________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 17917 परियट्टीयवा णियमेणं कारणेणिमिणा // 20 // ताओ बहूवत्सग्गा तेणादिवत्संचयिय खेत्ताणि / कानवसेण य संपति जोयः ति लोगस्स पंतत्तं // 20 // तम्हा सव्वपयत्तेण रविल्ययना उ ताओ णियमेण / विसतिरा मोत्तव्बा मा होज्जा तासि तु विणासो॥२००९। संविग्गागीतपरिणतो नामि परियट्टओ अगुन्जाओ / होति पुणा अरिहो मल परियट्टी तू इमो तालि // 2090 // अबइयुते असीयत्थे तकणे मंदर्धाम्मए / कंप्य सील. णहाए अनिही दाणे य गहणे य // 2011 // बहुस्सुतगीत जहण्णो आवासगमादि जाव आयारी / ते अग्गीता बहुमत तिण्ड, समाणारतो तकणो // 2012 // जो उज्जोगंण कति चरणे सो होति मंदधम्मो तु / अगिड्यउल्लाबादी सरीरकुनिओ य कंदप्पी // 2093 // णिका. रणे अगदहा संजतिजनही तु वच्चए जो तु / शिक्कारणविडीय जो देती गेयहती नानि // 2094 / / एयारिलो तु अज्जा परियट्टी तु ण कति / कारणेडिं इमेडिं तू गमति अज्जाणुवस्सयं॥२०१५ // उवस्मए य गेलण्णे उनही संघपाडणे / सेडहरणद्देने अणुण्णा भंडणे गणे // 2076 // मणप्पज्झ अगणी आऊ वीयारे पुत्तसंगमे / संलेडण नोसिरणे वोन्महाणे हिते नहिं // 2017 // अन्डिो भरिटो यापि परियट्टी एवमाहिओ। अडणा पवत्तिणी तामेिं अजोगा तु इमा भवे // 2098 // वासगाविहारेसु वीयारादेकदहिया / अजुत्तोवहि अणाउत्ता अप्पछंदा य काहिता // 2071 / / पोडणीयं घद्ध मुडसीला गिडिवेयावच्यकारित।। संसत्त इवियभत्ता य बाउसी अप्पणदिया // 2100 // अगायतणगवेसा य छण्णंगाणं पलोइया / जा यण्ण एवमादी य अज्जा सा पाणुकडिठया // 2101 // आहारे उपडिमि य गतीएम यणासणे गरी य / भासाए बाउमाणं जा जहिं आरोवणा # णिता // 21.2 // वासावास जसति तु एक्किया तह य गामऽणुग्गाम / दुइज्जती विया विहारीभववादि एक्का य॥२१.३॥ दीह करेति गोयरदोच्चमुस्करसगाणि मग्गंती / चिनियादिणियंसण अजुत्तउवही भवति एसा // 21 // // इरियाभासेसयादाणणि