________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् .. 2039 ण्णाए चरणभेदो // 24 // जह सिंधभो कम्पो ओराला उरिण'या अणुण्णाया / पिमियादीण य गहणं सीरादीणं चाणुण्णात - अतिडिमदेसे य नहा कारणियगयाण सिमिरकालंमि / परिभुजंताण य को विवाद चरणे अणुवघातो // 24 // लाडविसयादिएK एतेसिं थेव भोत्तु पडि सेहो / पडिमिद्धे परिभोग कु. णमाणो भंजती चरणां ॥णाणपि तु सो भिंदा उवदेस जेण कुणती तस्स / जं णाण पुव्वदसण दंमणभेदो नि तो ते. गं // 13 // शिवदिक्मितमनरंताहिएमु कज्जेसु होति परिमोगो / समणुण्णाओ कसिणादियाण इहरा अणुवभोगो॥२Vev // एसो उ उडिकप्पो अहणा संभोगकप्प वोच्छामि / तस्म पसाहणह उं गाहासुतं इम आह ॥२४९५॥ण विरागाण वि दोसा संभोगविही तु बरिणतो मुत्ते / णाणचरणदिला. णं भणियं सुतणाणपुरिसेहिं // 26 // रागेण मं जति में गेहओ तेहिं सद्धि मम पीती / जच्चादणवसमेण व दोसेणेवं ण संभंजे // 47 // णाणचरणे रयाणं एसुवदेसो उवपिणतो सत्या / त गणहरेडिं गहितं तो ते सुतणाणपुरिसाउ // 24 // िकारण अणुण्णा संभोगविही तु एस साहणं / भन्नइ नाणाईणं परिवइटी एव होहिति तु // 249 // अण्णोण्णरस सगासे गाणमडीहिंति जंचतं गहिता / होहिंति थिश चरगो. काहिति गिलाणकिच्चं च // 25 // जदि संभोगगुणा ते ता सकीस परिभुंजाने / भण्णति सरिसऽहिगोहिं व संभोगो ण पुण हीणेहिं // 25.1 // अन्थि पुण के पुरिसा लिगं तिगेणं पमाय कुव्वति / आहार उवाह सेज्जा जत्तो संभुंजणाबंधो // 25-2 // आहारादीतियगं उग्गममादी असुद्धगहोणं / जे कुव्नति पमा तेसिं सवासदोसेणं // 2503 // अणुमोदणपच्चिइओ मा बंछो होहिति ति तेणं तु / वि कीरति संभोगो ने यि चांगता रं डोंता / / 25.4 // गणु रागदोमियतं संझुंजणे एगएगऽसंभोगे / 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎