________________ 免染染染染沙沙沙莎莎免染染染 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् पी पोतविवत्ती समुहमाझे फलगलग्गा // 479 // अंतरदीवुत्तिण्णा पसूथ दारण विवठितो कमसो। तेण सह लग वितिर / च्छापोतस्ठा गता सपुरं // 40 // बुग्गाडिय तीय सुतो ण सुणति लोगेण भण्णमाणोऽवि / जह उणि तस ती अगम्मगमणं ण वति उ॥४८॥ जह वा अणंगसेणो ण सुर्णात बु. गाड़ियऽच्छाहें तु / मित्तवयणं डियं पीजह वनि सुन - एणगारीणं // 182 / वुग्गाहि तो तु बोहो मा हीरेज्जा सुनण्ण - कारेणं / तुझं तु मोरगाइं छाएमी तंबएण अहं // 423 / / लो. गो य तुमं भर्णािहति हरियाई मोरगाई बोद्द ! तुहं / तं मा हु पत्तियाही एवं च भणिज्जसी लोग॥४४॥ जो एत्थं भूलत्यो त. मउं जाणे कलाय ! मा सोय / सोऽत्र य एवं भणती बुग्गा हिय अहय अंघलया // 5 // अधलगभन्तणिवे सयणासणभन्तवसहिमादी हैं / सुरिहिभंधला तेऽनि य धूलेण भणिया य॥४६॥ अहयाम्म अंधदासो अम्हं राया य अंधलगभत्तो / इह दुक्सित त िवच्चड जड कयपूणो न दियलोथं // 4.7 // इय होतु त्तिय गेहिं जीणेतुं रति होंगरे तेणं / वेठेऊण पुरिल्ला लोवि. ओ मोगल्लपट्टीए // आणेह मे जं आत्य एत्य चोराण पनिभयं डाणं / गेण्डर पन्थर मा हु य कासति देहित्य अल्लियितुं // 48 // भोहिंति चोर तुभे केणेने अंधला नरागा तु / गिरिडोंग२ वेटाविय पहणह ने पत्थरोह तु // 190 // इय वोन्तुण पलामो धिः तण अस्थजातयं तोस / नेय भाते टिटहा गोवादी भणिता य 1 // 49 // केणेते एव कता इय बुन्ने पन्धते पहया / णाव दिति अ. ल्लियावं युगगाहिय एवमादीया // 492 // वणिर्माहेल मद दब्बे वेयस्मि य मूल होति राथा ऊ / बुग्गाहणमूटा पुण दीवादी सेस सध्ये. ऽनि // 493 // अण्णाणमूट इणमो दाइज्जतपि कारणसतेहिं / जो सप्पडं ण याति जच्चंधो चेव जह चंदं // 494 // कोडादिकसाओदयमुढो णावे जाणती मण्सो तु / इह य परम्म य लोए डिनाहि. संकज्जाकज्जवा // 495 // दवे य भावेण य दुविडो मन्नो तु डोति णायलो / मज्जमदादी दव्वे माणदह विहेण भावम्मि // 49 // కు