________________ - श्री पञ्चकल्प माध्यम् / [103) प्रोट वाद्धयं पयन च / मुणिया में सुचिडियादि पुहा बेता वि जाणे / / 692 / / अतिययणाणी घेरा य पुच्छिता हे सिदः जहवत्त / डोही जुगप्पडाणो रखड अप्रमादेणं / जम्म सइय्कुलेस स वाइठलो गोण्णणाम कर केसी / एमा तु मजणाकभणी पव्वज्जा डोति. णायव्वा दार // 69 / बडुजप्रासम्मुनियाए णिक्यमणं डोति जंबुणामस्य ।दार / अस्खायोए जंबू धम्म में - म्यादि पभवस्य // 695 // संगार मल्लिणाले सत्त णिवा कासेज. ह उ संगारं / दार / वेयाकरणे सोमिलपुच्छा जह जाकरे भगन / दारं / / 696 // सयबुद्धा तिन्थगरा / दारं / सोलसहा एस डोति व व्बज्जा / पुच्छा परिसुद्धम्मि तु अब्भुनगते होते पव्वज्जा // 19 // गोयरमचित्तभोयण सज्झायमण्डाण भूमि मिज्जाती / अभुनगयः म्मि दिवया दवादी पसत्सु / दारं // 69 / / लागणादिम् तुरते भणुकूले दिज्जते अहाजातं / सयमेव तु धिरहत्थो गुरु जहण्ण लिण्ड इट्टा // 699 // अन्नो वा घिरहत्यो सामाइग तिगुण अटा डणं च / तिगुण पादक्षिण्णां णित्धारण गुरुगुणे बुइटी / मुडात्र गत / दारं // 700 // फामुय आहारो से अहिंडत च गाहए मिस्र / ताहेत्र उहवण धज्जीणिय तु पन्तस्य // 1 // अप्यते अकहेन्तः अणभिगय परिच्छ अतिक्कमे पासे / एस्केके चगुणा - सेसिया आदिमा चउरो // 702 / / अप्यन्त न सुतेण परिया| उ. वहवेत चउगुरूगा / आणादिणो य दोमा विराहणा घण्ह कायाजादार / / 703 / / सुन्तत्य अकहेता जीवाजीने 8 बधमोक्स च / उवहवणे चरगुलगा विराडणा जा भणिय पुच दार / / 3000 HDहिगलपुण्णपा उवह वितस्स चउगुरू होंति , आणादियो य दोमा मालाए डोति टिदहंतो दा॥७०५॥ ससराय टगाउल्लगणी 7. लिहिते हरितबीजमादीम् / होति परिक्खा गोयर कि पारेहरती - व विति // 706 / उच्चादि अपंडिल वोसिर डाणादि वावि . ढवीए / दिमादिदगममी सारादीदाह अमणिम्मि / / 704 // विजण अभिधारण बाते डरिए जह पुठविए नसेसु च / एमादि : 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎