________________ 222222223929 [24] श्री अगम सुधा मि-धु समो विभाग नस्म विही होति इमा दिवियज्जतस्म कारणज्जाए / यो पुण जाणिमजाणी जाणति जाणी.जहा लतिओ // 359 // र्णावे कप्यति दिक्वेतु तमुवटिहन पण्णवेति अह एवं / तुज्झ / कति दिक्या जाणादिविराहणा मा ते // 36 // जो पुण ण जाण एवं नरस विही डोति मा करयन।। जणपच्चयट्हताए जाणंतम जाणए वाचि / / // 361 // कडिपट भंड छिहली करि सुर लोय परमत पाटे। अम्मकह सांगण राउल वनहार विगिंचण कुज्जा // 362 // कार्ड पट्ट भउछिहली कीरत व धम्म अम्ह चैवासी / करि खुरे. ग णिच्छे हाणी एक्केचक जा लोओ // 363 // लोव कए, प च्छा भिक्खुगमादीमताई पादिति / तंधि य आणच्छमाणे पो / तिलियकवा // 36 // तार्णािव ओणच्छमाणे धम्मकडा ता वि ट्र णिच्छंते / पर्राधियवत्तव्यं दिज्जति ताहे ससमए वि॥३६॥ तंपि य णिच्छमाणे उक्कमतो तस्य दिज्जए सुन्तं / अण्णोण्णमुनपल्लव पुवावरभो असंबद्धं // 366 // वायारगोयरे धेरमंजुत्तो रति दरि तकणाण / गाडेह ममंपि ततो धेश जुत्तेण गाहिति // 367 // वैरगकहा चिसयाण जिंदणा उणिसियणेगुत्ता। चुम्कलितम्मि बहसो सशेसमिव तज्जए तरुणा // 26 // कनकन्जा से धम्म क. हिंति मुँचाहि लिंगमेयंति / मा डा दुवि लोए अणुष्वता तुज्झ णो दिक्खा // 369 // इय पणविओ संतो जइ मुंचइ लिंग तो उ रमणिज्जं / अहा मुंचति ताई भेसिजात सौ इमेहितो / / 370 // मणि सरम्मिती वा भेसेड़ की इहेस किंचियो / ते मासात रायकूले यदि सो वनहार माग्गज्जा // 31 // एते दिविस्यओऽहं जति विय लोगो ण याणते नोति / जह एतेहिं दिवियतो तो ते बिंती न दिक्मो // 372 // अन्झाविमोधि एते हैं चैव पडि.सेहो कि वधीयते / छल्लियकहादी कइति कन्य जती कपलिलाइ // 33 // पुजावरसंजुतं वेरणाकरं सतेतविरुद्ध / पोराणमधमागहभामाणियतं डति मुन्त / / 374 // जे सुत्तगुणाभिहिता तोचवरीयाई गाही ब्धि / तेहिं चैव विवेगो जह परिमयं भवति सुन्तं // 305 // णिववल्लह बहुपर्याम्म वावि वुइडं च र्गाम्म पव्वइए / वौरिसरण FFFFFFFFFFERES