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________________ - 226] श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभाग विहरमि?' जे तस्य मध्यराइणिए न वएज्जा - भह भते / कस्म कप्पाए ?, जे तत्प बहमुए, तबएज्जा जचा से भगवम् तम्स आणाउवधायवयणनिह से चिट्रिम्मामिलास.बह साहम्मिया इचोला एमयी अभिनिधारियं चरित्नए, जो ण्डं कप्पर धेरै भयाच्छन्न एग्यो भनिचारिश चरित्तए,कप इण्डं घेरे आपत्तिा एगयो ओभाने धारिय चरित्तए / घेरा य मे विधर जा एचण्ड कप्पइ एगतो भाभानचोरेय चोरत्तए, पैर य प नो विथरेजा एवं प्ठं जो कपड़ एगयी अभिनेचारिय चरितारातत्य धेहिं अविडणे. एण्यओ अभिनिधारिथ चौते से सतार वा पोरेडा वा ॥मू.१९॥चरिथापविट्ठे भिक्खू जाव चउराथपश्चरायाभी 3 पामेजा मच्च आलीथमा सव पडिस्कमणा सध्यैन ओगहम्म पुवाणुजवणा चिट हुइ, महालन्दमधि भोग)ई-मू.२०॥ चोरयापविटो भिरम पर चउराथपाराथाभी धैरे पामज्जा पुणो भालोएज्ज! पुणो परिक्कमेन? पुणो छैयपोरेहारम्स उवहाएज्जा 2 भिक्षु. भावस्स अटहार दौरोप भोगहे अणुन्न यध्ये मिया कप्पोले सेव वदिनए- भजार भते मिओगह महालन्द एवं नितिय निच्३य ज वेदिय, तो पच्छा कायमफास 3 ॥१.२१॥चरिथानिय भिक्यू जाव कायसकामं 44 .२२-२३॥दो साहम्मिया एगथओ विहरति तजा-मेह य राहणए यता मेहतराए पलिचिकन राइणिए अपलिच्छिन्नता मेहतराना oftए उपसज्जियचे भिवयोववायचदलयर कप्या॥२४॥दोसारमिया गयभो विरशैते. त जहा - सहे य इणिए य तत्य राहणार पोत स. ने मेहतराए अप्लान्छन्जे इच्छा गणिए सेहतनारा उवसंपन्जेला पालो उवमण्जेज्जा इच्छा भियोववाथ दलथा कध्याग इच्छा जो दलाइ कमागं ६.सू.२५॥ दो भिवणो शायभो विहरति जो 9 कर अन्नमन्ना वसंपज्जिनाण, बिहारेलाए,कप्यार पर आरागणियाए भन्नमन्नं उटायनिनाण विहरितए ॥सू. 26 // एव दो गणावोइया।मू.२७॥ दो आधोरेय उवज्झाथा ।सू०२९॥ बहये भिक्यूणी जाब विहरित्ताए ॥म.२९॥ बहवे गणाचरोडयास.३०॥ एवं अडवे आयोरेथउवज्झायाम.32 पाते भिवणी बही गणावच्छेदया बहने आयरियउवमाया एगयो विहरंति, जो कप जाव विहारतए 574 / 032 // च उत्था उसभी // 5 //
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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