________________ [132] श्री आगम सुधा सि... नवमो विभाग देसेणं वाएंतेण व गेयडगेण च / सुतपूजा डोति कया तंच जित होति वायंते // 1215 // सुतजाए य पुणो सुतोवएसेण य वट्टमाणेणं / वाऐतमहिज्जते आणा उकया जिणिदाण / दारं // 1216 // सूयणाणुवदेसेणं वायंतो गेयह - तो य पंतेहि। ण चइज्जनी छले तरमादीहिं देनेडिं। दार।। 1217 / / बायणगणा तु एने समासतो वण्णिता मए कमसो / बायर्णावहित एनो वोच्छामि अडाणपुवीए अताण परित पुरिस हितऽपिस्सिय प-.. रिजित जितं काले / दिवत्थं फउबंजण णिवावण णिचहणमुद्धं // 1219 // नबुसी गंधियपुत्तो रण्णो रयणघरिए दोभासे। देवीआभरणनिही दिडना होति आयरिए // 2220 // अत्ताणं तु तुलेती सत्तो मिण बत्ति बाथर्ण दातुं / जाणेज्जा पुरिसे वि य जो घेर्नु जत्तियं ति // 22 // अहयं घेनु समधे बह देंनी अप्य गेण्हते अप्यं / विच्चामेलणदोसो अतिबइते तस्स दिज्जते / दारं // 1222 // परिणाम अपरिणामा अतिपरिणामा य तिविह मुरिसा उ / णाऊणं दसुतं परिणामगे होनि दायब्वं / दारं * // 1223 // इडपरलोगे यहितं दारं अणिरिमयं जणिज्जरदहाए तुवाइ गारवेण आहारादीनदहाए / दारं // 1227 // उक्कइतोबइयं परिजिय तु जिय एव अगुणयंते / / दार / कालिनि कानियादी कालो जो जरस तं तहियं / / 1225 // जस्स वि जाति अत्थं दिदडत्थं तंतु भण्णती सुत / दारं। फुडवियडवंजण तु नयनिसुद्ध मुथब्वं ।दारं // 1226 // तं होती गिरनणं जो जाएंतो तुम्हादि उनघा (प्या)ए। शिवहणमुत्तमेयं जो अस्मित्तो 3 णिव्वतेि // 1227 // तउत्सारामे त. उसे पुव्वंग पलोए आगते काहिए। जान पलोए तान तु केइ बिपरिणत अपहहिं गेहे // 122 // एवं जो आरिओ पुडोसंतो निति यति अत्यं। चियरिणमितस्स न सीस नजति गणस्य // 1229 // जह मूल्लअणाभागी आरामी सो नहिं तु मंबुत्तो। तह णिज्जरमणभागी आर Aओ होति एव तु॥१२३०॥ जेण पुण) यदिटठा तसा आमिएण होति तहिं सो देनि लह तठसे मुल्लम्स य होति आभागी // 1231 // एवं आ. यरिएण जेणत्यो पुचि चिंतिमओ होति / मो वाएति लह लहुं णिज्जरभा मी य डो एव / दार // 1232 / / एमेन गंधेिपुते जाणमजाणे य गंधभाणे दु। भाभागी अणाभागी उनसंघाने निय तहेव / दारं // 1123 // मेणियाशियस RSSTRESSESSESSES