________________ [17] श्री आगम सुधा सि-यु : नवमो विभाग दोण्णाऽऽदिमा उ सत्तसु अवणे सेस उरिमा पंच / अदद्ध डोति दे दो दो अवणे चउकेमु // 2071 // गेण्हति उनरिमासु तन्थ अविन्तु अण्णतरियाए / डेडिल्लामुणगेण्डति जदिपिक२ कालकिरियं // 2072 // अभिरगहण ण विता गेण्हेति विही उ एस जिणकप्ये महणा उपकप्पे वोच्छामि विहिं समासेण // 2073 // गहणे चउबिहमि बितिए गहण तु परमजतेणं / जं पाणबीयरहतं हवेज तरमाणए सोडी // 2074 / गहण चचडं पी चन्ध पातं च सेज्जाहारो। एनोसें असतीए गहणं प. . कम तबीयत्स // 2075 // बितियं पातं भण्णाति कि कारण तन्स गहण पठम तु। तेण विण बोडियाडमा गिहि भायण. भोगा हाणी य॥२०७६॥ महवा चउब्विहं त असणादी तत्थ होज्ज गहणं तु / तत्थ तु बितिय पाणं तस्स गहणं पढमताए // 2070 // असतीय कामयस्सा तससोहए कंद बीय / सडिए वा। किं कारण तेण विणा आसुं पाणक्यतो होज्जा। 207 // तरमाणो गेण्हती सुद्धं अतरो पेल्ले तह संधारे / संघरंतो तु गेपरंतो पानति मदहाणपच्छितं // 2006 // सत्न दए दमए वा अणेगडाणे वा भत्रे गहणं / एतो निगातिस्निं गच्छे गहर्ण नु भइयव्वं / / 2080 // पिंडेसण पाणेसण सत्त दुगेनु होति णायव्वं / दसगं ए. सणदोसा गडाणुग्गमे दोसा // 201 // एतो तिगातिरितं उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं / भजियंनि कम्पति जी नमसतीद अमुद्धं पि // 20 // एसो तु धेरकप्पो वोच्छ अणुवालणाएकप्पन/ वालिंति सुविहिता गच्छ विहिणा उ जेणं तु॥२०६३॥ परियटी परियटतओ य दुविहो मुणो पि एस्केक्को / उनमग्गखेत्तकाला वसेण अज्जाण परिषट्टी // 2064 परियटियजयंसलू परियट्टी चेन होति एगहुँ / समणा समणीओ वा दुनिह पोरेयदिटयचं त॥२०॥५॥ समणपरियट्ट विहो आरिओबीचओ उवज्झाओ / संजतिपनियटो पुण तिविही तु पनत्तणी तइयारद // समणिपरियोदेट चिहा विहिपरियटटी य अनिहिए चेन / जतिमि