________________ BRARRRRRRRRR श्री पस्यकल्प भाष्यम् / . . ... [129] // 1156 // जंपि य भान्मति जती नपि य कन्जोम योन जयणाए / इस संच चिदहऊ वा गसमादीणं च पाउग्गं / दारं // 50 // सक्कयपाठोगु गोदियाण एसा तु दैनिकी भासा / समणाण पागयंतु पीभामाए उवणिबद्धं myr | नत्थ विसदियवयण मंदिया चेव णवरि जाणेति / सब्वेसऽणुग्गहदहा इतरं चाचालवडढादी // 1159 // दिहतो मिणपल्लीणिवाणकरणेण होनिकायबो। एगेण कतो अगडो वावि ससोवाण बितिएणं // 1160 // ततिपण तलाग न नत्य गडे केयडियमादीडिं / तीनति उवभोर्नु जे वितियं दुपदाण अभिगम्म // 1161 // दुप्पदचउप्पदमादी मव्वेसि तलाग होति अभिगम्मं / इय सव्वऽ गुग्गहत्य सुतं गडितं गणडरेहि / / 1162 / ' सम्वत्य वेदसत्यं चरणे करणे य एगनादणियं / विक्रीयं समणा भा. वेतो दंमणविराही // 16 // तत्व विभावयन्वं सोच्चिय अत्यो तु डोति सव्वासि / सामुद्दन्सेंधवादी जह लवणसहाव सम्वे नि॥दारं / / 116 / / दंसणपभावगाति अहवा गाणं अहिज्जमाण तु / अन्नदहपरढा वा जहलंभ गेह पणडाणी // 65 // भिक्षु तिनं पदम्मी भणितं जनानि त मिमिनेणं। गच्छतो कि सेवे 1 अमदडतो अणाराही 1 दारं // 16 // पत्नज्ज अप्यपंचम रायसुतस्सा तु दाइगभएणं / राया उसमणुजाणति अंते परिणीतो सो ले // 1167 // तत्थ वि य फासुभोती सुनस्थाइ कति अच्छति / जणइनु सुते. स्केरकं अमूढलकमान इत्थीसु // 116 // ते रज्जेसु डाविय पुष्परवि गचांति गुरुसमीवं तु / आलोइयणिस्मल्ला कतपशिना तो तेसि / / 1169 // संकप्पियाणि पुचि आयरियादीपदाणि गुरुणा तु , पच्छागलाण ताण य तदिवसं चेव दिण्णाति // 1170 // परियायमि यकद्धे ज दिण्णता तु जो - सद्दति / सुहममुदितरस जंवा नीति तू रायपुत्तस्य / / 1171 // तत्य वि भावेज्जेवं पत्तिकडाइं तु तेहिं घेरा / ग्यमुदिक्षितेण य उब्भावण पवयणे होति / / 1172 // अमडुम जं च कीरति अज्जममुद्दन्यम क्षेत्र गुरुणो तु / एयं अमद्दडते बिराहणा दंसपे डोनि / / 1173 // तत्वावर भावेथव्वं जेणायनं कुलंदुतरवसे / अण्णस्य निकाय गिलाणगस्सेस उवदेसो // 1 // इति एस समासेण दसकप्यो उ आडितो एवं। / दारं / एतो तु णाणकप्पं वोच्छामि अहाणुपुधार 075 // सुखदेसे वा. 'यण पडिपुच्छ परिथट्ट अणुपेडः / आरियउरल्झाया मह हानि उन. RSSESSESSES