________________ [104] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग रिवियत्ता वतदाणमिमेण विडिणा सो // 708 // दवाद पसत्धेवता एस्केक्कं तिगुणणोवारें डेहा / दुविडा तिविडा य दिसा आयबिलणिधिगतिगा वादारं / / 709 // चितिपुत्ताणं जुयला दोषिण तु णिकयंत तत्ध एगस्स / पत्तो पिता न पुत्तो एगस्स तु पुत्तो गनु धेरो / / 710 / / ताहे तु पण्णविज्जति दंडियणायं तु कात भण्णइ तु / मा गेण्ड अन्सग्गा तिर्माणमो डोति एसविता।। 711 // एवं सो पण्णवितो दि इच्छे तो उवदहवेंती तु / णेच्छते पंचाहं हुंती दो तिोण्ण वा पणगा / / 712 // वत्थू सभावा सज्ज व जाऽधीत ताव तं परिच्छति / एवं रायअमच्चे सं. जतिमझे महादेवी दारं // 713 // राया रायाणो वा दोणि वि. समपत्त दोसु पासेसुं। ईसरसेदिडअमच्चे णियम घडा कुल दुने सुइडे // 714 // समयं तु अणेगेसु पत्तेसु अभिमोगमावलिया / एगतो दुहतो व हिता समराइणिता जहासणं // 715 // ईसिं अणोयरत्ता वामे पासम्मि होति आलिया। अहिसरणम्मि य वइठी ओसरणे सो व अण्णो वादारं // 76 / उवहालियरस एवं संभुजणना तडेव संवासो। बितिथपदं संबंधी ओमादिसुमा डु बहिभावं //717 / / भुंजीसंमए साढे इयाणि णेच्छति तु मातु बहि भावं / अहिसायति च भोमे पच्छन्ने जेण भुजति / / 718 // एमादिणा तु भावं ताहे अप्पत्त अहव पत्तं वा / उबडानेतु भुजति अपरिणते चित्तरक्सट्ठा / / 719 // उवहाचिए संभुत्ते संवासो ए. स्थ होति कायव्यो। बितिथपए संबसेज्जा अणुनढवियं पिमहिं तु / / 720 // अण्णत्थ त्धि डाओ अडवा डोज्जाहि सोऽवि एगीगी। य कप्यति एगस्सा संबासो तेण संचासो // 72 // सच्चित्तविथकप्यो एमेसो वन्जिओ महत्थो तु / अच्चित्तवियाप्यं एतो वोच्छ समासेणं / / 722 // आडारे उडिम्मि य उवस्सए तह परसवणए य / सेज्जाणिसेज्जडाणे दंडे चम्मे चिलिमिणीय / / 723 // अवलेहणिया दंताण धोवणे कण्णासोडणे चेव / पिप्पलगति णवाण छेदणे चेव सोलसमे / / 724 // आहारो खलु दु. विडो लोइय लोउत्तनो य गायब्बो / तिविहो य लोइओ खलु तत्य