________________ కలకాలం श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [133) हत्थी तंतुयमच्छेण गडिओ जलमच्छे / सिरिरिभो दोभासं भगिनी ण वि जाणे कत्थ कओ॥१२३४ाजा मगाति ता इत्थी पडिभो रण्णा विणासितो घरिओ। बितिओ मगितो दिण्णम्म तक्मणा मोचिते प्रया दारे // 1235 // एमेवारियम्मि .वि उवसंधारो तहेव कायो / चिंतणसमचाकर. णे णिज्जरत्माभे अलाभे या दारं // 1236 // रण्णो दो देवीओ रमल्ली - ल्लभी सण्डायति / पेसल्ली हारावे आभरणे वल्लभीए उ // 1237 / जह घेडी आभरण आवासे तह इम मिणाय / उवासंघागे नह विय आयरिए होति कायब्बो / दारं // 23 // एवं ता वाएंतो भणिती अडणाडिच्छग बोच्छ / जारिसगुणेडिं जुत्तो वाएयव्यो तु सो होति // 1439 // अणुरत्तो भत्तिगतो अतितिणो अचवन्नो अलुद्धो य / अवस्मिताऽऽउत्तो का. लण्ण पंजलिउडो य // 12 // संगो मद्दचिओ अमुती अणुयत्ततो वि-सेमण्य / उज्जुत्तमरितंतो इच्छितमत्थं लभति साधू // 1242 // जो तुम. नाइज्जतो जरूझ यस )ती जह मम ण वाए / सो होई अणुरत्तो करें / भनी पुण होइ सेवा उ / दारं // 1252 // मज्झ न देइ तिन जो तिबुककडं व तडतडे दिवसे / न य आहाराईन्सु तदभावो अतितिणो एसो। दारें // 12-3 // गइडगाभावभासाइएहि नवि कुणइ चंचलतंदु / गाणगणिओ न भवे अचंचलो सो मुणेशव्यो / दारं / / 12 / / आहारादुरको जो लदधण लय न अतडे / एस न लुडो(दारं) वमनप्या तु सहादिविसएसु // 1245 // लीहालेट्हुगमादी जो य पठेतो ण करेंति वक्येवं / अचरित्यत्तो एसो आउत्तो अणण्णमणमो उादारं॥१२ आहारादीकाले कालण्ण होने उरणयतो उ / दार / सुत्तस्ये गिण्तो कुण(इ) अंजलि पंजनिकले उ // 12 // सोनगो दव्ये मिगो भावे मलुलरेसु तु जयंती / दारं। मद्दतिओ जो अमाणी / दारंभमुई दिसमत्तणे जोग मुए / दारं // १२४म भागाइंगिडि या हियच्छित उनिहेति / गुतवयणं चागुलोमे एसो अगुवसओ णाम / दारं // 1249 // जाणति तु जो निसेम हिताहिताण सो निसे सण , यि होति णिब्धिसेन्सो समचंदणलोडचिस्मल्लो / दारं // 15 // - उज्जुत्तो उ अणलप्सो (दारे) अरिनंत तु प्रत्नभह स्व / दार। सु. तन्णिज्जराओ मोक्सो वा शयत्यो तु / दार // 125 // पुच्छणकप्पो डुणा जाति पुच्छेज्ज सकियादि दु / नाति भएति इणमो अहक्कम आणु REFER ES