SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 聽聽聽聽聽聽護聽聽聽聽聽聽 श्री पञ्च कल्य भाष्यम् , , [20] डारण होति जह णगरे 4wn एसा मेनुवसंपद मुरमच्छामधुन भर्भात एन्ध / तह मित्तलयंना या जंचलो मुत्तोवसंपन्नो // 245 // मग्गोनसंपदाए मार्ग देनेति जान-मो नन्स / ले भती दिदठाभदठादि जो य लाभो पुरिल्लागं // 15 // विटा ओनसंपदा पुण कुब्बति विणाय दुजोराणिए / सवंत. स्माभवती जोउ उपठायती तरस // 2460 // उक्संपर इच्चेसा पंचविहा वणिता समामे / मेलमि परे से ते शिक्षामिओ जो तु होनाहि // 2481 // काले उद् वाम वा वति गं णिग्गलाणा जो अण्णो / पठविति दिवसेन गिलयामे कालो एसो // 2 // इच्चोसो पंचविडो ववहारो आभवंतिओ.गामं / पछिसे बनहारो जह दसमुद्देन्स ववहारि // 4 // अहणा तु येत्तकाला ने विनु तथैव भणित ववहारे। जंतस्थ उ तस्मै तमहं वोच्छम मासेणं // 2464 // दुक्डेि विहारकाने तिविहा सोही उ उहि भना / दि जतंत सोही अविदिण्णदठाए आवण्य // 45 // उडुबद्ध वासामु य विहारकालो य होति दुविहेको / उग्गम उप्याथाए सणा य एमा तिविड सोही // 26 // उडुबद्ध मास वासानु हो. ति चतुरो विदिण्णाकालो तु / एन्थ जयंता जदि नितु भानजे सह विमुद्धा तु // 48 // मासो चतुमासा पुण संवसमा नुन स्थ अतिरित्ते / लग्गति जयंता विह किमु अजयंता उनि घण्णं // 2488 // उडुबद्ध वामवासं अयुक्समायो अमुद्धभन्नुबाही / आ. यरियप्यमाणा गुणप्पमाणं ममणा // 1 // उग्गममादीदो. सा अन्मेवमाणो विमोतु आवण्यो / जम्हा दोमायत उमि थावेनु संवमति // 4 // कत्येयं भणियंति य भण्णति आनएण किमाथारे / आधारपक्रयेद्र आया िभवंतु आयारी AwP ने भिस्सू णितियवान वसइत्ती एन्य भणिय सुनंमि / एवं पमा उभये अतिरिने या विजेदोसा // 22 // जदि पुण चहिता हाणी तहिं वडिट गुणा तव्य अच्छति / के पुण गुणादि भणिता भण्णति गागादिया होंति // 42 // कालातीत दोसाद
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy