________________ 3298292989222 श्री पञ्चकल्प भाष्यम [109] दिहए। णिलणे किनिमारोगा सवणे वणमादिसे दार // 79 // त्धे उगम उप्यायोसा जोया प्रमाणे य / इंगाल म कारण भइडोहा वायणिज्जत्ती // 42.: एत्यो र जहासभत्र घोसे. यच्वाइं सहाराई। पउलाटेपमाणाणिय एमादारे समताको (198 // गिमहाससिरवासामु य पडला उस्कोसमझम जहन्ना / वाराणोका कमसो पच्छादा पुरोगामि 92 // एमेव य पच्छादा पुरेिम खेनं च कालमासज्ज तिगादी जा सत्त तु परिजपा पाउणेज्जाोडे / / 10 // पुरियो असह कालो सेमिरो खेन व उत्तर पहादी / गिम्हे 5 वे पागोज्जा नोरिमय देसमामजज // 1 // एवं तु उसमादिसु सुद्धो मच्चोऽपि एस उवही उ0 धारेयच्चो णियतं अकडो चेव जडलिहिणा / 02 / असती ते. गोण जुलो जोगि ओहोनही उवग्गडितो। छेदणभेदणकरणे जा जहिं आरोवणा भणिता 103 // तिबिड असति तिजा सा दब्चे काले य डोति पुरिसे य / दवम्मि तिथ पात ओमोदरिया य कालम्मि // पुरियो य उगमंतो ण विज्जती एस पुरिम असती तु / अहवा अगल अधिरं अधुन संतामती ति. विडा / / 05 // अहवा लिग त्ति असती अहाकडाण अप्पपोरेकम्म / तस्मऽसति अपरिकम्म तं तु विहीए इमाए तु॥०६॥ चत्तारि अहागडए दो मासा होति अप्पपरिकम्मे / तेण परि वि. मग्गेज्जा दिवइटमासंसपरिकम्मं // 107 // पुणसद्दा निक्युत विमग्गियच तु होति एक्केक्कं / एवं तु जुत्तजोसी अलभंतो गिण्हती ततियं / / 0 // अहवा असिवोमेडिं रायटहे व से, गुरुणं वा / सेहे चरित यावय भए य ततिय यि गिडिज्जा 09 / असिवादि पुच भगिता गुरूवमो गुरु भोगजाहि अच्छाहि ताव अज्जो तत्य तु ते कारण विदंति / 10.) एनोई कारणेडिं अहगडवज्जेण दोण्ड गहिताण घेदयामाटी फन्वं जयणाए होति सुट्रो तु / / 11 // णिक्कारगरणे वेराहणा डोति संजमायाए / छेदणमादीएमुंजा जडि आरोषणा भणिता // 12 // तं पुण सपरिकम जयणाए होलि लिंपियन्वंतु / FREEEEEEEEEEEEE