________________ JARRESEARS य [130] श्री आगम सुधा सिन्धु वमो विभागः / प्पविही // 1176 // आयारमादिकानु सुयं दुजा होति देहबादो दु / अंगाणंगपविह काजियमुक्कालियं चेव // 1977 // तं पुण्ण सर निभने सवादमटिहे. यं वणिज्जूठ / पत्तेयबुद्धभासित अहव समनीय होजाई 17 // ससमयवादं संवादमाह जह कोसिगोयभिज्जाती / पण्णवणादसकालिय-जीवाभिगमादि णिज्जङ 1109 // पत्तेयबुद्धभासिय इसिभासियमादेिग मुणेयेब्बं / केवलणाणसमतीय भासिता चोदस उपुवा / एतं सुतंतु जं जत्य सिक्षितं जेण जह तु जोगेणं / तं तह चिय दायच एसो मलु अज्झयणकप्पो 111 // एयं पुण तणाण वायणजोग्ग तुजारिस होति। त बोच्छामी अडणा सुत्तस्म य लक्यणं जंतु // 11 // जित परिजितं मिलित ओबच्चामेलितं भवाविद्धं / घोम णिकाइय ईडय सुचिमगिगयडेउमभाव // 1183 // फुड विमद सुद्धनंजण पद अक्सर मधिकारणमणणं / पादप्पयापुलोम गिउत्तसुते निसुनकप्पो /११/णिपूणं विपुलं सुद्ध शिकाइय अस्थतो सुमारसुद्ध / हितणिस्सेसकर बुद्धिरइठणं फलमूदारजुत // 1105 // सगणाम वजित मनु परिजिय हेतुवरितो उरितो हेदहा / मिलिते उधण्णात विच्चामेलो उ अण्णोष्णं // 1186 // अज्झयणुदेसाणं सुते मीसले कोलिपयस वा / त चेन य डेटहरि नाविढे आवलीमात // 16 // घोस उदनादीया मिकाइयऽक्सेन सिद्धिपरिसुद्ध / ईहित सय भनीए विचारित एवं र ती॥ 11 // मारम्भय डम्भय हेतडि मांगाओ भडभावो / जस्म तु सुत्तरस भरे तं होति मुदिदडसब्भाव reणस्मदिट फुड सलु सजुनं वारि पुत्वमवरेण / विसद अगियरत्यय बजायुद्ध मउवयारं // 1170 // अत्युवतद्धी जत्थ उ त होति परतु अनपरा वण्णा / संधी संबंधो मलु मुत्ता उत्तम जो कोनि // 1191 // एनेहि पूणमहित पा. दात सिलोगमादिण होनि / गज्जमि य पदममा अणुलोम जपण परिलोम / / 1492 // पुचिल्लरिल्लेण ज ण निकात उत तहा तडियं / अत्येण जोश्य तू जिउत्तमेलारिस होत // 112 // णय हैतु-वादभंगिय गणितादी मन्यो य जिउण तु / बिन्धिजस्थं विपुल मुगादीवायणाहिं च // 1194 // सुद्धं तु भुगिगहीत आलियादीदोसवन्जित वावि / अन्ये पिकाइयं सलु पिकाइयं महव बघेणं // 1195 // आर. RESERRRRRRRRE