________________ श्राआगम 170 श्री आगम सुधा सिन्धुः नवमो विभाग दोहाण दुयागताण हाणाणं / जस्से व नु अहिंमुहतो आलोएज्जा त. दहाए // 1927 // दीप्यथा कम्पिया चेव दुविहा पडि सेवणा / द. पियाए 3 दो हगणा मूले तह उत्तरे चेव // 1928 // कम्पियाए वि एमेव दो डाणा उ वियाहिता / जयणा अजयणा चेव एक्केरका य नियाहिता // 1929 // जस्से व अभिमुहो ती जंचेव य कानु विहरते पुरतो / आर्याश्य उलझाया तस्मेव उ तं तु आलोए / 1930 // अहवा ज जह सेवित मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / पातिवातादीमय वनेयु तं तं नहालोए // 1931 // अहवा मोक्याभिवाहो मोक्सहाए तू अढकम्माण / अणलोइए ण मुंचात कम्हा इणमो णिसामेहि / / 1933 / जाद विय तवगुणजुत्तो होति मणुस्सो अणुद्धारय सल्लो / कशेति दुक्समोस सल्लुद्धरणे पि जतियव्वं / 1933 // तं पुण के. रिसाम्स तु वियडेयव्वं तु ? जाणतो जो तु / निजाणते न कप्प. ति अजाणतो जो यिन्यो / 1934 // पायच्छिन्तमयाणतो हाणे हाणे भटानि।ि भालोयणाए उनसंपयाए ण ह डोति पाउरगो॥१९३५॥ किं कारणं ण यात सोहें माइस्म सोहिकामस्म / हाणे हाणे पु. ठवादिएम मूलुत्तरे वालि // 1936 // पातिवातादीनु य कारणिक्कारणे ये जयणाए / आलोयण गुणदोसरमणेण हु होति पाउगो // 1937 // गुण अणियहियमादी दोसा पुण ग्रहणादीया होति / एते ण याणे अगीतो तम्हा उ इमस्स णालोए // 1938 // पाच्छन्नं वि. याणतो हाणे हाणे जहाबिहिं / आलोयणाए उवसंपयाए सो होति पाउगो // 1939 // पडिसेवातियारे दुल्हेि काले पबंधवोच्छेदो / ए. क्केक्क छक्कएणं आलोयण मा पडिच्चाहे // 1940 // परिसेवणाऽतियारा दुविहा मूलगुण उत्तरगुणे य / पडिसेमणकालो व य वि. हो उडुबद्ध वासे य // 1942 // अयोच्छिण्णपबंध विवीयं तु होति वोच्छिण्णं / क्यधक्ककायधक्काकप्पादी छक्कमेक्केवळ।।१९४२॥ अकप्पादी धामणं अकम्प गिहिभायण च पलियंको / तत्तो य मिडिणिसेज्जा होति मिणाणं च सोभा य // 1942 // एतेसिं धक्कगा- . एक्कक जतु होते आनण तमाला तहा पति या वि आथरिओ // 1944 // आलोयणामबहारो संवासि पवामिया का