________________ श्री पञ्चकल्प माध्यम 59) जे समकवायं / जोदे सकम अनुदो ताहे जयणाय जुत्तो 7 // 1721 / / देसणयि ह कोडि अच्छतो सो विमुझती णियमा / तम्हा विमुद्रभानो मुज्झति णियमा जिणमामि 1722 / / बाडिरकरणे जुनो उपओगाडेडिओ सुतधराणं / जं दोस समानणो वि णाम जिणवणतो सुद्धौ। 1722 // दव्वे य भावेण य सुद्धमसुद्धे य डोति चतुभंगो / तीतो दो. सुविसुद्धो नउत्थती उभयर असुद्धो // 2726 // बितिभो भाविसुद्धो दबोटमुद्धो 5 पटमओ होति / अडवा नि दोसकरण दन्ने आने यदुविहं तु / / 1725 // माविमुद्धाराहको दबतो मुद्धो य होता युद्धो य / / जे निदिदहा दोसा रागादी तेहि उलिये // 1726 // एते साम. एणत कीयादी अगुवउत्तो जो गिरहे / नहाणगावराटे साडठयमो. बराडाण // 127 // आचण्णो सहाय दिजात मह पुण बहु तु आव.. यो / सहियं कि दासबभण्णति इणमोसुणह वोच्छं।१२वालहि में / कि दायव्वं / तबो व दो नहेव मूलं वा / कन्येदं भगिनती भणणोते तु णिसीहणाममि // 1029 // वीतिमे उद्देसे मान्य चउम्माय नह य धम्मासें। उग्घायमणुग्धात भणियं सब जहाकममो // 1730 एसोनु दवियकप्पो जहक्कम नाणओ समासेण / एलो उ मेनकाय बोच्छामि गुनगएमेणे / // 1031 // आदी धरकणियती तु वाष्णता जोम जोमे पेलोमि / एतेमि सण्णिकासे सालंबो मुगी बसे सेले // 132 // छोरीहकप्यो आदी तह / जानिमा णिमेनिया सेत्ता / अक्लेमअसिवमारी ण कय्यती मारने वालो / // 1733 / / समादि अलमलो पडिकुडेटिं पि कति जयणाए / दुयमादी सं. ..' जोगा वजन्माण सोपणकामास // अवलोमे अनिमिय असि जे वसेज अक्रम / तहिय उडिविणासो असिने पुण जीरणामोतु // 1735 // एव ओमादी संजोगा तिगचउक्कमादीया / वलियन जेसु जहा तमहे / वोच्छ समासेणं ॥१७३३करजोगिन्निकासे बहुतररा जपुवगाह जाणे / भोवतरियं च हाणिं तत्थायरे दुबिडकाले // 37 // एतेल्यामण्णसरे आलं. वर्णानररमो से लेने / कालदुधावराहे संवटियमोसाहाण // 1738 // . संबंटियावराहे तवो व दो तहेव मूल ना / आधारपकम्ये जं पमाण माण चरिममि ।।दार // 1739 // एसो उ क्षेत्तकप्यो अदुणा वोच्छामि कालकप्य तु / जाबराउत तुझीण अप्युपाने लार मामा // 1 //