________________ MYYYYYYYYYYY 286 श्री भागम मुधा सिन्धु नवमो विभाग हणभंग य पुरिभई / / 50 / / एवं चिय मामण्ण, तन-पीमाभिगाहादियाणं पि। णियितियादी पवियय-पुरिमादिविभागतो जेयं // 51 / फिठिए सतमुस्मारिय भंगे वेगादि चंदणादीनु / णिव्यिगतिय-पु५ मेगासणादि, मध्येमु चायामं / / 52|| अकएमु तु पुरिमा-मणमा - - यमं सध्यसो चउत्धं तु / पुस्चमपहिलधंडिल, णिमिचीमिरणे दियामु.. रणे / / 53 / / कोहे बहुदेव मिए, आसव-कोलादिपमुंचालमगादी पुरिमा, तण्णादी बंधमुथणे // 54 // अझसिरतणेमु निधि मतियं तु सेमपणएमु पुरिमई / अप्परिलहियपणए,एगामण तमबहे जंच / / 55 / / ठवणमणापुच्छाए ,णिब्धिमणे विश्यिग्रहणाए या जीए कामणयं, मैमगमाया खवणं तु / / 56 / / दप्मेणं पंचिंटियबोरमणे संकिलिकम्मे या दीइदाणामेवी य गिलाण-कप्पाचमा..य / / 57 // सच्चोचहि कप्पम्मि य, परिमत्तारोहणे य चरिमाए। चाउम्मासे वरिमे, यमोहण पंचकल्लाणं ॥५॥छदादिम-सह यो, मिउगो परिचाय-गदियम्स वि या छेदातीए वितबो, जीएण . गणा दिवाणी य // 59 // जजंग भणियमिति, तरसावत्तीय दाण संमेवे / भिण्णादिया य बोच्छ,धम्मासन्ता य जीएणं / / 600 भिण्णो ,' अविमिदो च्चिय मामो चरीय उच्च लहुगु-गा। णिनितियादी अमभत्तन्तं दाणतेमिं / / 61|| जय मल्यावनीओ,तवसो गाउँ जाकम समए जीए दिज्ज शिब्बीतिगाति दाणं जहाभिहितं // 6 // एयं पुण सय चिय, पार्थ सामण्णयो चिणिदिई / दाणं विभागतो पुण, दयादि-विमे सियं जो // 63 // दव्य येतं कालं, भावं पुरिस पार सेवणाओ या णामित चिय दिज्जा, तम्मनंहीणहितं / / 6 / / आहारादी दव्वं, बलियं मुलभं च णाउमहि यं पि। देजाहि ब्बलं दुलभ च णाऊण हीणं पि // 65 // लुकचं सीतल साहारण उत्तमरितं पिसीयम्मिालम्मियीय एवं काले विति. बिहम्मि / / 66 // गिम्ह-सिमिर-चामासू, देज ऽदाम-दसम-बारमता। णातुं विरिणा णचिर-मन-वचहारोवदेणं / / 67 // बह-गिलाणाभचम्मि देन दसम्म न गिलाणुस्म / जातिय वा चिमहति तं दे मो ROMOTIVATIONARIYAR