________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री व्यवहार सूत्रं : उद्देशकः 3] [2211 'परिमेयी परिहारपने, से य वएज्जा'नो परिमेवी नो परिहारपने शव से पमाणं वथइ से पमाणी घेत्तव्ये, से किं एव मा भन्ते!१. सच्च. पइन्ना ववहारा ४।३१९॥सू.२५॥ एगपक्षियरस मिक्युस्म कम्प्यु आयरियउवज्झायाणं इनरियं दिम वा अणुदिसंवा उदिमित्तए वा धारिनए वा जहा वा नस्स गणस्म पत्तियं सिया 355 // .॥बहवे पर हारिया बहवे अपरिहारिया इच्छज्जा एगयओ एगमामं वाटुमामा तिमासंवा चउमाशंना यमासंवा दम्मामंवा am ने भलमन्नं संभुजन्ति अन्नमन्नं जो संभुजन्ति मास, तओ पच्छा सवेत्रि एगो सं जन्ति 264.27 // परिहारकप्पदिश्यम भिक्षुम्म नो कप्पा असणं वा दाउंवा अणुप्पदाउँवा, घेरायणं वएज्जा-इमं ता अन्न! म. एएसि देहि वा अणुप्पदेहि वा एवं मे कप्पा दावा अणुष्पदाउं वा, कप्पर से लेवं अणुजाणावेत्तए 'अणुजाण भन्ने लेवाए' एवं सेवाप्पा ले. व समासेवेनए'३७२.२४॥ परिहारकप्यदिहए भिकम्यू मरणं परिगाहणं 'बहिया अप्पणो यावाडयाए गच्छेजा, घेरा य गं वएज्जा-पाडेगाहट अज्जो। अपि भोक्खामि वा पाहामि वा एवं ए से कम्पद पडिगगाहेत्तए शतत्व जो कप्पइ अपरिहारिएणं परिहारियरम परिग्गरंसि अमर्ण वा 4 भोत्तए ना पायए वा, कप्पा से सबंमि वा परिगाहंमि, सथति वा प. लासगंमि, मयंसि वा कमसि, सथमि वासुब्बगनि, मयंमिचा पाणिय. मि उट्ठ उदइड भोसए ना पायए वा, एम सप्पे अपरिहारियम परिहारिधाओ।।सू.२७॥ परिहारकप्पदिहए भिक्यू राणं परिम्गहेज बहिया धेराण वेथाचडियाए गच्छेज्जा, घेरा य वएजा-'पडिग्गाहेहि अज्जो तुमपि पच्छा भोक्यसि वा पाहिसि वा एवं सेवाप्पड पडिगगाहेत्तए / तत्प नो कप्पद परिहारिएणं अपरिहारियस्म परिगाहमि असणं वा 4 भो नए वा पायए वा, कप्पड़ से मयसि परिग्गडंमि वा, मयंसि पलामगंसि वा,ससि कमळगंसिया, ससियुष्यामिवा,सर्थसिपाणिसि वा,उबहुउद्ध भोत्तए वा पायएवा, एस कप्पे परिस्थिस्स अपरिधरियाओत बेमि 2237' / .30 // बिइओ उद्देमभो // 2 // अथ तृतीयोद्देशकः।। भम्र य ३छेजा गणं धारेत्तए,भगवंच से अपलि. 聽聽聽聽聽聽聽聽幾幾幾幾幾