________________ श्री निशीथ सूत्र उद्देशक- 4] [11] जे भिक्खू उदउल्लेण वा ससिणिण वा हत्येण वा दव्वीए वा भायणेण वा असणं वा 4 पडिगाहेइ पडिशाहंतं वा साइ. ज्जइ / स्० 37 // एवं एकवीसं हत्या भाणियव्वा (रा०५ अ०३२-३५) ससरक्खेण वा महियासंसहेण वा ऊसासंस?ण वा लोणियसंसट्टेण वा हरियालसंसट्टेण वा मणोसिलासंसट्ठण वा वणियसंसट्टेण वा गेरुयसंसहेण वा से डियसंसंदण वा सोरडियसंसडेण वा हिंगलसंसहेण वा अध्यणससट्टणवा लाखसंसट्ठण वा ककस-संसट्रेण वा घिसंसारण वा कंतनसंसहेण वा कंदमूलसंस?ण वा सिगबरसंसडेण वा पुप्फगसंसहण वा उक्लद्वसंसण वा हत्यण वा व्वीए वा भायण वा असणं वार पडिगाहेइ पडिगाहंतं वा साइज्जइ २८९'सू०३ // जे भिकरयू गामारक्खियं अत्तीकरेइ अच्चीकरेइ अत्थीकरेइ करंतं वा साइजइ, एवं सो चेव रायगमो यवो ॥सू०३९-४१॥ देसारक्खियं ॥सू०४२-७४।। सीमारक्षियं // 055-57 / / रणारक्रिय।सू०४८-५०॥ सव्वारविश्वयं (290 // 051-53 // जे भिकरवू. अन्नमन्नस्स पाए एवं तझ्यउद्देसगमेण णेयव्वं जाब गामाणुगामं दुइजमाणे अन्नमन्जस्स सीसवारियं करेइ करंतं वा साइजइ 29? / / सू०५४-१०६॥ जे भिक्रयू साणुप्याए उधारपासवणभूमिन पडिलेहेइ नपडिले हंतं वा साइजइ 295' / / सू०१०१॥ जे भि क्यू तओ उधारपासणभूमीओ न पाडलेहेइ नपडिले हतं वा साइजइ 299' / स्० 108 // जे मिक्खू खुड्डागंसि पण्डिलंसि म्यारपासवणं परिवेइ परिहवतं वा साइजइ 300 // 0 109 // जे उञ्चारपासवणं अलिहीए परिवेइ परिवंत वा साइजइ 301 // रसू० 110 // जे भिक्खू उच्चारपासवणं ठवेत्ता न पुछा नपु-छतंवा साइच // 0111 // जे भिक्ष कटेण वा कलिञ्चेण वा अंगुलियाए ना सलागाए वा पुन्छ पुञ्छत गा साइजइ ॥सू०११२॥ जे भिकरबू नायमइ जायमत वा साइजइ . 113 // जे भिक्य