________________ 牙免染染染杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂巧 श्री हर्षपुष्यामृत जैन यमाला-यांक-१६ श्री महावीर जिलेन्द्राय नमः। तपोमूर्ति पूज्याचार्य देवश्री विजयकरसूरिगुरुभ्यो नमः। हालारदेशोदारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतमूरिगुरुभ्योनमः। श्री आगम-सुधा-सिन्धः *RRRRRRRRRRRRRRRRA नवमो विभागः श्री.निश-बृहत्कल्प-व्यवहार-दशाश्रुतस्कर. - जीतकल्प- पञ्चकल्पसूत्रात्मक 卐#ARREAR289222025 Rम्पादक. संशोधक तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकर्पूरसूरीश्वर पालकार. हालारदेदारक-कविरत्न पूज्याचार्यदेवश्रीमटिजया तसूरीश्वरपट्टधर पूज्याचार्यश्री विजयजिनेन्द्रसूरिवरः प्रकाशिकाश्रीहर्षपुष्यामतजैन गन्यमाला | लाखाबावल-शांतिपूराष्ट्र) FREEFERREEEEE