________________ 992989222230 [176] श्री आगम मुधा सिं-पु० नवमो विभाग 2034 // ताडे पच्छकडादी चारेदी तेनि अन्मतिउ सुइडी लिंगविनेगं काउं चारेती जा गता डाणं // 2035 // एवं दुन्छ शदीसु चि जयणा जा जत्य मा तु कायदा / मुत्तत्थजाणाएणं अप्पाबहुयं तु गाथवं // 2036 // एनेसामण्णतरं अणगाठालंबणे जिमेवेज्जा / तट्ठाणगावराडे संवटियमोऽवराहाणं // 2037 // संवोटयावराडे लवो व दो तडेन मूलं वा / आतारमकप्ये जपमाणिम्माणचोरममि // 2030 // अखाणकप्पो एसो अडणा अणुवासणाए कप्पं तु / बोच्छामि गुरुवदेसा अणुग्गडदहा मुडिया // 2039 // अगुजाममि तु कप्पे पण्णवग पडुच्च बडुवहा अत्था / अगुवानियाए पगतं सुद्धा य नहा असुद्धा य // 2040 / / अणुवासत्यो बाहा उडुनासे वसण अहब अनिवादी / बु. इठादीवासो वा अडना अणुवसणमणुवासी // 2041 // वसितं पुणों 'नि वसती अणुनासिगनाडे मामइगी मण्णा / नीढिगारो एत्मा होज्जा सुद्धसुद्धा वा // 2042 // पट्टीसादीडिं सगांडणादिए। हिँ तह चेन / डोति अमुद्धा जमडी मूलगुणे उत्तरगुणे य॥२०४३ // कालातिरिनं अविसुद्धासु च तासु नसमाणो / पानति पा. यांच्छतें मोचूर्ण कारणमिमेडिं // 2064 // अभिने ओमोदरिए रा। यदृढे भए व आगाळे / गेलन्ने उत्तिमट्ठे चरित्त सज्जातिए भ सती // 2045 // वा िसवयसि तत्व भिवं तेण कालदुयगमि / पुण्णे निण णिग्गच्छे अणुपच्छाभाव अगुवासी // 2046 // भानंबणे विसुद्धे मुजदुतं परिहरे पयत्तेणं / आसज्ज तु परिभोगं भयणा पडिसे क्संकमणे / / 204 // असिवादीहि वसंते सुद्धाए वमहीए वसे साडू / सुद्धा वमतीए जनती विमोहि कोडीए मुवंतु // 20 // भयणत्तिय जं भणियं पुष्वप्पतमात्य जे उजे दोन / नेने पुव्वं सेवे संकमणेऽवी इमा भयणा // 204 // अप्पाबडं तुलेतुं जन्थ गुणा न भवेज बहुतरगा। गच्छ गच्छताण व तं चेन तहिं करेज्जी उ॥२०५०॥ __ असिवादिणिदिहए मुण पुवासेवेण संकमे तत्तो / सत्यं तु पडिच्छतो जर अच्छे तन्य मुद्धो उ // 25 // एताणतरविण भणुवामिय जे तु अणुवन्से कब / कालपानराहे मंबटयमोऽवराहाण RRRRRRRRRRRRRE