________________ - [12] श्री आगम मुथा सिन्धु. 6 नवमो विभागः नदिवन बीए वा सीदतो बुच्चए मुणो तइयं / नेल स झं भिक्यण्णादीहि संमत्तं // 2939 // फडकमसे अचियत्तं गो. णोतु दिओ व मा हु पेलेज्जा / सझं अतो म भण्णाति एसणचित्तं ततो मारे // 1 // भण्यात दिण्वदेसी तुझं लितियं च सारित म्हेडिं / एगवराहो ते मटो वितिय पुण ते ण विमहामो // 11 // ताहे पु. णोऽवराहे कमि पच्छितं दौते मान्मन्टुं / भण्णइ य सुणेडेथ . दिदडतं तेणएणां तु // 142 / गोणादिहरणगडिओ मुक्को य पुणो महोट संगहितो / उल्लोल्तगणाहारी ण मुच्चती जा. यमाणो वि // 143 // पुणनि कताबराहे मान्मलई चेव दोति से सोही / भपात घटिजंतं चुस्काय दह तह नुममि // 21 // // पुणरवि अवरधमी मासो च्चिय तेसि दिज्जते दंडो / पाणो सो संवतो अतिकंचियंसूकमंतातयं // 2145 // तेण पर णिच्छु. भणं कुलगणधेरादि तपम कुलति / अयमण्यो वीणीयमो भएणति तू जरिसमे दोसा // 2146 // अप्पांदिवलुहं गिनाणं दु. पडिजग्गगं नाम सगचितं गच्चा संवाो वि ण कति // 22 // उम्मग्गदेसणाए संतरस य छायणाए मग्गस / मग्गधर उवा. लंभे मासा चत्तारि भारियया // 2148 // आथरियाणं धंदे ण व ती अप्प/दिओ सो उ / आहारादुक्कोसं लद्धं अत्तदिह लुछो तु // 214 // जो तु गिताणो अपत्थं मग्गति सो डोति दुपडिजग्गो तु / डायसु भणितो क्चति वच्चति य हाति वामो सो // 2150 // जच्चादिमादिएडिं करेति गर्न परिभात अण्णं / णाणादीया मग्गो पलवणा अण्णहा तेति // 2151 // णाणादिसु सीदंतो ण सुद्धमगं तु जो पनवेइ / एसो मगच्छेदो वढयती दीइसंसारं / / 2152 / / एतेसि तु निवेगो मग्गधरा मल कु. लाटिया धेश / तेहिं उबलद्धाण उनर्टिस्ताणं गत चतरो(मासा) // 2153 / / बालाणं वुइठाणं भिवामुमादीण चेव सव्वेसि / सं. सेनेण महत्थो उरटेनो कीनई इणमो // 2154 // कप्ये सुतस्य 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎