________________ JANARDAR [34 श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभागः / जे भिकर अनन्तरहियाए पुटवीए चलाचले उच्चारपासवर्ण परिवेद परिट्वंतं वा साइजह जाव बंधसि, 49' तं सेवमाणे भारवर चाउ- ! म्मालियं परिहार हार्य उग्घाश्यं // 1040-50 // सोलसमो उद्देमभो // 16 // ॥अथ सप्तदशोदेशका जे भिक्रय कोहल्लपडिभाए भन्नयर सपायजाय गणपासएण वा जाव सुतपासणवा बंधन बघत वा साइजइएस०१॥बहेलगं वा मुयह मुयंत वासाइजद सू॥ जे भिक्खू तणमालियं वा जाब हरिथमालिय ना पिपहर पिणहंत वासाइजइ, करे३ करतं वा साइचद धरेड धरतं वा साइजदान 3-4 // जे भिक्खू भयलोहाणिवा जाव सुवण्णलोहाणिवा करेह करेंत वा साइवह धरे धरतं वा साइज परिभुज परिभजतंवा साजड 18s-rn जे हाराणि वा जाव सुवणसुत्साणि वा कर कारेंत बा साइजर धरेइधरंत बासाइजर, परि भुजद परिभुजंतं वासाला पिण्ठ सू०९-१॥ जे भिक्स् आइणाणिवा जाव आभरणविचित्ताणिवा करे करेन वा सारच,धरेरथः रंतं वा साइजइ. परिभुजइ परिभुजंतं वा सारज 17 // 10 12-15 // जा निश्णश्रीनिमपस्स पाए अन्न थिएणवा गारथिए वा आमचाच.वाएवं नतिभोईसगमेण यवं जाव जा निबन्धी निजजन्यम्स गामाणुगामं दुइअमाणास अन्नन्धिाण वा गारत्यिरण वा सीमनुवारियं कारवेश कारमंत ना सारवासू०१५-६ जेनिज्मन्थे निन्धीए पाए अन्नउत्थिणीएवागारत्थिणीए वा आमआवेतवा जाव साइज एवं मल्लिगमयसरिसणे यवंजाव निग्गन्धीए शामाणुगामं इज्जमापीए अन्नत्यिणीय वा शारस्थिती वा सीमुटुमारिय कारवेद कारवतं वा साञ्जा २०६८-१०॥जे निगन्ये निश्शन्धस्स सरिसशस्म सन्त श्रीवासे भंते ओमसनदेहनत वा सारखर सू०१४॥ आ निग्गन्थी निणन्धीए सरिसथाए आव साइजद६॥सू०१२॥ जे भिक्यू माली हडं असणं वा 5 देजमाणं पडिजाहेर पडिगाहंतं वा साइज ॥१०१२३॥जे मिक्सू की हाउत्तं असणं वा * उकञ्जिय निकुखिय रेजमाण पडिगाहेइ परिजालं वासाइजह // सू०१२४॥ जे भिक्यू महिभोलितं असणं वा अनियनिधि दिय देखमाणे पडिगाहेइ पडियाहतं वा साइज 55 // 12 // जे भिवादन SSSSSSSSSSSSES