________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 166] श्री आगम मुया सि-यु 0 नवमो विभाग पणतरे 15 // चिर कारेबारे सन बदकाल व मेविय होना / एन घडा एय सुद्धासुद्धे अस्मुद्धितरे // 1 // 54 // मंघयधतिजुता. में मवण मन्हं तु दिज्जए नन्थ / अमट्ट अधिनादीण दिजाद चापति जं वोदं // 1415 // मोनूण काययपदं करोति आलंवणं मौतविड़यो / रहम्म च अणहय्य करेति मातस्यओ पुरियो / 156 // माइदडाणारेमुक्को अकप्पियं जो तु सेवते भिक्यू / तस्य कयितपदं मायासोडिए चाभेयो , 157 // एसो चरितकप्पो एनो नोच्छामि 3 - अहिकमंतु / सो पु) पुनाभिहितो ओडुवग्गह जुत्तओ व // 15 // जो तु किसी ए-पं तं णाचे इह अहं तु वनमामि / मुटुग्गमादीएटिं धारेथव्यो जहाकमक्यो / / 1859 // प्रामुथमफामुए यानि जाणए या अजाणए / ओहोवड़वाहते धारणा करम केचिरं // 1860 // जदि कासुवही कारण गोहओ तू जाणए तो धारे / जो जुण्णो:जुष्णो बिटु अहपकुव्वे शुभति हु // 1862 / / फासुगे अजाणएणं कारणगाडेओ धरेज्जते तार / जावण्णो उप्पण्णो ताडे तु विगिंचए तंतु // 1862 // अह पूण अफामओ त जाणगाडेओन कारणे होज्जा / जदि गीतस्या सचे तो धारेती तुजा लियो / 1863 / / अग्गीनिमिरसेहि अणुप्पण्णमि तं विगिचति / अह पुण अफाटो न कारणाहतो अगीतेणं // 1864 / उप्पण्णे उप्पण्णे अण्णमि विगिचती तु सो ताडे / एवं चनुभंगेणं धारणता ना परिहरणा // 1865 // सो पुष दुविहो उनही वधं पातं च होति बोधव्वं / वस्तु चहार्वडाणं पाता पुण दो अणुण्याता // 1866 // चोदेती. पंचण्डं किय्या ने एगो पडिग्गडो होति / तो दो एक्केक्कस्स तु भात ण पप्पए एवं / / 1867 // तो चलिण्ड दुवण्डं अहा एक्केक्कतम एकको कं। भण्णात पाड़णमादिनु ताहे वि काहितेवकेणं / / 1868 // अप्पा परो पल्यण जीवणिकाया य चत्त होंतेवं। वास्तदिहतो तम्हा दो दो तु घेतब्बा // 16 // भणीत जदेवं तेणं जिणकप्पी एग. पातओ कम्ह? ? / भरणति कारणमिणमो सुण जेणेगपादो तु // 2800 // संगहियच्छि जसपाहिय अप्याहारे चियत्नदेहे य / णासण्णेऽणावाए गांतिनिकद्धे डनियमाणं // 1871 // तिवली अभिषण -