEEEEEEEE Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染染染沙沙沙莎莎免染染染 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् पी पोतविवत्ती समुहमाझे फलगलग्गा // 479 // अंतरदीवुत्तिण्णा पसूथ दारण विवठितो कमसो। तेण सह लग वितिर / च्छापोतस्ठा गता सपुरं // 40 // बुग्गाडिय तीय सुतो ण सुणति लोगेण भण्णमाणोऽवि / जह उणि तस ती अगम्मगमणं ण वति उ॥४८॥ जह वा अणंगसेणो ण सुर्णात बु. गाड़ियऽच्छाहें तु / मित्तवयणं डियं पीजह वनि सुन - एणगारीणं // 182 / वुग्गाहि तो तु बोहो मा हीरेज्जा सुनण्ण - कारेणं / तुझं तु मोरगाइं छाएमी तंबएण अहं // 423 / / लो. गो य तुमं भर्णािहति हरियाई मोरगाई बोद्द ! तुहं / तं मा हु पत्तियाही एवं च भणिज्जसी लोग॥४४॥ जो एत्थं भूलत्यो त. मउं जाणे कलाय ! मा सोय / सोऽत्र य एवं भणती बुग्गा हिय अहय अंघलया // 5 // अधलगभन्तणिवे सयणासणभन्तवसहिमादी हैं / सुरिहिभंधला तेऽनि य धूलेण भणिया य॥४६॥ अहयाम्म अंधदासो अम्हं राया य अंधलगभत्तो / इह दुक्सित त िवच्चड जड कयपूणो न दियलोथं // 4.7 // इय होतु त्तिय गेहिं जीणेतुं रति होंगरे तेणं / वेठेऊण पुरिल्ला लोवि. ओ मोगल्लपट्टीए // आणेह मे जं आत्य एत्य चोराण पनिभयं डाणं / गेण्डर पन्थर मा हु य कासति देहित्य अल्लियितुं // 48 // भोहिंति चोर तुभे केणेने अंधला नरागा तु / गिरिडोंग२ वेटाविय पहणह ने पत्थरोह तु // 190 // इय वोन्तुण पलामो धिः तण अस्थजातयं तोस / नेय भाते टिटहा गोवादी भणिता य 1 // 49 // केणेते एव कता इय बुन्ने पन्धते पहया / णाव दिति अ. ल्लियावं युगगाहिय एवमादीया // 492 // वणिर्माहेल मद दब्बे वेयस्मि य मूल होति राथा ऊ / बुग्गाहणमूटा पुण दीवादी सेस सध्ये. ऽनि // 493 // अण्णाणमूट इणमो दाइज्जतपि कारणसतेहिं / जो सप्पडं ण याति जच्चंधो चेव जह चंदं // 494 // कोडादिकसाओदयमुढो णावे जाणती मण्सो तु / इह य परम्म य लोए डिनाहि. संकज्जाकज्जवा // 495 // दवे य भावेण य दुविडो मन्नो तु डोति णायलो / मज्जमदादी दव्वे माणदह विहेण भावम्मि // 49 // కు Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐReseases [12] श्री आगम सुधा सिन्धु 1 नवमो विभागः मोनूण वेदमूटं आदिल्लाणं तु र्णात्य पोडे सेहो / बुग्गाहण भण्णाणे कसाथमुठो य पडिकुडो // 197 // व्यच्चित्तं चित्तं मोसा जो अणं तु धारेति / समणाण व ममर्णा व ण कय्पते नारिये दिस्या // 49 // अयसो य कित्ती या संमूलागं हें पवयण - स्स : अण चोप्पड मडिया सव्वे एतारिसा मण्णे | 099 / / बितिथपद दाणतोसिय अहला वीसज्जितो पण तु / अदाण पर.. विदेसे दिवसा से उत्तिमट्टे वा दारं // 50 // चउरो य जोगथा खलु जाती कम्मे य सिप्प सारीरे / जाती य पाण वाडा डोंबा णिक्कारमादीया / / 501 // पोसगसंबरणडलववाहसोरियर्माच्छगा कम्मे / पडकारा य परीमह रज-- गा कोसेज्जगा सिप्पे // 52 // करपादकण्णणासियमोहविहणा य वामणा वडमा / सुजा पंगुल कुंटा काणा पने अदिक्या य॥५३॥ च्छा यहोति विगला आरियन्तंग कप्पए तेसि / सीसो हावेयम्बो काणगहिसो य णिण्णाम्म // 50 // जे पुण जाती जुंगित जाती कम्मे (मिप्ये) य तिणि विण दिक्थे / बितियपदे दिक्येज्जा इमेहि अ कारणे तु // 505 // जाहे य माहणेहिं परिभुतो कम्मसिप्पपडिरतो / भदाण परविदेसे दिक्खा से अब्भणण्णाया वारं // 506 / / कम्मे सिप्ये विज्जा मंते जोगेण चेव ओबद्धे / समणाण व समणीण व कप्पए तारिसे दिक्या // 5.7 // कम्मतु उड्डमादि सिप्प सोक्यज्जते गुरुनदेसा / लोहारादी तं पुण विज्ज कला लेहमादीओ // 50 // अहवा विज्ज ससाहण मंतो पुण होति पठियसिद्धो तु / वासकरणपादलेवादि ततो उ जोगा मुणेयव्या 59 // गोबालादी कम्मे ओबद्धा छिण्णधिन्नकालेणं / दिण्णा आदण्ण भतिया दिण्णभतीया ण कप्यति // 510 // सिप्पादी सिक्संतो सि सावितस्स देंति जा सिक्थे / गहिनम्मि वि सव्वं पी जाँच्चरकालं तु ओबद्धो // 51 // बंध वहो रोहो वा हविज्ज पारताव संकिलेसोवा | ओबद्धम्म दोसा अवण्ण सुते य परिहाणी // 512 // मुक्को व मोइओ वा अहवा वीसज्जितो गरिदेणं / अदाण पनिदेसे दिक्सा से अब्भणुण्णाथा ।दारं // 513 // दिवसभथएव जत्ता भत्तीय कव्वा REPRESS Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री य य कल्प भाष्यम् [930 लभतग उबन्ने / भयओ चचि हो स्खलु ण कप्यते नारसे दिक्या / / 514 // दिवसभयओ उ छिप्पड छिण्णेण धणेण दिवस देवसिय / जन्ता नु होति गमणं उभयं वा एत्तियधणेण // 515 // कव्वाल उइडमादी हत्यामनं कम्ममेत्तियधणेणं / पच्चिरकालो धने काय एनयधणेणं // 56 // कतजत्तहियमोल्लं दिक्वेज्ज क्या य होति पडि. मेहो। पन्चाविने गुरुगा गहिए उड्डाहमादीणि // 517 // छिण्णमाछण्णे य धणे वावारे काल इस्सरे चेव / सुन्तत्थजाण एण अप्याबहुयं तु णाय व // 51 // वावारे काल धणे छियाधिण्णे य होंति भंगहा / मा. हियगहिने अकते मोन्तुं सेसेसु दिकति / / 59 // गहिए व अहिएम छिण्णधणे साधिते ण दिक्यति / छिण्णधणे कति गहिते वा अ. गहिते वानि / / 520 // जत्थ पुण होति छिण्ण पोवो कालो य होति क. म्मरस / तन्ध अणिस्सर दिक्या इस्सरी बंधपि कारेज्जा / / 521 // : घेत्तुं समयसमत्यो रायकुले अत्यहाणि कटते / फेल्लस्स नेण कपोते रोटे रसपीरिए भयणा दारं // 522 // सेडस्सा णिप्फेटिय जो सेह घेत्तु आसियाइति / सो पुण व नेण केरिसो कप्पती आसियाडेतुं // 523 // अप्पडपण्णो बालो सोलसवरिसूणो अहब भ. गिोवदहो / अम्मापितु अविदिण्णो ण कप्पती तत्वावरुणस्य // 524 // तोतयवतीयारो णिफेडण तेणसह भणिज्जो / तेणे य नेणनेणे पाडेच्छगोडच्छो चउहा // 525 // ततियवनस्साइ यारो लिक्यावितस्स मेहार्वादण्ण / भयणा तेणगसद्दे होनी इ. णमो समासेणं // 526 // जो सो अप्पडप्पण्णो विरडवारसूण अ डव अंगिविहो / त दिविसंत भाटिण्णं तेणो परतो अनेणोतु / / 527 // अहवा मुडिन सामहे भइयो होलि लेणसहो तु / एक्के. म्कस्म य इन्नो चलभगो हो इमो कमसो // 52 // मुडपभुपेल्लएया चरभंगो पठमतिय अण्णाय तेरमाणो अतेणो सेसेस तु लेण, ओ होति // 526 // एव पभुमिहपिल्ल.। चउभंगो गूण एत्य व तहत / एते कारण नेणगसहो नहिं भोजतो दारं // 530 // अह. वणे चउभंगा सरियोग एक्को नणि इति एम्को / असिहम्मि होति ब्रिति भो तेणा चत्तारि नन्थ इमे // 531 // जो तंतुमय ती सो तेणो F RESSESS Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRR 14 श्री आगम सुधा मि-धु नमो विभागः / होति लोगउत्तारो / भिवादिंगते ताम्म नु उश्माणो तेणतेणो तु / 532 // तं पुण परिच्छमाणो परिच्छओ तस्स जो पुणो मूला / गिण्डति एगंतारयो पोडच्छगपोडेच्छओ स खलु // 533 // तस्यव्व. माइयारो एवं णितस्स होइ सेहं तु / अण्णे य इमे दोसा गहणादीया भने तस्सं // 534 // अम्मापितरो करसद विपुलं घेत्तुण अत्थसारं तु। रायादीणं कहते हियाम्म य गिरणादीथा // 535 // वियरिणमेव सण्णी केई संबंधिणो भने तस्य / चप्परिणथा य धम्म मुएज्ज कुज्जा व गहणादी // 536 // भायरियउवझाया कुल गण संघो' तहेव धम्मो य / सो वि य पोरे चत्ता मेहं णिपफेडयंतेण // 535 || तम्हा तु ण हायवो लितियपदेणं हरेज्ज व कयाह / होही जुगप्पडाणो ण य दोसा तत्व केइ भवे // 53 // तो ओतसेमी दिक्ये ओहीमादी अमूटडत्यो वा / धिरहयो व अमूढो दिक्वेज्जा सो तडिं चेन // 539 // कई पुण, मंदधम्मा बितियपद णिन्सेविय ववदिसति / वरपाटको वित्र जहा मूलोवणदहा णहोचलगा // 5 // णिप्कोडियोमच्छंता विघयमालंबणं वर्वादसति / मूलविणट्ठोर बडो जह चिट्ठति लग्गपादेसु // 541 / / एवं तु मूलसुत्तं घडेतुं . ते तु लग्गसाहासु / साकारणणिप्फेडी णिक्कारणओ य पर्डिक - . दहा / / 542 // जे केई सेड दोसा बालादीता मए समस्याया / ते चेव य सविसेसा गुम्विणि तह बालवच्छासु // 543 // कह ले / तु संभवंती गडमम्मी तम्मि चेव बाले य / दिहा तु बालदो.. सा होज्ज कदादी णपुंसो वी // 540 // एवं अनसेमा वि वरं मोत्तूणिमे हि अणले / वुइट जड्डसरीरं तेणं रायाऽवकारिंच // 545 // दासमणतं च तहा ओबद्धं भलग सेहोणप्फेडिं। अनिमेम अणलदोसा भइयव्वा गुठिवणीए उ // 546 // अहवा वि गुचिणीए अण्णे दोन्सा इमे भयंती ह। कायभवत्यो बिंब तिकितिविणयम्मि व मरेज्जा // 547 // कीने तेणे रायानकारि दुढे य सेहणिप्फेडे / गुचिोणए य जहक्कम वोच्छ आरोवणं इणमो॥५८ // मूलं चतुगुरु पारंचिया दुवे चउगुरूं तओ मूलं / अहवाऽवकारे मोतुं सेहँ वा सेस मूलं तु // 549 // पारंची मूलं वा अरकारिए REPREPREFREE Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免染染免密免洗免染染染 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् ___ [5]. सेहे होति चउगुरुगा / सेसेसु डाणएसुं चउगुरुगा हु मुणेयव्वा / / 550 // बाले वुड्ठे कीवे जइडे मने अदंसणे येव / करमार्दिनुंगिए वाद पच्छा होज्ज णिवतो / 551 / गच्छे संगोडेयाण संवासो तेमि होति णिदिदो / ण विगत्ताण शियमा एगहाणे य पाएग // 552 / / होज्जाहि गुलिणीय विजह पउम तव सुइडमाया वा / तंत् उवस्सयम्मी भावियसइठेसु वा गोजे // 553 // जिगनवयणपडिकुट्टो जो पव्वावेति लोभदोसेणं / चरित्नहितो तब सी लोवेइ तमेव तुचरितं // 554 // पवाविमो नियती सेसं प. णगं अणायरणजोगं / अदुवा समायरंते पुरिम पाणवरिया दोसा / / 555 // पव्वावण मुंडावण सिक्खावणुबडभुंज संवसणा / पदमपट्टीण सेसा पंच पदा तेहिं बज्जेंति // 556 / / पव्वज्जा तु अभिहिया सा पुण डोज्जा कहं तु पव्वज्जा / तंवत्तमणारिओ गाडासन्त इमं आह // 557 // छंदा रोसा पोरेजुण्णा सुविणणाणा पोडेन्सुता / सारणिया रोगिणिया अर्णादया देवसात्त // 55 // प(बाच्छाणुबोध ग्या अर्जाणयकोग्णया बहुजणस्स संमुोदया / अक्याता संगारा वेयाकरणा सयंबुद्धा // 559 // पल्लि सुराऽभय देवी वड तेत्ति मूग वासुदेवे य / उद्दायण मण केसी जंबु पभव मल्लि सोम जिणा ||560) गामेगो चोर पडिया वाहण्णादि गेण्डितुं ते य / सं. पहिते य पल्लिं स्ववती मोडेलिया भणति // 56 // किं डरह महिलाओ चोरा चिनति इच्छिया महिला / णेतुं पोलता हो उवणीता तेण पाडवण्णा // 542 // तीए धवो मयणेण भ. णितो किं बंदिगंण मोएसि / गंजूण चोरपल्लि धेरी ओलणाए पाओ // 563 // वि ओलस पुत्ता ! चोरो, भारिया इहा - पणीया / विरहे तीए कहेती इहागतो तुज्झ भन्तति / / 564 // कहिते तु चोरओडेनम्मि पउत्थे भात अज्ज रसीए / पविसतु चोरडिओक पविढे पच्छ। सेणावती आओ // 565 // हेडा आसं. दिपवेसो चोरहिवं भात धुत्ति इणमो तु / जाँद एज्ज मज्झ. भत्ता तस्स तुम किं करिज्जासि // 566 // चोहिवाह सक्कारइत्तु तुम देज्ज तो करे भिडिं। आहे तो चोहि वो दारे धंभ. FREEFFERRES Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Best - [96] . श्री भागम सुधा सिं-धुः 0 नवमो विभागः / मि उल्लेहि // 56 // कडि वेइटेज्जा तुहा सण्णेति डेड संदीर / जीणेतुं चोरहिवो खंभे बद्धेहिं बेटेड // 56 // मुणएण स्वइयबद्धे पासुनाणं च चोरहियस्स / सगर्भासणा छvणं सम्म गाडेन्धिओ भण चलति / / 569 !! पीणिज्जनी सीमं चोराहेवस्मा तु मा गडेऊणं / गालंती ऊ कहिरं अह गच्छति मसातो तरस / / 570 // जाडे जा तब्भासं ताहे सीसं तय पमोत्तूणं / दसिया चीराईणि य साडिति य जाति,धहा / / 571 / / जाडे व मिट्हताई नाहे तणापू - लियाओ बंधती / वच्चति अवयमयंती पुणो पुणो मागतो सा तुः : " / / 572 // गोसे य पभायम्मी सेहवं घाइयं ततो दह / लगा कुटेण चोरा पासंति य ताणि चिंधाणि / / 573 // हिरदसिगादियाई अणिच्छिया णिज्जइत्ति मण्णता / तुरियं धाने कुठिया ताणि वि य पभायकालाम्म // 570 // पंधस्स एगपासे हिया णि कुटिएण जाव दिहाई / तवीलेडि विताईडय मडिल घेतूण ते य गता॥५७६ ने चोरा नेणे चोटिवभाउगस्स उणिति / सा तेणं पडिबण्णा चो राडिवपट्ट बंम्मि // 576 // इतरोधि सीलए विडिओ अच्छती तु अडवीए / जाहिवणिज्जो अह एति अणीहतो तहियं // 577 // तो कवितो दहणं कहिं मण्णे एस दिटहपुचौन्ति / चिंतेऊणं सुचिरं संभरिता णियगजाती उ // 5 // अहमेतस्स तिगिच्छी आसि विसल्लोसड़ी य तं मोए / संरोडणी य तओ संगेहेत्ता वणे तस्स // 579 // लिहितऽक्खरा अणिडओ सोऽहं वेज्जो तबासि पुचभने। संभारियसभिण्णाणतो उ तो वाणरो कहते // 50 // जह जूहा णिच्छूठो साहिज्ज मज्झ कुणसुवर्शमन्त / / आम ति तेण भणिती जूहं गंतूण तेलग्गा ॥५दोण्ड विसेसमंणातुं ण किंचि कासी य मोह माहिज्जं / णहो लुचिनुत्तो लिहनि ततो अम्वारा पुरतो // 52 // कि साहिज्जं ण कतं पुरिसाह ण जाण दोण्डवि विश्यमं। तो तुरहो वाणरतो. वणमाल अप्पणो बिलए // 53 // लग्गे सेगपहारेण मारितु चोरप. ल्लितिगर्नु / रत्तिं मारिय चोहिवं तु न गिोण्डतुं इन्धि // 55 // सग्गामं आणेत्ता इन्धिं उवणोत सयणवागस्य / रणसमाजुत्तो धिरत्धु इडि जे भोगा // 55 // मज्झनं (2) अच्तं मयणो जं. RESPEEEEEEE Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [97] श्री प> कल्प भाध्यम् पति न झायसे किण्णु 11 कि वासि कज्जकामो भणती काह अ. प्पणो छंद / / पर॥ राणीनय धम्म मोतुं पवज्जमब्भुवेसी य / एसा छा भणिता अहणा रोसा तु पव्वज्जा 5 // सीसारसो रणो धम्म सोऊण साँवओ जातो। मा मारेहिं किंचि वि उज्य तु मसि हरे दारं // 54 // तप्पडिणि रायहिए पिच्छामि असि ति सावएणुन / सम्माददडीदेवय साकिसज्जत्ति तो रुट्टो // 5 // दिव्त्रप्यभावमायसमयं तु दहण कुद्ध तो राया। णिज्जते पर पीए सइटो तेसि तु रघट्टा // 590 // बेति गोरेंदं अह सो मा एतेसिं तु रूसहा तुब्भे / जं जंमियमेतेहि सव्वं गरबरात. डेव / / 591 // नारे छोटण पुणो णि कुटड अन्सी तु जबरि दारूमओ दिहो परनसभेणं चिम्डइओ बेति किं एय"५९२॥ जाते सइटो ताहे णरवर ! देवष्यसाद इच्चेसो / पार्वाववज्जीउ णरा हुति देवाण वि पुज्जा // 593 // तो तुडो भात णिचो सेक्तु एमेव दास असणा उ / कडगादीहि य पूजितो पावितो सुमहत्त - निस्सारय // 54 // कालगम्मि य सड़ये पुन्नो णामेण चण्ड. कण्डोति / पडिवण्णो त भोगं सामंते णाणमंताम्म // 595 / / पेसेति चंउकण्ड गण धेनु सजियमाणेति / दुहो य भति राया किं देमि अहाह सो इणमो // 596 // जं सज्जपेज्जभोज्ज गेण्डेज्ज पुरमि तं तु सुरहियं / इय होतुत्ति य भणिए वामणि पापसाटे 48 रत्तिं चिरस्य सगिडं आगच्छाति भज्ज. सातरो तस्य / दुहिया जगंतीओ उण्णिद्दा अण्णदा रतिं // 59 // चिक्खितदारं घिहए अह वदती आगतो तु सो दारं / उग्घाडेतो ज. णि वएस जत्थेरिसे केले // 599 // उग्घाडिय दाराइ तहियं वच्छ ति मानु रुमितो दु / साहुण्याडिय दारांत गंद साहणर्माल्लयो / / 600 / ययावह लवेई से लिय मनो ति का वक्त्रं / बिती गोसगम्मी पभाते पचाचइस्सामो / / 61 // सथमेव कुति लोयं लाहे लिंग दलंति जतिणोतु / पव्वाचिती विहिणा एला मो. सात पञ्चज्जा ।टारं / / 602 // दमग भयं कम्म कुणमाणं. Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9 श्री भागम सुधा सिंधु नवमी विभाग दह सावो पुच्छे / केवतिभतीय कम्स करेस पाएण प. च्याड // 603 // दाहामी पतिादेवम तव पार्ट गंतु साहको बहि / सावेण पेसिओऽहं करेज्ज जं आणवे साडू // 604 // साह भणंति दमगं जो पव्वइन करति कम्मम्डं। 2 काखेमु नगि हिं पचइओ टच्चओ नाहे // 605 // माह भणीत दिवम पर्टियव्वं जंच देम उवएमं / एवं कम्म अम्हं मिल्छ विहं पि गाडिति // 606 // कोतवदिवस गतेहिं मह सड़लो भणति तं भतिं गिण्ड / उन्कोसगभलेणं सुहितो रनो लवे इणमो॥६०७ अच्छतु तुब्भं इत्थे जति ता मगो नदा दलेज्जाहि / कतिवर्याद वसेहिं ततो अभिगयधम्मो उवविभो / दारं ME परिजणे मा भाणता सुविणे देवीए पुप्पचलाए / जरगाणं टसणेणं . व्चज्जा ऽऽवस्सए कुत्ता दारं // 609 // चतुरो तु गोणपाला मत्था. डीणं जतिं तु अडचिए / पडिलाभिति पहा दोहि दुरंधाइय तहियं // 610 // दियलोगगता तत्तो चइतुं दुगुंछी दसण्णे दासतं / तत्तो मिगा य हंसा सोवागा चित्तसंभूता 6 अगुंगी तिधगरं पुच्छति किं सुलभटुलभबोडि म्हे / नित्यंकराह विग्धं अम्मापितरो करेडिंति // 62 // तो ओहिणा पासित्ता माहणपुनत णगरमुमुगारे / मौ माहणो अपुत्तो पुति मित्तिए बहवे // 613 // ने काउ समणरूवं उसुगारपुरम्म आगता कहए / बहजण तीतादीणि नो पुच्छे माहणो ले उ // 614 // होज्जाम्ह कि चऽवच्चं पच्याङ चुया दिया तु होडिंति / दो जमलदारणा तू कुमारगा पव्वइस्यति // 615 // मा तेसि करेज्जासी विग्यमव. स्सं च तेसि पव्वज्जा / डोरी वोषण गता चइतु उक्वन्नया सिं / / 616 // बालताम्मापितरो भगोवि सम्मणाण सरिससवेणं। रक्वस्य माणुसखाता भर्मति दइण ते पुत्ता // 617 // मा तेसि अल्लिएज्जह दूरंदूरेण परिहरेज्जाड | मा भक्सेज्जा ने भे लेवि य . तेरिय पडिसुणेति // 618 // रादि जत्य पासंति मंजए ने नो पलायत / अह अन्जया जगरबहिं चेडे पासंति वंदंते // 66 // बिति य अम्मापितरो दिदहाऽम्हे चेङ वंदमाणा तु। वि समणस्व र. 幾護獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री प-य कल्य भाध्यन . [99) उत्वस भविखंति व चेम्वाइ 1620 // चिंतेताम्मापितरो अनिवीसत्या इमे तु जाय ति / मा पन्चएज्ज इनि अल्लियमाणा तुम मणाणं // 6 // सस्वझाया एते वय णिज्जंतु तत्यहिज्जंतु / 3 य मंचितेऊण वयं गीता नतो नहि // 622 // वड्याए ममोवम्मी म णाभिरामो तु न्धि वरसम्यो। मह मन्नदा कदाई ने त रमंना गता तडियं // 123 // सत्या हीणा य जती लिसियाकलंता तु आगता तडियं / एन्य करेमो भिवं वडहेदहा परिक्षा नतो // 627 // तो ते भयाभिभूता चेडे विलगणा नमेव वडम्वव / जोतणोऽवि य तस्माहे हातु पविमति भिवस्टहा ॥६२५॥णार पत्तिति गुरु तहियं भ. ज्झयण लिणगुम्मति / तो ने मरीने जाती भोथरितुं वंदि बिति // 626 // अम्गापित पच्छित पव्वज्ज अब्भुवमोऽ मेस तु / जह उसुगारज्झयणे वक्खात सुनआलाये / दारं // 627 // एसा पडिम्सुतास. ल पज्जा मारणी यानेसु / चोइसमे अज्झयणे जह तेतलिपोटिलाबोडे ।दार // 62 // पतिहाणे जुवराया राहारियाण पासि 'णिक्खंतो / नगराए तस्स भर्भागणी दिण्णा जितसत्तुरायस्म // 629 // लगरगताण कदायी उज्लेणीओ य आगतो साह / राहगुरुपुच्छऽ. णाबाह बिती बाहे नि रायसुतो // 630 // पुत्तो पुरोहियरस य दोऽवि ते णिवघनिम वाहति / सोतु जुवणित्रमुणी बेति मम नन्तुओ सो तु / / 632 // सायमिन दुरप्पं आपुच्छिन्ना गुळं तु उज्जेणिं / णिरुवस्स. गणं पुहा न चेव कडिंति से जतिणो // 632 // भिक्खहणियाम्मि य भणितो अच्छाडि आणइय्सामो / भन्तदह अत्तलाभी मि बेति दंसेह शिवओवळ // 633 // रसेवण णियतो मुड्डो इयरो वि गंतुं शिवओकं / सहेोष महंतेण अह कुणती धम्मलाभ 634aa . तो तेहिं सोतु टिदही परितुदहि चऽणेहि सो गहिओ। भणितरे तं जच्चस नी इय होत तेण नो भणिता // 635 // गायह तुब्भेत्ति नतो ते तु पगीता साच्चिओ साह / ता ते उपद्दनिता सा. धुणा सिज्जिया दोनि / / 636 // पुणरीच ती गायसु नुमंतु अ. म्डे उ च्चिमो. इमिह / इय होतु त्ति य भणिते पणच्चिता ताहे ने टोवि 11637 // पुणरवि य विहवेना गोवालग विहवेह के 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 12007 श्री आगम मया लिमो विभागः एयं / भोणता ते साधुणं चिनिय के सर्वास में भम्हे // 63 // देही जुद्ध अम्हं लविता साहाण दोपह वो समागे / भागच्छह त्ति सिग्धं तो ते आधाविता नुरितं / :639 // आधावेता य ततो घेतुं बा. डासु दोचि साहणं / नह विधुकोणा टुन नड संधिविसंधिना मवे MEN उताणए मडीए पाडेतं किंगतो नसो तत्तो / उज्जाण गंतुणं झार्यात झाणं गुणसमग्गो // 6 // मह ने दई णिहते संभंतोपरिजणो कहे रणो / राथावि य संभंतो आगनु णियच्छती ते नु॥६२ // पुच्छावेइ य जीततो बिति य णेत्यम्ह पविसते कोइ / णरिक्को पाइणओ आगतो // तं तु जाणामो // 65 // नाडे उज्जाणादिसु २ण्णा मवैसाविओ य दिडो य / गंतूण सर्थ राया चलणेमु णिवाडेओ जतिजो // 64 | बेई य जम्मिमेडैि अवरवं तं समाडिसी भंते ! / जंपति साधु जर्जाद णिक्यमंति मोक्यामि तो णवरि // 645 // सण्णामो बरेडें एस कुमारस्य मातुलो सो उ / बहुमो णिब्बंधकते पाडवण्णो जाडे ते दोऽवि // 646 // ताहे गण नहि दोषिणाव घेत्तूण तेण बाहास / तहणं खलखलीकत जह संघीसि पुणो लग्गा ॥७॥णिक्यामेउं दोण्णि विसरिसगास गाणिया नेण / चिंतेइ रायताओ साधुक. नं मानुलेण मम // 648 // मम हियमिच्छतेण कदमाणे पीहको ब्व बा. लस्य | तह मज्झ सेयंनि अनियारविज्जितो विहरे // 649 // इतरो जातिमदेणं अविणयमादीणि भविंगडेना) / दुल्लभबोडीयन बौधत्तु गतो तु दियलोयं // 65 // कोसंबीए इणमो सेट्ठी कामेण नावसो णाम / मरिऊण सूथरोरण जातो पुत्तस्य पुनो तु // 651 // जातो जाति सरंतो चिंतयति किं नुसुण्ड अम्मोति / पुत्तो वि य बप्यो नी भणामि मूथनण वरं मे 1652|| मरदेवो तित्थकर पुच्छति किड सुलभदुलभ. बोडीडं / भणिनो दुल्लभबोडी तीस गुरु परिभवकए ॥६५३॥कह बज्झेज्जामिति य भोगतो कोसंबिमूगमाऊए / उवजिहिसी तहिये मूगो अन्धितो बोहो // 654 // ताडे आगंतुणं साड़ समार्थात भजति सो देवो / अहग चइऊण इतो तुझ मावए उदर्शम्म // 655 // उवनज्जीडं अइरा डोडिति अबेहिं डोहलो अकाने। अविणिज्जले सम्मि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपकल्प भाग [101] य किच्छम्याप य डोडेति // 65 // अहगं गिोरणीतंबे सव्वातुय अबग करेड मेो। अंबाउलंभे रिसावे)ज्जसिटे अंबे देह जदि ग. भं / / 657 / / अभवमते सत्सकले बे देज्जासि बालभावे य / माउणं चलणे सुपाडेज्जाही णिच्छपि / / 658 // कि बड़णा तह कु. ज्जा जड साइनो दटो होमि / संबोडिकारो स्यलु लति अजतेण बोहिं तु // 59 // मूगेण अब्भुवगले देवे मिऊण सालयं पत्नो। चाऊण य उववन्नो कुच्छीए मूगमाऊए / / 660 // अंबगडोहलजातेभविणिजंतरिम देउडा / भद्दण्ण परिजणाणं मूगो लिहतम्परा - णिणमो // 661 // जोदे देड मेय गभं मझं तो अंबगाणि आरोमि / देमुत्ति अभुवगते सत्सकसमाणेति अंबाई // 2 // तो पुण्णडोह - लाए जातो दिण्णो य नाहे से नस्य / उत्ताणसायगंन जतिणो पादेसु पाडेति / / 663 // निविस्मरं परोती जाडेवि य पारिओ उ पादेसु / सुडचलणेसु जतीण मगेणुलो तु णेच्छी या // 6 // घेनुं गीवाए नओ गेण परिभो वे बहुमो / परितंतु ततो ममो णिक्यतो गतो य दियालोयं // 65 // ओडीए दहणं सुविणादिमु बोहिओ जति ण बज्झे / नाहे करेति रोगी देवोवि उ वेज्जरवेणं 6 जदि वति सत्यकोसंभमति मए यानि जार्द सम एसो। तोणीरोग करेमी पोडवण्णो कतो य गीरोगो // 66 // घेत्तुण तं ययाओ गुरुग से मत्थकोसगंदावे। तवज्जभारगुरुगं बेनी नाम वोट जे // 66 // दंसेति साधुसवं बेति जति णिक्यमाहि तो नेट / मुंचामि विमुचमि य रोगा पौडेवण्ण तो मुक्को / / 669 // णिक्यते तो तम्मी देवोचि ततो तुसालयं पत्तो / कालेणुप्पवइत सघरं संचदिहतो अह सो // 670 // देवेण पलायंतो दिडो विगुलब्धिऊण तो अडवि / काऊं मगुस्सव अह अडविं पदिहतो लत्तो // 6 // लवति ततो टुब्बोही कि इच्छसि अप्यग विणातुं / जंजामि अडविडतं देवोऽवि ततोऽणु पच्चाह / / 672 // तं पुण विजाणमाजो पारगादीवयसंकिलेस तु / कि णिग्गंतुं तत्तो पुणरोव दु. साविमतीति / / 613 // अगणितो तं वयणं सघरं मह आगतो ततो सोन् / शेगा, साहरण भूओ विजागमो दिक्या IFr Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 [102] श्री आगम मुदा मि-यु 0 नवमो विभाग कालेण केणइ पुणो लिंग मोचण पदिहतो सगिडं / देवेण पुणो दिडो गामपलित्तरा कुति / / 675 // पुणरवि मणुस्सरूवीत णभारेणं तु विसति तं गाम / दह लवे पुराणो कि इच्छास अप्पणो णासं // 676 // जंतणभारेण तुम विससि पलितं ततो लवे देवो / एव तुम जाणतो जरमरणपलित्तसंसार / / 677 // पविसंलिच्छास णासं मुंचसि जंदुक्खलाड़ियं दिकम् / अर्गाणतो वनि घरं गतस्स रोगं पुणो कुति // 67 // पुणरवि तहेव दिवसा उप्पइए य सघरहुत्तस्मि / संपादेहए अ. वीए नस्स पडे वंतरप्पोडमं / / 679 // काउं मच्चणदेवे। अ. च्चितमडितो तु पति डेडमुडो / पुणरवि समहवेतु ण्डविर्याच्च ओ सो पुणो पडितो // 60 // एवं पुणोवि अच्चियमहितो वि त बतृप्सो पडे जाहे / लति नतो दुब्बोही किंवरहाणे ण डाए सो / 61 // देवाह जडामि तुम बरहाणेवि डबिओऽविण रमेनि / पव्वज्जं मोनू गरगादहहाणं पुणवि अभिलससि // 62 // लाते पुराणो को तुम देवो दंसेति मूगरूवं से / देवनं पुव्यभव संगारं वानि संभारे // 63 // तो संभरितुं जाति संवेगमुवागतो भात देव / इच्छामो अणुसदि जातो पिरो संजमे ताहे।दारं // 65 // रोग, णि य एम दिक्खा अगाठिया रामकण्ड पुन्वभवो / दारं / उद्दाय. ण संबोडी पभावती देवसण्णत्ती दारं // 65 // बच्छ अणुबंधी मणको / दारं / कण्णाए अणिओ तु केणव / पुत्तो जाति जो दू सो होती अजणकण्णी तु // 66 // गिर्वात मुताति दोन्निाव णिक्यताई तु भातुभंडाई / अण्णद रायसुतो न णिसाए लोयप्पणो कुति / / 3 // छड्डेडामि पभाते चलणाहो कालपांडेयरंतीए / पोग्गल - दागमणं अह णिवति तेसु वालेसु / / 688 // वीमरिया ते तस्स य सिरोरुहा तम्मि चेव हाणाम्म / तत्थ य पवित्तिणीओ महागता ग़ाम गंतुमणा // 69 // अह तीए रायडिया तं वंदिउँ सा पदेसि लोम्म / उर्वावह परि तीए य मोलगं सहसमोगाठं1880|| लज्जाए सहस घेतुं तेर्सि जेसुक्कगलाइण्णे / गुज्झम्मि सोन्नवेयिय अह सुर्क जोणिमोगाटं // 691 // तो गब्भो आभूतो अह Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - श्री पञ्चकल्प माध्यम् / [103) प्रोट वाद्धयं पयन च / मुणिया में सुचिडियादि पुहा बेता वि जाणे / / 692 / / अतिययणाणी घेरा य पुच्छिता हे सिदः जहवत्त / डोही जुगप्पडाणो रखड अप्रमादेणं / जम्म सइय्कुलेस स वाइठलो गोण्णणाम कर केसी / एमा तु मजणाकभणी पव्वज्जा डोति. णायव्वा दार // 69 / बडुजप्रासम्मुनियाए णिक्यमणं डोति जंबुणामस्य ।दार / अस्खायोए जंबू धम्म में - म्यादि पभवस्य // 695 // संगार मल्लिणाले सत्त णिवा कासेज. ह उ संगारं / दार / वेयाकरणे सोमिलपुच्छा जह जाकरे भगन / दारं / / 696 // सयबुद्धा तिन्थगरा / दारं / सोलसहा एस डोति व व्बज्जा / पुच्छा परिसुद्धम्मि तु अब्भुनगते होते पव्वज्जा // 19 // गोयरमचित्तभोयण सज्झायमण्डाण भूमि मिज्जाती / अभुनगयः म्मि दिवया दवादी पसत्सु / दारं // 69 / / लागणादिम् तुरते भणुकूले दिज्जते अहाजातं / सयमेव तु धिरहत्थो गुरु जहण्ण लिण्ड इट्टा // 699 // अन्नो वा घिरहत्यो सामाइग तिगुण अटा डणं च / तिगुण पादक्षिण्णां णित्धारण गुरुगुणे बुइटी / मुडात्र गत / दारं // 700 // फामुय आहारो से अहिंडत च गाहए मिस्र / ताहेत्र उहवण धज्जीणिय तु पन्तस्य // 1 // अप्यते अकहेन्तः अणभिगय परिच्छ अतिक्कमे पासे / एस्केके चगुणा - सेसिया आदिमा चउरो // 702 / / अप्यन्त न सुतेण परिया| उ. वहवेत चउगुरूगा / आणादिणो य दोमा विराहणा घण्ह कायाजादार / / 703 / / सुन्तत्य अकहेता जीवाजीने 8 बधमोक्स च / उवहवणे चरगुलगा विराडणा जा भणिय पुच दार / / 3000 HDहिगलपुण्णपा उवह वितस्स चउगुरू होंति , आणादियो य दोमा मालाए डोति टिदहंतो दा॥७०५॥ ससराय टगाउल्लगणी 7. लिहिते हरितबीजमादीम् / होति परिक्खा गोयर कि पारेहरती - व विति // 706 / उच्चादि अपंडिल वोसिर डाणादि वावि . ढवीए / दिमादिदगममी सारादीदाह अमणिम्मि / / 704 // विजण अभिधारण बाते डरिए जह पुठविए नसेसु च / एमादि : 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [104] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग रिवियत्ता वतदाणमिमेण विडिणा सो // 708 // दवाद पसत्धेवता एस्केक्कं तिगुणणोवारें डेहा / दुविडा तिविडा य दिसा आयबिलणिधिगतिगा वादारं / / 709 // चितिपुत्ताणं जुयला दोषिण तु णिकयंत तत्ध एगस्स / पत्तो पिता न पुत्तो एगस्स तु पुत्तो गनु धेरो / / 710 / / ताहे तु पण्णविज्जति दंडियणायं तु कात भण्णइ तु / मा गेण्ड अन्सग्गा तिर्माणमो डोति एसविता।। 711 // एवं सो पण्णवितो दि इच्छे तो उवदहवेंती तु / णेच्छते पंचाहं हुंती दो तिोण्ण वा पणगा / / 712 // वत्थू सभावा सज्ज व जाऽधीत ताव तं परिच्छति / एवं रायअमच्चे सं. जतिमझे महादेवी दारं // 713 // राया रायाणो वा दोणि वि. समपत्त दोसु पासेसुं। ईसरसेदिडअमच्चे णियम घडा कुल दुने सुइडे // 714 // समयं तु अणेगेसु पत्तेसु अभिमोगमावलिया / एगतो दुहतो व हिता समराइणिता जहासणं // 715 // ईसिं अणोयरत्ता वामे पासम्मि होति आलिया। अहिसरणम्मि य वइठी ओसरणे सो व अण्णो वादारं // 76 / उवहालियरस एवं संभुजणना तडेव संवासो। बितिथपदं संबंधी ओमादिसुमा डु बहिभावं //717 / / भुंजीसंमए साढे इयाणि णेच्छति तु मातु बहि भावं / अहिसायति च भोमे पच्छन्ने जेण भुजति / / 718 // एमादिणा तु भावं ताहे अप्पत्त अहव पत्तं वा / उबडानेतु भुजति अपरिणते चित्तरक्सट्ठा / / 719 // उवहाचिए संभुत्ते संवासो ए. स्थ होति कायव्यो। बितिथपए संबसेज्जा अणुनढवियं पिमहिं तु / / 720 // अण्णत्थ त्धि डाओ अडवा डोज्जाहि सोऽवि एगीगी। य कप्यति एगस्सा संबासो तेण संचासो // 72 // सच्चित्तविथकप्यो एमेसो वन्जिओ महत्थो तु / अच्चित्तवियाप्यं एतो वोच्छ समासेणं / / 722 // आडारे उडिम्मि य उवस्सए तह परसवणए य / सेज्जाणिसेज्जडाणे दंडे चम्मे चिलिमिणीय / / 723 // अवलेहणिया दंताण धोवणे कण्णासोडणे चेव / पिप्पलगति णवाण छेदणे चेव सोलसमे / / 724 // आहारो खलु दु. विडो लोइय लोउत्तनो य गायब्बो / तिविहो य लोइओ खलु तत्य Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PREPARE श्री पश्य कल्प भाम्पन् [105]. हम होइ णायचो !725 भायणे भोथणे चेव भुजियब्रे तडेव य। भायणे तु इमं घेरा गाहासुत्तमुदाडरे 11726 / / सुवण्णरजते भोज्जं मणिसेले चिलेवणं / अविदाही घतमाथसे पयं तंबे याणसुहं च मिम्मने / / 727 // स्पोदणे जवण्णं लिन्नि य मंसाणि गोरसो जूसो / भकला गुललागिधा मूलफलं उरियगं डागो / 728 // होइ रसालो य तहा पाणं पापीय पाणगं चेव / सागं चऽहारसहा णिसवहतो लोगपिंडो सो // 729 / / सूवगडणे गड़िता वंजणभेदा उ जत्तिथा लोए / ओदणगहोणं पुण सन्तविडो ओदणो गडियो / / 730 // जो तू जवण्णं भात लिन्जि तु मंसाणि जलयरादीणं / गोरसो खीरादीउ मुग्गपडोलादि जूसो तू / / 731 // भक्सविहि उल्लसुक्सा गुलकत तह लावणी न बोद्धच्चा / मू. लग अल्लगमादिमूलं अंबादि फलगं तु // 732 // हरितग मूलकु. टेरगभूयणगादी य होति णायचो / डागो य गोरसकओ पजेवणादी बडविडाणो // 733 // दो घतपला मडुपलं दहिस्स अद्धाटयं म रिय वीसा / खंड तुलादसभागो एस रसालू णिवइजोगो 734 संड तुलादसभागो दस खंडपला डबनि णायव्वा / ने तम्मि पविखवित्ता मज्जिय णामं रसालोत्ति // 735 // पाणं मज्जविही ओ पाणीयं धारपणियादीयं / दयादिपाणगाइं सागेणं वंजणा जेतु // 736 // एवं अट्ठारसहा णिसवहतो दइटगादिपरिहीणो / ण य उवहमति जेणं रसादि छठेण दवेणं / / 737 // परिसुक्के दाहिणतो दवाणि सञ्चाणि वामतो कुज्जा / गिद्धमहणि पुवं मझे अंबं दवंताणि / / 73 // परिसुवायं सालणगादि तं गिण्ड सुहं तु दाहिणकरेणं / वामेण पाणगादी लेण तयं वामपासम्मि / 739 // अप्पाइजति देहं पुब्वं णिद्धमहुरदब्बेहिँ / पेताही णियमा केवइयं तं तु भोत्तव्यं // 9 // अद्धममणस्स सबंजणस्स कुज्जा दवरस दो भाए / वातपविधारणा छब्भागं ऊणयं कुज्जा ||७४शा तं पुरण एयपमाणं आदी मज्झे तहेव अक्साणे / केरिसर्थ भोत्तव्यं तस्स इमं गाहमाहंसु // 7 // 2 // असतामिव संजोगं पण्णा भोयविहिं उदिसति / लुक्सर ट्वा EFFFFERESERS Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BASARASARDAR [2060 श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभाग वसा मज्मोचित्त महरमादि // 43 // असता असज्जणा दज्जणा य एगदिडताणि एयाणि / तेहिं सम जा मेत्ती संजोगो सो तु णायव्यो 19801 गुलमडरा उल्लावा तेसिं पुलं करिति य पियाइ / मज्झे य डोति मज्झा महरा विति च दाएंति / / 745 // कुव्वति य भासंति य अवसाणे तारिसाणि जेहिं तु / जिज्झति सच सुकयं एवं किर भोयणं मुंजे // 746 // दिए णिद्धमहर मज्झ विचित्त दवलुक्य अवसाणे / तेणं विपागमेती दज्जैणमेसी व अवसाणे // 77 // कुंसलाभिहिएणं पुण तं भोत्तवं इमेण विहिणा तु / असुरसुरं अ. चवच अदुतमविलंबियं चेव // 7 // अयमण्णोऽवि विही सलु भोथणजाम्मि होति णायचो / जारिसर्थ // भोत्तव्वं दो. सा जे वि भुत्तस्स // 749 // अच्चुण्ड हणइ रस अतिथंबं ई. दियाइ उवहणति / अतिलोणियं च चक्मु अतिणिद्धं भंजते गहणिं / / 750 // आहारियाम्म एवं णीहारेणं अवस्स भविथव्यं / तत्थ ण धारे वेगं दोसा य इमे धरिज्जते / / 751 // मुत्तनिरोहे चक्स वच्चणिरोहे य जीवियं इणोते / उइणिरोहे कोट स कणिरोहे भवे अपुमं // 752 // तेइच्छियधूताए आहरणं तत्व हो३ कायव्यं / तेइच्छिमले राया पुच्छति पुत्तत्धि त्यत्ति ! // 7535 दिधति अस्धि धूया राया बेती आहेज्जऊ सत्पं। पिउसंतिओ य भोगो तह चेव य तीयाण्णातो // 75 // मच्छरिता विज्जापणे बेती कि एस णाहिति वराई / भिससत्यं अहना से परिच्छि. उ दिज्ज अह भोगे // 755 // सद्दावेतुं पुहा किधितं तेल ते. सिसा पुरतो / तोऽणाए वातकम्म सद्देण कतं उसे बेज्जा // 756 // तो भणति णिव सा एने वेज्जा ण व तुरंद ! / 0 य जाणंती सत्धं कहति बेती इमं सुणसु // 750 // तिष्णि सल्ला महाराय / अस्सिं देडे परदिहता / वाउमृत्तपुरीसाणं प.. त्तवेगं धारए // 75 // णिम्मुडिकता तु वेज्जा तीए सावि य पनिदिहता तहियं / तम्हा // धारए वेगं वायातीण तु सव्येसि // 759 // एवं भुत्ते समाणे जर्जात वातादी पकोन गच्छेज्ज्ञा / PRESSSSSSSSS Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRY श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1 ] जाणेज्ज लेमि वेलं पच्यूसादी इमं तडियं / / 760 // सिंभो वइति प च्चसे पदोसे विनमडटरत्तम्मि / म लिए य वाओ बइठति पु चोवरगडे य1987। तत्थ वेज्जो पूच्छिज्जती नसिनवेल सच्चेत्र / चिया अवेलार पो किरिया इमा नेसि / / 16 / / तिनकडुपाई मिस निणार्ड वित्त कमायमहरेहे / णिधुण्डेहि य वायं सेसा बाड़ी भासणाने , 163 // के रिसए कालम्मी भाडामो कोरस तु पुरिमेणा / भाड़ारेयव्यो पल सत्य इमो बाणतो मो य / / 165 // सीले उपडं पविमेज्जा उण्डे सीय पवेसए दलं , गिटे लु स्य पवित्येज्जा लक्मे निद्ध प्रवेसए 765 // जो चाही निद्रेणं समुदिहतो सम्म लुकांकरिया उ / नुकोणमुर्दियस्स तु कायचा जिकिरिया तु // 766 / एसो तु लोइओ बलु पिंडो नु वाणओ स. मासेगां दारं। लोउत्तरिए पिंडे वणिज्जति पिंडणिज्जत्ती 1980104. डे उगाम 'उप्यायणेसणा मंजोयणा पमाणे य / इंगाल धूम कारण अहविड़ा पिंडणिज्जुत्ती // 6 // पुटवाईया भेटा वनच्च जहक्क. मेण पिंडस्स / गविसणमादीया वि य एमणभेदा य नह चेव // 769 // उग्गममादी दोमा सच्चे य जहक्कमेण वत्तव्वा / जह भणिय पिं उजनी गरि इमो पूलिए बिसेसो / / 1.10 // मचय कोहरा दारुय डाए तह गोरसे य लोणे य / लबणणेहे डिंगू दालिम तह तित्तए चेत्र / / 771 // भगारामे पुत्ते तुंबे फलही तडेव गाओ य। एतारिसे समपणे गहणं णणु कस्य केरिमय // 72 // भत्तस्स उवक्लेवो गोरसमादी तु मंचतो होति / सो संघदहा डवितो भावे अ. वोचिणि अगिझो।।७७३, अटिहय परिभुत्ते कति भावम्मिताहे वोच्छिणो / कर वोच्छिति भावो सोतूण अफामुदोस तु दारं॥ .... कोहरा तंदुल तिघरा समणहा सिं करा ण कम्पति / अह दच्छर सजथट्टा आयटडोवस्यडा कय्ये / / 775 // आयढाए दुछडा मजयभटहा तिच्छा कप्ये। जादेवि य आयहाए आरभो हो. नि नेमिनदार 9 / एमेव य दारूसागाइथाई जाइ अफासु. दव्वाइं . अनढोणोदेडताई कप्पे समणदह णवि कय्ये / / 777 / / गोग्य डिश तेल्लादि दालिमे निलकडूयदव्चाई / लंबण गुलो य FREEFERRRRRRRE Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22222222222 [20] मुमा सिन्धु 7 नवो विभाग भण्णोन संचियमेवा मघट .. फासदत्वा जे तु भनो - छिण्णा भाग म्हस्य बन्दह कैछि भावे य कति दार ... झारलाई भारामं वाव भ हव रोज संजय मिन कई माफलाइल दाहंति | नत्य विसज्योग संजयटहा क्या कप्यति / अनहाए क ता पुणः ऋयती नंदला जड़ उ1907 पुनं जणेज्ज कोई माया रिओ मज्या भावनाको ति / नेमि महाओ डोहिति पचावे तु. सो कप्ये ७२भासणभहा दुधीओ बाचे फलेडी य वस्थमा नहा / संजयहाए जा मुत्तं भानदह नियम्मि पु' कप्ये॥३॥ कतो संजयहाते आतढासुत्तमादिक aa कप्पे / जम्छा ग्रहण अजोग्मो तु सजतहाए कारिनो EUR संजत अहा चियितो भातोवहतो य तत्तो य / कप्पोते जम्हा य कतो मंजतजोगो तु आनट्हा // 5 // एवं गावीओपी कोइ किणिजाहि मंज्यहाए / आतह टूट कपणे समणदहा टूट णो कम्ये // 786 // एमो प्रतिविसेसो भणिनो पुवं नु पिंडनुत्तीए / दारं / एत्तो उवहीकप्यं वोच्छा मि गुरुवाएमे / / 08 / विहो य होति उवही पत्ते वधे य ओवरहिए / जिधिरअजाण नहा कोच्छामि अहाणुपुचीए /ocell पाए उग्गम उप्पाथणेसणा संजोयणा पमाणे या ईगाल धूम कारण अविहा पाणिज्जुत्ती // 9 // जह संभव णेयव्वा पिंडगमेणं तु पातणिज्जुनी। सलधुग्गममादी जहा जहा जे तु जुज्जति // 790) पातपमाणं तु इम पमाणदारम्मि होति वनव्वं / मज्झजहण्णुक्कोसं वोच्छामि अहाणुपुब्बीए // 79 // ति. णि विहत्थी चउरंगुलं च भाणरस मज्झिमपमाणं / एत्तो हीण जहण्णं अतिरेगनरंतु उक्कोसं // 792 // उक्कोस निसामासे दगाउअद्धाणमागतो साट्ट / भुजति एगहाणे एयं किर मत्तगपमाणं / / 793 // एवं चेव पमाणं अतिरेगतरं अणुग्गह पक्तं / कंतारे दुभिक्थे रोहगमादीमु भइयचं / / 794 // वट समचउरंस होति धिरं धारं च नण्ण च / इंडं वाताइद्धं भिण्णं च अधारणिज्जाई // 79 // संडियाम्म भवे लाभों पतिदहा सपति . F Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3298292989222 श्री पञ्चकल्प भाष्यम [109] दिहए। णिलणे किनिमारोगा सवणे वणमादिसे दार // 79 // त्धे उगम उप्यायोसा जोया प्रमाणे य / इंगाल म कारण भइडोहा वायणिज्जत्ती // 42.: एत्यो र जहासभत्र घोसे. यच्वाइं सहाराई। पउलाटेपमाणाणिय एमादारे समताको (198 // गिमहाससिरवासामु य पडला उस्कोसमझम जहन्ना / वाराणोका कमसो पच्छादा पुरोगामि 92 // एमेव य पच्छादा पुरेिम खेनं च कालमासज्ज तिगादी जा सत्त तु परिजपा पाउणेज्जाोडे / / 10 // पुरियो असह कालो सेमिरो खेन व उत्तर पहादी / गिम्हे 5 वे पागोज्जा नोरिमय देसमामजज // 1 // एवं तु उसमादिसु सुद्धो मच्चोऽपि एस उवही उ0 धारेयच्चो णियतं अकडो चेव जडलिहिणा / 02 / असती ते. गोण जुलो जोगि ओहोनही उवग्गडितो। छेदणभेदणकरणे जा जहिं आरोवणा भणिता 103 // तिबिड असति तिजा सा दब्चे काले य डोति पुरिसे य / दवम्मि तिथ पात ओमोदरिया य कालम्मि // पुरियो य उगमंतो ण विज्जती एस पुरिम असती तु / अहवा अगल अधिरं अधुन संतामती ति. विडा / / 05 // अहवा लिग त्ति असती अहाकडाण अप्पपोरेकम्म / तस्मऽसति अपरिकम्म तं तु विहीए इमाए तु॥०६॥ चत्तारि अहागडए दो मासा होति अप्पपरिकम्मे / तेण परि वि. मग्गेज्जा दिवइटमासंसपरिकम्मं // 107 // पुणसद्दा निक्युत विमग्गियच तु होति एक्केक्कं / एवं तु जुत्तजोसी अलभंतो गिण्हती ततियं / / 0 // अहवा असिवोमेडिं रायटहे व से, गुरुणं वा / सेहे चरित यावय भए य ततिय यि गिडिज्जा 09 / असिवादि पुच भगिता गुरूवमो गुरु भोगजाहि अच्छाहि ताव अज्जो तत्य तु ते कारण विदंति / 10.) एनोई कारणेडिं अहगडवज्जेण दोण्ड गहिताण घेदयामाटी फन्वं जयणाए होति सुट्रो तु / / 11 // णिक्कारगरणे वेराहणा डोति संजमायाए / छेदणमादीएमुंजा जडि आरोषणा भणिता // 12 // तं पुण सपरिकम जयणाए होलि लिंपियन्वंतु / FREEEEEEEEEEEEE Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARREARRRRRRR [10] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग एते तले से लेवग्गडणं तु वण्णेऽहं / / 13 // हरिते बीजे चले जने बच्चे सागो जनदिहते / पुठवी संपाइमा न्यामा मइवाए महिया हिमे // 4 // एन लेवग्गडणं जहक्कम व. शिणतं समामेणं ।दा। भोहोचहत्तरहित उल्लिगेऽह समा. सेण my जिणकप्य धेरकप्ये अज्जा चेव भोड़नागाहितं / वो. च्छामि समान्मेणं नहा मज्झिमुक्कोग्य 16 // पन पत्ताचधो पाथहवण च पायकेसरिया / पदलाई ग्यनाणं च गोओ पायणिज्जोगो / / 117 // लियोन य पच्छागा रयहरणां. चेव डोई मुडपोनी / एसो टुवालविहो वही जिणकप्पियाणं तु // उक्कोमिओ उ चउहा मज्झिमा जहण्णगोवि चउहा उ। पच्छादति उग्गडो जिणाण अह होति उस्कोमो ॥१९॥प. उलााणे रयत्ताणं ग्यहना पत्नबंधमज्झिमगो। गोच्छर पन्तहवण मरणंता केसर जार 20 // जिणकप्पियाण एसो सेसाण विणिरायाण एसेव / धेशण अतिरेगो मनो नह चोल. पट्टो यर| उस्कोस जइन्नो तु जो च्चिय जिणकप्पियाण. सो चेन / मज्झिमए अतिरेगो मनो नड़ चोलपटो य // 22 // ए. सेव चोहसविडो चोलडाणम्मि गरि कमलं न / मज्जाण इमो अण्णो ओडोहि डोति णायचो // 23 // भोगहणंतगपट्टो अ. छोकग चलाणया य बोद्धव्वा / अभिंतर शहिणियंसणी य तह कंचुए येव 25 // उक्कच्छिय वेकच्छिय संघाडी चेव संधकरणी य / ओहोवहिरिम एते अज्जागा यण्णनीय // 25 // उक्कोसो भविडो मज्यिममो डोति नेसविडो त। चउड जहन्जो सो च्चिय जो जिणको समक्खाओ // 26 // पू. च्छानिय उमा णियंसणभंतरी य बाहिरिया / न्यंघाडि संधकर य अहड़ा होति उस्कोसो 27 // पत्ताबंधो पड ला रयहरणं पादपुछण चेव / मनर कमढगोराहणते नह प. / टए चेव / अटोरए चलाकचूगोवको तड़ विकच्छी य एमेद नेरविड़े मझिम उवही तु अजाण // Bfssssssssssss Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PERMER श्री प्र-य कल्प भाष्यम् 11] 'एसो टु जोडउवाड एत्तो सेसो तु होतुवडिओ / सधारपट्ट मादी तगडा होति णायब्बो 30 // विहोवहीव एसो जह स्कम वणितो समासेणं / दारं एत्तो उ उवेसणथं वोच्छामि आणुपुवीए // 3 // भिसगादिउवेसणय वासारत्ते उ पाणदयहेतु वेहासदहा धिप्पड़ त चिय सागपस्मवणं // 22 // विस्यमणट्ठा धेराण घेप्पती ।दारं। एत्तो वोच्छ सेज्जंतु। सेज्जा संधारो या एगह होति णायव्च 1822 // सवगिया व सिज्जा डोति असम्बंगितो तुसंधारो / एगंगिम गंगी परिसाही अपरिन्साडी य // 3 // एतेसि सव्वेसि अडहिं दाहिं मरगणा होति पिंडणिज्जुतिगमेणं णेयं जहसंभवं सव्वा दारं। 5/235 // णिसिथणहेतु णिज्जा रयहरणपमाणओ गडेयव्वा / किं पुण) चिम्पइसा तु भण्णति सुण कारणमिमेडिं // 836 // पुरिसे पुरवि सरसे पच्छाकम्से तहेव अचियते / बाउस. परिडरणाए सधारणसेज्जणुण्णाता // 127 // राजादी पध्वइओ भूमीए अतरं णिवेसतो। वियरिणमेज तेणं संधारणसे - ज्जणण्णालः / / 38 // मीससचिन्तधराए अखाणादीसु मा वि. राहणता / उण्डाए पुठबीए तेण णिसिज्जा य संधारो // 36 // एमेव 8 ससरम्ले सच्चित्ते संतरं भवे जयणा / सागारिय च इहर धलीउग्गुंडियसरीरो // 40 // कज्जेण गिडिणिसेज्जागतस्य उत्थरिम मइलिए विडियो / ओफुसणधोवणादी का. रेज्जा पच्छकम्म तु ॥४अचितन्तं वा सि भवे धूल उडितपूले णिविडम्मि / अहवा बाउसदोसा पम्फोडिंते धुवं ते वा दारं // 42 // डाणं तिबिडं भणितं उटनिसीया तुय. ट्ट डाण च / उड्ट काउस्सरगो णिसीयण णिवेह हाण च // 43 // होति तुथट णिचण पडिलेहपज्जियाण काय व्वं / सेणिसेज्जाणं व हा अहवानि हाणं तु / दारurs // लही आतपमाणा विलट्टी चउरंगुलेण परिडीणा / दंडर बाइपमाणो विदंड ओकच्छापमाणो // 45 // दुपसुसाणसा. वदाँवज्जलविसमेसु उदयमग्गेमु / लदडी सीरवसा तवसंजम - వంక Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HERERARE [112] श्री आगम मधा मि-पुः नमो विभागः साडिगा भणिता दार चम्मपोडेतलिय - सल्लगवझादी डोज्ज चम्मगहणं तु / अत्धुरणपादरक्सा फडिए तह संधण. हादी // 14 // रिसभगदलकच्छू छप्पति गल्लाति अत्युरणगं तु दुब्बलयाए चक्क्यू अद्धाणादीमु तलिया नु॥४॥ फड़ियविनिच्चणडंगुलिरक्सट्टा खल्लकोसमा होति / वज्झा उ संधणदहा अद्धाणादीसु छिण्णा य / दारं ॥४९॥रज्जुमी पोत्तमयी कंबलमय तह य दंडकडगमयी / पंचविहा चिलमीणि तु पिणता एस पुवं तु दारं // 50 // .. उडुबद्धे रयहरण वासावासामु पादलेहणिया ।व.. 3 उंबरे पिलिखू तस्स अलम्भम्मि चिचिणीया // 5 // उभओ णहसंडाणा सच्चित्तचित्तकारणा मसिणा / सचितेगेण फसे पासेणेगेण अच्चित्तं दारं // 52 // कण्णाण सोहणं पुण कण्णाण मलेण संचिएणं तु / दुस्सेज्ज जस्स कण्णा न सुणेज्ज व सोतु गिण्हेज्जा / दारं // 53 // परिर लदंतो धेशे मित्यादीणं तु दंतलगाणं / लेवाड अर्शत सारित य रम्बट्ठा गियह सोडणयं दारं // 54 // अद्धागोमाटीमुं पिप्पलतो विकरणह कंदाणं / माणाहिगवत्यादी गासमुडभाणकरणहा ।दारं / / 855 / / जुण्णाण संधणदहा सूई गवनवणं तु कंटाणं / उद्धरणह गहाण य छेद हेतुं गडेयव्वं दारं // 56 / उच्चारमत्तगादी अण्णोऽपि य अविडप्यगारोतु / ओवडिओ भणओ उजग्णहट्ठा महाणेस्स // 857 // सव्वोऽचि एम उवधाय दोस परिवज्जिओ धरेयचो / बीतिधा उवघातो तस्य इमो डोति जायचो // 5 // उगम उप्याय.एसणा य पडिक्कमणा य परिंडरणा / अचियत्त वतीयारे लहेव परियट्टUn विडिया / / 859 // उगमम्मि य अण्णांते पामिच्चे य प. वाहणे / तेरिच्छया हया चेव तदा तेणाडडेति या // 6 // अण्णाणोक्हडे चे मालोडड अरवियए / क य कारिते चेव बंधणे य विराहणे // 1 // विवण्णकरणे चेव एमेला पडिब RRRRRRRRRRRRRC Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 空空空总部免免染色免杂杂杂 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् / - [193] / तिओ। एते पत्तेय उवघाता उहिस्स तु वीसति / / 2 / / उगमेणं तु अम्सुद्धं तहा उप्यायोसणा / उवहिं उनहतं जाणे वोच्छामि परिकम्मणे // 3 // परिकम्मे चउभंगो का - रणे विडि बीतिओ कारणे अविही। नइओ णिककारणम्मि य विहीं चउत्थ णिस्कारणेऽविहीं // // गगारदंडी वेलातग स्वीलगमादी य होति अविही उ / णिस्कारणम्म तीय तु परिकम्मे तम्मि उवघातो // 65 // भाणस्स वि परिकम्म णिम्मोयण लेन सिचणादी य / शिक्कारणमनिडीए कुणमाणे डोति उखघातो दारं | | अभिंतरं च बाहिँ बाहिँ अभिंत. 2 करेमाणो / परिभोगविवच्चासे उवधातो डोति णायचो। दारं / / 67 // णियगोडि परिभोगं समणुण्णाण_ण देति कज्जम्मि। जो भडमच्छरीयत्तणे उडिस्य उनघातो / जतिधारे - पडिडरियवत्वं पादं च जो गडेऊणं / पुण्णेवि तमिम काले अणपुच्छ धरेंत उवघातो // 19 // लोइय लोउत्तरयं परियटिय जो तु गिण्हती उचहीं। उग्गमदोस असु. द्धं च उनहतं तं तु णायब।०॥ अण्णा मागतस्य तु जूस्य उ उडिस्स उगमो 7 णज्जे / सोऊणं परिभुजति उप्यायंते य णायम्मि / दारं // 1 // पामिच्चं उ. ज्जुयगं उच्छिण्णं चेव होति णायव्वं / लोइय लोउन्त - रियं तु उवहतं ने विधाणाहि // 2 // अण्णनहते असते दिण्णे साइरस अण्ण जदि वाहे / तंतु पवाहणदोसा उव. ही त् उनहतं जाणे // 73 // सुणए वानरेण वजह सबगमादि हरितुमाणीतं / दिज्जंतदिज्ज वा गेण्हतं उबहुतं जाणे non अण्णाणोवडतो खलु वत्यादि मकपिएण जो गहिओ ।दारं / मालोड्डो (75 // अणरक्सिाउत्ति सुण्ण उन िभोन्नुण जो उ गच्छेज्जा / भिवसादीणहाए मोऽवि य उडिस्स उवघातो / दारं / / 176 // सयमेव करे उवही मिसेज्जाई सोऽवि मोडतो डोदि / दारं / / काइन अण्णे उवधातो मोवि बोधवो // 7 // जाणे // 4 // अपोलो जो तु बेहासा // 'న్యూ Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [114] . श्री भागम मुथा सिन्धु * नवमी विभागः / बंधति भिण्ण भविडीभिण्ण च अरेति सोचि उघातो / सुब्ब पण च दुवण्णं करेज मा तंदु डीरेज्जा // 7 // दृव्वण्णं च सुवर्ण विभूसहेतु जो करेज्जाडि दारं / उडि उनघात एते अहवा अण्णे ऽक्नेि डोति // 79 // पंचदड य पण्णमा मोलस दम चेन होति डाणाणि / चतार एक गाइ बारस श्रीस च हा. गाइ // 0 // दबे खेते काले भाने पुरिसे य होति पचेव / एते मि पंचण्डवि पसरणा होति कायव्वा दचे भयल अधिर अधुवं च तहा अधाणिज्जच / एतेसुं चामुंपी टुंते भंग . सोलस उ 2 // अहवा महद्धणाई खिने काले य अच्चित्तं जं. तु / भारे जहा गिलाणो भुजे अगिलाण तह चेव // 2 // पुरिसे अमट्ट तु जहा सट्ट वि परिभुजते तहा उवही / रायादी पबइभो अहवा पुरिसोडवेज्जाही दारं // अहवा गारवमुच्छा अचियत्ततिरित्त बाउसत्तं च / पंचते उहिम्मी समणेण सया ण कायव्वा दारं // 5 // जोगमकाउमहागडे जो गेण्डति अप्यसपरिकम्म वा / अहवा अमरिगऊणं अप्य गिण्डं मपरिकम्मgu अपपडिलेहिय गारवमुच्छविभूसा य डोति सत्तमाए / अचियतेमा मे कोबी छिचतुत्ती होति अडमए ।दारंगल पण्णरसुग्गमदोसा अज्झोयरमीसजायमेगं तु दारं। उप्याथा मोलसर्ग एसणदोसा य दसग तु दारं संजोयणा पमाणे इंगाने चेव डोति धूमे य / चन्तारि एस्कगा सनु एते से होंति गायव्वा दारं // 9 // बारम डाण इमे स्वल वेदणमादी तु होति छटहाणा / आयंकादी धच्चिय अधरण धरणा य उवघातो दारं // 9 // यणवेयावच्चे इरियदहाए य संजम. हाए / तह पाणवत्तियाए छह पुण धम्मचिताए // 1 // आयंके उनसणे तितिक्मता भचेरगुत्तीसु / पाणदयातवडे सरीरवोच्छेयणदहाए // 12 // वीस पुण पुबुत्ता ले येव य उग्गमादिणो होति / एते सच्चे मिलिया उर्ति बल होति उवघाया // 13 // आसीत हाणमतं जन्म विसोटीए होति उपलद्धं / सो जाणती विसोही उपघात वानि नीम् // 89 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [115] / णउति उवधाता सलु तनियमेशादि अणुवघानारि / एए दोषण विमिलिता आसीत होति हाणसतं / / 95 // एयं चिय आसीय सयं तु जिणथैर अज्जउवहीहिं / गुगते होइम ससा नहक्कमेणं तु हा गाणं // 896 // दो चेव सहस्साइंसद हन्सय व जस्म उक्लद्ध / सो जाणती चिसोही उपघातं वावि जिणकये ग९.॥ो हाणमहस्साई पंचेन मयाई होति वीसाइ / मो जाणती किमोडी उवधात वावि थेराणं चनारि महरमाई पंचेव सयाई होति पण्णाइ / सो जाणती विनोही उवधान चेन अज्जाणं // 6 // एसो उ मोलमविडो अजीवकय्यो समामतो भणितो / एतेभ मीसकप्पं बोच्छामि अहाणुपुबीए // 900 // एतो धहि सोलसहिय दोहि वि निष्फज्जती य जो कप्यो / दुगसंजोगादीओ सव्वो सो मीसओ कप्यो / / 901 // पवावण मुडारण सिक्योवहे य मुंज संकाये / एते घणायना आहारवहादि मोलमयं // 9-2 // दुगमंजोगाईया सचित्तचिनमीमकप्पाणं / पनेयमी मगा नियणेयब्बा आणुपुष्बीए // 9.3 // पचाने मुंडावे / व्यावे व तह य सिक्यावे / पब्वाने उन्दा पवावे ये संभुने // 904 // पल्वाने संवासे एनं मुंडावणा दुचरिमेडिं। गेया टुगसंजोगा एवं सेसा वि संजोगा // 9.5 // ति घर पण छक्क जोगा एते मच्चित्त दर यकप्पम्मि / पत्तेय मंजोगा एलो अच्चित्त नोच्यामि // 606 / / आहारे उचडिम्मि य आतारे तर उनम्समणए य / एव जा णछेदणता आहारे चारेज्ज // 901 // एव भवसेनासु बि उवधादीएमु उरि उरिं तु / णेया दुगसंजोगा जा पच्छिम महणडछेदो // 9 // एमेव मेसगावी नियगाईया वि मवमंजोगा / णेया जा सोलसगो एते पत्तेय आध्यते // 19) चिलेतराण दोपहर एतो संजोगतो मुणेयचा / मीसगळय्ये णेया दुगमादी सब्बसंजोगा // 9 // पब्बावे आहारपि देह पवाविवि उहि च / पबारे उजन्ममण एवं णमध्यण जाव // 1 // एतेण कमेणेयं दुग तिगमादीमु सबमंजोगा / णेयव्वा जाव पच्छिम बावीसमो डोई संजोगो // 12 // एते सव्रेमि पाणयाम्म आणणोबाओ / पत्तेयमीसगाण य इमो तु कमलो मुणेयब्बो // 15 // एगादेगुत्तरिया पदसमपमाणओ डबेयव्वा / गुणगार भागहारा तेसिं डेदहा उ विवरिया। डवणा // 4 // पटम लवंगुणए भाग व हरे डवेज्जलद्धं / तम्मि वि पाड. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARA2322224 [1961 श्री आगम सुधा सिन्धु / नवमो विभाग रासितगुणित भाइए भने लद्धं // 915 // एवं हाणे हाणे पाडेमिय गु. णियभाजय लदाई ! एगाईसंजोगाण डोंति संयप्यमाणाई // 916 // एक्काईसंजोगाण डोति एवं तु लक्षणं दिट्टं / एते मचे मिलिता तेसहिट होति संजोगा // 917 // एक्कगसंयोगादिसु उप्पज्जते उ जोत्तया भंगा / तेसिं संघाणयणे करणंतु इमं मुणेयव्ळ // 918 // एक्कगसंजोगादिसु जत्तियमित्ता हवंति डाणाउ / तत्तियमेत्ता दुवगा डायव्वा कमेणं तु // 919 // 2 / 2 / 2 / 2 / 12 // // 4 / 16 / 32 / 4 // पडिसिथ पोडेरा- .. सिय अण्णोण्णेणभसाडि ते दयगा / जातिलतं डाण गुणि एवं जा भने संसा // 920 // एक्कंगमंजोगादिसु एककेरके भंगसंष नाराया / सच्चिय एक्कादीहिं पुणरवि संजोग सगुणिता रारारारारार९२१॥ पन्नेयं - तेयं एक्कगमादीण सबजोगाणं / सा होति मंगसंन्या जहम्कमेण मुणे. यव्वा // 22 // कह भग भवतेत्ध भण्णति दिक्षेज्ज महर बहआउ / मुंडावणादि एवं दुगचठभंगाद चारणिया // 923 // पच्ययहउँ नहियं पन्धारो होइ पत्रेयचो / इमिणा उ लक्षणेण नमड बोच्छ समामेण // 924 // भंगपमाणायामो गुरुओ लडओ य अणिवतो / मत्ता दुगुणादुगुणो पत्यारो होति जिम्मेवो // 925 // एव न पत्थोरए पिच्छम एं कादिर उ संजोगे / जे जत्य उ णिवडंती पच्चरसते नहिं मले।९२६॥ अक्कग सोलसगाण जीनमजीवाण दोपड कम्याण / एकगजोगादी सं. समाणं इम डोति // 927 // छच्चेव य पण्णरसा वीसा पण्णरम धक्क एक्को य / पक्कगसंजोगादी छविड सच्चित्तमप्यम्मि / / 924 // मोलम वीयं च सयं पंचव सयाइ होति सदहाइं / अट्ठारस पीच्याइ तेयालं अहसट्टाई // 929 // अहेव सहस्साई अडडियाइं अजीब डम्मि एक्कारस य सहरसा चन्तारि सथा तहा चत्ता // 930 / बारम चेन सहस्सा अहेव सथा उ सत्तरा होति / अदहमसंजोगम्मि नि उक्कमतो एर जानेको // 931 // सच्चित्तदवियकप्यो तेवढी होति सवसंजो. गा / पंचसता पणतीसा पाठ सहस्स आञ्चले // 932 // मच्चित्तअचित्ताणं एते भणिया तु सव्वसंजोगा / पत्तेयं पत्तेयं एत्तो मीसाण वोच्छामि // 933 // ओच्चत्तदनकय्ये संजोग पिहरिपडे हवेऊणं / जितकय्ये कमसंजोगणित तेसि फलामणं तु // 93 // घण्णउति सं. Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *ARAAAAAAA222 श्री पश्यं कल्य भाऽयम् [197].. जोगा दुगसंजोगाम्म मीसए कप्ये 1 मत्तमथा वीर्याडेगा तियन्मंजोगाण ब्रोधव्वा 1935 // तिनीसं चेव सता सहडिगा तू चउक्कसंजोगे / दस चेन सहस्साई णववीयडिया य पंचमए // 926 // उत्ती(बी)स सउस्साइं दो चेव सताई अढ हियराइं / अडयानं च सहस्सा अडयाला होति सत्तमए // 937 // अददिह महस्साई उच्चेव सयाई होति चत्तारि / यत्ततीरे सहस्सा दो चेव न्यथा भने पीसा // 938 // एमेन उक्कमेण वि णनमाउ परेण इंति बोधब्बा / धण्हती जा भोले बच्चेव यदा मुणेयजा // 929 // एवं पण्णरस य (वीस य) बीमण पण्णरन्स छक्क एक्के / पत्तेयं पत्तेयं गुणिएवं रामिणो मुणम् // 10 // दोणि सथा चत्ताला अट्ठारसया य डोंति णायया / अदह सहस्सा चउसय तिए मीर्माम्म संजोगा // 941 // सत्तावीस सहस्सा तिणि सता येव होति यिव्वा / पदिह सहन्यसाई पंचसया वीस अहिया य॥२॥ एक्कं च सयसहस्स वीस सहरसा सयं च वीहियं / एक्कतरि सहस्सा लक्सेकको उस्सता चेव // 13 // एक्कं च सतसहस्सं तेणउइ सहस्स तइय पण्णासा / उक्कमतो सत्तेव य हाणाई ततोय पण्णरस // orn तिणि सता तू वीसा दोण्णि सहस्साई चउसयजुयाई / एक्कारस य सहस्सा दोणि सता चेव णायचा // 45 // छत्तीस सहस्साई चउरो यसता / हति णायब्बा / सत्तासीइ सहस्सा तिर्णिण सता चेन सहडिता // 946 एक्कं च सतसहस्स सटि सहस्सा सयं च सट्ठी य / दो लक्सा अ. डवीसा महस्स अडेव य सथाई॥९४७॥ दो चेत्र मयसहस्सा सत्ताव भवे महरमाई / चउरो मय अहमए डाणा सत्तंतिमे वीसा // even जड़ पटमे तह पंचमे जहु बीए तह चउत्थए रासी / एक्कगगुणकारे पुण सोलममादी तु जावेकको // 949 // च्चित्तदनिए कप्ये मंजोगा सबपिंडिता काउं / जितकप्येक्कादीडिं गुणिते फलरामिणो मुणसु // 95. // तिण्णे व य सतसहस्सा ठाणसहस्सा हवंति तेणउति / दो य सया यदीडता एक्कगसंजोगसंगुणिता // 951 // न चेर सयन्सहस्सा तेसति सरस तहय पणवीसा / बियसंजोग चउक्के वि एत्तिया चेव णायचा ॥९५२॥सत्तन्मय दस सहस्सा तेरस लक्षा य नियगसंजोगें / पंच य पल्मन्सरिच्छा अचित्तपिंडो उ अंतिमए // 953 // जिय SSSSSSSSSSSSS Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [18] श्री भागम मुथा सिन्धुः नवमो विभाग, पिंडेणं पिंडो अजीवकप्पस संगुणो णियमा / मो डोलि दबपिंडो तम्य उसंसा इमा डोति // 15 // ईथालसतसहस्सा अट्ठावीस भवे सहस्साई / सत्तसया पचसहिया हाणाण मीसकप्पोम्म 1955 / जियोजयमीसगाणं कप्पाणण्णे वि भगसंजोगा / पत्तेयमसिगा नि यथब्बा माणुपुवीए, // 956 // पवावेरको एक्क एक्को अणेगा भणेग एक्कच / गाणेगे य तहा चउभंगा एव एस्केक्के // 957 // एव एक्कं एकास एक्कमणेगे वि एत्य के तहेव / चउभंगो थबो एक्वेक्के छण्ड तु पदाण // 15 // एक्कक्कसि पवावे मुडावेक्कं तु एक्कलि चेल / एत्य उ दुग मंजोगों चउभंगो होति णायव्वो // 959 // एवं दुतिय- चउपंच - धक्कजोप्पटिं जत्तिथा जेतु / संजोगा भंगाथा ते सव्ने होंति णेथव्वा 660 // पवावे मुंडेगं पध्वावगं च मुंडणेगे य / गो एक च नहा योगाणेगे य एमेव / / 961 // एमेव सेसगावी दुर्गातग - चउपंच-छक्क-मजोगा / बुद्धीएऽणुगंतव्चा सनेवि जहक्कमेणं तु // 962 / अच्चित्ते विय एवं एस्को एकस्स देति आहारं / एवं उवहीमादिसु मन्सुलि होति चउ भगा / / 963 टुगमादी संजोगा एत्यपि तहेव इंति विण्णेया / एमेक्को एक्कासि आहारादीणि देज्जाडे // 16 // एवं दुगमादीया णेया एत्यंनि मनन्मंजोगा / * एवं ता अच्चित्ते मीसेनि य बुद्धिए जोए / 965 // (एक्को पचाने आहारादी य देति एत्याचे तहेव / संजोगा पोयना जानतिया मभने तत्थ) एसो तु दवियंकप्यो तिविडो नि समामतो ममकमाओ / एत्तो समासतो. ऽहं वोच्छामी चित्तकय्यं तु // 66 // ज देवलोगरिसं सिनं णिप्पच्चवाइयं च / एसो तु खेतकप्यो देसा सलु अद्धछब्बीसं १९६७रायगिट्ट मगह चंपा अंगा तह तामलित्ति बंगा य / कंचणपुरं कलिंगा वाणारसि चेव कामी य॥९६८॥ साएय कोमला गजपुरं च कुळ सोरिय कुसहा य / कंपिल्लं पंचाला आहेछन्ता जंगला चेव // 269 बारबती य सुरहा मिडिल विदेडा यनच्छ कोसंबी / णोदिपुरं मंदिडभा भोहलपुरमेन मलथा य // 970 // अथराड बच्छ उरणा अच्छा तह मत्तियाजति दसण्णा / सोत्तियमती य चेती वीतभयं सिंधुसोवीरा // 971 // मडुरा य सूरसेणा पावा भंगी य सामोरे जदहा / सावत्थी य कुणाला कोडीनरिसंच लाढा य // 972 // सेयनिया विय गरी केततिमद्धं च भारियं भ. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [11] णितं / जत्थूप्पत्ति जिणा चम्झीण रामकण्हाणे // 973 // एतेन्नु विडस्थिव्वं चेत्तेमु साभाविएतु / जत्थ य गुणा इमेत धेमाईया मु. णेयव्वा // 974 // सेमो सिवो मुभिक्सो अप्प्याणो उक्स्सयमणुण्णो / एसो तु खेत्तकप्पो (पासंडसेदमुक्को) गामणगरपट्टणाइण्णो // 9 // सेमो डमविडतो रोगामिविरहितो सियो होति / पउरण्णपाणदेसो होइ सुभित्रयो मुणेयव्यो / दारं // 976 // जलुगा-संमणमा - मूइंगोपन्मुग सत्सगार्दिविडतो जो तुः / सो होति अप्यपाणो अप्य अभावम्मि धेचे य / दारं // 977 // समभूमि -रेणुवज्जिय-रिनुक्समोजस्सया माण्णाओ / गामणगरा. वि य बह पाउग्गा मासकप्परस // 97 // सज्जणजणो य भद्दो हियं च मणुण्णसाइजोणीओ / तारिमए सेतमी ममणुण्ातो विहारो तु / दारं // 979 / / स्वैमो य मिवो य नहा खेमो मुभिक्यो य एव स. जोगा / यच्च धसु पदेनुसत्तमु वा आणुपुब्बीए // 10 // अहवोदयोगसावदतक्कर-वालभर्यानजिओ रम्मो / णिरवेक्योवि वि य जहियं स. मणगुणविद य जत्थ जणो // 9 // एताणि चेव सेमाइयाणि आरीयसेत्तआहे. याणे / पुचभणियाणि जाणि तु ताई सलु मन उ हति // 92 // DI - स्य दमणरस य चरणस्य य जत्य त्थि उवघ्रातो / एसोनु सेत्तकप्पो जहिय च अणायणा त्यि // 983 // उदगमयबुझणादी जह कोकण - सिंधु. तामलिनादी / त्धि जहिं अग्गिभय निग्गियाइम्मियोगही वा // 985 / / जहिय च मानयभयं सीडादीण ण विज्जए देसे / जहियं च त्यि चोरा पंधमोमादी // ry वाला उसप्य गोणममादीदार बोर्डि. गाँभय च त्धि जाहें / मणमो समाहिकावे मो नम्मो होति जायचो // 646 // सूरो अण्णगम्मो जन्य परिंदो तष्ठिं -मुहविहारं / साहगुणे यह याति कुणोते य साहा जो रकम दार // 997 // अहिरण्णमुवण्णेते छज्जी वणिकायमजमे गिरता / जाति जणो य एवं जत्य तु साहण गुणणिहम / दार // 6 // सज्झाओ जहि सुमति दारं। कुर्दिदागिण्णो या वि जो मेलि एस. इन्धी सोही य ज तहियं शिवासोतुादार // 9 // जहितं च अायता न मंति के पुण अणातया भणिया / साहम्मिभिन्नचित्ताम जुन्नरदोभाडमेवी // 990 // एतेहिं जो देसो आइन्जो तह य अन्नतिधीहि / म ' त्याराना लिंदेसा अगायतणा 1991 // एतारिमम्नि वेत्ते अडिब. ' Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [120] ... श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग: देण बिहरियव्वं तु / आलंबणाइ के तु इमाणि काउंग विहरंति // 992 // वसही संधारो भन्न पाण वत्ये पाडेग्गडे सेडा / सइठा य पुबमधुय असद्दहते य पोडबंधो // 993 // मासुथा एसणिज्जा य णिवाया य रितु - म्समा / एरिमा साहुपाउग्गा वसही दुल्लभ एणहिं / दारं // 994 // एमेव य सधारा कंबलदब्भादिवत्थूनिष्फन्ना / सयणासणा य जहियं सुलभा जोगा य माडण दारं // 995 // भन्नं मुलभमणुण्णं च एरे.' सं तिथ अाह नत्य / जगिय - भंगियमादी न हु मुलभा अन्नडिं वस्था // 996 // पडिगडगाव य सुलभा सेहा यण्णय गधि सेताम्म / अण्णय दलभा / नेण तु एत्ध अडगुणं तु ।द।। 997 // सइठा आहारादी दिति य जोगाणि सधुता चेव / पुरपच्छे दिदहभहा य अण्णाहिं - त्यि एरिमगा / दार।। 990 // उडुबद्ध-मासकप्येण विहारो तं ण सहह इ. महि / संजमआतविराहा बच्चंते गाम मणुगाम ॥॥णाणादीण य हाणी जोग खेत मग्गमाणाणं / सेनाओवियत संकमणे धुवमसमाओ॥ . जे णीयन्ते दोसा मासते परिवसेण ते चेव / एनं मामविहारे म. एणतो रडुबिहे दोसे // 10 // णो मद्दति विहार तेण तु म बिहरेति तस्म आणादी / मासोबरिच लहओ णीयावासे य जे दोमा // 1..2 // ते सो पाति सने एतेडालंबणेहिं अच्छतो / किं एगतेणेन ग. विन्मे भण्णती सुणन // 1.3 // णिस्कारणम्म एवं परिबंधो कारणम्मि णिोसोते चेन अजयणाए पूणो विमो पावती दोसे .. काणि पुण कारणाई जेडिं चिडेज्ज एगहाणम्मि / भति पुबुदिदहा जे सेमसिनादिया दारा // 1005 // नेमि चिय पडिलक्सा अक्सेम अमिन तडय दुरिभ / बहुपाणुषसो वा अमणुण्णो जो तु दयमाही // 16 // एतेहि कारणे, एगहाणम्मि अच्छमाणा उ / जर्दि जयण ण कुब्बती नेच्चिय निर्दिया दोमा / 1000 // का पुण जयणा तहियं भण्णनि तेहिं कारणेहिँ उ दिडतरस / - ण्णउवासभिवसादिया तु जयणा मुणेयना // 1004 // अक्लेममादिएन वि अरसेनेसुन कारणवसेणं / चिदहताण तू तहियं इमा तु जयणा मुणेयला // 1009 // अवधेम विसबिर संबट आदि आसयंती 3 / अक्लेमं च अण्णस्य तहि सम तो गणिगाच्छे / दारं // 1.10 // जइस सिवं तु बहिद्धा ताहे अच्छति ते नहिं चेव / दुब्भिको रिणीनिय FFERRRRRRRRRE Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARAMARE श्री पय कल्य माध्यम् [121, य अहवा सब्बत्य दुझिक्स 2011 // दोभासे जया हिय अ. च्छंते वारि जयण तह चेव / बहपाणे आउन्ना चकम्मं तु जयणाए // 1.12 // उसनजि आउत्ता कुडमुडभूत तवावि लक्मति / अण्णाए वसहीए हंति पमज्जति य अभिवयं दारं 5 1.13 // जा जय जय जुज्जति अमणुण्णे उक्स्सन्म तं कुज्जा / कयवरमोहाणमादी दुग्गंधे गंधपकिरती / दारं // 1.15 / / उदगभए धलगामे पले च वसही नहि तु गिण्डति / अग्गिभाए मालबद्धे डम्सियतलगम्लि व जसति // 1.15 // रोगबड़ले अपुच्छा णिवन्जाए चोरकिणि तु लेडरे / सत्ण वावि गच्छे हायंति व जत्य निरवायं दारं // 1.16 // जाडेयं सावधदोसा तडियं एनाणितो ण गच्छेज्जा / गेष्ट क्सहिं च गुन गामस्पस तुमझयाम्म दारं / / 2017 // विज्जामंतादी वाले ति रातो णाले गच्छे / दारं। रायं य पर्णावती साडगामजापामाणे 1018 // जत्थ जणो णोरे जाणति साइगणे ताई कहोले माइप / दारं। परिभीग अकालम्मी रनिलंति सज्झादार ॥१.४ादरेण कुतिस्पीए वज्जेती दारं। एसपना / लडाइनिधाइया य वन्तीने चरण्डी 2010 // वन्नेन्ज अपायता चिजत्य उवघातो / एवं जहमंभन न कोज्न जया शिगमायो। दारंग 11 1021 // एसो क्षेत्तकप्यो उत्समववाय मंजुनो / एतो उसे कालकपंकोच्छामि जहक्कमे दु०२२ म.सं पोसवणा दुइटबास परियायकप्यो र ! उन्म्यागपोडकमणे कितिक चेत्र पडिलेहा 161023 // सझायामको भवियारे नडेल सर , सिक्य- . मणे य परेने एका स कालकप्परिह , 1024 / पुस मामक 'प्यो पवितो को सिमाहामनिन / परिवार अणिज्जति मास अतिरेगे / / 1025 // मासानीत वमतो वसतीर ती चेन मासलहं / तह भिक्वास्यिाए या त विहारे य 16, परिभाडा सधारे सव्ये. सेलेसु डोति मासार / चनारि य उवधाता सपा अपरिमाडिस्मि / / // 1027 // पंचेते मामिया खलु चाउम्भास च मिलिय सम्वेते / णव- / मा' मासातीए उडुबद्ध संवसंतस्स / दारं // 1028 // लडुगा तु वाम FREERESERRESS Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免免決定免空央空空空空空 - [222] श्री भागम मुधा सिन्ध नवमो विभागः तीते वसतीए सेस डोंति ने घेर / भिवसानियादी जे भोगता मामतीतस्मि ।दारं / / 1029 // आयोजणा एसा कालवे बोणता अणिताणा / एनो पज्जोमवणासामाथा िपत्रमामि 1030 // पजनु वास.जोग्ग बर्दिया अच्छति ना सदिकसंता / जे अंतरा गिण्डे नमः व्य नेयि सेनीj // 1031 // मह पु वच्चंता वाक्याजोग तु अंत. रावास / भारद्धहरगामे ग पहचनि एगवसहीय // 1032 // अ. गणोण्णटिडताणां बहवो सागरिया का नीति / परिहरि नाहे व ज्जे गुरु मारियं गरि एक // 1.33 // अविसेस ममाथारी प. जोन्सनाए वणिय णिमीहे / सच्चर गिरलसेमा इमम्मि दारमिम णायचा // 1034 // बुझ्ठस्स तु जो वासो वड्टी व गतो तुका रणेण तु / एसो तु इटवासो नस्य तु कालो इमो होति // 1035 // अंतोमुत्तकालं जहण्णमुस्कोस पुचकोडीनु / मोतु मिडिपरियाग जं जन्म न आउग तिन्थे // 1036 // मरणे अंतमुहतो देमूणा पुबकोडि कह होज्जा / / जो नरुणो च्चिय समणो असमत्यो विहरितुं जातो // 1037 // कदा - विज्जा चरियं लाघवेण तवस्मी तत्तो तवो देसितो सिद्धि मग्गो / महानिहिं संजम पालइना दीहाउसो बुइटवासरस कालो। 2038 // विज्जा तु बारसंग करणं तस्स गहणं मुणेयव्यं / सुत्तं बार समाओ त. नियमेता य अत्येवि दार // 1036 // विन्तु सुत्तत्थाइ बार समा देस - दंमण च कत / चरियं भंतेगडें लाघविएण तु तिबिहेण // 100 / / उवकरण सरिदिय एवं तिविह तु लाघवं होति / उवकरणारत्तदृहो धरेति // य गिण्डए अहियं // 1.1 // संघयणधितीजुत्तो ओकसो ण तु धूरदेडसारीरो / दारं / वसिदिभो नवरसी / दार / चउत्थमादी नवो चिन्जो // 1042 // कुव्वरेण अछित्ति णाणादी देमिोति मोक्यपहो। दार / सत्तत्थवदेसेणं मंजामेय संजमेणं च / दारं // 1043 // काऊण भयो. छिति बारस वासाई णिच्चमुज्जनो / दीडाउतो तु सूरी पडिवज्जेब्भुज्जयविहारं // 10 // 4 // अब्भुज्जयमचयंतो अगीयमीमो वे गच्छपरिबद्धो / अ. छाते जुण्णमहल्लो कारणतो वावि अन्नोवि // 10 // 5 // जंघाबले व वीणे गेलणे सहायनो व दोबल्ले / अहवावि उत्तम: णिप्पत्ती चेव तक णाण ||1016 // ताणंच अलंभे कयमलेहे व तकणपरिकम्मे / एतेहिं FFEREFERRRRRRES Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3RAJARE श्री पञ्चकल्प भाध्यम् [223] कारणे िदुइटावायं वियागाडि न केवतियं तु वयंतो सेतं कालेटा वडारिन मरिहो / केतिचं अविडो (अचयंतो) बलहीणो - इम्वासी 14 // दुन्ति निदाऊण दुवे सुतं दाऊण मुत्तवज्जंच / एक दिवइटमेगं अणुकंपादामुवी जतणा // 1049 / " दोणिव मुत्तत्था३ दुलेत्ति जो जोते साउए दोन्नि / जाव भिम्यावेला रस तु सपप्रक्कमो धेशे / 1050 // एमेव अदाऊण अत्यं जहवा अदातु दोषण वितु / यो गाउयाई दोणी पुण्णाए भिक्सवेलाए // 1052 / / एवं दिवटमेग च गाउयं तिमि सोति पम्केके / गमया तु मुणेयचा विहरणा अरिहो म धेरो दु / 1052 / / एस मपरक्कमो तू जो पुण दाऊण उभयन्मुत्तं वा / गच्छेज्ज मद्धगाउय मपरक्कमो होति एसोचि // 1053 / / सम्वेते निडरती एतेसु दगाउयं दिवाळं वा / जे जनि गाउयं चिय तिण्डं पेतेमि दुइठाण // 1055 // जेवि य गाउयमद्धं उभयं सुतं च दातु गच्छति / तेसणुकंपा नेइमा कायच्या उरोति तिविहाउ // 1055 // विस्मामण उपकरणे भन्ने पाणे ॐ लंबणे चेव / तं च विजाणात कालं गंतु वा एति जो जन्थ // 1056 // जयणा सुद्धालभे पणगादी सानु होति णाधना / अपरकम तु घेरं एत्तो वोच्छं समामेयां // 1057 // श्वेत तु भद्धगाउय कालेणं जाब होति दिवसो उ। पेलेण य कानेण य जाणमु अपरक्कम घेर // 1.58 // अण्णो जस्स नाति दोच्यो देडम जाव मझण्डो / सो विहरति सेसो पुण अच्छति मा दोण्डवि किलेसो // 1059 / / भमो वा पित्तमुच्छा वा उखमानो वसु भति / गतिचिरिए वसंताम्म एक्सादी ण योते // 1060 // गच्छपरिमाणतो तू महाया तस्स होनि कायबा / मन्नेव जहण्णेणं तेण पर डोंनि गावि // 6061 // चउभागतिभागद्धे मोम गच्छतो परीमाणं / संतामंत अन् ती दुइटावास वियाणाहि / / 1062 // अहावने जहरणेण उन्कोन्मेण सतगमो / गच्छं गच्छं समासज्ज चउभागादी 2 आथए / / 1063 // जइ होति अदडवीस चउहा गच्छो उ तो विभज्जति तु / सन्त उचउभागेण ते दिज्जती महाया 3 // 10 // पुण्णाम्म माम्मे तो जिंती सत्त अण्णे उनि उ / एवं अतिति णिति य मास मामम्मि सत्त उ // 2065 // एवं दोसा पाहोंती तु उबटडावणादि जे भने / तेणं FREEEEEEEEEEEEES Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ఆకులు 134 . श्री आगम मुथा सि-पु. 0 नवमो विभाग न अहवीमाए चउभागा विजिना. / / 1066 // अदहावीम ऊ" दडासतीए ने हवेज्जाहि / संता असती भया बाला बुड्या भ नोगा वा // 16 // संसामंतीए पुज्जात नोलेया नेण णिणिको भागा उ विभइथवा इगमा चोद्दसनण्ह 1068 // यो सधार में दंती भिकम रक्को य गोण्डए उचहि / थेर दुवे गाणे सत्तम जाणे . मालिन (भक्स)मार्दीस // 169 // वुइटावाले जयणा मेंने काले अन्महत्य संधारे / सिनम्मि गावगमादी हाणी जानेक्कभागे ..*07 // धीरा कालच्छेदं करेंति अपरक्कमा तोडें थेश / कालच भबिवायंक.. रेति तिविडा नहिं जयणा / / 1071 // कालच्छेदो मास म' हा तु भिक्त्यमादीणि / अदहसु उडुबद्धमुं चउमासे सस्कवायाम् / 1072 // कालं अचिननीयं उडुबद्धे वासवासिय aa करे / वामावाले य तहा उडुबद्धं वाविणा करिति / / 1073 // तविहजयणेति इणमो तिवडणुकंपा तु होइ बुड्ढम्स / जह कायया इणमो नमहं चो. च्छ समासेणं // 107 // भाडारे जयणा वुत्ता तस्स जोगेर णए / णियया मउया चैव ध्वेतामणादिसु / कालदारं गतं // 1075 // . काणिटपरकामे मिडघरे चैव नह य दालघरे / कडगे कडातणघरे वोच्चत्धे होति च गुरुगा / / 1076 // कोट्टिमघरे असंतो भालिनम्मि ण उज्झए तेणं / क्राणिटगादिगण रकसद य शिवात बसही तु / / 1077 // वन्योहे णिवेन्मणा साही दुरायणम्मि जो उपा उगो / असती य पडिडारि मंगलकरणम्मि गीणने / चमोडोने दारं मात / / 1078 // मही य महासंघ पगपट्टो व चम्मकको वा / घिरमउओ संपारी असतीय णिसणा डाणे // 1079 // असती सहि बागड उग) मगामे चेव तह य परगामे / कोसद्ध जोयणा. दी बनीम जोथणा जान // 1080 // धिर मजओ अपडिडारी घेत्तको तस्म अति पडिडारी / पिउपज्जयादिकलगं मंगलबुद्धी धरे जंतु / / 102 // केई गिहत्था ने उनसवादि ओरेनीले ग परि भुजति / तं पण. क्या तुविदियो अनि य एमझड मंगल // 1082 // देज्जह जघर. कपास चियमाडेत पुणोरे गेज्जाड / तं घेतूणं फलगं उत्सव Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ కుకు కుకు కుకు - श्री पवकल्प माथा ... [1250 देनाम्म ऐति / / 14 // पुण्णमि मियंती भण्णम युट वारिणो वेति / मोन्द्रा बुहाज आगजति चतुलड सेन्ये / / 1084 / पडिरति मिल जा गिलाणो बिनस्थ वनडे / दार। भावि सकुलेमु अ नहर थिजो दोहा / दार // 5 // अनादी नवसा वा अचीवनो एनेर / दारं / मोडेकज रानेन्डे पनि सरगा वावि ता /07 तकणाण णियन्ती आततरे वे डोति णायको कलेयनुय दिदिडराए नेनि कालोऽयमुक्कोमो 1100/ संवच्छ र झरए बारवासाइ कालियसुचनस / भोलन य दिदिडवाए एमो उस्कोमतो कालो Porrn बारसवात्से गडिय तु कालियं झाति बारेमभेगं तु / गेलस दूतावाते गहण झरणं दल दुवे व // 10-9 // महणझरण कालियसुते पुब्धगते जदि एतिको कालो.। आरूखाप्सगामे कालच्छेदो कतरेनिं 1 / 1.10 // माया रकप्पणामं न हनन्ध मासमुडुद्धे / वामामु चउम्मस एसो कालो नु कतरेन्नि 11091 . भगिओ धेरेण समायोया कारण -- जातेण नि कालो / मज्जा पण पुण गावरागाह मे. माण १०९२।गम्मत्रणहा एनेमि व एयं तु काराणज्जायं . जेडि 1 गुणेडिं जुन्ना देजते ते इमे होति / / 1093 // जे सिण्डिर धारयेउं च मोग्गा, घेराण ने दिने बेइज्जए तु / गिपडति नहापडिया सुडेण केच्च च धेररस कारेंति मन्च / / 1094 // मान्यज्ज सेनकातं बहु पाउग्गा न मोते सिताउ / णिच्य च विभत्ताण सच्छदादी बडू दोसा : दारं // 1095 / / जड चेन उत्तिमट्ठे कतसलेहस्स हाति एमेव दारे नाम पडिक्काम पुण रोगविमुक्के बलोलेनड्ढी दारं // 1016 // वुइटावा. मातार कालादी नेण उग्गडो तिबिडो / आलंबणे विसुद्धो उग्गडो नक्कज्जि वोच्छेभो / 2097 // जे कारण बुढिगतो वासो नहिं कारणे अतायम्मि / मतिपरिभग्गा जे उ आर्याए उग्गडो मयि // 2098 / बिहेवि कालतीते मासे चउम्मास उग्गडे छिण्णे / सच्चित्तादी छिण्णो आनं / बणे तम्मि छिण्णान्म // 1099 // कारणासमत्ति पुरओ जो अच्छति उग्गड़े न होति / सच्चिन्नादी तिबिहण लस्म तौडेयं इम णात 5. 1100 // भामकुचिपूरी उग्गड पोडसेडियोम्म जो कालो रोनि RRRRRESSESSESE Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARREARRA [226] श्री आगम मुथा मि-धु 0 नवमो विभाग उग्गडो मे कालदुगे वा अणुण्णाओ / / 11011: जर ाम कोई पुरिलो छा. ओ आकासकुच्छि परिच्छे / / हु होति सोच लित्तो भमुन्तता उवणओ एवं // 1102 / / कालदुवित्ति अणुण्णा गिम्हाए जत्थ चरममासो को। अण्णस्वेता सतीए तत्धडियागोग्गहो होति // 1102 // एमेव वासतीते दसराया तिणि जाव उस्कोसो / वाणिमिताडताणं उग्गडो छम्मास उक्कोसो 1106 // तवज्जसमत्तीए वि रायदुहपरचक्क असिवादी / एतेहिं कारणेडिं दु उग्गडो डोति तीते वि // 1105 // एतेसु उग्गडेसु आभवणमञ्चवि(चिान भणिए सा / अयमण्णो तु पगारो आभनमणाभवते य // 1106 / / सुडसीलणुकंपात दडए य संबंधिसवगगेलण्णे / सच्चित्ते ससिहाए पइदिए धारणादसामु / / 1107 // तणुयंपि णेच्छा ए दुम्सं सुर वा कंमती सदा / सुहसीलो एस अक्माओ मातागारवणिस्मितो / / 110 / / सुहसीलयाए मेडं कोई पेमेज्ज अण्णमाडणं / पत्लिमंध मण्णंतो दनं सू सारखेउं जे // 1109 // अन्महाय स व देज्जा कोई अणुकंपयाए मेडं तु / आयहीण व कोई पेमिज्जा धम्मसद्धाए // 1110 // दिज्जा मिणेहमओ वा संबंधी अस्म कोइ म.. च्चित्तं / समगो सयं व डोज्जा समगस्स र पेसवेज्जाहि देव गिलाणगस्सा यावच्चठताए अमहाए / अहला सयं गिलाणो अच. 'एंतो सारवे जे // 1112 // पेसिंतस्स उ अमिडो समिठो भामि पुज. स्स पोमो तस्स / एवं असंधरेणवि पेसियो जह गिलाणेणं // 1113 // कह दातु पुणो मरगति जम्हा सो अप्पभूतु णाणस्म / त. म्हा तस्सारिओ मरगति सेझंतियादी वा // 14 // अवा जाडे सयं चिय सो सेहो जाव होति गीथयो। तो जाणति आभयो अहयं पु. चिल्लयानं तु / दारं // 1115 // उडुवासवुइटमासे एसो भणितो तु कालकप्पविही / परियायकालकय एत्तो नौच्छ समासेण // 1116 / / को राइणितो होती ? को वावी होति मोमराइणिओ ? / भात सु. णसु विसेस रायणिय मोमराई ||1117 // संजमसेटीभंतो जो उहिलो यो भने ड रायणिो / जो बाहिं सो ओमो एयं अतिसेसितो जाणे॥ 2118 // तम्हा छउमस्थाणं जो मुवं हाजितो वएस तु / सो होनि राय. णिओ जो पच्छा सो भने मोमो // 1119 // सामइय संजयाणवि मामा FRESERRRRRRE Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222222222 , श्री यय कल्प भाऽयम् .. . . 127] ..' इयं जरस सुबमच्चायं / सो होती रायजिभो इसको ओमो मुणेयजो / परियागकम्पत्ति गातं / / 1120 // अट्हुस्सास मज्जो काउस्सग्गो उ डोन बोधयो / अहसाउन्सुरकोमो अब मच्छर वान पदारं / / 1121 // पाडेकमा दोसिय राज्य परिमय चउमासि सहय वरिसे य / एतेसि बचाया पुच आजस्मए भणित // 112.1 कि. तिकम्म कारच काहे कति वावि डोत डोरते। एनेमि पर वो / च्छामि मापुयाए 1122 // प.कम मज्झाए काउन्समरा / पाणए / भालोय) संवरणे उनिमढे य वदणायं // 1124 // पारिय. योडकमणे केदकम्मा लिण्णि होते सज्झाए / पुवण्हे अबराहे रिइक. म्मा चोदय हवंति // 1125 // . यूसरगमे जिणाण) पडिलेडणियाए भाठवणकालो / धेगा. ग्गयंमी उबाहेण सोनुलेथयो / पार // 1156 // पठमचारिमामुलायमा सज्झाओ पोकसी दियराओ / झाण न स्थपोकसि बितियार ननु दिवसम्म / / दारं // 1127 // लतियाए पोकनपीए भिक्सगडम त होना कातव्वं / सेसं च पमादी होइइम न समासेणं // 1128, यमाने काले आवस्मए यमघाडए य उवकरणे , मत्तगकाउस्सर नाय जोगो सोडवकलो // 1129 // भन्नही पि मोडे जर भणित डेल होइ एथमि / एक्कं वेल भन रनिं चा काप्यते नोनदार 10 काल रस पडिक्कमि मज्झण्हे ताहे होति गंतव्य / वाया भोवण बसेस अकालो उ मीथारे।।दार 1121 // चउ महसुप कप्पति का तालिम तुकायब / पुवावरास दोस विकाउस्मग्गदिहता झति॥३२॥ दिणमझाए भिवरम जार अमनदिहतो तु जो साह / राओ मन्झिननाओ णिहामोव करेंती 31133 // पिकाखमण खलु सरए पाउसकाले पवेमु / एसोत कालकप्पो भाव कप्य अतो गच्छादा।।१३४॥ दसण गाण चरिते तर परयण पचमिति तिहि गुत्तो / हुतराग दोन्स णिम्मम समदमणियाडो णिच्यं // 1155 // भोगड़ियबलवीरितो परक्कमति जो जडत्तमाउत्तो / अन्तडकरणजुनो गुणभावा भावोणासकंपो / एथाओ दारगाहाओ // 1136 : रिद्धीहि कुलिंगो लय देवक. नीहि जस्स तू भावो / दसवगलो जाति दमणमा हेय लो / / 136000 FRESSSSSSSSSRE Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染染染孕孕孕孕孕孕孕孕免 [22] . - श्री भागम मुधा सिन्धु नवमी विभागः . णाण दुवालसंगं तं चेव य पश्यतु संवा / महामि उज्जतो या नतो व्व नई बच्छलो यानि // 1138 // चरणे निच्युन्जत्तो मूलगुणैर्मु मउतरगुणेमुं / // य अतियार कुणती पच्छितेण व योडिकतं // 1139 / / नवबारसंगजुत्तो समितीसोडतो तित्तिगुत्तो य / रागदौसागडता णिम्ममो णियते सरचि // 11 // कोडंजिति समाए महवमादीई सेस कलसेऽवि / दमणियमा दोवेक्कं इंदियणोइंदिया होनि / दारं // 1141 // णाणादिएहिं ओणेगार्डनोनु कम्मरस णिज्जरडाए / उज्जमनि परक्कमती घडइति / य डोंति एगदहा // 1142 // जड सुने णिहिट्टो नह कुवति जो तु अप्पमाएंतो / सो हु जडत्तो साडू जूणं मतिम बियाणेज्जा // 1143 // अतंदडा. मोकपडा ण उ इहलोगादि हेउगं कुणति / करण जोगतिएणं जयणाजु तो ति अववादे // 11/4 // मुलगुण उत्तरे या भानणपणवीस अणियायादीय। मेनी- पमोय-कारण-मन्झन्थादीहि णिक्कयो। दारं१५॥ एसो उ भानकप्यो अडवा पाणादितो पुणो लिविहो / दमणपटम भण्णति णाणचरिता तदायत्ता VET तो दंगणरस चेव तु जेहि पदेहिं न डोलि उ.. वघातो / ताई इमानि वोच्छंणिकसमणादीणित कमेण Immunणिकलामण गमणभुंजण सदियवथणे य एक्कवाणिए / दमणणाणाभिगमे रायकुमारे गणहरे यme णिकरमणे तम्ह अधोवहाएतुणा ततो भगवा एरिसए विदिक्ये विलंते जेण साडण Me प्रजा सर्वकारस्या तेण पवतंति कीस वावि जाणतो / नारिसए णिसंतो जेणुदितो होति सक्कारो // 1150 / / ___णड़ एवं वत्तवं सो चिय भगवं तु जाणए एन / णड भाशुपमा तीरइ सज्जोयपहाडिं अतिन्मइनुं // 1151 // गमणे तुरिय माडू गच्छंती अहो दिदडभिक्षुण। सणियं वयंति वं वतव्ये ज्जा // 1152 // ते लोगरंजणदहा मणियं गच्छे धम्मसइठाए / // य जुगपेडाए सलु बिवरीयं माइणो भानो // 153 // जवि काचि मतुरितं तं पि य गेलन्जमादिकज्जेसु / गच्छंती तु मुविहिता बडुतरमायं मुणेऊणं // 1158// भुजोत चिन्तकम्मदिनावि सक्कादि बोडियादी यार ण तहा साह एवं भासते दंसचिरोही // 1155 // कस्कडताए मोर्ण करोति जणारंजणटुताए / भावयन्वं एनं साधू पुण णिज्जराए / . . SPERFERRRRRESS Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BRARRRRRRRRR श्री पस्यकल्प भाष्यम् / . . ... [129] // 1156 // जंपि य भान्मति जती नपि य कन्जोम योन जयणाए / इस संच चिदहऊ वा गसमादीणं च पाउग्गं / दारं // 50 // सक्कयपाठोगु गोदियाण एसा तु दैनिकी भासा / समणाण पागयंतु पीभामाए उवणिबद्धं myr | नत्थ विसदियवयण मंदिया चेव णवरि जाणेति / सब्वेसऽणुग्गहदहा इतरं चाचालवडढादी // 1159 // दिहतो मिणपल्लीणिवाणकरणेण होनिकायबो। एगेण कतो अगडो वावि ससोवाण बितिएणं // 1160 // ततिपण तलाग न नत्य गडे केयडियमादीडिं / तीनति उवभोर्नु जे वितियं दुपदाण अभिगम्म // 1161 // दुप्पदचउप्पदमादी मव्वेसि तलाग होति अभिगम्मं / इय सव्वऽ गुग्गहत्य सुतं गडितं गणडरेहि / / 1162 / ' सम्वत्य वेदसत्यं चरणे करणे य एगनादणियं / विक्रीयं समणा भा. वेतो दंमणविराही // 16 // तत्व विभावयन्वं सोच्चिय अत्यो तु डोति सव्वासि / सामुद्दन्सेंधवादी जह लवणसहाव सम्वे नि॥दारं / / 116 / / दंसणपभावगाति अहवा गाणं अहिज्जमाण तु / अन्नदहपरढा वा जहलंभ गेह पणडाणी // 65 // भिक्षु तिनं पदम्मी भणितं जनानि त मिमिनेणं। गच्छतो कि सेवे 1 अमदडतो अणाराही 1 दारं // 16 // पत्नज्ज अप्यपंचम रायसुतस्सा तु दाइगभएणं / राया उसमणुजाणति अंते परिणीतो सो ले // 1167 // तत्थ वि य फासुभोती सुनस्थाइ कति अच्छति / जणइनु सुते. स्केरकं अमूढलकमान इत्थीसु // 116 // ते रज्जेसु डाविय पुष्परवि गचांति गुरुसमीवं तु / आलोइयणिस्मल्ला कतपशिना तो तेसि / / 1169 // संकप्पियाणि पुचि आयरियादीपदाणि गुरुणा तु , पच्छागलाण ताण य तदिवसं चेव दिण्णाति // 1170 // परियायमि यकद्धे ज दिण्णता तु जो - सद्दति / सुहममुदितरस जंवा नीति तू रायपुत्तस्य / / 1171 // तत्य वि भावेज्जेवं पत्तिकडाइं तु तेहिं घेरा / ग्यमुदिक्षितेण य उब्भावण पवयणे होति / / 1172 // अमडुम जं च कीरति अज्जममुद्दन्यम क्षेत्र गुरुणो तु / एयं अमद्दडते बिराहणा दंसपे डोनि / / 1173 // तत्वावर भावेथव्वं जेणायनं कुलंदुतरवसे / अण्णस्य निकाय गिलाणगस्सेस उवदेसो // 1 // इति एस समासेण दसकप्यो उ आडितो एवं। / दारं / एतो तु णाणकप्पं वोच्छामि अहाणुपुधार 075 // सुखदेसे वा. 'यण पडिपुच्छ परिथट्ट अणुपेडः / आरियउरल्झाया मह हानि उन. RSSESSESSES Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JARRESEARS य [130] श्री आगम सुधा सिन्धु वमो विभागः / प्पविही // 1176 // आयारमादिकानु सुयं दुजा होति देहबादो दु / अंगाणंगपविह काजियमुक्कालियं चेव // 1977 // तं पुण्ण सर निभने सवादमटिहे. यं वणिज्जूठ / पत्तेयबुद्धभासित अहव समनीय होजाई 17 // ससमयवादं संवादमाह जह कोसिगोयभिज्जाती / पण्णवणादसकालिय-जीवाभिगमादि णिज्जङ 1109 // पत्तेयबुद्धभासिय इसिभासियमादेिग मुणेयेब्बं / केवलणाणसमतीय भासिता चोदस उपुवा / एतं सुतंतु जं जत्य सिक्षितं जेण जह तु जोगेणं / तं तह चिय दायच एसो मलु अज्झयणकप्पो 111 // एयं पुण तणाण वायणजोग्ग तुजारिस होति। त बोच्छामी अडणा सुत्तस्म य लक्यणं जंतु // 11 // जित परिजितं मिलित ओबच्चामेलितं भवाविद्धं / घोम णिकाइय ईडय सुचिमगिगयडेउमभाव // 1183 // फुड विमद सुद्धनंजण पद अक्सर मधिकारणमणणं / पादप्पयापुलोम गिउत्तसुते निसुनकप्पो /११/णिपूणं विपुलं सुद्ध शिकाइय अस्थतो सुमारसुद्ध / हितणिस्सेसकर बुद्धिरइठणं फलमूदारजुत // 1105 // सगणाम वजित मनु परिजिय हेतुवरितो उरितो हेदहा / मिलिते उधण्णात विच्चामेलो उ अण्णोष्णं // 1186 // अज्झयणुदेसाणं सुते मीसले कोलिपयस वा / त चेन य डेटहरि नाविढे आवलीमात // 16 // घोस उदनादीया मिकाइयऽक्सेन सिद्धिपरिसुद्ध / ईहित सय भनीए विचारित एवं र ती॥ 11 // मारम्भय डम्भय हेतडि मांगाओ भडभावो / जस्म तु सुत्तरस भरे तं होति मुदिदडसब्भाव reणस्मदिट फुड सलु सजुनं वारि पुत्वमवरेण / विसद अगियरत्यय बजायुद्ध मउवयारं // 1170 // अत्युवतद्धी जत्थ उ त होति परतु अनपरा वण्णा / संधी संबंधो मलु मुत्ता उत्तम जो कोनि // 1191 // एनेहि पूणमहित पा. दात सिलोगमादिण होनि / गज्जमि य पदममा अणुलोम जपण परिलोम / / 1492 // पुचिल्लरिल्लेण ज ण निकात उत तहा तडियं / अत्येण जोश्य तू जिउत्तमेलारिस होत // 112 // णय हैतु-वादभंगिय गणितादी मन्यो य जिउण तु / बिन्धिजस्थं विपुल मुगादीवायणाहिं च // 1194 // सुद्धं तु भुगिगहीत आलियादीदोसवन्जित वावि / अन्ये पिकाइयं सलु पिकाइयं महव बघेणं // 1195 // आर. RESERRRRRRRRE Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染染染染杂杂杂杂杂杂杂杂 श्रीपञ्चकल्प भाष्यम् [1310 कालो अक्सरेटिं जस्सत्थो तह य समयमावलद्धो / तं अत्यतो विसुद्ध हिने दुइडलोयपरलोये // 16 // आहेयं शेयकांत मिस्सेसकरं तयं मुणेयनउप्रान्तीमादीण यबद्धीण विनदणं तु // 1197 // तस्म फालतु उदारं अब्बाबा अगोवम सोना / एसो मुत्तकप्पो (दार) एलो वोच्छामि उहेस // 119 // उहिमियर उदिडते अणुवादहले उदिसंते चउलङगा / अणलोहए लि लगा तम्हा आलोइ उदिसणा // 1199 // आलोयणा य विराए सेतदिसाजिगहे य काले य / रिक्सगुणसंपदा चय अभिवाडारे. य अहमए // 1200 // अण्णगणागत पुच्छे केवइयमहायगा गुरुणं तु / एवं पुदडो सो विय वदेज एगादिय इमे उ // 1201 // एगे अपरिणते या अमाहारे य धेरए / गिलाणे बड़रोगे य मंदधम् य पारडे // 1202 // एतारिस विउसज्ज आगते सोहि होनि पुष्नुत्ता / आयारकप्पणामे सीसपडिच्छे य आयरिए / 1203 // एएहोनिमुस्कं तु आगता लोइए पडिच्छति तु / आलोयणा तु एस सेसा दारा जहा वासे // 1204 // णावरिंतु कालदारं गुणदारं चेव ईनिभासिगं / अंगसुयक्संधाणं उद्देसो सुस्कपकपम्मि // 1205 // पण्णातिमहाक मसुयादि सरदे मुभिक्सकालम्सि / मित्तियादि पुच्छिय उद्दिसणा ठोनि कायब्बा // 1206 // से कालनिहाणं मुबुनं तं तु डोति प्यायज / दारं, कोडिं गुणेडिं जुत्तस्य उद्दिसियवं? इमे गुणन्नु / / 1207 // अनोच्छिन्नीसंगविणयउपमेयरज्जभस्मि / पुलण्डे. जोगसमुदिहलस उद्दसणाकप्यो / दारं // 1208 / / बाइगनाइज्जते गुणा उ बायण विहिं चोच्छामि / नायमानादिज्जते गुणाण दारा इमे डोंति // 1209 // अप्यागो य दठा रक्या विमुलो य तहाऽऽगमो / सुयणाणस्स य प्रजा जिणाण छिद्देय इच्छल्लो // 1210 // उम्मग्गं बच्चतो अ.। प्या रकबेज्जते तु नियमेणं / मुण्डादिट्टुंतेणं सुतबानोत्रमओगेणं दान // 1211 // उवउत्तस तदडे णिज्जरलाभो तबो य विउलोय। इंदियपणिही य तह पसत्यझायोजओगो य // 1212 // अण्णाणी करमा - . वेति बड्या वासकोडीडिं / तं णाणी लिहिं गुत्तो सवेद उस्मासमेत्तेणं / / 1212 // बारसविम्मि वि तवे मभितरबाहिरे कुमलदिरहे / गाँव अस्थ पनि य डोही सज्झायसम तबोकम्मादारं २१॥सुयणाणक FFFFFFERREFERE Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [132] श्री आगम सुधा सि... नवमो विभाग देसेणं वाएंतेण व गेयडगेण च / सुतपूजा डोति कया तंच जित होति वायंते // 1215 // सुतजाए य पुणो सुतोवएसेण य वट्टमाणेणं / वाऐतमहिज्जते आणा उकया जिणिदाण / दारं // 1216 // सूयणाणुवदेसेणं वायंतो गेयह - तो य पंतेहि। ण चइज्जनी छले तरमादीहिं देनेडिं। दार।। 1217 / / बायणगणा तु एने समासतो वण्णिता मए कमसो / बायर्णावहित एनो वोच्छामि अडाणपुवीए अताण परित पुरिस हितऽपिस्सिय प-.. रिजित जितं काले / दिवत्थं फउबंजण णिवावण णिचहणमुद्धं // 1219 // नबुसी गंधियपुत्तो रण्णो रयणघरिए दोभासे। देवीआभरणनिही दिडना होति आयरिए // 2220 // अत्ताणं तु तुलेती सत्तो मिण बत्ति बाथर्ण दातुं / जाणेज्जा पुरिसे वि य जो घेर्नु जत्तियं ति // 22 // अहयं घेनु समधे बह देंनी अप्य गेण्हते अप्यं / विच्चामेलणदोसो अतिबइते तस्स दिज्जते / दारं // 1222 // परिणाम अपरिणामा अतिपरिणामा य तिविह मुरिसा उ / णाऊणं दसुतं परिणामगे होनि दायब्वं / दारं * // 1223 // इडपरलोगे यहितं दारं अणिरिमयं जणिज्जरदहाए तुवाइ गारवेण आहारादीनदहाए / दारं // 1227 // उक्कइतोबइयं परिजिय तु जिय एव अगुणयंते / / दार / कालिनि कानियादी कालो जो जरस तं तहियं / / 1225 // जस्स वि जाति अत्थं दिदडत्थं तंतु भण्णती सुत / दारं। फुडवियडवंजण तु नयनिसुद्ध मुथब्वं ।दारं // 1226 // तं होती गिरनणं जो जाएंतो तुम्हादि उनघा (प्या)ए। शिवहणमुत्तमेयं जो अस्मित्तो 3 णिव्वतेि // 1227 // तउत्सारामे त. उसे पुव्वंग पलोए आगते काहिए। जान पलोए तान तु केइ बिपरिणत अपहहिं गेहे // 122 // एवं जो आरिओ पुडोसंतो निति यति अत्यं। चियरिणमितस्स न सीस नजति गणस्य // 1229 // जह मूल्लअणाभागी आरामी सो नहिं तु मंबुत्तो। तह णिज्जरमणभागी आर Aओ होति एव तु॥१२३०॥ जेण पुण) यदिटठा तसा आमिएण होति तहिं सो देनि लह तठसे मुल्लम्स य होति आभागी // 1231 // एवं आ. यरिएण जेणत्यो पुचि चिंतिमओ होति / मो वाएति लह लहुं णिज्जरभा मी य डो एव / दार // 1232 / / एमेन गंधेिपुते जाणमजाणे य गंधभाणे दु। भाभागी अणाभागी उनसंघाने निय तहेव / दारं // 1123 // मेणियाशियस RSSTRESSESSESSES Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ కలకాలం श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [133) हत्थी तंतुयमच्छेण गडिओ जलमच्छे / सिरिरिभो दोभासं भगिनी ण वि जाणे कत्थ कओ॥१२३४ाजा मगाति ता इत्थी पडिभो रण्णा विणासितो घरिओ। बितिओ मगितो दिण्णम्म तक्मणा मोचिते प्रया दारे // 1235 // एमेवारियम्मि .वि उवसंधारो तहेव कायो / चिंतणसमचाकर. णे णिज्जरत्माभे अलाभे या दारं // 1236 // रण्णो दो देवीओ रमल्ली - ल्लभी सण्डायति / पेसल्ली हारावे आभरणे वल्लभीए उ // 1237 / जह घेडी आभरण आवासे तह इम मिणाय / उवासंघागे नह विय आयरिए होति कायब्बो / दारं // 23 // एवं ता वाएंतो भणिती अडणाडिच्छग बोच्छ / जारिसगुणेडिं जुत्तो वाएयव्यो तु सो होति // 1439 // अणुरत्तो भत्तिगतो अतितिणो अचवन्नो अलुद्धो य / अवस्मिताऽऽउत्तो का. लण्ण पंजलिउडो य // 12 // संगो मद्दचिओ अमुती अणुयत्ततो वि-सेमण्य / उज्जुत्तमरितंतो इच्छितमत्थं लभति साधू // 1242 // जो तुम. नाइज्जतो जरूझ यस )ती जह मम ण वाए / सो होई अणुरत्तो करें / भनी पुण होइ सेवा उ / दारं // 1252 // मज्झ न देइ तिन जो तिबुककडं व तडतडे दिवसे / न य आहाराईन्सु तदभावो अतितिणो एसो। दारें // 12-3 // गइडगाभावभासाइएहि नवि कुणइ चंचलतंदु / गाणगणिओ न भवे अचंचलो सो मुणेशव्यो / दारं / / 12 / / आहारादुरको जो लदधण लय न अतडे / एस न लुडो(दारं) वमनप्या तु सहादिविसएसु // 1245 // लीहालेट्हुगमादी जो य पठेतो ण करेंति वक्येवं / अचरित्यत्तो एसो आउत्तो अणण्णमणमो उादारं॥१२ आहारादीकाले कालण्ण होने उरणयतो उ / दार / सुत्तस्ये गिण्तो कुण(इ) अंजलि पंजनिकले उ // 12 // सोनगो दव्ये मिगो भावे मलुलरेसु तु जयंती / दारं। मद्दतिओ जो अमाणी / दारंभमुई दिसमत्तणे जोग मुए / दारं // १२४म भागाइंगिडि या हियच्छित उनिहेति / गुतवयणं चागुलोमे एसो अगुवसओ णाम / दारं // 1249 // जाणति तु जो निसेम हिताहिताण सो निसे सण , यि होति णिब्धिसेन्सो समचंदणलोडचिस्मल्लो / दारं // 15 // - उज्जुत्तो उ अणलप्सो (दारे) अरिनंत तु प्रत्नभह स्व / दार। सु. तन्णिज्जराओ मोक्सो वा शयत्यो तु / दार // 125 // पुच्छणकप्पो डुणा जाति पुच्छेज्ज सकियादि दु / नाति भएति इणमो अहक्कम आणु REFER ES Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [134] थी आगम मुग मि-. 0 नवमो विभागः मुबीए // 1252 // पदमसनमुहेस मंधी मुनस्थलदभय चेव / प्रोस जि. माइत इंडित सुविमगितहेतुम्सब्भार // 1253 // परमादी जा घोसो उत्तत्या. डोति एते सच्चवि / दारं। हियाम्म णिकाएउ पुच्छति उ पिकाइये एव ।दार // 125 // पुवावरेण ईहित एय मए एव होति aa व होतिर SER डेहि कारणेहि लबिमागाय एव तु मए ने दा२५५॥ मभावो अत्यो मलु मंदिद्धाइ तु पुच्छते नाति / दा। एयाई चियक- . मसो परियट्टे चेव अणुपेहे / दारं // 1256 / / अहुणा तु मडीयब कोरसयाण समीचे समोणं आरियज्वज्झायाण तमह वोच्छ ममा मेणं // 1257 // उग्गम उप्यायण एसणाए गिरयो रियपोडेन्मेवी / मुत्ते अदिडसाशे आयरिओ ण कप्पती सोतु // उगम प्यायण एसणाइ सावेकयो णितियपरिवज्जी / मुनाम दिमागे आरिओ कपती सोउ // 1257 // सुत्तरस मागे अन्धो यो दिदडो नेण डोतिरदीए / सो डोति दिहमारी आयरिओ तुमुधब्बो // 26 // एमेन उ. वज्झाओ गुणहिँ जुत्तोतु डोति णायव्यो / एतेमि तु सकासे मुत्तस्था डोति ोत्तव्वा // 1261 // आयरियउवज्झाया गाणुण्णाया जेणेहिं मिटा / णाणे चरणे जोधावगति तो ते अणुण्णाला / दार // 6 // एसो तु णाणकय्यो जहक्कम वणितो समामेणं / एत्तो रित्तक वोच्छामि महा. णुपुच्ची 1263 // जम्डा चरिन्जते व चरियं वा ने नो चरिनं तु / ने पुण अडिसेवे सुद्धमसुद्धं तु पडिमेरे // 126in घडिवणा तुं दुव्हिा दप्ये कय्ये य डोंति णायव्वा / एतेमिं तु विभामा जहु भागीय मीणा. मम्मि // 265 // एयो चरित्तकप्पो विहकप्यो य एम अश्याओ / सत्तविडकय्यमेनो बोच्छामि अहक्कमेण तु // 1266 // डिनमहिलाजी धे लिं.. से उबड़ी तहेव संभोगे / एसो तु सत्तकप्यो शब्दो माणुपुवीय // 2 / हियडितकय्यागं होति बिसेशे इमो मुणेयो , पुरपछिमाण र हिओ अडिओ पुण मझिमजिणाणं // 126 // कतिहाडि हितो -मलु हिप्पो डोति न मुणेयो ? / कडि उ अडितकयो ? हिताहितो होति बोधव्यो // 1269 दमडाणहितो को पुरिमस य पछिसम्म पनिणय क- . तरे दस डाणा 1 भण्णात आचेलगाइ इमे // 1270 // भाचेलुकहेसिय मज्जातर रायपिंड कितिकमे / बत जेह पडिक्कमणे माय पन्जोन्मत्र FFFFFFFFFFER Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREEDARA श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1350 णकयो / 1201 // एतेहिं दहि हिलो हितकप्पो होति व मुराख्यो।दार 'चउहि हितो छ अहितो अडितकय्यो पुण इमोडे // 1272 // सेज्जासरोडे या कितिकसे चेव भाउजामे य / राइणिय भुरिमजेहो चउन्मु ने एतेन्तु होति हितो / / 1273 // आचेलुकभिय जिनपिडे चेव लह य पडिक्कमणे / मासं पज्जोत्सवणा उप्येते अणवदिडता कप्या 1278 दुनिलो होति अचेतो संताचेलो असंतचेलो य / तित्भकर असंतचेला संतापलेला भवे सेसा / दारं / / 1275 // दुविहो होति अचेलो पडिमाचेजो तहा परिज्जुण्यो / पोडेमाचेलो दुनिटो माओको चेव गिरक्यो / 1276 // णिगिणो अनोलपटो णिविजसो सो भने अचेलो उ / णिगियो सचोलपटो साविकमो सो पुष अचेलो // 1977 // णिगतवन्मयो शिवमणो अवसणो अचेलो य अकांडपडो य / पडिमाचेलस्सेए नामा एगोटेहया डोंनि // 127 // उग्गम उप्पाथण एसगाए जाड होति अपरिमबाई / मोल्लगकयाणि तागि अपरिजुण्णाई चेलाति / 1279 // उग्गउमायणदलणाए जदि होति सुपरिमुद्धाइ / मोल्ललच्याणि ताणि परिजुम्याई उचेलाई / 1240 // एत्तो सामज्जाई चेलाई मजमोरधानी / बजेला विहरतो होइ अचेलो अपरिजुष्टो // 1242 // गिरोहयारागदोन्सो - अज्नेहि महापरिनेहि / अमेहि नि विहरतो होले अचेलो उ परिनुष्यो // 12825 शिकवतीलगाये गुलगा कयद य कारणजाते / गेलन - रोग-लोए सरीरले. असे य किनिसले 2213 // आमचे ओमोदए रयट्टहे यादिदुढे वा / मागोटे अण्णलिंग कालो व गम का / अचेला गत .124 // साली. प्रतगुल्लगोरसपान पल्लीकलेच्नु जानेन्द्र / दाण्डकरणासइछा आडाकम्मे णिमंतणता // 1285 // आह अहे य कम्ने आया हम्मे य अन्तकरमेय तिं पुण आडाकम्म गाय कप्यतो कस्य ?utra संहारस पुरिमपच्छिमसमणाणं नह य चेन समीण / चतुरो उवासमा पछामायगाराम // 20 // संघस्स माझिने पछिसे य समाया तह य समीण / चदुरी पाडेसताण पच्छा सणगायला 14 // उज्जु य जइड? सब्बे पुरिमा परेमा यर क्कजइडा मु / तम्हा तोक्ने सरसादह सब्र पोडकुदड // 189 // अरगतजडा मन्झिमसाइ तह चैव ते पोरणति / कप्पाकप्य दसिय तेसि न. ज्झ च पडिकुडे / / 1290 // पुरिमाण दुलिसोझो चोरमाण दुरापालओ RRRRRRRRRRRRRE Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SARASRASRARRARY [136]. श्री भागम सुधा सिन्धु * नवमी विभागः कप्यो / मझो बिसुद्धचरणौ एव कम्यो गुगतब्बी // 1211 // आयरिए अभिसेसे मिक्युरिम गिलाणगम्मि भयमातु / निम्युनो अडविपनेस वर परियटे तओ गडणं // 19 // अभिने ओमोदनिए रायटुढे पवादिदुदहे वा / अदाणे गेलन्ने आहाकम्म नु जयणाए 129 जदि सध्ने गीतन्या ताहे आलोयणागहे भणिता / अह होति मीसगजणो पार्थाच्छन्न तवो कम्म // 129 / चउरो चउत्पमने आयामेगामणे य पुरिमइटे / णिबि . तित दायच मत च पुबोगडं कुज्जा // 1 // सधरसोडविभागो समणी समणी य कुलगणरसेव / कडामह हित ) कमोते मोडेतकय्ये जमुदिन्स .. // 1296 // आयोगए अभिसेगे मिक्सोमालाणगोम्म भयणा दु / अ3विपनेसे असती तिथपोरेथट्टे ततो गहण // ११९७तिथगरपटिकट्ठो आणा अण्णाय उग्गमो ण सुन्झे / ओनमुन मनायवया दुल्लभसेज्जा विउच्छेदो // १२९॥दविहे गेलन्नम्मिणिमतणा दव्वदल्लभे असिवे / ओमोथरिय पदोसे भए य गहण अण्णाय // 1299 // निकमुत्तो समेते चउद्दाम जोयाम्म कडजोगी / दव्यम्स य दुल्लभता मागारियमेवणा दव्ये दा॥१३०० मुइए मुद्धभिसने मुदितो जो होति जोणिसिद्धो तु / अभिमित्तो य परेटिं मयं व भरहो जहा राया // 1301 // ईसरतलबरमाउंनिएर्टि मेढीडि मथवाडेटिं / गितेहि भर्तितेहि य वाघातो होति माहस्य // 1302 // लोभे एसणघाते संका तेणे चरितभेदे य / इच्छताणच्छते चाउम्मामा भने गुरुमा // 1303 // अण्णे विहोति दोसा आइण्णे गुम्मरथण इत्थीए / तोग्णस्याएं मलेमो तिरिवलमणुथा भने दुदहा / / 1204 // बिहे गेलजम्मि नि णिमंतणा / दव्वदल्लभे असिवे / ओमोदोग्य पओमे भए य गहरा अणुण्यात दार // 12055 पठम अब्डाण कितिकम्म अज्जसेवियमदारं / काय करसव केण वारि काडे व कक्तिपुती // 1306 // विणओ सासणे मूल विणीओ संजओ भवे / विणथा उ विप्पमुक्कस्स कओ धम्मो को नवो (वि. भा०३४. 69) / ग्राहा (आ. 1221) // 1307 // जम्हा विणथति कम्म अविहें चाउरतमुक्याए / तम्हा उ वयंति विऊ विणउति विलीनसंन्सारा / गाहा / आ० 1222) // 130 // पुबामेव य विणओ ( गाडा ) // 13091 REFERREFERE Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 .. श्री पञ्चकल्प भाष्यम् / 8137] . आधारविणयकप्प गुणदीवणा अन्तसोडि उजुभावो / अर्जव महब लायब तुडी पडायमरण च // 1310 // लहुओ गुरुओ मास लहुगा गुरुगा भरे चउम्मामा / सुडग भिक्यू क्यों आयरिए अनु व विवरीय / / 1311 // जदिसुनो दिवेल जिम्ममए णिमितु गदेति / तोतेयुत्तो तं वेलं म. ब्बे गुरुणो ममुटडंति // 1212 // क्यहीय मिन्जमानो काइयभूमीय मामिय लड़यं / चत्तार य मुरिकलया ओगाडं तस बहियाए // 1313 // भित्रम् वमभायरिया अज्जा उवासमा य इत्थीओ / वादी शया संघो नाय उभयो वि // 15 // लड़ओ गुनओ मानो नहुमा गुलगा झने चउम्मामा / छम्मामा लडुगुनगा छेदो मूल नव दुग च // 1315 // वंदण चिति किइ. कम्म प्रयाकम्म चोरणयकम्म च / काय करावकेण वाचकाहे व कडमुत्तो (आ.नि. 1110) / / 1316 // कति ओणयं कमिरं कटिं च आवन्मएहि परिसुद्धं / काइदोसविप्पमुक किडकम्म कीस कीनर वा // गाह (आ.नि.१११20117289॥ सेटी समतीताणं कितिकम्म जेय होति मेटिंगना / सेठीयबाहिरण कितिकम्स होति भइयव्वं // 1318 // आर्यारयउवझाए पानि पत्तेयबुद्ध पुचधरे / केवलणाणधरम्म य कायध्वं गिजरहाए // 1319 // सेतीडाणे सीमाकज्ने चत्तारि बाहिरा ठोति / भेटीडाणे दुगभेदपाय चत्तारि वीभइया // 1320 // पत्तेयबुद्ध निणकोप्य. या य मुद्धरिडारिया अहालदा / एते चउरो टुगदुराभेया कन्जेनु बाहिरगा // 1321 // अंनो वि होति भयणा ओमे आवरण मंजती मेहे / बाििम होति भयणा अतिवालग जायए सीसे // 1222 // उदडदडाणाहतो दि इ पाग्योण गडिनाए अवसम्मि / करजोगी जामाजिम्मेवात आदि पियंडो व म पुज्जो // 1323 // संकिण्णाहपदे अणाणुनावी य डोति अवहे / उनल्गुणपोडेमेवी आलंधणज्जिओ बन्जो // 1324 / गच्छपरिरमणटठा अणागतं भाउलायकुशलस्म / एमा गणाहितिणो मुटुमीतगमणा अणिता // 1325 // दुलहे कितिकम्मम्मी वालिया मो णिमह बद्धीया / आदिपडिमेघियम्मी उपाआलोअणा बहला // 1326 // मुम्मधुरा-संपागड - सेवी चरणकरणपब्मट्ठे / लिंगावसेसमिने, जंकीसतं पुणो वोच्छ / गाहा (आ.नि. 1124) 137 // वायाए णमुक्काशे हत्थुम्सेहो य मीसनमण चमच्छणाच्छणं छोभवदण वंदणं "FFFFFFFFFFFFES Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRRRRRY 1 5 . श्री आगम सुधा सिन्धुः . नवमोरिमा गादि / गाहा (B.S. 1135) // 13 // एनति भकुव्वतो जहारिहं अरिटदेसिए मगे / न भवः परयणभनी, अभर्तिमंनादओ दोसा / गाहा (आ.नि.कार३९॥ परियाव महादुम्मे मुच्यामुच्छे यकिच्छपाणे य / किच्चस्मासे य नहा समोडते चेव कालगते // 1330 / / चत्तारि छच्च लह गुज छटो मूलं च ढोति बोधनं / अणवहप्ये यता पाति पारंचियं डाणां // 1331 // परियाग परिस पुरिम सेनं कालागर्म च णातूणं / कारणजाते जाते कितिसम्म होति कातनं // 23 // दंमण णा चरित तर विणयं जन्य जिनियं जाणे / निणपण्णनं भतीय / प्रए न नहाभार॥१३३३॥ मानज्जजोगविरति ति संजमो तेण होति एगविहो / रागहोस निरोडो नि तेण दुविहो मुणेयलो. ॥१३३४मणवअणकायजोगाणा गिरोही नेण होति तिनिहो तु / कोहमाणमायलोमुमतो ति चव्हा मुणेयव्यो 335 // पंचवयं इंदियागि य ते पंचह सगोते. विरति धक्काया / वय-काय-अकय्यादी अहारमहा मुणेयबो॥१३३४. जोगे करणे सन्ना इंदिय भोग्मादि समणधम्मे या महारमसीलंगसहस्स संजमो होइ पायो / 1337 // किनिकम्मं पि य दुनिह अभुट्ठाणं तहेव वदणयं ममणेहि य ममणीहि य जहक्कम डोति काय॥१३३० साई संजतीहि कितिकम्मं मंजता कायलं / पुलमुत्तरिओ धम्मो सनजिलि तित्थरिम दारं // 1339 // पंचज्जामो धम्मो पुरिम. रस य पछिसम्म य निणरस / मन्झिमया) जिणाण चाउज्ज्ञामो भ दे धम्मो 13301, पुरिमाण विमोझो चरिमाण दुरणुपालओ कप्यो। मझिमयाण जिणाण मुविसोझो सुरगुपालो य // 13 // पुवं तु उक हरिओजस वा सामाइयं कयं पृवं / सोहोती जेदडो सल जो प. च्छा मो कणिोतु 342 पुबोबडो जेटहो होई नी एप होति पु. च्छा तु। उवडावणातु कोतहिं डाणे 1 इमा भवे दसहा // 13 // ततो पारंचिता दत्ता अणनाप्पाति तिणि न। मणम्मि यवतमि चरितमि य केलले // 13 // अदुवा चियकिच्चे जीवकार्य समारभे / मेहे द. समे बुले जम्मवारणा भणिता // 1345 // अहवा पारचेवको अणवरप्पोय होति एक्की तु। सणवंती ततिभो चरित्ते यचउत्पओ होति // 1346 // पंचमो चियत्तकिच्चो सेडो छ8ो य डोति बोद्धव्यो / एसो य छवि FREEFFFFERREE Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ B REAKER श्री पञ्चकल्प भाथम [1390 हो मल चविहोना इमो अण्णो 28190 सम्म य वनम्मि चरित. म्मि य केनले / चियकिच्चे मेहे य उबडष्या तु महिया // 134 // दसण चरितवने पारचणवदहतो पचिमति / ते जेणं भजती तु एवं एसा भवे चतुरो // 1349 // दंन्यणाचते य नहा जीनणिकाया य जोम मारभती / उहालणाए भयणा एनेमि होति दोण्हॅपि // 2350 भणाभोएण मिच्छन सकते सम्मन्नं पुणभागने / नमेन तस पच्छित ज सम्म पविज्जती // 1351 // माभोगेण उमिच्छन्न संकंते सम्मन्न पुणरागरे / जिाधेराण आगाए मूलच्छेनं तु कारए // 1352 घण्डं जीजणिकाया अय्यझो तु नाहतो / तिरिडेण घ. डिक्कते मूलच्छेज्जतु कारए, 13537 छण्डं जोणिकायाण अण. ज्जो तु निराहतो / मालोइय - डिक्कतोसुद्धो हबति सजतो // 135/ जीनाणकाधारंभे रयणवले य भणिय पच्छिनं / न दे मुतबिहिणा .. न्नह देते इमे दोभा // 13111 अपच्छिते य पच्छिन्नं पांचछने अतिमजया / धम्मम्मामायणा तिव्वा मगन्स य राहणा // 1356 // उरसुतं वनडरतो कम्म वर्धात चिकण / संसार च परहढे मोडणिज्नं च कुचाने / / 1357 उम्ममाटेमसाए मग विडिनाटए / पर मोडेण रंजतो महामोडं पनि / दार // 13 // सडिस्कमणो धम्मो परिमारस य पछिमस्स यजिस ममियाण जिणा कारणजाए पडिक्कमणा / दारं / / 1359 // दुविहो य मासळप्यो जिणकप्यो ने विरकप्यो य / एकमेको य दुविहो हितमप्यो य हितकप्यो। दारं // 136 पज्जोसवणाकग्यो डोति हितो अदिहलो चक्षण / एमेन जिणाणा 4 कप्ये हितमटिडतो होति / / 1316 // उम्मामुकोसो मन्तरि राइंटिया जहणणं / हितमदिडतमेगतरे कारवयामि ताणतरे। दारं॥३२हितमरितो कप्यो एमो मेमे नपिणओ समाम्मेण / अह एनो जिकय्य यो. छामि अडाणपूवीए 13630 गच्छन्मिय जिम्माथा धेश जे मृणितसबपरमत्था / अगाह अभिग्गडेना उति जिणकप्पियविहारं // 1364 // णव पुब्बि जडण्णण उस्कोमेण तु दस भसंपुण्णा / चोहमपच्ची निच तेण जिणकष्य 7 पनज्जे // 1365 // बोसभसंघयण / दार। मुनस्सन्यो 'डोति यन्मयो / संसारमानो वा माओ तो मुर्णितयमत्यो // 13660 FREEEEEEEEEEEEEEE P22 PCSC greerCharne Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRARYA 140 - 35 श्री आगम मुधा सिन्धु: नवमा विभागः दोडग्गह पतियादी पडिमाऽभिग्गडण भत्तपाणस / दोडिं तु उरिमा गण्डं तेवस्थपालाइ 1677 दवादभिग्गहा पुण रयणावलिमादिगा व बोधब्बा / एनेसु विदितभावा उति जिणकप्पियविहारं // दारं // 1268 // परिणाम जोग सोही उडेिविनेगो य गणणिकमेनो य / सेज्जामंधारविनोहणं च विगतीविवेगं च // 1369 // गणहरडवणं च तहा अणुमदडी पन तह य सीमाण / मा. मायारी य तहा वत्तबा होति जिणकप्पे // 1370 // अणुपालिओ य दीहो परियाभो वायणा वि मे दिण्णा / अमुज्जयाण दोण्डं उवेमि कतरं गु१ परिणामो दारं // 1271 // सोहिणिमित्तं जोगाण भावणा मा इमा तु.. पंचविहा / तर सत्त सुतेगते बने य तह पंचमा होति // 1302 // एतेलि विभामा उरि भणिहिनि मासकमम्मि / दारं / सेसाई दाराई वोच्छामि समासतो द्रणमो // 1373 // पुवुबहिस्स निवेगं काउं गेण्डति अहागडं उवह अभिगहियमेमणाहिं उप्यादेउ सयं चेव दारं / / 1304 // गणसण्णा स करेती जो जहिं डाणदिहतो तु पुनम्मि / तत्थेन हवेती गंणणिकमेव च इनरियं / / 1375 // सेज्जाए अपरिभुत्ते डायति त हिय तु ए. गदेसकि। / दारं / संधारे उप्पादे अडाकडं एसविमुद्धं / दारं // 1376 // विगतीओ यण गेण्डति गेण्डति भत्तं च सो अलेवाडं / दारं / इय भाविउ ह जाडे ताडे हवती गणहरं तु॥१३७७॥ गणहर गुणसंपण्णं वामे पासम्मि डाबइत्ताणं / चुण्णाति धुडति सीसे मच्चित्तादी य अणुजाणे ॥दारं // 10 // डांवेऊण गणहरं आमंतेऊण तो गणं सव्वं / तिविडेण समाती सबालवुइठाउलं गच्छं // 1379 // संवेगजणियडामा सुत्तस्थविसारता पयणुकम्मा / चिंतेति गणं धीरा गिता विडते जिणाणाए // 130 // णिद्धमडराति सेमं परलोहितं गुरुण अणुरुवं / अणुमादिदं देति तहिं गणाडिनतिणो गणस्से // 31 // तवणियमन्सपउत्ता आक्स्सगझाणजोगमल्लीणा / संजोगनिप्पमो. में अभिग्गडा जे समस्याणं // 32 // सुप्पले णिभिरंतेहिं गणो वी चितिओ भवति सो उदार/विदाए दिदडीए आलोए तं गणं सव्वादारं॥३२ . बांयाए मदराए आसानेदारं। अपरिमणिस्सेस / दारं गुरुमणुकर नहरिहं सवालबुइठाति राइणिए / दानं // 13 // तो डोति बारमविडो टूह णियमो इंदिओ य णोइंदी / आवास समायारी गेधवा चक्कवाला उदारं // 1305 // सुत्तस्थझाणजोगे मल्लीणा तेनु डोह जुत्ताउसोने ఇక Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2ERE श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 1171. य संजोगा गियमा उ य विप्पभोगता। दारं // 16 // ह उवही उपाय ण दव्बादीया अभिग्गडा जे तु सति सामत्थे तेम्मु नि मा टु पमायं के रेज्जाऽणु // 1387 // अहवा अभिग्गहा तू कुणति जिणा य ने समस्या दारं / एवं सासेतु गणं ताहे गणहरि अप्पाहे // 13 // गणसंगडून ग्गहरक्षणे तुम मा टु काडिसि पमादं / हितकप्पो छ जिणाण Tig रपरिवाडिया गच्छे / / 220 / मज्जारमियसरिसोनम तुम मा इ काहि मि निहारं / मा णासेडिसि दोणि वि अप्पाणं चेन गच्छं // 1490 / / बइठनओ बिहारो जिणपण्णत्तो दुवालसंगम्मि / जह जिणकप्पियपरिहा. रियाण) सेसाणा नि तहेव // 1391 // परिवइटमाण सइटो जह जिणा. कप्यो नहा करेज्जासी / अकरेतमप्पणा तू ण डने अण्णं इन जाउ // 1392 // जो सांगड तु पलित्त अलसो तुन बिझने ममायणे / सो 'न विसडियच्चो परघरदाप्पसमम्मि // 1393 // गाणं अडिज्जिऊण जिणग्यणं दसणेण रोएना / म चएति जो घरेलुं अप्याण गणं ण गण, हारी // 13 // णाणे डिज्जिऊणं जिणवयणं दसणेण रोएता / चाएति जो धरेतु अप्याण ग स गणहारी // 1295 // णाण अहिज्जिऊण जिणवयण दंसणेण रोएता / एचएति जोडवे अप्याण गण ग. जडारी 139;" णाण अडिज्जिमणं जिणग्यणं टंसणेण रोएना / चा ते जो हवे अध्याग गण स गणहारी।१३९७णाणाम्म दसाम्मे रातो चरितेश समसार्शम्स / ण चएति जो हवे अप्माण गणां ण गणहारी / / 139 / / णाणम्मि दमणम्मि य तवे चरिते य समणा. सारीम्म / चारति जो डर अप्राण गण गणहारी / / 1399 // एसा गणहरमेरा आयारस्था गणिता सुते / लोगमुहाणुगता अप्पच्छंटा जाडेच्छाए // 1400 // लाहमुह सहादी विसया तेसिजे भवेस्ता / * प्पच्छदा ते 3 विधा ते सह पुण्णातो // 1401 // उगमउप्पायाएसणाउ चरित्तरस रसायणगए / पिंड उहिँ सेज सोतो होति सचरिती // 2 // सीमावेति बिहार सुहमीचलेण जो अबुद्धीओ / सो प्रवरि लिंगसारे मजमसारोम्म णिस्सारो // 13 // तित्था चउणाणी सुरमडितो मिझियन्वय धवम्ति / अणिग्राहियजलबीरिभो REFERREFES Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [142] पी आगम मुग मि-भु 0 नवमो विभाग . नवोवहाणाम्म उज्जति // 40 // कि मुण अनसे सेहिं दुक्सममयका रणा सुविहिए / होति / उज्जमियब्वं मपच्चवायम्मि माणुस्से 1 // 14 // मंचिन्ना विर परहे जर बदति चिन्थरेण पबहती / उदधि तेणं च गदी नह मीनगणोडि वडठाहि 06 // कणमप्ममाय आवस्सएहि सं. जमतवोनहाणेहिं / मिजमार माणुलम दल्लभलाभ बियाणिना 1809 तिनकमायपरिणता परपरिवाचमा करेज्जाड / भच्चासायणनिरता होह मदा संजमरता य // 40 // मुन्मुसगा गुमणं चेइयभत्ता य विणयजुला / मझाए भाउता साडू य मच्छला णिच्नं // 19 // एस असंडियमीलो बहसतो य अपरोवताली य / मणगुणमुदिहय लिय घ. ण्णाणयनीति घोसणा // 1410 / बाढ़ नि भाणिऊणं एवं गे मंगलं हि ज.. पंता / आणंदमुपाद मुंचंति गुणे मरता मे कतरे गुणा उ तस्मा जे सुसरतेस तास ते सीसा / भण्णति इणमो सुसूते भाले ममासे. j // 1522 // मनस्स रायगाणं सममुहदुम्माण णिप्पकंपा / दुक्तं सुविहिर जे चिरप्पनासो गमगंतु // 1413 // सीलड्ठ-गुणइठेडि य अपरोवताबीहिं / पनसतेहिं मएहि य देसाले कति या डोति // 4 // अणुसदिहं दाऊण ताहे पसम्मि निहिमुत्तम्मि / . अहसन्निहितं संघं असतिगण में समाय // 15 // जिणानरपादसमीने पडिवन्ने गणहराण व समीरे / चोहमपुव्वी तह चेतिए य अमती य बडमादी // 1 धामावहारविजठा काउं गह व गाहणं चेन / ' सुत्तन्थझरियसारा गण्डति अभिग्गडे धीश // 11 // जिणकप्पियपाउग्गा - भिग्गहा गेपडती / अण्णा तु / जिणकप्पो केरिमस्सा कमति पडिंबज्जिा ? सुणसु कय्ये सुनत्थविसारयन्स सघयणविरियजुत्नसा / एता. रिसास कति मडिवन्जिा डोलि जिणकप्यो // 19 // जिणकप्ये संध्य गंभणिनं पटम न होलि णियमेण , विरियं तु भण्णति धिती तीए जुतोक न्जकड़डममो 20 // कौति पु ण पडिवन्ने सो पुण णियमा उ कारणे हैं तु / काणि पुण कारणाणि य 1 इमाई ताई णिसामेह // 1421 // दे. इस्स दब्बलनं आयरियाणंच टुल्तभपसादा / दारं। रोगपडिबंध णम हति सीउण्डादी भ पडिभागी // 1522 // मुत्तस्थाणि वि घेनुं दुब्बलदेहो उ चाएति ।दा। गुरुणंच अणणुकूनत्तणेण माहिओ सूरी FFFFFFFERER Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9222222222222 श्री प-यकल्प भाष्यम् [13] / 1423 // आयरिया अपमन्ना सुतप्पसायं 3 ते ण कुवंति / णाहीतं तेण सुतं जावइएणं तु पज्जत्तो // दारं // 1 // 24 // सोतसविडरोगाणं # डवा गाठं अभिद्दएणं तु / णाधीत होज्ज मुतं ते य इमे वण्णिता रोगग // 1425 // कामे मासे. जरे दाहे जोरिमन्ने भगंदरे / अरिसा अजीरए दिदही मुद्धमले अकारए // 1 // 26 // अच्छीनेयण तह कण्णवेयर कंदु कोळ दगउरं / एते ते सोलस वी समासतो चण्णिता रोमा // दारं // 1427 // अण्णो पडिबंधेणं गुरुकुलबासं चेव आवसती / तेणं पार्डिज्जति ऊ के पुण पडिवधिमे गुणस // 14 // सो गालो मा वड्या तं भत्तं भद्दओ जणो जन्य / एताई संभरंतो गुरुकुलबास गरोएति // 1 // 29 // सक्कारो सम्माणो पूजइ मे भोइओ तहिं गामे / आरिभो महतरमो ए. रिसता को नहिँ सइठा // 1430 // मच्छंटुढाणिवज्जणस्स मच्छंदडतमिकलम सच्छंदजंपियस्म य मा मे सन् वि एगागी // 13 // एतेहि ऊ अभागी सीताइणं ग देनि तुरंतु। तो णाहिज्जति सो ऊ गुरुकुलवासं असेवेंतो // 1432 // एनेडिं (ण) पडिवज्जे अणुसदि दारिध परिममतं ।का पूण सामाधारी जिणकप्पे डोतिमा सा उ17३३॥ मेले काल चरिते लिस्थे परियाग आगमे वेदे / कय्ये लगे लेक्सा गणणे झाणे याभिग्गहे // 1535 // पव्वाच्या मुंडावण मणमा वण्णे वि से अणुग्घाता / कारणणिप्पोडेकम्मे भन्नं पंयो य ततियाए // 1535 // एमो जिणकप्पो सलु समासतो वणितो सरिभवणं / दारं। एतौ उ धेरकप्पं समामओ में गिसामेहि // 1436 // तिविम्मि संजमम्मि उ बोधब्बो डोति धेरकप्यो तु / सामइय-छेदपरिहारिए य तिनिहरिम एम्मि ॥४३७॥हिय अदिटप न कम्मे सामाइयसंजसो मुणेयव्यो / छट्परिहारिया पुण णियमा उहवांति हितकय्ये // 1438 // एतेसु धेरकयो जह जिणकप्पीण अग्गहो दोमु / गहण चाभिग्गहाणं पंडिं दोहुँचण तह इहं // 1439 // बाले बुटे सेहे अगीतत्थे णाणदंसणप्पेडी / दुब्बलसंघयणनिम य गच्छं पइ ऐसणा भणिता // 10 // जसंभवतु मेसा कोनादि विभामियच दारा दु / उरिं तु मासकप्पो स्थिरतो बिभामते सेमि पदारं॥१४॥ इति एस धेरकप्पो एती बोच्छमाम लिंगकता नहि. यं तु लिंगकप्पो इण्मो निणकप्ये अवती तु ॥१२॥ठणहमा SE E EEEEEE Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRRY APP [1881 प्री आगम सुधा सिन्धुः। नवमो विभाग: गिगिणो मुंडो दुविडोवही जडण्णो सिं / एसो उलिंगकप्यो णिव्वाघाण णेयवो // 43 // रयहरणं मुडपोती संमेलेणं तु दुखिह उवही तु / बाघाती विकितलिंगो अरिस समेहे कडिपट्टो // 44aa दुविहा अतिसेम. वि यतेसि इमे बणिता समासेणं / बाहिर अभितरगा तेसि बिसेस पत्रनमामि 15 // बाहिरगो सरीरममा अतिमेसो मिमो उबोधन्नो / अछिपणिपाया बहरोसमसंघयणधारी // 16 // अभिंतरमतिमेसे इमो' उ तेमि समासतों भगिओ। उयही विन अवलोभो सूरो इन लेयसा.. जुत्ता // 16 // अव्वानण्णासरीना वगंधो ण भलते सरीरस्म / स-- नमविण कुच्छते सिं परिकम्मं णनिय कति // 1 // पाणिोडे... ग्गहधारी एरिमया णियमसो मुणेयध्वा / अतिमेसा नोच्छामि अण्णेलि समासतो तेसिं॥ १४veविडो अतिसेस ते िणातिमओ तहेव . सारीरो / णाणातिसओ ओहिमणपज्जर नभयं चेन // 15 // आभिणियोडियणा सुतणाणं चेव जाणमतिलेसो) तिनली :भिण्णवच्चा एसो सारीरमतिमेसो // 1852 // रयहरणं मुहपोती अहगोवहि पाणिपनयरसेसो / उक्कोस तिणि कप्पा रयहरण मुहपोनि पणगेत ॥१५॥णवहा पडिग्गहीणं जहण्णमुक्कोस होति बारसहा / तमि. वेयाणि चिय अतिरेगो पातणिज्जोगो // 1453|| उबट्टण घसणमज्जणा य महणणदंतसोभाय / एते उवधाता मल भवति जिणलिंगकय्यस्म // 1455 // उटणाइयाति उवकरण चेव धेरकप्पीणं / भइयो लिंगकप्पो गेलण्णादीहि कज्जेडिं // 1455 // कज्जम्मि गिलागादिसु उवट्टणमाइया अण्णाया / दुगुणो चउगुणो वा कारणतो डोति उबडीउ // 1456 कठण्ड कम्पणियणो मुंडो दुबिडोवहीं समामेणं / एसो तु लिंगकप्पो कारण विवघ्या सित्तण्णतो // 1557 // लोय सुरकत्ती य व मुंड निविहं तु, होति थेराणं / असवादिकारणेहिं कुजविवज्जास लिंगरम // 1458 // जिकहतलिंगभेदे गुलगा कप्यति य कारणज्जाले / गेलण्णरोगलोए सरीरवेयावड़ियमादी // 15 // वासनाणेणावि ड भेदो लिंगस्स तं अणुन्जातं / चाउम्मासुरकोसं सत्तरि राइंदिय जह जं॥१४६०॥ एयं दवलिंगंभ समानणं तु गायव्वं / को जु गुणो दबलिंगे? भण्णति इणमो सुणामु वो ॥४१सवकारनंदण णमसणा:य प्रजा कहणा य लिंगकप्पम्मि Marathi T. tuN s 14 papr Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1050 / पत्तेय बुद्धमादी लिंगे धउमस्थ तो गडणं VER // वत्थासण मक्कारो वं. दण अभुटहणं तु णायब्वं / पणिवादो तु णमसण संलगुलिकत्तणा श्या // 13 // ददाण दव्बलिंग कच्चंतेताणि इंदमादी व निगम्मि आवेज्जते पणज्जती एन विरोति // 1464 // कहेंतो समलिंगेणं धम्मनसम्मतो भवे / अलिग बोते तं कीस जाणतो ण करे तुम ? // 1565 // पते. यबुद्धो जान उ गिहिलिंगी अहव अण्णलिंगी उ / देवा वि ताप एंति मा पुज्ज होहिनि कुलिंग // 1466 ॥ण य गं पुच्छति कोती केरिमओ डोति तुज्झ धम्मोति / ण य सनिलंगविडण उमत्थो जाणे सिओति // 146UR एसो तु लिंगकप्यो अटुणा बोच्छामि उवडिकप्यं तु / जो जस्स भवे उनही जि. णधेराणं जहाकमसो // 1468 // ओडे उक्म्गडे या दुनिहो उबही तु होति णाय ब्बो / ओहोवही तु तिण्डं ओवरहिओ भने दोण्हं // 16 // निणकप्ये धेर. - कप्ये कप्पातीत यतिण्डमोघो उ / धेराणमुवम्माहिमो साहूणं संजतीणं चpal बारस चोद्दस पणुवीस णव य एक्को य णिलवडी चेव / जिण धेर भज्जपत्तेयबद्धतित्थकरतिस्थकरे // 1471 // पाणीपाडेग्गहीया पडिग्गहधारी य होति जिणकम्ये / धेश पडिग्गहधरा कप्यादीया तु भइयव्वा // 14 // बिर्यातयचउक्कपणए णव दस एक्कारमेव बारमगं / एने अह विकमा उडिम्मिवि होति जिणकप्पे // 1473 // अहवा दुगं च पणगं उर्वाहेक्स तु होति दोणि वि। विकण्या पाणिपडिग्गहियाण अपाउय सपाउयाण च 11.1474 // रयहरणं मुहपोती एयं दुयगं अपाउयंगाणं | रयहरणं मुहपोती तिणि य पच्छाद इतरेनिं // 1405 // उग्गहधारीणं पि य दुविही उवही समासतो होति / णविड दुवालसविहो अपाउय सपाउयाणं च॥१६॥ पनं पत्ताबंधो पातहवणं च पातकेसरिया / पडलाई रयत्ताणं च गोच्छ. ओ पाणिज्जोगो ॥१४॥रयहरणं मुहपोती णनहएसो अपाउमंगाणं इयरेसिं एमेन य अतिरेगा तिणि पच्छागा // vor| एते चेबदबालस मत्तउ अतिरेग चोलपट्टो य / एसो य चोहसविडो उवही सलु धेरकप्पम्मि // 1479 // अज्जाणं एमेव य बोलत्याम्म गरि कमळं तु / अतिरेग अंगलगा इमे तु अण्णे मुणेयवा // 40 // उग्गह गंतग पटो अइढोलग चलपिया य बोद्धव्वा / अभिंतर बाहिणियंगणी य तह कंचुए चेव // 14 // उक्कच्छिय वेकच्छिय संघाडीवसंधकरणीय / Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [146] श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभागः ओहोवडिम्मि एते अजाणं पण्णवीसन // 1582 // सत्तय पोडेग्गम्मि रयडरण चेन होति मुहपोती / एसो त णव विकाप्पो उवही पत्तेयबद्धार्ण // 15.3 // एगो तिथगराणं गिक्सममाणाण होति उवही उ / नेण पर णिकवाडे ऊ जावज्जीवाए तिथगरा Myrsजिणा पारसमलाई धेश चोइसकविणो / अजाणं पण्णवीस तु अतो उइट उनगाहो // 14 // एसो उनहीकप्पो समासतो नपिणओ जहाकमसो / दारं। संभोगकप्पमडुणा समासतो मे गिनामेह // 1v86 // संभोगपकवणता सिनिघर निनपाडुडे य संमुत्ते / दमणणाणचरिने तवडेलु उत्तरगुणेन्दु // 14 // ओह अभिग्गड दाणाहणे अणुमानणाय उवगए / गंवायर्याम्म यछट्टे संभोगविही मुणेयो // पोडेगार गाहा // 1408 उपडि सुय भत्तपाणे अंजलीपग्गडे इय / दावणा य निकाए य अन्भुटहाणेति भावरे // 7 // कितिकम्मरम य करणे यावच्चकरणे इय / समोसरणन्निसेज्जा के. डाए य पबंधणा //10/1 उग्गाम उप्पाएमण निवेय परिकम्मणा य परिहरणा / मंजोगविहिनिभत्ता उनहिम्मि वि होति छदाणा // 19 // चायण पुच्छण पडिपुच्छ चिंत परियट्टणा य करणा य / संजोगविहिविभत्ता सुतहाणे होति छडाणा // 1/92 // उग्गमउम्माएगण लोयण संभुंजणा णिसिरणा य / संजोगनिहिविभत्ता य भन्नदाणे विडाणा // 1493 // बंदिय पणमिय अंजलि गुलमालोवे अभिगठि गि-मेज्जा / संजोगविहिविभत्ता अंजलिकम्मे नि छट्ढाणा ॥१४॥मेज्जोनाह आहारे सीमगणा अणुप्पयाण सज्झाए / संजोगविडिजिभत्ता . दावणाए विछट्टाणा // 1495 // सेज्जोवहि आहारे समिगणाऽणुप्पदाण सज्झाए / संजोगविहिविभता निमंतगाए विडाणा अब्भुहामण अंजाल किंकर अभामकरणमविभत्ती / संजोगविहिनिभना अभुटाणे वि घडाणा // 1/890 मुत्तायाम सिरोणय मुद्धाण सुत्तज्जियं चेव / संजोगनिहिबिभत्ता मिनिकम्मे होति घट्ठा Invsri माहार उनहिमतग अहिंगरण विभोसणा य मुयसहाए / संजोगनिहि विभता वेथानच्चे विडाणा // 14 // वास उडु महानंदे पुइतसाहाराणो'गहितिरिए / इटावासोसरणे दहाणा होंति पविभत्ता // 150 // परियस्टणाणुभोगे वागरणे परिच्छणा यालीए। संजोगविहिनिभत्ता मण्णि 幾聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽。 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् ___ 107 सेज्जाए घडाणा // 1501 // बादो जयनितंडा पण्णियाऽगछिया महा होति / संजोगविहिविभत्ता कहापबंधे य घडाणा // 1502 // रागणं दोसेणं अण्णाणाविसईथमिच्छते। कोमामालोआममदाहिं तु रातीभोयण डेहिं // 1503 // बिरयास बावतरिविहो / एसा बास्नरी दोहि गुणता रागदो. मैडिं चोयालेसतं / अण्णाणातीहि // 216 // कोडादीडिं आमवदारेडिं // 360 // रातीभोषणछट्टेडिं // 32 // बारम य चउध्वीसा छत्तीसा य अडयानमेव सही याबाक्तरीउएनो संजोयविही मुणेयनो // 1504 // बारस य चउब्बीसाध. तीमायालमेव सही य / बावन्नरी बिगुणिना चोयालमतं तु संजोगा 1505 // बारस य चउब्बीसा छत्तीमा उयात चेव मदडी या बावती छग्गणिया चत्तारि सता उ बत्तीमा // 1506 // जस्मेने संजोगा उवलद्धा अस्थतो य विण्णाता / सो जाणती विमोही उवघायं चेन संभोगे // 15 // जस्सेते संजोगा उक्लद्धा अस्थतो य विण्णाता / णिज्जूडिउ समत्यो णिज्जूठे यानि परिहरि // 1508 // सरिकप्पे सरिधंदे तुल्तचरिने वितिदहतरए ना / आत्ति भत्तप्पाणं सएण लाभेण वा दुस्से // 1509 // गरिकप्पे सरिधंदे तुल्लचरिते विमिहतरए वा / माइहिं संघ कुज्ज णाणीहि चरित्तगुत्तेहिं // 51 // डिनकम्मम्मि दमबिहे हरणाकये यदुविहमण्णतरे / उत्तरगुणकम्पम्मि य जो मरिकप्पो म संभोगो // 1511 // सन्तविहकप्प एसो समासतो वरियातो मविभवेणं / एनो दविहकप्यं ममामओ मे जिम्मामहि // 1512 // मत्नविडो कप्यो समन्नो // कप्पकप्पविकप्ये संकप्परकम्प तह य अणुकये / उक्कप्ये य अकय्ये लहा दुकप्पे मुकप्ये य // 1513 // गच्छाओ गिणनाणं जिणाकप्पियमादेयाण कंप्यो तु / तं च समासेण अहं उल्लिंगेहामि इणमो दु -/1515 // पिंडेमण पाणेसण उग्गह उघिदह भानणा चेव / बारम य मिक्सूपडिमा एवमादी भने कम्पो // 1515 // चिंटेसण पाणेमण पंजुनारमया मभिरगडेगा य / कोमामु य अगहणं सेज्जोग्गह उवरिमा दोसु 1516 // उद्दिदिहत्ती हेदहा निणकविही तु जो समकमाओ / औते कान चरित्ने इच्चाइ तडेव उदपि // 1517 // पणुवीस भाजणो म. Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 楚楚獎獎獎獎獎獎獎靈獎獎獎 [14]. श्री आगम मुधा मिन्धुः नवमो विभागः / इव्वयाणं तु होति पंचण्डं / बारस अणिच्चादी तवमुत्तादी य पंचेच / // 1518 / / एताहिं भावणाहिं भावेंती ते उ गिच्चमप्याण / मलेवि ग च्छणिग्गत वेरगपरायणा धीरा // 1519 // बारस भिकपडिमा मादिग्गहणेण लंदिया चेव / तह मुद्रपारिडारी सव्वोऽसो भरेकप्पो // 1520 // णिच्छय गिराम णिम्मम जिरहंकार परमदह दठजोगी / चत्तसरीर कसाया इंदियगामा य जिग्गडिया // 1521 // जं चाण एवमादी सचणयविडाण आगमविसर्छ / कप्यो ति गाणदंगण चस्निगुणमावडं जाणे / / 1522 // णिच्छयमतिणो णिच्छयणहिता उदिहं तु ववहारे / अहवा विणिच्छतो तू णाणारीयं भवे नतियं // .. 1523 // णासंसह इहलोयं परलोगं वा वि एस तु गिरासो / दारं / णिम्ममता तु ममतं न करेती अवि य देहे नि // 1524 // ण करे। 'अहंकारं एरिसओ अहति उत्तमगुणोयो / दारं / गेव्वाणं परमट्टो तस्सोहणता तु दठजोगी // 1525 // णिडिकम्मसरीरो चत्तसरीरी उ होति णायचो / गऽवणेतच्छिमलादि नि संतिलमो उझियमसामो // 1526 // सोइंदियमादीसु य विमयपयारेसु सहमादीसु / ण उबेति रागदोसे इंदियगामा य जिग्गहिया / दारं // 1527 // सवणया वी विडा णाणे करणे य डोंति बोधब्बा / सव्वणयायपेयं मतं तु जो मुदिडतो: चरणे // 1524 // कप्यो गार्म भण्णति जो आवहती डु णाणमादणि / बुठिं वा वि करेती सम्बो सो होति कम्योतु // 1529 // कय्यो उ एस भणितो अहणा एत्तो पकय्य वोच्छामि / उस्सारकप्पमादी जहक्कम आणुपुबीए // 1530 // उस्मारकम्प लोगाणुभोग पठमाणुओग मंगही, / संभोग सिंगणाइय एनमादी पकप्पो नु // 1531 / / आयारदिदिडवादत्यजाणए पुरिमकारणविहण्ण / संविग्गमपरितंतो अरिहति उस्सारण काउं // 1532 // कारणे-अहिंगते य पडिब्रे संचिग्गे य मतदिए / अनदिहए य पडिबुझी गुरु अमुटी जोगकारए // 1533 / / गच्छो य अलद्धीओ ओमाण चेन अहियासो य / गिहिणो य मंदधम्मा मुटचगवेसए उबहिं // 1534 // परहं कारणेहिं उम्साराथारिहो उ बोधयो / दा। उस्मारो दिदिहवादे धम्मकही गोडयणिमित्तं // 1535 // उस्मारकप्य एसोस- .. मामओ वणिओ मए एवं / लोगाणुओगमेतो वोच्छामि अहं समासेण // Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 " श्री प य कल्प माध्यम [15] / / 1536 // मेडावीसीसम्मी मोहमिय कालराजधेराण / ममंतिए मह सो संसतेणं इमं भणितो // 1530 // अतिबहतं तेऽधीतं गये / णातो तारिनो मुहत्तो उ / जत्थ थिरो होति सेहो णिवमतो अहो ! बोदत्तं ।।१५३४।।तो एवं सऊमच्छ भणितो अह गंतु सो पतिदहाणी आजीविसकासंमी सिमति चाहे णिमित्तत्थं // 1539 / मह तम्मि अ.. डीयम्मी नडडेदह गिनेह करणया(कया) ति / साताहणो णरिंदो पुच्छामा तिण्णिा पुच्छाओ // 1540 / / पसुलेंडि पटमताए वितिय ममहे नंकेतियं उदयं / ततियाए पुच्छाए महना य पडेज्जन त्ति 1 // 15 // 2 // पठमाए वामकडगंदेशि नाई मतसहस्समुल्तं तु / त्रिलियाए कंडलेत तोतयाए नि कुंडलं वितियं // 25 // आजीविया उनादर त गुरुदक्मिण्यं न एत अम्हति / तेहिं तय गहितं इयरोचित कालकजंतु॥१५४३ णम्म तु सुत्नम्मी अत्यम्मि अणदरे ताडे सो कति / लोगणजोगच तहा पदमाजोगं च दोऽवेते // 15 // बहडा णिमिन नडियं पढमणओगे यहोति चरियाई। जिणचक्किदसाराण पुब्बभवाई गिबदाई / / 1545 // तो काऊणं तो सो पाडलिपुत्ते उदिहलो संघ / बेरि कतं मे किंची अगुग्गडढाए तं सुणम् // 1556 // तो संघेण जिसंतं सोतूण य से पीडच्छितं तंतु / तो तं पदेहतं तु माम्मी कुसुमणार्माम्म // 1547 // एमादीण करणं गहणं णिज्जूहणा पकप्यो तु / / संगहीण य करणं अय्याहाराण तुपकप्पो // 54 // संभोगो सं. . गड़वग्गहडता यच्छल्लपीति बड़माणो / साहारणकूलगणसंघहरण अतिक्कमणमेव // 1579 // मुत्तथतदुभयादीडिं मंगहो जग्गडो य* तादी। वच्छल्ल गुलगिलाणे एनमादीसु जहकमसो // 1510 // एगस्थ भोयणेणं पीती भवतिक्कभाण जिमित त्ति / बहमाणं पिय कति सहायगत्तं च तेणेव // 1551 // केई अलद्धिमता ण ल. भंति सलद्धिया चिय लभंति / जलद्धसामण्णं संभोगमितो उ इच्छति // 1552 // कलगणसंघत्रा मज्जाथाओ हति हिंडता / जह सकुले परिताणो णधी उक्संपया चेव // 1553 // कलगणसंघहरणा आओ यक. ताओ नहिं तु थेरेहिं / कुनबहमन्जाला विन तामओ य गतिकमिज्ज ति / ' 1554 // कज्जेसु सिंगभूत कज्जन सिंगाइयं होने / तं पति Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150] . श्री आगम मुया मि-g: नवमो विभागः / . * साइसंजति होज्जाहि सगच्छपराच्छे // मंभोगकप्यो गतो // 1555 // तं पण डोज्जाहि कतंकोति भणेज्जाहि संजति जति नः / मझेस दु . वसरमओ कहंति सो पुचितो आह // 1556 // लीतो मे व पइट्हो हाउं ना आणिो धरेंतो वा / दारे वासेजातो अहना राजा इन पलानी // 1557 // अक्कमिळणं घेर्नु दासाणि मारेउ अहन लोभे / जलधामणमादी न तत्थ पमादो ण कायनो // 55 // गचस्म रकमणद/चारितहिते अक्स्म कायब्वं / दहना त मज्जाता गच्छस्म नु फेडिया होति // 155 // आणाए जिणिंदाणं अणुकंपाए य चरणजुत्ताणं / परगच्छेन मगच्छे सव्वपयन्तेग काय // 1560 // आणवत्थनारणहा उच्एदिदईबतो कुसीने नि / लिंग अम्मुयंते जीवोदेडया बुद्धधम्मो य॥१५॥ मणुसडी धम्मकहापण्णनिओ जदि न मुंचती पानो / ताहे अतीमती ए इमाई कज्जा तुकरणाणि // 1562 // अंतदाणी ओसोनयीय पासायकंप वेनालं / अभिभोग धंभ संकम आवेसण नेयणकरी य॥ 153 // अंतद्धाणं काउंहरंति ओसोवणं च काऊणं / तालमुदडवे भेसंति नगं अमुचंतं // 156 // अभिओग वसीकरणं विजानकामणं तु अ पत्थ) भरस कंपणं वा आवेमेतुंव भेन्सेति // 1565 // माइम्मियन छल्लं कणमाणेणं तु एव कत होइ / अण्णे य गुणा उ इमे हात ते. मे गिलामेड // 1566 / / मिच्छत्ता सम्मन्नं सम्मदिडी चरित्तओ लंभं / चरिदिडते धिरतं मलणा य पभावणा तिलधे // 1567 // नम्हा साणिमिनं सवपयत्तेण एन कायध्वं / अणा यौनेणिमित्तं नं कायबता वोच्छ / 1568 // चोदेव चेतिया मेनहिरणे व गामगानादी / लग्गंतस्स न जतिणो तिकरणसोही कह णु भवे ? // 1569 // भ. पणति एच विभामा जो एयाई सय विमग्गेज्जा / तस्स ण होती सोही अह कोति हरेज्ज एयाई // 1570 / / तत्थ करेंत उहं जा सा भणिता तु तिगरणविमोही ।सा यण होति अभत्ती य तस्म तम्हा णिवारेज्जा / 1571 सम्बन्धामेण नहिं संघेणं होति लगियतु / मरिनभचार - तीण उ सब्बेती एव कन्नं तु // 1572 // तत्थ पुण कयादिगियो अण्णन्य हवेज्ज तस्थ उ क्यंतो / लिंगथेहि समयं का मज्जादा भवे तहिया // 1573 // भने पाणे मथणामणे य मेजोनही यमझाए / वायणप 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाथम् ) [151 डिच्छणामु य मुहमीले अनसंहारो // जहियं न सानयादी कोति करेाहि संघभन्नं / तहियं तु या गेयहेज्जा या य बस उद्दे ह सेज्जासु // 1571 / पाणागभत्तादीनु ण य संघाडो या या वि से सुते / बोहिंति आमणे वि यण जयंति पतु उसी // 1576 // सेज्जा वेनं उन िण देति गेण्हति वा संघाउं। सज्झायं ये ण गि. ण्डे ण पडिच्छे चोदए वावि 1000 मोतं राउलकजं उनदेसं वा मुएज्ज डन एवं / अण्णा-ध उदासीणो एसो मनु अत्तसंधारो // 150 / / परिवारं ति नहिं राजकुले निण्ाति ते चेन / जदिका डोज समन्यो मज्जा नो सयं नेन // 1579. पण बंधनहादिसु उहवणचरितसंगरोहे ना , शिरलंबणो ममन्धो न करेति नहि वि. संभोगो 51510 // कोई वहबंधादी माहण करेज भहन देनकुलं / पाडेज पउिमभंगं च करेज्जा कोति पडिपीओमा अहवा वि गिोमन अकहेमाणो तु कोइ भेज्जा + गिरलंबणमगिलाणो ओरसचिज्जादिम सम-थो // 152 जादे णेच्छति मोदेतुं लमसंभोयं कऐति तो. सम परितावणादि जैसे पानेंती तंच पावइ य॥१५॥ केवइय पुण कानं बंधादिगताण लेसि ममणा कायनमति मता भण्ात इणमो णिमामेड | मज्जायसंपउने चिरमवि कायनमपरितंतेण / मज्जायविप्पडणे मउवाले मतिं करण 15.5 जदि अजनाडे गहतो भण्णात मोएमो जदि पुणो ण करे। एरिमगमध्भनगते मोदे पच्युबालभे // 15-6 // इहपरलोगें चइ कुव्वंतेतारिमाणि जे वहति / ते पातेलाई परे य लोए दुष्टसलाई 15 // एवं उवालभेत्ता मोदे जाद पुणो कोमाणे / पेप्मेन्ज उदासीण हवे. ज्जने चाहि (रि)या समग ॥१५एनसमामेणं एस पकप्यो मए ममम्मानो / दारं / एतो तु ममासेणं वोच्छामि विकप्पमह णा उ 159 अतिरेगं परिकम्मण तह भंडप्पाथणा य बोधब्बा / एमादि विकय्यो तत्तत्थाइरेगे इमं होति 159017 एगेण अलेवकडे कम्यो संघाइलेवग पकप्पो / तिप्यभिई तुविको मनगमोमो याण ढाए // 1591 // पादेगेण अले गेण्डे जिणकप्पिया नसो कप्यो / धेराम दोबा पादा संपाडे हिंडति 11592 // सत्यंगडिग्गड़ए Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [152]. श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभा' . भत्तवाडमंथि गेण्डति / एगत्य दर मत्तग दोण्ड पी रित्ता पकप्यो / 159 // तिप्पभितिहिती मिक्कारण मत्ताएसुवागण्हे / मो होति विकप्पो ऊतन्थ यसोही इमा होति // 15 जादे भा. यणमानहती ततिमासा जति दिणा उ आणेती। ताजइया चउमा मा वितियाए रोषणा भणिया // 1595 // समणीण तिण्ड कम्यो चतपंचण्डं णितो पकग्यो उ / तेण परेण विकप्यो एसो उनाडं तु वोच्छामि // 15 // लिणि तु भणिता कप्या अतरंता विपतिणा पकावड़ी / उप्याथगवज्जाणं तिहाणारोवणा भणिता 159 // गणणाए पमाणेण य उनहिपमाणं दुहा मुणेयब्बं / गणणाए जिणाणं एक्को दो सिन्नि वाकय्या ॥१५९दो रयणी संडासो सोत्थीओ. वानि डोति आयामो / कंदा दिवइठहत्थं एयपमाणथ्यमाणं तू // 1599 // दो मोमिओणि एक्को धेराणं तिन्नि होनि गणणाए / आयामायपमाणा दुहत्य अद्धं च विच्छिन्ना // 1600 / / एसो उ भवेकम्मो पकप्पो उ गिलाणए गुलणं ना / चनु. सत्तवादि पाउण माणगाऽतिरित्तं च धारेंज्जा // 16.1 // कारणे पकप्पो होती विकप्यो जिनकारणे मुणेयच्चों / उम्पायगों पबित्ती साबतिरेगं धरेज्जाहि / / 1602 // गणणाए पमाणेण व गच्छदहाए तु तं पमोजणं / जो अन्नो अतिरेगं धरे सोधी तु तस्स इमा // 1603 // चाउम्मासुक्कोसों मासियमझे य पंच य जहण्णे ।तिविम्मि वि - वडिमि अतिरेगारोषणा भणिता // 1604 // अतिरेग उवहिदारं सं. सेवेणोदितं अह आणि। परिकामदार बोच्छ अनिकम्मो जिणाणनही ॥१६५कारणविही पकप्यो धेाणं अविडिए विकप्यों उ / परकम्मणा उ एसा भंडप्यायं मतो वोच्छ / / 1606 // गाहग गहणं गेझं जडासंगिमे तु णायब्वा / पुरिसे पडिमा उवही तिण्णि तिगा भानसुदाई/१६०७॥ गाहगो गीयत्यो कालु पुरिमो णियमेण होति णायव्यो। उहिटरमाइडिंगडण पडिमाहि भणिय तालिव्वो उबड़ी सल तिषिणताहार उबहिसेज्जति / तिण्णि वि तिनिसुद्धाइं उग्गममादीहि गियमेणं / / 1606 // एगेण चेन गडणं कय्यो दोहि भने पकय्यो तु। तिभितितलिकप्पो भन्ने मानहा उनही 16 आदिनिएण Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाध्यम [153] तु गहणं बितियाम्म अब्भगुण्णातं / डेंदि परिरकणिज्जो सुडाकरो सवसाहणं / / 1611 // आदित्ति डोति कमो लिगलिग आहार उवहि सेज्जाओ / गहणं तु होति तिरिह उग्गममादी तिगनिमुद्धं // 1612 // बितियहाणापकम्यो तत्थ वि तिगमुद्धमेन घेत्तव्यं / अमती य अणुण्णात पणाणीए अमुद्धं पि // 1612 / / केण पुण कारणेणं गच्छे असुद्धं पि उंगमादीहि / घेपनि ? भण्णात सुणम् कारणमि णमो समासेणं / / १६१४॥रयणाकरोन जम्डा उ आगरो होति सजसोरमाण / णाणादण य पभो ततो उ मोस्यो उ तो रस्से 1615 // आइण्णता महाणो कानो विसमा सपनामओ दोसो / आ.. दितिगभंगगेणं गहणं भणितं पकम्मि // 1616 // लियनिक्कंतपमाणे अणुलानो चेव कारनिमित्तं / परिकम्मण परिहरणे उनही अतिरित्तगपमाणो // 1617 / / गच्छो सबालदुइ गिलाणसेहादिए. हिं आदिण्णो / एसो न महाणो न तस्स तु दुलर्भ तिगनिसुद्धं // 1624 / कालो विन्समो दुभिमसमादिदोसा सपकमभो उ इमे / पासत्यादी बहने ओमाणतो तो होति / / 1617 / / अहव अन्नविगाची जह मानाकोटदल्लगा केइ / मायाए उग्गमती सइठा अलिकोनि नवि जाये // 1620 // एतेहि कारणेडिं मलंभे आइतिगभंगगहणं तु / आदितिगम्गमादी भंगो न भंसणा होति // 21 // कारणतो तिल्डिंपी माण तू अतिक्कमेज्ज उ कदादि / किं पुण तिविहं माण? भण्णति इणमो णिसमेह // 1622 // हवती पमाणपमा खेत्तपमाणं च कानमाणं च / ए. तं निरिह पमाण अतिक्कमो तेनिमो होति // 163 // अतिरेगपमाणेणं ति. यह परेणं पिणाम गण्डेज्जा / सत्तभो अतिक्कमो न परतो वि दुगाउया मग्गे // 27 // कालपमाणातिक्कमे कज्जा पाउरणगं अकालेवि / वसती कालातीतं अभिवादणुवासणं एयंदारं // 1625 / / परिकम्मण मविहीए बलियड इडुब्बतमि कुजाहि / दुल्लभलंभे सीतेण अदियो उण्णियं मंतो // 1626 // अतिरेत्तपमाणं वा धारिज्जति कारणेटिं एएहिं / सो सम्बो पकप्पो तू णिस्कारणओ विकय्यो 3 // 1627 // संकप्पो उ इदाणि सो य पसन्यो य अप्पसस्थो या एते िदोडं पी परवा होतिमा कमसो // 1628 // दंसणनाणचरिते अणुपालण पत्यम Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1541 श्री आगम सुधा सिन्धु 0 नवमो विभागः . रसन्यो उ / इंदिचन्मयकसाएस अय्यसत्यो उ संकप्यो // 16295 सणपभावनाई सत्याई कहमहं अहिज्जेज्जा / जो चिंते(ई)यं ए.. सो संकप्पो दसणे होति ।।दारं // 1630 // णाणतियारंग करेकइंचगाणं अहं अहिज्जेजा / इति णाणे चारिने सुद्धचरित्तो क. डं डोज्जा ! // 1621 // उत्तर उन्नरिएहि व चारितगुर्गा कह गु विहरेज्जा / एसो उ चरितम्मी संकटमो सस्थगो भणिओ // दारं / / 1632 // सहादिइंदियन्माण पत्थणा नह य रागगमणे नु / कोहादि. कसायाण य अज्झप्पं होति अपसन्धं // 1533 // एसो मल संकप्पो . . एतो वोच्छामहं तु उवकप्पं / उक्सप्पनी करोति उवणे व डोंति एगडा // 1634 // भत्तेण व पाणेण व उपकरणे व उनग्गह कु. पति / उक्कप्पोले गुणधारी उनकप तं रियाणाहि / / 1635 / / खडिओ मिवामिओ वा सीतभिभूतो न तरती पठिउँ / त. स्स करोति उवग्गह पहंत कुड्डस्य वा पूणा // 1626 // जो उप्याए समाहि चविह णाणमणे चरणे / तत्तो य तवममाहि तरम समे गिज्जरा होई 100 // भनेण न पाणेणं व उनक. रोणा उबगहियदेहो / जो कुणात मि समाडिं तस्सावरण हणति दाता // 4 // भन्नग्य पाणस्स 2 उपकरणस्य न उवमा इकरम्स / जो कुति अतराय तस्सावरण पवइति // 1129 // एस्सवकप्पो आणतो एनोवोच्छ अहं तु अणुकप्य / अणुसहो / तहिय पच्छाभाने मुणेय // 1140 // णाणचरणडव्याण पुव्वाय रियाण अणुकिति कुणड / अणुगच्छद गणधारी भणुकप्पं ले लिया. गाडि 80 गणमयन्महस्यकलियाण गुणत्तरत अभिलमल jोतकालभाचा आसज्ज जोगहाणी भवे // 1642 // गुणसयकलिभो स) जमो मोस्लो 8 गुणोत्तरो मुणेयम्बो / मामाधारीहा णी जोगहाणी मुणेयवा // 1653 // ताण सती अद्धाण उच्चसे कि काल बुभिको / भावे लन्नादिन्न सुद्धाभावे 3 जदमुद्धं / 16 // गेपडेज्जाहारादी गाणादी व उज्जमण कुज्जा / अणसणमासी व अकरेमाणम्म माइनस 6 एगणिज्जरा से जह भणिता मासणे निणवयाण जोगणियनमतीणं मुडमीलाणं लदो छेदो ||VER Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 1550 मुहसीलदुहसीला तेसिं अप्पास गेण्डमाणाणं / जं भानज्ने तहिये जवं च छदं च तं पावे // 16 // उक्कय्यो उ इदाण उड्ट कप्पानि डोति उक्कप्यो / अहवावि छिन्नकप्यो उस्कप्यो अहरण अनेतो // 1648 // उग्गमउप्यायणएसणामु हिरवेम्मो कंदमूलफले / गिहिनेयावडियाम य उस्कप्यं तं वियागाडि // १६॥5॥णार्माण धंभणि लेसोण वेताली चेन अद्धवेताली / आदाणपाडणेसु य अयो मु य एवमादीसु // 1650 / / . तसएगिदियमुच्छा संमेइममच्छमरणहिभोगे / रोद्दाहवणतड बंभदंडधंभे य अगणिस्स // 1651 // णामणि कवल फलाणं पडिमाण देउलाण ५भादी / घंभणि पदमविण चलति ले. सांग लेसेति अंगाई // 1652 // विणिदिडाण य आणि अहन णिलनकावणम्मि वेताली / उडविऊण णिनातो तक्मण एसद्ववेताली // 1653 // गब्भाणं आदाणं करेति तह साडणं च गाणं/अ. भिजोग क्सीकरणे निज्जाजोगादिहि कुति / / 1654 // विच्छिगमच्छिगभमरे मंडुक्के मच्छए तहा परमी / सम्मुच्छारेमादी जो जोणी. पाहडेणं च // 1655 // पसु उद्दवियं जागं आडव्वण मंत नोदकम्मे य। कोडादि भदंडो धंभणि अर्गाणस मंतेणं // 1656 // एमादि भ. की निकारण जो करेति न भिस / सव्वो सो उस्कप्यो ए. नोऽकय्यं तु वोच्छामि // 1657 / / णिविकर हिरणुरुकंपो पुष्यफलार्ण च साडणं कुति / जं चण्ण एवमादी सच तं जाणमु अलप्यं // 1658 // जो उ किवं ण करेती दुम्मन्नेसु तु सवमलेन / गिरको शयादिसु पवनई पिक्किनो सो तु // 1659 // सहसा य पमाएणव परितारणमादि बिटियादी / काऊण णाणतप्पड गिरणुळयो हबइ एसो॥१६६० // सन्तदहमहासू सहाणा सेवणाए सहाणं / गच्छागाळंमि उ कारणमि बितिथं भवे हाणं // 1661 // सत्तहमठाणाई उस्कप्पो व त. ह अकय्यो य / ते णिस्कारणसेवी पानति सहाणपच्छित // 1662 / / पत्तमि कारणे पुण रायदुहादिम्मि आगाटे / जयणाए करेमाणो हो. ति पकप्पो हिति दहाणे // 1663 // दंसणणाणचरिते नवनिणए गिच्चकालपासस्थो / णिच्च च गिदिओ पक्याम्म ने जाणमु दुकप्पं 變變變變變變變變變變變變變 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎 . VE] श्री आगम सुधा सिन्धुः :: नवमो विभागः .. // 1664 // दुकप्पविहारीणं गतामायणा यबंधो य / आमायणा यचं. श्रेण व दीडो तु संभागे // 1665 // सणणाणचरिते तबविणए णिच्चकालमज्जलो। णिच्च पसमिओ पवयणमि जाणासु सुकप्पं // 16 // सुक्कप्पविडारीणं एगंताराहणा य मोक्यो या आराहणाइ मोम्येण चेव छिण्णो य संसारो // 1667 // दसकप्यो समतो। बुत्तो दसविडकय्यो अडणा वीसतिविहं तु वोच्छामि / तस्य तदारा इणमो संगहिया सीहि गाहाडिं। 1666 // कप्पेसु णामकप्पो डवणाकप्यो य दनियकप्पो य / मेने काले कप्पो दमणकप्पो य मु. तकप्पो // 1669 // अन्झयण चरितमि य कप्यो उबही नहेन संभोगो . / भालोयण उपसंपद तडेव उद्देसणुण्णाए // 1670 // अद्धाणमि य कप्पो अणुवासो तह य होति हितकप्यो / अहियकप्पो य नहा जिणधेर अणुनालणा कप्पो // 16 // जो चेन दविथकप्यो बिहकप्यंमि होति बस्याओ / सो सेव गिरवसेसो जो य विमेसोऽन्य तंबोच्छ॥१२॥ एस पुण तिनिहकप्पो अहर इमं भावकप्पमज्झयणं, | सव्वं वा सुतणाणं दायव्वं करिने होति / / 1673 // सुपरिच्छियगुणदोसे कोलघणादीहिं तु परिच्छाडि / मुनिसोहितमिहमले उंडियभोमादि मातेहिं // 17 // सनपि य सुधणाण सुत्तन्यो सडिटए तु.. अन्सडठी अह पूण को परमत्थो विसेसओ पवयणहस्म // 1675 // पवयणरहस्समेताणि चेव भण्णति छदमुत्ताणि / ताणि म दायवाणिं भण्णति सुत्तमि को दोसो 1 // 1676 // अप्पं पियतंबर्ग अरहस्समपारधारए रिसे। दुग्गतगमाहणे निव जह वइरगहीरगादीया॥१६॥ // जह फेल्लमाहणेणं रचाए बदर हीरतो लद्धो / सो अण्णस दरि-. सिओ तेण वि अण्णरस सो सिटहो // 17 // एवं परंपरेणं रण्णो करणं गतो तु सो ताडे / ताहे दंडितो रण्णा हडो य सो नइरहीरो से॥६. एवं अपरिणथस्सा किंची अनवादकारणं सिट / सो कस्यति अण्णेमि परंपरेणं चरणणासो // 160 // तम्हा परिच्छिऊणं देयं निहिमुत्तबद्धपेठस्स। परिणामगरस जतिणो ण तु देयं अपरिणामस // 1681 // दरियकप्पो समहिगतो ण भणिय जं डेदह तं भणामि लि। सो भपणती क्सेिसो इणमो बोसमासेणं // 2 // दवं तु गोयब . 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री पस्यकल्प भाष्यम् [17] . सुद्धं गविनिय गवसणा विहा / अविडीय बिडीए था अविटीय इम मुणेयव्वं // 3 // दव्याणि जाणि कार्णािव गडणं लोए उति मावणं / तैसि तु संभवं मग्गमाणे ण तु माइते अत्यं // 16 // अविहीय दोस पिंडवाइसेज्जमज्झाणिक्यमपवेसी / णवकहगयचउक्के एते सव्येण पाति // 15 // साली तुंचीमादी आहारे मनिहमादि उवाईमि / रुकसा पुण सेज्जदहा एमाधिगमो हु साणं // 16 // एताई पुच्छिऊणं कत्थ पदण्णाणितहिं तर्हि गो। अविहिगरेमण एसा जहभणिया पिउजुजीए आहारोवाइसेज्जाण पाणदबहिँ होति णिपाती। वेसमिरिए पिलि अल्लगायततेललगुलमादी // 16 // हिमवते पिप्पली. ओ मलए मरिचाण होति णिप्पत्ती / हिंगुस्स रमक्मिए जीररामादी य जो जत्थ // 16 // मा अम्ड अडाए गावो कीता हटा व दुटावा। फलमादी मा कवयो व रोनितो अम्ह अढाए // 1690 // एमादि विमगांतो . पभवं गाणादियाण पनिहाणी / तह वत्यपातसेज्जाण मरेति सो अंतना चेव // 16 // एवं सो हिंडतो अनं पाणच हाणमुहि च / जह उगामे उ कह वा मझायं कुणतु हिंडतो / // 1642 // जो शिकसमणप से कालो भणितो तु वामउबद्धो / दुचनम् उडुबद्ध विहारो हेमंतागम्हामु // 1993 // णवमो वासावाने एमो कप्यो जिणे पण्णनो / ए. यस संघमाणं वोच्छामि अहं समासेणं // 19 // दोणि मया चन्ता. ला उडुबद्ध एतिओ विडारी नु / वामाम् पण्णासा पणगं पणगं हमने एगं // 2695 // पुरपच्छिममज्झाणं सबसि एस काल वोच्छो / पित्रं हिंडतेणं विहितो होति सो णियमा // 1696 // तम्हा मलु उप्पत्ती // एसियव्वा तु तेलि दव्वाणं / जस्सदहा णिप्पण्ण तं गर्नु एमते मतिम / 2697 // अतिबडय दुल्लभ वा गातुं दबकुलदेमभावे य / पुच्छति सुद्धमसुदं ताडे गहणं गहणं या ९अहवा पुढो भणेज्जा समणादिक यं व अहव शिक्मि। पकिमनं बावि भवे तत्व उदारा इमे होति // 16991 / समणे समणी सावयावेगसंबंध इइिट मामाए / राया तेणे पोवे या चिकस्वयं कुज्जा // 1700 // दमए दूभगो भट्टे समणे धण्णे य तेणए / ण य णाम ग बत्तवं टुडे कढे जहा वयणं // 17 // एतेसिं दाराणं विभाम अणिता जहा य कमि / सच्चेव। 聽聽聽聽護護聽聽聽聽聽聽聽 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [15] श्री आगम सुधा सिन्धु 1 नवमी विभागः.. गिरवसेन्सा णायना सव्वदव्येन्दु // 1402 // जं पुष जन्याइण्णं दबे मिते य होज्ज काले य / तडियं का पुच्छा न जड उज्जेणीए मंडेनु // 10.3 // एमेव माहमान्ये निसराए संसडीए का मुच्छा ? / विच्छिण्णणे व कुलंमी बड़ए दव्योम का पुच्छा // 10 // तम्हा नु गहणकाले मूलगुणे चेव उ.. तरगुणे य / सोडेन्जा दव्वस्य नुण मूलओ तस्स उयपत्ती / / 1705 // कीच्ये पामिच्चे जिए य णिपत्तिओ य णिप्पण्णे | कज्ज गिफत्तिमय ममाणिते होति गिएण्णं // 10 // कंडितकीनादीया तंदुतमादी तु होज्ज समणदहा / गेम्पनीमा भने आयडा छाणिण // 170 // होति कप्पणिज्ज पुण समणह होज्ज गिप्पण्णं / तंतुकति ए. न्यं च चोदो चोदए इणमो // 70 // णिनिओ य णिमणो य गडणं तु होज्ज समणस / णित्तिओ अन्नुढे कह गुणिमण्णले सोडी // 1109 // एवं गमियो कि एगहाणगं पोरच्चतं / भण्णते अफासुदब्बे ण चेव गहणं तु. साडणं // 1010 // तो नेणं साइर्ण कि कज्ज डोइति न विगप्पेण / अण्णपि य एगकुलेण डु आगोमलदवाणं // 1711 // तिकडुयमादीया सनदवाण मभोगकुले / ताणि तु गवसमाणे हाणी मध्येव णाणादी // 1712 // तम्हप्पप्प मरिहर अपप्पविवज्जतो विनति हु / अप्पप्पं मानो विवजात ण तं च साडेति // 1713 // गिप्पत्ती ममणटा समगडा चेव जंतु छोइ थिपन्नं। गडित होज जयंतेण नत्थ सोही कर होति 1 // 11 // मुयणाणपमाणेण उ उउत्तो उज्नुयं गसंतो / सुद्धो जदि वारण्यो समओ इन सो असठभावो / / 1715 / / जो पुण मुमधुरानो णिकज्जमो जदि वि सोउ पावण्णो / तह वि य आवण्णो चिय आडाकरम प. " रिणभोज // 1716 // एयरस साहणल्डं अहवा अण्णापि भण्णए एत्य / कारगमतं इमामो तमहं वोच्छसमासेणं 108 अंगमि विनितिय / ततियामि जे अस्पक्सल जिर्णाहा / एतेसु जुनजोगी विहरतो अहाज्यं बाजाज्झे / / 17 अंगरगहणापढमं आया तस्स बितियसुतसंधे। तस्स विबीयज्झयणे उहेसे तस्म तोतयोम। 29pe ज. स्थेयं सुतं पतु सेय उवस्से ण होज्ज सुलभो उ / मड़वा वि नईए सी. अथणंमी नइज्जमि // 1720 // नस्स विनतिउद्देसे आदीमुनि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प माध्यम 59) जे समकवायं / जोदे सकम अनुदो ताहे जयणाय जुत्तो 7 // 1721 / / देसणयि ह कोडि अच्छतो सो विमुझती णियमा / तम्हा विमुद्रभानो मुज्झति णियमा जिणमामि 1722 / / बाडिरकरणे जुनो उपओगाडेडिओ सुतधराणं / जं दोस समानणो वि णाम जिणवणतो सुद्धौ। 1722 // दव्वे य भावेण य सुद्धमसुद्धे य डोति चतुभंगो / तीतो दो. सुविसुद्धो नउत्थती उभयर असुद्धो // 2726 // बितिभो भाविसुद्धो दबोटमुद्धो 5 पटमओ होति / अडवा नि दोसकरण दन्ने आने यदुविहं तु / / 1725 // माविमुद्धाराहको दबतो मुद्धो य होता युद्धो य / / जे निदिदहा दोसा रागादी तेहि उलिये // 1726 // एते साम. एणत कीयादी अगुवउत्तो जो गिरहे / नहाणगावराटे साडठयमो. बराडाण // 127 // आचण्णो सहाय दिजात मह पुण बहु तु आव.. यो / सहियं कि दासबभण्णति इणमोसुणह वोच्छं।१२वालहि में / कि दायव्वं / तबो व दो नहेव मूलं वा / कन्येदं भगिनती भणणोते तु णिसीहणाममि // 1029 // वीतिमे उद्देसे मान्य चउम्माय नह य धम्मासें। उग्घायमणुग्धात भणियं सब जहाकममो // 1730 एसोनु दवियकप्पो जहक्कम नाणओ समासेण / एलो उ मेनकाय बोच्छामि गुनगएमेणे / // 1031 // आदी धरकणियती तु वाष्णता जोम जोमे पेलोमि / एतेमि सण्णिकासे सालंबो मुगी बसे सेले // 132 // छोरीहकप्यो आदी तह / जानिमा णिमेनिया सेत्ता / अक्लेमअसिवमारी ण कय्यती मारने वालो / // 1733 / / समादि अलमलो पडिकुडेटिं पि कति जयणाए / दुयमादी सं. ..' जोगा वजन्माण सोपणकामास // अवलोमे अनिमिय असि जे वसेज अक्रम / तहिय उडिविणासो असिने पुण जीरणामोतु // 1735 // एव ओमादी संजोगा तिगचउक्कमादीया / वलियन जेसु जहा तमहे / वोच्छ समासेणं ॥१७३३करजोगिन्निकासे बहुतररा जपुवगाह जाणे / भोवतरियं च हाणिं तत्थायरे दुबिडकाले // 37 // एतेल्यामण्णसरे आलं. वर्णानररमो से लेने / कालदुधावराहे संवटियमोसाहाण // 1738 // . संबंटियावराहे तवो व दो तहेव मूल ना / आधारपकम्ये जं पमाण माण चरिममि ।।दार // 1739 // एसो उ क्षेत्तकप्यो अदुणा वोच्छामि कालकप्य तु / जाबराउत तुझीण अप्युपाने लार मामा // 1 // Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [16] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग गीतमहाओ बिहरे मंनिगेहि न जयणनुनो 3 / अमती बिमग्गमाणो मेने काले इमं माण // 174/1 // पंच बाल मने अतिरेगं वार जोयणाण तु / गीनस्थ पादमूलं परिमगेज्जा अपरितंतो / / 1742 // एक्नं व दो व तिषिण व उस्को बारसेव वात्माइं / गीतत्यपाद - मूलं पोरमगोज्जा अपरितो // 1743 // पंच व सन सत्ते अति रेग वा वि जोषणाणं तु / संविणपारमूलं पोरेमग्गेज्जा अौरतंतो 11744 // एक्कन दो व तिषिण व उक्कोन्स बारसेव वासाई / .. संविग्गपादमूल परिमग्गेज्जा अपरितंतो // 1045 // संविग्गो गीय... स्थो भंगचउक्के उ पढममुबसपा / असती ततियोतिए चउत्थगणों उ उवसंपे // 1746 // उक्कमओ खलु लहुगो चउरो लडुगा चउत्थर्भगमि / जस्सट्टा उपसंपद तंत्थि चउत्थभंगमि // 1040 // एतेमि तु अनंभे एगो थामावडारमकरेंतो / विहरेज गुणमिद्धो अगिदाणो आगमसहाओ // 1748 // कालंमि संकिलिहे छक्कायदयानरो वि संवि - गो / जयजोगीण अलंभे पणगण्णतरेण संवासो॥oven पणगण्ण. तरं पासत्यमादिभंगे चउत्थर जयणा / जत्थ संती ते दहाति ताह वीसु वसहीए // 15 // सि णिनेदेऊण अह नन्थ ण होज्ज अण्णनमही 3 / णल हेज्ज वा उदंत मसेज तो एक्कवसहीए // 1051 // अपरीभोगोगासे त स्थ हितो तु पुणो रियजएज्जा / आहारमादिएहि इमेण वोहणा ज हाकमसो // 1752 // आहारे उनामि य गेलण्णागाठकारणे ना नि / धामानहाविजठो असती जुत्तो ततो गहणं // 1753 // आहार उहिमादी उप्पादे अप्पणा निसुद्धं तु / असती सतलाभस्सा उजो तेसि मा. हुपक्सीओ // 15 // सो नु कुलाइ मुछिज्जते उ दापति ना नि सो ते / तहनी अलभतो तू जतती पणहाणि जा लहगा // 1755 // संविगप• क्ससहिओ ताहे उप्पादएज्ज मुख तु / असती पणहाणीए जइनु अ ये पडिग्गहरा // 1756 // तह असती तमायणमाणीय गेण्हती तहि चेव / णियगेलि पांगहरो गेण्डति पासस्थपायाउ आदान / / 1757 // ., उहि पुराणहित अप्पपरिभुन गेण्हती लेसि // असती तएतर पी याद य गिलाणो भने तन्य | तस्य वि जइज्ज एल अस. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎羨 श्री पय कल्य माध्यम [161) ती मध्वधि से करेजितरे। अहवा ते वि गिलाणा हवेज्ज नाहे करे मोनि 11757 // एतन्धं अच्छज्जति गच्छो अण्णोण जंतूसाहजनकीर्शतण पमाओ यल तम्हा गेलज्जे कायवो // 1060 // दीहो न महतो वा क. *म्मोदइओ हवेन आतंको / मडहो अदिग्घरोगो तटिनवरीओ भने इनरो // 1761 // कालचक्कं चा काल काय होति अप्पमतेणं / उडुबद्धे वासासु य दियराओ चउक्कमेत तु // 1762 // जिणक्यणभामियंमी णिज्जर गेलन्जकारणे विउला / आतंकयउरताए कतपडिकइया जहगणेणं // 1763 // जड भमरमडुयरिंगणा गिनयंती कुसुमियम वणमंडे / इय डोति णिवड्यब्ब गेलन्ने कइयनजटेण // 1765 // सयमेन दिहपाटी करेंति पुच्छत जाणमा वेज्ज | जाण अडग पुण णाथमिण समासेण // 1765 // संजिग्गमसंविग्गे दिहत्थे लिंगि सावए सी अस्सणिण स णि इतरे परतिन्धियकुसलतेइच्छ // 1766 // पदिणमलभमाणे बत्यु हवेयनग भरे किंचि / तन्य तु भणेज्ज कोती सुक्क तुडवे दवे दोन्मा // 1767 // समत्त चि सुक्स (क्कातु अगिद्ध च मुसाहा / सुसारस्थ तग होति इतरे दोसा बह इमे // 17 // गिद्धोदए पीए अपमज्जणपाण तकणायरणा / एते दोसा जम्हा तम्हा सुदन डावेज्जा // 169 // भण्णात जेण कज्जत हरानेज्जा तहि तु जयणाए / आयोलज्जासे चतुरो लहगा य गुरुगी य // 1770 // ज मेवियं तु किंची गेलन्ने नं नु जो तु पउगो नि / आसेवते तु माधू सांगतो सेलो घेर // 1771 // तंबोलपत्त णातेण मा इ मेसा वि तू विणासिज्जा / गिज्जुहती तंतू मा अण्णो 'वी नहा कुज्जा ॥दार॥१२॥ कालकोडेगारे त पतिथए होोनमो वि तस्सरिमो / कालविकप्पन्जो वी अभिवादीओ मुजोयब्यो।।१७७३॥ अभिने ओमोदारए रायढे पर्वादढे वग / भागाटे अण्णालो कालकमेवो न गहणं ना // 17 // अभिने जाँद जतिपना लिगविनेगेण त उमण गच्छे / सम्बन्ध वा वि सिवे कालकमेवो बिनेगेण // 1005 // ओमेऽवेव कूज्जा पाददुहेण बुद्धिा णातं / तस्य नि य अण्ण. लिंग गिडिनिंग वा वि भासेज्जा // 106 // एय चिय आगाठ अहवा देहस्य जा तु वायत्ती पिचिसयाणातीण व भत्तस्स गिमेहणा चेव 01 एतेसामण्णत अणगाठलंचणो जिसेवेज्जा नष्ठाणताहे Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [દુર) श्री आगम सुधा सिन्धु नवमी विभाग संबोटयमोवराहा) // 17 // संवटियावराडे नवो व छेदो तहेव मूलं च। आयापकप्पे जे पमाणणिम्माण चरिममि / / 1779 // एसो तु कालकप्पो एत्तो वोच्छामि दंमणे का / सद्दहणलरमण नू निणोनदिदडेसु भावेन्यु // 10 // उवरतधस्कायम वि आर्याश्यपरंपरागते अ. स्थे / आगादकारणेसु महसु णिमेवणं तत्थ // 17 // छक्काए सदहिउं इणमण्ण पुणो विसद्दडेयध्वं / आगाढमणागाठे आर्यास्यव्वं नु जं तत्थ // 102 // दब्बे सेते लाने भावे पुलिस निच्छि असहाए / एतेडिं कारणेहि सत्तावह होति आगाट // 17.3 // एगादीया वुइटी एगुत्तरिया य होति दव्वाणं / ओमधगपरिहाणी दग्नागाळं नियाणा // 17 जंपेति पुणो नेज्जो मच्चितं दुल्लभ व दवं ना। अपरिगतो अच्छति हिसिउं नाव मो हानि 15 // जाहे उहिदडहाणी नाहे ओमनमहोणए भति / अम्हे कारेमो जोग्गं अलंभे एयरम कि कुणिमो॥१७८६ // एवं तु डावयंता सेनं कालं 2 मामासज्ज / ता ब्रहती जान तु लंभे जेसि तु दवाणं // orOT मह पुण लभेज्ज एनं अनसमेते, कज्मदव्येहिं / एनं दव्लागाठ नहिं जए पागहाणीए // 18 // सेतागाट इणमो अमती सेनाण मासजोगाणं / असिवं या अ. पणत्या पदीय वा होज्ज रद्धा // 18 // आयरियादि भ. गारग अहना अण्णस्य मानना डोज अंतर जहिं च गति वाना तह तेणमुभियं वा // 10 // एतेहि कारणेडैि मेतागाटर्मि एरिने पत्ते / अच्छति अमळभाना एम्पेत्ते विजयणाए // 17 // कालस्य वा वि अमती नासावाने नियारणा गस्थि / एतेहिं कारणेहिं कालागाउ बियाणाहि // 72 // वासा जोगां सेनं पडिलेहेतुं तु कालो पहत्तो / वच्चंताण र अंतर वासंत गिबडितुं पायं // 1093 // उहरं तरसेनं ताहे तं र पुवसेनं तु / गंतुं वसती वासं ममतीने वीनदारानं // 175 // अतिउक्कडं व दु. वा वेदणा झने आउं / एतेहिं कारणेहिं भावागाट वि. याणाहि // 1795 // अच्मुक्कामलादी अहिडस्काई तु दणा अप्पा / तत्पग्गिनाचणादी देहच्छेदोवगादी 1056 // जमि विणदहे ग. च्छस निणासो तह य णाणचरणाणी एतेहि कारणेहिं पुरिमाया - Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाध्यम 6163] ढं बियाणाहि // 17994 तरस तु मुद्धालभे जावज्जीन यि होतऽसु हेणं / कायलंत णियमा पुरिमागाट अवे एतं // 19 // जेण कु लं आयतं नं पुरिम आयरेण रकमेज्जा / ण हु तुंबाम विणदहे अश्या साधारणा होति // 10550 संजोगादहपाढी कामुग उदेस णासु जो कुसलो / एनारिसस असती पायब निगिरमागा॥ मज्जण लि विभासा असणे पाणए य पाणे य / केव डियाण पयाणे अण्णह चित्तो गिलाणो वा // 10 // होज्ज व महायतो अब्धता वा वि अहव असमस्या / एय महायागाउं तम्हा तु मुणी विहरेज्जा // 12 // जाति पवयणमी पडिमेवा मूलउत्तरगुणेनु / ता सन्तनु मुद्देसू मुहमसुद्धा अन्सुरेन्ड // 1 // आगाठमणागाठे एवं जत्थ होति कणिज्नं / तं नह महहमाणे दमणकय्यो हर्नान एमो // 10 // एमो दंगणकप्पो भएणा सुतकप्पमो तु बोधाम / जे तत्व होति विषयो हिज्जए जेण वा विधिणा // 105 // टुहिम आगमंमी मुले अत्येय जे जहिं भावा। सुत्तममुनकडाणं पविस्थ ताण अत्यं // 10 // नित्याने णाम मुत्तौमै गहिए अन्यो ऊ दिज्जती / मुने हिज्जियब्वे ऊ मज्जादा तु इमा भवे // 1007 // पडिहण काऊणं सज्झायं पदहवेनु बदहादी। आयरियादिणिमेज्नं करीत पच्छा य सज्झायं // // पोकीम सा तं ना. यंका) चक्मिाए पटियपनपडिलेडे / तारे नु अन्धपोलान मिणा विडिणा णा करेंती तु 09 // काउययग्गे वक्त्येवणा य विकहा विमोनिया / पयतो / अभडाणे वा कालणाय अक्लेव माहरणा // 10 // अण्णो विय सुतकप्पो सोयच्वं मंडलीय गर्याणए / अणुओगधम्मताए नितिऊम्म होति कायब / / 1921 // वक्यातो सुतस्प्पो एत्तो वोच्छामि अज्झयणकप्पं / दायव जेण विहिया जग्गुण जुनस्स वानं // 1812 // जोए परियाए अरहे य मरहे य विणयपाडवरणे / मुनस्पतदुमएमुंजे अज्झयणेसु अभागा / 1813 // जयसागाटो जोगो त आ. गाटेण चेव दाय / मणगादे अणगाट एतो वोच्छामि परियागं 1/1814 // ज मसपनीमाणं गतं सुतमि तिरिसादीयं / तं तेणं , माणेण उद्दिलियब भवे सुनं सुइिंडयावमाणचिनिमा 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 81640 श्री आगम सुधा सिन्धु नमो विभाग दे दीड वियत परिसाए / ण नि दिज्जती अन्हेि अनिटे तू इमे हों. ति / 1816 // तितिणिए चलचिने गाणंगोणए यदुब्बलरिने / आयरियपारिभासी वामावटे य मिमु य // 18 // आदीभदिदडभावे अकहसामारिए तकणधम्मे / गोचत मण्या शिपाइदमुले वज्जा अस्पं // 18 // उहरो अकुलीणो च्चिय दुम्मेहो दमगमंदबुद्धि नि / विमप्पलाभनदी मीसो परिभवर आयरिए // 11 // मोवि य सीसो दुविहो पनावियतो य सिकसओ व / सो मिलमतो नि लि. हो मुत्ते अशे तदुभए य // 1820 // एनौ अरिहाणं जे पाउन- .. कसा तु होनि चमि / परिणामगा य जेन ने रिहा होति णायव्वा // 21 // एनारिसे विणीने मुत्ते अत्धे य जत्तिया भेदा / अज्झयणुद्देसेसु य ते सव्वे अमेमिए देजा // 1422 / / एमझयणे कप्यो एतो वोच्छं चन्तिकय्यं तु / जेतु विहाणचरिने बलेस युक्तलापन ये // 12 // पंचविहमि चरितमि वायणता ने जहि अणूभावा / एसोचस्तिकप्यो जहमाम होति विष्णेमो // 24 // सामाझ्यादि पह अगुभागा लेसि जत्तिया भेदा वतपंचगंमि कतरं भरियर लहुतर किंवा // 1825 // सबगुलगी यहिमा तीसे मारकरणदह सेमाणि / बभबय च ततो तन्तो अदत्त मुस तन्तो // 26 // मबलओ परिगहो सक्को वत्यादिराणिग्राहण / लोगे पुण गुहगत सव्योम भरे नु. साबादो // 127 // काऊण विवरणं मुसज्जा तु सवभने ति। 7 भर्याने पइण्णलोनो नेण मुम भारित लोए // 1 ॥जह तेणगा उके ती अघयंता मुसित भेच्छुर्गाबहार / गियडीया ति धम्म मुणेमु मह भिच्छगे ते // 19 // सोउ निच्छुरतारा विणय काऊण भिच्छुए माह / अज्जपति अम्ह बुद्धो सस्था बने देह // 14200 मुसवज्जा चाएमो था. भो रोडिउ क्ते देड // / वीमत्यभिच्छुगाणं मुसित बिहारं समादत्ता // 1134 // भिषु जति नेणे बेतु सिक्यारो) मा मज्जो / भंजह लवं ति तेणा हु पच्चवसाय मुस अम्हें // 13 // गुतलाघवनकमाणं एवं तू सोहिकारणाभिहितं / पत्तोमै कारणमि 3 लहुयतर पुब सेवेज्जा // 1833 // काणि पुण कारणोण जेस्तु पनेन्यू जयणपडिसेवा / भण्णा ताये इमाई कित्ते हं भे समासेणं // 134 // गच्छाकस्याए जायरियागलाण 護獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प श्री पञ्च कल्य भाध्यम [165 आवतीय य / पोडसेवा सनु भोगता एते मनु कारणा ते उ॥ 1935 // छो. हियतेणादी गन्यमहा मिरवणा होति / आस्यिाण व अहा विभाग विस्थारओ एवं // 26 गाउं तुंबधिणासं अनमा माहारमा एवं तु / आरियरस विणाये गच्छाचणासोएनएवं॥२७॥ आगाठे गेलन्ने के दाति विभास आनती चऊडा / दजाति सेतामति कानेनल भारओ चेन // 1838 // एतेहि कारयोडिं अपनेहिं तु जो तु मेनेज्जा / मुहसीलवाए जो उ आबज्जति यो वि य सुझति डु // 13 // जो पुण पने कारणि जयणा आसेरणं करेजाहि / तास चरितविमुद्धी जह भणति जियो हि तं इणमो॥ च्छायच्याए मायनियगिलाया आवादे विदिण्णे / जत्थेदेय पडिसेहो पाचचिन्तामेवणा तय // 11 // निमस्म पच्छिमारसय मन्झिमगाणं जिणादाणं / आसेरणा यमचरितया य अत्रेण अणुगम्मो / 2 // वयभंग बि करेंतो जह सचरित्ती कहं त अत्येणं / अणुगंतव्वं ए. गं भवति आगारमारणतो // 1843 // जे के अवराहपदा किण्डा मुक्का वे पवरणमि / णिरिसपरिच्छणाए दगडाणेणं मूणेयवा // 1com पडिन्होऽगुण्णा वा पार्याच्छन्ते य ओह णिच्छइए / ओहेण उ राहाणं अविरेगेण बोगडियं // 1845 // हिंसादवराहपदा किण्हे अणुपति यु. विकला लडुगा / णिरिस्परिच्छणा सलु जह कागं तार णिहमेमु // // 1846 // एवं परिच्छऊणं आयवयं गच्छमावती जंतु / निधारयमि पत्ते जयणाए जिम्मेव सरिती // 18 // दुदहाणा मूलुत्तर द. प्पे अजए य होति पांडेन्येहो / कप्मे जयणाणुत्ता जो पुण णिक्कारणा सेवे // 1 // पायर्याच्छन्नं पाति तं दुविहं ओहियं च णेच्छइयं / ओई तु जमावण तं दिजति तमि सदहाणं // 14 // णिच्छइयं अत्येणं वीमंसित्ता उदिज्जती जंतु / एयं अस्थविरेश सोकोडेयं - बिहं इणमो // 25011 ___ काय कह कहि तंवा कोदया णु कोम्म कच्चिर होने / छडाणपोचमतं अधपदं होति योगडियं // 1851 // कम्मति मीतागीतस वा वि कह जयण अजयपाए वा / को अदाणा वसले कादेयाणु सुभिक्खाभनो 4452 // अहवा दिताओ ना कम्हि सी कारण 2 इतरे वा! कम्हि व पुरिमज्जाते आयोन्यादीण अ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 166] श्री आगम मुया सि-यु 0 नवमो विभाग पणतरे 15 // चिर कारेबारे सन बदकाल व मेविय होना / एन घडा एय सुद्धासुद्धे अस्मुद्धितरे // 1 // 54 // मंघयधतिजुता. में मवण मन्हं तु दिज्जए नन्थ / अमट्ट अधिनादीण दिजाद चापति जं वोदं // 1415 // मोनूण काययपदं करोति आलंवणं मौतविड़यो / रहम्म च अणहय्य करेति मातस्यओ पुरियो / 156 // माइदडाणारेमुक्को अकप्पियं जो तु सेवते भिक्यू / तस्य कयितपदं मायासोडिए चाभेयो , 157 // एसो चरितकप्पो एनो नोच्छामि 3 - अहिकमंतु / सो पु) पुनाभिहितो ओडुवग्गह जुत्तओ व // 15 // जो तु किसी ए-पं तं णाचे इह अहं तु वनमामि / मुटुग्गमादीएटिं धारेथव्यो जहाकमक्यो / / 1859 // प्रामुथमफामुए यानि जाणए या अजाणए / ओहोवड़वाहते धारणा करम केचिरं // 1860 // जदि कासुवही कारण गोहओ तू जाणए तो धारे / जो जुण्णो:जुष्णो बिटु अहपकुव्वे शुभति हु // 1862 / / फासुगे अजाणएणं कारणगाडेओ धरेज्जते तार / जावण्णो उप्पण्णो ताडे तु विगिंचए तंतु // 1862 // अह पूण अफामओ त जाणगाडेओन कारणे होज्जा / जदि गीतस्या सचे तो धारेती तुजा लियो / 1863 / / अग्गीनिमिरसेहि अणुप्पण्णमि तं विगिचति / अह पुण अफाटो न कारणाहतो अगीतेणं // 1864 / उप्पण्णे उप्पण्णे अण्णमि विगिचती तु सो ताडे / एवं चनुभंगेणं धारणता ना परिहरणा // 1865 // सो पुष दुविहो उनही वधं पातं च होति बोधव्वं / वस्तु चहार्वडाणं पाता पुण दो अणुण्याता // 1866 // चोदेती. पंचण्डं किय्या ने एगो पडिग्गडो होति / तो दो एक्केक्कस्स तु भात ण पप्पए एवं / / 1867 // तो चलिण्ड दुवण्डं अहा एक्केक्कतम एकको कं। भण्णात पाड़णमादिनु ताहे वि काहितेवकेणं / / 1868 // अप्पा परो पल्यण जीवणिकाया य चत्त होंतेवं। वास्तदिहतो तम्हा दो दो तु घेतब्बा // 16 // भणीत जदेवं तेणं जिणकप्पी एग. पातओ कम्ह? ? / भरणति कारणमिणमो सुण जेणेगपादो तु // 2800 // संगहियच्छि जसपाहिय अप्याहारे चियत्नदेहे य / णासण्णेऽणावाए गांतिनिकद्धे डनियमाणं // 1871 // तिवली अभिषण - Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् / क्च्चो कंकरगहणी य संगडियकुच्छी / जोयणर्मा गच्छेज्जा सण्याडो धडिलस्सऽसती // 1812 // जसकारि पनयमनमा जेण अजसो होति तं तु ण करेति / परगडियएसणाहय " यावे सुलभो से आडारो // 17 // जादै विय ह कुच्छिा नभाते कदाती अस्म कालस्य / तपि य से निलंसति तत्ताड़ल्ले / जह बंदु // 18 // णाप्य वच्चं से ता गच्छति जाव मारिय गान्धि / 7 य बाहर उप्यज्ज ते चतं चसी तेण 194णास जाते पंडिल्लं गावात जियमेण तु / वैच्छिण् ट्रस्मोगाउं सम्वदोस विजयं // 1876, जिकिर पिपडिग्गहग बोसिरितुं यन्यो न मिलनेने / एतेण कारणे जिणाकपिउ एगपातो तु // 18 // पातदुगस्य तु गहणे कारणमेत स मासतोऽभिहितं / अड़णा तू चोदयंती कि ोपति स्थमतिरेगं ? // 1878 // कितीहिं ण पडूप्येज्जा एक्केणाधादणा पकमि ? / गच्छे सकारणे ति य वोच्छेदको पसंगरस // 10 // चोदेती किं तिण्डं गहणं ऊणे, जंण संधीते / भणती एपणाव हु संघरति पुणाह तो सूरी // 10 // छादणतो णासणतो ऊोण कता भ. चे पकप्परस / मा ह पसंगविवढी ऊणहितं तेण धारेति // 18 // गच्छो सकारणोती शिलाण वुइटे य बालममहादी / तेसहा अतिरेग घेति मा डोज दुलभांति // 12 // सीतादितावियाणं मा टू णाणादियाण परिहा / होज्जाहि तेण गेण्डति मंधरती जानदीएणं // 1883 // जोद एयविप्यडूणा ताणयमगुणा भवे हिरवलेमा / आहार मादियाणं को णाम परिगाह कुज्जा // 14 // पंचमलतोवघातो चो. * देती वस्थमादिगणम्मि / एगलतोजघाए घातो पंचण्ड बिजताणं // 5 // एवं तु चोदियमी बेति गुरु ण उ परिगाहो मोतु / मंजमगुणोवकारा उवाति परिगहो होति // 16 // जमि परिगडियंमी तमधावरघातणा पबत्तीति / गहणे गहि ते धरणे सो णाम परिगाहो होति // 180 // गहणे पुरकम्मादी गहिते पुण होति पच्छकम्मादी / धरणे अर्पाडलेहा कीरति मुच्छा त जा तस्य // 1 // जमि परिरहियंमी तसधानरसंजमा पनत्तीति / गहणे गहिते धरणे सो ऊ ण पर. ग्गडो डोति // 18 // रागविरहिओ तू माहारादीण जं कुर्णते भोगां Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (168] श्री आगम सुधा सिंधु नवमो विभाग / हु सो परिग्गडो तू तो कि गुरुमादिणं पूया // 10 // कीरति आ. डारादीडिं ? भण्णानि भणिना नु गियमसो मा तु / तित्थंकरहिं चेर तु तेण उन्मा कीरए तेसिं ॥१८तो किं प्रयाडेतुं पवनयंतीह ति स्थगतिथं? अह कम्मकायहेतुं पुट्ठो एवं इमं आह // 12 // आहा उहि पूजादिकारणातु पकवितं नित्यं / णाणचनणाण अठा लिस्य देमिनि तिथिका नित्यं चउहा संघो तरस य देसेंति पाणमादीणि / तित्थगरणामगोजस्म सयदठा अवि यमाभवा // 189yn . . णाणे चरणे गुणकारमाणि आहारउहिमादीणि / एतेण अगुण्णातात. हिं ठितागं तु तो पूजा // 15 // एसो उजहीकप्पो बणियमो विन्य पमोत्तुणं / संभोगकय्यमेतो वोच्छामि अहं समामेणं // 16 // पुटबभ. गितो विभागो संभोगविही य दोडिं ठाणेहिं / दोमु धि पसंगदोमा में से अतिरेरापण्णवए icon दसविड सत्तविहेडिं पुबुत्तेतेहिं दोडिं ठाग्रेडिं / दोस वि पसंगदोसा ण मुंजए अण्णसंभोई // 1 // जम्डातु ण णज्जंती उग्गममादी उ जे भने दोसा / एतेण अपरिभोगो अमगुण. पणे डोति बोधवो // 18 // जं तस्य ण पत्तं तु तमहं वोच्छामि एतम तिरेग। जेतु गुणा संभोगे ते वण्णेऽहं समासेणं / / 1900 // . अणुकंपा मंगहे व नाभालाभेऽवि दाहया / दाबद्दवे य गेल. ब्जे कंतारे अंचिए गुरु // 1901 // बालादणुकंपणछा असह अतरंत संगहठाए / केति सलद्धि अलद्री तेर्सि माडिल्लयदठाए / / 1902 // उप्पन्ने अहिंगरणे काहिँति विउसगं तु ओजेदाही | ण य गच्छे बहिभावो उप्परओऽहंति परिभूतो / / 1903:: मझं अणेक्कभाणो ति काउ मा एस पेच्छती पुन्धि / जत्थ उकूले महल्ले लति भिवत्या महल्लीओ // 1904 // त. म्हा उ दवदवस्सा पुचि गच्छामह तु तं गेहं / एते उ परि. हरिया दोसा ह भवंति संभोगे // 1905 // गेलण्णेण व एलस हिंडितुं आणियं तु अण्णेडिं / तो साइ यामडुवग्गो कतारे आणितमडहिं / / 1906 // एमेव अंचिए वी गुज वि गेहति तु अण्णा मण्णस्स / एक्को पुण परितम्मनि बाहिरभावं व गच्छज्जा // 1907 // एते उ एवमादी संभोगमि उ गुणा भवंती 3 / तम्हा स्खलु 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *RRRRRRRRRRRY श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1690 मायनो संभोगो युणिएण समं / / 1908 // एताई हाणाई जो तु सह होतओ पमादेति / अण्णे आपति जी घेत्तू जव तं केती॥ | 1909 // सेसाणुपालणहा तो तं उम्मंडली करेंती उ / जदि आउति जुजति ताडे मेनिज्जति पुणो नि // 1910 // अड पुणा चोइज्जतो बट्टसो गाउट्टए उ तं दोसं / मति नाभद्धिजुत्तो णिज्जूहतीउ त ताटे // 1911 // अट मदलाभलटी " य जोगं जुज्जती अहन्धाम / सोहि सरंटेऊण मेलिज्जा मंडलीए तु॥१९१२॥ किं कारण गिज्जूहणा जंग. गुत्तरधराणं / ण करेती वच्छल्लं तेण उणिज्जूहणा तस्य // 1913 // एवं आयारएण उ जोगो मनस्स चेन गच्छस / बोळव्यो दिदहतो गएण इत्थं इमो होति // 1915 // जड गयकुलसंभ्रमो गिरिकदरविसमकड़गदुग्गेसु / परिवहति अपरितंतो णियगमनीलगते दंते // 1915 // तह पवयणत्तिगओ साडम्मियनच्छलो असठभावो। परिवहति अपरितंतो खेतविसमकालदुग्गेमु // 1916 // जर्जादे एकभाजिमिता गिहिणो विय दीडमेतिया होति / जिणवयण बहिब्भूता धम्म पुण्णं अयाणंता॥१९१३ // किं पुण जगजीम्सुहाबडेण संभुजिऊण समणेणं / मरको टु एकमे. को णीयओ विव रक्सितुं देहो ? // 1918 // करिसयं मंझुंजे केरिसयं वा वि न ण संभुजे / भन्नइ उगमसुद्धं भुजे असुद्धं मुंजेज्जा // 1919 // चोदे आहारादी उम्गममादी असुद्ध मा भुंजे। जं पुण अपेहणादी का. लादीहिं उवहयं तु // 1920 // नं पुण सुद्धोवडिणा मा समयं एक्का तु बंधेज्जा / संघासेणं तस्य उ उवघातो मा हु सुद्धस्स // 1921 // भपति सुद्धस्य जती संघासेण तु डोति उवघातो / सुदेण अन्मुख - स्स वि पाति सुद्धी तवमएण // 1922 / / अह उवधातो ते मतं संफासेण उ मता विसोही ते / गणु ते इच्छामेतं य इच्छामेतओ सिद्धी // 1923 // उवघातो चिसोही वा धिम जीवस भावतो ए. सो / उनघातो लिसोही का परिणामवसेण जीवस // 1924 // तस्सेव पसस्थस्स उ परिणामरस अह रकमणढाए / कीर्शत संभोगबिही गच्छपसत्तीइ मा गच्छे // 1925 // संभोगकप्पदारं एवं खलु वणितं मए एवं। आलोय. णकविहिं एत्तो वोच्छंसमासेणं // 1926 // दुविहांड सेवणाए REFRESHERE Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्राआगम 170 श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभाग दोहाण दुयागताण हाणाणं / जस्से व नु अहिंमुहतो आलोएज्जा त. दहाए // 1927 // दीप्यथा कम्पिया चेव दुविहा पडि सेवणा / द. पियाए 3 दो हगणा मूले तह उत्तरे चेव // 1928 // कम्पियाए वि एमेव दो डाणा उ वियाहिता / जयणा अजयणा चेव एक्केरका य नियाहिता // 1929 // जस्से व अभिमुहो ती जंचेव य कानु विहरते पुरतो / आर्याश्य उलझाया तस्मेव उ तं तु आलोए / 1930 // अहवा ज जह सेवित मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / पातिवातादीमय वनेयु तं तं नहालोए // 1931 // अहवा मोक्याभिवाहो मोक्सहाए तू अढकम्माण / अणलोइए ण मुंचात कम्हा इणमो णिसामेहि / / 1933 / जाद विय तवगुणजुत्तो होति मणुस्सो अणुद्धारय सल्लो / कशेति दुक्समोस सल्लुद्धरणे पि जतियव्वं / 1933 // तं पुण के. रिसाम्स तु वियडेयव्वं तु ? जाणतो जो तु / निजाणते न कप्प. ति अजाणतो जो यिन्यो / 1934 // पायच्छिन्तमयाणतो हाणे हाणे भटानि।ि भालोयणाए उनसंपयाए ण ह डोति पाउरगो॥१९३५॥ किं कारणं ण यात सोहें माइस्म सोहिकामस्म / हाणे हाणे पु. ठवादिएम मूलुत्तरे वालि // 1936 // पातिवातादीनु य कारणिक्कारणे ये जयणाए / आलोयण गुणदोसरमणेण हु होति पाउगो // 1937 // गुण अणियहियमादी दोसा पुण ग्रहणादीया होति / एते ण याणे अगीतो तम्हा उ इमस्स णालोए // 1938 // पाच्छन्नं वि. याणतो हाणे हाणे जहाबिहिं / आलोयणाए उवसंपयाए सो होति पाउगो // 1939 // पडिसेवातियारे दुल्हेि काले पबंधवोच्छेदो / ए. क्केक्क छक्कएणं आलोयण मा पडिच्चाहे // 1940 // परिसेवणाऽतियारा दुविहा मूलगुण उत्तरगुणे य / पडिसेमणकालो व य वि. हो उडुबद्ध वासे य // 1942 // अयोच्छिण्णपबंध विवीयं तु होति वोच्छिण्णं / क्यधक्ककायधक्काकप्पादी छक्कमेक्केवळ।।१९४२॥ अकप्पादी धामणं अकम्प गिहिभायण च पलियंको / तत्तो य मिडिणिसेज्जा होति मिणाणं च सोभा य // 1942 // एतेसिं धक्कगा- . एक्कक जतु होते आनण तमाला तहा पति या वि आथरिओ // 1944 // आलोयणामबहारो संवासि पवामिया का Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 **** श्री पथकल्प भाष्यम् 81710 उ अवसराहा / संवासिया उगच्छे पवासिया कारणगतस्म // 19 // अहवा जा अणवदठो ता संवासिं तु डोंति अवगाहा / पारंची पावासी पवनति गच्छा उ जेणं तु // 1946 // पंचविडो सझाओ दाणाहणं. मि भयिो संचासो / पावामिए / दिज्जति ण य गहणं होति का. यव्वं // 1947 // आवण्णगपरिहारिए अमनदठे चेव दोण्हानेतेल / म वि दिति / वि घेप्पति सेसाणं दाग गडणं च // 194 // आलो. अगाए कप्पो एसो भगिओ मए समासेणं / उपसंपनाए कप्यं एत्तो उ समासओ वोच्छ ॥११४४विडंमि आगमंमि उ परवणा चे आयरया. ताय। पयंत्रणगहण अगुपालणाए उनसंपदा होति // 1950 // . आगमडे उबसपदा उ स य आगमो भने दुविहो / सुन्तं अत्यो य नहा पारगते तत्थ उनसपा // 1951 ॥दो आधरिया पा. रा कत्थर उपसंपदा तडि कुज्जा ? / जो णिउणतरं भामति मह गिउणं दो वि भामेति // 1952 // सामाधारी पडिलेहगादि जो तत्य आपरावति / दोमुवि समुज्जतेसु जो तहियं धम्मकहिओ उ॥१९५३॥ ता विय 9 मिक्खियब्बा सज्झायरसेव जेण ने अंग / दोमु विध म्मकडी जो तहियं गाहगो होति / / 1954 // गाहणमतीजुतेम दोसुवी कस्य होई उवासंपा। अतरंत असइबरगं विसेसओ जो उ पालेति // 1955 // एनेसु निमिदहतरी अण्णाडितोऽनिहाति उनसे ने। इतरो होति अजोग्गो जदि विय सोडोति गीयत्यो॥१९५६ // उ असंवि पुणा पण्णनणाकोविदो ति काऊणं / उपसंपज्जति बा. लो तम्स इमे होति दोसा उ / / 1957 // मीडमुह वग्यमुई उयहिं च पलितगं च जो परिममे / अभिवं मोमोसित एवं सि अप्पा परिचतो / / 195 // तह चरणकरणहीणे पासथे जो उ पविन्मले भिक्यू / जय माणे उ पहिउ सो ठाणे परिचयति तिथिया // 1459 // एमेव अ. हाधंदे कसील ओसन्नमेव संमत्ते / ज तिण्णिा परिचयंती गाण तह दसण चरितं / / १९६०॥क पुण उवासंपज्ने ? तत्य इमे होति चत्तारि / एगो देति लएइ य बितिओ देती / गेण्डति तु // 1761 / / ततिओ ण देति गेयहति // य देति न गेहती चउत्थो उ / पढमे उपसंपज्जइ मेसा उ तओ गऽगुण्णाया॥११६२॥ बितिए णिज्जरत्नाभं ण "FERE Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRESEARSA [172) श्री आगम मुदा मि-पु० नवमो विभाग नर्भात गेलण्णमादिकज्जेसु / ततिए गिलाण कारण अटवसटे म. रणदोसा // 1962 // दोणि नि चउन्धे दोसा होति अवन्ध य तेण सो तम्हा / पठमंमि जे गुणा सलु हति ते मे णिमामेह // 1964 // भत्तो वाहमयणामण दाणग्गडणे य एक्कमेस्कस्म / इहगिलाणे कन्कारिए व अतिक्कमो जोऽन्य // 1965 // जो पुण ने दूतो करोति उवमं. पदं असुद्धे / तिहाणगाभिलासी हनइ तु बोमदहतिढाणो // 1766 / / कि जडिओऽसि तहि चिय 1 पुडो जति नरिममे दोला / अप्पियस ज्झायादी त्धि य ते याचि जति तस्स // 196 // जे दोस आभार ति तं दोम अप्पणा समावज्जे। जो कि पडिच्छति तंतूमो नि.य चेर आवजे // 1968 // गच्छस्म जोनसंघे असुद्धमावज्जती तगंमो. नं / जो पुण) पडिच्छमाणो अविणीयादीहि दोसेडिं // 1969 // दुसेउ न पडिच्छति ण मति ने याचि तन्म दि दोमा / ताहे जसो वदती तं तं दोस मप्यणा बज्जे 390 // जंच असुद्ध पडिच्छति राणं त.. म्स जे भवे दोसा / योसतिगदडाणादि ते तुम अप्यणा पाये // 1971 // अकहा अणकहा उपसंपदा य भणिता न होति दोऽवेते / अय। मण्णोतु अरिहो मी उनसंपदाले तु // 17 // आहारे उहि मिय पगामा होति अरिहमन्मइठे। एगंतणिज्जनही सनिग्गजगामि उ. हेसो // 1773 // आहार उडिन्सेज्जा लभिहामी लेण संगडं कुणती / रोडामि वा पगासो लोए नऊ णिज्जनहाए // 1500 एए होति अरिहा तितिणिचलचित्तमादिणो जे य / अहवा वि मदमइटे आ. कोईचिकाईटर वा नि // 1905 / / . जो पुण इमेडि पंचहि ठाणे वादे सो भरे अनहो / में. गड़नग्गहणिज्जरसुतपज्जरजातायोच्छिती // 1996 // तास पुष . णिज्जरहा वाइनस्म नियमेण सुरिस्म / आहारोवाह पूजा पगामा चेव भवती 197 // विणएणाहारादी उक्तोसा तरस होति दाय व्वा / काले कालणुकता जे वालि सभा आगलवा // 19 // उच्छूटकवीरो तू जा चि यसो मंडलीय भुजति न / तह विय मत्तगगहणं मी. सोडच्छडिं काय // 1979 // एस अधम्मता ऊ ज्ह गोतमसामि सामिणो गण्डे / हिंडतस्स पुण इमे तस्स उदोसा भयंती // 10 // FFEREFERENEFES Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RAREERY श्री यस्यकल्प भाध्यम् / 1173] वाते पिले गणालोए कायकिलेसे चिंतता मेठी अकारए वाले गणचिंतालदिट वादियो / 1981 // एनेमि दाराणं वक्माणुवा बि. लिज्जउद्देसे / नवहारे भणिहिती निन्धरनो इह समासेणं // 1982 // भन्लीए तु गुणाणे पगामच्या तस्स तेहि कायब्बा / एता लियो महप्या उज्जुत्तो अणज्जकालीओ // 1983 // धामानहारविजठो तरजममुदिडओ जियकन्साओ / बडुसुत बड़ार्गामओ भतीए पगासए एवं दारं // 16 // एमुवमपदकप्यों वोच्छं उद्देम. कप्पमड़णा उ / उदसण वायण ति य पाठणया चेव एगहा // 1905 // सुनत्थनदभयाई पवायते ताव जाबमधा। बहफच. चाययाए विजळे भजियतु संधाणे 1986 संधाणमंतामण अभिवादी पच्चवायपेविहा / विजठेती णिविमने जोगे भइओ पुणुलोवो // 19.0 // जति कारणे कति मिक्सिनो तो म उक्मिन पुणो नि / अह दप्या शिक्मितो तो य उ उक्लिप्पती मुज्जो // 19rru हिटमि य अंगे मुतधाम य तहेव अज्झयणे / आसज्ज पुलिस कारण तिदहाणे होति पडिसेहो // 1989 // अंगादी उद्दिढे पुरिस दट्टूण अपरिणामादी / अच्छति वसट्टरादिोहे विणीचादी व पाऊणं / / 1990 // ताहे णिक्षिप्याने तू तिदहाणे जंतु भणित पडिसेहो / तं सुचमस्थत भय एतमि तिणि 4डिमेहो // 1991 // एमुद्देसणकप्पो अरणा वोच्छ अणुण्णकयं तु / के * मही काले गहण बस्थादीणं अणुराणातं // 1992 // बस्य पादरगडयो वा. सावा मेसु पिगमो सरदे। तिगपणगमत्तगदुगाउयमि अप्योदा जाणे // 1942 // वस्थाद्रीण म्हणं णाणुण्यातं नु होति वासामु / वासादीय परेणं दमामे अण्णे उ गैण्डति // 1994 // तेसिं पुण णताणं स दे जोद दोयह गाउयाणं तो / दगसंघटजरुण्णेण तिन्ति पंचेन मज्झिमगा // 1995 // सत्तेव उ उक्कोसा गिम्हमी निन्नि पंच हेमंते / वासासु य सत भवे परेण सेतं गणुण्णातं // 1996 // अप्पोदगति मग्गा जीया लोणतं पुर्वि / ते अददे जोयणे दगघटा जावसत्तेव // 1997 // वाय पालगडणे पनसंघरमि पढमहाणमि / एनो चतिक्कमरिम दस हाणासवणा सद्धीWrern पटम हाण REFESSESSESSES Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [174 श्री आगम मुधा सिन्धु नवमी विभाग स्सगो तेण तू जवसु डोति सेनेन्मु / वत्यादी गडणं तस्येव य होति उ विहारो // 17 // णवहाणातिकमे पुण भनई सहाणतो विसुद्धो तु / किं पुण तं सहाण अववादो अति तो डोति // 20 // अववाएणं गहणं उस्सग्गो चेव होति सो ताहे / गिण्ड. जस्स तु कारण सुद्धी तह चेन बोधव्वा // 2001 // जह गेण्डं - तुल्सग्गे सुद्धी उबहिस्स एव बितिएणं / गेण्डंतस्स विसुद्धी सहाणं एवमक्सायं // 2002 // अडवा वि इमे अण्णे णव उ डा- .. णा वियाहिता / दव्वादीयाउ इणमो वोच्छामि अणुपुबसो॥२००३॥ दव्ने क्षेत्ते य काले य वसही भिक्कममंतरे / सज्झाइए गुरू जोगी एते हाणा वियाहिता // 2004 // दबाणाऽऽहारादीणि जादि तु सुलभाई तमि 'सेतीम / सेन विच्छिन्नं सन्नु वत्तेत सुतगगणम ||2005 // वत्तण परियटती सुणेति अन्धं गणो तु बालाही / तस पड़ति येन आ डागदीहिं संघरणं // 2006 // काने ततियाए केता उन्मही जोगा भिवय. सलभाति / गविगिदहमंतरा चिय सज्झाओ मुज्झति जा च॥२०७। // सुलभ आयरियाण जोगा जोगीण मुलभ पाउग्गं / एते ते नव हा. णा हिँ उस्सग्गेण गहणं तु॥२००८॥ उस्सग्गेण विहारो संघरमाणाण णवमु खेत्तेसु / तो सबुग्यावही णव पेन्ले यावि दगघटे॥ 2009 // णवि हरे गच्छंती णवगरस असंभवे बितियहाणं / दगघटे अहए वी पेल्ले दूरं पि गच्छेज्जा // 2010 // दुलभामि वन्यपादे ऊहिएK मि एवम् गच्छेज्जा / एमेन कि हारो वि डु सेनाणाऽमती मुणेथव्नो // 2011 // आनंबणे निमुद्धे दुगुण तिगुणं चतुग्गुण वा नि / मेनं कालातीय समगुण्णात पकप्प मि // 2012 // एस अणुण्णाकप्पो भडणा अद्धाणकप्य वोच्छामि / जेहि च कारणेहि भद्धाणं गम्मते इणमो // 2012 // असिने ओ.. मोदरिए रायट्ढे भए व आगाटे / देमुदहाणे अपरक्कमे टा अ. दाणतो पण // 2014 // उद्दहरे मुभिवाये अडाणपनज्जण तु दप्मेणं | दिवसादी चउलहुगा चउगुका कानगा डोंति // 2015 // उग्गम उप्पादण एसणार जे सलु निराहते हाणे। तं शिकणा तस्स 3 पाच्छित तु दायन्न / / 3.16 // पुहवी आऊ नेऊ चेन नाऊ ? AFF - Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 98290822283929 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1750 स्पोते तसा य / पतेन परिनेम य ज जोडे आशेषणा भणिता " 2010 / लहओ गुको लाया गुल्या चनारि छच्च लड्या या गुक य छेदों मूल भावदहप्पो य मानली . 2018 / असिने मोमोदरिए रायढे भए व आगाठे / गीतत्था मज्झत्था सस्थक्स रावेमण कुज्ज / 2019 / कालमकाले भोती णातूण य अडिवति अणुण्णवणा भिच्छयमिच्छदिडी धम्मकहाए गिमिते य / 2020 // सत्तुय समिए संसडि पत्थयणे सलु तहेव पोग्गलिए / धस्मकह णिमित्तेण वन्महा पुण दवलिंग // 2021 // सत्थे पंधे तेण पंचानहो उग्गाहो यदव्याणं। मन्जग्गामे दबग्गहणं जयणाए गीतस्था // 2022 // तुबरे फले य पत्ते गोमहिसे सूयरा य इत्थी य ।आ. यवमणायचे च्चिय जयणाए जाणगे गहण // 2023 // पिप्पलगमूति आरि गणक्यच्चणालयपुडगवझे य / कत्तिय कतरि सिक्का सं- / बट्टग लाउए चेव / / 2024 // वतियोपनियनिभियगुनिगाण अगदमस्पकोसे या जंचा वागहकरग गोण्डह अद्धाणकमि // 25 // सीडाणुगा य पुरतो वसभाणु मरगतो समणोति / पं तंपिटर जंता घरेति जा अदपज्जती // 2026 // दंडियमिचडीसमुदाणलारणं च : णिविसाए / साहविरिणभग वसभा चुण दबतिरोण / / 2027 / / उवकरणचरित्ताण विलोबाणा सरीरलोय मागाटे / धम्मकहणिमिनेणं पुलागकज्जेण आगाढे // 2028 // असिवाटिकारणेहिं अद्धाणपवज्ज ण अण्णात / उनकरणपुचपडिलहिएण सत्येण गंतव्वं // 2029 // वच्छताण अमडू कोती ण तरिज गंतु पादेहि / अपरक्कमो न . साहे तनिय तु इमे वि मग्गेज्जा // 2030 // एगपुरे य दुसरे टुपए गुबार तह य अणुरंगा / अह भद्दएभिजायति असती अणुदिहमादीडिं // 1031 // एगापुरा मा. साती दुखुरा उट्टादि दुपय जड्डादी / अवं मकडादी भ; रंग पिसी बोधया 114.32 // एतेभि पुबुबह सुरादि जातितु सिद्धपुत्तादी / असती य सुइडतो ना लिंगविनेयोग क. इति तु // 2033 // आवासियाम सत्ये तरसेन तगपि अप्यि. योनि पुणो / मह भोत गता संता अप्पेज्जाह ति मम एवं // Arts कारण 44 Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 992989222230 [176] श्री आगम मुधा सिं-पु० नवमो विभाग 2034 // ताडे पच्छकडादी चारेदी तेनि अन्मतिउ सुइडी लिंगविनेगं काउं चारेती जा गता डाणं // 2035 // एवं दुन्छ शदीसु चि जयणा जा जत्य मा तु कायदा / मुत्तत्थजाणाएणं अप्पाबहुयं तु गाथवं // 2036 // एनेसामण्णतरं अणगाठालंबणे जिमेवेज्जा / तट्ठाणगावराडे संवटियमोऽवराहाणं // 2037 // संवोटयावराडे लवो व दो तडेन मूलं वा / आतारमकप्ये जपमाणिम्माणचोरममि // 2030 // अखाणकप्पो एसो अडणा अणुवासणाए कप्पं तु / बोच्छामि गुरुवदेसा अणुग्गडदहा मुडिया // 2039 // अगुजाममि तु कप्पे पण्णवग पडुच्च बडुवहा अत्था / अगुवानियाए पगतं सुद्धा य नहा असुद्धा य // 2040 / / अणुवासत्यो बाहा उडुनासे वसण अहब अनिवादी / बु. इठादीवासो वा अडना अणुवसणमणुवासी // 2041 // वसितं पुणों 'नि वसती अणुनासिगनाडे मामइगी मण्णा / नीढिगारो एत्मा होज्जा सुद्धसुद्धा वा // 2042 // पट्टीसादीडिं सगांडणादिए। हिँ तह चेन / डोति अमुद्धा जमडी मूलगुणे उत्तरगुणे य॥२०४३ // कालातिरिनं अविसुद्धासु च तासु नसमाणो / पानति पा. यांच्छतें मोचूर्ण कारणमिमेडिं // 2064 // अभिने ओमोदरिए रा। यदृढे भए व आगाळे / गेलन्ने उत्तिमट्ठे चरित्त सज्जातिए भ सती // 2045 // वा िसवयसि तत्व भिवं तेण कालदुयगमि / पुण्णे निण णिग्गच्छे अणुपच्छाभाव अगुवासी // 2046 // भानंबणे विसुद्धे मुजदुतं परिहरे पयत्तेणं / आसज्ज तु परिभोगं भयणा पडिसे क्संकमणे / / 204 // असिवादीहि वसंते सुद्धाए वमहीए वसे साडू / सुद्धा वमतीए जनती विमोहि कोडीए मुवंतु // 20 // भयणत्तिय जं भणियं पुष्वप्पतमात्य जे उजे दोन / नेने पुव्वं सेवे संकमणेऽवी इमा भयणा // 204 // अप्पाबडं तुलेतुं जन्थ गुणा न भवेज बहुतरगा। गच्छ गच्छताण व तं चेन तहिं करेज्जी उ॥२०५०॥ __ असिवादिणिदिहए मुण पुवासेवेण संकमे तत्तो / सत्यं तु पडिच्छतो जर अच्छे तन्य मुद्धो उ // 25 // एताणतरविण भणुवामिय जे तु अणुवन्से कब / कालपानराहे मंबटयमोऽवराहाण RRRRRRRRRRRRRE Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽獎獎獎獎獎獎獎獎獎羨 श्री पञ्चकल्प भाध्यम [17] 2052 // सर्वाट्ट्यावसाहे तवो दो तहेव मूल वा / आधारपक प्पे जं पमाण-णिम्माणचरिमंमि // 2053 // अणुवासियाए कय्यो एमेसो चण्णितो समामेणं / ठितकय्यमो तु तत्तो वोच्छामि गुरूदेसेयं / / 054 // गच्छागुकंपयाए सुत्तस्थावसारए य आनिए / आगाढे पटमसंजनो ओर. गहिए पकप्पए / 055 गच्छो जाद डीज्जा आर्यानयं वा विवाथए को ई। एरिसए आगाटे जस्स उजाडोतिलगी 30YEसोनपमादेती पढमणियंठो पुलागलदीओ / गच्छोवग्गाहडे काणा पकोडअगुण्णा // 2057 // दुपए ति साडुसाढणि तदटठहेतु एव मूलगुणे। भणिता सेवा एसा सीसो पुच्छनि उ अह इणमो | |जह कारणमि भणिया मूलगणेसुंठ एव पडिसेवा / नह होज्न कारणमी प. रिसेवा उत्तन्गुणे वि // 2059 // गुरुयतरएसु एवं मूनगुणेमुं तुज दि भवेऽगुण्णा / उत्तरपुणेसु तनो लहुयनलेसुं ततोऽयुण्या 2060 // * ठियकप्पेसो भणितो अहणा वोच्छामि अर्दिठयं कय्यं / संस्वपिडियत्थं जह भणियमणतनाणी // 2061 // वन्थे पायगाहो उक्कोसजहन्नगमि अठिओ तु / ठियमदिठते दिसेलो पल्लवितो सं. पकमि // 2062 स्थाणि य पाताणि य मन्झिमति-थंकराण कप्पमि / बहुमोलाण वि गेयहति अठियकयो समकमाओ // 063 // मोल्लगव पि नत्थं अठारमगिनकररा जहन्न / एनो यस. यसजस्म उस्कोसमोल्लं तणाथ॥२०६४॥ ऊणगभटठारसंग वत्थं पुर्ण साडणो अणुण्णातं / एत्तो वतिरित्तं पुण गाणुण्णाले भरे वत्थं // 2065 / जिणराणे कय्यं अडणा रोच्छामि आए. व्वीर / जं जन्य जहा निवर्यात समामओ तं नहा मुणन्मु // 2066 // जिणधेराणं कप्पो जम्छा उ दिठतमि ठिए.चे / ठित अदिंडतकप्पाणं जम्हा अंतग्गता एते // 10 // जो तु विसेसो एन्थं तंतु समासेण पर बरसामि। जिंण राणं कये निणकप्ये ना इम वोच्छ // 26 // दुयमत्तए लियचक्करास अद्धएगदेणं / अव डोज कालकरणं पुणरावती वि य तेमि // 2063 // पिंडेसणा उ सत्त उ डरति पासणा दु सत्तेए / चनु सेज्ज व्य पाले लिण्येने चउकगा होति 109on Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [17] श्री आगम सुधा सि-यु : नवमो विभाग दोण्णाऽऽदिमा उ सत्तसु अवणे सेस उरिमा पंच / अदद्ध डोति दे दो दो अवणे चउकेमु // 2071 // गेण्हति उनरिमासु तन्थ अविन्तु अण्णतरियाए / डेडिल्लामुणगेण्डति जदिपिक२ कालकिरियं // 2072 // अभिरगहण ण विता गेण्हेति विही उ एस जिणकप्ये महणा उपकप्पे वोच्छामि विहिं समासेण // 2073 // गहणे चउबिहमि बितिए गहण तु परमजतेणं / जं पाणबीयरहतं हवेज तरमाणए सोडी // 2074 / गहण चचडं पी चन्ध पातं च सेज्जाहारो। एनोसें असतीए गहणं प. . कम तबीयत्स // 2075 // बितियं पातं भण्णाति कि कारण तन्स गहण पठम तु। तेण विण बोडियाडमा गिहि भायण. भोगा हाणी य॥२०७६॥ महवा चउब्विहं त असणादी तत्थ होज्ज गहणं तु / तत्थ तु बितिय पाणं तस्स गहणं पढमताए // 2070 // असतीय कामयस्सा तससोहए कंद बीय / सडिए वा। किं कारण तेण विणा आसुं पाणक्यतो होज्जा। 207 // तरमाणो गेण्हती सुद्धं अतरो पेल्ले तह संधारे / संघरंतो तु गेपरंतो पानति मदहाणपच्छितं // 2006 // सत्न दए दमए वा अणेगडाणे वा भत्रे गहणं / एतो निगातिस्निं गच्छे गहर्ण नु भइयव्वं / / 2080 // पिंडेसण पाणेसण सत्त दुगेनु होति णायव्वं / दसगं ए. सणदोसा गडाणुग्गमे दोसा // 201 // एतो तिगातिरितं उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं / भजियंनि कम्पति जी नमसतीद अमुद्धं पि // 20 // एसो तु धेरकप्पो वोच्छ अणुवालणाएकप्पन/ वालिंति सुविहिता गच्छ विहिणा उ जेणं तु॥२०६३॥ परियटी परियटतओ य दुविहो मुणो पि एस्केक्को / उनमग्गखेत्तकाला वसेण अज्जाण परिषट्टी // 2064 परियटियजयंसलू परियट्टी चेन होति एगहुँ / समणा समणीओ वा दुनिह पोरेयदिटयचं त॥२०॥५॥ समणपरियट्ट विहो आरिओबीचओ उवज्झाओ / संजतिपनियटो पुण तिविही तु पनत्तणी तइयारद // समणिपरियोदेट चिहा विहिपरियटटी य अनिहिए चेन / जतिमि Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 17917 परियट्टीयवा णियमेणं कारणेणिमिणा // 20 // ताओ बहूवत्सग्गा तेणादिवत्संचयिय खेत्ताणि / कानवसेण य संपति जोयः ति लोगस्स पंतत्तं // 20 // तम्हा सव्वपयत्तेण रविल्ययना उ ताओ णियमेण / विसतिरा मोत्तव्बा मा होज्जा तासि तु विणासो॥२००९। संविग्गागीतपरिणतो नामि परियट्टओ अगुन्जाओ / होति पुणा अरिहो मल परियट्टी तू इमो तालि // 2090 // अबइयुते असीयत्थे तकणे मंदर्धाम्मए / कंप्य सील. णहाए अनिही दाणे य गहणे य // 2011 // बहुस्सुतगीत जहण्णो आवासगमादि जाव आयारी / ते अग्गीता बहुमत तिण्ड, समाणारतो तकणो // 2012 // जो उज्जोगंण कति चरणे सो होति मंदधम्मो तु / अगिड्यउल्लाबादी सरीरकुनिओ य कंदप्पी // 2093 // णिका. रणे अगदहा संजतिजनही तु वच्चए जो तु / शिक्कारणविडीय जो देती गेयहती नानि // 2094 / / एयारिलो तु अज्जा परियट्टी तु ण कति / कारणेडिं इमेडिं तू गमति अज्जाणुवस्सयं॥२०१५ // उवस्मए य गेलण्णे उनही संघपाडणे / सेडहरणद्देने अणुण्णा भंडणे गणे // 2076 // मणप्पज्झ अगणी आऊ वीयारे पुत्तसंगमे / संलेडण नोसिरणे वोन्महाणे हिते नहिं // 2017 // अन्डिो भरिटो यापि परियट्टी एवमाहिओ। अडणा पवत्तिणी तामेिं अजोगा तु इमा भवे // 2098 // वासगाविहारेसु वीयारादेकदहिया / अजुत्तोवहि अणाउत्ता अप्पछंदा य काहिता // 2071 / / पोडणीयं घद्ध मुडसीला गिडिवेयावच्यकारित।। संसत्त इवियभत्ता य बाउसी अप्पणदिया // 2100 // अगायतणगवेसा य छण्णंगाणं पलोइया / जा यण्ण एवमादी य अज्जा सा पाणुकडिठया // 2101 // आहारे उपडिमि य गतीएम यणासणे गरी य / भासाए बाउमाणं जा जहिं आरोवणा # णिता // 21.2 // वासावास जसति तु एक्किया तह य गामऽणुग्गाम / दुइज्जती विया विहारीभववादि एक्का य॥२१.३॥ दीह करेति गोयरदोच्चमुस्करसगाणि मग्गंती / चिनियादिणियंसण अजुत्तउवही भवति एसा // 21 // // इरियाभासेसयादाणणि Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎獎 [10] ' भी आगम मुग मि-युः 0 नवमो विभाग कमेवे मिसिरणे अणाउना / अणापुच्छाए गच्छति जत्धिच्छाए य सच्छदा // 105 // गेहेन्यू गिहन्धाण गनुण कहा कहति काहीया / तरूणाद अडिपहुंने अणुजाणति जा तुमा पडिणी // 2106 // घद्धा जच्चादिमयादिपहिं सुहसीलदहमीत ति / सिनणबधणमादिमु वेदाबच्च गिडीण करे // 31.7 // उक्कम. वस्थपनादिएहि समनभानसंमत्ता / अहना वि गिहत्येमु पाउरणादीसु अविभत्ती // 21 // भने वा पा वा गिलिसवती घाउन्या उ जा धुचति / अभियान हत्यपादे करसंतरगुज्झमादीजि / / 2106 / सण्णिाडिमणिचए चेव कुति जा अपणो अ. जहाए / भम नाम अणडा संचयं जा य करणं तु // 11 // जंतादिमाल नह वटकोट एमेव मोल डाणाणि / जागच्छति एतेमु अणायतणगवेस्मिता मा तु // 2111 // गुज्झगाणि पलोए अप्पणो अहवावि जातु पुरिमाणं / उस्कोसगमाहारं एमति उवहि च उस्कोस // 2112 // गच्छति सविनासगती मणिज्ज मलिय बिब्बोय / उक्टेति सनी सिणाणमादी व जा कर्णात // 2113 // भमुड़वादीहिं सविकारं भामती य सचि। लायं / एमादि अणरिहा तू पच्छितं वा वि सहाणं // 14 // तन्य पुण ताव इणमो पच्छित्तं भन्नए ममामेणं / देतंगधरेतगाof अगीतमादीण दोयह पि // 2115 // अबक्सुते अगीतत्थे णिमि रिज्ज गणं तु अरव धारेज्जा / तद्देवासयं तस्या नु मासा चलानि भाक्थिया // 16 // सत्तरत्तं तवो होति ततो छेदो पहाजती,। छेदेणं छिन्नपारयाए ततो मूल तओ दुर्ग // 2117 / / एक्केक्कं सन्नदिणे दातुं तवेऽनिच्छिए ततो छेदो / जत्तो तवो आरदो पणगाटिकटोव जो कति // 1 // तल्ला चेव यहाणा तवछेटागं भवति दोण्ड पि / पणगादि पणगवइठी दोण्ड वि धम्मालदडवणा // 2119 // कि कारण कति गणहरो अबहुस्सुतो अगर तन्यो / भण्णति सो पच्छिन्नं जयनं च ण जाणए कारें // 2120 // / _दिदडतो णटेणं अजाणमाणे जागरणं च / कायव्वो एत्य इ. णमो एकवणा नरिसमा होति // 2121 // ..... - 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [181) श्री पञ्चकल्प भाष्यम् गोयाम आहेणवमि य सरसंचारण कुहरणासु च / कुणोते व / बच्चासं सलु जह पटसिमितो णटो // 2122 // तह कुगति विवच्चासं अग्गीतो सव्वकरणजोगेन्मुं / सुत्तस्थजामंतो णाणे तह दंसणा चरिने // 2123 // जह णट्ट गीतवाइविजाणतो सृजए समं तानं / सुनं तु विजाणतो तह कुणती सम्मकरणं नु // 2124 // किं पुण सो न वि जागाइ जंकणती सबहिं बि. बच्चान्स / भण्णात सुणस इणमो जं कुणती मो विवच्चास // 2125 / डाण णिसीय नुयटण पेहण पप्फोडणे तहासयये / भासामुद्धग्गहणे जे अण्णो पलविया डाणा // 28 // उर्बादसिउ न वि याणति मामायादिं तु डाणमादीयं / अज्जारि जा अगीता न जाणाः सावि तह चेर // 2127 // अप्पदिओ लुडो परिभूतो य पत्थिओ / बहलोडमोडसण्णो मज्जाजग्गो दुरणुकइठो / 2128 // पाएणमप्पदा महग्घदाणेण लोभित किच्चं कुवंति धगोलया विर परिभूताओ य सबस।दार||PAY 1) संसादिपेमिया विन संजीतवग्गो हु पस्थणिज्जो तु / धिजाइर्यादही बड़Y बहुमोहन्मन्नाओ 130 // .. मज्जायनिप्पहणे मज्जाथाए य सपउमि / पोडमेलो अणुण्णा य मगधर विलोमता चन्दुरो // 2131 / / जम्हा नु दुप रियट्टो अज्जावग्गो उ तेण पडिसेहो। परियटणे मज्जा मज्जाया विप्पडणस्य 12132 // मज्जायसंपउनो अजापरियटओ - Yण्णाओ" परिघट्टए अजोगे उवदिटए चतुगुक्त सोही // 1335 मग्गधरो आर्यारमओ सो पुण मिठिले। जो तु मज्जात / तस्मुवदेसो कीरति मज्जायाए दढो होति // 2134 // उपदेससार पोडसारणा य तेण पर तिणि मासलडू / धंदे अनट्टमाणं अप्पछंद वि. वज्जए // 2135 // दिडता य इमेखि पठमा मासलगादि दिज्जति / छपाणोल्लपट्टकंचा अवराहे सरिमु कमेण // 2238 / आयरये उवदेसो अकय्पपडिसेवणे य उवदेसो / विगहादिपमाएमु य मा - वह एस उवदेसो // 2137 // णिहाइपमादाइन्स सह तु अलियास ' सारणा होति / गणु कहिन ले पमादा मा मीदसुनेन्स जापतो // 13 // Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [12] श्री आगम मुथा सिन्धु. 6 नवमो विभागः नदिवन बीए वा सीदतो बुच्चए मुणो तइयं / नेल स झं भिक्यण्णादीहि संमत्तं // 2939 // फडकमसे अचियत्तं गो. णोतु दिओ व मा हु पेलेज्जा / सझं अतो म भण्णाति एसणचित्तं ततो मारे // 1 // भण्यात दिण्वदेसी तुझं लितियं च सारित म्हेडिं / एगवराहो ते मटो वितिय पुण ते ण विमहामो // 11 // ताहे पु. णोऽवराहे कमि पच्छितं दौते मान्मन्टुं / भण्णइ य सुणेडेथ . दिदडतं तेणएणां तु // 142 / गोणादिहरणगडिओ मुक्को य पुणो महोट संगहितो / उल्लोल्तगणाहारी ण मुच्चती जा. यमाणो वि // 143 // पुणनि कताबराहे मान्मलई चेव दोति से सोही / भपात घटिजंतं चुस्काय दह तह नुममि // 21 // // पुणरवि अवरधमी मासो च्चिय तेसि दिज्जते दंडो / पाणो सो संवतो अतिकंचियंसूकमंतातयं // 2145 // तेण पर णिच्छु. भणं कुलगणधेरादि तपम कुलति / अयमण्यो वीणीयमो भएणति तू जरिसमे दोसा // 2146 // अप्पांदिवलुहं गिनाणं दु. पडिजग्गगं नाम सगचितं गच्चा संवाो वि ण कति // 22 // उम्मग्गदेसणाए संतरस य छायणाए मग्गस / मग्गधर उवा. लंभे मासा चत्तारि भारियया // 2148 // आथरियाणं धंदे ण व ती अप्प/दिओ सो उ / आहारादुक्कोसं लद्धं अत्तदिह लुछो तु // 214 // जो तु गिताणो अपत्थं मग्गति सो डोति दुपडिजग्गो तु / डायसु भणितो क्चति वच्चति य हाति वामो सो // 2150 // जच्चादिमादिएडिं करेति गर्न परिभात अण्णं / णाणादीया मग्गो पलवणा अण्णहा तेति // 2151 // णाणादिसु सीदंतो ण सुद्धमगं तु जो पनवेइ / एसो मगच्छेदो वढयती दीइसंसारं / / 2152 / / एतेसि तु निवेगो मग्गधरा मल कु. लाटिया धेश / तेहिं उबलद्धाण उनर्टिस्ताणं गत चतरो(मासा) // 2153 / / बालाणं वुइठाणं भिवामुमादीण चेव सव्वेसि / सं. सेनेण महत्थो उरटेनो कीनई इणमो // 2154 // कप्ये सुतस्य 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 183] . जिन्सारएण धामावहारविजठेग / भत्तादिलंभालने सरकारज. ठेग होयव्वं // 2155 / / कप्येति धेरकप्ये सुत्तविन्सारए सर हण / व्यबत्येसू सबल ण यहियवं समन्येण // 2156 // आहारमादिएडि दट्टुं पीयारमादिपुज्जते / साडू अपुज्जमा. णे ण एव मणमा निचिंतेज्जा // 2157 // प्रइज्जती अजया वयं तु सवण्णु मग्ग मोदिण्णा / डा कह गुग पुज्जामो ण करे मगदुक्कडं एवं // 2158 // सस्कारपुरस्कारे परीसहेतू अहियामिओ एन / जूते गऽहियामिओ तम्हा सुमणे होयच / / 2159 // वीमविहकप्पो तू एसो खलु पण्णितोस. मासेण / बायानकप्पमड़णा गुरुवाएमेण घोच्छामि // 2160 // दन्ने भावे तदभयकरणे रमणमेन साहारो / जिवेस अंतर गयंतरे य हित अहिते व // 16, ठाण जिण . धेर पज्जुसणमेव सुत्ने चरित्तमझयणे / उद्देस वाय. म पडिच्छणा य परियट गुप्पेहा / / 2162 // जातमजाते वि. गणमाचण्णे संधाणमेव चयणे य / उननाय मिसीहे या वन हारे सेनकाले य // 2163 // उवहीं सभोलिंगकप्य पडिसेन णा य अणुनाये / अणुपालणा अणुन्ना हजणाकप्ये य बोध ब्वे / / 164 // एतेसिं तु पदाणं पनेय परजण पनव्यायामि / नहियं तु दचकय्यो इणमो तु समासतो होति / / 2165 // प्रचण्ड असणामीण पणुवीमति है भने बिमोहीउ / अहवा वि : चहसिया एनो लिगढिया सोही / / 2166 // भमण पाणबत्थ पात सेन्जा य पंच एतेसि। सद्धी वणवीसतिया उजाम नह एम. गाए 4 // 2150 / सुतणाणपमाणेण 3 गडेयमन्सुद्धे वि होइ सुद्धो 3 . महवा विधहमया मोलस उप्यायणा योमा / 2168 1. शसि सव्वेसि इणययणोकणाटणहि कोडीडि / कलकारिताण. मोदिन एमा निगठिता सोही // 21 // दमणणाणचरिने तब पवयण मच्च समिति निडि गुनो / इतरागदोमणिम्ममसमदमणिय मस्तिो णिच्च // 2170 // नभयकथ्यो अहुणा एने च्चिय दबभाबकप्पाउ / दो. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 184] . श्री भागम सुधा सिन्धु नवमो विभागः णि निमिलिया एते नभयकप्यो इमो मो य॥17॥ माहारे भडबिहे मेजोर्डि पंचपरगाविसोही / दसणचरित्तगुत्तो तवस. मितिगणेडि मोहोते // 12 // असणादीतो छहा उनकारि च3बिडो य तरसेव / एसबिडाहारी पकवानस्सिमा डोने // 2113 // असणं मोदगादी तरकारी उ सरकुसणादी / पाण 3 पाणमेव तु मादी नु उनकारी // 2deg3F: साइम - लाइयं न सुत्ता-(ए)दी होते नदुचकारी 3 / साइम तंबोलादा चु. ण्णादी नदुवकारी नु / 2175 // एवं माहागदी उगमउप्पायागोम. पामुद्धं / उप्पाए दसणादीडि जुत्तो सहबा नददडाए - 2176 वर ती य भोलेरतो या विरयाविरती य लिबिहकरण तु / एस्केक होनि दहा मोहे य अभिरगहे चेव // 17 // रिती करण मोहे पंचव महत्वता भलती नु / होति अभिगाहकरण मिडविमुद्धादि योगविहं mar // इना ओहे मंजमो विभागतो होति सत्तर. सभेदो / अबिरीत असंजमोहे अदहारस अभिगाहे इणमो / 2179 // पाणतिवारे मोसे भदन मेहण परिगहे चेन / कोह माण मायलोभे पेजे रोसे नहा कलहे // 18 // अभयाणे पेमुण्ण भरतिरइ चेव मायमोसे य / मिच्छादसणसन्ते भरद्वारग ओभरगहे एस // 211, विरताविरतीए पूर्ण मोडेण अणुन्दता भरे पंच उत्तरगुणा अभिगह इति सिरसावता सन // एत्य पुण अहिगारो विस्तीकरण होति ट्रविहेणं / जह तेसु अतीयारोग होति नह ऊ पतियब 21.3 // उज्ज्ञामकिमयाण महब्बताण कलो हलते पीला / भनि आहारादिहि निहिँ पीडा होतऽसुद्ध1ि उज्जम उज्जोयोपल एतेणं रविषयाणक्याण | पीला उघातो खलु भनति कह पुच्छनी सीसी // 25 // भण्णात आहारोबार मेजा एतेहि तिरें असुद्धहि / उगामदोसादीहि नु पीला संजार्यात व्याण // 216 / तम्हा उ उग्गमादीडि विस्खाहारमादिया कज्जा / बेरमणकप्प एसो एतो साहारण चोच्छ॥१॥ अज्जुबहिज्झाय आहारमेव साहार / तह य अणुकंपा / आदिपणगं तु तुल्तं भइयं अणुस्मामणाए तु॥ Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री यभ्य कल्प भाष्यम् [25] 21.8 // सेज्जवहिज्झाय आहार पसिद्धा एते होति चन्नानि / साहारणकप्यो पुण मूलगुणा उत्तरगुणा य ins माहारण ति किं पुण सेज्जादुप्पादगाण मवेनिं / सामन्जगुणा ते ऊ त. म्हा साहारणं जाण // 210 // आदिपणगं तु तुल्लं ति जाण मेजाति जान-माहा। डेयाच्या दोण्ह नि एते मनु होति तुल्ला तु // 2191 / अहवादिपणग मूलगुण पंचेते होंति दोयह तुल्ला तु / समगा. समीण व तम्हा साहारण जाणे // 4 // भइयमणुसासणं ती अणुकंपणुमासात एगदडा / कोइ कदाइ ओणउणो ण तति अणुसामा काउं॥ 193 // सुहभारियनणेणं होति विसद्धो य अंतरप्पा से / तस्य वि डोंति क्ताई पंच नि साहा. रणाइतु // 2114 // आणा तिघगराणं सामण्णा संजताण सब्वेसिं / मुड़मे वि तप्पगए अणुसात्मणय कुर्णात जो तु // 21 // नेण अणुकंपिता णिच्छएण जम्हाऽणुसदिडतो होति / तसऽणुसह. ऽणुकंपा एगटहा होति गायव्वा // 2196 // माहारकप्प एसो अ. ड्रणा वोच्छामि णिचिसणकप्प / जह णिविसति समया सम्म तु गुरूवएसेण // 2117 // गाण च दसणं वा नहा चरितं चम. मितिगुत्तीओ / एक्कासीतिपदेहि णिविस गिब्वेसणाकय्यो // 2198 / छचिह कप्पादीया बायालंता उ पंचनी एते / मेलीणा उ भवंती एस्कासतिं भवे भेदा // 21995 ण बिहकप्पे नीसाइकप्पे य णामडवणाओ / मोत्तुं समा सव्ने एक्कासीति नु मेलया / 2200 // पते सच्चे संमं मिनिममाणस मिचिसणकय्यो / ६तेसि पुण कतरो महठितो होनि मलेसि // 2201 // मने विच रक्सिोहिकारमा तह नि अस्थि हलिसेको / महहणाऽऽचरणा भ. इतं पुण यालगाए तु // 2202 // महणाकय्यो या आयरणा येरे दो पहाणतरा / अहवा सहहणा च्चिय महडितुं जो ण आयति / / 2203 // भइयमणुपालण ति य सहडिऊण पिण तरती कोई / अणुपालतु अज्जा लम्हा सलु सो य पचाने // २२०४॥ण 中獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [16] श्री आगम मुधा सि-युः 0 नवमो विभाग: विसणकप्पो एसो एनो वोच्छामि अंतराकम / संमेव पिडिया गुस्वएम जहा कमसो // 2205 // पंचडाणससंया बारसगं चेव तिणि वितियाण / अन्झस्थणाणकरणदंडयाए सो अंत. शकप्पो // 2206 // सामादि संजतादी पचह चरणं न तोस ए. कोक्क। मंजमाणमसंसा एक्केके तत्थ डामि // 2201 / / होति अगंता चारितपज्जवा ताणसंलगुणियाणि / एक्के संजमकंडगा कंडगसंसा य घडाणा // 220 / छहाणा मं. खेज्जा मंजमसेठी तु होति बोधव्वा / मामाइय-छदसंजमः . ' ' डाणा गर्नु असंन्यज्जा // 2209 // परिहार- संजमहाणा नाहे त. ग्गांति ते वितु असला / गंतूण होति छिन्ना ताडे तत्तो पुणो परतो // 2210 // नइति जा असरमा सामाइ-दसंजमहाणा / सामादि-छेदहाणा नाहें छिन्जा हनंती 3 // 22 // नो मुद्द मरागडाणा तेचि असंज्ज गंतु बोच्छिन्ना / तस्म अपच्छिमडाणं अयंतगुण डटतं णियमा // 2212 // एक्कं परम. विन्मुद्धं होति अहवामायमंजमडाणं / पचमसम नि गतं बास्स. गं बारपडिमाओ // 2213 // सुद्धपरिहारचतुरो अपरिहारी वि ए. मकप्पहिलो / एते निरिणतिया सानु एतेमि एक्कमेकस्म // 2214 // अंतरगंजमडाणा होति भन्मन्या तु नेसि सन्वेसि / होनि दुविहा तु मोडी करणे अज्झन्धतो चेव // 15 // ता दोनी कायना पाणदहाए मृतोपउनेणं। एसो अंतत्कय्यो गथकप्पमियाणिवोच्छामि॥२२१क्षा सव्वेसि पिणया आदेमणायंतर मि मदहाणे. / एम नरकप्पो पुचपतविमालमादी 2010 मब्बे वगेगमादी आदिमति जो वायो नुमा देसो गयनो अण्णो निणओ यंतरंडोति पाटावं मडगणे मदहाणे सने बलिया इति सबि. सते। एसो णयकप्पो तू पुव्वगतंमी समक्याओ // 2219 // उप्पाद पुत्व विमान त आदि का समावेमु / भगिती उपविभागो एन्ध चोदेति अह सीसो // 220 // कम्हा कालियमुने या तु समोयरति हु कह वा / Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獲 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [17] . णविगल होति साहण मोकमस्स तु भण्णति सुणाहि // 2221 // णयवज्जिओ विहु अलं टुनसम्सयकारओ जतिजणस्स / चरणकरणाणुओगो तेण उ पठम कतं दारं // 25225 आयारपकप्यधरी कप्पव्ववडारधारतो अज्जी / जयसुत्नवन्जिओ विहगणपरियट्टी अणुण्णाओ // 2223 // पच्छित्तकरण अणुपालणा य अणिता उ कप्यवडारे। एनेण अत्यंधारी गणधारी जो चरणधारी // 2226 // अज्जो ती आमंतण णिहसे वा मयस्स सुत्ताई / जाति तुदिदिहवाते पच्छित्तं दिज्जते तह उ // 2225 // तेहिं विणा वि जाति आयारपकप्पधारओ जम्हा / तम्हा तु अणुण्णातो गणपरियट्टी तु सो णियमा / / 2226 // करणाणपालथाणं तु पज्जनकसिणं समासो गाणं / करणाणुपालणदुतं पज्जवकमिणं भने तिक्टिं // 2227 // दूतिपण धक्कणयंतरेन्सु मोलस हनति हाणाई / करणहार्ण पसस्था करणहाणा उ अपसस्था // 222 // एयाई हाणाई दोडिं वि गाहाहि जाई भगिताई / तेसि मरवणमिणमो समासतो होति बोधव्वं / / 2229 / / करण तु किया होति पडिलेहणमादि समाधारी तु / तं पलिजति णाणेण तं च दुर्बिट मुणेय। 2230 // प्रज्जवकसिणसमामों पज्जवकसिण घोडस तु पुव्वा / सामाइये कसो होति समासो मुणेयचो / // 2231 // पज्जवकसिणं तिविह सूते अथवतभए चेन / एमेव समासो नि। इ तेहि पालिज्जए चरण / / 2232 // तस्स गर्या मरगण ते उ समासेण होति दुबिहा तु / दबदिपज्जवदिहय णया उ अविसेसिविलिदहा / / 2223 / / वण्णादि समुदियं तू दबट्टी दनमिच्छते णियमा / तं चेव पज्जवणओ दव्वाइविसेसियं इच्छे।। 2234 // अड्या नि तिषिण नि गया दबदिहत पज्जवडित गुण ही / पज्जायविसेस च्चिय सुइमतरागा गुणा होति // 2225 // एगगुणाकालगादिसु परिसंपादिडतो तु णायव्यो / दबाओ गुणाणन्जे गुणा निसेसत्ति एगहा // 2236 // आदिल्ला तिणि गया एक्को बितिमओय डोति उज्जसूमोसंहादितिष्णिको लिन्नि Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 rel श्री आगम मुथा मि-यु: 0 नवमो विभाग गया होति एवं वा // 13 // अहवा नि गिगमन्सगहनवहालज्जनए होति चनुरेते सहणय तिणि एक्को पंच गया होंति एवं तु // 2238 // अहवा वि होज्न उपक गमो संगाहिगो असंगाही / संगहिगो संगडं तु वनहारपविड असंगाही / / 2239 // तम्हा तु संगहणो क्वहारो चैव होति उजुसुत्तो। सहो य समभिकठो एवं भूतो य धक्क गया // 2246 / / एते पुण सव्वे पी दुग तिग पण धक्क मेलिया संती / सोलस जयंतराई समासओ होंति एयाई // 2241 // जदि कुति दविक्कप्पं एतेहि णयतरेटिं तु विसुद्ध / करणहाणपसत्या ते सल होति मुणेथव्वा // 2242 / / अकरेंते अपसत्या कप्ये स जयंतरे समक्याओ / कप्ये हितडिए पुण वोच्छामाहुणा समासेणं // 2243 // संघयणवज्जिओ विह दक्सपथकारओ पणगजाओ। संययणसमग्गारस वि अजातचतुरी अमोक्माए // 2244 // पंच उ महब्बताई पणगं तेसिं तु जो करे पयत्त / जाओ जो णिप्पणो अजातो णियमा . णिप्पाण्णी // 2245 // डियमहिए न कप्पे संघयणेणावि जो बिहीणो नु / सो कुति दुस्समोरस, जो पुण ण करे पयत्न तु॥२२४६।। पंचसुमहव्वन्मुसंधतणेणं तु जदि वि संपण्णो / सो चनुगतिसं. सारे भमती ग य पावती मोक्तं // 2240 // अहुणा उ हाणकप्यो वहाणादिमो मुणेयब्यो / हियकम्प मंजलस्स निऽगुण्णाओ अदिहतस्सा वि // 24 // एवं जिणकप्यो लिड हियकप्पे अदिडए याणुण्णाओ / एमेव कप्यो हितहिने होति गुणातो // 2249 // पज्जसनणाकप्पो सुन्ने कप्पो तहा चरिने य। अज्झयणुहेसमि यक थणाए य॥ 50 // . . कप्पो पडिच्छणाए परियट युपेडणाए कप्यो य / हितमदिए दोमुनि एते मरे भने कप्पा // 2241 // जातमजाओ अइणा दोण्णि वि एते सम नु वच्चति / जातं गिप्पण्णं ति यएगॅटडं होति णायव्यं // 2252 // जातमजातं करणं जाते करणे गती लिहा डिण्णा / अज्जालेकरणमि उ अण्णतरीतंगी जाइ। 2253 // जायं काल गिप्पण्णं सुनेणऽत्येण नदुभएणं च / र. प्पो तह वाथणार य 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 / श्री पश्वकल्प भाष्यम् [189) / णे य संजुत्तं तिरिनं होति अज्जातं // 54 // जातकरणेण छि. . परमतिरिक्सा गती उदोषिण) भने / अहवा तिहा 3 ठिण्णा - गतिरिक्सामरसगी 52255: देवेन्स बितिषण गती छिरावे. माणिएस उरलती। उसु नि गती गीत अनारे अजातकर गोण 2556 // एसो जातमलाते कग्योऽर्भािहतो इदणि चक्मा . कि मारणामागे कप गुमलदेसे // 21 // आहारचनो र परायो सेनलालउलगपणे / आइण्णे भाइण्णं, गाय .2.5 आहारचक्क मनु अस. शाह र . कारण आया तस्स ज जन्य ला? ....56 मिमितं सिंलिमर दाति पुण उत्तानहा तु र मिले एमाली क्षेतमाइण्णा Rion 'काने दुभिवयादिस सालमादी तुसनमाइण्ण | उ. वसा अल अतोसमामे // 21 // सिंघ आ3. लियाइ काला कप्मा सुन्दहविममि / दुगुल्लादि पुंडणि मरह - दहेजनका // 6 // एव जत्थाइ नहियं तू कप्यती तु आरति / इतन्य कारणमी फासणगडणं च परिभोगो / 2063 // आइण्टचनुवा य पीलाकारमओ पवयणरस / णय मइलणा मल्यो लाइण्ण आयरे कय्यं // 2264 / / आहार उवाई. सेज्जा मेहा चतुलागो होति णायव्यो। पनयणपीलुवघातो पि. सियाई मज्जपा त्ति // 265 // चोदेइ का महलणा 1 भण्णात प डिसहियाणि जसेवे। सा होति मइलणा तू जो पुण सुपरिदिडभो चरणे // 2266) तण्णातु सलाडेति पण्णेति गुणेडि एस जुत्तो त्ति / सुदहकरे अप्पहितं जो पुण करणे अजुत्तो उ // 2267 // तद. टूई संदेहो उप्पज्जति किण्णा एस सदो।।आओ उनएसो एरिसओ देसिओ समए // 26 // आह जिणकप्पियाण वि आ. इण्ण किंचि अन्थि अह स्थि / भण्णति ण अत्थी कि पुण आ. यरे जिणकम्यिताइण्ण // 2266 // आहार उवडिदेहे निरवेकसो गवारे णिज्जरापेडी / संघयणचिरियनुत्तो आइण्ण आयरति कप्प |Rom टंसण गाण चरिते तवे य तह भावणार समितीसु। Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽褒獎 [190] श्री आगम सुधा मि-धु बमो विभाग छण्ड पि तिप्पगारं सहहे संधाण माहणता // 2201 // सहति सम्मदमण आयरत परूनणं च कुणमाणो / मधाणकय्य एसो एवं सेसाण वीणेयं // 2572 / / सधागकप्य एसो भणितो नु समासतो जिणसातो / संसेव-समुहिह एत्तो वोच्छंचरणकयं // 2273 // आहारउहि सेज्जा तिकरणसोहीए जाहि प. स्तितो / परहितविहाराओ तो चलती विसयपडिबद्धो / / 2275 / कोति विसेस बुज्झति पसत्यहाणा अहं परिभदहो / अंपत्तेण कोई ण बुझाए मदधम्मत्ता // 2275 // दव्ने भारे अंधो दव्ये चकम्यूहि भावे ओसण्णो / संविगान्तं ण रोयति णितियाण पहाणमिच्छतो // 2206 // उत्तो जुत्तविहारी तंव पसंमते सुलभबोही / ओमण्णविहारं पुण पसंमए दीहसंसारी // 22 / / आहारोहिमेज्जा पीयावासे वितिकरण विसोही / तह भावंधा कई इमं पहाणं ति घोसति // 2200 / / पीयादि निहामि नि जदि कुणती गिरगहं कसायाणं / तस्स ह भरते सि. द्धी अक्तिहसुन्तै भणियमेयं // 2201 // बडुमोडे विड पुलिं वि. हरिता संबुडे कुति कालं / सो मिति अनि य इमे पुरिमज्जाता भने चतुरो // 20 // णाणेणं संपन्नो णो न चरितेण एत्थ चनुभंगो। तेणेसेव पहाणो एवं भासंति णितम्मा // // नम्हा तु एताइ कुज्जा आलंबणाई मतिमं तु / कुज्जा हि पसस्थाई इमाइ भालंबणाइ तु // 22 // नित्यगरा चरितं चरितं कमिणंगपारगाण च / जो जाणति सहहनी ओमण्णं सो रोति // 22 // च. सिन्झितव्वगंमि वि तिस्थगरो जर्दि तवमि उज्जति / कि पुणत -उज्जोगो अवसेसे िण कायवो // 24 // चोहन्सपुव्वी कसिणंगपारगा तेमि जो उ उज्जोगो / तं जो जाति सोसल संनिग्गनिहारसहहतो // 55 // एमादी आलयण का संविमातं न रोति / को पुण ओसण्णनं रोएनी? भण्णती इमोतु // 2288 // सुत्तचितदुभए अकड़जोगि ओसण्णयरोयमो होज्जा / 'अहना दुग्गडियस्यों अहना पी मंदधम्मना // 20 // अण्णाणि Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्य भाध्यम् ___[1910 याकडजोगी गाडियन्यो नु जो अववादो / गहिओ जवि उस्मग्गो गहिते वा मंदधम्मो उ // 22 // सो रोए अरेसण्णो इति एसो नरिणओ चरणकप्यो / उनवादकप्यमहणा वोच्छामि जहक्कमेण तु // 28 // पंचहिं डाणेहि वियर्दिटऊण संविग्गसइठ्याजुत्तो / अभुज्जत विहारं उवेइ उवनायकप्पो सो // 20 // उववयण उववाओ पासस्थादी य पंच हाणा तु / तेसु विक्टिं तु नटिनो वियदिटओ होति गायवो // 2291 // संवेगसमानमणो पच्छा उ उति उज्जयविहारं / एस उववायकप्यो गिसीहकप्पं अतो वोच्छ॥२२९२॥ चतुहा णिसीहकप्यो सहहणऽणुपालणा गहणसोही / सहहणा वि य दुनिहा ओहेणिसीहे निभा. गेय // 2293 // ओहे तिहत्थकम्मकणमाणे रागमतिया दासा। गेण्डणमादि विभागे अहवोघो होति उसग्गो // 29 // अववादो नु निभागो सव्वंऽपेतं तु सद्दठंतरस / सद्दहणाए कप्यो होइ अकप्यो पुण इमो ह // 2275 // मिच्छत्तस्सुदएणं ओसण्णविहारताए सद्दडणा। गणहरमेरं मोहं महहती जो मिमी तु॥२२७६ // ओसण्णाण विहारं सहहती सुविहिताण गणमे। तुमहहती जो मनु एस अकयो तु सहहणे // 15 // जाणि भणिताय सुने पुवानरंवाहिताणि बीमाए / नाणि अणुपालयंती मनाणि शि. सीहकप्पो नु // 2298 // सुत्त-थतदुभयाणं गडणं बइमाणविणयमच्छरें / चोहममुचिणिबद्ध पकय्यगहियमि गणधारी // 29 // तिविहो य पकप्पधरो मुत्ते अन्थे य नदुभए चेव / सुत्तधरमोनु तइओ बितिओ ना होति गणधारी // 23 // निगपणग पण उपकं अडग गनगच जस्स उनलद्ध / हवणाकरण दाणं च सोहसोही बियाणाहि ॥२३०१॥णाणादीणं तियगं पणगं वनहारो होति पंचबिहो / मितिययणगं पं. च बता धक्कं पुण डोंति धक्काया // 23.2 // आलोयणारिहगुणे अ नु अहना विसोहि अडनिहा / आलोयणतादीय मूलंत जाणनी जो नु // 22.3 // आलोयणमादीयं अणवह तं तु गरिह होति / पारचितं तमहना दसविह होती चमग // 2304 / / डवणा Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎, [192] श्री आमम सुधा सिन्धु समो विभा.. रोवण करण मफला मामा करे जो जागे / सो होति दाण म. रिहो नविबतीतो अपरिहो तु॥२३०५॥ किह पुण न दायब पाच्छितं पुच्छर सीसो / भण्णानि इमेण विडिगा दायव्वं तं जहाकममो // 2306 // मोडेण सहाण,सडाणविभागता पचिस्थाले। पच्छित पूरिसडेन कितिन सती चरणमादी / / 2307 // मोहे महाणं ति य ह चउगुल डोति रा. इंमि / सदाचिभागे पुण ईसरमाई मुणेयचो // 2308 // जह वा करकम्ममि य ओडेणं होति मासगुलयतु / होति विभागपसगो दिहादीओ मुजयच्चो / / 2309 // पुरिमज्जात गानु च दिज्जए जे च जारिम वधु / गुरुमादिलिय दुब्बलदडगिला णादि जं जोग्णं // 2310 // / होउ कारण गित्कारणे य जयणादिसेवियं जह उ / चोदेति कि णिमित्त पच्छिनं दिज्जते सुगम् // 2311 // पायच्छितेम. संतमि चरितंतुन चिडए / चरितमि असंतीम तित्थे जो सचरतया // 2212 // तित्यमि असंतमी वाणं तु 7 गच्छती ।व्वाणामि असंतमि सव्वा दिकमा निरस्थिया / / 2213 // एवं णिसीहकप्यो चनुहा नरिणतो समासेयं / वहारकामहुणा गुरुनएसेण वोच्छामि // 4 // लवहारे कोति भिवयू सच्चित्तशिवाणि / बवहरती नवहार वितह सो संघमामि // 2515 // कोइ बड़स्मुथ भिवमू अपुनमगरंमि मिचियवहार / णाए जिंदित्ता नत्थब्बेहि पमाणकतो ॥१६आई पच्छा सच्चित्तं मुड्डाई नस्म केणई दिण्णं / जसड़ी पाउरणं ना नरम पम जवहरेउ // 221 // पयतिल्लादी गिद्ध मडगुलादीहि वा नि संगडितो / सव्वाहिँ एहि ताडे बनहरए पनमनातेण // 14 // दुदहनबहारिएणं को नुणिसेडेज्ज तो बदे सघो। एतदडा सघमेलो कीरति इणमो यमपत्तो // 2219 // अण्णो तरिओ मघाममतीयति गिण वाराओ / उच्चारे सिद्धपुत्तो तन्य य मेरा इमा होति // 30 // / घडमि संघसह धूलीजघोवि जो ण एज्जाडि / कुलगसंघसमाए लग्गति गुलएच चउमाये // 300 काडिति अ 護護獎獎獎獎獎聽聽聽聽聽獎 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARSARRRRRRRE [193] श्री पन्चकल्प भाध्यम कज्जन पानाने सति बले अगच्छतो। अण्णाइया न मोहावणादि सि च जज्जा // 22 // सोऊण मघामह धनिजंघे बिहोति आगमण / धूलीपणिमिन बहारो जवाटिडतो होति।२२३॥ मोऊण मष-मह धलीजो उ आगतो संतो। बिनह नहरमाणे मा इ समाएण गरेइ // 27 // गिद्ध महरं णिमान कितिकम्म विजाजएम जंपतो / सच्चिने खेतमीसे अन्धधर णिहरेउ दिन्महरणं। 2325 // भिम्यू य मुमावादी चवहारे नइयामि उसे सुन उच्चारेती अह बहुपक्या इमं होति / / 2326 // रागोण ज दोसे च पक्म्यगाडणमि एक्कमिक्कस्म / कज्जमि कीरमाणे किं च्छति सघमज्यस्थो // 37 // रारोण दोमेण व पक्षपाडणेण एक्कमेक्करमा कज्जमि कीरमाणे अण्णो नि भणेतु ना कोई / / 232 // कुतगणघडवण उहग याणानि देसिओमि भई / अण्णेण विना कति कम्पति इह जंपितु किंचि // 52 // संघेण अगुण्णाए अह जपति सो नहि गुणसमिद्धो ननहाररितिक्रमलो णमागतो नयं संघ // 33 // सघो महाभावो अहं च देमिओ इडं भंते / मघमिति ण जाणे न भेसच्च समामि // 2331 // देसे देने हवा अण्ण अण्णा य होति समितीय / जतिन्येह ऽभिण्यातं वेदेमिओऽहं यजागामि ॥२३३२अणुमायोत्ता एवं नाहे भगुण्णाए जंपए इयो / परिसा वनहारी य इमे गुणेन समासेण // 2233 // परिमार बहारी मज्नस्था रागदोमणिहया / जटि होति से निपसाब वहरित नो सुह होति // 2334 बुने वापरेण नदि उ जनहारिजो तु जपेज्जा / गुण तुम्हे मण्याड मझ सब्धिम्कनयण ति॥ / सेसा तु मुन्मावादी सच्चपरिष्भडगा कि सब्जे / भण्णानि मु. गेह पत्थ. भूलस्थमिण समामेणा // 2336 // ओमण्णचरणकरणे सच्चन्ननहारत इडिया / चरणकरण जहंतो सच्चव्ननहार. न यि जहे 19 जहिया अमोगा चन्न अप्पणयं गाणदंसणचरि. न। नइया नव्या परेर गएकंपा जन्धि जीनेसु // 2238 // भवस्यसहस्सदुलह निणय भाव मे जहतस्म / जस्स ज जायं दुकान REFEREFFFFFFFFFER Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *RRRRRRRRRRRRIA . [194] श्री आगम मुदा सिन्धुः० नवमो विभाग तस्स दुम्स पर दुहिए // 2239 / मायारे वीनो आयरपरूवणे असंकियो / आधारपरिभट्टो मुद्धचरणदेसणे भइओ // 224. / / तिस्थगरे भगवंते जगजीववियागए तिलोगगुरू / जो न करेइ पमाणं जसो पमाणं सुतधराण // 2241 // तिथगरे भग. वंते जगजीवनियाणए तिलोगगुरू / जो उ करोति पमाणं सो उ पमाणं सुयधराण // 2252 // संघो गुणसंघातो मंघो य लिमोयो य करमाणं / रागहोसनिमुक्को होति समो सव्वसाइणं // 233 // परिणामियबुद्धीए उननेओ होति समणसंघो तु / कज्जे गिच्छितकारी सुपरिच्छितकारओ संघो // 2344 // एक्कासि दुबे व तिणि व पेम. विए गएड परिभनेणं तु / आणातिनकमणिज्जूडणा नु आउट्टननहारो // 2245 // आमासो वीमामो सीतघरसमो य होति मा भा. ती / अम्मापीतिममाणो संघो सरणं तु सम्वेसि // 2346 // सीसो परिच्छाओ ना आरिओ वा ण सोगगति गति / जे मच्चकरणजो.. गा ते संसारा विमोएंति // 30 // भीमो पडिच्छओ वा. आर. ओ बानि ते इह लोगं / जे सच्चकरणजोगाते संसारा निमोएंति // 234 // सीमो पडिच्छमो वा कुलगणसंघा ण सोग्गति णेति / जे सच्चकरणजोगा ते संसारा निमोएति // 2244 // सीमो मच्छिओ ना कालगणसंघो व. एति इहलोए / जे सच्चकरणजोगा तेस. सारा विमोएति // 2350 // सीसे कुलिच्चए गणिच्चए व संघिच्चए च समदंरिसी / नहारसंघवेन्मु य सो सीनघरोनमो संघो // 2251 // गिडिसंघातं ज. डितुं संजमसंघाततं समुनगम्म / णाणचरणसंघातं संघाएंतो हन. ति संघों // 2352 // णाणचरणसंघातं रागहोसेहिं जो वि संघाने / सो संघाए अलुडो गिहि संघातम्मि अप्याणं // 2253 // नाणचरणसंघातं रागहोसेडिं जो नि संघाए / सो भमिही संसारं चतुरं. तं तं अणजयग्गं // 2354 // दुम्सेण लभति बोहिं बुद्धो वियन लभते चरितं तु / उम्मग्गदेसणाए तिस्थगरासायणाए य // 2255 // उम्मगादेसणाए संतस्स य छायणाए मगास्स / बंधति कम्म. रथमलं जरमरणमणतगं घोरं // 2256 // पंचविहं उपसंपद णा FERESERRRESS Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * * * * श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1920 * ऊण मेत्तकालपनन्ज / तो संघमज्झयारे ववहरियन गिस्सा णं // 2357 // गिदरिसण तत्थ इमे तगरा णगरी यसोलसायरिया / अण्णायणायकारी जस्थाबवहारी अढ इमे // 2358 // मा कित्ते कंकडुयं कुणिम पन्कुत्तरं च बच्चाई / बहिरं च गुंडसमण अबिलसमणच निद्धम्म // 2257 / / कंकडओ विन मासी सिद्धिं न उनेति तस्सं ववहा / कुणिमणिहो व मुज्झति दुच्छेज्जो एव वितियरस // 2260 // . पकुल्लाव भयातो कज्जमि ज सेसत उदीरोति / पादेणं आउत्तिय उत्तर सोचाहणेण तु // 2261 // रोमधयते कज्ज नच्चादी णीरस बिनासणेति / ऋडिते कज्जे संते जहिरो र भणाति ण सुत मे // 2262 // मरइटलाडपरछा करिमाया लाड यंहासडेिसे / पावारभंडिधुभां दसियागणण पुणो दाणे // 2262 // गुंडादि ए. / वमादीहिं हरति मोहेतु ते तु ववहार / अंबफकोहि अप्यो ण. णेति सिद्धि च क्वहारी // 1264 // एते अंकज्जाकारी गराए मा. सि तमि उ जुमि / जेहि कया ववहारा सोडिन्तऽण्णरज्जेसु॥ / / 2265 // इहलोगमि अकित्ती परलोगे दुगाती धुवा तेसि अणा - - णाए जिणिदाणं जे वनहार च जनहरति / 2266 // बत्तीस तु म. हस्सा गच्छो उस्कोसओ य उसभमि / बहुगच्छलग्गडकना इत्ति. यमित्ताण जन्य संघरण 206 // किन्नेह समितं धीर सिबकोदहति चे अज्जास / अरह धम्मण्णा मंदिलगोविंददत्तं च / / 226 // एते कज्जकारी नगराए आसि तामे उ जुगामि / जेड कता जनहारा अक्सोभा अण्णरज्जेसु // 26 // इंडलोमि य कित्ती परलोए मुरगती धुवा तेमि / आगाए जिणिदाणा जेवनहार वनहराति // 20 // तहिय पुण करिसएणं अभियचउडोति समशेण भण्णात सुणसू इणमो जारिसएणोतच 1271 // पाराय. णे समते घिरपरिवाडी पुणो वि सोनिग्गो / जो निगगतो विदिष्णे गुसहि सो डोति नवहारी // 22 // मूलपारायण पठम बितियं / बभेतिमं / ततिय च हिरवसेस जदि सुज्झति गाहगो // 2073 // KAREEFFEREERS Paccordan 2 . t + N Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Smagesease [19] श्री आगम ना मि-युः नवो विभागः सुत्त-यो चलु पठमो चिति, गिज्जत्तिमीमओ भणिो / न.ओ य गिरवसैसी एस बिही होति अणुओगे // 23 // परिणीय मं. दधम्मो जो णिग्गओ अप्पणो सकम्भेहि / शाह होति मो पमाणं असमतो देसणिग्गमणे / / 2375 / / आयरियादेसाऽवारिएण सत्ये गुणगुणितरिएा / तो संघमन्झयारे नबहनियव्वं गिरसाप्प // 2376 // आरिय अकादेमा वारिएया मच्छंदबुद्धिरइएणं / मच्चिन्तयितमीसे जो वनहरती ण को धन्नो // 22 // सो भिमुडेति बुद्धो सन्मारकडिल्लमि अय्या / उम्मयादेसणाए, . . तिथगरासायणाए य // 237 / / उम्ममादेसणाए संतरस पायणाए मगरस / उम्मगादेसगरमा मासा चनारि भास्यिया / / 2334 / परिवार दुइटधम्मकह वादि समए तडेव गोमिती / विज्जा राइणिया इढिगारवो अहहा डोति // 23 // * एमादिगारबेहि भक्कोविया जे तु नस्य भासेज्जा / तेवतव्वा इणमो ग तुझभागों इडं बोनुं // 2381 // बहुपरिवारो भण्णइ जयपरिवारेण डोज कज्जतु / तद परिवार देज्जमु बुइठो पुण भण्णाई इणमो // 2342 // लोगेणा जन्य समयं ववहरगयं तु तत्थ होज्जाहि / तन्ध तुम जपेज्जसु धम्मकही भण्णाति इमं तु // 233 // जहियं धम्मकहाए कज्ज तहियं तुम भणेज्जासि / वादी जय तु वादिप्पओयणं तस्य भासेज्जा // 3 // - मगो भनि इणमो देवयकज्ज हुँ भवेजाहि / असिवादिकारणेडिं तन्थ तुम तं करेजासि // 25 // विज्जासिद्धो भण्णति बिज्जाए जत्य संघकज्जमि / कज्ज होज्न करेन्जम राइगिमो भण्णति इमं // 36 // वेले कितिकम्मरमउ अणुवटताण वंदर्ण अम्डं। कुज्जाहि तुम गंतुं इह पुण गीयरम विसओ तु / / 2380 // ग ड गारमेण समका वहरितुं संघमझयासंमि / णासेति अगीयस्थी अप्पाणं चैव गच्छं च // 2284 // गामेड़ अगीयस्थो चतुरंग सबलोगसारंग / णदडंमि उ चतुरंगे ण 6 सुलभं होति चतुरंग // 238 // घिरपरिवाडी िबड़स्सुएहिं स: विग्गणिस्मिय करोहिं / कमि भासियन अणुओंगे गंधडत्यहि PRERRRRRREFERE Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री यभ्य कल्प माध्यम [197) // 239 / मादी य मुसाबादी बिनिय तोतयं जयं च लोवेति / माय च पावजीवी असुतीलिने कयगदंडे // 2291 // आभवते . प्पच्छिन्ते चवहारी समान्मतो भने टुबिहो / दोमु य पणगं णगं आभयंते अहीकारो गर सच्चितो अच्चित्तो य मीमओ सेत्तकालपाण्यो / पंचविही जनहारो आभव्यतो तु यार यच्यो / / 2213 // सेहमि सच्चित्तो अच्चित्तो हति बस्यमादी उ। मीमो सभडगाणं सतमि तु गाममादीहि ॥२४॥णगत दमधिने पुण नाहीए तस्य मागणा होति / काले उद्धनासामु य आभनणा होति णायव्या // 2395 // अहनाभवंतमण्यो उ. वसंपथमेनकानपव्वज्जा / णाऊण संघमझेनहरियावं अणि स्साण // 2216 // सुत मुह दुस्से मेते मग्गे विणए य पचहा होति / सव्चावि य एयाओ सुयणांणमाप्पवत्तीओ॥२३९०॥ जत्थ तु सुतोमपद तन्य तु सव्वा हवंति एयाओ। अहवा सुसोनदिहा तुमेच्छाए हनंतेया // 23 // गुरुमीमपडिच्छाणं तिण्ड वि को कम किंवकरेति / यावच्य गमागम काले चिंता दि दव्चे य // 21 // सीसो आरिथस्स तु यावच्चं तु कति जा जीय। जहिं गच्छति तहि बच्चति पेमेर व जत्था जान // 24.11000110. 00 कज्ज समाणइन्ना एतीनद्धि र सबमप्पेति / कारवग्णहो तु मायादीएहिं गुरुया४ि१॥दव्वे मच्चितादी लाभो सीलप्स जो नहिं होति / सोनिय जावज्जीवं सबो गुरुयो तु आभवति // 22 // कुणती पाडिंछी वितु वेवास्तु सणमादीहि / बच्चा ये पमाणेणे कालेणं रोयती जावा गेहद ना जान सुत ता कुणती सबमेव पाडिच्छो / एतो दव्ये वोच्छ जे आभनली तु पाडिच्छो॥२६जे होति णालबद्धं भिसंधारेतग तग एति / संदेसदिग्णगं वा गामे चिंधे या ले य // 2405 // वल्ली गंतर संतर अगंतरा उज्जफा इमे हों ति / माया पिया य भाता भगिणी पुतो य ध्याय / मातुं माथा य सिता भाता भगियीय एवं पितुगो वि। भाउं REFEREFERRRRREE Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRESS 198] श्री आगम सुगलि-यु नमो विभाग: भगिणीणा बच्चा पूता पुत्ताग नि तहेव परंपरवन्ति एमा॥४.9 / जदि पतभिधारेती पडिच्छगते पडिच्छगस्मेव / अह यो अभिधारेती सुतगुरुगो तो उ आभना // 24 // संगारो पुव्वको पच्छा पाडिच्छओ तु सो जाओ / तेग गिनेदेयव्य उदिहया पुव्वसेडा मे // 2409 // एचतिएहें दिणेहिं तुज्झ सगास अनस्म एहामो / संगारो एच कतो धाणि य तेसिं चिंधे // 2410 // कालेण य चिंधेहि य अविसंवादीहि नस्म गुरुणिहरा | कालमि विसंवदिए पुच्छिज्जति किं ण भाओ सि // 242i संगा. रियदिवसेहिं जदि गेलण्णादि दीपयर्यात तो तु / तस्सेव अह तु भार वो विपरिणतो पच्छ पुण जातो // 212 // तो होति गुरूस्येव तु एवं सुतसंपदाए भणितं तु / मुहदुम्सुमपण्णे एत्तो लाभ 4 नवमामि // 2413 // वदटसु मम सुहदुक्ये अहवि तुझं तु एवमवसंपेपुरपच्छसंधुया ऊ सोनभतीजे यबावीस // 2414 // सुदुक्सन्संपदेमा एत्तो सेनोलसंपदं वोच्छ / सेनोग्गडो सकोस वाघाए ना अकोमं तु // 415 // पने उग्गह माहारणे य वामें 7. हेव उडुबद्धे / सव्वादिसामु सकोस णिव्याघातेण पने 3 // 2416 / / अडविजलतेणमानदनाघाते एगदुरातिचतुमुं वा / होज्ज अकोसो उग्गडो अधुणा साहारण वोळे // 24 // माहारण होज्जाही प. डिलेडण पुजपच्छाणिग्गमणे / पुवं पच्छा पत्ते आयरिए वसा ज्जासु ॥२४॥दगमादीगच्छाणं पडिलेहगणिग्गताण समगंतु / पत्ता खेतं एसो पटमभंगोमणेयचो // 4/4 // समगं णि. गगम एक्के पच्छा पत्ता य वितियो भंगो / पच्छा णिग्गय पुर्व पविदहा पच्छा य दुहतो वि // 2420 // पढमगभंग जो सलु पुब्धि तु अणुण्णवेति ने खेती / म. मग पुगणुविए सामण्णं होति दोपडं मि // 41 // विनियाभी द. प्पेण पुधि पत्ता उ जटि गऽगुण्णावते / इयरेमि अमटाण य अणुएणउताण येतं // 18 // पूरणिगना कहं पुण पच्छा पत्ता 3 नेडवेज्जाडि / गेनन्जखमगप्पारण वाघागे अतर हज्जा२४२२० Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पवकल्प भाष्यम् tips गेलन्ने वाउलाण तुपेत्तमण्णस्म णो दए / णिसिद्धोखमी चेच तेण तस्सण नभनी MANAS अंतरवाएण RE - त्ताण पुचि जे पत्ता / असठेहि अणुण्णवित पुस्यि पत्ताणा तं तं // 425 // अह समगमणुण्णविए काउ पमादं चि तो उ साहारं एवं चितियभगो अडणा तइयमि योगाम 20/26 // पच्छावि पत्थियाण सभावमिग्यातियो भने खेत / एमेव य आसण्यो दुद्धाणा व पताण // 2427 // भंगे चउत्थगंमी पुजा गुण्णाए अन्सटभावाण / पटमभंगसरिच्छा आभजणा तस्य णायव्वा / / 2428 // पुचगाईओ वि उग्गहो होति गिनाणडताए जा डियचो। अह होज्जा संघरणं कालस्येवो टुपक्से वि।।२४२१॥ पुष्चदिहवसेनीण जदि आगच्छे गिलाणइत्ताण्णे / जदि दोयह असंधरया तो गिनगमो खेत्तियागंतु // 2430 // . अह दोण्ह वि सधरणं दोणिण वि अति जा गिनायो दोष्णि पम्त्या अड़वा समणा य समणीओ। 2421 // गिलाण उपही किच्चा भत्तोवडिलद्धताऽविहिग्गडित पेल्नंती परखेतं साहमियतेणिया लिविहा // 2432 // उही कि यड़ी माया गिलागणिस्सार विज्जमाणे नि / छड्डेतु एति लेले भत्तोबहिलद्धताए उ॥३३॥ लति सुदराई गिलाणणियडीए एंति तो तन्थ / इतरे नि गिलाणो ती का तो मेति मेत्ताउ // .. 2434 // तेसुंतु शिग्गएK सच्चित्तादी उ तिनिह ज गेण्हे / तं . तेसि होति तेण्णं पच्छित चेच निविहं तु // 2425 // जे पुण* संधरंता एंति तड़ितेसिमा भने मेरा। आयरियनसभअज्जाय चेच नोच्छ समासेण // 2436 // अति संधरे सव्वे वसोनी ती असंधरे / जन्य दुल्ला भने दोवि तत्धिमा होति मगाIRVED // णिपाण्णतरुणन्मेहे मुंगितपादच्छिणासकरकण्णा / एमेव संजती. ण णवर वुइटीसू णाणतं // 428 // परिवार अमिको अच्छति णिप्पण्णतो तु णिग्गच्छे / अच्छति दुइट तरणा य णिति सेहे असेडिल्ले // 2439 // अच्छति जुगिया , णितियरे अहव मुगिता दोनि / त्तत्थाइल्ला अच्छे अच्छे समणि तळणीओ // 24 // 7 / N Accces 14Ace + Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HAARAMARRERS / 2004. श्री आगम मुधा सिन्धुः : नबमो विमान ममणाण य समणीण य अछती संजतीओ गियमेणं / जेण बहपच्चबाता अणुकंपा तेण ममीणं // 2442 // संधारे भत्त - मैतुदडा तस्स लाभमि अप्पभू / जुंगियमादीएमु य वयंत सेत्तीण ते जेमिं // 2 // टुयमादीगच्छाणं ते माहारणमि बसियब्वे / अप्पत्तिय पडिसेहताए मेरा इमा तत्य ॥४॥अ. स्थि बहवसभगामा कुदेसणगरोवमा मुडविडारा / बहुगधुवगहकरा सीमच्छेदेण नसियव्यं // 24 // आयरिय उवझाया दुहिं तिहिं सहिया तु पंचओ गच्छो / एव तु गच्छा तिणि 3डुबद्ध संघरे जत्थ // 245 // वासान्यं तिचउजुता आयरिय उवन्झ सत्तो गच्छो / एव तु गच्छा तिणि तु वासा संघरेजस्थ // 24 // कालदुयमि वि एवं जहण्णय होति वासस्नेतं तु / बत्तीसं तु सहस्सा गच्छो उस्कोस उसमम्मि // 24 // बहगचुबग्गहकरा एत्तियमेत्ताण जत्य संधरणं / ऊणा अणुउगा - हिता सीमच्छेदं अतो वोच्छं // // तुझंतो मह बाहिं तुज्झ सचित्तं ममेतरं वावि / आगंतुय वत्थव्वा पीपुरिमकुंलेमु व विसेसो // 24 // सेसे सकोसजोयण मूलणिबंधे अणुम्मुयंतेणं / सच्चिने अच्चित्ते मासे विय दिण्णकालंमि // 245. // सेन्सत्ती मिसाहारणमि मलमेतं अणम्मयंतेण / होति सकोसं जोयण दिसविदिसासु तु सव्वतो // 2451 // एवं सेत्तओ एसो कालओ उड़बद्धि होति मासो तु / वासासु चउ - म्मासो पति कालो विदिग्णोतु // 2452 // एवति कालविदि. पण पुण्णे णिस्कारणमि तेण परं / ण तु उग्गडो विदिगणो मोनगं कारणमिमेहि // 2452 // असिवादिकारणेहि विहऽतिरेगे वि उग्गहो होति / जा कारण तु छिण्णं तेण परं उगाहो ण भवे // 2454 // मर्द होति सेत्तकप्पो असती ताण होज्ज बड़गावि / सेत्तेण य कालेण यमवरम न उगगहो गगरे // 455 // स. ति लंभे मेत्तागं जोग्गाणं जो तु जन्य संघति / सो तडितं मंचिस्ये खेत्ताण असती पुण बइंवि // 2456 // एगन्य उ गामादिसु जहियं तू संपति तहिं अच्छे / सव्वमि तहिं उग्गही सा. FREEFFERE Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽護聽聽聽聽聽聽 श्री पञ्च कल्य भाष्यम् , , [20] डारण होति जह णगरे 4wn एसा मेनुवसंपद मुरमच्छामधुन भर्भात एन्ध / तह मित्तलयंना या जंचलो मुत्तोवसंपन्नो // 245 // मग्गोनसंपदाए मार्ग देनेति जान-मो नन्स / ले भती दिदठाभदठादि जो य लाभो पुरिल्लागं // 15 // विटा ओनसंपदा पुण कुब्बति विणाय दुजोराणिए / सवंत. स्माभवती जोउ उपठायती तरस // 2460 // उक्संपर इच्चेसा पंचविहा वणिता समामे / मेलमि परे से ते शिक्षामिओ जो तु होनाहि // 2481 // काले उद् वाम वा वति गं णिग्गलाणा जो अण्णो / पठविति दिवसेन गिलयामे कालो एसो // 2 // इच्चोसो पंचविडो ववहारो आभवंतिओ.गामं / पछिसे बनहारो जह दसमुद्देन्स ववहारि // 4 // अहणा तु येत्तकाला ने विनु तथैव भणित ववहारे। जंतस्थ उ तस्मै तमहं वोच्छम मासेणं // 2464 // दुक्डेि विहारकाने तिविहा सोही उ उहि भना / दि जतंत सोही अविदिण्णदठाए आवण्य // 45 // उडुबद्ध वासामु य विहारकालो य होति दुविहेको / उग्गम उप्याथाए सणा य एमा तिविड सोही // 26 // उडुबद्ध मास वासानु हो. ति चतुरो विदिण्णाकालो तु / एन्थ जयंता जदि नितु भानजे सह विमुद्धा तु // 48 // मासो चतुमासा पुण संवसमा नुन स्थ अतिरित्ते / लग्गति जयंता विह किमु अजयंता उनि घण्णं // 2488 // उडुबद्ध वामवासं अयुक्समायो अमुद्धभन्नुबाही / आ. यरियप्यमाणा गुणप्पमाणं ममणा // 1 // उग्गममादीदो. सा अन्मेवमाणो विमोतु आवण्यो / जम्हा दोमायत उमि थावेनु संवमति // 4 // कत्येयं भणियंति य भण्णति आनएण किमाथारे / आधारपक्रयेद्र आया िभवंतु आयारी AwP ने भिस्सू णितियवान वसइत्ती एन्य भणिय सुनंमि / एवं पमा उभये अतिरिने या विजेदोसा // 22 // जदि पुण चहिता हाणी तहिं वडिट गुणा तव्य अच्छति / के पुण गुणादि भणिता भण्णति गागादिया होंति // 42 // कालातीत दोसाद Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 襲幾獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [202] श्री आगम मुया सिन्धुर * नबमो विभाग वस्म भी होति अच्छमाणाण / तम्हा 3 चिडेज्जा अति. रित दुबिहकानमि // 18 // गियअणुकयाए गिहिणं तो णा. मग असहा तुभे / भण्णति न होति एवं मा माधूण चरण. भेदो // 45 // चोदेनाहारादिसुमन्झे तेमू विणाम ज तीए। तत्थ न चिदहह तण्णाम जिदयतेण गहिया // 46 // मा पाविडिति धम्म गिडियो माहा कामदागेण / इय णिहयता अहवरा इहलोगयुकपता नेमि // 24 // मा दम्ममओ होही अणुवासे मिच्च साधुदाणेणं / इय अणुकंपिहलोए भण्णति तु एवमादीहि // 24 // मा होज्ज चराभेदो पुण्णातीतमि सबसताणं / अतिचिन्सनासेग सिणेहमादीहि दोसेहि // 24 // एसो उ कालकप्पो एव माणिो समासेगा / - इणा ह उवहिकप्य सुसरदेसेण बोच्छामि // * उवयिति उवकारं करोति उवहीयतेण उनही तु / कि कारण तु उनही उदिसिओ भण्णती मुणसु // // जीवाण.. 5गुग्गहडा एवं मनु वारणतो इह तित्थे / कालणाणुग्गहपदं पडिणीयपदे अभावो तु // 2 // रसयादणुकपडा अगाणीमा. दीण व रक्सदहा / अमडुणगुकंपदडा य उवहींगहण जि. गा बोति ॥४२आह जहणुग्गहढा वधादीगहण देमियं समये। तो अन्सडणं कन्हा धीपरिभोगो ऽगुण्णाओ४३ / भन्जति पवित्ति कम्हिउनि कम्हिवि पुण होति अर्यावती 3 / राजमपरिणीयत्ता मेडणमादीण णाऽगुण्णा // 24 // 4 // ना7. चरणहिताण उवगह कुणति गाणचरणाण / आहार उर. हिसेज्जा रोण 3 उडितण बेंति // 45 // जन्म पुणोबहिगोडेता उवधायकी तु तस्म उवधानो / कहं उबघाय करेती अतिरित हो य मुच्छा 4 // 246 // मघरमाणो गेहति अतिरिन उवाटे जो भवे समणो / अण्णादिजुते मुच्छति इडाहारे पुक्क्यसेव // // एतेसु ओणेठेमु य जो दुम्मति से कनेति उवधात / णाणादी. 7 लिण्डं नम्हा ते वजिए हेतू // 24 // जो जन्य जदा जडिय उवही परिभोगी अणुण्णाओ / सो तस्य अर्णाचारो भण 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् .. 2039 ण्णाए चरणभेदो // 24 // जह सिंधभो कम्पो ओराला उरिण'या अणुण्णाया / पिमियादीण य गहणं सीरादीणं चाणुण्णात - अतिडिमदेसे य नहा कारणियगयाण सिमिरकालंमि / परिभुजंताण य को विवाद चरणे अणुवघातो // 24 // लाडविसयादिएK एतेसिं थेव भोत्तु पडि सेहो / पडिमिद्धे परिभोग कु. णमाणो भंजती चरणां ॥णाणपि तु सो भिंदा उवदेस जेण कुणती तस्स / जं णाण पुव्वदसण दंमणभेदो नि तो ते. गं // 13 // शिवदिक्मितमनरंताहिएमु कज्जेसु होति परिमोगो / समणुण्णाओ कसिणादियाण इहरा अणुवभोगो॥२Vev // एसो उ उडिकप्पो अहणा संभोगकप्प वोच्छामि / तस्म पसाहणह उं गाहासुतं इम आह ॥२४९५॥ण विरागाण वि दोसा संभोगविही तु बरिणतो मुत्ते / णाणचरणदिला. णं भणियं सुतणाणपुरिसेहिं // 26 // रागेण मं जति में गेहओ तेहिं सद्धि मम पीती / जच्चादणवसमेण व दोसेणेवं ण संभंजे // 47 // णाणचरणे रयाणं एसुवदेसो उवपिणतो सत्या / त गणहरेडिं गहितं तो ते सुतणाणपुरिसाउ // 24 // िकारण अणुण्णा संभोगविही तु एस साहणं / भन्नइ नाणाईणं परिवइटी एव होहिति तु // 249 // अण्णोण्णरस सगासे गाणमडीहिंति जंचतं गहिता / होहिंति थिश चरगो. काहिति गिलाणकिच्चं च // 25 // जदि संभोगगुणा ते ता सकीस परिभुंजाने / भण्णति सरिसऽहिगोहिं व संभोगो ण पुण हीणेहिं // 25.1 // अन्थि पुण के पुरिसा लिगं तिगेणं पमाय कुव्वति / आहार उवाह सेज्जा जत्तो संभुंजणाबंधो // 25-2 // आहारादीतियगं उग्गममादी असुद्धगहोणं / जे कुव्नति पमा तेसिं सवासदोसेणं // 2503 // अणुमोदणपच्चिइओ मा बंछो होहिति ति तेणं तु / वि कीरति संभोगो ने यि चांगता रं डोंता / / 25.4 // गणु रागदोमियतं संझुंजणे एगएगऽसंभोगे / 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [20] श्री आगम मुधा सिन्धु नक्मों विभाग: भण्णति रागदोसा मुणन्यू जं कारणं एत्थं // 25.5 // संभुजणा विसुद्धा उनपराह कुणति णाणचरणायां / संझुंजणा अन्मुद्धा चरितभेद विधाणाहि // 2506 // भोगेण पमाएवं सहोसाणं तु होति समणुण्णा / एव चरित्नभेदो कि पुण सो कुवति पमादं // 25.7 // पूधारमपडिबद्धो सुद्ध अन्सुद्धं करेति संभोगं / अहवा नि अजाणतो संभोगविहीए गुणदोमे // 25.8 // पूजाहे. तु पमादी सेनति रमटेउग च तस्मेवी / जाणादिसुद्धमप्यं कुपति असुख तु सो एवं // 250 / बारम मूलपदा मलु संभोगविहीय पण्णिता सुत्ने / जत्तो पावादानं भणितं दुहाग उ-: म्येवो // 25 // उहिमुतभत्तपाणे अंजलीपग्गडे इय / नायणा यणिकाए य अब्दहाणे नि यानरे // 25 // कितिकम्मन्स ये करणे बेतानच्चकरणे इय / समोमरण सन्निसेज्जा कहाए य: पबंधणे // 2512 // एते बारसभेदा संभोगलिहीय तू समक्षाता। पावादाण तेनु तु इमेटिं डाणे िणायव्यं // 2513 // रागहोसाणुगतो जो संभोग पानए पत्तं / मो टुहो गायचो तस्सु क्सेवी विसंभोगो // 2514 // अहना वि इमेडिं त.कारोहि गिय मा भवे बिसंभोगो / मंभोगविहि जो विवरयं आयरेज्जाहि // 2515 // उरिमझिमहेदिहम संभोगदडाणा लिहा विभए / पडिसेहे पडिसेहो समणुण्णे होति समगुण्णो // 16 // उरिमए ति अहागड मन्निमा होति अप्पपरिकम्मा / सपरिकम्मा हेदिहम सभोगविही तिहा एसो // 17 // महाकडा मिलति अहाकडेमु भत्तं च पाण तह धोवणं वा / अहाकड़ा गच्छति डेदिहमेसु महोदडमा धुब्भ महाकडेसु // 25 // मज्झिमिता हदिहमते धुभति न तु हेदिहमा उरिमेसु / एमो लिविहोतु भने संभोगविही समामेण // 2511 // पडिमेहे पडिमेहो सपनि कम्म नु होति पडिबद्धं / तयस पुणो पडिसेडो उपरिकले मेल.... परिसेहो डेदवार उरिल्लो हदि मे अणुण्यातो, 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाऽयम् [2050 / अड पडिसेहि अण्णा होति इमा तू मुणेयव्वा // 2521 / जो पडिसिद्ध एवं आयरती तस्स होति पडिसेडरे / पडिसेहो वि. बेगोत्ती अवितहकरणे अणुण्णा उ // 2122 // केरिसएणं तुम मं संभोगो तेसि होति काययो / महवा विकायचो भय्या. ति इणमो णिसामेहि // 2523 // नवि एस मंदधम्मेण मि. हत्येसुण चेन अज्जासु / बावन्तरी विभत्तोऽवितरे पडिसेहगं जाणे // 2524 // दिज्जति धेय्यति य तहा केसिंची दिज्जए घेप्पति तुणनि दिज्जति घेति तु पनि दिजति पनि य घेप्पति तु // 2525 // संविग्गसंजयाणं दिज्जति घेप्पइ य पढ संजतिनग्गे दिज्जति णविपति कारणे बितिओ 3 // 2528 // गिहिअण्णतिथियाणं णवि दिज्जति पेप्यती उणबरंच.नि दिज्जति निघेप्यति पासत्यादीसम्बेसि // 2527 // बावत्तरी विभत्त ति एस बारसविडो तु संभोगो / घहिं गुणितो बावन्तरि संभोगाणं मुशेयचा // 2528 // बास्त्तरी तु एसा दुगतिगचउपंचधक्कसंगुणिता / जानइय होति भेदा तेसु बिसुद्धेमु संभोगो 2529 / पडिसेहो असुद्धेमुं कम्यो संभोग एम वरखाओ / अहणा तु लिंगकप्पं वोच्छामि अडाणुपुवीए // 25 // जो पुष्यि वरमाओ जिणधेशणं तु दोय की कय्यो / कठाडकम्समादी सो चेन इह पि णायची / / 2531 // इति ए. सो लिंगकय्यो वोच्छ पडिसेवणाए कप्यं तु / जारिमयं सेरि ज्जति सुद्धम्म्मुद्धं समासेणें // 2532 // गणपरिझुंजणाए णिव्याघाते तहेव वाघाले / वाघाते दुयगडणं गिब्याधाते यति. यगडणं // 2533 // पडिसेवण उदुविहा गहणे परिभुजणे य णायव्वा / एक्केरका वि य दुनिहा णिवाघाले य वाघाते॥ 2534 // वाघातमी सुद्धं गेण्ड अन्सुद्धं च एतदुयगहणं / 4 रिझुंजती वि एवं गिबाघातमि वोच्छामि // 2535 // उगममा दीसुद्धं गेण्डति परिझुंजती य लियमेतं / अह को पुणा वाघातो पनवणा तस्सिमा डोति // 2536 // असचे ओमोदी. ए रायहुदहे भए व आगाठे / धक्कायदुगमुबादाय वाघाने Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 護護楚楚楚楚楚楚楚楚楚楚楚, / [2067 श्री आगम मुथा सिन्धु 1 नवनो विभागः शिवधाते य 139सटमर जडिं अडवा सरितमसिगंवा चि / एतेसि दोण्हं तु नाघाते गहण भोगे य॥२५३०॥ गिबाघाए धण्ह वि अच्चित्तागं तु गहणकायागं गहियस्स य परिभोगो तस्सेन य होनि कायचो // 2539 // परिभोगे वाघातो गहिते पच्छा तु होज्ज त णानं / जह आहाकम्म ती / ताहे य तयं ण परिभुजे // 25 // वाघाते सेवतो अविच्चमेयं तु चितए साह / होति तहा / णिज्जरओ जो पुण दणमो समायति / / 2541 // पूजारमाडेबद्धो भोमण्णा च आणुयनीय / चरणकरणं णिग्रहति तं जाऽणुयत्तियं समण // 4 // पूजारमहउँ वा बेनी जह किच्चमेव पयंतु / मा मे ण देहिति पुणो जह एमोऽकिच्चकारीत // 25 // भहना मो. मण्णाणं तु भयुयत्तीय बेति को दोसो / आहाकम्मादीमुंगवर मा . | कीरउ मयं // 2544 // सो ग्रहति चरणादी एवं उच्छं सु तस्म / सामण्णं / तम्हा तु पन्जा सुद्धं मागं तु कि चsurg / // णिस्माणपदं पीडति अणिस्म विहरंतयं गरोएति / जं जाण मंदधम्म इहलोगगवेमगं मम // 2546 // अहवा उम्मग्गो सलु गिस्साणं तंतु पीहए जोन। तस्स तु छदमताथ णकहै दोसा इमे नहियं // 25 // पंचमहवनभेदो धक्कायो य तेणगुण्णाओ। सुहसील नियत्ताणं कहे जो पवयणी रहस्सं // 25 // पडिमेवकप एसो अटुणा वोच्छ अणुवासणाकप्पं / अगुवास मामकय्यो वामानामो इमेलि"तु // 2541 // जिण-धेर-अहालंदे परिहरिने अज्न मासकप्यो उ / खेत्ते कालमुनस्मयपिंडगाहणे यणाणतं // 255. / एएसि पंचण्ड वि अण्णोण्णस्य उ चतुपदेटिं तु / खेत्तादीहि विसेसो जह तह वोच्छ समामेणं // 2551 // गस्थि उसे जिणकप्पियाण उडुबद्ध मासकालो तु / वासामुं चउमासा वसही अममत्त अपरिकम्मा // 2552 // पिंडो तुअलेनकडो गहणंद एमणाहरिमाहि / तत्य निकाउमनियाङ पंचण्ड अण्णतरिटाए // 2553 // घेराग अस्थि मेतं तु 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् .. 2071 उग्गडो जार जोयण सकोस / गगरे पुण नमडीए निकाले उ बद्धि मासो तु // 2554 // उस्सग्गेणं भणिो अपनाए तु होज्न अहिओ नि / एमेव य भासामु वि चतुमासो होज्ज अडिओ वि // 2555 / / अममत्त अपरिकम्मो उम्मभो एत्य भंग चउरो उ / उपसगोगं पठमो तिणि उसेसावनादेणार५५६॥ भन्ने लेवकडं बालेवकडंबा नि ते 3 गिण्डंति / सत्तहि वि उसणाहि सानेबलो गच्छवासोति // 2557 // अहलंदियाण गच्छे अमडिबद्धाण जह जिणाणं तु / पावरं कालविसेसो उबासे पण चतुमासी // 2558 / / गच्छे पडिबद्धाण अहलं. दीणं तु अह पुण विसेसो / उगहो जो तेसिं सो आयरियाण आभवति // 2559 // एगनसहीए पणगं छब्बीडीओ ब गाम कव्वति / दिवसे दिवसे अण्णं अति वीडीइ थियमेणं / / 256 // परिहारविसुद्धीणं जडेन लिणकप्पियाण मन तु / / आयचिल तु भत गेण्हती वासकथ्य च / / 2561 // अज्जाण परिगाड़ियाण उग्गडो जो तु सोनु मारिए / काले दो दो मामा उडुबद्धे नाति कथ्यो Tiran सेस जर बेलायं पिंडो य उनस्सओ य तह तासि / सो सन्चो वि य दुक हो जिणकप्यो धेरकय्यो य / / 2563 // जिणकप्पि-अहॉलं. दी- परिहारविमुद्धियाण जिणकप्यो / धेरागं अज्जाणा य बोधब्बो धेरकय्यो उ // 2564 // दुरिहो य मान्सकप्यो जिणकप्पो चेव धेरकप्यो य / गिरणुगाहो जिरा घेराण अणग्गड़पनत्तो // 2565 // उडवासकालतीत जिणकप्पी तु गुरुग गुरुगा य / होति दिणमि दिगंमी धेराणं ते यिय लडओ // 2566 // तीस पदावराहे पुदडो अणुनासियं अणुमतो / जे जत्य पदे दोसा ते तत्यथगो समावण्ये / / 2561 / / पण्णरसुग्रामदोसा दस एसणवोस पते पणुवी / संजोयणादि पंच य एते तीस तु अबराहा // 25 // एतेहिं दोसहेिं जदि असंपत्ति जगाती तह वि / दिवसे दि. Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [208] श्री आगम सुश लि- समो विभाग बसे सोन्यलु कालातीत नसतो तु॥२५६९ / वासावासपमाणं आयारे उ प्यमाणित कप्पे / एयं अणुम्मुयंतो जाणमु अणुवामकप्यं तु // 2570 // " आधारपकय्यमी जह भणियं तीति संबन्मतो नि। होति अणुनासकप्पो तह संबमाणदोसा तु ॥२५७१।दुबड़े विहारकाले वासावासे तहेव उडुबद्ध / मासातीते अ. गुवाई वासातीते भने उनही / / 2572 // उड़बद्धिपसु - दहमु मासातीनेसुं तत्य वाम ग तु कम्ये घेणं. उवहीं , घल वासातीतेसु कप्पति भू // 2573 // वासउडु महालंदे . इत्तिरि साहारणे पुड़ते उगह संकमणं ना अण्णोण्णसकासऽहिज्जते // 257 वासामु चउम्मासो उडुबद्ध मासो लंद मंच दिणा / इत्तिरिओ सरसमले वीसमणदहा हितागंतु // 2575 // साहारणा तु एते समदिडताणं बहण गच्छाणं / एक्कण परिगडिता सब्ने मोहित्तिया होति / 2506 // संकमणण्णमण्णरस सकासे दि तुने अहीयते / सुत्तत्थतदुभयाइ संधै अहवावि पडिपुच्छे // 2577 // ते पुण मडलियाए - बलियाए व तंतु गेण्हेज्जा / मंडलियमहिज्जते मच्चिनादी तु जो लाभो // 257 // सोतु परंपरएणं संकामति तार जान मदहाण / जहिय.पुण आवलिया तहियं पुण अंतरे डाति // 25 // ते पुण हित एस्काए सहीए अहव सुप्फकिण्णा तु / अहवा वितु संकमणे दबरिमणमी विडी अण्णो // 25 // सुत्तत्यतदुभयविसारयाण थोचे असंततीभेदे / मकमणदव्वमंडलि आलियांकप्पभणुनासा // 25 // पुवदिहताण ते जदि आगच्छेज्ज अण्ण आरिभो / बहुसुय बहुआगमिओ तक्स सगासंमि जति लेती // 52 // कांच अडिजेज्जा ही धोनं घेतं चले जदि हमेज्जा / ताहे असपरंता दोणि विमा विसज्जेंति / / 2583 // अण्णोण्णस्स मगामे तेसि पिय तस्य विज्जमाणाणं / •आभवणा तह चेव य जह भणियमणंतरे सुत्ते / / 25 / / एवं णिव्याघाते माम चतुम्मामितो उ घेराणं / कप्यो कारणतो पुया 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [20971 अणुनासो कारणं जाव // 25.1 // एसयुवासणकप्पो अहणा अणुपालणाए कप तु / सव समुदिदट वोच्छामि अहं समासे णं // 2586 // मोहतिगिच्छाए गते.गदहे येतादि अहव कालगते / आरिए तंमि गणे पीलादीरकपणहाए ॥२५८०॥को उ गणी हरणिज्जो भण्णति जति तस्स कोर्ति सीसो तु / सुत्तत्यतदुभएहि जिम्माओ सो टवेयम्बो ॥२५८०असतीय नस्यता हे ठावेयव्वा कमेणिमेनं तु / पव्वज्ज कुन्ते गाणे ने सुहदुविम सुतसीसे ॥५गुरुगत गुनगंतवा गुनसन्झिलओ व्य तस्स सीसो वा / पन्चज्ज एगपम्मी एमादी होइ णायचो // 2590 // . असतीए कलिच्चो वी तस्सऽसतीए सुएगपक्षीभो। सेत्ते उपसंपण्णे तस्यासतीए डवेयव्यो / / 2511 // सुहदक्षि. यस्स असती तस्सऽसतीए सुतोवसंपण्णो / एवं तु वियाण तहि सीसमि तु मागणा गधि // 2512 // पाडिच्छगणधरे पु. ण विए तहियं मगाणा इशामो / सुन्तत्वमडिज्जत , .भणहिज्जते इमे विभागा // 2593 // साहारणं तु पठमे बितिए वेत्तोमे तोतेए मुहडम् / अहिज्जते सीसे से. से एस्कारस विभागा // 25 // पुहि हास्स उ।। पच्छुदिदडं पाययंतस्स / / संवच्छामि पठमे परिच्छए जंतुम. चित्तं // 2515 // पुनं पच्छुट्टेि पडिच्छए जं उ होति सच्चितं। संबच्छामि बितिए तं सव्य पवाययंतस्स // २५९६॥पु. व्वं पच्छादिहे सीसंमि तु जंतु डोति सच्चितं / संवच्छामि पठमे ते सव्व गणस्स आभवति / / / 25 / / पुबुद्दिदगण - स्सा / 5 / पच्छुहिद पवाययंतस्स / / संबछरंमि बितिए सीमितु जंतु सच्चित्तं // 25 // पुवं पधुदिडे सीसंमि तु जंतु होति सच्चितं / 7 / संक्च्छरंमि ततिए ने मध्य पवाययंतस्स 25 पुबुद्दिढे गच्छे / / / पधुदिदडं पाययंतस्स / / संवच्छामि प. टमे सिस्सिणिए जतु सच्चितं // 26 // पुर्व पखुहिडे सिरिमणिय जे तु होति माध्यतं। 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [210] . श्री भागम मुधा मिन्धु नवमो विभाग संबच्छामि बितिए सब पवाययंतस 11/128.1 // पुच पच्चुट्टेि परिछियाए उ जंतु सच्चित्तं / संबच्छरंमि पढमे तं सब पवाययंतस 11 // 2602 // मेत्तुवन्संपायरिभो मुहटुक्सी चेन जति त संहविओ। कुलगणसंघिच्चो वा तस्म इमो डोंति उ विवेगो / 2603 / / संबच्छराणि दुर्णिण उ सीममि पाडेच्छाम्म ल. दिवस / एवं कृलिच्च गणिच्चे संवच्छर संघ धम्माया // 26 // तत्धेत य गिम्माए अणिनगर निगए इमा मेरा / सकले तिणि लियाई राणा संवच्छ सधे // 26.5 // ओमादिकारणेडिं दुम्मेइत्तेण वाण निम्मातो / काऊण कुलसमायं कुलधेरे वा उव. डेति / / 2806 // गन हाथणाइ नाहे कुलं तु मिकमानए पयते , णय किंचि तेसि गिण्डति गणो दुर्ग एग संघो उ / 2607 // एतदवालसहिं समाहि जदि तत्थ कोति णिम्मातो / ता गिति अणिम्माप पुणो कुलादी उबदहाणा // 2608 // ते. गेन कमेणा तु पुणो समाओ हरति बाम उ / णिम्माए बिहती डहर कुलादी पुगोवडा // 2609 // तहनि य बारसमाओ जि. म्माओ सो मि गणधरो डोति / तेण परमऽणिम्माते इमा विही होति तेरियं तू // 26 // छत्तीमातिने पंचनिनसंपदाए तो पच्छा / पत्तं स्वयंपादे पबज्ज तु एगपम्यमि // 2611 // पव्यज्जाए सुतेण य चतुभंगो डोति एगपरमि / पुवाहितीसरिए, पठमाम. ति नतियभंगे // 1612 // सवस्म नि कायव्य गिच्यओ कि कुनं न अकुलं वा / काले सभावममत्ते गारवलज्जाए काहिनि / / 2613 // एमऽणुपालणकप्यो अgणाऽगुण्णातो गंदिसु तेहि / सिद्रो अण्णकय्यो गनगदहाणि बोच्छामि // 2614 // किम -गुण्ण कम्मऽपुण्णा केवतिकालं पत्तियाऽ गुणा / आयोरेयत्र सुन वा अपुण्णबइ जंतु माणुण्णा // 2615 // यस्म तिमी- / सरस त गुनगुगजुन्नथ्य होय ऽगुण्णा उ / केवति काल पबिती आ. ! दिकरणसभसेगन्स // 26160 एगदिहयाणि तीय उ गोण्णाइं . हति णामधेन्नाई। वीस तु समामेणं वोच्छामि ताणिमाई तु 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्रीपञ्चकल्प भाध्यम [211] // 261 // अण्णा उण्णमणा Uण गामणि डवणा पभावणा रियार। तभडियमज्जाता कम्ये मग्गे यणाए य॥२६१८॥ संगह संवर गिज्जर घिरकरणमछद जीत डिठपय पययनरं चैव तहा वीम अण्णाए णामाई // 2617 // अणुण्णवइत्तगुपणा उण्णामिय ऊन्सियं ति उण्णमणी / गिहिसाहिं गोमज्ज. ति तम्हा ऊ होति णमण ति // 2620 / / सुतधम्मचरणधम्ने गामयती जेण णामणी सम्हा / 3. विमओ आचरियते जम्हा ऊ तेण हजगंति // 1621 / ढवितो गणार्डिवले होति पभू तेग प्रभवो सध्यसि जाणादणं हो. ती पभवो पभूध त्ति एगहा / 2622 // आयरियाले पभविते तण नियाले उ दिज्जाले गणो से / तदुभयोडेय ति भप्रणात इहपरलोगे य जेण हित 26 / गणधरमेर धरती जम्डा- ऊ तेण होति मज्जादा / करोणिज्जो कप्यो ति य कयो गणकप्य समोण // 2624 // गाणादे मोक्समग्गो सो तमि हितो त्ति तो भवाते मग्गो / जम्हा उगायकारी णाओवाए. स तो गातो 12625 // दब्वे भावे मगहो दले आहारवत्थमादीडिं / भावे गाणादीहि तु संगिण्डति संगडो तेणं॥६६ / दुबिडेण सवरेण इंदियणोदिहि जम्हा तु / अप्याण गणं च तहा संवरयति संवरो तम्हा // 2627 // गणधारणनगिलाए कुणमागो णिज्जरेइ कम्माइ / अण्णे य गिजराने तम्हा तू णिज्जरा होति / / 2628 // बालेरिता लता इन पकंपमाणाण तगणमादीणं / डोति घिरानडंभो तकव्व घिरकरण तेगं तु // 2629 // जम्हा तु अनोच्छिन्ती सो कुणती पाणचरणमादीणं / तम्हा सलु अच्छेदं गुणप्यसिद्धं हरति णामं // 1630 // तित्थकरेडिं कथमिणं गणधारी तु तेहिं सीसायं। तत्तो परंपरेण आयमिणं तेण जीयं तु // 2631 // बइठा णाणचरणे गणं तु तम्हा उ तेग बुटिपदं / पर पहाणमेतं सयोन्स रायदेवाण // 2632 // इति एसऽपुण्णकय्यो ज. डाविही परिणतो समासेणं / डवणाकय्य एन्तो वोच्छामि अ Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 श्री आगम मुधा मि-धु: :: नवमो विभागः डाणुपुव्वीए // 2633 // तिविहो डवणाकप्पो कुले गणे चेव तह य संघे य। एतेसिं पलवणयं वोच्छामि महाणुपुबीए // 2624 / कुलधेरेणं गणेण व जा मेरा हाविता भवे शियमा / सो कलहवणाकय्यो एव गणे डोति संघे य // 2625 / केरिसया पुण धेरा कुलगणसंघाण डोंति तु पमाणं?। भण्ात सुण. सू इणमो जेहिं गुरोहिं तु ते जुत्ता // 2636 / / कय्याकविडिण्णू सुत्तत्थविन्सारदा सुतरहस्सा / जे चरणकरणजुत्ता ते सुद्धणयाण तु पमाणं // 26275 कय्याकविहिण्णू सुत्तस्य. विसारदा सुतरहस्सा / जे चरणकरणहीणा ते सुद्धणताणभ इयव्वा // 2638 // तव्या मलु कज्जा असती चरणदिडयाय घराणं / हीमो विसुयसमिद्धो मझत्थो डोति तु पमाणां // 2639 // कह पुण डाविनंते ते उ पमाणं तु तेसु डान्सु.. कुलगणसंघा धेरा भण्णाति इणमो णिसामेहि // 264 / / इच्छाकारणिउत्तो पियधम्मो लिण्ड कोइ एक्कतरो। सो होति तिगत्थेरो तिगचरित बियाणतो धीरो // 2641 / / णातूण गुणसमिद्धं जोगं तु कुलादिधेरहाणरस / कालूणिच्छाकारं कलादिगो बति तो इणमो // 26 // तुझे डोह पमाणं कुलथेरा धेरडाणजोगं तु / एवं कलादीहिं तिगधेरा तू हविनंति // 2643 // तिगचरितं जाणइ ति चरितं मज्जातमेर एगहा / तं तु तहाविहि जाणति तिण्ड पि कु. लादिहागाणं // 2644 // पासत्योत्सण्ण-कुसीलडाणपरिरक्स. तो दपक्से वि। सो होति निगत्थेरो लिगधेरगुणेडिं उवउत्तो // 2645 // पासस्थादीडाणे ण वट्टती एस. रस्सओ होति / अहला सति सखाए पासत्थादी वि पालेति // 2646 // परि. इज्जते रागादिरवियते साइन्साइणि दुपमये / अहवा अप्पा परे तिगधेरो संघधेरो तु॥२६॥ एसो तु लिगत्थेरो तिगधेरगुणेडिं होति संपण्णी / अहणा वीसुवीयु कुलादि. धेरे पवक्ष्यामि // 26 // चरणकरणे समग्गो जो जत्यजदा कुलप्पडाणी तु / से होति कुलत्थेशे कुलचरितवियाणभो 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [213] धीरो // पासत्योसण्णकुसीलहाणपरिरक्यतो दुपको वि / सो होति कुलत्थेरो कुलधेरगुणेहिं उक्नेदो // 2650 / / चरणकरणे समग्गो जो जस्थ जदा गणप्पडाणोतु। सो होति गणशे गणचरिथरियाणओ धारो // 65 // पाय-यो. सण्णकुसीलहाणपरिरक्यतो टुपक्से वि।सो होति गणत्यरोगमधेरगुणेहिं उपतो // 2652 // चरणकरणे समग्गो जो जत्य जदा जुगप्पहाणोतु / सो होति संघधेरो मीतघरसमो पुरिमसीहो / 2653 / / एसो तु मलसंघो आपुच्छण-गमणकरणकज्जेसु / हित. सुहणिसेसकडी कुलगणसंघऽप्यणो चेव // 2654 // दसणणाणचरिते जा पुनपसवायरणया य / एसो तु मूलसंघो तिषिहा धेरा करणजुत्ता // 2655 // पुव्वं चि परवेज्जा आयारादीसु ग्णित्चरिते। तं सम्ममायरंतो हवति तु संघो तहा धेरो॥ 2656 / / जो सोहीगचरित्तो अण्णस्सऽसतीत पुबभणितो तु / कुलधेरादि डविज्जति तम्सुलदेसो इमो होति // 2657 // होज्ज असणसंपत्तो सरीरमार्थकता असहओवा / चरणकरणे असत्तो सुद्धं मां परूबेन्जा // 265 / / रमणं वाजीमादीसूलजरादी होइ आतंको / धितिसारीरबलेणं हीणो असह मुणेयव्यो // 2657 // एतेहिं कारणेहि अकय्पपडिसेवणं क. रंतो नि / मुद्धं मग पलने अप्पाण हिया अतो पत्तो / PREM कप्यपणयस्स भेदा सोच्चा गच्चा तहेव घेतणं / च. रणकरणे विसुद्ध आचरण पलनणं कुगह / / 2661 / आरियसगासातो सोच्चा जच्चा य घेत्तुमन्येणं / हिलते बनत्य तुं आयरणपलनणा कुज्जा // 2662 / / कम्पपणगरस भेदो पविओ मोम्ममाहणडाए / जं चरिऊण सुविहिता कति दुरवस्मयं धारा // 2663 // पंचविह-सुत्तकप्पाण विभासा वित्यरं पमोत्तूणं / गहिता सीसहियदहा अनोछित्तदहया येव / / 2664 // गाहगण फ्यवस्सिन्सबाई चहत्तराई 2574 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2101: ... ... श्री आगम मुदा सिन्धु: :: नवमी विभाग सिलोयरगेणं बत्तीस संथाणि दमभट्टसहियाई7. / सबसुयसमूहमी वामकरसगहियपोत्थया देनी . / जन्मकुहंडीसहिया देंतु अविग्यं भणताणं // 04040. पूज्यपाद तपोमूर्ति - जैनाचार्य- श्रीमद्विजयकर्परसु. रीश्वर - पट्टधर - हालादेशोद्धारक- कविरत्न प्रज्याचार्य देव - श्रीमद्धिजयामृतसूरीश्वर - दिनेय - भीमदागमसंशोधक- विदर्य गुरुदेव पूज्यपन्न्यास जिनेन्द्रविजय -गणिवयाणां आज्ञानुवर्ति तपरिव साध्वीश्रीमहेन्द्र प्रभावियाः शिध्या - विदुषीरन - साध्वीश्री सुरेन्द्रप्रभाश्रियाः शिष्या साध्वीस्वयम्प्रभाभिया लिपिकृतं श्री पञ्चकल्पसूत्रमिदं परमोपकारी गुरुदेव कृपया श्रुतभक्तिगत भक्तिप्रेरित भावोलासेन संशोधितं च परमोपकारी पूज्यपाद गुलदेव प. ज्यासप्रवरश्रीजिनेन्द्रविजयगणिवरेण / वीर सं. 2506 विक्रम सं. 2036 * आखिनकृष्णातृतीयायां सूर्यवासरे श्रीजामजग२ दिग्विजयप्लोट श्री शान्तिमनजोपाश्रय- मध्ये श्रीविनलनाथस्वामिप्रसादान् / शुभं भवतु श्री श्रमणसझन्स्य / / 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहम्। श्रुतके वलि श्री भद्रबाहुस्वामिविरचितं श्रीव्यवहारसूत्रम्। अथ प्रथमोद्देशकः // _ 182 भाध्ये पीठिकागाधाः,जे भिक्यू मास यं परिहारहाणं पडिवित्ता आलोएज्जा, अपलिच्चियं आलोएमाणस्म मामियं, पलिचिथं आलोएमाणस्म दोमसिय ३२२'सू. १॥जे भिक्यू दोमामियं परिहारहाणं परिमेवित्ता आलोएज्जा अपलिउञ्चिय (प्र. यं) आलोएमाणस्स दोमालियं, पलिउंचियथं आलोएमाणस्म तेमासिथ।. २॥जे भिक्खू तेमासिथं परिहारहाणं परिमेषित्ता आलोएज्जा भपोलचिथयं आलोएमाणस्स तेमासियं, पतिउचयथं आलोएमाणस्स चाउम्मसियं ॥सू.३॥ जे भिक्यू चाउम्भामियं परिहारहाणं परिसेविना आलोएज्जा अपलिउँचियर्थ आलोएमाणस्म चाउम्मासियं, पतिउचिययं आलोएमाणस पंचमासिथं // 4 // जे भिक्खू पंचमारियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अतिउंचिययं आलोएमाणस पंचमालियं,पलिउंचिययं आलोएमाणस्स धम्मासिथ, तेण परं पालांचि. 8 वा अपलिउंचिए वा ते चैव धम्मासा'३४३॥सू.५॥जे भिक्षु बहुसोवि मासिय परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउञ्चियं आलोएमाणस्स मासियं, पलिउँचियं आलोएमाणस्स दोभासयंासू." एवं जे भिक्यू बहु मोवि दीमासिथं परिहारठाणं परिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउच्चियं आलोएमाणम्म दोमामियं, पलिउच्चियं आलोएमाणस तेमासिथ ॥सू.७॥ जे भिवसू बहुसौवि तेमासिथं परिहारट्टाणं परिसेविऊण आ. लोएज्जा अपलिउचियं आलोएमाणस्स तेमामिय, पलिउश्चियं आलोएमाणस्य चाउम्मामिय॥०॥ जे भिक्खू बहुमोवि चांउम्मामिथ परिहारदाणं 蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓楚楚楚幾 Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216] यी आगम मुबा मि.y० नवमो विभाग परिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउच्चियं आलोएमाणस्स चाउम्मामिय, पलिच्चियं आलोएमाणस्म पश्चमामिय।सू.॥जे भिवयू बमोयि पञ्चमासियं परिहारहाणं परिसविता आलोएज्जा अलिउञ्चियं ओलोएमाणस्स पञ्चमासिय, पलिउ चियं आलोएमाणस्म धम्माभियं. ते। परं पलिउशियं वा अपलिउश्चियवाचे छम्मासामू.१०॥ जे भिक मासियं वा दौमामियं वा तेमामियं वा चाउम्मामिथं वा पञ्चमासियं वा एएस परिहारहाणाण अन्नयर परिहारहाणं परिसविता आलोएज्जा अलिउश्यियं आलोएमाणस्स मामियं वा दोमामियं धा ते. मामियं वा चाउम्मामिथं वा पञ्चमासियं या, पलिचिययं भालोएमाण. स्स दोमामयं वातेमासिवा चाउम्भामियंका पंचमासियं राधम्मासियंचा. तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिएवातेचेव धम्मामास. 22 // जे भिवायू बहुमोचि मामियं वा दोमामियं वा तेमामियं बा चाउम्मासियं वा पचमासियं वा एएमि परिहारहाणाणं अन्नयर परिहारहाणं पडिवित्ता भालोएज्जा, अपलिउचिथं आलोएमाणम्स मामियं वा दोमासियं वातेमासियं वाचाउम्मामि या प.समासिथ वा.पलिम्वियं आलो. एमास्स दोमामियं वातेमामिथं वा चाउम्मामियं वा तेण परं पलि3चिए वा अपलिउचिए वा ते चैव धम्मासा'५॥सू.१२॥जे भिक्यू चाम्भासिय वा साझेगचाउम्माभियं वा पंचमामियं वा साईरेगपंचमासिय वा एपनि परिहाराणाण अन्नयर परिवाराणं परिमेवित्ता आलोएज्जा, अलि चियर्थ आलोएमाणस्म चाउम्मासिय वा साइरोगचाउम्मामियं वा पचमामियं वा माइरेगपंचमामिय या पलिउचियय आलोएमाणम्म पंचमा मियं वा साइरेगपंचमामियं वा धम्मामियं बा.तेण पर पलिउचिए वा अपलिउंचिए वाते व धम्मामा॥सू.१३॥ जे भिक्यू बहुमोचि चाउम्मासियं 'वामू.४॥ साइरेगचाउम्मामियंका।सू.१५॥ पचमामियं वा ॥सू.१६॥ मारेगपंचमासियं ना।सू.१७॥ एवं चेव भाणियव्यं जा धम्मामा 535' ॥मू.१८॥जे भिक्भू चाउम्माभियं वा साइरेगचाउम्मामिथ वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमामियं वा एएमि परिहारहाणाणं अन्नयर परिहारहाणं परिसेवित्ता आलोएज्जा, अपीलचियय आलोएमाणस्म वणिज्ज डबरता कराणज्ज थावरिय, बेवि परिसेचिया मेचि कसिणे तत्व आ 楚楚楚楚楚楚楚聽聽聽聽選獎 Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्रं . उद्देशकः 1] [21] महेयध्ये मिया, पुब्धि परिमेवियं पुद्धि आलोइयं, पुब्धि परिमेवियं पच्छ। आलोइथ, पच्छा परिसेवियं पुट्विं आलोइय, पच्छा परिसेवियं पच्छा आलोइयं, अपालांचिए अपलिउंचियं, अपलिचिए पालउचियं, पलिचिए अर्यालचियं, पलिउंचिए पलिउंचियं, आलोएमाणस्म सब्वमेय सकयं माणियं जे एयाए पदावणाए पविए नियिममाणे परिसेवेइ सेचि कमिणे तत्व भारस्यब्वे मिया ॥सू. 29 // एवं बहुमोवि जे भिवयू चाउम्भामियं वा साइरेगचाउम्मामियं चा मचमाभियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएमि परिहारहाणाणं अप्रणयरं परिहारहाणं परिसेवित्ता आलोएज्जा पलिघुचियं आलोएमाणस्स उणिज्ज वस्त्ता करणज्ज क्यारियं जाव पच्छा परिसेवियं पच्छा आलोइयं जाब पोलचिए आलोएमाणम्स सव्वमेयं सकर्य सारोपणयं आहेयत्वं मिया, एवं अपलिउंचिए'६.१॥सू.२०॥ जे भिक्मू चाउम्मामियं वा नाव आलोएज्जा, पलिऽचियं आलोएमाणस्म जाव पलिचिए अपलिउंचियं, पलिउंचिए पलिचियं आलाएमाणस्म आरहेयध्ये मिया ।।सू. २२॥जे भिक्खू बमोवि चाउम्मामियं वा बहुसोवि माइगचाउम्मासियं वा जाव आहे यध्ये मिया '626 ॥सू.२२॥ बहवे पारिहारिया बहवे अपारिहारिया इच्छेज्जा एगयो अभिनिसेज्ज वा अभिनिसाहियं वा चइत्तए नो गं कप्या धेरै अणापुच्छित्ता एयओ अभि निमेज्ज वा अभिनिभडियं वा घेइनए, कप्पर एं मे धेरै आपुच्छित्ता एगयभो अनि मेज्ज वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, पेरा य हं से विय रेजा ९वं कप्प३ एगयो अभिनि सेज्ज वा अर्भािन मीहियं वा घेइत्तए धेरा य से जो वियरेज्जा एवं नो कम्प३ एण्यओ अभिनिसेज या अभिनिसीहियं वा घेरत्तए, जो गं (णो) धेशेअविइण्ण अभिनिसेज या अभिजिसीरियं वा चेएइ से सन्त। छेए वा परिहारे वा ६१३॥सू.२३॥ परिहारकटिहए भिक्स बहिया धेरा यारयाए पच्छेजा धेरः य से सरेज्जा कप्य से एगराइयाए परिमाए जणं जण दिस सन् सार स्मिथा विहरति तण्ण तण दिस उवलित्तएं, जो से कप्यतन्य विहारवत्तिय रत्पए,कप्पर से तत्व कारणनियंवत: नाम च रणसि णिनियंसि परो वएज्जा या अज्जो! ए॥राय : 12 न Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 231] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभागः एवं से कप्पर एगराय वा राय वा वत्थए, जो से कप्पर एगरायाभोवा टुरायाभो वा परं वसित्तए, जो ण तत्प एगराधामो वा दुरायाओ वा परं वसह से सन्तरा छेए वा परिहारे वा। सू.२४॥ परिहारकप्पटिहए भिक्यू . बहिया घेराणं व्यावडियाए गच्छेज्जा, धेरा य से जो सरेज्जा, कप्पद से निश्चिममाणस्स एगराइयाए परिमाए जण्णं जणं दिस जाव तत्य एगरायाभो वा टूरायाओ पर वह से सन्तरा छए वा परिहारे वाद ॥सू.२५॥ परिहारकम्पदिहए भिक्यू बहिया धेरणं याचठियाए गच्छेजा धेरा य से सरेना वा जो सरेज्जा वा कम्पइ से निविसमाणस्म एगंशइयाए जाच ए वा परिहारे वा ।।सू.२६॥ भिक्स्यू य गणाभो अबक्कम्म एगल्लविहारपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरज्जा में य इच्छेज्जा दोच्चाप तमेव गणं उवसंज्जित्ताणं विहरित्तए, पुणे आलोएज्जा पुणो परिका मेज्जा पुणो छेयपरिहारस्म उवहाएज्जा।सू.२७॥ एवं गणावच्छेइए वा .. ॥सू.२८॥ एवं आयर्याए ।सू. 29 // एवं उज्झाए।।सू. 30 // भिक्खू य. . गणाओ अवक्कम्म पासत्यचिहारे विहरेज्जा, से य इच्छज्जा दोच्चपि . . तमेव गणं उसंपज्जित्ताणं विहरित्तए. अन्धि थाइत्य से पूणो आलोए- . ज्जा पुणो परिक्कमेज्जा पुणो यपरिहारस्म उवट्ठाएज्जा // . 31 // एवं अहाछन्दो कुमीलो ओसन्नो संसतो '१९१॥सू. 32 / / भिक्यू यंगणाओ अवक्कम्म परपासंउपरिमं उवसपज्जिताणं विहरेजा (परलिंगं च मेहेना) से य इच्छज्जा दोच्चपि तमेव गणं उवसपज्जिताणं विहरित्तए,नधि गं तस्स तप्पत्तियं कैइ छए वा परिहारे वा, जन्नत्य एगाए आलोयणाए ॥सू.३३॥ भिक्स य गणामो अवस्कम्म ओहावेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्यपि तमेव गण उवसंपज्जित्ताण विहरित्तए, नतिय ग तस्स तप्यनियं कई छए वा परिहारे वा, जन्नत्य एगाए सेहोचावणाए '14|F.34 // भिक्यू य अन्नयरं अकिच्चदहाण परिसेवित्ता इच्छेज्जा भालोएत्तए, ज. स्थैव अप्पणो आथरिय उवज्झाए पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पडिक्कमेत्तए वा निन्दित्तए वा गरहित्तए वा विउहित्तए वा चिसोहितए चा अकरणयाए अब्भुढेत्तए वा अहारिह तवोकम्म. पायच्छित परिवज्जेतए वा // जो चेव अप्पणो आरियउवज्झाए पासेज्जा जत्व संभोइय साहम्मिथं बहुस्मुथ बज्झागम पासेज्जा तस्संलिए कप्पइ से आलोएत्तए Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . श्री व्यवहार सूत्र : उद्देशकः२] 219] वा जाव परिजना वा रानी चैव संभोइयं साहम्मियं बहुम्म यं गन्नाम पामेला जन्धेव अन्जन्संभोइयं साहम्मियं बहुम्सुयं बमागम पामेला अप्पर में तम्सनिए भालोएनए वा जाव परिवज्जेनए ना // लो चेन // भन्नमभोट माइम्मिय बहुस्सुयं बज्मागर्म पामेजता रोज साविथ बहस्मय अमागम पामेज्जा कप्पड मेन स्मनिए भालाना ना नात्र परिवज्जैनाए बालो व गं मारूविय बहुम्सुय बना पायेता जत्थे ममणोवामा पच्छाकर बहुम्मथ ज्यागम पासेन्ना पर मेनम्मंतियं भालोएनए वा परिक्कमेतए वा जात पानि परिन्तित्ताए वा पानो ने ममणोनामा पच्छाक र बहम्मुर बन्माम प्रामैना नवि सम्मभाविधाइ बेश्याइ पामेज माग में नमानिा- मालारत्ता वा जाब पार्थाच्छन्नं परिवज़िनए वा 6 जो चेव गम्मभाविया बेड्या पासेज्जा बहिया गामस्म वा जाव # जिनसम्म वा गणाभिमुहेण वा उदीणाभिमुहेण वा करयलारपहिय निरभावनं मधार भंजलि कटटु कप्पा मे एवं वएनए-एवइय में अवगह) एखडक्युतो य म अवरखो, अरहंता सिद्धाण अन्तिए आलोएज्जा परिक्कमेज्जा जिन्दजा नाव पाच्छिनं परिवज्नेज्ञामिति ) 1173 // 5.5 // पठमो रहेमभो // 1 // .. अथ द्वितीयोद्देशकः। दो साभिया एण्यभो विरंति, एगे तत्य अन्नयर विश / दाणं परमविता मालीरजा, वणिज्ज स्वत्ता करणज्ज वेथानोरया. दो साइम्मिया भो विति टोधि ते अन्नयन अगिच्चदाणं पोडेसे चिन्ता आलोएन्जा ए तय कप्याग हवात्ता एगं निक्सिज्जा, अह पच्छा से वि निलिमेज्जा ॥सू.२॥बले साहम्मिया एगयो विहरंति, एगे तस्य अन्नय 2 अकिच्चहा परि मेविना आलाएज्जा, वणिज्ज हवात्ता करणिज्ज व्याय डियं ॥३॥बहवे साहम्मिया एगो विहरति, मध्यवि ते अन्नयर - किच्चटहाणं परिमेवित्ता आलोएज्जा, एग तत्य कप्या हवात्ता अवसेसा निव्यिमेजा. भइ पछा मेचि लिब्धिमेजा 451-मू.४॥ परिहारकप्पटिहए भिक शिलाथमाणे भन्नगर भकिचरा परि मेविना आलोएज्जाश . 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2201 श्री आगम मुधा मि-धु 0 नवमो विभाग से य संघरेज्जा हणिज्ज हवात्ता कराणज्ज व्यावरिया से य जो संधरैज्जा अणुपरिहारिएणं करणिज क्यारियं से य संते बले अणुप. रिहारिएणं कीरमाणं याचरियं साइज्जेज्जा सेचि कसिणे तत्व आहेयचे सिया ४।७२॥सू.५॥परिहारकप्पदियं भिक्षू गिलायमाणं नो कप्पर तस्स गणावच्छेद्यस्म निहितए,अगिलाए तस्स करणज्ज वैयाठियं जाव तो शेगाय-काओ विप्पमुक्को, तो पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पडचियचे सिया ॥सू.६॥ अणवहप्पं // 7 // पारश्चियं भिक्खू गिलायमाण जाव पट्टवियध्ये सिया॥सू.॥ वित्तचित, . दिनचिनजक्याउदा. उम्मायपतं. उनसम्गपतं.साहिगरणं, सपायच्छितं. भलपाणपडियाक्सितं // मू.९-१६॥ अजायं भिक जाव पदवियचे सिया '२२६॥सू.१७॥अणबहप्पं भिक्खु अगिहभूयं नो कप्पई तस्य गणावच्छे यस्स उहावित्तए॥सू.१८॥ अणवस्हप्पं भिक्यु गिहि भूयं कप्यइ तस्स गणावच्छे इयस्स उवहाचित्तए॥सू.१९॥ पाच्चियं भिमधु अणिहिभूयं नो कप्प३ तस्स गणावच्छेक्यस्स उबदहावित्तए॥सू.२०॥ पारंचिये भिक्खु गिहिभूय कप्पः तस्य गणावच्छेक्यस्म उचहावितए॥सू. 21 / / अणवहप्य भिक्षु गिहि भूयं वा गिहि भूयं वा कप्पर तस्स गणावच्छे. इयरस उवहावित्तए जहा तस्म गणम्स पत्तियं सिथा। सू.२२॥ पारंचिय भिवम् अगिहिभूय वा गिहि भूयं वा कप्यइ तस्स गणावच्छत्यस उपदहावितए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया 258 / / सू०२३० दो साहम्मिया एगथओ विहरन्ति, एगे तस्य अन्नयर अकिच्चदहाण परिसे - विना आलोएज्जा अहणं भन्ते। अमुगेण साहुणा सदि इमंमि य इममिय कारणमि मेहुण-परिमेवी' पच्चयाहे च मयं पारसेविय भात 1 1 से तस्य पुच्छिथव्ये कि परिमेधी अपरिमेवी से यथएज्जा 'पडि सेवी परिहारपने, सेयर एज्जा 'नो पार सेबी'नो परिहारपत्ते राजं से पमाण चयइ से पमाणभी घेतले सिया, से किमाडु भन्ते !? सच्चपन्ना चवहारा ३।२७०॥सू.२४॥ भिक्सू य गणाओ अक्वाम्म ओहाणुप्पेही गच्छेज्जा, से य आहच्च अगोहाइए. से य इच्छेज्जा दोच्चपि तमेव गणं उल संपजिताण बिहरित्तए 1 // तस्य धेरा गं इमेयासवे विवाए समुप्पाजत्या इमं गं अज्जो! जाणह कि परिसेनि अ परिमेवि 12 से य पुच्छियध्ये किं परिसेवी अपरिमेवी ?' से यवरज्जा Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री व्यवहार सूत्रं : उद्देशकः 3] [2211 'परिमेयी परिहारपने, से य वएज्जा'नो परिमेवी नो परिहारपने शव से पमाणं वथइ से पमाणी घेत्तव्ये, से किं एव मा भन्ते!१. सच्च. पइन्ना ववहारा ४।३१९॥सू.२५॥ एगपक्षियरस मिक्युस्म कम्प्यु आयरियउवज्झायाणं इनरियं दिम वा अणुदिसंवा उदिमित्तए वा धारिनए वा जहा वा नस्स गणस्म पत्तियं सिया 355 // .॥बहवे पर हारिया बहवे अपरिहारिया इच्छज्जा एगयओ एगमामं वाटुमामा तिमासंवा चउमाशंना यमासंवा दम्मामंवा am ने भलमन्नं संभुजन्ति अन्नमन्नं जो संभुजन्ति मास, तओ पच्छा सवेत्रि एगो सं जन्ति 264.27 // परिहारकप्पदिश्यम भिक्षुम्म नो कप्पा असणं वा दाउंवा अणुप्पदाउँवा, घेरायणं वएज्जा-इमं ता अन्न! म. एएसि देहि वा अणुप्पदेहि वा एवं मे कप्पा दावा अणुष्पदाउं वा, कप्पर से लेवं अणुजाणावेत्तए 'अणुजाण भन्ने लेवाए' एवं सेवाप्पा ले. व समासेवेनए'३७२.२४॥ परिहारकप्यदिहए भिकम्यू मरणं परिगाहणं 'बहिया अप्पणो यावाडयाए गच्छेजा, घेरा य गं वएज्जा-पाडेगाहट अज्जो। अपि भोक्खामि वा पाहामि वा एवं ए से कम्पद पडिगगाहेत्तए शतत्व जो कप्पइ अपरिहारिएणं परिहारियरम परिग्गरंसि अमर्ण वा 4 भोत्तए ना पायए वा, कप्पा से सबंमि वा परिगाहंमि, सथति वा प. लासगंमि, मयंसि वा कमसि, सथमि वासुब्बगनि, मयंमिचा पाणिय. मि उट्ठ उदइड भोसए ना पायए वा, एम सप्पे अपरिहारियम परिहारिधाओ।।सू.२७॥ परिहारकप्पदिहए भिक्यू राणं परिम्गहेज बहिया धेराण वेथाचडियाए गच्छेज्जा, घेरा य वएजा-'पडिग्गाहेहि अज्जो तुमपि पच्छा भोक्यसि वा पाहिसि वा एवं सेवाप्पड पडिगगाहेत्तए / तत्प नो कप्पद परिहारिएणं अपरिहारियस्म परिगाहमि असणं वा 4 भो नए वा पायए वा, कप्पड़ से मयसि परिग्गडंमि वा, मयंसि पलामगंसि वा,ससि कमळगंसिया, ससियुष्यामिवा,सर्थसिपाणिसि वा,उबहुउद्ध भोत्तए वा पायएवा, एस कप्पे परिस्थिस्स अपरिधरियाओत बेमि 2237' / .30 // बिइओ उद्देमभो // 2 // अथ तृतीयोद्देशकः।। भम्र य ३छेजा गणं धारेत्तए,भगवंच से अपलि. 聽聽聽聽聽聽聽聽幾幾幾幾幾 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [222] श्री आगम सुधा सिन्धु: :: नवमो विभागः च्छिन्ने एवं जो से कप्पड़ गणं गरेत्तए, नगवं च से पलिच्छिन्ने एवं से कप्पड़ गण धारेत्तए २१०॥स. भिक्खू य इच्छेज्जा गणं धारेत्तए,जों से कप्पड पैरे अणापुच्छिता गणं धास्तए,कप्पइसे धेरै आपुच्छित्ता गणं धारेत्तए धेश यसेवियरेज्जा एवं से कप्पर गणं धारेत्तए.धेश य मे जो वियरज्जा एवं से नो कप्पड़ गणं धारतए राजण्णं धेरै अघिइण्णं गणं धारेज्जा से सन्तरा छए वा परिहारे वा, जे ते साहम्मिथा 3डाए विहरति नदिध गं तेसिं कई छएवा परिहारे वा 3 / 116 ॥सू.२॥ तिवासपरियाए समणे निगाथै आधारकुसले मंजमकुमले पचयणकुसले पन्नत्तिकुमले मंगाकुसले उजगहकुसले अक्स (सु)याया अभिन्नाथारे :सबलाथारे असंकिलिहाथारचरिते बहुस्सुए बझागमे जहज्जेणं आयारपकप्यधरे कप्पइ (आयरि)उवन्झायत्ताए उहिमित्तए।म.३॥ सच्चेवणं से तिवासरियाए समणे निग्गंधे नो आयारकुसले जाव नो उनगाहसले वयाथारे भिन्नायारे सबलायारे संविलिहायाचरिते अप्पमुए मप्यागमे लोकप्पइ आरिउरझायत्ताए उद्दिसित्तष्ठ।सू.४॥ एवं पंचवासपरियाए समणे निगगंधे आधारकुमले जाच असंकिलिट्ठायारचरित बहुस्मुथै बझागमे जहन्नेणं दमाकप्पयवहारधरे कप्पड आथरिथविज्झायत्ताए उद्दि सिन्तए ।सू.५॥ सच्चेव से पश्वासपरियाए समणे निग्गन्ये नो आयारकुसले जाव अप्पासुए अप्पागमे नो कप्पड आथरियउवा यत्ताए उहि मित्तए॥सू.६॥ अडवासपरिवाए समणे जिग्गन्ये आयारकुसले जाव जहन्जेणं हाण-समवायधरे कप्य से आस्थताए उवज्झायताए परतिताए घेरताए गणिताए गणावच्छेइयत्ताए उहिमित्तएस.सच्चवर्ण से अहवासपरियाए समणे निग्गन्धे जो आधारकुसले जाव लौ कप्पड आयरिथताए जाव गणावच्छेइयत्ताए उदिसिनप १२.॥निरुद्धपरियाए समणे निगान्धे कप्पइ सविसं आधरियउवझायत्तए उहिमित्तए 1 / से किमाई भंते !,अस्थि जघराणं तहासवाणि कुलाई कणि पत्तियाणि थेज्जाणि वेसासियाणि समथाणि सम्मुइकणि अणुमयाणि बहुमयाणि भवन्ति / तेहिं कडेरि नहिं पत्तिएहि तेहिं धेज्जेहिं तेहि बेसासिएहि तेहिं 'सम]ि तेहिं सम्भुइकटं जं से निपरियाए समणे निग्गन्धे कप्पड़ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्रं :: उद्देशकः३] [223] आरिय उवज्झायनाए उहि सित्तए हिवसं 3, // 109 / / निरुव बिवासपरिया ए समणे निगान्धे कप्यइ आरियउवज्झायत्ताए उद्दिमित्तए समुच्छेयकप्पसि, तस्स गं आयारपकप्पस्म देमे अवहिए अहिन्जिए भवइ,सेस सेय 'हिज्जासामिपनि अहिज्जेज्जा.एवं से कप्पइ आश्यि उज्माय-ताए उदिमित्तए, से य 'अहिन्जिम्मामिति नो हिज्जेज्जा एवं से जो कप्पर आधरियज्वझायनाए उहिमित्तए २१६॥सू.१०॥ निग्गन्धस्स णं नवहरतरुणम्स आर्यास्यविज्झाए वीमुंभेज्जा, नो से कप्पा अणारियउवझायम्स होतए, कप्पइ मे मुधि आयरियं उदिसावेत्ता तो पच्छा उपन्याय,से किमाह भंते ! 1, दुसंगोहए समणे निगांचे तं जहा- आयरिएण य उवज्झाएण याम.११॥ निग्गन्धीए णं नवहरतरूणियाए आयरियउवज्झाए पत्तिणी य विसुंभेज्जा / नो से कप्पर अणारियउबझाइयाए अपत्तिणीयाए होत्तए, कप्प३ से पुधि आरियं उहिसावेत्ता तो पच्छा उवज्झायं उहिसित्तए तओ पच्छा पनिणि उहिसित्तए रासे किमाहु भंते !,ति संगहिया समणी निग्गन्धी, तं जहा - आयरिएणं उवज्झाएणं पत्तिणीए य 3 / 235' ॥सू. 12 // भिवस्य गगाभो अवक्काम मेहुणधम्म परिमेवेज्जा तिणि संबच्छराणि तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छइ. यत्तं वा उहिमित्तए वा धारेत्तए वा, तहिं संघच्छरे हैं विइस्चन्त चउत्पगंसि संबच्छरसि पदिहयंसि हियस्स उवमन्तस्य उवरयम्स परिविश्यम्स निविगारस्म एवं से माध्या आर्यास्यत्तं वा जाव गणाचच्छे. यहतं या उद्विसितए वा धारेत्तए वा २४ास.१३॥ गणाघच्छेइए गणावच्छेद्यन्तं अनिक्स्यिवित्ता मेहुणधम्म परिसैवेज्जा जायज्जीयाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पड आयरियत्तं वा जाव गणावच्छड्यन्तं वा उदिमित्तए वा धारेत्तए वा // 2.14 // गणावच्छेदए गणावच्छेइयत्तं निकिन्यवित्ता मे. दुणधम्म परिसैवेज्जा तिणि संबच्छणि जाव गणावच्छेइयत्तं जाव धारेत्तए वा ॥सू. 15 // एवं आयरिए उवमाएवि दो आलावगा '256' ॥सू. 16-17 // भिवस्यू य गणाओ अवक्कम्म ओहाय तिणि संबच्छरा. णि जाव धारेत्तए वा ॥सू.१८॥ गणावच्छेदए गणावच्छेइयत्तं अनिविविता (निविश्वविन्ना) ओहाएज्जा जावज्जीवाए, निविय वित्ता तिणि संबच्छराई जा व धारेत्तए वा ॥सू. 19-20 // एव आयरिए उवज्झाएऽवि '28 ॥सू. 21-22 // Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [22] श्री आगम सुधा सिन्धु / नवमो विभाग: भिक्यू य बहुम्सुए बझागमे बहुमो बहुआगाठानागासु कारणेमु माइमुसाबाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तस्स तप्यत्तियं जो कप्पर आय. रियन्तं वा जाव गणावच्छेययन्तं वा उद्दि सिन्तए वा धारेत्तए वा ॥सू. 23 // एवं गणावच्छइएवि जाव धारेत्तए वा ॥सू.२४॥ आथरियउवज्झाएवि।सू. 25 // बहवे भिक्खुणो बहुम्मुथा बझागमा बहुसो जान जावजीवाए तेसिं तप्पत्तियं जो कप्पइ जाव उहिमित्तए वा धारेत्तए वा॥सू.२६॥ एवं गणावच्छेदयाचि जाव धारेन्तए वा ।।सू.२७॥ एवं आधरियउवझायानि,धारेत्तए वा ॥सू.२ताबहवे भिवणो बहले गणावच्छेया बहुवे आरिथउज्माया बहुस्मुथा बज्झागमा बहुसो जाच आरयन्तं वा उवझायन्तं वा पवत्तित्तं वा घेरत्तं वा गणधरत्तं वा गणावच्छेइयत्तं वा उहि मित्तए वा धारेत्तए का त्तिबेमि '369 // 29 // तइओ रेसओ // 3 // अथ चतुर्थीद्देशकः। नो काप्य आरियउवझायन्स एगाणियम्स हेमन्तगिम्हामु चरित्नाए (चरिए)॥सू.१॥ कथ्यइ आरियउवमायस्स अप्पबीयस्म हेमन्तगिम्हामु चरित्तए। सू.२॥नो कप्पर गणावच्छत्यस्म अप्पबीयरस हेमन्तोगम्हामु चरित्तए॥सू.३॥ कप्पइ गावच्छे यस्स अप्पतज्यस्त हेमन्तगिम्हासु चोरेत्तए।सू.४॥जो कप्पइ आरियउवझायस्म अप्यबिइयस्स वासावासं वत्थए ॥सू.५॥कप्यइ आरियउयज्झायरस अप्पतइयरस वासावासं वत्पए।सू.६॥ जो कप्पइ गण्यावच्छेइथस्स अप्पतस्यस्म वासावास वथए।सू.७॥ कप्पइ गणावच्छेझ्यस्स अप्पंचउत्स्स यासाचा उत्पए '65||. // से गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिसंसिना बहणं आयरिय उवज्झायाणं अप्यबिइयाणं बहण गणाबच्छेयागं अप्यतइयाणं कप्पइ हेमन्त गिम्हास वत्थए (चरित्तए)अन्जमन्नं निम्साए।सुमे गामसि वा जाव संनिधेससि वा बहणं आरियउवज्झायागं अभ्यतइयाणं बर्ण गणाक्छइयाणं अप्पच उत्थाणं कप्पइ वासावासं वत्थए चोरत्तए) अज्जमन्नं निस्साए १६२'॥सू.१०॥ गामाणुगाम इन्जमाणे भिक्षू जं पुरओ कटुविनेज्जा से आहच्च धीमुम्भेज्जा अस्थि या इन्ध अन्ने को उक्संपज्जणारिहे (कप्पड़) से उवसंपज्जियव्ये सिया रानस्यि याइन्थ अन्ने Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीव्यवहार सूत्र : उद्देशक 4] [225] करे उवमपज्जणा तस्स अप्पणो कप्याए असम ने कप्या में गरायाए प्रारमाए जण्णे जटिस भन्ने साहम्मिया विरति न न टिम वाले नए गली में मप्यड सत्य विहारवतिय धाए मप्पड़ मे नया निय उत्थाय 3 / तमि या मागोमिनिटेडयम परो त्राज्जा.मा अज्जो / एगरा थवा टुराय जी एव मे अप्य: एगराय या दुराय मा बा.नो मे अप्पाइ गरायाओ ना रायाभो पर स्थए , जै 1-2 गरायाभो बाटुराया भी त्रा पर चमड से मतोरवा पहारेत्रास.१॥ त्रासावास वालोमगिए भिक्यू जाव छए वा पोहा जा 262' .2 // भायात्रेय उव जमाए गिला माणे अन्नय यएज्जा - भज्जो माममि 7 मालायमि समामि भय समुकमिय से " ममुक्कामणान्हे ममुकामय मे यो समुक्कामणारि. है जो समुस्कमियअतिध या इत्य अन्ले और सम्म्कमणाशि से मम्स्कोमयध्यै जन्धि या इत्य अन्न कर ममक्कासाहे से येन समुम्कमिय 2 / लेमि च समुक्किटहमि परे गएज समुस्किदा ते अन्नो। निविधवा हितम्म जनिविपनमाणस्म जन्धि इएमा परिहार वा जे तं माहम्मि. या अएकप्ये जो अभुटा विहरति आभू ति मध्येसि तेमि तत्तिय छए वा परिहारे वा 4 / 21. सू.१३।। आर्याश्य उवन्यार मोहायमाणे अन्नयविएज्जा - अज्जो। मए मोहारियसि समामि अयं समुम्कमियब्वे जाच मध्वेसि तैमि तप्यनिय छए वा परिहारे मा ३०३:/मू.१४॥ आयरियउवाकर सरमाणे परं चउराथपंचरायाभो कप्मा भिक्खु जो उबदहाइमपाए अ. दिन थाई से केइ माणिज्जे कप्याए नधि याइ से केइ ए ग परिहा ना. जन्धि यार से केइ माणणिज्जे कप्याए से सतरा ऐ की निहारे वा॥सू. 15 // आरियउज्झाए असरमाणे पर चशयाओवा पंचमायाभो कप्याग जाव छए वा परिहारे वासू.१६॥ आयस्थिउवज्झाए सरमाणे बा अमरमा मेवा परं दमरायकम्पाभो कप्या भिवामु जो उबदहाचेइ / मय्याए अस्थि याई से केंद्र माणिज्जे कप्यार जो बाद में मै ए मा परिहाने या, / जोत्थ थाई में कई माणज्जैि कप्याए मवच्छ तर ननिय लो कप्पर आरियत वा जाव गणावच्छेइयत्त या रोहेमित्तए वा 23/334 ॥सू.१७॥ भिवायू याओ अवकम्म अन्ज Mi उपसंयोजना हरेजा, चकई माहम्मिए मन्ना अपन-मालो। उग्मजिना Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 226] श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभाग विहरमि?' जे तस्य मध्यराइणिए न वएज्जा - भह भते / कस्म कप्पाए ?, जे तत्प बहमुए, तबएज्जा जचा से भगवम् तम्स आणाउवधायवयणनिह से चिट्रिम्मामिलास.बह साहम्मिया इचोला एमयी अभिनिधारियं चरित्नए, जो ण्डं कप्पर धेरै भयाच्छन्न एग्यो भनिचारिश चरित्तए,कप इण्डं घेरे आपत्तिा एगयो ओभाने धारिय चरित्तए / घेरा य मे विधर जा एचण्ड कप्पइ एगतो भाभानचोरेय चोरत्तए, पैर य प नो विथरेजा एवं प्ठं जो कपड़ एगयी अभिनेचारिय चरितारातत्य धेहिं अविडणे. एण्यओ अभिनिधारिथ चौते से सतार वा पोरेडा वा ॥मू.१९॥चरिथापविट्ठे भिक्खू जाव चउराथपश्चरायाभी 3 पामेजा मच्च आलीथमा सव पडिस्कमणा सध्यैन ओगहम्म पुवाणुजवणा चिट हुइ, महालन्दमधि भोग)ई-मू.२०॥ चोरयापविटो भिरम पर चउराथपाराथाभी धैरे पामज्जा पुणो भालोएज्ज! पुणो परिक्कमेन? पुणो छैयपोरेहारम्स उवहाएज्जा 2 भिक्षु. भावस्स अटहार दौरोप भोगहे अणुन्न यध्ये मिया कप्पोले सेव वदिनए- भजार भते मिओगह महालन्द एवं नितिय निच्३य ज वेदिय, तो पच्छा कायमफास 3 ॥१.२१॥चरिथानिय भिक्यू जाव कायसकामं 44 .२२-२३॥दो साहम्मिया एगथओ विहरति तजा-मेह य राहणए यता मेहतराए पलिचिकन राइणिए अपलिच्छिन्नता मेहतराना oftए उपसज्जियचे भिवयोववायचदलयर कप्या॥२४॥दोसारमिया गयभो विरशैते. त जहा - सहे य इणिए य तत्य राहणार पोत स. ने मेहतराए अप्लान्छन्जे इच्छा गणिए सेहतनारा उवसंपन्जेला पालो उवमण्जेज्जा इच्छा भियोववाथ दलथा कध्याग इच्छा जो दलाइ कमागं ६.सू.२५॥ दो भिवणो शायभो विहरति जो 9 कर अन्नमन्ना वसंपज्जिनाण, बिहारेलाए,कप्यार पर आरागणियाए भन्नमन्नं उटायनिनाण विहरितए ॥सू. 26 // एव दो गणावोइया।मू.२७॥ दो आधोरेय उवज्झाथा ।सू०२९॥ बहये भिक्यूणी जाब विहरित्ताए ॥म.२९॥ बहवे गणाचरोडयास.३०॥ एवं अडवे आयोरेथउवज्झायाम.32 पाते भिवणी बही गणावच्छेदया बहने आयरियउवमाया एगयो विहरंति, जो कप जाव विहारतए 574 / 032 // च उत्था उसभी // 5 // Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓斐斐護 अथपञ्चमी देशकः। जो कप्यइ पत्तिणीए अविश्याए हेमन्तगिम्हामु चारए ॥सू.१॥ कय्य३ पत्तिणीए अप्पतझ्याए हेमन्तगिम्हासुचा. रए।सू०२॥ जो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पतइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए।०३।। कप गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए हेमन्तगिम्हासू चारए ॥सू.४ // जो कप्पइ पत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वस्थए सु.५॥कप्पड़ पचात्तणीए अप्पचउत्थीए वासावास त्यएम.६ ॥जो कम्पइगणावच्छेदणीए अप्यचउत्थीए वासावासं उत्थए ॥सू.७॥ कप्पइ गणावच्छेदणीए अप्पपंचमीए वासावास बस्थए ॥सू.॥से गामंसि वा जाव संनिससि ना (रायडाणिमिवा) बर्ष पत्तिणीणं अप्पतइयाणं बहण गणावच्छेइणीणं अप्पाचउत्थीणं कप्पइ हेमन्तगिम्हासु चारए अन्नमन्नं निसाए।सू.९।। से गामंसि वा जाव संनिवेसंमि वा बहण पत्तिणी अप्पचउत्थीणं बहुर्ण गणावच्छेदणीणं अप्पपञ्चमीण कप्पर वासावामं वत्थए अन्नमजं निसाए।सू.१०।। गामाणुगामं दुइज्जमाणी निग्गन्धी य जं पुरओ काउं विहरेज्जा सा य आइच्च वीमुंभेज्जा अस्थि या इत्थ काइ अन्ना उवासंपज्जणारिहा,मा उवसंपज्जियव्वा, जस्यि या इत्य काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्यणो कप्याए अममत्ता एवं से कप्पड एगराइयाए पडिमाए जण्णं जगणं दिसं अन्नाओ साइम्मिणीओ विहरति तण्णं तण्णं दिसं जाव छए वा परिहारे वा ॥स.११॥ वासावासं पज्जोसावया निग्गन्दी पुरओ काउं बिहरेज्जा सा य आइच्च पीसुंभेज्जा अस्थि या द्वत्थ काइ अन्ना उवासंपज्जणारिहा सा उपसंपज्जियव्या जाव वा छेए परिहारे वा ।।सू.१२॥ पवनिपल यशिलायमा अन्नयरंवएज्जा'मए of अज्जोकालायाए समाणीए इयं समुम्कसिथव्वा'सा य समुक्कसणारिश मा समुक्कसिथव्वा सिथा, सा य जो समुक्कसारिहा जो समुक्क - सिथवा सिया 1 / अस्थि या इत्थ काइ अण्णा समुक्कसणारिहा सा समुसियचा, नन्धि या इत्य काइ अण्णा समुक्कमणारिहा सा Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [228) श्री आगम मुधा मि-पुः . नवमो विभाग चैव समुसियला 22 / तीमें च णं समुक्किटुंमि पर वएज्जा-दुम्स क्किटुं ते अज्जो निविसवारि तीसे णिक्वेवमाणीए णात्ध कर छए वा परिहार वा ३।तं जाओ साहम्मिणीभी अहाकप्पेणं नो उवहायति तासिं सवासि तनिय ए वा परिहार वा ४॥सू.१३॥ पत्तिणी में ओहायमाणी एगरारं पाएज्जा - ममंसि णं अज्जो। ओहाइयंमि एमा सम्. वकसियला समकसणारिहा सा समक्कासियबासियामा यजो जा वछए वा परिहारे ला '९'मू.१४॥ निगान्धस्स नवरहरतरूणगस्य आधारपाये जाम अज्झयणे परिभदे सिया से य पुच्छियो 'केण ते कारणोणं अज्जो ! आयारपकप्पे नामं अज्झयणे परिभट्टे 1 किं आबाहेणं उदाहु पमाएणं 1, से य वएज्जा-'नो आबाहेणं प. माएणं' जावज्जीवाए तस्स तपत्तियं नो कप्यद आनियन वा जाव गणावच्छेइयन्नं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए ना रासे य वएज्जा- आ. बाहेणं, जो पमाए' से य संहवेसामीति संहवेज्जा, एवं से कप्पड़ आरयत्नं वा जाच गणावच्छेइयत्तं वा उदिमित्तएवा धारेत्तए वा 30 से य मंडवैस्सामीति जो संडवेज्जा एवं से जो कप्पड आर्थाश्यत्वा जाव गणावच्छइयत्तं वा उद्दिमित्तए वा धारेत्तए वा शास.पानिंग्गएणं जवाहरतरुणियाए आधारपकप्पे नाम अन्नथणे परिभदहे सिया मा य पुच्छ्यिवा- 'केण ते कारणेण अज्जी! आयार. पकप्पे जाम अज्झयणे परिभट्डे 1 किं आबाहेणं पमाएणं,सा य वएज्जा -'जो आबाहेणं, पमाएण: जावज्जीवाए तीसे तप्पत्तियं जो कप्पइ पत्तिणितं वा गणावच्छेइणियन्तं वा उदिमित्तए वा धारेतए वा 2 / या य वएज्जा - 'आबाहेणं, जो पमाणं' सा य संहचे . स्सामीति संडवेज्जा एवं से कप्पइ पत्तिणीतं वा गणावच्छेइणिय. संवा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए ना 3 / सा य संहवेस्मामीति नो संडवेजा एव से जो कप्पइ पत्तिणीतं वा गणावच्छेइणिय वा उद्दिमित्तएवा धारन्तए ना 4 ॥सू. 16 // धेशण धेरभूमिपत्ताण आयारपकप्ये नाम अ. ज्मयणे परिभट्हे सिया / कप्पइ तेसिं संहवेताण वा अन्संहवेत्ताण व' आसरियतं वा जाव गावच्छेदयत्तं वा उहि मिनए वा धारेनए ना - राणा धेरभूमिपताण आधारपकाये नाम अज्झयाणे प. Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्रं :: उद्देशकः६] 1229 .रि भट्ठे सिया / कथ्य तेमि, मंनिसण्णाण वा तुयट्टण वा उत्ता. याण वा पासिल्लया वा आयारपकप्पे जाम अज्झयणे दोघ्यपि तच्चं मि परिपुच्छित्तए वा परिमारित्तए वा २॥४४॥१८॥जे निग्गन्था य निधीओ य संसोइया मिया / जो एहं कप्पा तासि अन्नमन्जस्स अंतिए आलोएसए / अस्थि या इत्थ णं के आलोयणारिह कप्पाइ से तेभि अंतिए मालोएतए राजधि या इत्य केइ आलोयारिहे एवं हं, कप्पइ अन्जमज्जस्म अंतिए आलोएत्ता 4 / 75 / . 19 / / जे निधा य निगाजीओ य संभोड्या मिया शनी तेसिं कप्पद अन्न मज्जे मेशावच्चं कारवतए, अस्थि या इत्य कोड यावच्चक कप्पड़ प, तेणं यावच्चं करावेत्तएशनतिर थाइ एह इत्य के वैयावच्चाकरे एवं एहं कप्पद अन्नगन्नेणं वेथावच्चं कारवेत्तए ॥९॥मू.२०॥ नियणन्धं च गं राओ वा विधाले वा दीडपट्टोलमेज्जा, स्थी वा पुरिमास मा. मज्जेज्जा, पुरिसो वा इत्थीए आमज्जैज्जा ।एवं मे कम्पइ.एवं से चि. दाइ, परिहारं च से न पाउण३, एम कप्पे धेरकप्यिशाणं रा एवं से जो कप्प३, एवं से जो चिहाइ, परिहारं च जो पाउणइ,एस कप्पे जिण-कोप्ययाणति बेमि 3 / 143 // 22 // पंचमी उद्देसी // 5 // . अथ षष्ठोद्देशकः। भिवयू य इच्छेज्जा लावा, एलए 1, जो से कप्पइ धेरै अणापुच्छिन्ता नार्यावहिं एसए कप्यइ से घेरे आपुच्छित्ता नार्यावडैि एत्तए / घेरा य से वियरेज्जा एव से क. ध्या जायविहिं एत्तए, धे। य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पड़ नार्यावाहे रत्तए 3/ जंत- हें विइण्णे नाविहि एइ से म. तरा छ वा परिहारे वा 41 जो मै कप्पई अप्पमुयस्य अध्याग मस्स एगणिय जार्थावा, एत्तए / कप्पर मे ने तत्प बडू सुए बझागमे तेण साडे जायावहिं एत्तए / लत्य से पुवा गमणेण पुब्बाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउते मिलिगसूत्रे, प्य यै चाउलादण पोरेगाहेलाए जो से कप्पर भिलासले पोराडेतए / तन्य पुयारामणे पुवाउने भिलिगसले पाउले चाउलोदणे, Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [230] श्री आगम मुधा सिन्धुः नवमो विभार कम्पइ से भिलिंगसूत्रे पाडणारे तए, जो से कप्पर चाउलोटणे पोरगगाहेत्तए / तत्थ से पुवागमणेण दोवि पुवाउत्ताई कप्पर में दौवि पडिग्गाहेत्तए / लस्य से पुव्वागमणेा दोषि पाउने जो से कप्पड़ दौवि परिग्गाहेत्तए 10 जे से तत्व पुव्वागमोणं पुवाउत्ते से कप्यर पडिग्गाहेत्तए,जे से लत्य पुवागमणेणं पच्छाउत्ते जो से कप्पर पडिगगाहितए ११।७२।।सू. 1 // आरियउवझायस्स गणसि पंच अइसेसा पन्नत्ता तं जहा -आयरियउवज्झाए अंतो उवस्मयस्स पाए लिगिज्झियर पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा जाइक्कमइ / आरियउउवज्झाए अंतो उवस्सथरस उच्चारं वा पासवणं वा विचिमाणे वा विसोहेमाणे वा जाइक्कमहरा आरियउवज्झाए प्रभू इच्छा वेथाव. डियं करेज्जा इच्छा जो करेज्जा 3 / आर्यायउबज्झाए अंतो उनमयस्स (उवरए) एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नाइक्कमइ 4 / भारियउव - ज्झाए बा िउवस्मयस्स एगराय वा टुरायं वा बसमाणे जाइकमाइ 5 / ॥सू.२॥ गणाघच्छेद्यस्य गं गणसि दो अइसेसा पन्नता,तं जहा - गणावच्छेइए अंतो उवस्मयस्स एगरायं वा दुराय वा वसमाणे नाइकमइ | गणावच्छेइए वाहि उवस्मथस्स एगरायं वा दुराय वा वन्समाणे लो अइकमा 2 / 26 // .3 // से गामंसि वा जाच संनिसंसि ना एगवगडाए एगदवाराए एगनिम्घमणपर्वसाए जो कप्पर बहणं अगड-मुयागं एगयो बत्थए / अन्धि थाइ एई केइ आयरपकप्पेधरे नत्धि था ण्हं के छए वा परिहारे वा 2 / जन्धि याइ ई केह आयारपकप्पधरे स. चेखि तेसि तप्यत्तियं छए वा परिहार वा 3 // सू.४॥से गामंसि वा जाब संजिवेन वा अभिनिव्वगाए अभिनिदुवाराए अभिनित्यमणापमणाए जो कप्पइ बहणं अगउसुथाणं एगयओवथए / त्धि थाइ एह केइ आयाश्पकप्पधर जेतपत्तिय रयणि मवसइ जत्यि या इत्धं कैद छए वा परिहारे वा 2 जस्थि या इत्य केइ आयारपकप्पधरे जे त. प्यत्तियं रनिं संवसर मवेसि तेमिं तप्पत्तियं छोए वा परिहारे वा 3 // 27 // . 5 // से गामंसि वा जाव मंजिवेससि वा ओमनिव्वगराए अभिनिधाराए अभिनिवस्यमणपवेसणाए जो कप्पद बसुयस्य व्र. ज्झामस्म एगाणि यस्स भिक्खुस्स अन्याए कमा पुण अप्यमय. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎聽聽聽聽 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्र :: उद्देशकः 60 231] स्य अप्यागमम्स भिवसुस्स ॥सू. ६॥से गामंसि वा जाव संणि, बेससि वा एगबगाए एगदुवाराए अभिनिवघमणपसाए कप्पड़ बहुम्सुथरस बज्झारामस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहुनो कालं मिक्युभावं परिजागरमाणस्स '357 // सू.७॥ जत्थ एए बहवे इत्थीओ अ पुरिसा अ पण्डायन्ति तत्व से समणे निग्गंधे अ. जयरंसि अचित्तमि सोयंमि सुक्यापोगाले निग्धाएमाणे हत्थकम्म. परिवणपत्री आवज्जइ भासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं / / जत्थ एए बहवे इत्पीओ अ पुरिमा अपहायन्ति तत्व से समणे निग्गंधे अन्जयरंसि अचित्तसि सोयोस सुक्कपोग्गले निग्याएमाणे मेहुणपडि. सेवणपने आवज्ज चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं 2 / 367' ॥सू. // जो कप्पइ निग्गांधाण वा निग्गीण वा निग्गंधि अण्णगणाओ आगया युधाया सबलायारं भिन्नाया संकिलिडायाचरितं तस्म डाणरम अणालोयावेत्ता अपोरक्कमावेत्ता अनिन्दावेता अगरहावेत्ता अविउट्टावेत्ता अविमोहावेत्ता अकरणाए अणभुट्टावेत्ता अहारिह पायच्छित नबोकम्म अपरिवज्जावेत्ता उवडाक्तए वा संभुजित्तए वा संचसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिस वा अदिस वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा २॥सू.९॥कप्पा निग्गंधाण वा निग्गंधी वा निगधि अन्नगणाओ आगयं घुयायारं सखलाया भिन्नाया संविलिदहायावरिन तरस ठाणस आलोयावेत्ता पडिक्कमावेत्ता निन्दापेक्षा गरहावेत्ता विउटावेत्ता विसोहावेता अकरणाए अब्भुढावेत्ता अहोर इं. पार्थाच्छतं तवोकम्म पडिवज्जावेत्ता उदहावतए वा जाव धारेत्त ए वा 3. .10 / / जो कप्पर जिग्गंधाण वा निग्गंधीण वा निग्धं अन्नगणाओ भागय सुयायानं सबलाधारं भिन्नाथारं संकिलिहाया सारनं तस्स हाणम्स अणालोयावेत्ता जाव उहिसित्तए वा धारेत रवास.कप्पर निर्णधाण वा निग्गंधीवा निगंध अण्णग जाओ आगय खुयायारं सखलाया२ भिन्नाथार संविलिदायारचरितं तस्स रणस्म आलोयावेत्ता जाव उद्दिस्सित्तए वा धारित्तए वाति डोम / / मू. 12 // छडो उद्देसओ // 6 // Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 अथ सप्तमोदेशकः। .. जे निगन्धा य लिपीओ य संमोत्या सिय नो कप्य नि-निको मच्छिना निधि भलागणाी आगयं सुयाया सहा भिन्ना मिनिट टारचोरेन तस्म डाणस्य अगालोमाना जाच पर्याप्तधोका परिवज्जाटो. ना पुच्छित्ता वातार वा उचहावेत्तर का संक्षिपए वा गंभि भए वा तीसे इतरिय दिसा देसंवा अई सित्तएका धारेत्तए वा ॥सू.१॥ जे निधाय जगाओ य संभोइया सिया कप्पर नि. गन्धी नियम०५) आपूच्छित्ता जिगन्धि अन्नगणाओ आगयं युयायारं सबलाथा भिन्नाया संकिलिडायरचारतं तस्स राणम आलोयावेत्ता परिस्कमावता जाव उवट्ठावेत्तएवा संभुजित्तए वा संव. सित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसंवा अणुदिसंवा उदिमित्तए वा धारिनए वा ॥सू०२॥ज लिगन्धा य निगान्धीओ य संभोइया सिया कप्पा नि- . ग्गन्धाणं निधीगो य आपुच्छित्ता वा अणापुच्छित्ता वा निग्गन्धी अण्णगणाओ आगयं घुयाया जाब तस्स हाणस्य आलोचित्ता परिक्कमावेत्ता जाव उववित्तए वा संभुअित्तए वा संमित्तए वा तीस इतर. यं दिसंवा अदिसंबाहिभित्तए वा धाश्तए वा रातंच निगान्धीओनी इच्छेज्जा सयासेवामेव नियंडाणं जाव उवहावेत्तए वा संभुचित्तए वा संवसित्तए वा ती इरियं दिसंवा अणुदिसंवा उदोसना वा धारतए वा // 44 // 9.3 // जे लिगाया य निगान्धीओ य संभोड्या सिया जो एहं कप्पइ पारोक्यं पारिएक्कं संभोड्यं वि-संभोग करता, कप्पर हं पच्चक्यं पारिएक्का संभोइयं विसंभोग करेत्तए वाजत्थेवते अन्नमान्न पासेज्जा तत्व एवं वएज्जा अर' अज्जी ! तुमाए साई इमम्मि य 2 कारणाम्म पचवमा परिएक्का संभोग विसंभोगं कमि ३।से य पोडेतप्पज्जा, एवं से जो कप्पर पच्चम्यं पारिएक्कं संभोइयं विसंभोग करेत्तए,से य जो परितप्येज्जा एवं से कप्पर पच्चक्त्वं पाडिएक्कं - भोइयं विसंभोगं करेत्तए 4 सू.४॥ जाओ निग्गन्धीओ जानि. ग्गन्धा या संभोइया सिया शनी मंहं कपाइ निगान्धिं पच्चाक्यं पा. डिएक्कं संभोइयं विसंभोग करेनाए, कप्य३ 9 पारोकप पोर Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽囊 श्री व्यवहार सूत्र :: उद्देशकः 7 233] एक्कं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए / जत्थेव ताऔ अप्पणी आयरियउवज्झाए पासेज्जा तत्व एवं वएज्जा 'अहं भंते ! अमुगीए अज्जाए सदि इमम्मि कारणम्मि पारोवयं पडएक्कं संभोग विसं. भोगं करेमि ३१सा य से परितपोज्जा एवं से जो कप्पा. पारोक्य या डिएक्कं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, सा य से नो परितप्येज्जा एवं से कप्पड पारोक्त्रं पाडिएक्कं संभाइयं विसभोगं करेत्तए 4 // 4 // . ५॥जो कप्पइ निग्गन्धाणं जिग्गन्यि अप्पणो अरठाए पचवित्तए वामडावेत्तए वा सियाचित्तए व. सहावतएव उवदहावेत्तए वा समुंजिनए वासंसित्तए वा तीसे इन्तरिय दिसंवा अणुदिसंवा उहि सत्तए वा धारेत्तए वा // .6 // कप्पर जिEL: निगन्धिं अन्नसिं अठाए पव्यावतए वा मुण्डावेतए वा सिक्योवित्तए वा सेडावेत्तए वो उवहावेत्तए वा संभुंजितए वा संसितए वा तीसे इनरियं दिसं अणुदिसंवा उहिसितए वा धारेत्तए वा '१५८॥सू.७॥जो कम्पा जिगान्धाण निगान्य अध्यणो अटाए पव्वावेत्तए वा मुंडावेत्तए वा जाव धारितए वा। सू०८॥ कप्पर निग्गीण निगाधि अढाए पचावेत्तए वा जाव धारितए वा एम.९॥ जो कप्पड जिग्गंधीण विकिदिव्यं दिसंवा अणुदिसंवा उहिमित्तए वा धारेतए वा॥सू.१०॥ कस्पद निर्णधाणं विविडियं हि. संवा अणुदिन्स वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा १४४ासू.११॥ जो क. प्पर जिग्गंधाण विवि दहाई पाहडाई विभओसवेत्तए ।सू.१२॥ कप्पर जिग्गंधीणं विविाढाई पाहुराई विभओसवेत्तए १७९॥.१३॥नो कय्य इ निर्णधाण वा निगांधीण वा विकिट्टे काले सज्झाय उहि सित्ताए त्रा करताए वा सू.१४॥ कप्पर निगांधीण विक्डिएकाले सज्मायं करेनाः निगाधनिटमाए 264 // सू.१५॥नो काप्प३ निगाभाण वा निगांधी का सज्झाइए सज्झायं करेन्तए। सू.१६॥ कप्पइ निधाण वा निगांधीण वा यज्झाइए सज्झायं करेत्तए।सू.१७॥ जौ कप्स लिगंधाण वा निग्गीण वा अप्पणो असन्झाइए सन्मा. करना.कप्पा अन्जमन्जस्य वाराणंदलत्ताए निवासपोरयाए समागो जिग्गंधतीयवामपरियाया समयनिgirito कप्पर वज्झर्थताए उहि सत्तः ॥सू.१९॥ पञ्चवासपोर 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [23. श्री आगम मुधा सिन्धुः नमो विभाग: थाए समणे जिग्गंधे सरिडवासपोरयायाए समणीए निगगंधीए कप्पड़ आयोउवज्झायत्ताए उहिसित्तए '416 // मू.२०] गामाणुगार्म दुइज्जमाणे विन्यू अ आहेच्च वीमुम्भेज्जा, तंच सरगं कर साहम्मिया पासेज्जा, कप्पइसे तं सनीरया मा सागारियमितिकटुतं मीशां ए. गंते अञ्चिते बहफामुए धरिले परिलहिता पज्जिता पोरहवेत्तए 1 / अस्थि वा इत्य कोई साहम्मि यतिए उवगरणजाए परिहररिहेकप्पडणं से सागारकडे गहाय दोच्चपि ओगई अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए २।४७२।।सू.२१॥ सागारिए उवस्मयं वक्कएणं पउजे. ज्जा से अवक्कइयं वएज्जा 'इमोम्ह य इमम्हि य मोवासे समणा निग्गन्धा परिवसति ?, से मागारिए परिहारिए 21 से य जो वाएज्जा, वक्कइए वएज्ज्ञा-इमम्मि य इमम्मिय ओबामे समणा निग्गन्धा पनिवसन्तु, से सागारिए परिहरिए ।दीवि ते वाएज्जा-अमि२ ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्तु,दीवि ते सागारिया पारिवारिया 4 // 22 // सागारिए उवस्सथं विक्किणेज्जा से यकइयं वएज्जा-मम् य इम्हि य ओवासे समणा जिग्गन्धा परिचसन्ति, मे सागारिए पारिहारिए / से य जो एवं वाएज्जा, काइए वएज्जा-अयंसिर ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए ।दोवि सेवाएज्जा- अर्थसि 2 ओवासे समणा निग्गन्या परिवसन्तु दौवि सागारिया पारिहारिया ४॥सू.२३।। विहवधूया जायकुलध्यवामिणी सांविधावि भोग]. ई अजयचा सिया किमहः पूण तप्पिया वा भाया वा पुत्ते वारसे य दोबि ओगहं ओगेण्डिधव्वा मू.२४॥ पहिएवि ओगई अणुन्न - वेयचे ५१७॥सू.२५॥ से रज्जपरिवसु संपरेमु अवागडेन अव्लोच्छिन्नेसु अपरपोरेगोहएस भिक्युभावरस अढाए सच्चेव ओ. गगहरूस पुवाणुज्जवणा चिदहइ महानन्दवि ओगहे / / .36 // रजापरियटेम असंधडेन्म बागडेन्ट वाच्छिज्जे-सु परपोरगहिएम भि. काबुभावस्म अटहाए दोच्चपि ओगाहे अणुन्जवेयने मिया 545 / / ॐ॥ सत्तमो उद्देसओ॥ अथ अष्टमोद्देशकः। गाहा // उदु पन्नीरसहित नए गाहाए ताई पाsm Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्र : उद्देशकः 8 235] ताए उवासन्तराए जमिण सज्जा संधारगं लभेज्जा तमिणं ममैव सिंथा 1 / धेरा.य से अणुजाणेज्जा तस्मेव सिया / धेश य से नौ अणुजाणेज्जा एवं से कप्पा आहाराहाणेयाए सेज्जासंधारगं पोडेगादेत्तए ३॥सू. से य अहालहमगं मेज्जासंधारगं गवे मेज्जा,जं चकिया एगेण हत्येण ओगिन्मिय जाब एगाई वा दुयाई वा तियाहंवा अद्धाणं परिवहितए, एस मे वामावासामु विस्म / / सू. 2 // से अहालसग मेज्जामधाशां गये मज्जा, चक्किया एगेण हत्येणं ओगिझिय जाव एगाई वा दयाहं वा निगई वा अद्घाणं पानवाह. त्तए एस मे हेमन्तगिम्हास भविस्मास.॥से महालासगं. ज्जा संधारया जाएज्जा, जं चक्किया एरोणं इत्येणं ओगिझिय जाव.एगाई वा दुयाहं वा तिथाई वा चउथाहं वा पंचयाहं वा दूरमोच अद्धाणं परिवाहितए, एम मे चुइछावामामु भविस्मइ 92 // 4 // धेगणं धेरभूमि पत्ताणं कप्पडू दंडए वा भंडए वा उत्तए वा मन्तए वा दिया वा (भिसिं वा) चेले वा (चेलोचालमिलिया वा) चम्मे वा (चम्मकोसए त्रा) चम्मपलिच्छेयणए वा अविरहिए ओवासे डवेत्ता गाहावइकुतं भ. नाए वा पाणाए वा (पिंडवायपडियाए) पविमित्तए वा निक्ल्यमित्तए वा, कप्पड से संनियट चारिस्म दोच्चपि ओगाहं अणुन्नवेत्ता परिहरित्तए ९२३१॥स.५॥ जो कप्पर जिगान्धाण वा निग्गन्धीण वा पा. डिहारियं वा मागारियमंतियं वा सेज्जासंधारगं दोच्चधि औग्गहं अप. गुन्जवेत्ता बहिया नीहरित्तए ।सू.६॥ कप्पर जिग्गन्धाण वा जिग्गांधी. वा पारिडास्थि वा सागारियसंलियंवा सेज्जासंधारगं दोच्चचि भोगई अणुज्जवेत्ता बडिया नीहरित्तए / / .7 // जो कमाइ निग्गन्धाण वा जिगान्धीण वा परिहारियं वा सागारियलियं वा सेज्जासंधारगं पच्चप्पिणि सा दोच्चपि तमेव भोग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिटिहत्तए ।सू. // कप्पर जिग्गयाण निग्गन्धीण वा पारिहरियं वा सागरिय-मलियं आ सज्जासंधारग "पच्चप्पिणिन्ता दोच्चपि तमैव भोगाई अणुन्नवेत्ता अहिदहनए॥सू.९॥ जो कप्पर निगान्धाण वा निगान्धीण वा पुयामेव ओगाई औगिणिहत्ता तो पच्छा अणुन्नवेत्तए ।सू.१०॥ कप्पर जिग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा एन्चामेव भोगगई अणुन्जवेत्ता नभी पच्छा औगिहितए 1 / अह पुण एवं Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 [236] श्री आगग सुधा सिन्धुः 1 नवमो विभागः जाणेज्जा-इह चल जिलाधाण वा निगान्धीण वा नो मुलभे पाहिरिए सेज्जामंधारएतिकटु एवं कप्पड पुब्बामेव ओग्गएं ओगिहितात. ओ पच्छा अणुन्नवेत्तए रामा वहउ अज्जो ! बिइयत्वइ) अणुलोमेणं अगुलोमेथव्ये सिया ३१५३॥सू.॥ निग्गन्धस्स में गाहावाकुलं पिणवा. यपाडेयाए अणुविदहस्म अहालहुमए उवगरणजाए परिभो मिया ॥तं च कई साहम्मिथा पासेज्जा कप्पर में सागारकडं गहाय जत्थेव ते अ. ज्नमन्नं पासेज्जा तत्धेन एवं वएज्जा-इमे ते अज्जी! किं परिन्नाए 1 से य नएज्जा-परिन्लाए, तस्सेन परिणिज्जाएयचे मयारासे य वएज्जा-नौ रिन्नाए,तं नो अप्पणा परिभुजेज्जा, नो अन्नमन्नस्स दावए,एते. बहु. फासुए परमे धोएले परिदडवेयचे सिया ३॥सू.१२॥ निग्यास्म णं बहिथा बिधारभूमि वा विहारभूमि वा निकतम अहालसए जाव परिहयः व लिया ॥सू.१३॥ निगान्धस्स गं गामाणुगाम दुइज्जमाणस्म अन्नथरे उगरणजाए परिभरडे सिया ॥तंच कई साहम्मिया पासेज्जा, कप्यइ से सागास्कडं गहाय दूरवि राणं परिवहितए राजस्व अन्नमन्जं पासेज्जा तत्थेव जाव परिहथव्वे मिथा ३।२१०॥सू.१४॥कथ्य निग्गन्धाण वा निगान्धीण वा अरेगरि गई अन्नमन्नस्स अहाए दूरवि अद्धाणं परिवाहित्तए वा धारेनए वा परिहरित्तए शसो वाण धारेमद अहं वा गं धारेसामि अन्नो वान धारेसइ' नी से कप्पड तं अणापुच्छिर्य अणामन्तिय अन्नमन्नेसिं दावा अणुप्पया वारा कप्पड से तं आए. छिय आमन्तिय अन्नमन्नेसिं दाउँ वा अणुप्पथाउं वा 3 / 3.7 // . 15 // अटकुक्कुरिभण्गप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे निगान्ये अप्पाहारे / दुबालमकुक्कुभिण्गप्पमाणमेले कवले आहारं आहोरेमा णे जिग्गन्धे अनइटोमोरिया सोलसकरिअणुगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारैमाणे निग्गन्धे टुभागपत्ते,चवीस कुक्कुरिअण्णुराप्यमाणमेसे कवले आहार आहारेमाणे निगान्धे विभागपत्ते मिया ओमोरिया, एप्रतीसं फुयरिभण्एगप्पमाणमेत्ते कक्ले आहार आहारेमाणे निगान्य किंचूणोमोरिया, बतीसकुक्कुरिअगष्यमाणमेले कवले आहारं आहारमाणे निगान्धे पमाणपत्ते, एत्तो एगेवि कवलेणं ऊणगं आहार आहारेमाणे समणे निणये नो पकामभौइति वत्तवं सिया तिमि २३०॥सू.१६ / / / Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 讓聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽幾 श्री व्यवहार सूत्र उद्देशक 9] (217] अहटमो उसओ // // अथ नवमो देशकः। सागरियान भाएसै भन्नौ वगाए भुवइ लिहिए निसिटूडे पारिहारिए, तम्हा दावए जो से कप्पद परिगाईलए // मू.२॥ सागारियस्म आएसे अंतो वगाए भुञ्जइ निदिहर निसिटहे अपोडेहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पड परिगाहेत्तए ॥सू.२॥ सागरियस्म आएसे बाहि वगाए भुञ्जइ निहिए निमिट्ढे पाहिहारिए तम्हा दावए,जो से कप्यइ परिगाहेत्तए ।सू. ३॥सागारियरस आएसे बाहिं वगराए भुंजइ जिहिए निसट्टे अपरिहारिए सम्हा दायए एवं से कप्यइ परिगाहेत्तए ।सू.४॥ सागानियस्स दासेड़ वा पेल्वे)सेइ वा भथएइ वा भइण्णएइ वा अंतो वगराए भुखद निरिए निमिष्टो पारिहारिए, तम्ह। दावए जो से कप्यह पडिगाडेलए अंतो वगा भुञ्जइ निदिहए निसिढे अपरिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पइ पाडगाउनए बाहिं वगडाए भुना निहिए निमिट्ठे पारिहारिए लम्हा दावए नो से कप्पइ पोडेगाहेत्तए, बाहि वगडाए मुंजइ निदिडए निस? अपरिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पाडगाहेत्तए॥सु.५-२॥ सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए अंतो सागाोरेयस्स एगपयाए सागारियं चोवजीवइ तम्हा दावए जो से कमाइ पोरगाहेत्तए / / 09 / / सागारियरस नाथए सिया सागारियरस एगवगराए अंतो सागारियस्स अभिनिपथाए सागारियं चौघजीवह तम्हा दावए,जो से कप्पड़ पंडिगाहेत्तए ।सू.१०॥ सागारियस्म जायए सिथा सागारियरस एगलगराए बाहिं सागारियरस एगण्याए सागारियं चोवजीवइ नम्हा दावए नो से कप्पड पाडगाहेत्तए ।सू. 1 // सागारियरस जायए सिया भा. गारियस्म एगवगराए बाहिँ सागारियरस अभिनिफ्याए सागारियं चोवजीवह तम्हा दावए नो से कप्पड परिगाहेत्तए।।सू.१२॥ सागारियरस नाथए सिया सागारियरस अभिनिवगडाए एगट्वाराए एगनिक्यमणपसाए अंतो सागारियरस एगपथाए भागारियं चोवजीवइ तम्हा दावए जो से कप्पद परिगाहेत्तए।सू. 13 // सागा रियरस नाथए सिया सागारियरस अभिनिष्ट/गडाए एगदवाराए एगनिवघमण पवे. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [23] साए सागारियरस अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ तम्हा दावए जो से कभ्यइ पहिगाहेत्तए ।सू.१४॥ सागारियस जायए सिथा सागारियम अभिनिव्वगाए एगटुवाराए एगजियमणपवेसाए बाहिँ सागरियस्म एगपयाए सागारियं चोवजीवह लम्हा दावए जो से कप्यइ परिगाहेत्तए ।।सू.१५॥ सागारियन्स जायए सिया सागारियस अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिम्यमणपसाए बाहिं सागारियरस अभिनिफ्याए सागारियं चौवजीवइ तम्हा दावए जो से कप्पइ परिगान्तए 20 // मू.१६॥ सागारियस चरियासाना साहारणवक्यपउत्ना तम्हा दावए जी से. कप्यइ पडिगाहेत्तए॥सू.१७॥ सागारियन्स चक्किथासाला निस्साहारणवक्कयपउन्ता तम्हा दावाए एवं से कप्पा पोडेगाहेत्तए ।सू.१८॥ सागारिय. स्स गोलियभाला। सू. 19-20 // बोधियसाला,दोसिथसाला, सोत्तियमा. ला, बोडियसाला, गन्धियमाला, जहा एवं से कप्पर पोडेगाहेत्तए।सू.१. 30 // सागारियरस सोयिसाला ॥सू.३१-३२॥सागारियरस ओसहीओ संघराभो तम्हा दावए, जो से कप्पइ परिगाहेत्तए ।।सू.३३॥ सागारियस्स ओसहीओ असंथाओ, तम्हा दावाए, एवं से कम्पइ परिगाहेत्तए ॥स०३४॥ सागारियस्स अंबमला संधडाभीजावतम्हा गावए,एवं कप्पर पलिंगाहेत्ता (सागास्थिनायए सिया सागास्थिन्स एगवगडाए एगदुवाराए पुगनिश्चमणपवेसाए सागाश्यिस्स एगवयू,सागाश्थिंच उवजीवइ. तम्हा दावए जो से कप्पर पोडेगाहेत्ताए / सू.३६-१॥ सागारियनाथए सिया सागरियस्स एगवगडाए एगटुवाराए एनिक्षमणपसाए सागारियरस अभिनिवथूमागारियं च उव जीवइ, तम्हा दाचए, जो से कप्यइ पोडेगाहेत्तए ।सू.३६-२|| सागारियनाथए सिया सागारियस्य अभिनिव्वगडाए अभिनिवागए अभिनिवस्वमणपसाए सागारियरस अ गवयू सागारियं च उपजीवड,तम्हा दागए,नो से कप्पड पोरगाहेत्तए ॥सू. 36-3 // सागारियजायए सिया सागारियस अभिनिव्वगडाए भभिजिदुवाशए अभिजिवनमणपये साए सागारियरस अभिनिवयू सागारियं च र वजीवई, तम्हा दावाए, जो से कप्पा पोडगाहेत्ताए ।-०३६-४1)१४॥सू. 35-36 // सत्तसत्तमिया गं भिक्धुपडिमा गं एगणपन्ना राईदिएहि एशेणं उन्ज भिक्यामएणं. अहासुत्तं अड़ाकप्पं अहामणगं अहात 獎獎獎獎獎獎獎獎獎選獎獎獎 Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार उक: 1] [239] च्च अहासम्म फासिया पालिका सरिया तास्थिा. किटिया भणाए. अणुपालिया भवइ / / सू.३७॥ अहअहमिया ण भिमन्युपरिमा णं चउः सट्टीए राइदिएहिं दोहि य महाभी भिवल्यास अहामुतंजावे अणुपालिया भवः // सू.३८॥ नवनमिया गं भिक्युपडिमा गं एगासीपहिं राइदिएहि चउहि य पञ्चत्तहिँ भिवयासहि पहासुन्तं जाव अणुपालिया भवइ ।।सू.३१॥ दसदसमिया गं भिक्षुपोडेमा णं एगे राइंदियसरणं अखण्डेहि य भिक्यासह अहासुतं जान अणुया. लिया भवइ ५॥सू.४०॥ दो परिमाओ पन्जनाओ, जहा- डिया चैव मोथोडमा, महल्लिया व मोथीरमा / मुडियणं मोयपरिमं प. डिबन्जल्स अणगारस्म कप्पइसे पठमसरयकालसमर्थसि वाचरिमनिदाहकालसमधंसि वा,बहिया डाइयग्या गामस्स माजाव संनिसस्म रावणमि का वर्णविदुग्गंसि वा पक्ष्यसि वा पवविदुरागसि वाराभोच्चा आसभइ चोइसमेण पारी अभौच्या आसभा सोलसमेणं परिइ। जाप जाए मौए आइथव्ये दिया आगच्छ दिया चैव आइयले गई मा. गच्छ जो आइथब्बे, सपाणे मते आगच्छ जो आरव्ये अपाणे मते आगच्छ आइथचे 4 / एवं सबीए ससिणि ससरवटमले आगच्छा जो आइयच्चै 5 / अबीए असिणि? अससरस भने आगच्छद आयो / जा. एजाब मोए आश्य में अप्य वा बहुए वा एवं खलु म' कोइरया मोथपडिमा महामन्तं जाव अणुपालिया भवः ॥सू.११॥ महल्लियाणां मोपोरेमं परिवन्नस्म भणगारस्स कम्यर से परामसरथकालीम जाव पा. यविदुगामि वा / भोच्चा आलभः सोलसमेण पारइ, अभोच्या आकभई अडारसमेण पारेड 2 जाए जाए मोए आयव्ये तह- विया आगच्छद। ॥सू.४२॥ संसादान्तथरस गं भिवायुस्स पडिग्गडधारिसमजाहावाकुलं पिर वायपडियाए अणुविदहस्य जावतिय र कर अन्तो पोडेग्गइंसि उवहन्तु दलएज्जा सावइयाओ दत्तीभी उत्तवं सियारातत्व से कई छप्पएण वा दूसरण वा बालएण वा अन्तो पडिग्गहंसि उच्चिन्ता दलाएज्जा सनाविणं सा एगा दन्ती बन्तव्य सिया. नस्य अहवे भुञ्जमाणा सच्च सयं सय वि साहणिय 2 अन्तो पडिगह सि उच्चिसा दल एज्जा सला. वि | सा एगा दतीति वनव्व सिया 3 // 43 // संघानियस्य भि Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽幾選獎 [20] श्री आगम मुधा मि-धुः 0 नवमो विभागः क्रस्म पणिपोरगरि यस्म जावइयं 2 अन्तो पाणिनि पोरगहोस उच्चत्ता दलज्जा तावड्याउ वत्तवं सिया ११५'।सू.४४॥ तिविहे उवहडे पन्नते,तं जहा- मुखोवहरे फानिभोवहरे संसट्टोबहो।सू.४५॥ तिविहे ओहिए पन्नते,तं जहा-जं च औगिएइ जंच माहर जंच भासामि पवियवइ,एगे एवमासु, एगे पुण एवमासु-दुविहे ओहिए पन्नने, तं जहाजंच ओगिण्हई च आसगंसि पवियव ति बेमि 128/. // नवमो उद्देसओ॥९॥ अथ दशमोद्देशक:। दो परिमाओ पन्जनाओ, तं जहा-जवमझा य चन्दपरिमा, वइरमज्झा य चन्दपारमा राजवमन्झण्ण चन्दपरिमं परिवन्नस्स अणगारम्स मासं निच्चं बीसदहकाए चियतदेहे जे कई परिमहोवसग्गा समुप्पज्जति, तंजहा-दिव्चा वा माणुस्सगा वा तिरिक्यजोणिया वा,अणुलो - मा वा परिलोमा वा रातस्थाणुलोमा वा ताव वंदैजवानमंसेज्जवा सका रेज वा सम्माणेज्ज वा कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासेज वा। तत्व परिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा अदिष्णा वा जोत्तेण वा नेतेण वा कसेण वा काए आउडेज्जा वा,तेसचे उप्पन्ने सम्म सहेज्जा स्वमेज्जा तिइक्वेज्जा अहियासेज्जा,४ जवमझण्णं चंदपाउम परिवन्नम्म अणगारस्म सुक्कपक्स्स्स से पारिवाए कप्पाइ एा दत्ती भोयणम परिगाहेत्तए एगा पाणगरम पासोहिं दुप्पयचउप्पथाइएटिं आहारकंसीहि सत्तेहिं परिणियतेहिं अन्नायउञ्छ सुद्धोबडं (निज्जुहिता बहवे समणमारणअहि-किवण. वणीमगा),कप्पड़ से एगरस भुञ्जमाणस्स परिगाहेत्तए,जो दोमु नो तिष्ठं जो चउण्ठं जो पञ्चण्ठं नो गुधिणीए जो बालवत्याए जो दारगं पेज्जमाणीए जो से कप्पइ अंतो एलुयरस दोधि पाए साहट्टु दलमाणीए पडिगाहितए, जो से कप्पइ बाहिं एनुयरस दोवि पाए साहदु दलमाणीए पडिगाहेत्तए ७अह पुण एवं जाणेज्जा-एणं पायं अंतो किच्चा एगं पायं बाहिं किया, एलुयं विवयम्भइत्ता, एयाए एसणाए एसमाणे लज्जा आहारेज्जा,ए. याए एसणाए एसमाणे नो लभेज्जा णो आहारेज्जा साबिइयाए से कप्पर दोणि दत्सीओ भोयणस्म पाडेगाहेत्तए दोण्णिा पाणगस्स सध्वेहिँ दुप्प Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎選獎獎獎 श्री व्यवहार सूत्र : उद्देशक. 10 2 .1] सचउप्पथाइ, आहार कस्सीपीसत्तेहिं परिनियत्ते, अण्णायं उ/ सुद्धोवहीं कप्यइ जाव को आगरेज्जा ९।एवं तय तिणि जाब पन्तरसीए पन्नरस 10 / बहलपम्यस्य पडियए से कप्यति चौदस जाव चोदसीए एका इनी भोयरस एक्का प्रस्म मध्ये प्रयचउप्पय जावनो आहारेजा अमावासाए से य अभत्तहे भवद 11' एवं खलु एमा जबमझचंदपीडमा अहासुत अहाकप्यं जाव अणुपातिया भवति 12.1 // वाइरमझंजचंद पाडम परियनस्स भणगारम्स मामलेच्छ यो महाकाए जाव अहियासेज्जा 1 // वरमझं चंदपोरेम पोडेवल्लम्स भागारस बालपक्चस्स परिवए काप्पड़ पण्णरस दत्ताभो भोयणस्स पोरेगाहित्तए पण्णम्स पाणगस्म,सचेहिं दुपयचउप्पय जाच जो आहारज्जासबीयाए समाप्पइचोद्दम,एवं पन्नर सीए एगा दत्ती 3 / पोरवाए से कप्यइ दो दत्तीभो,बीयाए तिन्नि जायच. उद्दसीए पण्णरस पुण्णिमाए अभन्न? भव३ 4 // एवं मनु एसा वइरमज्झंचंदपोरमा अहामुत्तं अहाकप्य जाव भणुधालिया भवइ 5 / ५.॥सू. 2 // पंचविहे ववहारे पन्जते,तं जहा आगमे सुए आणा धारणा जीएतत्य आगमे सिया आगमो वनहारे पढवियध्ये राजो से तत्य आगमै सिया,सु. एण यवहारे पहावयच मिया ।जो से तस्य सुए मिया,जह से ता आणा सिया, भाणाए ववहारे पडवेयध्ये सिया / जो से तत्य आणा मिया,जहा से तत्य धारणा मिया,धारणाए ववहारे पय सिया ५॥णो से सत्यधारणा सिया, जहा से तस्य जीए सिया,जीएण ववहारे पडवेयध्वे सिया / एएवं पंचोरें ववहारे िववहारं पडवेज्जा, तंजा - भागमेण सुएणं आ. गाए धारणाए जीएणजहा 2 आगमे सुए आणा धारणा जीए तहार ववहार पहविज्जा से किमा भन्ते !1 आगमबोलाया समा निग. न्या 9 / ध्येय पंचोवर चवहार जया 2 जरि 2 जया 2 तोहें 2 ओरिस. ओस्सियं ववहारं ववहारमाणे समणे निगान्धे आणाए आराहए भवति १०/७१५।।सू.३॥ चनौर मुरिसज्जाया पन्नता,तं जहरा-भदहकारे जामं एगे जो माणकरे, माणकरे जाम एगे जो अहकरे,एगै अदहकरोव माणकरेवि, एग जो अहकरे जो माणकरें २९/सू.४॥ चनारि परिसज्जाया पत्ता , जरा- गणटकर जाम ए जो माणकर,माणमरेजाम एगे जो गणहकरे, एगे गणहमरेच माणकरोच, एगे जो गदहकरे जो 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 [22] श्री आगम मुधा मि-धु: 0 नवमो विभागः / जो माणकरे ७३३'।सू.५॥ चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता,तं जहा-ग.. णसंगहकार नाम एगे,जो माणकरे,माणकरे जाम एगे जो गण संगहकरे, एगे गणसंगहकरेवि माणकरधि, एगे नो गणसंगहकारे नो माणकरे, ७३५।।सू.६॥चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता,त जहा गणसोहकार नाम एगे जो माणकरे.माणकरे नाम एगेनो गणसोहकरे एगे गणसोहकवि माणकरेषि, एगे जो गण सोहकरे जो माणकरे / / २.७॥चत्तार पुरिसज्जाया पन्जत्ता, तंजा-गणसोहिकरे नाम एगे जो माणकर,माणकरे जामं एगे जो गण सोहिकरे, एगे गणसोहि करेवि माणकारवि, एगें जो गणसोहि करे जो माणकरे 739 // सू.८॥ चन्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा-रुवं जामेगे जहङ्क नो धम्म, धम्म नामेगे जहइ जो सचं एगेसचंपि जहइ धम्मपि जहन एगै नो सवं जहइ नौ धम्म जहइ 743 // 9 // चन्तारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता,तंजहा-धम्म जामेरो जहइनो गणसंहिई,गणसौई नामेंगे जहइ नो धम्म, एगे धम्मपि जन गणसहईपि जड्डू,एगे जो धम्म जहइ जो गणसंहिइं जहइ 747 // मू.१०॥ चत्तारि पुरिसज्जाथा पन्नरा, नं जहा-पियधम्मै नामेगे जो दग्धम्मे,दग्धम्मे जामेगे नो पियधम्मे,ए. गे पियधम्मेवि दठधम्मेधि, एगे नौ पियधम्मे नो दधम्मे 753 // सू.११॥ चन्तार आयरिया . पन्जत्ता,तं जहा- पव्वावणारिए जामगे जो उबदहावणारिए, उवहाबणारिए नामेगे जो पचावणारिए, एगे पव्वावणा. थरिएवि उपहावणारिएवि, एगे जो पव्यावणारिए जो उवढावणायरिए, 756' / सू.१२॥ चत्तारि आरिया पन्जत्ता,तं जहा- उद्देसणारिए जामेंगे जो वायणायरिए, वायणारिए नामे जो उद्देसणारेए, एगे उद्देसणारिएवि वायणारिएवि, एगे जो उदसणारिए जो वायणारिए,७५७ // 22 // यतारि अंतेवासी पन्जत्ता, तं जहा-पव्वाधणभंतेवासी नामैगे जो उवहायणअंतेवासी, उवहावणांतेवासी णामेगे जो पव्वाव अंतेवासी, एगे पव्यावणांतेवासी उवहावणांतेवासी. एगे जो पच्चावणांतेवासी जो उवट्ठायणांतेवासी ॥सू.१४॥ चत्तारि अंतेवामी पन्नत्ता, तंजहाउद्देसण तेवासी, पो उद्देमणन्नेवासीवि वाधण नेवासी जो उद्देमण. नेवासी नो वायणन्तेवासी '759 ॥सू.१५॥ तो भूमा जनओ, यणन्तेवासी. वायण नेवासी 聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎 Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री व्यवहार सूत्र उद्देशक 20] [23] तं जह-जाइधेरै सुयधेरै परियायधेरे,सहवास जायए समणे निगान्थे जाइधेरे, हाणसमवायघरे समणे निग्गन्धे सुयधेरे, वीसवासपरियाए समणे निग्गन्धे पोरयायधे३७६४॥ सू.१६ / / तओ सेहभूमीओ पन्न.. नाओ,तं जहा- सनराइंदिया चाउम्मासिया धम्मासिथा, धम्मासिया उ• क्कोसिया चाउम्मामिया मज्झिमिया सत्तराइन्दिया जहन्जिया'८०७' ॥सू. 17 // जो कप्पर निगान्धाण वा निगान्धीण वा घुइडगं ना घुडि. यं वा ऊण डबामजाय उवडावेत्तए वा संभुत्तिएवा ॥सू.१८॥कप्य इ निगान्धाण वा निगमपीण वा सुइडगं वा घुडियं वा माइरेगह. वासजायं उबहावेनए वा संभुञ्जित्तए वा '११४॥सू.१७॥ जो कप्पइ जिग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा घुइडगरस वा न्युड्डियाए वा अव्व. आणजायरस आधारपकप्पे नामं अज्झयणे उहिमित्तंए। सू.२०॥ कप्प३ निगन्याण वा निगान्धीण वा सुगरस वा न्यो उयाए वा वचणजार्थस्य आधारपकप्ये जाम अज्झयणे उद्दिमित्तए मु.२॥ तिवासरियायस्य समणस्य निग्गन्यरस कप्या आधारपकाप्ये नाम अज्झयणे. हे सेन्तए ।सू.२२॥ चउवासपोरयागस्स समणस्स निगान्ध. स्य कप्य सूयगडे नाम अड़े उहिसित्तए / .23 // पञ्चधासरियाथम्म समणस्स निग्गन्धस्म कप्पर दसाकप्यवहारा णाम भज्झयणं उहि - सिन्नए। सू.२४॥ अदहवासरियायस्य समणस्य निगान्धस्स मप्या डाणसमवाए जाम अइसे उद्दिमित्तए / / 1.25 // दसवा-सरियायन्स समणम जिगान्धस्य कय्यद वियाहै जामं अस्गे उहिमित्तए।.२६॥ एक्का सवासपोरयायरस समणस्म निगान्धरम कप्पर न्युडिया विमाणपविभत्ती महल्लियविमाणविभती अइगलिया वगाइ-गा)लिया कियाहलिया जामं अज्झयणे उहिसित्तए।म.२७॥बारसवामपरियायम समणस्य निग्गन्धस्य कप्पद अरुणोरवाए वकणोववाए गफलोरवाए (धरणीववाए वैसमणोवधाए चेलंधशेववाए जाम अन्झयणे उहिसिनए॥.२ / नेसवासपोरयायरस समणस्स निग्गन्थन्म कप्या उदहाणासुर नगमुदहाणमुए देविंदौत्रवाए जागरियाणि (लि)या जाम अ. ज्झयणे अमिताए।सू.२१॥ चौदसवासारथायरस समणस्स नि:न्यस्म कय्या सुभिभावणा जाम अज्झयणे उद्दिमित्तए।सू.३० / / Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (245] भी आगम सुधाग-धु खमो विभाग पन्तरमवासनियायम्स ममणस निगराधस्म कमाइ चारणभावण। नाम अज्झयणे छोसित्तए / सु.३१॥ सोलसवामपोरयायरस ममणस्स जिगन्धिस्स कप्पइ तेजिमगां जाम अज्झयणमोमिन्ताए।. ३२।।सनरसवामरिया यस्य समास्य नान्यस आसीविमभावणा जाम अन्झयणे उहिसिनाए / / .33 / अहारसवासपोरयायस्य स. मणरस निगगन्धरस कध्यइ दिदिहावसभावा नाम अज्झयणे उोहसिनाए / सु. 34 // एगणधीसइवासपोरयायास्य समणास्य लि. गान्धरस कप्पइ दिदि हवाए जाम भइौ उद्दिोसनाए / सू. ३५॥वी. सवासपोरयाए समणे निगान्धे सबसुयागुवाई भवर 938 // सू.२६ // दविहे वयाचच्चे पल्लने, त जहा माया यवैयात्रध्ये उवज्झाययावच्चे धेरचेयावच्चे तरिय यावच्चे सेहव्यावच्चे गिलाणचेयाचच्चे माहम्मियचेयावच्चे चाल यात्रध्ये गणयावचे सह-द्ययावच्चै / / आरयवे यावच्चं करेमाणे समणे निगा महानिज्जर महापजघमाणे भवन, एवं जाव व्यायचे यावच्छ करेभाणे यमो लेगिन्धे महानिजरे महापज्जवसा भवाइ 2. 5. 57 .37 // दसमी उहे मी // 10 // // इति श्री व्यवहार छेदसूत्रम्" ॥लिखितं श्री तपागच्छ मलाण-दिनमोणे. पल्यासप्रवर श्री बुद्धिविजय - गणिधर पादाम्बुज - भृायमान - पल्ल्यास. श्रीमदाणंदविजय - गणिवर चरणचन्द्रचकोर-मु निप्रवर. श्रीहर्षीवजय - मुजीन्द्राडिन-सर्रासकह - मानस-राजडंस . तपोभूति - जैनाचार्य * श्रीमद्विजय कर्परसूरी धर-पE२. शासन - प्रतिवादीभकण्डीरव डालारदेशोद्धारक- कविरत्नाचार्यदेव. श्रीमद्विजयामृतसूरीश्चर- चञ्चच्चरणचञ्चरीक -लिनेय - श्रीमदागम - संशोधक - विदर्य-गुरुदेव- पन्नासप्रवर श्री. जिजेन्द्रविजय . गणिवर-कृपया, जामनगर प्लोट तपागच्छ शांतिभवन पीर सं० 2505 वि.सं.२०५५ माघशूक्त राष्ट्टयां शुक्र त्रास श्रीविमलनाथस्वामि-प्रसादान // . Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहम् // श्रुतकेचलि श्रीभद्रबाहुस्वामि प्रीत श्रीदशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् क अप असमाधिस्थानाख्यं प्रथममध्ययनम्। ... नमो अरिहंताणं नमो सिद्धागं नमो आधरियागं नमो उवमायाणं नमो लोए सध्वसाहयं / एसो पंचनमुक्कारो, सबपावप्पणासणो / मंगलाणं च सब्वेसिं पढमं हाइ मंगलं // 1 // सुयं में आउसंतेणं भगवया एवमरवायंसूत्रं 1 // इह खलु धेरेहिं भगवंतेहिं वीसं असमाहिठामा पन्नत्ता,कयरे खलु ते घेरेहि भगवंतेहिं वीसं असमाहिरगणा पन्नत्ता ? इमें रखते थेरेहिं भगवंतेहि वीसं अस. माहिदाणा पन्नत्ता, तंजहा-दवविचारीयाविभवति,अय्यमजियचारी यावि भवति, दुय्यमज्जियचारी थावि भवति, अतिरित्तसेज्जासणिए, रायणियपरिभासी,धेरोवघाइए, भूतोवघाइए, संजलणे,कोहणे, पिरिठमंसिप थावि भवति 10, अभिकखणं अभिक्षणं ओधारित्ता,णवाई अधिकरगाई अणुप्पण्णाइं उप्याड्या थावि भवति, पुराणाई भधिकरणारं सामितविउसविताई उदीरित्ता, अंकाले सम्झायकारी थावि भवति, ससरमख पाणिपांडे सहकरे,मंझकरे, कलहकरे, सरप्पमाणभोई,एसणार असमिए यावि भवति 20, प्रते थेरेहि भगवंतेहिं वीसं असमाहिठाया यन्नत्तति बेमि / / 02 // पठमा इसा समत्ता // 1 / / - - Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अथ शबलाख्यं दितीथमध्ययनम्॥ सुथ मे आउसंत भगवया एवमरवाय-ह खलु धेरेहि भगीहि एनकवीसं सबला यन्नत्ता,रू यरेवल रहि भगवतहि एक्कबीसं सबला पन्नता जमे बल परेहि भगवंतेहि एकवीसंसबला पन्नत्ता,तं जहा. हत्यकम्मं करमाणे सबले, मेंहणं पडिसेमाणे राइभोधणं भुंजमाणे, आहाळम्म भुंजमाणे, रागपिंड जमाणे, उदेसिय कायं पामिरचं अरिज अणिसिहा आहेर दिज्जमाणं मुंजमाणे, अभिक्षणं 2 पडियाइनिरवत्ता भुंजमाणे,अंतोमा सस्स तो गलेने करमाणे, अंतो छण्हें मासाणं गणाओ गणं संकममाणे, अंतोमासस्सतओ माइहाणे करमाणे 10, सागारिय बिई मुंजमाणे,आउटियाएं पाणाइनायंकरे माणे, आउदित्याए मुसावायं करेमाणे,आउरित्याए अदि ण्णादाणं गिण्हमाणे, आरित्याए अणंतरहियाए पुटवीए ठाणं वा सेज वा निसीरियंवा चेतेमाणे,एवं ससिणिजाए पुढवीए, एवं ससरक्खाए, आउरित्याए चित्तमंताए सि. लाए, चित्तमंताए लेलुए,कोलाबा मंसि वा दारूए जीवपइ. रिगए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सउम्सेसउत्निंगपणगदगमरिटमक्कडसंताणए तहप्पगारं गणं वा सिखं वा निसीहियं वा चैतेमाणे, आउटियाएमूलभोथणं वा कंदभोयणं वा (खंधभोगणं वा) तथा भोयणं वा पवालीयणं वा पुरफभोयगंवा फलभोयणं वाबीयभोयणं वा हरियभोयणं वा मूंजमाणे, अंतो संवरधरस्स इस गलेवेकरमाणे अं. तो संवधरस्स दस माइराणाई करेमाणे, भाउस्टियाए सीतोदारयउग्याइएण हत्येण वा मत्तेण वा दध्वीएवा. भायण वा असूणं ना जाणं वारवाड़गंवा साइमं वापडि. गाहेत्ता मुंजमा 21, एते खलु धेरोहि भगवंतेहि एक्कवीसंसबला पन्नात्तत्ति बेमि // 903 // बिझ्या दसा समता) Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अथ आशातनाख्यं तृतीयमध्ययनम् // सुयं आउसने भगवया एवमम्वार्थ इह खलु धेरेहि भगव तेहि तेत्तीस आमायणाओ पन्नताओ, कयरा रयालु धेहि भगवतेहि तेत्तासं आसाथमाओ पन्नत्ताभीमाभो पलुनाओ पेरेटि भगवतेहि ते. तीसं आसाधणाओ पन्नताओ,तजहा-सहे रायणियस्स पुरभोगता भक ति आन्यायणा मेहस्य १,सेहेरायणियस सपमय (पनवओ)गता भव नि आसाया सेहरस 2 सेहे रायर्यायस आसन्न गता भवति आसार गा सेहरा एवं एएवं अभिभावेण सह रायसि पुरा चिरिठ ता भवति आमायया सहस्स: मेहे राणियरस सपन चिठित्ता भव नि आरायणा सेत्स्स ५.सह रायणियम आपन्न चिरित्ता भवति भासायणा सहरसा सेहेराणियरस पुरी निपीहिला भवति भामायणासेहरसा सेहे रायणियसपलं निसीइना भवति आमायणा सेहस्सा सेहे गणियस आसन्नं निसीइना भवति आसाथ सेहस्सा,सेहेराइगिएण सहि पहिया विधारभूमि निस्ते समाणे ती पध्वामेव सेहतराए आधामनि पारा आसाथमा सेत्स्स १०,सेहे गणिया सर्दिबहिया विहारभूमिवा विधारभूमिवा निकलते समाणे तत्थ पूलामेव सेहतराए आलोएति पत्रमा राइगिए आसारा, सहरस ११,केदरामयिाय वसंलना रिश्या तं पन्चामेव सेहता . ला३ / राइगिए आमाथा सेहस्म १२.सेहे रायणियम्स रामओ वा विधाले वा वाहमाणस्स अो।के स्ते' के जागरे तत्थ सेहे जामरमाणे राइणियम्स अप्पडिसूणिता भवति आमायणा सेहम्स,सेहे असणंवा पाणवान्बाइम वासामं ना पडियाहिज्जा त पुवामेव मेहतराणम्स आलोएति परधाराइगियामा आसायणा सहस्स१७.सह असणं वा०पडियाहितापलामेव सेहतराज पस्सेिनि पछाशय प्स आसाथणा सेहत १५.सेहे असगंवा० पडिग्याहिता पुवामेव सेहतरागंउसनि. मंतेति पछा राइणिए मामायणा सेल्म्स मेहेराइणिए सदि अमगंवा० पडिगाहिता तराइमियमणाधिता जस्स२३नि तस्सर स्थई र इलयति मासायणासहस्सर सेहे राहाणएण महि अमावा माहामाणे नत्य सेहे खडं 2 डा र रसियर ऊसटे पण्ण्णरमणागंरनिदरलकावर आहास्सिाभवति आमायणा सेहरसा८सेहेरा३. पियस्म बाहरमाणस्सभपडिसुणिता भवति भासाथणा सेहम्स , सेहे गणियस्म 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 [24] श्री आगम मुधा सिन्धु नवमो विभाग वाहरमास तथगते चेन पडिसुणित्ता भवति आसाथणा सेहस्स 20, सेहे राइणि किति वत्ता भवति आसाथमा सेहम्स 21, सेहे राइणियं तुमंनि वत्ता भवति आसाथणा सेहम्स 22. सेहे राइणियं वई 2 वत्ता भरति आसाथणा सेहस्स 23. सेले राइणियं नज़ारण तजार्थ पडिभणित्ता भर्ति आत्मायणा रोटरस 29 सेहे राइणियस्स कहं कमाणस इति एकति) वत्ता (न) भरति मासाधणा सेहस्स 25. सेहे राइणियरस कहं कहेमाणस्स णो सुमर सिप्ति क्ता भवति आयातणा सेहरम 26, सेहेराणियन्स कहकमाण स्स नी मुमणा (सुमणसे) भवति आसाथणा सेहम्म 27, सेहे राइगियरस कहं कहेमाणम्स परिसं भेता भवति आसायणा से. हस्स 22, सेहे राणियस्म कह कहेमाणस कहं जान्छिदित्ता भवति आसादणा सहस्स 29, सेहे राइणियन्स कहं कहेमागास्म तीसे परिसाए अदितताए अभिन्नार अब्बोच्छिनाए सम्बोगाए दुचंपि तञ्चपि तमेव कहं कहता भवति आसारणा सेहरम ३०,सेहे राणियस्स सेज्जासंधारगं पारणं संघहिचा हत्येणं अणगुण्णाना)वेत्ता रति आसानणा मेहम्स, सेहेराइणियरस सेशासंधारए चिरिठत्ता वा निसीस्ता वा सुयहित्ता वा भवति आसादणा सेटस्स 22, सेहे राइणियास उधासणसिवा समासणंसिका चिरिठत्ता वा निसीइता या तुयत्तिावा भवति आसादगा सेहस्स 33. एनाओ साल नाजी धेरोहिं भगवनेहि तेनीसं आसाथणाओ पाताओत्ति बेमि ॥स्०४॥ तथा इसा समना // 3 // अथ गणिसम्पदास्यं चतुर्थमध्ययनम्। सुर मे भाउसंतेण भगवथा प्रममन्या-इह खलु धेरेही भगवतेहि भरठनिहा गणिसंपदा पण्णता, कयरा रयल थेरेहि भगवं. तेहि अरनिहा गणिसंपदा पण्णता 1 इमा स्थल परेहि भगवंतेहिमरविहा गणिसंपदा पण्णता, तंजहा- आचारसंपया सुयसंपथा सपरिसंपया भयणसंपया पायणासंपया मनिसंपया पजीगसंपया संग Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 4] [249 हपरिणा णाम मठमा सू०५॥ से नि ते भायारसंपया 12 उविहा पन्नत्ता त जहा राममधुबजोगजुत्ते भावि भवति, असंपाहियच्या. (ज्जएर अणियतवित्ती. सीले यावि भवति से तं आधारसंपना। सू०६॥ से कित सुयसपदा।२ चविहा पणाचा, तंजहा. बसुते याविभवति. विचित्तरस्ते, परिचितसुरे घोसविसुद कारट यानि भवति, से तं सुयसंपदा / सू०७॥ से कित सरीरसंपदा 12 चउबिहा पा - त्ता, तनहा- आरोहपरिणाहसंपन्भे भावि भवति, अणोतप्यसरीरे, पिरसंश्यणे, बहुपठिपुरोदिए यावि भनति, से त सरोरसपहा ॥१०॥से मिले बयणसंपदा 12 चाबिहा पन्नत्ता, तंजहा- आरिखमयणे शावि भवति म हुररथणे, अणिरिसयवयणे, फुडवयणे याविभवति,सेतं नयणसंपा ॥स०९॥ से कितं वाथणासंपदा 12 चल्हिा पन्नता, तंजता-निपू उदिसति विजयं वाएति परिनिवारियं - एति भत्थणिज्झाएमएति से तं वायणा सपा // 10 10 // से कितं मतिसंपरा 12 चलिहा पचानं जहा-उगहमतिसंपदा ईहामतिसपहा भवाथमतिसंपहा धारमामलिन से किसं उगहमतिसपहा 12 धािहा पन्नता. तंजहा- शिवमं भी भिण्ड तिबहोमिहति बहविह मोभिण्डतिधर्व मोहति अणिप्सियंभोगिमहति असंदिर भोशिण्हति, से तं गहमतीश एवं ईहामतीवि.एवं अमायमतीवि से मि तं धारणा-मती 12 धबिहा पण्णता, तंजवा-धरोति बहविहंधरेति पुराण धरोनि दुहरं धरति अणिस्सियधरेति असंदिवं घरोति, से तं धारणामती, सेतं मतिसंपदा ॥सू०११॥ से निपभोगसं. . पहा। रचब्धिहा पन्नत्ता, तजहा- आयंरिदाय वा पांजित्ता भवति परिसं विदाथ वाई परजिता भवति, श्वेत विहाय बादं पजिला भवति, बन्धु विराय वाद पउंजिता भवति.सतं पोगसंपासुसकिने संगह परिण्णासंपदा 2 चलिहा पन्नत्ता, तंजहा-बदजणपाउरगताए वासावासासु रिपत्तं पग्लेिहिता भवति बहुजणपाओगत्तार पारिवारिय पीउफरलासेआसथारयं भोगिणिहत्ता भवति कालेण काल समाणपत्ता भवति, आहागुरु संपत्ता भवति, से तं सगह परिसंपरा . नाथरिथत्तों अंतेवासी इमाए चउनिहाए विणयपडिवत्तीय विणता नि Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [250 सी आगम मुधा सिन्धुः / नमो विभाग: रिणत गच्छनि, तंजहा- आधारविण मुथविणाय निम्न गरण टोसनिघायणाविगएण सेत आधारणि 12 चमतिरह पण्णते, तजहा- मजमसामाधारी थावि भवति तबमामायारी भाभि वति गणमामायारी थाविभवति एगल्लविहारमामायारी या भवति सेन भायारविणए 21 से किन सुयरिण 2 शाबिहे शाले, न सा सुथ वागत अत्थं वाति थि एति निम्सेसं गएति,सेतयविगए / से कितं विमरवे याविण 12 त्यिहे पणसे तमा भर्दिधम्म दिपुगताए विएत्ता भवति रिहठपुगं साह. म्मियत्ताए विणएस्ता भवति (दिठपुरस सहेतुतं) चुयधमाभो धम्मे ठारित्ता भवति, तम्सेव धम्मरस हियाए सुताए रखमाए निस्से(य)साए आणुगामियताए अभुटठेत्ता भवति से न निम वणाविणए ४।से कि तं दोसनिधायणानिए ? 2 विहे एणते, तंजहा. कुस्स कोह विणइत्ता भवति दुइन्स डोगं णिजिण्हिता भवति, कविथस्म कखं चिंदिता भवति, भाया सु. प्पणिधिती याविभवति,सेत दोसनिघायणाविणए।॥०१४॥ तस्सेवगुणजातीयस्स अंतेवामिस्समा चरब्बिहा विणयपडिक्ती भवति तंजहा-उरगर उपायणता साहिल्लता रणसंजालगता भारपशोरुहणता / सेकिन उगरणउप्यायणाया१२चरिहा पण्णता, तंजहा- अणुध्यन्नाई उकारणाई याना भवति. पोरा उवारणा सारचित्ता संगोविना भवति पनि जाणिना परिता भवति, आहाविहिं संविभश्ता भवति, सेत कारण उध्यायणायारा से ने साहिल्लयाचबिहा पण्णता. तजहा.भणलोमासहिते थावि भवति, अणुलोमकायकि स्थित्ता पावि भवति, पहिस्कायमास णया यावि भवति, सम्वत्येसु अपहिलोमया पावि भजीत से साहिलयां ३॥से कि त वाजलगया !2 पालिहा पण्ण ना तजहा- माहाताण . वण्णवाई भवति, अण्णवावं परिणिता भवति वावा गुल्लिा म. पनि माथबुइटासेवी यावि भवति से त व मंजमा मेकितार पोरुहणता 12 बिहा पण्णाना, जहा. सासवपरिजण संगिहिता Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्र 00 दशा 5] [251] (संगहिता भवति, सेह आधारगोथर गाहिता भवति साहम्मियस्स गिलायमाणरूम आहाथाम व्यावच्चे अभुहिम्ता भवतिसाहनिया अधिकरणसि उभ्यामसि तत्थ अणिरिसतोगस्मिती वसंतो अपवणाहए मन्सत्यभावभूते सम्म बबहरमाणे तस्स अधिकरणास स्वामय विउसमणथाए सथा समियं अभुरित्ता भवति 5 / कह नुसाहम्मिया अप्पसहा अय्याद्या अध्यकलहा अय्यकसाया अध्यनुमंतुमा संयमब हला सबरबहला समाहिबहला अय्यमत्ता संजमेण तवसा अध्याणं भा बमाणा एवं चणं विहरेज्जा, सेतं भारयोरुहणता। एसा रवलु पेरेहि भगवतेहि अरविहा गणिसंपदा पग्णत्ततिबेमि // स्०१५॥ गच्छत्या इसा समता // 4 // अपचित्त समाधिस्थानाख्यं पञ्चममध्ययनम्। सुम मे आसतेणं भगवयां एवमलाथ-३४ खलु धेशति भगवतेति इस विससमाहरगणा पण्णत्ता कयरे खलु ते थेरेहि जाब पता! इमे चतु ते इस वित्तसमाहितगणा पण्णासा, जहा-नेण का लणं तेणे समरण वाणियगाम नाम नयरे होत्या एत्यण नगर. गणी भाणियब्यो / नस्स ण वाणियगामनगरस बहिया :तरपुरधिमे दिसिभाः इदपलासे नाम चेश्य होत्या. चेयवाणाओ भाणियन्यो 20 जियसन्त राया तस्स धारिणी देवी एवं सत्र समोसर भाणिय जाव मुबीसिलापट्टए, मामी समोसटे, परिमा निग्गया. धम्मो कहिओ.परिसा पडिगया। सू०१६॥ अजोति समो भगवे महावीरे समणे निर्णधे निग्गेधीओ य आमतिता एयषयास इह खलु अओ। निधाण वा निगंधीण वा ईस्थिासमिण भासा समिया एसणासमिया आयामभडमत्तनिवेवणासमियाण उधारपासण- खेलजल्ल-सिधाण-पारिहानणियासमिधाण मणसमिधाण अयणसमियाणे कायसमियाण मणगुलाम शुता काययुत्ताणंगुति दिया गुत्तबंभयारी) आयठी आयहि याणं आयजीईणं आयपरक माणे परिखमयोसहीए सुसमाहीपत्ताणं झियायमाणाणं इमाई उस Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [252] श्री आगम सुधा लि-धु वमो विभागः चित्तसमाहिदाणाई असमुध्याणपुवाई समुपन्मिज्जा, तनहा-धम. चिंता से असमुध्यन्नपुब्वा समुप्पोजासर धम्म जाणेत्तए / सुमिणदसणे वासे असमुध्यण्णवे समुप्यनेजा आहातचं सुमिण पासित्तए / जाइसरणे वा सणिणाणे वा से असमुध्यन्नब्वे समुप्पजेजा अहं सरामि अयणो पीराणियं जाई समरित्तए। देवदसणे वासे असमुप्पण्णपुचे समुप्पजेजा दिय देविहिद दिवं देवमुई हित्वं देवाणुभावं पासित्ता ओहिनाणे वासे असमुध्यण्णपुर्व समुय्यजेजा ओहिणा लोयं जाणितए / ओहिसणेवासे असमुय्याण्णवे समुप्पज्जा ओहिणा लोथ पासिनए 6 मण.. ज्जवनाणे वा से असम्ध्यण्णपुब्वे पभुय्यज्जेज्जा अंतो मणुस्सा तेसू अइदाइज्जेस्ट्रोक्समहेस् सन्नीण पचिदिया पजनगाण.. मगीगए भावे जाणेत्तए) कैवलनाणे वा से असमुप्यान्वे समु- . प्यज्जेज्जा केवल कम लोयालीयं जाणेनए केवलदसोवा से अ. समध्यण्णवे समुप्पज्जे-जा केवलकप्प लीथालोथं पासित्तए / के. बलमरणे वासे असमुप्पण्णपुले समुप्याजे-जा सकस प्यता १०॥सू०१७॥ ओथं चित्त समादाय, झा समापासति / धम्मे ठिो भविमणी निबाणभिगति ण इमं चित समादाय भुजी लोयसिंजापति / अध्ययो उनम गण सपणीयाणेण जागति // 2 // महातचन सुविन खिय्यं पासति सबु / सक्षवा ओटं तरति दुम्बादाय) / विमु चति // 3 // पताईभयमाणस्स विचितं सारणासण। अप्याहारस्स तस्स देवा सेति ताइयो // 4 // सबकामावरजस्म खमतो भयभेरवं। नी से ओही भवति सजयस्म लगन्सपो // 5 // तक्सा. डरहलेसम्स दस परिसुन्झति / इट आहे य निरियं च / सव्वं समयस्मनि // 6 // तुसमाडलेस्सरस अविनइस्स भिक्सुणो। सबओ विप्पमुकुस्स आया जागांत पज्जवे // 7 // जया से नाणाभरणं सब्वं होति खयं गयं / तया लोगमलोगं च जियो जाति केवली // // जया से सणावर सव्य होति स्वयं गये / तभी लोग Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽幾聽聽聽聽幾 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6 (253] मलोगच जियो पासर केवली // 9 // परिमार विसुद्धाय मोटामिने स्वयं गए। असे मोगमलोगच पासति सुसमाहिए // 10 // जहाथ मत्थयसुईयाए हम्मते तले। एवं कम्माणि हम्मति मोह. णिसे स्वयं गए // 11 // सणावनिमि णिहते,जहा ~~~ मेणा मणस्सति / एवं कम्मा पणस्संति मोहणिज्जे रवयं गए // 12 // धूमहीगो जहा अशी चिजते से निरिणे / एवं कम्माणि खी यते मोहसिन्जे स्वयं गए // 13 // सुकमूले जहा रुकावे सिच्चमाणे गरो. हति।एन कम्मा ण रोहंति मोहणिजे वयं गए जहा दइटाण बीयाण ण आयति पुणेकुरा / कम्मबीर नहा दइटे (मुदइटेसु) नरोहति (जाति) भवकुरा // 15 // चिया ओरालियं बोंदि नामोत्तं च केवली / आउर थपिचविता भवतिनीए एवं अभिसमागम्म सिमानाथ आउसो।। सेगिसोधिमवागम्म आथा सोहीमबागए॥१७॥ बेमि॥ पंचमा दमा समत्ता // 5 // अथ श्रमणोपासकप्रतिमाख्यं षष्ठमध्ययनम्। सुयं मे भाउसतेणं भगवया एवमकसायं. इह खलु पेरेति भगवतेहिं एक्वारस नासगपडिमाभी पन्नताओ। कयराभो सयु ताओ धेरैहि भगवंतेहि वारस उवासगपडिमाओ पन्नत्ताओ इमा खलु ताओ धेरोह भगवतेहि इकारस उवासंगपरिमाओ पन्नता. भी, तं जहा. अकिरियावाही यावि भवति / नाहियवाई नाहियपण्णे नाहियदिही जो सम्मावाही जी णितियावाही नी संतिपरलोगवाही / णत्यि इहलोए णत्थि परलोए णन्थि माया गस्थि पिया णस्थि अरिहंता नत्यिचकवट्टी थि बलवा गत्सिवासुदेषा स्थि नरया पत्थि नेरेश्या गस्थि सुक्कडकडागं कलवितिविसेसे 3 / गो सुचिण्णा कम्मा सुचिन्नमला भवांत जी धिण्णा कम्मा धिणमला भवंति अमरले कल्लाणपानए नो पञ्चायति जीवा 47 पत्थि निस्था गधि सिद्धी शसे एर्नमानी से प्रचंपाये एवं दिदठी एबंधंदरागभिषिविरठे आवि भवति / सेभ भवति, महिणे महा Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [25] श्री आगम मुधा मिन्यु नवमो विभाग में महापरिचाहे महम्मिए अहम्माणुए अहम्मसेवी अस्मिठे अंधः म्मम्वाई अधम्मरागी भधम्मपलोई अधम्मजीवी अधम्मपलज्ज भर्यम्मसीलसमुदायारे अधम्मेण चेव वित्ति कय्येमागे विहरहण छिंद भिंद विकत्तए (अंतके) लोहितपाणी चंदा लद्दा खुदा साहसि. या उइंचणवंधण माथाणिहि- कूडकड(माई)सातिसंपभोगबहुला दस्सीला दुपरिचया दुचरिया दुरणुणेया दु-लया दुप्पडियाणंदा निस्सीला निगुणा जिम्मेरा निप्यच्यम्वाणपोसहीयवासी भसाहू सब्वामी पाणाइवायाभी अय्यडिविरया जावज्जीवाए एवं जाव सव्वाओ कोहाओ सब्याओमाणाओ सव्वाओ मायाओ सव्वाओ लोभाओ सब्बाओ पेज्माओ दोसाओ कलहाओ अब्भवस्याणा पेसन्नाओ परपरिवादाओ अरनिरसीभी सब्याभो मायामोसाओ / मिच्छादसणसल्लाओ अय्यरिविरया जारजीनाए / सबाओ कसाथ-तक-हाणुव्बणभंगण-वण्णथमट्टणविलेवा-सह-. फरिस-रसरूव-गंधमल्लालंकाराओ अभ्यडिविस्था जावजीवाए 10 / सञ्चामो सगर-रह-जाण - जुग गिल्लिधिल्लि.सीया-संद्रमाणिय सयणासण-याणवाहण भोयणपवित्थरविधीनो अपरिबिरयाजा. वज्जीवाए 11 / असमिवियकारी रास वाओ भास हरिय-गो महिमअवलय- ट्रांसीदास - कम्मकरपुरिमाभो अपरिस्रिया जावज्जीवाए 13 / सम्बाओ कयविलय- मासामास-सवगसंवहाराओ अप्परिविरया जावजीएसव्याओ हिराणसवण-धण्ण-मणि मुत्तियसंस्खसिलप्पवालाओ अय्याविरया जावज्जीवाए 15 // सब्बाओ कुड. तुलकूडमाणाओ अप्यडिविनया 16 // सख्याओ आरंभसमारंभाभो भष्य. डिविरया 331 सवाओ पथणययानणाओ अप्पडिरिया /सब्बाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया 19 / सब्वामी कुणपिणतज्जणताडण-वधबंधपरिकलेसाओ अप्पडिविरया जावजीनामा मे थावणे तहय्यगारा सावज्जा अबोहिया कम्मता कति परमाणपरियावणकडा कजति ततोवि अप्पडिक्रिया जावज्जीवाए 21 सेजहानामार कश्पुरिसे कलममसूर-तिलमुश-मासनिष्फाव-कुलय अलिसं Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6] [25] गजव गमादिहि भयते करे नजदंड पउंजइ, एनामेव तहप्पगारे परिसजाए तितिर-वराग-लारग-कमीत-कपिंजल-मिगमहिस-नराह- गाह-गोह-कुम्मसरीसिवाइयहि असते कूरे मियाद परति 22 / जाऽविय से बाहिरिया परिसा भवति, तजहा- दासेति वा पेसेति मा भतएति वा भाइल्लेति वा कम्मकरएति वा भोगपुरिसति वा तेसिमियण भण्णयरगंसि अहालघूसयसि अवराहसिसय. मेव गस्यं दंडं निवतेति, तंजहा- हम दंडेह इमं मुंडेह इमं तजे. ह इमं तालेह मं दुबंध करेह इमं नियलबंधणं उमं हडिबंधणं इमं चारगबंधयं इमं नियल-जुयल-संकुडियमोडितयं इम हत्याएनय इम पादच्छिन्नयं इम कण्णाधिन्नय इमं ननधि इमं ओरियण्ण इमं सीसधिन्नं इमं मुवचिन्तयं इम वयाधीइयं इस हिउप्पाडियं एवं नयण इसणारयणउभ्याडिये इमं निभुप्पारियंकरेहै इमं भोलंबियय इमं घंसिययं इमं घोलितयं इमं सूलाश्य इमं सूलाभिण्ण इमं रयारनत्तिय इमं भवत्तियं इमं सीहपुरिचय इम वसभपुछिय इम कड(द) गिदइयं इमं लाकणिमंसखातिराइम भत्तपाणनिरूहयं करो इम जावजीरबंधणं करेल इमं अन्नतरेणं भ. सुभेण कुमारणं मारेह 23 / जाउनिय से अभितरिया परिसा भवति तंजहा-माताति वा पितातिंवा भायादवा भणीति वा भजाति वा धूयाति वा सुण्हाति वा तेसिंपिय गं अण्णयसि महालासगसि अवराहसि सयमेव शरूयं दंड निव्वत्तेति,तंअहा-सीतोगवियसि कायं मोलित्ता भवति सिणेगरियडेण कार्य सिंचिता भवति, अगणिकाए कायं उबरहिया भवति, जोसण वा वेतेण वा नेसण वा कसण वा हिवाटिए वा लताए वा पासाइ उहालेता भवति इंडेण वा अदतीय वा मुहगीण वा लेलुणा ना कबालेण वा कार्य भारहित्ता वति 24 तह पगारे पुरिसाए सवसमाणे दुम्मणे भरति,तह प्यशारे पुरिसजाते विप्यममाणे सुमणा भवति, नहप्पगारे पुरिमार इंडमासीई) दंडगुरुए दंडपुरवरवडे महिए अस्सिं लोयंसि अहिए परसि लोगसि ते दुम्वति सोथति एवं जूरति तिपति पिट्टति Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [256] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग परितप्यति ते दुकावण-सोयण-पूरण निप्पण.पिट्टण - परितभ्यणवधबंधपरिमिलेसाओ अप्पडिविरया भवंति 25 / एवमेव ते यि कामभोगेहि मुरिछया गिधा गर्दिया अझोनवण्णा जारवासाई चउयंचमाइं छहसमाणि वा अय्यतरं वा भुज्जतरवा काल मुंजिसा भीगभोगाई पसविता रायतणाव संचिणिता बयाई पागाईकम्माइं ओसम्ण संभारकर्डया कम्मुणा से जहानामए भयः गोलेतिया सेलगोलेति वा उदयसि पक्विने समाणे उशतल. मइवत्ता अधरणितलपतिठाणे भवति 26 / एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाएर वजबहुले धुण्णबहले पंकबहुले वेरबहुले भबहुले नि. योग्बहले साथिबहुले आसाथणबहुले (असायबटुले) अयसबढले अप्यत्तियबलले ओसरणं तसपाणघाती कालमासे कालं किंया धरणितलमतिवत्तिा अहेनगरतलपतियो भवति / नेणं नरगा अंतो वहा बाहिचरंमा अहे धुरप्पसगाणसठिया निघंधगारतमसा ववशय-गह-चंदसूर. नकवत्तजोइसम्पहा मेरे बसा-मस-रुहिर-पूयपडल-चिकपल्ललिताणुलेरणतला असुई बीसा परमभिगंधा काउयभगणियन्नाभा कक्वडकासा दुर. हियासा नरंगा असुभा जरगा अनुमा नरगेमुवेदणा नो चैव नएम नेर. इथा निहायति वा पयलायति वा सुति वा रति वा धिति वा मति वा उनलभाति / तेणं तत्थ उज्जलं विरल पगाढ मकस कद्वय रोई दुक्रवं चंडं तिब्वं तिकरखं तिव्वं दुरहियासं भररसुनेरइथा नरययणं पचणभवमाणा विहरति 29 / से जहाजाम रु. करखे सिया पब्बतरणे आए मलविन्द्र अग्गेशरुर अतो निन्न अतो दरगं जती विसमं ततो यति 30 / एवामेव तहप्पणारे पुरिसजाए भाओ गर्भ जम्मामी जम्म मरणाभो मरण दुस्वाभी:करच पाहिणगामिए नेइए कह परिमए आगमिसायं दुल्लभबो. धिते भावि भवति 30 सेतं अकिरियावाही 32 // 14 // से कि तं किरियानाही 12 भवति, तंजहा- भाटियवाही माहि. यपणे आहियदिदरी सम्मावाई नियावाई संतिपरलोयवादी / मथि Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीदशा श्रत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6 / 257 इहलो मरिश परालो भधि विक्ष विमल आरिहता अस्थि चक्कनट्टी अस्थि बलदेवा अस्थि वासुदेवा अस्थि सुकडदुक्क. डाण कम्माण लावत्तिविसेसे 2 / सुचिन्ना कम्मा सुचिन्नमला भवीन दुञ्चिन्ना कामा दुच्चिण्णमला भवति सफले कल्लाणपावए पच्चायति जीवा 3 / अत्थिनेरक्या अत्यि देगा भत्यि सिद्धी 4) से एववाही एवंपन्न एवंदिही एवं धंदरागमतिराम). निविदते आनि भवति 5 / सेभवति महिरछे जाव उत्तरगामिए नेरासुकूपक्षिए आगमेसाण सुलभबोखिए यावि भवति / सेतं किंरियावाही // 19 // सव्वधम्मई यानि भवति / / तरसणं बहुइ सीलब्बय-गुणवयवेरमण-पथ्यकावाण-पोसही ववासाइं नौ सम्म पठन्तिपुबाई भवति / एक दमणसाचओ, से ण सामाझ्यं देसावकासियं जी सम्म अणुपालिन्ता भवति 31 पदमा उनासगडिमा // 1 // 020 / / अहावरा दोचा उवासय पडिमा-सब्बधम्मलई यावि भवति / तस्सगं बदई सीलक्य. गुणवयनरमण-पचक्याग-पोसहोरवासाइंसम्म पठक्सिाई भवतिरासे गं सामाझ्यदेसावगासियं नो सम्म अणुपालिसा भ. नति 38. दोच्या उवासगरिमा // 2 // सू०२१॥ अहावरतचा उवासगपरिमा-सम्मधम्मरुई यावि भवति / / तस्स णंबाई सीलवय-गुणवय-वेग्मण-पच्चरवाण-योसहीवनासाई सम्म पदविताई भवति / से णं सामाइयदेसावगासियं सम्म भणुपालित्ता भवति / से गं चाउद्दस-अम्मी-उदिहठ-पुण्णमासिणीसु पहि. पुरण पीसहं नो सम्म अणुपालेत्ता भवति / तच्चा उवासगडिमा ॥३॥सू०२२॥ महावरा घात्या उवासगपडिमा- सबधम्मलई यावि भवति / तस्सणं बहूइ सीलवय जाच सम्म यदविताइं भवति 2 / सेणं सामाइयदेसावगासियं सम्म अणुमालेता भवति / णं चाउद्दम-भइम्मी-पहिरापुण्ण मासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म 'अणुयालेत्ता भवति / / सेर्ग एगराइयं उनामगपडिमं नो सम्म अ. गुपालेता भवति 5 / चउत्था उवासगपडिमा / / 4 / 023 // भवावरा 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 251] या आगम सुधा सिन्धु समो विभाग पेचमा प्रवासगरिमा . धम्मई यानि भवति / ' उम्स" बहसीलपय जान सम्स परिलहिया भवनि से सामाध्य नहब से चाउद्दसि नहेव गराइय सम्म भापालेना भवति / से अमिणा वियाभोई मरलियकडे दिया अभयारी गति परिमाणकडे से एयावेगा बिहारेण विहरमाणे जहणणे प्रगाह बा दयाहवा लियाह वा उनीसण पंच मासे विसरिज्जा" पंचमा उनामापडिमा // 5 // 0 // अहावरा घड़ा उजासगपरिमा. सयधम्मकई यानि भवति जाव से एगगराइय उवामाडिम अणु. पालित्ता भवति / / सेणं असिगाणY वियडभोई मालीयकडे दि. था वा राओ वा बभयारी सचित्ताहार से परिमाए aa भनौत। से एग्यासवेग विहारण विहरमायो जहण्णोणा गाह वा दुयाहवा जाब उकासेगा धम्मासा विहरेज्जा भट्ठा उवासंगपडिमा // 6 // 24 // महावरा पत्तमा उवासगडिमा-सलधम्मरूई याविभ. वति जान राओवाबंभयारी सचित्ताहारे से परिणाए भवति है। आरभे से अपरियया भवतिर से एथाम्ने विहार हरमाणे जहण्यो एमाह वा दुयाह वा आव उकोसे सत्तमाले विहरिजा 3 / सत्तमा उवासगपडिमा सू०२६।। महावरा अट्ठमा उवासजडिमा-सब्वधम्मरई यानि भवति जान राओवाबभयारी सचिसाहारे से परिणाए भर्ति आरंभे से परिणाएं भवति पेसा रभे 4 से अपरिणाए भवति / / एयारवेणा विहारेण विह. रमाणे जाव एगाह वा दुथाह वा जाव कोसणं अट मासा विह.. रिज्जा 3. से त भरठमा उवासगपडिमा // 2 // 27 // अनावरा नवमा उगमापतिमा- सचधम्मससी यानि भवति जाव राभोवरायं बभयारी 3, सचित्ताहार से परिणाए भवति आरंभ से परिगाए भवति पैसा उभे से परिगणार भवति / / उद्दिभत्ते से अपरिणाए भवति / से एथाणुसवेग निहारेण विहरमाणे जहरणे एगाहं वायुयाहं वा जाव को. से नन मामा विहरिज्जा / सेनं नवमा उवासगडिमा // 9 // सू०॥. महारा ट्रसमा उवासंगपडिमा. सम्बधम्मलई यावि भवति जान उहि Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 護聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6] [259] भने से परिण्णा भवति / / सेग खुरमुंडए ना सिंहलिधाए वा नसणं आभ(३)स्स वा समाभदउस्स वाकय्यति रवे भासा. ओ भासित्तए, तजहा-जाण वा जाण, अजाण वा जी जाणां रासेणं एयारवेण विहारे विहरमाणे जहण्णोणं एगाह मा दुयाहं वा उपरोने इस मासा विहरिज्जा 3 दसमा उवासगपडिमा ॥१०॥सू०२९॥ महा. वरा प्रकारसमा उवासगपडिमा-सवधम्मराई जाव उद्दिभत्ते से परिणाए भवति / / से या खुरमुंडए वा लुत्तमिरर वा गहियाधारमंडगनवन्य जारिसे समणा निशियाण धम्म पाते तं सम्मं कारण फासेमाणे पालेमाणे पुरभो जुगमायाए पेहमाणे दण तसे पाणे उडटु पाए रज्जा साहटु पाए रीएज्जा वितिरिरहवा पाय करंट एज्जा, सति परकमे संजतामेव परिक्कमेज्जा नो उजुयं छज्जा 2 / केवलं से नाथए पेजबंधणे अवोधण्णे भवति / एवं से कप्यति नायविहिएत्तए, तत्थ से पुवागमणेण पुवाउत्ते चाउलोरणे फ्छाउतेभिलिंगसूवे कथ्यति से चाउलोदणे पडिमाहित एनी से कप्य भिलिंगसूबे पडिगाहित्तए / तत्थ से पुवागम पण पुब्बाउत्ते भिलिंगसूवे परधाउत्ते चारलोदणे कम्पति से मिसिंग सूवे पडिगाहित्तए नो से कम्पति चारलोदणे पडिगाहित्तए / नत्य से पुबागमणणं दोवि पुब्बाउत्ताई कथ्यंति से दोपिडिगाहित्ता 6. तत्य से पुब्बागमणेणां दोवि पधाउत्ताइ नो से नय्पति कोवि पडिगा हितए तय से पुब्बागमणे पुब्बाउत्ते से कय्यति पडिगाहिता जैसे तत्थ पुवागमणेण पच्छाउते नी से कय्यद पडिगाहिता। तत्य गाहावद कुल पिंडवायपडियाए अणुपविठस्स कय्य एव वत्तिय- समणोवासगम्स परिमापडिवण्णास्स भिकरवं इलयह 10/ ९या संग विद्वारेण विहरमाणे के पासित्ता वदेजा के भाउसो। तुमं व.। सबसिया समणीवासए पडिम पग्विन्जिते महमंसीति वत्त सिया से एयरवेणं विहारेण विहरमाणे जहण्णेणे एगाहं वा दयाहवा तियाहया कोसेण पारस मासे विहरेज्जा 1 // एगारसमा उवासमपडिमा // एताभो खलु ताओ धेरेहि भगवंतेहि पगारस मामय Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [26] श्री आगम मुथा सिन्धु / नवमो विभाग पडिमाओ यण्णताओति मि ॥स-३०॥ धडा दसा समता // 6 // अथ भिक्षप्रतिमाख्यं सप्तममध्ययनम्। सयं मे आउसंतेण भगवथा एवमक्वायं-इह खल थेरेहि भगवंतेहिं बारस भिमस्तुपडिमाओ पाताभो / कयराभो खल ताओ जाव पत्ताओ? इह खलु ताओ धेरेहि भगवंतेहि बारस भिरबुपडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- मासिया मिथुपारमा, दोमासिथा भिनघुपडिमा, तिमासिया भिक्खुपडिमा, चमासिया पंचमासिथा, धम्मासिया सत्तमासिथा पढमा सत्तराइंदिया र दुध्या सत्तराईदिया तच्या सत्तराइंदिया 10 अहोराइंदिया , एशराइंदिया भिक्खूपरिमा 12 // सू० 31 / / मासियं णं भिक्स्युपरिमं - पडिबन्नस्स अणगाररस निच्च वोसहकाए चियत्तदेहे जे केई उबसग्गा उप्यज्जति तं जहा- हिबा ना माणुसा वा तिरिकरयजोणिया वाले उम्यण्णे सम्म सहति स्वमति तितिमवति अहिभासेति / मा. सियं णं भिक्खूडिम पडिनण्णस्स अणगाररस कय्यद एगा इत्ती भोयणस्स पहिणाहित्तए एगा पाणगस्स। अण्णा सुद्दोवडं निहित्ता बहवे उपय. भउथ्यथ- समणमाह- अतिहि किविणवणिमण, कप्प से एगस्स भुंजमाणस्स परिणाहित्तए / यो दाह णो तिण्हं णो चउण्डं जो पंचण्ट, णो गुम्विणीय बालक्या पणो दारगं पेज्जमाणीए, नो अंतो एलुमस्स दीवि पाए सोही दलमागीए, नो बाहि लुयरस होवि पाय साहटु दलमाणीया पुगं पार्य अतो निचा पुगे पायं बाहि विच्या प्रलय जिवंभ स्ता एवं दलयति एवं से कम्पति पडिंगाहित्तए 5/ एवं से नो रलयति एवं से नी कय्यद पडिगाहितए मासिय भिक्खुपरिम परिवयस्स अगगाररस नओ गोयरकाला पजतातंजहा- आहिम मन्झिमे चरिमे, आदि घरेजा गो मझे चरिजाणी चरिमे चरिज, मझे चरज्जा नी आश्चरेज्जा नो चरिमे चरेज्जा,चरिमं घरेज्जा नो आदिम चरेज्जा नी मज्झे चरेजा। मासिय ग भिक्खुप. Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 7] [26] हिम पडिनण्णास अशाररस बिहा गोयरचरिया पहात्ता, तं जहा- पेला अदपेला गोमुत्तिया पयंगधीपिया संबुकावटा गंतुंपच्यागया / मासिय णं भिक्खुपडिमं पडिवगणस्स अणगारस्सजत्य कर जागति कम्पद से तत्थ एगराश्यं वसित्तए,जत्य णं के. इनआण३ से कय्यति तत्य गरायं वा दुरायं नावसित्ता, नो कय्याइ एगराधाओ वा दुरायाओ वा परं पत्थर जंतत्थ एगरायाभो वा दुरायाभी वापरं वसति से संतरा छदेवा परिहारे या 9 / मासियं ण भिक्खुपडिमं परिवण्णास्स अणशास्स कप्पनि चत्तारि भासाओ भासित्तए तंजहा. जायणी पुच्छणी अण्णवी पुदउस्स वागरणी 10 मासियं गंभिक्खुपडिमं पविण्यारस अणणास्स कम्मति तओ उक्स्सगा परिलहितए तंजहा-महे आरामगिहसि वा अहे वियऽजिहंसि वा अहे समवमूलगेहंसि वा / मासियं णं भिखुर्याउंमं पडिवण्णस्स अगाणारस कय्यंति तो उक्स्सगा अयुग्णवित्तए तंजहा- अहे आरामशिहं 'अहे विथडमिहं अहे रक्षमलनिहं 12/ मासिथण्णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स कय्यति तभी उस्सगा बायणात्तिए तं चैव 13 मासियं णं भिक्षुपडिम पडिवण्यरस अणगारस्स कय्यद तओ संघारमा पडिलेहित्तए तंजहा-पुखीसिलं वा कदासिल वा आहासंघडमेव 31 मासियं गं भिमायुपडिम पडिवण्णस्स अणगारल्स कम्पनी संथारा भाण्णवेत्तएतंचेव 15 // मारियं ण जान कप्पति तभी संथारा ओवाथणावेत्तए तंव। मासियं णं जाव इत्थी उवस्सयं उवागरिजा से इत्थी एवं पूरिसे णो से कप्पर तं पध निकपमित्तए वा पविसिताना 31 मासिथ जाव पडिवग्णस्स के उपस्सथ अगणिकाएण झामेज्जा नो से नाप्मद तं पडुच्च निकस्थमित्तए ना पनिसितए वा, तत्य गं कर धाय असिं हाय आगरछेजा जाव से नो कम्पर पहुचअनलविता या पनलंक्तिए वा, कथ्य से भानारियं रीस्तए / मासियं गं भिरनुपडिम जाव पायांसि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [262] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभागः / धाणूबा कंटए ना हीरए वा सकरा ना भणुपविसेजा ने कम्प से नीहरित्तए बाविसोहि-सावा, कय्यइसे आहारियंइ. त्तए 18 मासियो जाब अछिसिवा. पाणाणिवा बीयाण वा एवा परियागजिज्जा नी से कम्पनीहस्तिएवा विशेहिता वा कप्यइसे आहारिय शेतए 20 / मासियं णं जावजन्येव सूरिए अत्यमेज्ज तत्व जलसिवा चलमि वा दुग्धसिवा निण्यांसिवा पध्वयंसि वा विसमंसिवा गड्डाए वाहीए वा, कम्पइसे तं रथणि तत्थेव उवायणाक्तिए, नो से कार्य पदमवि गमित्तए कय्यइले कल्लं पाउथ्यभायाए रयमीरजाल जलते पाईगाभिमुहम्स वा पाहिणानिनुहन्स वा पजीणामिः मुहम्स ना उत्तराभिमुहल्स वा आहारियं रत्तर 21 / मासियं णं जाव नो कप्पइ अगंतरहियाए पुटवीर निहा इतना पयलाइत्तएवा, केवली बया-आयाणमेयं, से तत्थ निहायमाणे वा यथलायमाणे वा हत्यहि भूमि परामुसेज्जा महाविधिमन ठाणं ठाइत्तए निरंवमित्तएवा उच्चारपासनणणं बा. (प्या)हिज्जेजा नो से कय्यद भोगिरिहत्तए,कप्रद से पुवा:लहि-तए धरिले उच्चारयासवणं परिक्तिएतमेव उवस्मयं आगरस अहाविधि ठाणं इत्तए 22) मासियं णं आव नोकप्य इससरमधेहि पाहिं (कारहि गाहावाकुलं भत्ताएवा पाणा. ए वा निरव मित्तए वा परिसित्तएवा, भह पुण एवं जागोजा - ससरस्व से भत्ताए वा अल्लत्ताएवामलत्ताए वा पंकताए वा विक्षत्थे, से कय्यद शाहावइकुलं भत्ताए वा पाणार वा नियमित्तए वा पविसित्तए वा 23/ मालियं, जावनी कम्पइसीओदगविथडेण वासणोद्गस्थिडेण या इत्याणि वा पायाणि वा दंताणि वा अच्छीण वा मुहं वा उत्तो लितए ना पधीवित्तए वा गण्ण-थ लेवालेनेग वा 24 मासियं जाव नो कप्यइ आसम्स' वा हथिम्स वा जीणत ना,पहिसरस वा कोलस्स वा साणम्स वा कोलासुगमका Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुतस्कन्धसूत्रं 00 दशा 7] [263] वा दुस्स वा धस्स या आवडमाणस्म परमवि पच्चीसदित्तए, अदुस्स भावमाणस्म कथ्यति जुगमित्तं परयोसत्तिए 2 // मामियंणं आव नोकप्यदायाभो सीमति उण्हं इत्तए उहाभो उहानि नो धायं एत्तए, जत्य जया सिया तं तत्थ अहियासर 26 / एवं बलु पला मासिया भिक्युडिमा महा. सुत अहाकय्यं महामन महातच्च सम्मकारण फासितापालिसा सोहिना तीरित्ता विहिता भाराहिला आणाए अपालिता भवति २७॥३२॥दो मासियं णं भिनरनुपडिम परिवण्यास्य भणगारस्या नि नोमहठकादा तंचव जाव से वृत्ती ) निमा सिथ ण जार तिण इजीमोराचारमामिया जान चत्तारि दत्तीभो // पंचमासिय ग. पातीमो. मासियां जाव' इसीओ सनमामियं या सत्त उत्तीओजन्य जलिया मामा तत्य लत्तिया रतीभो // 10 // पठम मलराईदिय ण भिम्रपरिम पविण्णस्स भणगारस्म निचं वोमिकाए. जाव माहियामेव कप्पर से चरत्येणं अत्तयां भयाणपण बहिया गामस्स ना आवरायहाणीए वा उत्तामागस्स ना पासेल्सशास. वा सन्जियम्स नागयों ठाएत्तर शतन्य रिश्वमाणुसतिरिका जोणिया उनमाया समुथ्यमिजा. ते गं अबसरमा पलिज्जा यडिजभानी मे कप्या पलितए वा पवाहिताना तत्य धारपासवणे अव्याज्जा नी से कम्पा वारपासवणं भोशिमिहत्तए कम्पइसे पूरपडिलेहि पंस्लिामि धारपास... व्यं परिलक्सिए. महाविधिमेब टास गश्तहार सा बल। पढमा सत्तरादिया भिन्नुपरिमा महासतजाब भाया भय पालिता भवति / एव चा सत्तराविधानि नबर रंडानि: यस वालगंडसाइरसबा उकडयम्मा नाम गाइत्तए मेस चेन जाव अणुयालिता भवति / एतच्या सत्तगह दियाविभ. पति, नवरं गोदहियाए वापीमासणियरस वा अंबज्जरस वागण महत्तए, प्रवंचव जाव भणुपालिता भवति // सू०३०॥ एव महो. Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (265] श्री भागम मुधा सिन्धु नबमो विभाग रातियावि नवरं छठ भत्तेणं अपाणए बहिया गामस्म वा जाव रामहाणियम्स वा ईमि दीवि पाए साहटु वनारियल पाणिम्स गाणं ठगइत्तए, सेसं ते चेव आव अणुपालिता भवति 1) प्रशराई भिखुपडिम पडिवण्यास अगाणारयसानिधं श्रोसिरठकाए जाव अहिंथासतिराकम्पइसे अहठमेणं भत्ते अपाणए बहिया गामस्स बाजाव रायहाणीए वा ईसिपमारगाणं कारणां एगपोग्गलरिन्तार दिठीए अणिमिसनयणे महापणिहितहिं गत्तेहि सब्बिंदिरहि गुत्ते दीवि पार साहट व घास्थियाणिम्स गणं इत्तए 3 / तत्थ से रिधमाणस-तिरि जोणिया आव अढाविधिमेव गणं गश्तर एगराई णं भिक्मनुपडिमं अणणुपालेमाणस्स अणणारस्स इमेतको उग्या भ. हियाए असुनाए अश्वमाए अणिस्सेसाए अगाणुगामिनाए भ. वति, तंजहा- उम्मायंवा लभेञा दीहाकालिय वा रोगायक पाउणेजा, केनलीपन्नताओ धम्माओ वा भसेजा। एगराइयं भिक्षुपडिम सम्म अणुयालेमाणस अणगारम्स इमे तो अणा हियाए जाव आणुगामियत्ताए भवति तंजहा- ओहिणाणे वा से समुप्यज्जेज्जा, मणपज्जननाणे वा से समुप्पज्जेज्जा केवलनाणे वा से असमुय्यण्णवे समुपज्जेज्जा / / एवं स्थलु एसा एगइया भिक्षुपडिमा अहामुत्तं महाकप्यं अहामग्णं अहातच्च सम्म कारण फाइमत्ता पालिता सीहिता तीरिता निहिता भाराहिता आगाए अणुपालिता यावि भवति / एताभो बल ताभी धेहि भगवतैहिबारस भिवपरिमाी पण्णताओत्ति बेमिना ॥सू०३५॥ सत्तमी दसा समता 19 अथ पर्युषणाकल्पाख्यं अएममध्ययनम्। तेणं कालेणं तेण समरण समो भगवं महावीरे पंचरत्यः नरे होत्था, तं जहा- हत्युत्तमाहिए चश्त्ता गभ पहले अत्युत्त. पहि गाभाभो गर्भ साहरिए, इत्युत्तराहि जाए. इत्युत्तराहि मुंडे भ. Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽護獲獎獎獎 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 3] [2657 स्तिा आगाराभो अणगारिय पब्वइए, हत्युत्तराहि मणते अणुत्तरे निम्बाधाए निरारणे कसिणे पडिपुण्ये करलवरनागदंसणे समुयने, साइणा परिनिए भयवं, जाव भुजी 2 उसेइत्ति बेमि। सू०३६॥ अहमी हसा समत्ता // // 'अथ मोहनीयस्थानाख्यं नवममध्ययनम्। तेणं काले गं तां समगुण चंपाजामनगरी होत्या.वण्यओ. पुण्णभट्टे चेइए, कोगिए गया धारिणी देवी, सामी समोसटे, परिसा निया धम्मो कहिओ परिसा पडिगथा। अज्जोति समणे भगवं महावीर बहवे निणंथाय निर्णयो य आमतेत्ता एवं क्यासी-एवं खलु अज्जो तीसं मोहणीयहागाई इमाई इत्थीबा पुरिन्सोवा अभिक्षणं 2 आयरमायो या समाथरमाणे वा मोहणिज्जताए कम्म पकनितंजहा जे. केवि तसे पाणे, नारिमझे विशाहिया। उरएणऽम्म मारेति महामोहं पन्वय॥ पाणिणा संपिहिताणं, सोयमावरि पागिणं / अंतो न मारे३ महामोहं पनुबजायते समारभाबटु ओभियाजणं। तो धूमेण मारे, महामोर पडब्बर // 20 // सीसीमि जे पहति, उत्तमंगंमि यसा। विमान मत्थये गले. महामोह पकुलद // 2 // सीसावेदेण जेकेइ आवेटेड अभिक्षणं / तिव्यासुभसमायारे महामोहं पनुमा // 22 // पूणो र पणिधीर णित्ता वाले उसे जणं / फलण अदुना रंडे महामोहं पकुवदा॥ शूढापारी नियहिज्जा, मायं मायाए छायाए / असधनाई निण्डार महामोहं पलुबह सेइ जो अभए अकम्मं अत्तकम्यूणा / अदुवा तुममनासित्ति महामोहं पकुबइ // 25 // जाणमाको पुस्सिी सचमोसाइ भासति / अक्मीण इसंहये पुरिसे महामोहं पकुवरा६॥ अणायगस्स नयनं दार नसे. व धसिथा। विउलं विस्वोभत्तागं निशाणं पविाहरं ॥२७॥3वगसंतपिझपित्ता पडिलोमानिगािभोगभीगे विचारतिमहामोहं पकुबह // 4 // अकुमारभए जे कर कुमारभूपत्तिऽहं गए। इसीकि Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽護養護護選獎獎獎 [266 श्री आगम मुधा सिन्धु: / नवमो विभागः सयगेहीए महामोहं पलुब्बा अभयारी जेकेई बंभयारीति& वए। गहभेर गवं मझे विस्सरं नदतीनदं ॥३०॥अय्ययो अहिए बाले मायामोसंबहुंभसे। इत्थीसियनिदिए महामोहें पकुवइ // 31 // जनिस्सिए उब्बहती जससाऽभिगमेण य / तस्म लुभइ वितमि महामोहं पकुव३ // 3 // ईसरेण अदुवा गामेणं अयी सरे ईसरीकए। तस्स संपरिंगहितायहीणाम्स. सिरी अतुल्लमागया। 33 // ईसाहोसेण आइरठे कलु साविधालचेयसे / जे अंतरायचएर महामोहं पव्वइ३०॥ सप्पी जहा अंडपुर्ड भत्तारं जो रिहिसर / ' सेणावति पसत्यारं महामोहं पमुबह ॥३शानायगंध रहस्स नेथारं निगमस्सवा। सेहिं बदर हंता महामोहं पलुबह // 36 // बहुजपस्सनेतारं दीवंतागं च पाणिणं। एयारिसनरं हंता महामोहं पकुब्बाइ // 37 // उनहिठयं पडिविरयं संजय सुसमाहियं / विठकम्म धम्माओ भंसेति महामोहं पनुपर॥३८॥ तहेवाणंतनाणीयं जिणाणं वररंसिणं / तेसिं अवण्णवं बाले महामोहं पकुबइ // 39 // गेयाज्यस्स मणस्स कुरो अवहर रज्जातीब त तिप्पयंतो भावति महामोर्ट पळुब्बइ // 0 // आयरियावन्झाया सुयं निणयं गाहिए। ते वेव सिं सती बाले महामोहं पनुबाआयरिउक्सायागं सम्मन पति प्यई / अपरिपूथए ध महामोहं पनुन 42 // अबाप्सुरुलिय)जे के: सुएणं पविकल्याई / सम्झायबाई वरति महामोहं पनुब्बा // 2 // मनर स्सीय जेई नग पविकत्थई / सबलोगपरे नेणे महामोहं मनुब्बर // 4 // साहारणहठा जे केई गिलाणमि उपरिग्ए। पभून कुब्बई कि मपि से ण मुब्वति // 45 // सठे नियडिमण्णाणे कलुसाउलयसे / अप्पणो य अबोहीय महामोहं पलुबाजेकहाअधिकरणारं संपांजे पुणो पुणो / सम्वनिमाण भेयाए महामोठं पकुखद ॥४॥जे य आहम्मिए जो संपांजे पुणो पुणो / सहाहे सहीटे महामोहं पा व्य van जे यमायुम्सए भीए अवमा पारलोहए।नेऽतिप्पयतो आसथति महामोहं पनुवाइजी जत्ती जसो पण्णी देवाणं पल बीरियं / तेसिंभवण्णवं बाले महामो घाब // 50 // अप्यसमा Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्र 00 वश 20) 267 पम्मामि देने जम्य गुमपणे * अण्णा Gणदरी महामोह परब्बा। एने मोरगुणा कुत्ता कम्मन्ना चित्तता अभिमन्यू विगज्जेज्या परिजसगवेसए अंपि जाणे मी पुजाकि. वजहें। ते पन्ता ताणि सचिज्जा हि भायार सि // 4 // आधारश्ते सुप्रप्या धम्म विद्या भणुत्तरे। ततो बामे समोसे मिस सौविसी जहा सुज्झना सुचतम्रोसेसुदप्पा धम्मदी विदिता परे। बहेव लभते किसिं ऐच्चा य सुगतिवरे एवं अभिसमा: गम्म सूरी दरपरकमा / सब्वमोहविनिम्मका जातिमरणमति. खियमि / हननम दसा ममता" / . अय आतिस्थानाख्यं दशममध्ययनम्। ने जाणो ने समएस रायझिो नाम परे होन्या समो. गुमसिलए गए राजिहे नगरे सजिए नाम राया होत्या रायबगणओएवढा मोवाइडर जा चेल्लणाए सहिजार विहर। सू०३७॥ तए णं से सगिए राथा अण्णथा कयाई हाए कयन लिकम्मे कथनोग्यमगलपायधिले सिरसाहाते कंठमालकडे भाविद्यमणिसुवण्णे कप्पियहारडहारे तिसरथ-पालबपलबमा. ग.कडिसुससुझयसोहे पिणपगेविज्जे अगुले जग जाव कण - मएचे अलंक्रियविभूसिए नारि सकीररमल्लदामेण धस धरिजमाणगं जान ससिल पियन्सयो नरबई जेणेव बाहिरिया उबदगाणसाला जेणेष सीहासणे नेणेर उवागरता सीहामणपरंसि पुरणाभिमुहे निस्सीय सा कोडंबियपुरिसे सहायता एर्ग बदामी- TREE तुट्टो देवाणप्यिथा / जाई इमाई रायगिहम्म नगरसबहिया तजहा- आरामाणि य उजाणाnि य आसगाजिय भायतणाणिय देवकुलाणिय सभाओ यपवाभीय पणियगिहाण यपणियसालाीय हाकम्मंताणिय वाणियकम्मंताणि य एक कम्मताणि य इंगलकामंताणि च वणकम्मंताणिय दमकम्यतालिय 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [26] श्री आगम मुपा मि-युः 0 नवमो विभागः जे तत्येव महत्तरगा आणता चिति ते एवं वदह-एवं खलु देवा-. गुप्पिया। सेणिए राया भंभासारे आपवेति-जया गं समये भगवं महागीरे आइगरे तित्थयरे जाव संपाविउकामे पुन्वाणुपुर्वि घरमाणे गामाणुगाम इतिजमाणे मुहंमुणविहरमाणे में जमेण तवसा अय्याणं भावमाणे इहमागोजमा नयाग देवाणुप्पिया। तुमे भगवो महावीरस अहापडिरूवं उदं अगुजाणे. ज्जा, सेणियास रण्यो भभामारम्स एयम पियं निवेएह नए. गं ने कोडंबियपुरिमा सेणियुगं रणा भंभासारेण एवंदुत्तासमाणा हरग्तुग आव हिययाजाव एवं सामित्ति आणाए विणणं वयणं पोसुणनित्ता सेणियम्स रणो प्रतिभाओ पडिनिवस्वमति 2 ता रायणिहस्स नगरस्स माझंमम्झेणं निग्गच्छति र ता जाई इमाई भति रायशिहस्स बहिया आरामाणिवाजावजेतत्य महय रगा अण्णता चितिते एवं वदति जाव सणियस्सरण्णो एय मट पियं निवेदिज्जा मे पियं भवतु / दो पि एवं वदति रत्ता जामेव दिसंपाउन्भया तामेव रिसंपडिगया।म०३१॥ तणं कालणं तयं समय समणे भगवं महावीरे भागिरंजा. व गामाणुगामं इज्जमाणे जाव अय्याणं भावेमागे विहरति / तते णं रायशिहे नगरे सिंघाडग-तिगधाक-चचर आव परिसापा: गया जाव पज्जुबामति रानते ण महत्तरगा जेणेव समणे भगवं महा बीरे धउवागधतिरत्ता समयं भगवं महावीर चंति नम सति ता नामगोयं पृच्छतिर तानामगोत्तं पधारेति रत्तार गभओ मिलति र ता एगनमवतमतिर ता एवं वदासी-जस ण वाप्पिया। सेणिय राया मनासारे दसणं कायर जम्स गं देगाप्पिया। सेपिए राया इसणं पीति जन्म वादिया! सोणए राया दमण पत्धति जसणं देवाणुप्पिथा। सेपिर गया दसण अभिलसति जस्स गं देवाणुप्पिया / सेणिए राधा नाम. गोतस्सविसवणयाए हड़ताजाव भगति सेणं समणे भगवं महावी आदिशतित्थगर जाव सम्यग्णू सब्बास्सिी पुजा 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽幾 Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽護護 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्र 00 दशा 20] [269]: णपब्विं चरमाणे गामाणुशामं इइज्जमाणे सुटे सुट्टेणं विहरमाणे इहमागते इह संपत्ते इह समोसटे जार अप्याणं भावमाणे विहरति / तं गधामो णं देवाणुप्पिया ! सेणियस्स रण्णो एयमटुं पियं निवेडेमो पिर भे भवतुतिकटू एयम भरणामस्स पडिसुगंति र त्ता जेणेव रायशि नगरे तेणेज उवागच्छति रत्ता रायगिह नगरं मामगंजेणेव सेणियस्सरण्यो मिजणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति रत्ता सेणियरायं करतलपरि-. गहिथंजाव जपणं विसरणं बहावेंति रसा एवं वासी-जास गं सामी ! इंसणं कंस्खंति जाव से गं समणे भगवं महावीचे गुणन्सिलय : इए जाव बिहरहतं गं देवाणुप्पियाणं पियं निवेदामी पियं भभवतु // सू०३९॥ तते णं से सेणिए राया तेसिं पुरिसाणं अंतिए एथमहसो धानिसम्म हातुइठ जान हिया सिंहासणाभो भन्भुडेनि २त्ता जहा कोणिमोआव वंति नमसतिर ताते पूरिसे सकारति संमाणेति 2 ता विउलंजीवियारिहं पीतिहाणं इलयति रत्ता पडिविमखेड २ना नगरगुतिए सहावेइ एवं वासी-चिप्यामेव भो देवाणुप्पिया! रायगिहं नरं सभितरबाहिरियं आसियसंमजिओचलितंजार पच्चप्पिणीत ।।सू० 40 // तए. से सेणियरायाबलवायं सहावेतिरत्ता एवं क्यासी.. घिप्यामेव भो देवाणुप्पिया! हयगयरहजोहकलियं चाउरंगिणि सेन्नं सन्नाहेर जाव सेऽविपच्चाप्यणति / तते गंसे सेणिराया सामसालियं सहावेतिर ता एवं वदासी-खिप्पामेर भी देवाणयिया। धम्मियं जाणपनरंजुत्तामेव उपहावेह रत्ता मम एथमाणतियं परचयिणाहि / तते णं से जाणसालिए सेमिएणं ण्णा एवं पुत्ते समारोह तुल जाव हियये जेणेव जाणसाला तेणेव उवाग 2 ता जाणसालं अपवित्स२त्ता जाणं पच्च्वेक्वडत्ता पोतभतिरता ताणणं संपमजइरसा जाणगंणीणतिरता जाणगं संवहदत्ता इस पीयतिरता जाणाई समलंकरे रत्ता जाणारं परमंडयाई क रत्ता इस पहिणेइरता जाणई संवेदत्ता जेणेव वाहणसाला तेणेष जवान दत्ता वाहणसाल भणुपक्सिति रत्ता वाहणाई पविजापति Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎獎獎 [270] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग. २-सा बाहणाई संपमजत्तिा वाहणाई अप्कालाइ रत्ता वाहणारं गीणतिर त्ता इसे परिणति रत्ता वाहणाई अलंकारेति रत्ता वाहणाइगभरण परभड)मंडियाई करति २त्ता आणगंजोएति रत्ता वार्ड मोत्यहमण) गाहेतिरता पभोगलट्ठिं पओगधरयु यसमं आरोहना जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागरवत्ता करथले / जाव एवं दासी-मुत्ते ते सामी। धम्मिए जाणयबरेआइहठा भत। युगाही // 41 // नए सेणिय राया भभामारे जाणासालियस्स अतिए एयमहर्ट सोच्या निसम्म हठतु जाब मज्ज. ण अणुपविसह जान कप्पलखए चैव मलंकियविभूसिर नदि जाव मज्जणधसभी पडिनिबरवमति रत्ता जेणेव चेल्लणा देवी तेणे. व उनागच्छदना चिल्लणं देवी एवं वदासी- एवं वा देवाणुरिपy! समणे भगवं महावीरे आदिगरे तित्वगरे जाव पुज्वाणुपुब्विं चरमाणे जार संजमेण तवसा अय्याग भावमाणे विहरति, तं महाफलं खलु देवाणूप्पिए। नहाकवाणं अरहताणं व तं गच्छामो देवाणुपिएसमणं भगवं महावीरं वदामो नमसामो सका. रेमो संमाणेमो मल्लागं मंगल देवयं चेयं पजुवासेमो एतं यह इहभवे य परभरे यहियार सुहाय विमाए निरोसाए आणुशामियत्ताए. भविस्सति / / सू०१२॥ तते णं सा चिल्लणा देवी सेणियस यो अंतिए एयमन सोचा निसम्म हरतुरठ जाव पडिसुतिर ता जेणेव मजणबरे नेणे वागता पहाया कयबलिकम्मा कयकोउयम. गल्पायन्छिना, विते 1 बरपायपत्तनेउर- मणिमेहला-हाररयागरबति य कडरबडुपणावलिकंठसुत्तमुरज-तिसरयतनरवलय-हेमसुत्नय-कुंडलुजावयाणा ज्यानभूपियंगी चीणंसुयवस्थपनरपरिहिथा दुगुल्ल सुकुमाल नरमणिनात्तरिज्जा सम्बोउथसुरभिकुसुम-सुंदररइय-पलबसोडतक्त शिक सतचित्तमाला वरचरणचञ्चिथा पराभरणभूसियंजी कालागुरुध. मधुविधा सिसीसमाणसा बहहिं खुजाहिं चिलातियाहि भाव महत्तरण बिदपरिमिता जेणेव बाहिरिया उवरमणासाला जेणेव सेणिए राया ले र NUE "043 // तसे सेणिए गया जिल्लणारा देवी Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिस की दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 20] [21] पा, धम्मियं जाणप्यवरं दुरूहति सकोरिटमल्लदामेणं छनेणं धरिजमाणेणं उपवाइयगमेणं जाव पज्जुवासइ / एवं चल्लणावि जाव मह-तरगविंदपरिविवत्ता जेणेव समणे भगवं महावी तेव उवागछति सत्ता समयं भगवं महावीरं वदति नमसति रत्ता सनिय रायं पुरी काउंनितिया फेव पन्जुवासति / ततेणं समय भगवं महावीर सेणियास रण्यो भंभासारस चिल्लणाए य देवीए तीसे महतिमहालियापुर परिसाए जइपरिसाए इसिरिसाए मुणिपरिमाए देरपरिमाए मणुस्सपरिसाए देवी रस्साए. अणेगसथाए जावधमोक सेणिओ राया पडिगभी 3 // 044 // तत्थेगतियाणं निग्गंधाण य निर्णधीण य सेणियं रार्थ चिल्लणं देवी पासित्तागं इमेशासवे अज्झथिए आव संकय्ये समप्यन्जित्था- अहो गं सेणि राथा महड्ठिए जान महासोक्य जेणं बहाए कयनलिकम्मे कयको उयमंगलपायच्छिते सव्वालंकारा भूमिते चिल्लणाए देवीए सर्वि उरालाई भोगभोगाई झुंजमाणे विहरति / न मे दिठे देवे देवलोगमि, सम्वं खलु अयं देवे। जब इमापस तबनियमबंभचेरवासम्स मलवित्तिविलेसे अस्थि तथा क्यमवि आणमस्साए इमाई उसलाई एथारूवाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंज. माणा विहरामो सेतं साहू 3. अहो णं चिल्लया देवी महिडिव्या जाव महासोमवा जाणं बहाया करवलिकामा जाव सबाल. कारविभूसिया सेणिरण रण्णा सउिरालाई माणुस्स्सगाई भोग भोगाई भुंजमाणी विहरक्षण में दिगओ देवीओ देवलोए, सम्वं खलु य देवी 51 जर इमस्त सुचरिथरस नवनियमबम चरवासस्स कालाणमलवित्तिविलेसे अस्थि वयमवि आशर्मिस्साणं इमाई एयारवाई उरालाई जार विहामो,सेतं साहुणी ६॥सू०४५॥ अज्जोति समणे भगवं महावीरे हवे निजथा य निग्गंधीय आमंतिता एवंन्यासी-सेणिय शयं चिल्लया दे वीच पासित्ता इमे एयासवे अन्झथिए जाव समुप्यान्जित्था भहो यां Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [272] श्री आगम सुधा मि-धु वमो विभाग सेणिए राया महिडिटएजाब सेतं साहू, अहो दिल्लणा देवी महडिळया सुंदराजार सेतंसायी, सेणणं असो ! अन्धेसम?' हंता अधि / एवं बलुसमकाउसो ! मए धम्मे पण्णाने इणामेर निगये यावयणे सत्ये अयत्तरे पडिपणे केवलिए संमुहले आउए सललगलगे सिडिमणे मतिम निजाणमणे नि. व्वाणमरणे अक्तिहमविसंधि सव्वदम्पय्यहीणमरणे इत्थंटिया जीवा सिझंति बुज्झांति मुचंति परिनिवाइंति सबकरवाणमंतं करेंत / जस्सणं धम्मस्स निये सिवाए / उपस्ठिए विहरमाणे पुरा दिगिंधार पुरा पिवासाए पुरावातानवेहि पुरोहिं विकनकोहि परिसहोवसरोहिउदिण्णकामजाय यावि विहरेजा से य परक्कमेज्जा से य परकुममा पासेजा जेज्मे उणपुत्ता महामाउथा भोगपुत्ता महामाउथा तेसिंणं गणतरस्य अतिजायमाणान्सवानिजायमाणम्स वा पुरी महंगासी दास-किरकमकर-पूरिन्सायं अंते परिक्षितं धत्तभिंगारंगहाय निग्गरति तदणंतरंच पुरी महाआसा आसरा उभभी तेसिं नागा नागवत पिहनी रया रथवरा भसंगिल्ली सेनं उदरियसेयरछत्ते भभुगभिंगारे पगरियतालियरे पविय. पण (त्त सेयचामरवालवीयणीए अभिनव अर्तिजाति य निजाति य सप्पभा / सपुब्बानरं च पहाए करबलिकम्मे जाव सल्वालं. कारविभूसिर महतिमहालियाए कडागारसालाय महतिमहालयसि सिंहासणंसि आर सब्बरातिगिरणं जोषणा सियाथमाणे इथि. शुम्मपरिबडे महास्य-नहगीय-वाश्यतीतलताल तुरिय-घणमुश्म सहलपडप्यवाश्यरवेणं उरालाई माणुसगाई भीगभीगाई भुजमाणे विरह। तत्सर्ग एगमवि आणजे माणस जान चतारिफ्य अमत्ता चब अभुति भणह देवाणुप्पिया!निकरेमो विभाहरेमो वि. मोमो आचिट्ठामो? किभेथियिनिते आसप्स सहति ? जं पासिता निगये निहायं करीति जर इमस्स तवनियम मंगरवासस्स तं वेवाव साह एवं खलु समणाउसो ? निग्गये 羨獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 夔夔夔獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 10] [273] निराणं हिच्या तस्स गणम्स अणालोइयअपडिकते कालमासे कालं किच्या अण्णतरे देवलोगेसु देवत्ताएउववत्तारोभवी महिरिसुजाव चिररिठइएमा सेणं तत्थ देवे भवति महि. विटए जाव चिरखिए / ततो देवलोगाभो आउचारणं भवमवरणं दिखएणं अतरं भयं चश्ता जे इमे उग्गयुत्ता मधमाउयां भोगपुत्ता महामाउया तेर्सिगं अण्णतरंथि कुलम पुत्तत्ताए पचायाति। सेणं तत्व दारए भगति सुकुमालपा मिपाए जाव सुरवे 10 तनेणं से दारए उम्मकबालभाने विण्णाय. परिणयमिक्स/मेव इयं हाथं परिवज्जतिरातरसमजाये. माणस वाणिज्जायमाणस्स वा पुरओ मह जाव दासीदास जाक हिं ते आमगरस सरति ? तस्स गतहप्पगारस पुरिसजायन्स तहासवे समो वा माहो वा उभयकाल केबलिपण्णा धम्म आइसज्जा ? ठंता आइक्रयेज्जा 12 / से गं पडिसुणेज्जा ? यों इणहठे समरठे 131 अभयिए णं से तस्स धम्मम्स सवणथाए, से य भत्रति महिछे महारंभे महापरिगहे अहम्मिए जाव आगमेसाणं दुल्लभबोहिए थावि भवति तं एवं खलु समणाउसो! तास निदाणस्स इमेथारूने पावमलविवागेको संचारति केवलियण्णतं धम्म पडिसुणेत्तए 1 // 046 // एवं खलु सममाउसो! मए धम्मे पण्णते, तंजहा-इणमेव निरगंधे पावयों सच्चेजारसम्बस्वाणमत करोति / / जस्स धम्मस्स निग्गंधी सिवाए उरिठया विहरमाणीपुरादिगिंधायु जाव उरिण्णकामजाया विहरेज्जा ।साथ परकुमेज्जा साय परक्रममाणी पासेज्जा से जा इमा इत्यिया भवति एगा एगजाया एगाभरणपिहाणा तेलपेला व सुसंगोविथा चलपेलाव सुसं. परिग्गाहिया रयणकरंडगसमाणा तीसे गं अतिजाथमागीए वानिमा यमाणीय वा पुरमो महंगासगस जाव किते आसगरम सरत? जं पासित्ता निग्गंधी निहाणं करेति-जति इमस्स सुधरिशम्सतव. निगमबंभचेर जान भुंजमाणी स्तिमि, सेतं सादगी / एवं बलु Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎 274] . श्री आगम मुधा या नवमो विभाग समारसी, निग्गंधी निदा निरचा तम्स ठाणम्स अणा लोइय अपडिता कालमासे काल निच्चा भण्णनरेसुदेवलोम सु देवनाए ववत्तारो भवति मड्रिम जाव साण नाथ देने भवति जार भंजमाणे विहर। सानाओ देवलोगामी आउलाgणं आव अणंतरं चयं चत्ता जे इमे भवति उगपुत्ता महा माउगा भोगपुत्ता महामाउया एतेसिंगं अण्णतरंसि कुलसि दारिय. नाए पच्चायाति सामं तत्थ दाग्थिा भवति सुकुमाल जाव सुरूवा। तते णं तं दारियं अम्माबियरो उम्मुलबालभावं विवाय. . . परिणयमित जोवणगमगुप्यतं पडिकवेणं सुकेणं पडिस्वस्स मसारस्स भारियताए दलंति। साणं तस्स भारिया भवतिएगा एगजाया इठे जार रयणकरंडगसमाणी - सीसे जाव अतिजायमाणीए वा निसाथमाणीए वा पुरभी महं दासीदास जाव कि ते आसगास सदार्ति? तीसे गं नह प्यगाराए इत्थियार सहा. को समणे वा माहणे ना उभीकालं केवलियण्णत्तं धम्म आइ. मरखेओ हंता आइम्रयेजा, साण भंते ! पडिसुज्जा' जो इणरठे समठे 301 अभरिया on मा तरस धम्मस्य मनणयाए, साय भवति महेछा महारंभा महापणिहा जाव दाहिणगामिपुर नेरझए आगमिस्साए दुल्लभबोहियताए भवति, एवं खलु समणारसे तस्स निदाणस्स इमेवाळवे पावफलविवागे अंणो संचाएति बलि पण्यात धम्म पडिमुणिनए 14 // 904 // एव विलुमणाउसो ! मए धम्मे पण्णते इणमेव निगांधे पावणे तह चेव जस्स णं धम्मस्सनि : गंथे सिवाए उठिए विहरमाणे पुरादिमिछाए जाव से य पर. कुममाणे पासेज्जा-इमा इथिका भवति एगा एगजाया जावनिते / आसगस्स सदनि 1 ज पासित्ता निगये निहाण करीत दुकावं बलु पुमत्तणए 1, जे इमे उगपत्ता महामाउया भोगपुत्ता महामाउया.ए. तेसिं अण्णतर उच्यावरसु महासमरसंगामेसु उच्चावयाइंस. स्थाई उसि चेव पडिसंवेदेति तं दुक्रवं रबलु पुमत्तणार इत्थीत्तण साहु 2 जति इमरस तवनियमबंभचेरभासस्स फलवितिविसेसे Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्र 00 दशा 10] [275] भौथ रामान भागमेसाण जाव इमेलबाई उरालाई इत्थीभोगाइ अरसामो, सेनं साहू एवं खलु समणासो ! निरगं निहाणं किंन्यासमा गणररा अपलोड्भपतितेजाव अपडिवन्जित्ता काल. मागे मान लिया -नने जाव सेणं तस्य देवे भवति महिए जाव विहरति / येणं ताओ देवलोगाभो आस्वए जाव अतरं चइता अण्णतरंसिकुलमि दारियनाए पन्यायाति जाव तेणं तं दारि, यं जाव भारियनाए दलयति / साणं तस्स भारिया ~~ भव तिरगाएर माथा जाव तहेव सव्वं भाणियब्वं तीसे गं अति - जायमाणीवीआर किते आसगस्स सदनितीसे ण तहथ्यगागए इत्यिकाए तहारने ममणे वा माहणे वा धम्म आइक्वेला रहतामा इक्वेज्जा / आव पिडिमुणेज्जा जतिणढे समस्ले / अभरिया णं सा नस धम्मस्म सवणथाए.साय भवति महिला जाव बाहि. णमामिए नेरए, आगमिस्साणं दुल्लभवाहिए याविभवति / एवं खलु समणासोतस निदाणम्स इमेयासवे पारफल विवागे भगति णो संचाएति कवलिपण्णत धम्म पडिमणेत्तए 10 // एवं खलु सममानली! मार धम्मे पण्णते इणमेव निजथे पावयणे, सेसं तं व जाव अंतं करोति / जस्सणं धम्मस्म नि. गंधी सिक्वाए उठिया विहरमाणी पुरादिनिधाए जाव उरिण कामजाया याविविहरेजा 24 सा य परकममाणी पासेज्जा से जे इमे भवति उरगपुता महामाउथा भीशपुत्ता महामाग्या जाव कि ते * आसगस सहति / जे पासित्ताणं निरगंपी नियाणं करेति-दुक्वं खलु इत्थित्तणए, दुरसंचाराई गामंतराई जान सन्निने संतरः . 3 / से जहानामए अंबपेसियाति वा अंगाउपेसियाति वा मातु लुंगपेसियाति वा मंसपेसियाति का उछुवंडियाति वा . wwwr. संवलिपपलियाति वा बहुजणस्स आसाथ... णिज्जा पत्थणिज्जा पीहणिजा अभिलसज्जिा एवामेव इम... काधि बहुजणस्स आसायणिज्जा जाव अभिलसणिज्जा, नं दृकरवं खलु इत्थितगर, पुमत्ताए साढ 4 / जइ इमरस तव ... 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [276] श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभाग नियम आव अस्थि अहमवि आणमिस्साणं इमाई एयारूवाई पुरिस भोजभोगाइं भुंजिरस्सामि, से तं साहणी 5 / एवं खलु समगाउसो। निग्गंधी निदाणं किच्या तस्स ठाणस्स अणालोइयअयडिकुंता जाव अपविजित्ता कालमासे कालं किच्या अण्णतरेसु देवलोएसु देवताए उववत्तारो भवति / से गं तस्य देवे भवति महिदिढएजा. व चइत्ता जे इमे भवंति उग्गयुत्ता तहेव दारए भवति जाव किं ते आसगस्स सदति ? तस्स णं तहप्पगारस्स पुरिसजायर-सजाव अभविएणं से तस्स धम्मस्स सबणयाए / से य भनति महिछे जाव दाहिणगामिए नेरइए जाव दुलहबीहिए यावि भवति / एवं खलुजाव पडिसु णित्तए / ॥सू०४९॥ एवं खलु समगाउसो ! मए धम्मे पण्णते इणमेर निग्गंधे पावणे जावंतहेव / जस्स णं धम्मस्स निग्गंधेबा निग्गंधी वा सिम्खाए उठिए बिहरमाणे पुरादिगिंछाए जाव उदिण्णकामभोगे बिहरिज्जा 2) से य परकमेज्जा,से य परिक्कममाणे माणु सेहि कामभोगेटिं निवेयं गच्छेज्जा, माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुवा अणितिया असासथा सडणपणविद्धंसणधम्मा उरचारपासवण-खेलसिंघाण-वंतपित्त - सुक्कसोणिय समुभवा दुरु. वउस्सासनिस्सासा दुस्वमुत्तरिसपुरणा वंतासना पित्तासवा. खेलासवा पच्छा पुरं च णं अनस्सं विप्पजहाणज्जा 3 / सति. उइदं देवा देवलीए तेणं तत्थ अण्णसिंदेवाण देवी भी मभि जंजियर परियारैति, अप्पणा चेव अप्पाणं विउवित्ता परियारंति, अप्पणिज्जिथाभी देवीओ अभिजिथ 2 परियारंति। जति इमस्स तवनियम जाव तं चैव सब्वं भागिय वं जाव क्यमवि आगमेस्साणं इमाई एयारवाई दिवाई भोगभोगाई भुंज. माया विहरामो, सेतं साह 5 / एवं खल्तु समणाउसो ! निग. धेवा निग्गंधी या निदाणं किच्चा तस्स ठाणस्स अणालोइय. Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 10] . [277] पतिते कालमासे कालं किच्चा भण्णतरेसु देवेस देवताए उववत्तारो भवंति,तंजहा- महिढिएसु जाव पभासमायो / से णं देवे अण्ण रेवं अण्णां देवी तंचव जाव पक्यिारेति // सेणं ताओ देवलीगाओ आउखाणं तं वजार पुमत्ताए / पंच्चायाति जाव किं ते आसगस्स सदति ? तम्स णं तह पगारस्स पुरिसजायस्स तहारवे समणे वा माहणे वा जाव पडिसुजाता पडिसुणेजा 8 / से णं सदहेज्जा पत्तिएज्जारोइज्जा ? यो इण हे समठे 9 / अभाचियं से तस्स धम्मस्स सद्दहणताए से भवति महि. च्छ जाव दाहिणगामिए नेरइए आगमिस्साए दुल्लभबोहिए / थावि भवति 10 / एवं खलसमाणाउसो। तम्स णियाणस्स इमेथारूवे पावफलधिवागे अंणो संचाएति केवलियण्णत्तं धम्ममहहेत्तएवा पत्तिइत्तए वा रोइत्तए वा 11 // 1050 // एव खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णसे तं चैव सेथ परकममाणे माणुस्सएन्सु कामभोगेर निब्वेयं गज्जा 11 मागुम्सगा खलु कामगोगा अधुवा अणितिया नहेव जाव संनि उटं देवा दवलोजांसि ते णं तय जो अU देवं जो य अण्णासो देवीओ अभिजुजिय 2 परियारतिभप्यणाचेव अप्याणं विलित्ता परिचारैति, अप्पणच्चियाए देवीए अभिमुंजिय परियारेति 2 / ता जइइम. स्स तवनियम तंचेव सवं जावमेणं सदहेज्जा पतिएजा रोएज्जा ? णो इणठे समठे, अण्णस्थलई रुइमायाए से भवति३। सेजे इमे मारणिया आवसहिथा गामणियं. तिया किण्हरहस्सिया णो बहुसंजया णो बढ़यडिलिरया सयपायाभूयजीवसत्तेस अध्यणा सच्चामोसाई एवं वि. पडिवति पाउंजंता) अहं ण त यो अण्णे हंतम्या, अहं न असावेयन्यो अण्णे अज्जावेथना,अहंन परियावे. यन्यो अणे परियावैथब्बा, अहं न परिधेत यो अण्णे परिघेत्तव्या, अहंन उवयचो भण्ो उद्वेयन्वा / / एबामेव इत्यिकामेहिं मुखिया गठिया गिदा अज्झोनवण्या, 蔓蔓蔓蔓蔓幾幾幾談談幾變變 Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [278] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग जाव कालमासे कालं किच्चा अण्णतराइं आसुराई कि ब्धिसियाई ठाणाई उयवत्तारो भवंति / ततो मुञ्चमाणा भुज्जो 2 एलमयत्ताए पच्चायतितं खलु समगाउसो! तस्स निदाणस्सजावणी संचाएति केलिपण्णत्तं धम्म सहहित्तए वा पतिइत्तएवा रोइत्तएवा ॥२०५१॥एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णत्ते जाव माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुना तहेव संति उझ्ठं देना देवलोयसि अण्णं देवं अण्णं च देवी अभिलुजिय२ परियारेंति, णो अप्यणा चेव अय्याणं विउलिय२ परियारैति.अय्याणच्चियाए देवीए अभिमुंजिय 2 परियारैति / जति इमस्स तवनियम तंचेव जाव एवं खलु समणाउसो ! निग्गंथो. वा निर्णधी वा निंदाणं किच्चा तस्स ठाणस्स भणालोइयअप्यडिळूते जाव विहरति 2 / से गं तत्य अण्णे देवे अण्णाओ देवीओ अभिमुंजिय र परियारेति, णो अप्यणा चैव अभ्याण विउलिय 2 परियारेति, अयणच्चियाए देवीए अभिमुंजियरपरियारोति 3 / से यांनाओ देवलोगाभी आउखएणं नहेव वत्त वं वरं हंता सदृहिज्जा यत्तिएज्जा रोएज्जा से णं सीलवय-गुणवय-रमण-परचक्रवाण-पोसहोरवासाई पडिवज्जेज्जा ? नो इणढे समठे 5 / से णं सणसागए भवति अभिगयजीवाजीवेजाव अहिंगमिंजपेमाणुरागरते जाव एस अढेसेसे अगढे 6 / से णं एथारूवेणं विहारेणं विहरमाणे बहूइंवासाई समणोवासगपरियागं पाउणदरता कालमासे काले किच्चा अण्णतरेसु देवलोगेसु देवताए उववत्तारो भवति 7 / तं एवं खलु समणाउसोतस्स निदाणस्स इमेयारूवे पावफलरिवागे जंणो संचाए द सीलन्वय गुण्यवेरमण-पच्चारवाण-पोसहोववासाई पडिवन्जित्तए॥ Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MMMMMAMAYAYAYAYAMAMO . A RTalente: श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 20 [279. ॥सू०५२।। एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णते,तं चेव सावं जाव से य परममाणे देवमाणुस्सएहि कामभो. गोहि निब्वेदं गच्छेज्जा ? / माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुवा ज्ञाव विप्यजहणिज्जा 2 दिवावि खलु कामभोगा अधुवा अणितिया असासथा चला चयणधम्मा पुणरागमणिज्जा.पधा पुत्वं चणे अवस्सविप्यजहणिज्जा 3 जति इमस्स तवनियम जाव आगमिस्साणं जे इमे भवंति उरगपुत्ता महामाउथा जाव पुमत्ताए पध्यायति / तस्य गं समणोवासए भनिस्सामि अभिः गतजीवाजीवे उरलद्धपुण्णपावे जाव फासुएसणिज्जेणं असमपाणस्वाइमसारमेणं पडिलाभेमाणे बिहरिस्सामि से तं साह एवं खलु समणाउसो ! निग्गंयो वा नि. गंधी वा निदाणं किच्चा तस्स ठाणस्स अणालोइय एसुदेवताए उववजारो भवति / / सेणं वामओ देवलोगाओ आउकवएणं आव आसगस्ससइति? तस्स णं तहप्पगारस्स पुरिसजातस्स जाव पहिसुरोज्जा 1 ता पडिसुज्जा, सेणं जाव सज्जा / हंता सहेजा, सेणं सीलवय जाव पोसढोरवासाइं पडिवजेता ? हेता पहिवज्जेज्जा, सेां मुंडे भक्तिा आगाराओ अण. गारियं पवइज्ज्ञा 1 .गो इणठे समठे / सेणं समणो वासए भवति अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरति / सेणं एथारूवेणं विहारेणं विहरमाणे ब. हणि वासाई समणोवासनपरियाणं पाउण रत्ता भा. बाधसि उप्पण्णांसि वा अणुप्पमंसि वा बहाई भत्ताइ पञ्चक्खाइ र ता बढ़ई भत्ताई अणसणाए हेति रत्ता आलोइयपडिकंते समाहपत्ते कालमासे कालं किरचा अण्णयरेसुदेव. लोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति / एवं खलु समणाउसो। तस्स निदाणस्स इमेथास्ने पावफलवियागे जो सवाति WINTERPRETIREMEDIA Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ نام های مهم و مهمانان حتی با نی ،ن [20] श्री आगम सुख लि-धु समो विभाग सवओ मुंडे भविता अगाराओ भागास्थि पनइनए 11 // सू०५३॥ एवं खलु समणाउस'मए धम्मे पण ने जाव से य परकममाणे दिवमाणुस्सएहि कामभोगे हि निवेयं गछेज्जा 1 / माणुस्सगा खलु काम. भोगा अधुवा जाव विप्पजहणिज्जा 2 दिव्वावि ग्य. लु कामभोगी अधुवा जाव पुणरागमणिज्जा 3 / जह इमस्स तवनियम जाव क्यमवि आगमेसाणं जाई इमाइंकलाई भवंतितं जहा अंतकुलागि वा पंतकुलाणि वा नुच्छकुलाणिवा दरिदकलाणिवा विविणकुलाणि वा भिकरवाँग कुलाणि वा एएसिणं अण्णातरंसिक लंसि पुमनाए पन्चायति / एस मे भायापरिथाए सुणीहडे भविस्सति, सेतं साहू एवं खलु समणाउसो निग्गयो 'वा निग्गंधी वा नियाणं दिया तस्स गणस्स भणालोइयअपरिवंते सत्व तं चेव से मुंडे भविना आगाराओ अणगारिय पवइजा हता पव्वइज्जा 6 से णं तेणेव भवगहोणं सिझेज्जाजार सव्वदम्वाणमतं करेजा' जो तिणठे. समरठे से गं भवति जेमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया जाव बंभथारिए तेणं विहारेणं विह रमाणा बहइं वासाइं सामगणपश्थिाग पाउणंति र त्ता आबाहसि उप्पण्णसि वा जाव भत्ताई पच्चरवाइनि हता पच्यम्खाइति / बहाई भनाइ अणसाए छति / हता हवेति / छेदिता भालोइयपडिइंते समाहियले कालमा. से काले किच्चा अण्णतरेसू देवलोएस देवताए उवब तारो भवंति 10 / एव समाउसो तस्स नियागरस इमे एयारूवे पावफलविवागे जो सचाएति तेणेव भव गहोणं सिज्झेजा जाव सव्वदुकवाणा अंत करेज्जा / / // सू०५४ // एवं खलु समणासी / मए धम्मे पण्णले 3. मेव निग्गंधे पारयणे जावसे परमेज्जा सम्बकामविरते Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशा श्रुत स्कन्यसूत्रं 00 दशा 101281] सवराग सकसंगातीले सम्वसिणेडातिकते सध्वधारित परिडे 1 / तस्स गं भगवंतम्स अणुतरेयां जायोग भयुक्तरे सणां जाव परिनियामरामप्यावेमाणस्स अयंते अणुत्तरे नित्वाधार निरो कसिणे पडिपणे केवलवरजामासो समुप्य जेज्जा 2 तते गां से भगवं अरहा भलात जियो केवल' सनण्णू सब्रदरिसी सदेवमणुमार जार बहई वारसाई करलिपरियागं पाउणति ना अप्य अरसेसं आभो एति २त्ता भत्तं परचक्रवाई ना बढ़ई मलाई अणसणार छदेइ 2 ता तो पच्छा चरमेति ऊसास. निस्सारलेहि सिझति जाव सब्बरवाणमंत करेति 3. तं एवं समणाउसो' तस्स दास्प इमेया. रूवे कल्लाणे फलेरियाग जं तण भरगहोणं सिज्मति जाव सव्वक्स्वागमंतं करेति // सू०५५॥ ततं ते बहवे निथा य निधीओ य समणस्स भगवओ महावीरन अंतिए एण्यमढं सोचा नसम्म समां भगवं महाभीरं वदंति नमसंति र ता तर-स मास्स आ. लोएंति पक्किमति जाव अहारिहं पायरितं तबो कम्म पडिवज्जति // सू०५६॥ - ते णं काले ण त य समए ण समय भगवं महाबीरे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेय बढ़णां समणाणं बढ़यां समणीयां बरयां साव योणं बढ़णं सारियाणां बटणं देवाणं बहूयं देवीणं सदेवमणुयासुराए परिसाएर मज्स. गडय एवं भाइक्रवइ एवं भासद एवं पण्णवे एवं परुवे नायातिठाणे नामं अझ. यांसअठं सहे उयं सकारण ससुतं स Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [22] श्री आगंम सुधा मिन्धुः नवमो विभाग अत्धं सतद् भयं सवागरणं जार भुज्जो मुज्जो उवई सेतित्ति बेमि // सू० 57 / / " // इति दसमी दसा समत्ता // 10 // / / 33 आयादसाओ।। / / / इति दशा श्रुत स्कन्धरछेद सूत्रम्।। लिखितं संशोधितच्चेदं श्रीदशाभुतस्कंधछेदसूत्रं श्री तपागगनाङ्गणदिनमणि- पन्न्यासप्रवर श्रीमणिविजयगणिवर-चरणमेघमयूर-गणिवर्य श्रीबुद्धिमियमुनिपति- पादाम्बुजशृङ्गायमानपन्न्यासश्रीमदाणंदविजयगणिवर-चरणचन्द्र चकोर-मुनिप्रवर श्री हर्षविजयमुनीन्द्रादिप्रसरसि. रुहमानसराजहंस-तयोमूर्ति- जैनाचार्य रामविजयकर्पूर. सूरीश्वर-पट्टधर -शासनप्रतिवादीभकण्गरव-हालारदेशोद्वारक-कविरत्नाचार्यदेव-श्रीमद्विजयामृतस्रीवर-- च-च-चरणच-धरीक-पन्यास-जिनेन्द्रविजय-गणि. वरेण श्रुतभक्तिसद्भावनाभावितेन जामनगरे दि. ग्विजयप्लोर तयागर जैनोपाभयमध्ये, वीर संवत् 2505 विक्रमसंवत् 2035 फाल्गुन शुक्ल दशम्यां ब्रहस्पतिवासरे गुरुदेव श्रीमविजयामतश्विर्याणां स्वीरोहणतिथौ तत्प्रतिष्ठित क्षीविमलनाथस्वामिप्रसादात्। शुभं भवतु श्रीभ्रमणसइ-घस्य / Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽慧聽聽聽聽聽聽 अहंम् श्रुतधर श्रीनिनभद्रगणिक्षमाश्रमण विरचितं ॥श्रीजीतकल्पसूत्रम्॥ कयपवयणप्पणामो, बुच्छ पच्छिन-दाणसंस्थेवं जीयव्यवहारगय, जीवस्स विमोहण परमं // 1 // संघर-विणिज्जराओ, मोक्यम्स पहो तवो पहो तासि ।तबसे। य पहाणंग, पच्छित्तं च णाणस्स // 2 // सारो चरणं तस्म वि,णिव्वाण) चरणमोहणत्वं चपच्छिण तयं, गेयं मोक्पत्षिणाऽवस्सं / / 3 / / तं दसविह्मालोयण-परिकमणो-भय-विवेग-योमणा / तव छेद-मूल-अणवद्या य पारंचियं चेव / / 4 / / करणिज्जा जे जोगा, तेमुवयुनिस्म जिरतियारस्स / उउमत्धस्स विसही,जइणो आलोयणा भणिया / / 5 / / आहाराईगहणे, तह बहियाणिगामेसु मेरो। उच्चार-विहारावणि चेदय जश्चंदणादीमुं॥६॥ चणं करण जं, जतिणो हत्यमयबाहिरायरिया अविडियम्मि असुडौ,आलोएं. तो तयं मुद्धो // 7 // कारणविणिग्गयस्स य,मगणाओ परगणागतस्स वि या उवमंपया विहारे, आलोयणनिररमण)इयारस्म // 7 // गुत्ती-समि तिपमती (माए। गुरुणो आमायणा विणयभंगे। इच्छाईणमकारणे, लहुम मु. मादिण्णमुच्छम्मु॥ 9 // अविहीय कासजभियन्युयवायाऽसकिलिदुकंमेमुकंदप्पडामविकहाकमाविमथाणुमंगेमु // १०॥लितस्स यस्तस्य .वि, रिसमणावज्जओ जयन्तम्मा महमाऽणाभोगेण च, मिच्छणारी पडिझ 'मणं // 11 / / आभोगेण वि तणुएमु णेहभयमोगल्याउमगदीमु / कंदप्प Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 श्री आजम मुधा गिन्धु * नवमो विभाग, सोगविगहादिएमु णेयं परिक्कम / / 12 // संभमा भयातुरातिमहः साणाभोगणप्पवसओ वा। सचचयातीयारे, तदुभयमासंकिते व / / 13 / दुच्चिंतिय दुभासिय, दुच्चेदिय एवमादियं बहुसी। उव3सो विज याति, जे देसियातियाति // 14 // सध्येसु य चिति. थपए, दंसाणचरणाबराहे / आउत्तस्म तदुभयं, सहमक्काराइ णा चेव // 15 // पिंडोवाहि सज्जादी, गहियं करजोगिणीचयुत्तेणं पच्छा णायमसुद्ध, सुद्धो विहिणा विगिंचंतो // 26 // कालखाणा तिच्छियमणुग्गयत्यमियगरि यमसठी 3 / कारणगहि उच्चरिए,भसादिविचिंचणे सुद्धो // 27 // गमणागमणविरा सुयं मि मावज्जमु विणयादिसु याणावाणदिसतारे, पायच्छिन्नं विउसगी / / 18 // पाणे सयणासणे य, अरहतसमणसेज्जास्। उच्चा पासवणे पण. वीस होन्ति उस्मासा // 19 / / हत्यसतवाहिशतो. गमणागमणाइएसु पणु बीसं / पाणिशादिमुभिणाए, सतमसतं चउत्पम्मि / / 20 // देमिय राय-4 विस्य-चाउम्मास-धरिमेमु परिमाणं / सतम तिष्णि सता पंच सतऽदू तर सहस्म // 21 // उद्देस समुद्देमे, सत्तावीस तहेवऽणुण्णाए। भदेव य ऊसासा, पदवण- परिममणमादी / / 22 / / उद्देमय अज्नयणे, मुतखंधभु कमसी पमादिस्स / कालाकमणादिमु, णाणायाराड्यारेसु // 23 // णिब्धि. गलिय पुरिमडेगभन्न मायंबिलं चणागाटे। पुरिमादी घमणतं, आगाठे एवमत् वि / / 24 // सामण्णं पुण मुत्ते, मतमायामं चउधमम्मिा अप्पत्तोपत्नोवत्तवायणदेखणादीम् // 25 // काला विसज्जणादिम्, मंड. लिवमुहापमज्जणादिमु य / णिवीतियं अकरणे, अपघणि सेज्जा अभ. तही / / 26 // आगाठा 5 णागाटम्मि सध्यभो य देसभंगे याजोगे / दुचउत्पं, चउत्यमायंत्रिलं कमसी // 27 // संकादिएम देने, घमण मिच्छोवरणादिसु य / पुरिमादी स्त्रमणंत, भिक्युप्मभितीण य चतुएं // 2 // एवं चिय पत्तेयं, उपवूरादीण अकरणे जतीण। आयामंतं णिव्वीतिआदि पासस्थासहेस / / 29 / / परिवारादिणिमित्त, ममतपरिपालणादि छल्ले / साहम्मिउ त्ति संजमहे वा सची सुटो / / 30 / / एगिदियाण पट्टणमगाटगाटपरितावणोदवणे। णिवीयं पुरिमई,आसणमायाम Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ M ممیز و تاسفانه / 295 श्री जीत कल्पसूत्र कमसी।।३१॥ पुरिमादी स्वमर्णतं, अतविगलिंदियाण पनेया पंचिदि यम्मि पासणादि कल्लाणगमहगं / / 32 // मोमादिमु मेहुणवज्जिएनु दध्यादिवत्युभिण्णेसु / दीणे मज्झकोस, आसणायामयमणा // 33 // लेखाइयपरिवासे, अभत्तट्रो मुक्कसणिहीए या इतरा य घटुभन्तं,अटुमग सेम णिसिमले // 30 // उदेसियचरिमतिए,कम्मे पार्मेडमघरमीसे य। बादस्पार्डियाए, सपञ्चवायाई लोभे // 35 // अतिरं अणंतणिकिलान-पिरिय-साइरिय-मीसियादीसं। संजोग सईगाले, दुवित् णिमि. ने यसमणं तु॥३६॥ कम्महे सिय-मीसे, धायादि-पगासणादिए. मुं च। पुर-पच्छकम्म-कुच्छिय-संसन्ततित्तकरमते.॥३७॥ अति. 1 परित्तणिवियन पिहिय-साइरिय-मीमियादीनु / अरमाण-धूम-कारणविवज्जए विहि यमायाम // 32 // अज्झोयर-कर-पूतिय-माथा. गते परंपरगए य। मीसाणताणतरगतादिए चेगमामणगं / / 39 / / ओह - विभागुद्दे सौवकरण -पूतीम- विय-पागठिए। लोउत्तर-परियट्टिय-पमिद्य-परभावकीए य // 40 // सग्गामाहरु-ददर जहण्णभालौहोझरे पठमे। मुहमतिगिच्छा-संभवतिग-मक्खिय-दायगोवहए // 51 // पतेयपरंपरहविय-पिहिय-मीले अणंतरादीमु। पुरिमई संकाए, जमकर तं समारज्जे // 12 // इत्तरविए मुहमे, समणिद समरक्स' मक्खिए चैव / मीसपरंपरहविद्याटिएम बितिएम वाऽविगती / / 13 / / महमाणाभोगेण व.जेसू परिक्रमणमाहिय तेस। आभोगओ विबहमो अतिप्रमाणे व णिब्धिगती // 44 // धावण-डेवण-संघरिस-गमणपकडा-कुशावणादीसु। उक्दि -गीत-छलिय-जीवस्यादीमु य चउत्य ।।४शातिविहीबहिणो विच्युतचिम्सरितारिताणि वेदगए / णिब्धितिय पुरिमकामगाइ सबम्मि चायामं // 46 // हरियधीतुग्गमिथाणिवेदणा - देण्णभोगदाणेमु / आमणमायामचतुत्ययाई सम्मि छदं तु // 4 // मुहणतय स्थहरणे, फिरिए णिव्यिगतिय चउत्थं तु ।नानिय हारविए या जीरण चउत्पछवाई / / 42 // काल दाणादीए णिव्यिगती घमण मेवः परिभोगे। अविहिविगिचणियाए, भत्तादीणं तु पुरिमा / / 09 / / पारस्यामंघरणे, भूमितिगापेरणे य णिधिगती। मम्मासंघरणे अग Livisividio Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MYYYYYYYYYYY 286 श्री भागम मुधा सिन्धु नवमो विभाग हणभंग य पुरिभई / / 50 / / एवं चिय मामण्ण, तन-पीमाभिगाहादियाणं पि। णियितियादी पवियय-पुरिमादिविभागतो जेयं // 51 / फिठिए सतमुस्मारिय भंगे वेगादि चंदणादीनु / णिव्यिगतिय-पु५ मेगासणादि, मध्येमु चायामं / / 52|| अकएमु तु पुरिमा-मणमा - - यमं सध्यसो चउत्धं तु / पुस्चमपहिलधंडिल, णिमिचीमिरणे दियामु.. रणे / / 53 / / कोहे बहुदेव मिए, आसव-कोलादिपमुंचालमगादी पुरिमा, तण्णादी बंधमुथणे // 54 // अझसिरतणेमु निधि मतियं तु सेमपणएमु पुरिमई / अप्परिलहियपणए,एगामण तमबहे जंच / / 55 / / ठवणमणापुच्छाए ,णिब्धिमणे विश्यिग्रहणाए या जीए कामणयं, मैमगमाया खवणं तु / / 56 / / दप्मेणं पंचिंटियबोरमणे संकिलिकम्मे या दीइदाणामेवी य गिलाण-कप्पाचमा..य / / 57 // सच्चोचहि कप्पम्मि य, परिमत्तारोहणे य चरिमाए। चाउम्मासे वरिमे, यमोहण पंचकल्लाणं ॥५॥छदादिम-सह यो, मिउगो परिचाय-गदियम्स वि या छेदातीए वितबो, जीएण . गणा दिवाणी य // 59 // जजंग भणियमिति, तरसावत्तीय दाण संमेवे / भिण्णादिया य बोच्छ,धम्मासन्ता य जीएणं / / 600 भिण्णो ,' अविमिदो च्चिय मामो चरीय उच्च लहुगु-गा। णिनितियादी अमभत्तन्तं दाणतेमिं / / 61|| जय मल्यावनीओ,तवसो गाउँ जाकम समए जीए दिज्ज शिब्बीतिगाति दाणं जहाभिहितं // 6 // एयं पुण सय चिय, पार्थ सामण्णयो चिणिदिई / दाणं विभागतो पुण, दयादि-विमे सियं जो // 63 // दव्य येतं कालं, भावं पुरिस पार सेवणाओ या णामित चिय दिज्जा, तम्मनंहीणहितं / / 6 / / आहारादी दव्वं, बलियं मुलभं च णाउमहि यं पि। देजाहि ब्बलं दुलभ च णाऊण हीणं पि // 65 // लुकचं सीतल साहारण उत्तमरितं पिसीयम्मिालम्मियीय एवं काले विति. बिहम्मि / / 66 // गिम्ह-सिमिर-चामासू, देज ऽदाम-दसम-बारमता। णातुं विरिणा णचिर-मन-वचहारोवदेणं / / 67 // बह-गिलाणाभचम्मि देन दसम्म न गिलाणुस्म / जातिय वा चिमहति तं दे मो ROMOTIVATIONARIYAR Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 287 सी HIT Fran नामो विभाग ज्ज वा कालं // 6 // पुरिमा गीतागीता, महामहा तह मठामठा के / परिणामा परिणामा, अतिपरिणामा अवपूर्ण // 69 // तह धिति - संघयणोभय-संपण्णा तदुभएण वीणा या आय-परीभय-गोभयतरगा तह अण्णतरगा य॥७०॥ कप्पदिश्यादयो वि य, चतुशे जे सेतरा समसखाता। मावेस्वर-भेयादयो य जे ताण पुरिमाण // 1 // जो जह सत्तो बहुतरगुणो च तस्माहियं पि देजाहि / हीणतरे गियरं, नौसेज्जवसचडीणस्स / / 72 / / एत्य पुण बहुतरा भिक्युमोति अकयमरणाभिगयाय। जैतेण जीत-मदामभतंत-मविनिधि)गति-मादीयं // 73 / / आउहिया य दप्यमाय-को वा णिविज्जा / द सेनं कालं, भावं. वाऽऽसेवओ पुरिभो / / 74 // जं जीयदाणमु-तं, एयं पातं पमन्यः सहि यस्य / एत्तो च्चिय हाणतरमेगं वइटेज दप्पचयो / / 75 // आ. उदियाए हाणंतरंच,सदहाणमेव वा दिज्जाकप्येण पडिककमणं, त. दूभयमहवा विणिहिटहें / / 76 // आलोयणकालम्मि वि, संकेस विसो. हैं भावतो णातुं / हीणं वा हेय,वा, तम्मतं वा वि देज्जादि / / 77 // इति दयादिबहुगुणे, गुरुसेवाए य बहुतरं देजा। हीणतरे दीणतरं,वीण तरे जाव मौसी ति // 7 // प्रोसिज्जति मुबई सिंह, जीएणणं त. चारिह वहयो / यावच्चकारस्य य, दिजीत सागुग्गहतरं चा॥७९॥ तवधिओ तबस्स य, असमत्यो तवमसद्दहन्तो या तवसा त जो ण दममति, अतिपरिणाम -प्पसंगी य॥२०॥ सुबहुतर-गुणभंसी, दावत्तिमु पसज्जमाणो या पासत्यादी जोऽवि य, जतीण पडितप्यिभो बहुमौ / / - 1 // उक्कोसं तवभूमी, समतीओ साबसेसचरणो याद पणगादीतं, पाति जा धरति परियाओ॥२२॥ (दारगाहाभो तिमि आउदिव्या य पंचिोदयघाते मेदुणे य टप्पेणं / सेसेसुमोमाभिमय-सेव - गादीसुतीसुपि / / 13 / / तवगचियादिएम य, मूलुत्तर-दोमवति - यर गपसु / दमणचरित्तवन्ते, चियत्तकिच्चे य में य॥१४॥ अच्च तोसण्णेसु य, परलिंगदुचे य मूलकम्मे या भिक्युम्मि य विहिततके, अणदह - पारंचियं पत्ते // 5 // छदेणापोरयाए वह-पाचयावमाणे या मूल मूल्यवत्तिमु, बहुसो य पसज्जो भणियं / / 16 / / Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 288 पीजीन कल्पसूत्र कोस बहुमो वा पउचिनो तु तैणिथं कुति पहरीत जो य मंत्र मरे, णिवेवस्घो घोरपरिणामो॥७॥अभि सेओ सब्वेसु य, बहुमो पा संचिथावगहेमु / भणबहप्यातिमु,पसज्जमाणो भणेगा // कीर्सते अणवटप्यो, मो लिंग-क्येन-काल यो तवयो / लिगोण दब्बसावे मि यो पचावणाऽणरिहो।।१॥अप्पारविरयोमण्यो, भाव-लिंगारिहो ऽणद उप्यो।जो जेण जत्व दूति, पडिमिडो तत्व मोघेते॥जत्तियमेतं का लं, तवमा उ जहण्णएण छम्मामा। संक्चर-मुम्कोस,आमाती जो जिण दीण // 1 // वाम बारम वामा, पोडेसेवी कारणे तु सो घाघोद चोर तरं वा, वहेज मुच्चेज्ज वामध्यं ॥१२॥वंदति ण य बौदज्जति, परिहार तवं मुदुच्चरं चरति। मंचासो से कयति,णालवणाटीणि सेसाणि॥३॥ तित्वार पनयण सुतं, आरिथं गणहरं महिइटीयं। आसाएन्तो हो आभिणिवेसे पारंची॥१॥जो य मलिंगे हो, कसाय-विमपीरें श. यवही यरायगगहिमि-परि मेवभो य बहुमो पगासो थ।।५।। श्रीण ... टे-महादोमो. अण्णोण्णासवणा-पसतोपाचारमन्दमाणात्तिम्बासी य पसज्जए जो 3॥६६॥सी कीरति पारंची, लिगाओ चैत्तकाल मो . तो। संपागरपोरे सेवी, लिंगाओ धीगिडी य॥७॥माह-णिवेमणा-या उग-साहिणि-मओयपुर-देसरज्जाभो / श्येत्ताओ पारंची,कुलाण-संघाल्या ओ चा॥९॥ जत्थुप्पण्णो दोसो, उप्पग्लिसति य जत्य णाऊण तत्तो तत्तो फीरीत, खेताओ स्वेतपारंची // 1 // जतियमेतं काल, नवना पारंचिया उस एव / कालो दुधिगप्पस्म धि अणवटुप्पस्म जोऽभिहितो॥१०॥एगाजी सैनबाद, कुणति तवं मुविपुलं महामस्तो अवलोवण-मारिओ, पातोटे से गो कुणति तस्स // 1.1 // अणवहप्पो तक्मा नवपारंची य दो विचौहिणा ।चोदमपुरधरम्मि,धरेंति सेमा नुजा तित्यं / / 12 / / इति एस जीतकच्यो.म 'मासतो मुविहिताणुकंपाए।कहितो देयोऽयं पुण, पत्तेमु परिधिय गुणेम्॥१३॥ // इति श्री जीतकापसूत्रम् / / पू. पन्यास श्रीजिनेन्द्रावजयगणिशोधित लिखितं इदं श्री जीतकल्पसूत्रं हालारदेशोछारका-भाचार्धदेव भीधि - जयामृतसूरीश्वर-विनेय-पू. पन्नयाम प्रवर श्री जिनेन्द्रनिजयाणिवा चर्ति-सा सीमोन्द्रप्रभाश्री-तचिस्या-सा श्री सुरेन्द्रप्रभातचिमासा स्वयंप्रभाभिः नामनगरे वि.स. 2034 श्रावण गुस्त पञ्चम्भाम॥ शिवमस्तु सर्वजगतः Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 重重重重重重。 INN Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 楚楚楚護護護獎獎獎獎獎獎獎 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #294 -------------------------------------------------------------------------- _