________________ [15] श्री आगम सुधा सिन्धु 1 नवमी विभागः.. गिरवसेन्सा णायना सव्वदव्येन्दु // 1402 // जं पुष जन्याइण्णं दबे मिते य होज्ज काले य / तडियं का पुच्छा न जड उज्जेणीए मंडेनु // 10.3 // एमेव माहमान्ये निसराए संसडीए का मुच्छा ? / विच्छिण्णणे व कुलंमी बड़ए दव्योम का पुच्छा // 10 // तम्हा नु गहणकाले मूलगुणे चेव उ.. तरगुणे य / सोडेन्जा दव्वस्य नुण मूलओ तस्स उयपत्ती / / 1705 // कीच्ये पामिच्चे जिए य णिपत्तिओ य णिप्पण्णे | कज्ज गिफत्तिमय ममाणिते होति गिएण्णं // 10 // कंडितकीनादीया तंदुतमादी तु होज्ज समणदहा / गेम्पनीमा भने आयडा छाणिण // 170 // होति कप्पणिज्ज पुण समणह होज्ज गिप्पण्णं / तंतुकति ए. न्यं च चोदो चोदए इणमो // 70 // णिनिओ य णिमणो य गडणं तु होज्ज समणस / णित्तिओ अन्नुढे कह गुणिमण्णले सोडी // 1109 // एवं गमियो कि एगहाणगं पोरच्चतं / भण्णते अफासुदब्बे ण चेव गहणं तु. साडणं // 1010 // तो नेणं साइर्ण कि कज्ज डोइति न विगप्पेण / अण्णपि य एगकुलेण डु आगोमलदवाणं // 1711 // तिकडुयमादीया सनदवाण मभोगकुले / ताणि तु गवसमाणे हाणी मध्येव णाणादी // 1712 // तम्हप्पप्प मरिहर अपप्पविवज्जतो विनति हु / अप्पप्पं मानो विवजात ण तं च साडेति // 1713 // गिप्पत्ती ममणटा समगडा चेव जंतु छोइ थिपन्नं। गडित होज जयंतेण नत्थ सोही कर होति 1 // 11 // मुयणाणपमाणेण उ उउत्तो उज्नुयं गसंतो / सुद्धो जदि वारण्यो समओ इन सो असठभावो / / 1715 / / जो पुण मुमधुरानो णिकज्जमो जदि वि सोउ पावण्णो / तह वि य आवण्णो चिय आडाकरम प. " रिणभोज // 1716 // एयरस साहणल्डं अहवा अण्णापि भण्णए एत्य / कारगमतं इमामो तमहं वोच्छसमासेणं 108 अंगमि विनितिय / ततियामि जे अस्पक्सल जिर्णाहा / एतेसु जुनजोगी विहरतो अहाज्यं बाजाज्झे / / 17 अंगरगहणापढमं आया तस्स बितियसुतसंधे। तस्स विबीयज्झयणे उहेसे तस्म तोतयोम। 29pe ज. स्थेयं सुतं पतु सेय उवस्से ण होज्ज सुलभो उ / मड़वा वि नईए सी. अथणंमी नइज्जमि // 1720 // नस्स विनतिउद्देसे आदीमुनि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎