________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 [152]. श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभा' . भत्तवाडमंथि गेण्डति / एगत्य दर मत्तग दोण्ड पी रित्ता पकप्यो / 159 // तिप्पभितिहिती मिक्कारण मत्ताएसुवागण्हे / मो होति विकप्पो ऊतन्थ यसोही इमा होति // 15 जादे भा. यणमानहती ततिमासा जति दिणा उ आणेती। ताजइया चउमा मा वितियाए रोषणा भणिया // 1595 // समणीण तिण्ड कम्यो चतपंचण्डं णितो पकग्यो उ / तेण परेण विकप्यो एसो उनाडं तु वोच्छामि // 15 // लिणि तु भणिता कप्या अतरंता विपतिणा पकावड़ी / उप्याथगवज्जाणं तिहाणारोवणा भणिता 159 // गणणाए पमाणेण य उनहिपमाणं दुहा मुणेयब्बं / गणणाए जिणाणं एक्को दो सिन्नि वाकय्या ॥१५९दो रयणी संडासो सोत्थीओ. वानि डोति आयामो / कंदा दिवइठहत्थं एयपमाणथ्यमाणं तू // 1599 // दो मोमिओणि एक्को धेराणं तिन्नि होनि गणणाए / आयामायपमाणा दुहत्य अद्धं च विच्छिन्ना // 1600 / / एसो उ भवेकम्मो पकप्पो उ गिलाणए गुलणं ना / चनु. सत्तवादि पाउण माणगाऽतिरित्तं च धारेंज्जा // 16.1 // कारणे पकप्पो होती विकप्यो जिनकारणे मुणेयच्चों / उम्पायगों पबित्ती साबतिरेगं धरेज्जाहि / / 1602 // गणणाए पमाणेण व गच्छदहाए तु तं पमोजणं / जो अन्नो अतिरेगं धरे सोधी तु तस्स इमा // 1603 // चाउम्मासुक्कोसों मासियमझे य पंच य जहण्णे ।तिविम्मि वि - वडिमि अतिरेगारोषणा भणिता // 1604 // अतिरेग उवहिदारं सं. सेवेणोदितं अह आणि। परिकामदार बोच्छ अनिकम्मो जिणाणनही ॥१६५कारणविही पकप्यो धेाणं अविडिए विकप्यों उ / परकम्मणा उ एसा भंडप्यायं मतो वोच्छ / / 1606 // गाहग गहणं गेझं जडासंगिमे तु णायब्वा / पुरिसे पडिमा उवही तिण्णि तिगा भानसुदाई/१६०७॥ गाहगो गीयत्यो कालु पुरिमो णियमेण होति णायव्यो। उहिटरमाइडिंगडण पडिमाहि भणिय तालिव्वो उबड़ी सल तिषिणताहार उबहिसेज्जति / तिण्णि वि तिनिसुद्धाइं उग्गममादीहि गियमेणं / / 1606 // एगेण चेन गडणं कय्यो दोहि भने पकय्यो तु। तिभितितलिकप्पो भन्ने मानहा उनही 16 आदिनिएण