________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् ___ 107 सेज्जाए घडाणा // 1501 // बादो जयनितंडा पण्णियाऽगछिया महा होति / संजोगविहिविभत्ता कहापबंधे य घडाणा // 1502 // रागणं दोसेणं अण्णाणाविसईथमिच्छते। कोमामालोआममदाहिं तु रातीभोयण डेहिं // 1503 // बिरयास बावतरिविहो / एसा बास्नरी दोहि गुणता रागदो. मैडिं चोयालेसतं / अण्णाणातीहि // 216 // कोडादीडिं आमवदारेडिं // 360 // रातीभोषणछट्टेडिं // 32 // बारम य चउध्वीसा छत्तीसा य अडयानमेव सही याबाक्तरीउएनो संजोयविही मुणेयनो // 1504 // बारस य चउब्बीसाध. तीमायालमेव सही य / बावन्नरी बिगुणिना चोयालमतं तु संजोगा 1505 // बारस य चउब्बीसा छत्तीमा उयात चेव मदडी या बावती छग्गणिया चत्तारि सता उ बत्तीमा // 1506 // जस्मेने संजोगा उवलद्धा अस्थतो य विण्णाता / सो जाणती विमोही उवघायं चेन संभोगे // 15 // जस्सेते संजोगा उक्लद्धा अस्थतो य विण्णाता / णिज्जूडिउ समत्यो णिज्जूठे यानि परिहरि // 1508 // सरिकप्पे सरिधंदे तुल्तचरिने वितिदहतरए ना / आत्ति भत्तप्पाणं सएण लाभेण वा दुस्से // 1509 // गरिकप्पे सरिधंदे तुल्लचरिते विमिहतरए वा / माइहिं संघ कुज्ज णाणीहि चरित्तगुत्तेहिं // 51 // डिनकम्मम्मि दमबिहे हरणाकये यदुविहमण्णतरे / उत्तरगुणकम्पम्मि य जो मरिकप्पो म संभोगो // 1511 // सन्तविहकप्प एसो समासतो वरियातो मविभवेणं / एनो दविहकप्यं ममामओ मे जिम्मामहि // 1512 // मत्नविडो कप्यो समन्नो // कप्पकप्पविकप्ये संकप्परकम्प तह य अणुकये / उक्कप्ये य अकय्ये लहा दुकप्पे मुकप्ये य // 1513 // गच्छाओ गिणनाणं जिणाकप्पियमादेयाण कंप्यो तु / तं च समासेण अहं उल्लिंगेहामि इणमो दु -/1515 // पिंडेमण पाणेसण उग्गह उघिदह भानणा चेव / बारम य मिक्सूपडिमा एवमादी भने कम्पो // 1515 // चिंटेसण पाणेमण पंजुनारमया मभिरगडेगा य / कोमामु य अगहणं सेज्जोग्गह उवरिमा दोसु 1516 // उद्दिदिहत्ती हेदहा निणकविही तु जो समकमाओ / औते कान चरित्ने इच्चाइ तडेव उदपि // 1517 // पणुवीस भाजणो म.