________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् / क्च्चो कंकरगहणी य संगडियकुच्छी / जोयणर्मा गच्छेज्जा सण्याडो धडिलस्सऽसती // 1812 // जसकारि पनयमनमा जेण अजसो होति तं तु ण करेति / परगडियएसणाहय " यावे सुलभो से आडारो // 17 // जादै विय ह कुच्छिा नभाते कदाती अस्म कालस्य / तपि य से निलंसति तत्ताड़ल्ले / जह बंदु // 18 // णाप्य वच्चं से ता गच्छति जाव मारिय गान्धि / 7 य बाहर उप्यज्ज ते चतं चसी तेण 194णास जाते पंडिल्लं गावात जियमेण तु / वैच्छिण् ट्रस्मोगाउं सम्वदोस विजयं // 1876, जिकिर पिपडिग्गहग बोसिरितुं यन्यो न मिलनेने / एतेण कारणे जिणाकपिउ एगपातो तु // 18 // पातदुगस्य तु गहणे कारणमेत स मासतोऽभिहितं / अड़णा तू चोदयंती कि ोपति स्थमतिरेगं ? // 1878 // कितीहिं ण पडूप्येज्जा एक्केणाधादणा पकमि ? / गच्छे सकारणे ति य वोच्छेदको पसंगरस // 10 // चोदेती किं तिण्डं गहणं ऊणे, जंण संधीते / भणती एपणाव हु संघरति पुणाह तो सूरी // 10 // छादणतो णासणतो ऊोण कता भ. चे पकप्परस / मा ह पसंगविवढी ऊणहितं तेण धारेति // 18 // गच्छो सकारणोती शिलाण वुइटे य बालममहादी / तेसहा अतिरेग घेति मा डोज दुलभांति // 12 // सीतादितावियाणं मा टू णाणादियाण परिहा / होज्जाहि तेण गेण्डति मंधरती जानदीएणं // 1883 // जोद एयविप्यडूणा ताणयमगुणा भवे हिरवलेमा / आहार मादियाणं को णाम परिगाह कुज्जा // 14 // पंचमलतोवघातो चो. * देती वस्थमादिगणम्मि / एगलतोजघाए घातो पंचण्ड बिजताणं // 5 // एवं तु चोदियमी बेति गुरु ण उ परिगाहो मोतु / मंजमगुणोवकारा उवाति परिगहो होति // 16 // जमि परिगडियंमी तमधावरघातणा पबत्तीति / गहणे गहि ते धरणे सो णाम परिगाहो होति // 180 // गहणे पुरकम्मादी गहिते पुण होति पच्छकम्मादी / धरणे अर्पाडलेहा कीरति मुच्छा त जा तस्य // 1 // जमि परिरहियंमी तसधानरसंजमा पनत्तीति / गहणे गहिते धरणे सो ऊ ण पर. ग्गडो डोति // 18 // रागविरहिओ तू माहारादीण जं कुर्णते भोगां