________________ [26] श्री आगम मुथा सिन्धु / नवमो विभाग पडिमाओ यण्णताओति मि ॥स-३०॥ धडा दसा समता // 6 // अथ भिक्षप्रतिमाख्यं सप्तममध्ययनम्। सयं मे आउसंतेण भगवथा एवमक्वायं-इह खल थेरेहि भगवंतेहिं बारस भिमस्तुपडिमाओ पाताभो / कयराभो खल ताओ जाव पत्ताओ? इह खलु ताओ धेरेहि भगवंतेहि बारस भिरबुपडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- मासिया मिथुपारमा, दोमासिथा भिनघुपडिमा, तिमासिया भिक्खुपडिमा, चमासिया पंचमासिथा, धम्मासिया सत्तमासिथा पढमा सत्तराइंदिया र दुध्या सत्तराईदिया तच्या सत्तराइंदिया 10 अहोराइंदिया , एशराइंदिया भिक्खूपरिमा 12 // सू० 31 / / मासियं णं भिक्स्युपरिमं - पडिबन्नस्स अणगाररस निच्च वोसहकाए चियत्तदेहे जे केई उबसग्गा उप्यज्जति तं जहा- हिबा ना माणुसा वा तिरिकरयजोणिया वाले उम्यण्णे सम्म सहति स्वमति तितिमवति अहिभासेति / मा. सियं णं भिक्खूडिम पडिनण्णस्स अणगाररस कय्यद एगा इत्ती भोयणस्स पहिणाहित्तए एगा पाणगस्स। अण्णा सुद्दोवडं निहित्ता बहवे उपय. भउथ्यथ- समणमाह- अतिहि किविणवणिमण, कप्प से एगस्स भुंजमाणस्स परिणाहित्तए / यो दाह णो तिण्हं णो चउण्डं जो पंचण्ट, णो गुम्विणीय बालक्या पणो दारगं पेज्जमाणीए, नो अंतो एलुमस्स दीवि पाए सोही दलमागीए, नो बाहि लुयरस होवि पाय साहटु दलमाणीया पुगं पार्य अतो निचा पुगे पायं बाहि विच्या प्रलय जिवंभ स्ता एवं दलयति एवं से कम्पति पडिंगाहित्तए 5/ एवं से नो रलयति एवं से नी कय्यद पडिगाहितए मासिय भिक्खुपरिम परिवयस्स अगगाररस नओ गोयरकाला पजतातंजहा- आहिम मन्झिमे चरिमे, आदि घरेजा गो मझे चरिजाणी चरिमे चरिज, मझे चरज्जा नी आश्चरेज्जा नो चरिमे चरेज्जा,चरिमं घरेज्जा नो आदिम चरेज्जा नी मज्झे चरेजा। मासिय ग भिक्खुप.