________________ श्री पञ्चकल्प भाथम् ) [151 डिच्छणामु य मुहमीले अनसंहारो // जहियं न सानयादी कोति करेाहि संघभन्नं / तहियं तु या गेयहेज्जा या य बस उद्दे ह सेज्जासु // 1571 / पाणागभत्तादीनु ण य संघाडो या या वि से सुते / बोहिंति आमणे वि यण जयंति पतु उसी // 1576 // सेज्जा वेनं उन िण देति गेण्हति वा संघाउं। सज्झायं ये ण गि. ण्डे ण पडिच्छे चोदए वावि 1000 मोतं राउलकजं उनदेसं वा मुएज्ज डन एवं / अण्णा-ध उदासीणो एसो मनु अत्तसंधारो // 150 / / परिवारं ति नहिं राजकुले निण्ाति ते चेन / जदिका डोज समन्यो मज्जा नो सयं नेन // 1579. पण बंधनहादिसु उहवणचरितसंगरोहे ना , शिरलंबणो ममन्धो न करेति नहि वि. संभोगो 51510 // कोई वहबंधादी माहण करेज भहन देनकुलं / पाडेज पउिमभंगं च करेज्जा कोति पडिपीओमा अहवा वि गिोमन अकहेमाणो तु कोइ भेज्जा + गिरलंबणमगिलाणो ओरसचिज्जादिम सम-थो // 152 जादे णेच्छति मोदेतुं लमसंभोयं कऐति तो. सम परितावणादि जैसे पानेंती तंच पावइ य॥१५॥ केवइय पुण कानं बंधादिगताण लेसि ममणा कायनमति मता भण्ात इणमो णिमामेड | मज्जायसंपउने चिरमवि कायनमपरितंतेण / मज्जायविप्पडणे मउवाले मतिं करण 15.5 जदि अजनाडे गहतो भण्णात मोएमो जदि पुणो ण करे। एरिमगमध्भनगते मोदे पच्युबालभे // 15-6 // इहपरलोगें चइ कुव्वंतेतारिमाणि जे वहति / ते पातेलाई परे य लोए दुष्टसलाई 15 // एवं उवालभेत्ता मोदे जाद पुणो कोमाणे / पेप्मेन्ज उदासीण हवे. ज्जने चाहि (रि)या समग ॥१५एनसमामेणं एस पकप्यो मए ममम्मानो / दारं / एतो तु ममासेणं वोच्छामि विकप्पमह णा उ 159 अतिरेगं परिकम्मण तह भंडप्पाथणा य बोधब्बा / एमादि विकय्यो तत्तत्थाइरेगे इमं होति 159017 एगेण अलेवकडे कम्यो संघाइलेवग पकप्पो / तिप्यभिई तुविको मनगमोमो याण ढाए // 1591 // पादेगेण अले गेण्डे जिणकप्पिया नसो कप्यो / धेराम दोबा पादा संपाडे हिंडति 11592 // सत्यंगडिग्गड़ए