________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [8] जोच्छामी चिहिए जह कीरट तन्म / 376 भिषणकाओभट्ट वि. ती घडति इई खु परिमार्थ / परोत्थियादि वयसू जति बैती तु. ज्झ समयति / / 377 // इय होउत्ती बोचूण जिगतो भिकममादिलक्मेणं / भिमभुगमा छोः बिपलायंती पुणो लन्तो / / 27 / / . कावालिए सरकस्य ताण्णाय लिंगमादि वस्यमा तु / तं जिंतु दैउलादिसु सुन्नं उड्डेनु बाई इंनि // 379 / / निविडी य डोति ज इडो भासयरी चकरा जड्डो य / भान्साजड्डो च्याउहा जत्लएलजगमम्मणदुमेहो // 30 // जन जलबुड्डो भाति जलमूओ एव भासद अवन्तं / जंह एलगो व्ब एवं एलरामगो बलजलेंति 1241 सम्म णमूओ बोब्बडी खलेइ वाया हु आव सदा जस्य / दुम्मेहस्य ण किंची घोसंत. सावि हायइ हु // 32 // दंसणणाणचार ते तवे यसमिती करणा: जोगे य / उवटडंपि / गैरहात जलदगो एलमूगी य ॥३४३॥णा दिइट्डा दिवया भासाजड्डी अपच्चलो तरस / सो य बाहशे यू णियमा पाहणे उड्डा हो अडिकराएं // 3 // लिविही सरीर जड्डी पंधै भिस तडैव बंदणए / एलोई कारणेहिं सनीरजइडंग दिक्यज्जा // 385 / / अद्धाणे पालमंधी भिक्यारियाए अपार हत्यो य। उड्दुस्मामऽपरक्कम अडियगी उदर्भमादीनु र 6 // भागाठगिलाणस्य य असमाही चाचि होज्ज मरणं वा / जइडे पासेवि हिए अण्णे य स इमे दम्मा पा३४७॥ सैदेण कसमादी कुच्छण धुवणुपि. लावणे दोसा / णतिय गलओ यचोरी गिदिय मुंडा य जणबादो॥३४॥ णेगे सनीरजड्डे एमादीया हवांत दोसा तु / तन्हा तणाव दिक्के गच्छे महल्ले वाणुण्णाभो // 39 // इरिथासमिई भासेमणासु आवाणर्मामेइगुन्तिसु / णाव हाति चरणकरणे कम्मुदएण करणजइडरो। / / 390 // जलमूग एलमूगो अइधरसरीर करणजइडे य / दिक्पं. नस्लेले चलु चउगुरु से सेसु मासलडु / / 391 // भासाजड्डे मम्मण सरजरडं च जातिधूरं च / जाजियारयटे करणे जडं तुछ म्मासा / / 392 / / मोतुं गिलाण कज्ज दुम्मेहं बावि पाढि छम्मामे / ताहे तं दुम्मेहं जाविय करणम्मि सो जडो // 293 // छण्डारे ते दोण्डवि आयरिओ अण्ण गहि छम्मासा / पच्छा अण्णो ततिओ REFREE