________________ श्री प-य कल्य भाध्यन . [99) उत्वस भविखंति व चेम्वाइ 1620 // चिंतेताम्मापितरो अनिवीसत्या इमे तु जाय ति / मा पन्चएज्ज इनि अल्लियमाणा तुम मणाणं // 6 // सस्वझाया एते वय णिज्जंतु तत्यहिज्जंतु / 3 य मंचितेऊण वयं गीता नतो नहि // 622 // वड्याए ममोवम्मी म णाभिरामो तु न्धि वरसम्यो। मह मन्नदा कदाई ने त रमंना गता तडियं // 123 // सत्या हीणा य जती लिसियाकलंता तु आगता तडियं / एन्य करेमो भिवं वडहेदहा परिक्षा नतो // 627 // तो ते भयाभिभूता चेडे विलगणा नमेव वडम्वव / जोतणोऽवि य तस्माहे हातु पविमति भिवस्टहा ॥६२५॥णार पत्तिति गुरु तहियं भ. ज्झयण लिणगुम्मति / तो ने मरीने जाती भोथरितुं वंदि बिति // 626 // अम्गापित पच्छित पव्वज्ज अब्भुवमोऽ मेस तु / जह उसुगारज्झयणे वक्खात सुनआलाये / दारं // 627 // एसा पडिम्सुतास. ल पज्जा मारणी यानेसु / चोइसमे अज्झयणे जह तेतलिपोटिलाबोडे ।दार // 62 // पतिहाणे जुवराया राहारियाण पासि 'णिक्खंतो / नगराए तस्स भर्भागणी दिण्णा जितसत्तुरायस्म // 629 // लगरगताण कदायी उज्लेणीओ य आगतो साह / राहगुरुपुच्छऽ. णाबाह बिती बाहे नि रायसुतो // 630 // पुत्तो पुरोहियरस य दोऽवि ते णिवघनिम वाहति / सोतु जुवणित्रमुणी बेति मम नन्तुओ सो तु / / 632 // सायमिन दुरप्पं आपुच्छिन्ना गुळं तु उज्जेणिं / णिरुवस्स. गणं पुहा न चेव कडिंति से जतिणो // 632 // भिक्खहणियाम्मि य भणितो अच्छाडि आणइय्सामो / भन्तदह अत्तलाभी मि बेति दंसेह शिवओवळ // 633 // रसेवण णियतो मुड्डो इयरो वि गंतुं शिवओकं / सहेोष महंतेण अह कुणती धम्मलाभ 634aa . तो तेहिं सोतु टिदही परितुदहि चऽणेहि सो गहिओ। भणितरे तं जच्चस नी इय होत तेण नो भणिता // 635 // गायह तुब्भेत्ति नतो ते तु पगीता साच्चिओ साह / ता ते उपद्दनिता सा. धुणा सिज्जिया दोनि / / 636 // पुणरीच ती गायसु नुमंतु अ. म्डे उ च्चिमो. इमिह / इय होतु त्ति य भणिते पणच्चिता ताहे ने टोवि 11637 // पुणरवि य विहवेना गोवालग विहवेह के 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎