________________ 14 . श्री आगम मुधा मि-युः 0 नवमो विभागः नवगनिवेससि अयागरंसि वा तंबागरंसि वा तरमागरसि वा सीसआगरंसि वा हिरण्णआगरंसि वा सुवण्णागरंसि वा रयणभागरंसि वा बइरआगरंसि वा अप्पविसित्ता असण वा पडिगहिद पडिगाहंतं वा साइजइ 129' / / 037 // जे भिक्स्य् मुहवीणियं करेइकरतं वा साइजइस०३८॥ दन्तवीणियं // 039 // एवं उद्धबीणियं स०६०॥ नासावीणियं // 1001 // कक्रववीणियं ॥स०५२॥ हत्थपीणियं ॥सू०५३॥ नहवीणियं ॥स०० पत्तवीणियं // 1045 // पप्पवीणियं // 56 // फलनीशियंस.०॥ बीथपीणिय स् 6 // हरियवीणिय / / 049 // जे भिक्रय मुहवीणिय जाव हरिथवीणियं वाए३ वार्यतं वा साइजइ. अण्णतराणि वा तहापगाराइं अणुदिन्नाई सद्दाई उहीरेइ उदीरंतं बा साइमद "132 // 2050-61 // जे भिक्रयू उद्देसियं सेनं अणुपविसइ अणुपविसंतं वा साइज३॥स्०६२॥ सपाडिथ ॥सू०६३॥ सपरिकम्मं // 064 // जे भिवरखूनस्थि संभोगवतिया किरिथति क्या वर्थतं वा साइज 275 स०१॥ जे भिवस्य वस्थं वा पडिगहं पा कंबले वा पायपु-धणं वा मले पिरं पुर्व धरषिज पलिब्धिंदिय 2 परिवेइ परिवंतं वा साइज // 066 / सेभिकरवू लाग्यपाय वा दारुपायं मरियापायं वा आव साइजाम्०६ाजे भिक्रय दण्डगं बाजाव पिप्पलसूदगं वा पलिभन्जिय परिवेइ परिवत बा साइबर २०१म // जे भिक्खू भइरेगपमाणं श्यहरणसीसाई धरे धरतं वा साइंसद स.॥ जे भिक्ख सहमाई रथहरणसीसाइ करेइ करतं वा सादन।०७० जेभिक्यू रयहरणस्स एवं बंधं देइ बा साइम // 2011 // जे भिकम्बू रया हरणस्स परं तिहिं बंधाणं दे वा साइझइ / / 012 // जे भिक्स्यू रयहरणं अविहीए बंधइ बंधत वा साइज ॥०७३जे भिक्रय कण्ठसत्रबंधण बंधइ बंधतं वा साइजइ / स्०१४॥ जे भिक्खू वीसई धरेइधरतं वा साइजइ // 20 // जे भिक्खू अनिमढे घरेइ धरंत वा सामान 76 // जे भिक अभिरवणं 2 अहिलेइ अहिहंतं वा साइज // 20 // भिक्यू उस्सीसमूल ठवेई ठवतं वा साइसम्०१८॥ जे भिक्खू तुद्दे तुइडत वा साइजातं सेषमाणे भावजद मासिय परिहारहाण घाइ2011 सू७॥ पश्चमी उद्देसी // 5 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎。