________________ BREARRRRRRY श्री पञ्च कल्प भाध्यम [71 साण दुवि सामयछेदेन्दु तू समोतारी भोतरीते कुसीली पुण आदि ले चऊसुपि // 221 // निगांर्धामणाला पुण समोतरते तु ते अहम्पाते / एवं तु यंडा तू उत्तरिया संजतेमुं तु // 122 // पुलबउसकुसीलेमुं मामइछदा समोतरती तु / परिहारसुहमरागा मोतरीत कुसीलएसंतु / / 13 / / भोतरति अहक्याओ गिगांधसिणातएस दोसुपि / एमेते समोतरिता अण्णोडण्णेमुं जहाकमसी // 126 // उत्तारे सव्वमहत्वयाणि णियमा तु सचदव्यम् / ण तु स. व्वपज्जवहिँ जम्हा सामादिए उदितं / / 125 // पठमम्मि सव्यजीवा बीते चरिम य सचदब्बाइं। सेसा महव्यता पुण (बलु) लदैकदेसैण दव्वाण दारं / / 126 // 9. तैमि णिथंडाणं आवण्णाणं तु संजयाणं चाववहारो होति दुहा पच्छिन्ने आभवते य // 127 // पच्छिते पंचविही आगममादी उ होति आयच्ची कत्या भवति / वावी सच्चतादी तु आभव्वो // 22 // सावरहिस्स ववहारो अवराहो पोरसेवणा / पडि सेवणा य कतिहा तीसे भेदा इमे भवे / / 129 // प्पिया कोप्पया चेव विहा परिमेवणा / जयणा अजयणा कप्पी जयणामुखो तु सेवतो // 130 / / जयणासेवी कप्पो दप्यो जयणाए अजयणाए या आवर्जात सह्यण वणिज्जात विस्थरो कप्पे / दारं / / 231 // पोडसेवगरस होती देम भंगो य सयभंगो या अव. राडे कैरिसए देने सध्येऽनि सो होति / / 132 // पणगादी जा छेदो एसो स्यनु होति देमभंगो नु। मूलादिउबरिमेसु णायवो सबभंगो तु // 133 / / तस्स उ विमुदिदेउ पच्छित्तं तस्स कत्तिया भेदा घाणादीया चल पावणा सिमा होति // 234 // सु काएमु वएमु य छव्यिह एगिदियादि पंचावटं / संघट्टण परितावण उद्दवणे चेव निफण / / 13 / / चउहा तु णाणवते दंसणवंते चरितव या तत्तो चियकिच्ची अहवा दवाइयं चउहा // 136 / / अहला अति. कुमादी चउहा कोहाइयं च चउहा तु। णादियारमादी होति तिविहं च पच्छित / / 137 // अहवा आहारोवाई सिज्जतियारे य होति तिनिहं तु / उग्राम उप्याथण ए. सणा यतिविहं तु एक्कोले // 13 // आलोयणपोरक्यामणे तदुभयमेवं तु होति तिविहं तु / सच्चिनचित्तमीसग तिविहं चेदं मुणेथच्च // 39 // अहवा सत्तट्टीवइं जब दसहा वाच होति पच्छित्तं। आलोयणपडिक्कमणे मीविवेगे य वोमगो 1140 // छटडं तो य तत्तो सच्चे उरिल्ल मन छंदो। अविह छेद दुविहो देने सध्ये य बौद्धब्बो ॥१४॥णावह सवच्छेदो दुह संजमुबह विज्जती मूलं। कालंतर्राम तरे पुण येतो हे च दसभेटें / / 142 // अहवण्णह टुटि. REFEREFERES