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________________ 襲幾獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [202] श्री आगम मुया सिन्धुर * नबमो विभाग वस्म भी होति अच्छमाणाण / तम्हा 3 चिडेज्जा अति. रित दुबिहकानमि // 18 // गियअणुकयाए गिहिणं तो णा. मग असहा तुभे / भण्णति न होति एवं मा माधूण चरण. भेदो // 45 // चोदेनाहारादिसुमन्झे तेमू विणाम ज तीए। तत्थ न चिदहह तण्णाम जिदयतेण गहिया // 46 // मा पाविडिति धम्म गिडियो माहा कामदागेण / इय णिहयता अहवरा इहलोगयुकपता नेमि // 24 // मा दम्ममओ होही अणुवासे मिच्च साधुदाणेणं / इय अणुकंपिहलोए भण्णति तु एवमादीहि // 24 // मा होज्ज चराभेदो पुण्णातीतमि सबसताणं / अतिचिन्सनासेग सिणेहमादीहि दोसेहि // 24 // एसो उ कालकप्पो एव माणिो समासेगा / - इणा ह उवहिकप्य सुसरदेसेण बोच्छामि // * उवयिति उवकारं करोति उवहीयतेण उनही तु / कि कारण तु उनही उदिसिओ भण्णती मुणसु // // जीवाण.. 5गुग्गहडा एवं मनु वारणतो इह तित्थे / कालणाणुग्गहपदं पडिणीयपदे अभावो तु // 2 // रसयादणुकपडा अगाणीमा. दीण व रक्सदहा / अमडुणगुकंपदडा य उवहींगहण जि. गा बोति ॥४२आह जहणुग्गहढा वधादीगहण देमियं समये। तो अन्सडणं कन्हा धीपरिभोगो ऽगुण्णाओ४३ / भन्जति पवित्ति कम्हिउनि कम्हिवि पुण होति अर्यावती 3 / राजमपरिणीयत्ता मेडणमादीण णाऽगुण्णा // 24 // 4 // ना7. चरणहिताण उवगह कुणति गाणचरणाण / आहार उर. हिसेज्जा रोण 3 उडितण बेंति // 45 // जन्म पुणोबहिगोडेता उवधायकी तु तस्म उवधानो / कहं उबघाय करेती अतिरित हो य मुच्छा 4 // 246 // मघरमाणो गेहति अतिरिन उवाटे जो भवे समणो / अण्णादिजुते मुच्छति इडाहारे पुक्क्यसेव // // एतेसु ओणेठेमु य जो दुम्मति से कनेति उवधात / णाणादी. 7 लिण्डं नम्हा ते वजिए हेतू // 24 // जो जन्य जदा जडिय उवही परिभोगी अणुण्णाओ / सो तस्य अर्णाचारो भण 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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