________________ (72 . श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभा। दं एगावर वाद होज्ज णायध्वं / रागीमा दाणी गोवरीऽ मंजमो होति / / "143 // छहाणे दमणेनी जी काए छवि ण सहहति। णात्य ण णिच्चादी वा विहमेयं तु मिच्छन्तं // 144 // धर्मात्य कायमादी कालंतादिं तु धत्तु दवाई। जो ताइ न मद्दहति विहमेय तुमिच्छनं।१४५॥ मजमो सत्तरसविहो तु मामाझ्ययमादी अहब पंचर्चावहो / दार) गाहण ताव चरित्तस्स गहणं चिय गाणा होत // 14 // किह पुण चरितगहणं होजाहि ? भण्णती इमेहिं तु वेरगोणं अह. वा मिच्छना दोह सम्म 14 // सम्मत्ता उ चरितं अहवा होज्जा इमेहें गहणं तु। सवणे णाणविणाणे एमादी गारण चोरते॥१२॥ अहवा वी उवएस्सो एगटहूँ होति गाहणाउत्ति / तह उदिति जह अ चारितं गेण्हती मोतु // 49 // अ-. राहम्मि य गुणा दोसा य विराहणे चरित्तस्स। ता गाहिज्जति जहन भोगाठी होति चारिते // 150) णाणे य चैव तह दमणे य जातिगहणेण संमूया। एयाति - हिंति गाहणना वण्णिता एमा॥१५॥ एमेता जा भणिता अहवा अवहारणे चमही तु। पाठेवत्ती उवगारी वागरणं नावि परिवत्ती // 152 // एतं कप्पे वणिज्जती उ अण्णे य बहुविहा अत्या। प्रत्येमु अणेमु य कप्पऽभिधाणं मुणेयवं // 15 // सामत्थेवण्णणा काले यो कारणे तहा। ओवम्मे हि वासेय कप्यमहो वियाहिओ // 154 // मामत्थे अहमासे य वत्तीकप्यो न होति गभगती। वण्णणे अज्झयण तू कश्यिय जहमेग माहणं // 155 // काले हेमंताणं जहा तू यसराय कप्प अतिक्कते।छेद। जह के मे तू चउरगुलवज्ज कप्पेहि / / 156 // करणे वत्ती कप्पिय अहे। इमेण जहा तु दुनिसेणं। आइच्चचंद कप्पा हवंति जह साहणो धम्मे // 15 // सोहम्मकप्पवासी अहिवासे जह तु होति देवा तु। एते सामत्थादी जोएंयच्या इहं क. प्ये // 158 // कप्पन्झयणमधीतुं अतियारविमोहणे समस्यो उ। कतिविह नाच्छित्तं परवणेवण्णणा होति // 159 // काले उडुबद्धाणं वासावास चबुइठवासं च / वसती जहाविहं खलु उस्सगाववायसंजु॥१६॥ तसोहितिक्कतं छिदति पणगादिएई परियागंकूणइयतहा पयतं जहतं दिण्ण बहुइ सम्मं // 16 // ओवम्मे जिणकप्पो जाणण गहणे यसो हुति गीतो आहेबामे मासादिसु ऊतिरिने विभामा तु // 162 // सन्चेनि कप्पाणं पण्णवण पस्वणा उ नवमम्मि / आसज्ज 3 सोथारं एकागते वा इहं वाचि अधिकं // 163 // एतैसि सब्वेसि RSERIFFEREFEREFERE