________________ श्रीव्यवहार सूत्र : उद्देशक 4] [225] करे उवमपज्जणा तस्स अप्पणो कप्याए असम ने कप्या में गरायाए प्रारमाए जण्णे जटिस भन्ने साहम्मिया विरति न न टिम वाले नए गली में मप्यड सत्य विहारवतिय धाए मप्पड़ मे नया निय उत्थाय 3 / तमि या मागोमिनिटेडयम परो त्राज्जा.मा अज्जो / एगरा थवा टुराय जी एव मे अप्य: एगराय या दुराय मा बा.नो मे अप्पाइ गरायाओ ना रायाभो पर स्थए , जै 1-2 गरायाभो बाटुराया भी त्रा पर चमड से मतोरवा पहारेत्रास.१॥ त्रासावास वालोमगिए भिक्यू जाव छए वा पोहा जा 262' .2 // भायात्रेय उव जमाए गिला माणे अन्नय यएज्जा - भज्जो माममि 7 मालायमि समामि भय समुकमिय से " ममुक्कामणान्हे ममुकामय मे यो समुक्कामणारि. है जो समुस्कमियअतिध या इत्य अन्ले और सम्म्कमणाशि से मम्स्कोमयध्यै जन्धि या इत्य अन्न कर ममक्कासाहे से येन समुम्कमिय 2 / लेमि च समुक्किटहमि परे गएज समुस्किदा ते अन्नो। निविधवा हितम्म जनिविपनमाणस्म जन्धि इएमा परिहार वा जे तं माहम्मि. या अएकप्ये जो अभुटा विहरति आभू ति मध्येसि तेमि तत्तिय छए वा परिहारे वा 4 / 21. सू.१३।। आर्याश्य उवन्यार मोहायमाणे अन्नयविएज्जा - अज्जो। मए मोहारियसि समामि अयं समुम्कमियब्वे जाच मध्वेसि तैमि तप्यनिय छए वा परिहारे मा ३०३:/मू.१४॥ आयरियउवाकर सरमाणे परं चउराथपंचरायाभो कप्मा भिक्खु जो उबदहाइमपाए अ. दिन थाई से केइ माणिज्जे कप्याए नधि याइ से केइ ए ग परिहा ना. जन्धि यार से केइ माणणिज्जे कप्याए से सतरा ऐ की निहारे वा॥सू. 15 // आरियउज्झाए असरमाणे पर चशयाओवा पंचमायाभो कप्याग जाव छए वा परिहारे वासू.१६॥ आयस्थिउवज्झाए सरमाणे बा अमरमा मेवा परं दमरायकम्पाभो कप्या भिवामु जो उबदहाचेइ / मय्याए अस्थि याई से केंद्र माणिज्जे कप्यार जो बाद में मै ए मा परिहाने या, / जोत्थ थाई में कई माणज्जैि कप्याए मवच्छ तर ननिय लो कप्पर आरियत वा जाव गणावच्छेइयत्त या रोहेमित्तए वा 23/334 ॥सू.१७॥ भिवायू याओ अवकम्म अन्ज Mi उपसंयोजना हरेजा, चकई माहम्मिए मन्ना अपन-मालो। उग्मजिना