________________ ************ * श्री पञ्च कल्प भाध्यम् [6] वेणं साहजोग्गा उ दुल्लभा श्वेता काली विथ भिक्खा अभिकरण होति उमरी य॥३५॥ दूसम अणुभावेण य परिहाणी होति ओसाहेबलाणं। नेणं मणुयाणं पितु आउगमेहादि परिहाणी (दार) // 36|| संघयणे पि यही. यति इतो यहाणी य धितिबलस्स भवे। विरियं सारीरबलं तपि य परिहाति सत्तं च // 37 // हायति य सइयाओ गहणे परियटणे य मणुयाणं। उच्छाही उज्जोगो अणालसत्तं च एगहा // 38 // इय गाउं परिहाणि अणुग्गडहाए एस साहूणं। णिज्जूटऽणुकंपाए दिदहंतेहिं इमेहिं तु // 39 // पगरण चैडणुकंपा दइटविदइठेहिं होयऽगारीणं जह ओमे बीयभन्तं रण्णा दिण्णं जणवयस्स॥४०॥ एवं अप्पत्तच्चिय पुव्वगतं कैइ मा उमरिहाने ती उरिऊण ततो हेहा उत्तारियं तेहिं (दान)।॥४२॥ मा यहु चौच्छिजिहिती चरणऽणुओौत्ति ते णिज्जूठं वोच्छिण्णे बहुतम्मी चरणाभावो भवेज्जाहि (दाएं)॥४२॥ कह पुण तेण गहे टिण्णाई तत्यिमो तु दिदहंतो।जह कोई दुरारोड़ो सुन्सुरभिकुसुमो तु कप्पटुमो // 42 // पुरिमा केइ असता तं आरोखण कुसुमगहणदहा तेसिं अणुकपदहा कोइ सससोसमाकझै॥४४॥ घेतुं कुसुमा सुहगहण हेतुगं गंथिउ दले तैसि / तह घोसपुव्वतल आकळी भद्दयाहू तु // 45 // अणुकंपट्ठा गचितुं सूयगडस्सुपरिं वे धीशे। त पुण सुतोवएसेण चेव गोहत जसेच्छाएदार अण्णह. हिए दोन्सो अमाहा होति णाणमाईणं। केसवभेरीणातं वक्घात पुव्यसामइए // 40 // भवा तिगिच्छओ तू ऊर्णात्य वाच ओसहं दिज्जा। तेहि तु ण कज्जसिद्धी सिद्धी विवरीयए भवति (वा) // 4 // पारिच्छ पोरेच्छितू पकप्पमादी दलंति जोग्गस्सा परिणामादीणं तू दागमादीहिं गातेहिं // 49 // पारिच्छ आदिव्युत्ते पुव्वं भणिया तुजा 3 बिहिन्मुत्ते / सेलघणादी 4. रिसा पूरंता ईय भणिहिती // 50 // परिमादारे णितं कप्यार कमेण इ. दाणि। किं पुण उक्कमकरण बहुवत्तव्यं ति णाऊयां // 51 // किं पुण कय्य. ज्झयणे वणिजति 1 भण्णती सुणसु ताव / जे अभिहिता उ अत्था नहियं ते ॐ समासेणं // 52 // कप्ये य कप्पिए चैव कप्पणिज्जेत्ति आवरे। फासु. ए एमाणज्जे य संजमे ति य यात्ररे // 53 // बालए वागए चैव चम्मए प दृए आठरे। पम्हए किमिए चैव धानुए मीसतेति य॥५४॥ उवसंपया चरित्तस्य चरिते कइविहे इथ। णियंहा कति पण्णता कर समोतारणात या॥५५॥ $$$$$$ $$$$$