________________ 聽聽聽獎獎獎獎獎獎獎獎獎羨 श्री पञ्चकल्प भाध्यम [17] 2052 // सर्वाट्ट्यावसाहे तवो दो तहेव मूल वा / आधारपक प्पे जं पमाण-णिम्माणचरिमंमि // 2053 // अणुवासियाए कय्यो एमेसो चण्णितो समामेणं / ठितकय्यमो तु तत्तो वोच्छामि गुरूदेसेयं / / 054 // गच्छागुकंपयाए सुत्तस्थावसारए य आनिए / आगाढे पटमसंजनो ओर. गहिए पकप्पए / 055 गच्छो जाद डीज्जा आर्यानयं वा विवाथए को ई। एरिसए आगाटे जस्स उजाडोतिलगी 30YEसोनपमादेती पढमणियंठो पुलागलदीओ / गच्छोवग्गाहडे काणा पकोडअगुण्णा // 2057 // दुपए ति साडुसाढणि तदटठहेतु एव मूलगुणे। भणिता सेवा एसा सीसो पुच्छनि उ अह इणमो | |जह कारणमि भणिया मूलगणेसुंठ एव पडिसेवा / नह होज्न कारणमी प. रिसेवा उत्तन्गुणे वि // 2059 // गुरुयतरएसु एवं मूनगुणेमुं तुज दि भवेऽगुण्णा / उत्तरपुणेसु तनो लहुयनलेसुं ततोऽयुण्या 2060 // * ठियकप्पेसो भणितो अहणा वोच्छामि अर्दिठयं कय्यं / संस्वपिडियत्थं जह भणियमणतनाणी // 2061 // वन्थे पायगाहो उक्कोसजहन्नगमि अठिओ तु / ठियमदिठते दिसेलो पल्लवितो सं. पकमि // 2062 स्थाणि य पाताणि य मन्झिमति-थंकराण कप्पमि / बहुमोलाण वि गेयहति अठियकयो समकमाओ // 063 // मोल्लगव पि नत्थं अठारमगिनकररा जहन्न / एनो यस. यसजस्म उस्कोसमोल्लं तणाथ॥२०६४॥ ऊणगभटठारसंग वत्थं पुर्ण साडणो अणुण्णातं / एत्तो वतिरित्तं पुण गाणुण्णाले भरे वत्थं // 2065 / जिणराणे कय्यं अडणा रोच्छामि आए. व्वीर / जं जन्य जहा निवर्यात समामओ तं नहा मुणन्मु // 2066 // जिणधेराणं कप्पो जम्छा उ दिठतमि ठिए.चे / ठित अदिंडतकप्पाणं जम्हा अंतग्गता एते // 10 // जो तु विसेसो एन्थं तंतु समासेण पर बरसामि। जिंण राणं कये निणकप्ये ना इम वोच्छ // 26 // दुयमत्तए लियचक्करास अद्धएगदेणं / अव डोज कालकरणं पुणरावती वि य तेमि // 2063 // पिंडेसणा उ सत्त उ डरति पासणा दु सत्तेए / चनु सेज्ज व्य पाले लिण्येने चउकगा होति 109on