________________ 獎獎獎獎獎獎蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 183] . जिन्सारएण धामावहारविजठेग / भत्तादिलंभालने सरकारज. ठेग होयव्वं // 2155 / / कप्येति धेरकप्ये सुत्तविन्सारए सर हण / व्यबत्येसू सबल ण यहियवं समन्येण // 2156 // आहारमादिएडि दट्टुं पीयारमादिपुज्जते / साडू अपुज्जमा. णे ण एव मणमा निचिंतेज्जा // 2157 // प्रइज्जती अजया वयं तु सवण्णु मग्ग मोदिण्णा / डा कह गुग पुज्जामो ण करे मगदुक्कडं एवं // 2158 // सस्कारपुरस्कारे परीसहेतू अहियामिओ एन / जूते गऽहियामिओ तम्हा सुमणे होयच / / 2159 // वीमविहकप्पो तू एसो खलु पण्णितोस. मासेण / बायानकप्पमड़णा गुरुवाएमेण घोच्छामि // 2160 // दन्ने भावे तदभयकरणे रमणमेन साहारो / जिवेस अंतर गयंतरे य हित अहिते व // 16, ठाण जिण . धेर पज्जुसणमेव सुत्ने चरित्तमझयणे / उद्देस वाय. म पडिच्छणा य परियट गुप्पेहा / / 2162 // जातमजाते वि. गणमाचण्णे संधाणमेव चयणे य / उननाय मिसीहे या वन हारे सेनकाले य // 2163 // उवहीं सभोलिंगकप्य पडिसेन णा य अणुनाये / अणुपालणा अणुन्ना हजणाकप्ये य बोध ब्वे / / 164 // एतेसिं तु पदाणं पनेय परजण पनव्यायामि / नहियं तु दचकय्यो इणमो तु समासतो होति / / 2165 // प्रचण्ड असणामीण पणुवीमति है भने बिमोहीउ / अहवा वि : चहसिया एनो लिगढिया सोही / / 2166 // भमण पाणबत्थ पात सेन्जा य पंच एतेसि। सद्धी वणवीसतिया उजाम नह एम. गाए 4 // 2150 / सुतणाणपमाणेण 3 गडेयमन्सुद्धे वि होइ सुद्धो 3 . महवा विधहमया मोलस उप्यायणा योमा / 2168 1. शसि सव्वेसि इणययणोकणाटणहि कोडीडि / कलकारिताण. मोदिन एमा निगठिता सोही // 21 // दमणणाणचरिने तब पवयण मच्च समिति निडि गुनो / इतरागदोमणिम्ममसमदमणिय मस्तिो णिच्च // 2170 // नभयकथ्यो अहुणा एने च्चिय दबभाबकप्पाउ / दो. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎