________________ .. श्री निशीथ सूत्रे : उद्देशका 14] .[37) उसमे उसे पडिगहए जो गम्रो भणिओ सो चेव हपि बत्थण णेथव्यो जाव पासाबासं संबंसइ संक्सतंबासाइचइ, नगर णिकोरणं नस्थि 31 ते सेवमाणे आवजइ चाउम्माश्रियं परिहारहाणे उधाइयं / सू०३३-८८॥ // अहारसमी उसओ // 1 // ॥अथ एकोनविंशतितमोड़ेशकः।। जे भिक्खु विथडं किणकिणावेई कीयं आहर देखभाणं पडि. गगाहेइ पडिरगाहने वा साइव // 01 // एवं पामिनि पामिधावेति पामिधियमिनि // 2 // परिथट्टति परियट्टावेति परियथिमिति // 203 // अच्छवं अनिसई अभिहडं गाभिम्यू गिलाणस्साहाय परं तिण्ठं वियदतीणं पडिगाहेइ पडियाहतं वा साइजद ॥माजे भिनयू विडं शहाय गामाणुशाम इज इइखंत वा साइज३॥०६॥ जे भिक्खू वियउंगालेइ गालावेब गालियं आटु देजमाणे पहिगाहेर पडिगाहंन वा साइजद६॥on जे भिक चाहिं संसार समायं करेइ करेंत वा साइजर, तंजहा- पुबाए संझाए प. . धिमाए संझाए अवर(माझाहे अहस्ते / सू०८॥ जे भिक्ख काजियसुबरस परं तिण्हं पुराणं परवद पूरछतं वा साइज सू०९॥ जे भिक्ख हिटिवायास परं सत्ता पुध्धाणं पुरधE पुछतं वा साइज २६॥सू०१०॥ जे भिक्खू यउसु महामहेसु सम्झायं करेह करेंतं वा साइजइतंजहा-इन्दमहे खंदमहे जबषमहे भूयमहे // 20 // जे भिकरयू चउसु महापाविएस सज्झायंकरे करवा साइजद, तंजहा- सुनिम्हियापाडियए आसाठीपाडियए भवया इन्दमह, आमोय) पाहिब कत्तियपाडिवए सू०१॥ जे भिकरयू पोरिसिं सम्झाचं उधाण उवा इणावंतवा साइज॥सू०१३॥जे भिक्यू चारकालं सज्झाय नको नकरत वा साइजद 16 // 014 // जे भिक्रयू असम्झाइए सम्झायं करे करवे वा साइजइ॥सू०१५॥ जे भिक्यू अय्यणो असम्झाइए सम्मायं करे करवा साइजा *y2 |सू०१६॥ जे भिमयू रोहिल्लाइं समोसरमाई अवारता उरिल्ला समोसरगाई वाणुइ बायनं वा साइज ॥सू०१॥जे भिकरयू नव वचनलाई भवात्ता उरिमसुयं वारा वायंतं वा साइजद.१६९॥०॥ जे भिक अक्जे वारक वायन वा साइज // 2019 // जे भिक्रयू वत्तं न वाएइ बवान' वा सास ఇక ముందుకు