________________ M ممیز و تاسفانه / 295 श्री जीत कल्पसूत्र कमसी।।३१॥ पुरिमादी स्वमर्णतं, अतविगलिंदियाण पनेया पंचिदि यम्मि पासणादि कल्लाणगमहगं / / 32 // मोमादिमु मेहुणवज्जिएनु दध्यादिवत्युभिण्णेसु / दीणे मज्झकोस, आसणायामयमणा // 33 // लेखाइयपरिवासे, अभत्तट्रो मुक्कसणिहीए या इतरा य घटुभन्तं,अटुमग सेम णिसिमले // 30 // उदेसियचरिमतिए,कम्मे पार्मेडमघरमीसे य। बादस्पार्डियाए, सपञ्चवायाई लोभे // 35 // अतिरं अणंतणिकिलान-पिरिय-साइरिय-मीसियादीसं। संजोग सईगाले, दुवित् णिमि. ने यसमणं तु॥३६॥ कम्महे सिय-मीसे, धायादि-पगासणादिए. मुं च। पुर-पच्छकम्म-कुच्छिय-संसन्ततित्तकरमते.॥३७॥ अति. 1 परित्तणिवियन पिहिय-साइरिय-मीमियादीनु / अरमाण-धूम-कारणविवज्जए विहि यमायाम // 32 // अज्झोयर-कर-पूतिय-माथा. गते परंपरगए य। मीसाणताणतरगतादिए चेगमामणगं / / 39 / / ओह - विभागुद्दे सौवकरण -पूतीम- विय-पागठिए। लोउत्तर-परियट्टिय-पमिद्य-परभावकीए य // 40 // सग्गामाहरु-ददर जहण्णभालौहोझरे पठमे। मुहमतिगिच्छा-संभवतिग-मक्खिय-दायगोवहए // 51 // पतेयपरंपरहविय-पिहिय-मीले अणंतरादीमु। पुरिमई संकाए, जमकर तं समारज्जे // 12 // इत्तरविए मुहमे, समणिद समरक्स' मक्खिए चैव / मीसपरंपरहविद्याटिएम बितिएम वाऽविगती / / 13 / / महमाणाभोगेण व.जेसू परिक्रमणमाहिय तेस। आभोगओ विबहमो अतिप्रमाणे व णिब्धिगती // 44 // धावण-डेवण-संघरिस-गमणपकडा-कुशावणादीसु। उक्दि -गीत-छलिय-जीवस्यादीमु य चउत्य ।।४शातिविहीबहिणो विच्युतचिम्सरितारिताणि वेदगए / णिब्धितिय पुरिमकामगाइ सबम्मि चायामं // 46 // हरियधीतुग्गमिथाणिवेदणा - देण्णभोगदाणेमु / आमणमायामचतुत्ययाई सम्मि छदं तु // 4 // मुहणतय स्थहरणे, फिरिए णिव्यिगतिय चउत्थं तु ।नानिय हारविए या जीरण चउत्पछवाई / / 42 // काल दाणादीए णिव्यिगती घमण मेवः परिभोगे। अविहिविगिचणियाए, भत्तादीणं तु पुरिमा / / 09 / / पारस्यामंघरणे, भूमितिगापेरणे य णिधिगती। मम्मासंघरणे अग Livisividio