________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獲 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [17] . णविगल होति साहण मोकमस्स तु भण्णति सुणाहि // 2221 // णयवज्जिओ विहु अलं टुनसम्सयकारओ जतिजणस्स / चरणकरणाणुओगो तेण उ पठम कतं दारं // 25225 आयारपकप्यधरी कप्पव्ववडारधारतो अज्जी / जयसुत्नवन्जिओ विहगणपरियट्टी अणुण्णाओ // 2223 // पच्छित्तकरण अणुपालणा य अणिता उ कप्यवडारे। एनेण अत्यंधारी गणधारी जो चरणधारी // 2226 // अज्जो ती आमंतण णिहसे वा मयस्स सुत्ताई / जाति तुदिदिहवाते पच्छित्तं दिज्जते तह उ // 2225 // तेहिं विणा वि जाति आयारपकप्पधारओ जम्हा / तम्हा तु अणुण्णातो गणपरियट्टी तु सो णियमा / / 2226 // करणाणपालथाणं तु पज्जनकसिणं समासो गाणं / करणाणुपालणदुतं पज्जवकमिणं भने तिक्टिं // 2227 // दूतिपण धक्कणयंतरेन्सु मोलस हनति हाणाई / करणहार्ण पसस्था करणहाणा उ अपसस्था // 222 // एयाई हाणाई दोडिं वि गाहाहि जाई भगिताई / तेसि मरवणमिणमो समासतो होति बोधव्वं / / 2229 / / करण तु किया होति पडिलेहणमादि समाधारी तु / तं पलिजति णाणेण तं च दुर्बिट मुणेय। 2230 // प्रज्जवकसिणसमामों पज्जवकसिण घोडस तु पुव्वा / सामाइये कसो होति समासो मुणेयचो / // 2231 // पज्जवकसिणं तिविह सूते अथवतभए चेन / एमेव समासो नि। इ तेहि पालिज्जए चरण / / 2232 // तस्स गर्या मरगण ते उ समासेण होति दुबिहा तु / दबदिपज्जवदिहय णया उ अविसेसिविलिदहा / / 2223 / / वण्णादि समुदियं तू दबट्टी दनमिच्छते णियमा / तं चेव पज्जवणओ दव्वाइविसेसियं इच्छे।। 2234 // अड्या नि तिषिण नि गया दबदिहत पज्जवडित गुण ही / पज्जायविसेस च्चिय सुइमतरागा गुणा होति // 2225 // एगगुणाकालगादिसु परिसंपादिडतो तु णायव्यो / दबाओ गुणाणन्जे गुणा निसेसत्ति एगहा // 2236 // आदिल्ला तिणि गया एक्को बितिमओय डोति उज्जसूमोसंहादितिष्णिको लिन्नि